मंगलवार, 2 नवंबर 2010

ब्लागर्स बिग बास शुरू : कई ख्यात और कुख्यात ब्लागर्स हुये बास के हाऊस मे फ़िट - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा


प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

अब ब्लैकबेरी सेवाओं का लुत्फ उठाने के लिए कनाडाई कंपनी रिम के नखरे उठाने की जरूरत नहीं है। यहां की डाटा इन्फोसिस लिमिटेड ने दावा किया है कि उसने ऐसी टेक्नोलॉजी तैयार कर ली है, जिससे इंक्रिप्टेड [कूटभाषा में दर्ज] ब्लैकबेरी के संदेशों को पढ़ने की समस्या दूर की जा सकती है।
इस आईटी कंपनी के संस्थापक व सीईओ अजय दाता ने कहा कि सरकार द्वारा ब्लैकबेरी फोन की ऑनलाइन निगरानी न कर पाने का मसला हमारी 'भारत बेरी' सेवा से सुलझ जाएगा। कंपनी के मुताबिक इस सेवा का विकास सभी भारतीय कानूनों के दायरे में किया गया है। यह ब्लैकबेरी समेत सभी फोन पर काम करती है। 'भारत बेरी' का पिछले कई दिनों से परीक्षण किया जा रहा था।
शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने औपचारिक रूप से इस सेवा का उद्घाटन किया। भारत बेरी के जरिए ब्लैकबेरी फोन पर ज्यादा तेजी से पुश मेल सेवा [मैसेंजर सर्विस] उपलब्ध कराई जा सकती है। साथ ही इसका सर्वर देश में ही होने के कारण इससे भेजे गए संदेशों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।
दाता ने बताया कि भारत बेरी अपने बेहद आधुनिक ईमेल सर्वर 'एक्सजेनप्लस' और ओपेन सोर्स तकनीकों के माध्यम से काम करती है। रिम द्वारा दी जा रही ब्लैकबेरी सेवाओं से देश की सुरक्षा को बहुत खतरा है। बकौल अजय, उपभोक्ताओं को ईमेल समेत सभी सेवाओं का आनंद उठाने के लिए सौ रुपये का मासिक शुल्क देना होगा। कंपनी के डायरेक्टर नितिन वालिया ने कहा कि आज लाखों लोग ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थितियों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि कंपनियां इस सेवा को आगे भी चालू रख पाएंगी या नहीं। ऐसे में उनकी कंपनी उन्हीं सेवाओं को कम शुल्क में देने के लिए पूरी तरह तैयार है|

तो साहब अब कर लीजिये तैयारी भारत बेरी लेने की ....फिलहाल ब्लॉग 4 वार्ता के इस मंच से चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ...

सादर आपका

शिवम् मिश्रा

-------------------------------------------------------------------------------------------------

वह मेरा मुट्ठी भरा आकाश है :- जब सृजन के पल अपरिचित हौं घिरे उद्वेलनों में शब्द की परछाईयाँ एकाकियत की धूप निगले हो खड़ा आगे तिलिस्मी पेंच आ असमंजसों का नैन की अमराईयों में रोष आ पतझर बिखेरे उस घड़ी बन सांत्वना का मेघ जो बरसा ह्रदय पर वह ...

आया भूतों का त्योंहार.....! :- * चारों ओर भूतों , चुड़ेलों और डरावने चेहरों का डेरा ...... फिर चाहे घर हो या बाज़ार ..... स्कूल हो या मॉल......हर जगह एक ऐसे त्योंहार की धूम जिसमे डरने और डराने का ही काम है | हेलोवीन एक ऐसा ही ...

पीपल का पेड़ :- उम्र के दीप में कम हुआ तेल और मैं अपने ही घर में बना दिया गया मंदिर की मूरत उनका स्वार्थ मेरा खुश रहना भोग लगाया जाता रहा मेरा भक्तों की इच्छानुसार नियमित स्नान,ध्यान,वन्दन...

