गुरुवार, 25 नवंबर 2010

कुल 5.14 प्रतिशत लोग ही पोस्ट लिखते हैं :

छुटकी ने के क्या गज़ब लिखा है
हादसा आज अचानक वही फिर याद आया
कितनी मुश्किल से जिसे दिल से भुलाया हमने( फ़िरदौस की डायरी से
वीर-बहूटी पर भी "मन-मंथन"भी मथ  देने वाली बात थी.सोचा कि क्यों न मन मथ दूं अपना और सभी ब्लागर्स का.
आज़ जब चिट्ठा जगत के आंकड़े देखे तो पता चला कि :- सेहत मंदी के बारे में 250 पोस्ट आईं,हैं. घरबार-श्रेणी से 51, जबकि समाचार श्रेणी वाले 309,चिट्ठे थे. विज्ञान पर केन्द्रित 54 आलेख,धंधा 56 खरीदी को लेके 10 पोस्ट थीं और संदर्भ श्रेणी में 104 को रखा गया है.   यानी कुल 16235 चिट्ठों में से लिखने वालों की संख्या मात्र 834 ब्लॉग सक्रीय हैं जो पजीयत का 5.137 यानि 5.14 ही है. और हम हैं कि नीचे दर्शाई स्थित को लेकर खुशी  का अनुभव करते हैं.कि आज मुझे अधिक टिप्पणी मिली या अधिक पसंद किया वाहवाही मिली. चिट्ठों के पठन में भी  कोई प्रभाव शीलता नहीं है. जिसे ज्यादा पढ़ा गया वो आंकड़ा आप खुद ही देखिये. हो सकता है एग्रीगेटर तक पठन का अपडेट विलम्ब से पहुंचा हो तो आप मानिए सर्वाधिक आंकड़ा अधिकतम 250 से अधिक न होगा. यहाँ  कोई धनात्मक सन्देश  नहीं दे रहा एग्रीगेटर बल्कि एक आइना दिखा रहा है कि हम हिन्दी के ब्लॉगर किस बात में आगे हैं और वो सब जानते हैं ? हालिया दिनों में जो सठिया उभर रहीं हैं उससे मुक्त होकर "मुदिता-भरी-ब्लागिंग" का होना समाज उपयोगी विषय पर आलेखन का किया जाना बहुत ज़रूरी है. कुछेक चिट्ठे हैं जो इस गरिमा को बरकरार रखते हैं उनका ज़िक्र करने में भी आज भयभीत हूं कि कोई आरोप न लगा दे कि अंधा रेवड़ी बाँट रहा है.  
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टिपियाये प्रभू आज़
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जस पाए प्रभू आज 
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पठियाये प्रभू आज़
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 आज मन बहुत उदास है शायद इससे ज़्यादा न मथ पाउंगा ?
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24 टिप्पणियाँ:

भाई...गज़ब...बहुत शानदार संग्रह है...आभार...

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अशोक जी ,छुटकी,मोनिका जी आप सभी का आभार

बेहतरीन वार्ता... अलग अंदाज़ भी पसंद आया!

चर्चा बेहतरीन,
लेकिन मन उदास होने का कारण...

जय हिंद...

लिखने वालों की संख्या पढ़ने वालों से कम रहेगी, गुणवत्ता आने पर विस्तार सम्हाला जा सकेगा। अच्छे लिंक्स।

पढने के लिए बढ़िया सामग्री दी है आपने ! आभार गिरीश भाई

अक्सर देखा जाता है कि चर्चाकार सामान्यतः लिंक देते हैं और टिपण्णी कार सिर्फ धन्यवाद ! अतः नीरसता और दिखावा भर रह जाता है !आपके द्वारा किया गया !

ऐसा विश्लेषण शायद पहली बार देख रहा हूँ ! इसके लिए और इस दुष्कर कार्य के लिए हार्दिक शुभकामनायें ! आशा है इसे जारी रखेंगे और अन्य चर्चा कारों को एक मार्गदर्शन देते हुए, उदाहरण कायम करेंगे !

आखिरी लाइन समझ नहीं आयीं और आपने हमारा मन भी उदास कर दिया ! अगर नितांत व्यक्तिगत न हो तो अवश्य बताएं, शायद आपके काम आ सकें मुकुल !

पोडकास्ट के जरिये दूसरों को आगे बढ़ाने वाला, ब्लॉग जगत का पॉडकास्टर उदास क्यों ?
हंसो यार !
:-))

@सतीष जी/खुशदीप सहगल जी/अरविंद जी/ प्रवीण जी/
संगीता स्वरुप जी/शाह नवाज़ भाई
समस्या व्यक्ति गत है किंतु
सर्वथा व्यक्तिगत कदापि नही
मेरा जीवन खुली किताब है
कई टिप्पणीयां दर्ज़ हैं इन
दिनों जीवन ब्लाग पे कई
नैगेटिव टिप्पणियां दर्ज़ हैं
जिनको भोग रहा हूं कल की
सुनहली सुबह के इंतज़ार में....
बस शुभ कामनाएं ज़रूरी है
निरंतर ताकि आक्सीजन मिलती रहे
पाडकास्टिंग फ़िर से शुरु होगी
तय है....

सही लिखा है आपने ,
सभी लेख उम्दा
dabirnews.blogspot.com

गिरीश दादा आज की ब्लॉग वार्ता बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है ... सार्थक और सफल प्रयास के लिए बहुत बहुत आभार !

बाकी उदासी त्याग दीजिये ... यही विनती है !

चर्चा का आपका ये सार्थक अन्दाज वाकई बहुत अच्छा लगा.....उत्तम!

जीवन में ऐसे बहुत क्षण आते है जब आँखों के आगे अँधेरा होता है ऐसे में अपनी सच्चाई पर रहिये ! कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है ! !
आपको मंगल कामनाएं !

अरे बाप रे, हमरी पोस्ट भी शामिल है........

भैया बहुते बहते आभार.

बेहतरीन वार्ता... अलग अंदाज़ भी पसंद आया हमरी पोस्ट भी शामिल की है..बहुत बहुत आभार

मेरी पोस्ट तो कई जगह शामिल है...
धन्यवाद..

मुझे लगता है अच्छा लिखने वाले तो बहुत से हैं और बराबर लिखते भी हैं. पढने वाले वहाँ तक पहुँच नहीं पाते और समझते हैं की प्रतिशत कम है. .

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