रविवार, 21 नवंबर 2010

ब्लागिंग का नशा, शराब से कहीं अधिक है :सतीष सक्सेना @ महफूज़ के अंदर भी है रजनीकांत...खुशदीप

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg58_qlans8PItbkjm1kJro1UO_fvb_w32GhQD2-ZH-icZkaVGcgtPzFEBQvX18Bv58bpEHs4hs-n3lk-tGspS5iZ1LRwjMApX4gMkraclyAhzoTOs5s-2UvAQcLEqzymjh-sA05ZklDCuN/s1600/Pamela.jpgकल एक और आयोजन भाई राज भाटिया और अमित ( अंतर सोहिल ) द्वारा रोहतक में किया जा रहा है ! स्नेही अमित और राज भाई का आमंत्रण ठुकराया नहीं जा सकता अतः व्यस्तता के बावजूद ,भी रोहतक जाना पड़ेगा  !अपने ढाई साल के ब्लोगिंग काल  का अनुभव बांटू तो यह मानिए कि ब्लोगिंग एक बुरा नशा है, जो आपके सारे कार्यकलापों को उसी तरह प्रभावित करता है जिस तरह कोई और नशा कर सकता है ! शायद इसका नशा, शराब से कहीं अधिक है !(और अधिक पढ़िये )

   
                                                                                                                                     
                     पसंदीदा पोस्ट    
इन जैसे बच्चों के लिये पामेला से ज़्यादा ज़रूरी है 2.5 Cr.
  1. कौन बनेगा करोडपति खेलना चाहते हैं?
  2. .तुम चुपके से आ जाना। -सीमा गुप्‍ता 
  3. दराजों में पड़ी कुछ पर्चियाँ
  4. हिन्दी ब्लागरों के पैसा कमाने के तरीके 
  5. नारी ब्लाग पर एक  सवाल 
  6. वो क्या थी नभ की छत – प्रकाश ‘पंकज’ 
  7. श्री गुरू नानक देव जी का प्रकाश पर्व
  8. जो रुके तो कोहे-गराँ थे हम, जो चले तो जाँ से गुज़र गये... 
  9.  तेरी दुनिया से होके मजबूर चला 
  10.  पामेला आंटी पधारो भारे देश 
  11. धान के खेत में "ब्लाग और टिप्पणियां
  12. जब इश्क़े-मजाज़ी (इंसान से इश्क़) हद से गुज़र जाए तो वो ख़ुद ब ख़ुद इश्क़े-हक़ीक़ी (ख़ुदा से इश्क़) हो जाता है... इश्क़ एक ख़ामोश इबादत है... जिसकी मंज़िल जन्नत नहीं, दीदारे-महबूब है..(फ़िरदौस की डायरी में )
  13. पर मझदार में न छोड़ें : बात मेरे मन की  
  14. पामेला नामक इस अभिनेत्री को शो में  बुलाने वाला  ढाई करोड़ रुपये अपव्यय करने वाला  दोस्त बिग बास सच तो ये है कि तुम्हारे द्वारा हसीन मांसल-गुदाज़ देह पर की गई फ़िज़ूल खर्ची  गर इधर हो जाये तो शायद देश और मानवता के लिये बहुत अनोखी बात होती खैर पामेला के बहाने  तुम इस महान करने के बारे में क्यों सोचते
    https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCXWxD3cW7-drKJjyxS25JV00WGBfa0iySOLZoKouGD0ouaNpviJ2O-tYDgqL_wIS3ozdBYIjvGm6kevD-lh48Q9H8KmiEpavTTmI_R5b1wBVQ0eA7-KCHKO2RgiErrpcR0RLOH22fT6Y/s1600/MYDC0345.JPG
    मिसफ़िट पर कानाफ़ूसी सुनाई देती है
     
      देशनामा पर सच तो लिखा है भाई जी =>कभी सुख, कभी दुख, /यही ज़िंदगी है,/ये पतझड़ का मौसम,/घड़ी दो घड़ी है, /नए फूल कल फिर,/डगर में खिलेंगे,
    उदासी भरे ये दिन,/कभी तो हटेंगे... (देखिये )

    _________________________
     प्रकाश पर्व पर सभी को हार्दिक शुभ-कामनाएं
     आपका स्नेही :- गिरीश  अब चाहता आपसे विदा कल देखिये अन्य चर्चा कार की चर्चा
    _________________________ 

      9 टिप्पणियाँ:

      यह क्या गिरीश भाई मेरा ग्लास मेरे पास से हटा कर पामेला.....क्यों तंग करते हो यार ??
      :-)

      बढ़िया अंदाज़ + बढ़िया लिंक्स + गिरीश दादा = एक उम्दा ब्लॉग वार्ता !

      गुरु पर्व दी लख लख बधाइयाँ !

      श्री वाहे गुरु जी दा खालसा ...... श्री वाहे गुरु जी दी फ़तेह !!

      अच्छी लिंक्स और चर्चा के लिए बधाई |
      आशा

      बढिया लिंक्स हैं भाई

      बेहतरीन वार्ता............

      एक टिप्पणी भेजें

      टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
      लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

      Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More