कुछ यूँ दुनिया का क़र्ज़ उतारा जाए :-
चलो अच्छा हुआ बातें ख़त्म हुयीं अब दुनियादारी निभाई जाये तुझे चाहते रहने की सज़ा एक बार फिर सुनाई जाये चाहतों की सजायें अजब होती हैं बेगैरत फूलों की तरह चलो एक बार फिर किसी को चाहा जाए कुछ इस तरह ज़िन...

दूजा नया सफर है :- निकला हूँ मैं अकेला अनजान सी डगर है कोई साथ आये, छूटे मंजिल पे बस नजर है महफिल में मुस्कुराना मुश्किल नहीं है यारो जो घर पे मुस्कुराये समझो उसे जिगर है पी करके लड़खड़ाना और गिर के सम्भल जाना इक मौत ...

ब्लागर्स बिग बास शुरू : कई ख्यात और कुख्यात ब्लागर्स हुये बास के हाऊस मे फ़िट :- हाय एवरी वन...सभी दर्शकों को ब्लागर्स बिग बास के होस्ट राज भाटिया का सलाम नमस्ते! मुझे नही पता कि किसने मुझे होस्ट बनाया? बस इतना पता है कि कोई बास नाम का शातिर मुझे यहां तक पकड के ले आया और आदेश दिया कि ...

आज गिरीश पंकज का जनमदिन है :- आज, 1 नवम्बर को सद्भावना दर्पण वाले गिरीश पंकज का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *....

हेलोवीन की डरावनी और रंगीन शाम मुबारक हो (कुछ चित्रों के साथ) :- हर जगह लोग अजीब अजीब तरह के भेष बनाकर घूम रहे हैं, कुछ मस्ती में तो कुछ बच्चों के मन की संतुष्टि में ! इस बहाने बच्चों का रोमांच और बड़ों का बचपन सतरंगी छटा लिए अपने पूरे सबाब पर रहता है ! हेलोवीन के ...

एक (निरर्थक) मूल्य-खोज :- नैनीताल के हॉलीडे होम के स्यूट में यह रूम हीटर मुंह में चमक रहा है, फिर भी अच्छी लग रही है उसकी पीली रोशनी! मानो गांव में कौड़ा बरा हो और धुंआ खतम हो गया हो। बची हो शुद्ध आंच। मेरी पत्नी...

आपके लिए कैसा रहेगा 1 और 2 नवंबर 2010 का दिन ?? :- इन दोनों दिनों में कई तरह के कार्य उपस्थित हो जाने से आम जन के लिए बहुत व्‍यस्‍तता भरा वातावरण रहेगा । इन दोनो दिनों में राष्‍ट्रीय और अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी कुछ महत्‍वपूर्ण फैसले होगे। यत्र तत्र कुछ ...

दीपावली पर हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के जेम्‍स बांड (ब्रांड) का चयन किया जा रहा है, नाम भेजिएगा :- * दीपावली पर ऐसा कुछ ऐसा कर गुजरें हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में भी उजाला निराला हो जाये ऐसा नाम एक नेक मिल जाए जिसे बे‍हिचक हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग का जेम्‍स बांड कहा जाए ब्रांडिड होती इस दुनिया में अब अवश्‍य हिन्‍दी ...

सड़क मार्ग से महाराष्ट्र: नीरज गोस्वामी का सत्यानाश, Kshama की निराशा और शेरे-पंजाब में पैंट खींचती वो दोनों... :- तीन ब्लॉगरों वाले परिवार में एक शाम बिताने के बाद 13 जुलाई की अलसुबह आँख लगी तो* विवेक रस्तोगी जी से मुलाकात की योजना* बन चुकी थी। लेकिन नींद खुली 11 बजे और उठते ही मामाजी के परिवार में कुछ अफ़रातफ़री का ...

