शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

कहीं आप का जिस्म आपके दिमाग से दूर तो नहीं भाग रहा

अवचेतन में कभी कोई बात चुहिया सी चिन्तन के तंतुओं को कुतर कुतर के काती है तब हम चुहिया को मारने दौड़ जाते हैं. कुंठा का डंडा लेकर. जी ऐसा करना गलत है ?
तो क्या चिंतन के तागों को सैंत में टूटने दिया जाए, ?
न उस चुहिया यानी दिल को चुभती बात को सर्जना का पथ दिखाईये.
जी हां , उर्ज़ा इस लिये नहीं मिली कि उसे लड़ने-झगड़ने में खर्च करें हम लोग. जिस्म को किसी भी स्थिति में दिमाग से दूर न जाने दीजिये  ये था आज़ का विचार जो सच सनातन है आप चाहे जो समझें पर आज़ अमन्यस्क भाव से चर्चा लिख रहा हूं. कुछ लिंक जो आज़ दिन भर छाए रहे थे  उनको आप देख लीजिये मुझे जो कहना था कह दिया


1 लाली देखन मै भी चली...  
2 दुनिया की १० सबसे खतरनाक और जटिल सडकें  
3 दिल्ली में मिले दिल वालों से..१३ नवम्बर, २०१०  
4 विचार-७५ :: आज महिला हिंसा विरोधी दिवस है  
5 धर्म-संस्कृति-ज्ञान (पहेली संख्या-43)  
6 हमारे वतन में सदा ही भाईचारा-शान्ति बनी रहे, रज़िया मिर्ज़ा का आदाब ..रज़िया राज़  
7 जबलपुर के ब्लागर्स जुड़ेंगे एक तारीख को होटल सत्य अशोका में  
8 कितनी अज़ीब रिवाज़ें हैं यहाँ पर -- [21]  
9 सचित्र वर्णन: ओबामा पर चढ़ा भारतीय रंग ------------------ शाहनवाज़ [19]  
10 शुरुआत नई जिंदगी की  
11 चल उठ, ज़िन्दगी, चलते हैं! -2  
12 पुराने स्वेटर  
13 तुम्हे मुबारक़ रश्मि दूधिया चकाचौंध वाली  
14 सुशासन का कोई विकल्प नहीं है ....  
15 किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं कुशलपाल सिरोही  
16 कुछ फुटकर हास्य-कविताएँ  
17 जिंदगीनामा  
18 आदमी से छाँव होता जा रहा है  
19 हर फिकरा कस की एक औक़ात होती है....!!  
20 नवगीत :: गीत मेरे अर्पित हैं  
21 माँ की बाँहों में  
22 एक और चिट्ठाकार चिट्ठाजगत में, आईये उत्साहित कीजिये (Bubbles)  
23 बुझावन के प्रश्न बतावन का जवाब-१२  
24 सहायक योग्यता  
25 आश,नई भोर की !  
26 ... क्या नेता होना गुनाह हो गया है !!!  
27 अलबेला जी की हास्य-व्यंग्य प्रतियोगिता में भाग लें!  
28 तिलयार ब्लागर मीट और तल्ख़ मन - सतीश सक्सेना  
29 आहों मे असर हो तो……………  
30 सुबह की शुरूआत -माँ शारदे की वन्दना से  

15 टिप्पणियाँ:

बेहतरीन चर्चा रही...

बढ़िया गिरीश भाई ,
नए पन और अच्छे अंदाज़ के लिए बधाई !

बहुत सार्थक विचार है

गिरीश बिल्लोरे जी ,
" लाली देखन मै भी चली......" से..... " सुबह की शुरूआत ......" कराने के लिए धन्यवाद !

मिश्र जी, आपके एक लाईनाओं को मिस कर रहा हूँ !

धन्यवाद् गिरीश साहब "अमन का पैग़ाम" के लिंक देने के लिए

बहुत अच्छी वार्ता।

अच्छी वार्ता. अपने स्नेहाशीष के साथ मेरी रचना को वार्ता पर स्थान देने के लिए आभार.
सादर
डोरोथी.

बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता ..... आपका आभार !

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