शनिवार, 15 जनवरी 2011

आपातकालीन स्थिति और तमाशबीन भीड़ - क्‍या सांपों को दूध पिलाना पुण्‍य का काम है - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
 प्रणाम !

भारत में मनाए जाने वाले पर्वों में मकर संक्रांति एकमात्र ऐसा पर्व है जो सौर कैलेंडर पर आधारित है जिसकी वजह से यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। शेष सभी पर्व चंद्र कैलेंडर पर आधारित होते हैं।
संस्कृत और कर्मकांड के विद्वान डा रविनाथ शुक्ला ने बताया कि चंद्रमा की तुलना में सूर्य की गति लगभग स्थिर जैसी होती है और मकर संक्रांति सौर कैलेंडर पर आधारित पर्व है इसलिए इसकी तारीख नहीं बदलती। उन्होंने बताया कि देश में मनाए जाने वाले अन्य पर्वों की तारीख बदलती रहती है क्योंकि वह चंद्र कैलेंडर पर आधारित होते हैं और चंद्रमा की गति सूर्य की तुलना में अधिक होती है।
डा. रवि ने बताया कि संक्रांति संस्कृत का शब्द है जो सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश बताता है। हिंदू ज्योतिष के अनुसार, कुल बारह राशियां होती हैं। इस प्रकार संक्रांति भी 12 हुईं। लेकिन मकर संक्रांति तब मनाई जाती है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। उन्होंने बताया कि पृथ्वी को कर्क और मकर रेखाएं काटती हैं। जब सूर्य कर्क रेखा को पार करता है तो पृथ्वी के आबादी वाले हिस्से में उसका प्रकाश कम आता है। इसी दौरान धनु में सूर्य का संचार होने पर सर्दी अधिक होती है जबकि मकर में सूर्य का संचार होने पर सर्दी कम होने लगती है। मकर संक्रंाति से गर्मी तेज होने लगती है और हवाएं चलने लगती हैं। बसंत पंचमी से ये हवाएं गर्म होने लगती हैं जिसकी वजह से रक्त संचार बढ़ जाता है। यही वजह है कि लोगों को बसंत में स्फूर्ति का अहसास होता है। पेड़ों पर नए पत्ते आने के साथ साथ फसल पकने की प्रक्रिया भी गर्म हवा लगने से शुरू हो जाती है। इसलिए कृषि के नजरिए से भी मकर संक्रंति अहम पर्व होता है।


ब्लॉग 4 वार्ता मंच के पूरे वार्ता दल की ओर से आप सब को मकर संक्रांति की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

आइये अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ... 

सादर आपका 
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सर्दी में खुराक :- तगड़ी तो आप तगड़े !


देवदास, दारु और यौगेन्द्र मौदगिल जी :- यह रिश्ता क्या कहलाता है ?




लाइव होने के लिये नि:शुल्क मदद :- आप भी ले लीजिये ... स्टॉक सिमित है !








मुस्कान :- बनी रहे !


मकर-संक्रांति :- विदेशी ईंटों के जंगल में आज बहुत याद आया अपना देश !




हमारा पारा हाई क्यों रहने लगा है...खुशदीप :- सेर को अभी सवा सेर कहाँ मिला है !?


क्‍या सांपों को दूध पिलाना पुण्‍य का काम है। :- इंसानी सांपो को पिलाना तो कतई नहीं ... असली का पता नहीं ! 


दिल तू इतना नादाँ क्यों है ! :- दिल तो बच्चा है जी ... थोडा कच्चा है जी !





??? :- सिर्फ़ सवाल ही सवाल है ... यह ज़िन्दगी बवाल है !




बुढ़ापा... :- या एक कडवी हकीकत ! 


अलगाव :- किसका किस से  ??


लीजिये आज मेरी डफली फिर बज रही है ... और आपको मेरी ताज़ा पोस्ट का लिंक दे रही है !




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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!

11 टिप्पणियाँ:

कुछ लिंक्स बहुत अच्छी लगीं , अच्छी चर्चा |बधाई |संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं |
आशा


गुड मार्निंग !
आज के लिंक अच्छे लग रहे हैं उम्मीद है आपकी क्लास में आनंद आएगा !
जयहिंद
(आज से खुशदीप सहगल का माल आजमाऊँगा क्या पता मुझे भी लिफ्ट करा दे )

च्छी चर्चा |बधाई |संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं |

शिवम जी बढ़िया चर्चा हैं अच्छे लिंक मिले ... पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ ....

कुछ बहुत ही अच्छे लिंक्स से रू-ब-रू हुआ। अच्छी वार्ता।

खूब सारी जानकारियाँ बटोरी। आपकी मेहनत हैरान करती है शिवम भाई...मकर-संक्राति की हार्दिक शुभकामनायें!

संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं |

अति सुंदर चर्चा जी राम राम

आप सब का बहुत बहुत आभार !

अच्‍छी पोस्‍ट शिवमजी .. इस वार्ता के लिए आपका ब‍हुत आभार !!

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