अरुंधती रॉय ने आखिर ऐसा क्या गलत कह दिया कि सब लोग लट्ठ लेकर उसके पीछे पड़ गये :- कश्मीर मसले को लेकर अरुंधती रॉय ने अगर हिन्दुस्तान को भूखा नंगा कहा है तो सच ही कहा है, इसमें ऐसा क्या गलत कह दिया उसने कि सब लोग उसे हिकारत और लाहनत भेजने लगे । ये माना कि मैंने उसे आज तक कभी ...

एक गज़ल ---समीर जी की... :- समीर जी के बारे मे ज्यादा जानना चाहें तो फ़िलहाल यहाँ पढ़िये--- और दिव्यांशी बिटीया को अब तक जिसने जन्मदिन की बधाई न दी हो वे बधाई दे राजेन्द्र जी के ब्लॉग पर ...सुने उनकी एक रचना बेटी....

कुत्ते की औलाद, मुझे समझ क्या रखा है बे...खुशदीप :- कल *गिरिजेश राव* जी ने पोस्ट लिखी थी...एक ठो कुत्ता रहा... लघुकथा गिरिजेश जी की विशिष्ट शैली में जबरदस्त थी...इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अचानक ही कॉमेडियन *राजू श्रीवास्तव* का सुनाया एक किस्सा याद आ गया...

साँस का कच्चा घड़ा, पर तूफ़ान में टूटा न था..... :- था वो मंजर कुछ गुलाबी, रंग भी छूटा न था दिल में इक तस्वीर थी और आईना टूटा न था हादसे होते रहे कई बार मेरे दिल के साथ आज से पहले किसी ने यूँ शहर लूटा न था चुभ गए संगीन से वो तेरे अल्फ़ाज़ों के शर सब्...

राहुल की अटपटी बातें :- 21 अक्टूबर को गुरुवार था. गुरुवार को मेरा साप्ताहिक अवकाश होता है. इसलिए मैं अपने लौ क्लास में देर तक ठहर सका. नहीं तो बाकी दिनों में क्लास ख़त्म होने के साथ ही ऑफिस के लिए फटाफट निकल जाता था. इस कारण ...

हवा में लटका मनुष्य, और हाथ से आती फूलों की खुशबू --यह क्या है ? :- मनुष्य सदा ही जादू और चमत्कारों से अचंभित होता रहा है । मेरा मानना है कि दुनिया में चमत्कार कोई नहीं होता । किसी भी क्रिया का जब तक हम राज़ नहीं जान लेते तभी तक वह रहस्य बना रह सकता है । एक बार राज़ खुलने ...

कुछ बातें अहमदाबाद ट्रिप के... :- अभी परसों ही अहमदाबाद के एक हफ्ते के ट्रिप से वापस आया हूँ...ट्रिप का उद्देश्य बस मुड रेफ्रेशिंग ही था....कुछ दिनों से दफ्तर की मुसीबतें भी बढ़ी हुई हैं...सोच भी कहीं एक जगह कायम नहीं रह पा रही...सोचा की...

I miss you , Paa { एक बेटी की पोईम पापा के लिये } :- बच्चे जब बड़े होने लगते है तो एक अजीब सी खुशी का अनुभव होता है । आज मेरी बेटी हास्टल से घर आयी है कई महीने बाद उसने एक पोइम मेरे लिए लिखी है . अभी वह 8th क्लास में है . मेरा तो अंगरेजी ज्ञान बहुत सीमित है ...

अलविदा वियतनाम ! :- वियतनाम दरअसल अंकल 'हो' का देश माना जाता है............... सो इस यात्रा वृत्तांत की चर्चा इसी महान व्यक्तित्व से किया जाना उचित होगा। अंकल 'हो' अर्थात 'हो-चि-मिन्ह', जिनका नाम मार्क्स क्रांति के ...

शिवम् मिश्रा जी से मैं तो मिल लिया, आप भी मिल लीजिए :- बहुत दिनों से होने वाली मुलाकात कल हो गई। 28 अक्‍टूबर 2010 को दिल्‍ली में साकेत में हुई और आधे घंटे यह मुलाकात तीस मिनट चली। पिछले बरस लग रहा था कि पिछले बरस ही दिल्‍ली में मिलेंगे परंतु परिस्थितियां ऐसी रहीं कि नहीं मिल पाये। फिर ऐसा संयोग बनता जान पड़ा कि आगरा में मिलेंगे, पर आगरा में भी किन्‍हीं अपरिहार्य कारणोंवश मिलना संभव नहीं हो पाया और मैनपुरी, चाहते हुए भी मैं जा नहीं पाया।

फटाके याने कि आतिशबाजी याने कि आग का खेल-तमाशा :- सदियों से न केवल हमारे देश में बल्कि विश्व के प्रायः देशों में उत्सव या खुशी के अवसर पर आतिशबाजी अर्थात् फटाके चलाने की परम्परा रही है। फटाके से उत्पन्न कर्णभेदी ध्वनी जहाँ मनुष्य को एक भयमिश्रित प्रसन्नता...

“उन्हें अच्छा नहीं लगता!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") :- *कहीं जब दीप जलते हैं, उन्हें अच्छा नहीं लगता।* *गले जब लोग मिलते हैं, उन्हें अच्छा नहीं लगता।। * ** *समाहित कर लिए कुछ गुण उन्होंने उल्लुओं के हैं, * *चमकता गगन पर सूरज, उन्हें अच्छा नहीं लगता। * *जिन्हें...

ब्लाग जगत की बेहतरीन शख्शियत - ताऊ रामपुरिया :- ताऊ के बारे में सोंचते ही, आम ब्लागर का ध्यान मस्ती में जीते, एक ऐसे किरदार पर जाता है जो हर समय इस तेज भागती जिंदगी में ,पैसे कमाने के जुगाड़ में लगा रहता है ! शुरू शुरू में ताऊ चरित्र मुझे आम से बढ़कर कुछ ...

महफूज़ :- उसका वजूद किस्से कहानियों मे रह गया
दावा समन्दर का था पर दरिया मे बह गया
फिकरे चंद लोगो ने कसे थे उसकी मजबूरियों पर
मगर खफा हो कर वो सबको बेवफा कह गया...

बॉस को रिझाना, तरक्की का फॉर्मूला ? :- तरक्की की यूं तो कोई परिभाषा नहीं और ना ही इसके लिए कोई सेट फॉर्मूला है। हां तरक्की पाने के लोगों के अपने-अपने तरीक़े ज़रुर होते हैं और कुछ ऐसे तरीक़े भी होते हैं जो तरक्कीप्रिय लोगों में प्रचलित भी होते हैं...

गज़ब भयो रामा…जुलुम भयो रे :-
"ओ...बड़े दिनों में…।खुशी का दिन आया.... ओ...बड़े दिनों में…खुशी का दिन आया.... आज मुझे कोई ना रोके... बतलाऊँ कैसे कि मैँने क्या पाया.... ओ …बड़े दिनों में..... "याहू!....वो मारा पापड़ वाले ने"... “क्या...

अंतिम कविता : मैं महा मिलन के क़रीब हूं :- मुझे मालूम है जाना है मुझे
जीवन अब महा मिलन की ओर
मुझे जाना ही होगा
पूरे उत्साह से जा रहा है.
अपने अंतस में निर्वात पा रहा है....

IIT रुड़की लिपस्टिक काण्ड और ABVP को एक सलाह… ... IIT Roorkee Lipstick and ABVP :- अमूमन ऐसा माना जाता है कि IIT में आने वाले छात्र भारत के सबसे बेहतरीन दिमाग वाले बच्चे होते हैं, क्योंकि वे बहुत ही कड़ी प्रतिस्पर्धा करके वहाँ तक पहुँचते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि यहाँ से निकले हुए प्रतिभाशाली दिमाग अपने नये-नये आईडियाज़ से देश और समाज को लाभान्वित करने के प्रकल्पों में लगायेंगे। जिन लोगों ने IIT रुड़की के छात्रों को टीवी पर “लिपस्टिक लगाओ प्रतियोगिता” में भाग लेते देखा होगा, उनकी कुछ धारणाएं अवश्य खण्डित हुई होंगी...

जस्ट इश्माईलिए न ,..... माने कि ,हंसिए जी .... :- * * * * *पत्नी : आप सलीम की बीवी के जनाज़े पे नहीं जा रहे हो ॥* * * *पति :- अरे किस मुंह से जाऊं , उसने तो अब तक तीन बार मुझे अपनी बीवी के जनाजे पर बुला लिया है , एक मैं हूं जो एक बार भी ............* * ...

अमरबेल..... :- कहीं किसी एक कानन में, था सघन वृक्ष एक पला बढ़ा, था उन्नत उसका अंग अंग, गर्वोन्नत भू पर अडिग अड़ा. वहीँ पारश्व में पनपी थी, सुकोमल एक अमर बेल लता. नित निरख निरख तरु की दृढ़ता, हर्षित उसका चित था डोला....

रचना! :- वो रोज रोज की बातें वो ख़ामोशी को खुरचना ! वो खुद का अच्छा न लगना वो आईने को जंचना ! न जाने कैसी उलझन है कुछ ख्वाहिशों में अनबन है मुश्किल ही लगता है अब तो खुद से ही जैसे बचना ! लिखने जो आज बैठा हूँ वो सब जो...

मध्‍य दोपहर में ग्रहों का प्रभाव बी एस ई पर गंभीर रूप से देखने को मिला ... :- 2006 से मैने शेयर बाजार के आंकडों का विश्‍लेषण करना शुरू किया है , ग्रहों से इसका तालमेल बिठाती आ रही हूं , मैने पाया है कि ग्रहों का प्रभाव शेयर बाजार पर भी पडता है , हालांकि मैं इसे स्‍पष्‍ट नहीं देख पात...

बारूद की ढेर में खोया बचपन :- *यह एक पुरानी पोस्ट है जो पिछले साल दिवाली के पहले पोस्ट की थी.इसे पढ़...विजय कुमार सप्पति इतने व्यथित हो गए थे कि उन्होंने मदुरै में अपने दोस्तों से इसकी जानकारी ली. और कई पत्रिकाओं,अखबारों को फोन कर ...

डंकाधिपति ओ-रामा की अवध यात्रा और दीवाली ! :- *{ **इस नाटिका के समस्त पात्र स्थान एव घटनायें काल्पनिक हैं, इसका किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है, यदि ऐसा होता है तो उसे मात्र सयोगं ही समझा जाये। हमारा उद्धेश्य सिर्फ और सिर्फ ...

गुलज़ार साहब के साथ कुछ लम्हे - पार्ट ४ (कैलेंडर नज्में) :- * * *बेतहाशा घबरा के तुमने * *रौशनी के बदन को मोड़ लिया* *मै टेबल पर इक नज़्म पैदा कर रहा था* *तुम्हारे चहरे पर ,वो टेबल लेम्प की रौशनी* *मेरे लफ्जों को जिंदा करने लगी* *तुम्हारे चहरे से नज़्म पोछकर रौशनी ...

काकरापार परमाणु बिजलीघर - अणुमाला में सम्पन्न रंगारंग हास्य कवि-सम्मेलन की सचित्र झांकी :- गत 23 अक्टूबर की रात व्यारा स्थित अणुमाला टाउनशिप में काकरापार परमाणु बिजलीघर द्वारा आयोजित हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन को हज़ारों लोगों ने रात भर ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सुना । सूरत के हास्...

ग़ज़ल/ जब तिमिर बढ़ने लगे तो दीप को जलना पड़ेगा....... :- *बहुत दिनों के बाद आया हूँ । इस बीच बहुत-से अच्छे ब्लागर-मित्रों तक भी नहीं जा पाया. इसका मलाल है. उन सबको पढ़ाने का भी समय निकालूँगा. इधर अपने ब्लॉग पर खुद कोई नई रचना भी पोस्ट नहीं कर पाया. आज समय मिला,...




















क्या है ब्लागीरी ? :- पिछली पोस्ट में मैं ने अपनी व्यस्तता और अपनी अनुपस्थिति का जिक्र किया था। जिस से बेकार में मित्रों और पाठको के मन में संदेह जन्म न लें। सोचा था फिर से नियमित हो लूंगा। लेकिन प्रयत्न कभी भी परिणामों को अंतिम रूप से प्रभावित नहीं करते...

राम के त्‍याग का स्‍मरण और सभी को दीपावली का नमन - अजित गुप्‍ता :- लो फिर दीपावली आ गयी। मेरे घर को हर साल इंतजार रहता है प्रकाश का, और मुझे तो प्रतिपल। पिछले साल ही तो दीपावली प्रकाश लेकर आयी थी, मैंने उसे समेट कर क्‍यों नहीं रखा? आखिर कहाँ चला जाता है प्रकाश? कैसे अंधकार जबरन घर में घुस आता है? मैंने तो ढेर सारे दीपक भी लगाए थे और लाइट की रोशनी भी की थी ...

मेरा 100वाँ पोस्ट! :- लगभग 3 साल से इस ब्लॉग पर सक्रिय हूँ. आज ये पोस्ट मेरी सौवीं पोस्ट बनकर आ रही है. जानता हूँ कि 3 साल के इस लम्बे सफ़र के लिए ये संख्या थोड़ी कम है, मगर देर आये दुरुस्त आये. इधर कुछ समय से इस पोस्ट के लिए मन में काऊंटडाउन चल रहा था और उम्मीद थी कि इसे एक स्पेशल पोस्ट बनाऊंगा. मगर आज जब लिखने बैठा हूँ तो कुछ मिल नहीं रहा....

मेरे बेटे हर्ष का ब्लॉग आज से शुरु किया है। :- आज से मेरे बेटे हर्ष ने ब्लॉगिंग शुरु की है, हर्ष के ब्लॉग पर आप यहाँ चटका लगाकर जा सकते हैं। वैसे तो तकनीकी रुप से अभी मैं ही उसकी सहायता कर रहा हूँ, पर पोस्ट में जो भी लिखा है, वह उसने अपने आप लिखा ...

काँपी थी ये जमीन जब..... :- "वन इलैवन ऐटी फ़ोर", यही कहा था उनमें से किसी एक ने और वो जो हरदम हँसता रहता था उसके चेहरे के रंग बदलने लगे थे। चेहरा लाल हो गया था, उत्तेजना के कारण मुँह से गालियों के साथ थूक निकलने लगे थे। सर पर पगड़ी तो हमेशा ही अस्त-व्यस्त रहती थी, अब वो बार-बार उसे खोल लपेट रहा था। आसपास खड़े आठ दस लोग तमाशा देख रहे थे। हमारे पैर वहीं जम से गये थे....

माना कि दरिया में कई क़तरे होते हैं..... :- माना कि... दरिया में कई क़तरे होते हैं, पर दरिया को मालूम कहाँ, कितने क़तरे होते हैं, दरिया के बग़ैर क़तरे की, न कोई हकीक़त, न ही वज़ूद फिर भी तेवर लिए हुए, ये क़तरे होते हैं, मिटने का ग़ुरूर कहें या ...

होशियारपुर का दशहरा मेला , वो जाएंट व्हील , वो छल्ले फ़ेंक कर ईनाम वाले ,बॉल फ़ेंक कर ग्लास गिराने वाले , गुब्बारों को फ़ोडने का सुख ....और जाने कितनी ही बातें ,,कितनी ही यादें :- तो उस दिन दिन का सारा समय होशियारपुर को भांपते, जानते ही बीता । शाम हुई तो साढू साहब के साहबजादे जॉनी ॥उर्फ़ शिवांस जी हमें कहा कि मौसा जी आईये चलिए मैं कहीं से घुमा लाऊं ..मुझे उसकी मोटरसायकिल पर उससे ज्यादा भरोसा था कि चाहे एक बार को ये साहबजादे हमें सडकाधीन कर भी दें ...

निशाना टारगेट पे--एक सफ़र शुटिंग रेंज का ---------ललित शर्मा :- छत्तीसगढ प्रदेश रायफ़ल एसोसिएशन के तत्वाधान में वार्षिक शुटिंग प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। प्रतियोगिता के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर एडीजी रामनिवास जी एवं छत्तीसगढ और उड़ीसा ब्रिगेड के ...

जानिए अपने प्रारंभिक ब्लोगरों को.... :- गतांक से आगे बढ़ते हुए -
साझा संवाद, साझी विरासत, साझी धरोहर, साझा मंच आप जो मान लीजिये हिंदी ब्लॉग जगत की एक कैफियत यह भी है । विगत तीन कड़ियों में आपने अवश्य ही महसूस किया होगा कि हम इस आलेख के माध्यम से यही बातें पूरी दृढ़ता के साथ आपसे साझा करते आ रहे हैं ...

अगला निशाना ~~ :- वंश के वंश
खड़े किये गये
दंश के कगार पर
या फिर सप्रयास
मजबूर किये गये
चलने को अंगार पर ....

-------------------------------------------------------------------------------------------------

आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक .....अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!

17 टिप्पणियाँ:

आज आपने बहुत सी लिंक्स दी है |अच्छी चर्चा के लिए बधाई
आशा

बहुत अच्छी वार्ता .....बहुत से लिंक्स मिले

बेहतरीन लिंक और लम्बीईईईईईई पोस्ट ! दीवाली की शुभकामनाएं !

शिवम जी,
आते हैं लिंक्स देखने और आपकी एकलाईना पढ़ने, कभी कभी हमारी पोस्ट भी दिख जाती है तो कुछ कुछ होता है:)
आज की चर्चा तो XXL साईज़ की हो गई। कितनी मेहनत करते हैं यार आप..!!
शुक्रिया इतने सारे लिंक्स देने का भी और हमारी पोस्ट को स्थान देने के लिये भी।

आज तो वार्ता में बहुत से अच्छे लिंको को समाहित किया है!
बढ़िया रही आज की वार्ता!

पहले जैसा ही सुन्दर संकलन

वार्ता को काफ़ी विस्तार दे दिया आपने।
सुंदर वार्ता और पठनीय चिट्ठों से रुबरु कराने के लिए आपका आभार

शामिल करने के लिये आभारी हूं शिवम जी
_________________________________
एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
मानो या न मानो

सारे लिंक उम्दा हैं
_________________________________
एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
मानो या न मानो

शिवम भाई, यकीन मानिए आज की चर्चा में काफी श्रम किया है। इस हेतु मेरी ओर से बधाई स्‍वीकार करें।

कई सारे अच्छे लिनक्स मिले शुभम जी
भूतों का त्योंहार पोस्ट ..... "चैतन्य का कोना " को शामिल करने के लिए आभार

डॉ॰ मोनिका शर्मा जी आपको आजकी ब्लॉग वार्ता पसन्द आई उसके लिए आपका बहुत बहुत आभार | एक विनती है ज़रा ध्यान दें मेरा नाम शिवम् है शुभम नहीं ! वैसे अक्सर ही लोगो से यह गलती हो जाती है पर फिर भी ...आखिर नाम से ही तो हमारी पहेचान है !

मस्त जी हम तो आप्के बताये लिंक पर चले जाते हे, ओर आप को धन्यवाद भी नही कह पाते, धन्यवाद

आप सब का बहुत बहुत आभार !

बहुत सुंदर चर्चा.

रामराम.

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More