बुधवार, 17 नवंबर 2010

मेरे सिर पर पापा की पगड़ी...विनत श्रद्धांजली के साथ


 खुशदीप भैया ने आज पिता जी से विछोह के बाद करुण पोस्ट लिखी है. देशनामा पर हमारी भी विनत श्रद्धाजलियां सादर अर्पित हैं. 
पिछले दस-ग्यारह दिन में जो देखा, जिया, महसूस किया, सहा, शब्दों में उतार पाना बड़ा मुश्किल है...लेकिन एक अल्पविराम के बाद जीवन के रंगमंच पर नाचने के लिए आपको फिर उतरना ही पड़ता है...मुझे भी यही करना पड़ा है...पांच नवंबर को दीवाली वाले दिन सुबह ब्रह्ममुहुर्त (पौने पांच बजे) पर पापा के जाने से मेरी दुनिया बदल गई...बीमारी की वजह से पापा का शरीर अशक्त था...लेकिन मस्तिष्क पूरा सजग था {आगे यहां से }
          
आज का दिन सामान्य बड़े बड़ों का बचपन रश्मि रविजा की पोस्ट से से स्पष्ट हुआ कौन कित्ते पानी उधर गिरीश पंकज की ताज़ा गज़ल  सद्भावना दर्पण पर देखी काबिले तारीफ़ भाषा,शिक्षा और रोज़गार पर खुद को कम न आंकने की सलाह मिली  जबकी सरकारी तंत्र में खासकर मध्य-प्रदेश में बने रहो पगला काम करे अगला का नारा गूंज भी रहा है इस पर कसम रागदरबारी की माफ़ कीजिये पापा क़सम अमल में भी है. भोपाल रिपोर्टर पर वीना मलिक को हरक़त को उज़ागर किया गया.इस के तुरंत बाद हमने बदला ज़ायक़ा और पहुंच गये हिन्द-युग्म के सुरीले-सह-ब्लाग आवाज़ पर जहां सुना ये गीत महादेवी वर्मा का
हौले हौले रस घोले बोले मुझसे जिया,
पिया पिया पे क्या जादू पर मैंने क्या किया।
इठलाये, इतराये, इतराये, इठलाये, पूछे मुझसे जिया,
पिया पिया पे क्या जादू पर मैंने क्या किया।
उधर शिखा जी ने स्पंदन पे
पहले जब वो होती  थी 
एक खुमारी सी छा जाती थी 

पुतलियाँ आँखों की स्वत ही 
चमक सी जाती थीं 
आरक्त हो जाते थे कपोल  (आगे यहां से )
             आज़ अचानक कालू भैया ने घर में प्रवेश किया आधा घंटे हमाई खोपड़ी खा गए हम बोले कल्लू भाई और कोई खास काम तो न था वे बोले भैया आपके घर के सामने से गुजर रा था कै ट्रैफ़िक जाम लग गिया सो सोचा आपसे मिल ही लूं. अम आदतन मुस्कुराए थी आदत मुस्कुराने की मुस्कुरा के  सोचने लगे "ट्रैफ़िक जाम की ज़िम्मेदारी किसकी है ?
 आज़ जिस ब्लाग ने मन मोहा वो था New Tech Hindi जो चकित करने वाली फ़ोटो दिखा रहा था. आर्यावर्त से अनुरोध है कि हमारे दिल से धुआं उठाने वाली पोस्ट पेश न कीजिये अब देखो न भैया पोस्ट में साफ़ साफ़ लिखा है  "सर्वाधिक वेतन पाने वाले अमेरिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की सूची में भारतीय मूल के तीन सीईओ को जगह मिली है। इसमें पेप्सीको की इंदिरा नूयी, मोटोरोना के संजय कुमार झा और सिटीग्रुप के विक्रम पंडित शामिल हैं।मेरी दुनिया मेरे सपने पर ज़ाकिर भाई पूछते पाए गये "क्या आप सच्चे देश भक्त हैं" अब हम क्या बताएं भैया हमारी क्या औकात जो देश भक्ति का दावा करें. अभी चलें  देव-उठनी एकादश की पूजा की  तैयारी करनी हैं.गन्ने,सिंगाड़े, आदि आदि का प्रबंध कुछ ऐसा जैसा हर बरस तुलसी-सालिगराम की शादी के लिये जुगत लगानी होती है. इसे प्रबोधनी एकादश भी कहते हैं सब जानते है है न ? "तब तक आप दर्शन मास्साब की कक्षा में बैठिये आते हैं शिवम  मिश्रा मास्साब जो चर्चा का एकदम नया पाठ लेके आयेंगे.
चलते चलते :- के बी सी में प्रशांत और ज्योति के सन्दर्भ में  ज्ञानवाणी पर  पोस्ट देख कर अच्छा लगा उससे भी अच्छा लगा टिप्पणी कारों का की राय देखकर मेरी राय थी कि :-"..........." वहीं देखिये चलके ज़रा  
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiisu8Qez2BEGPC2W8rmypHX7SC63_yv2uzb-zEWy5xCaUZ3uPww3BEyLLEGkkrBM9PBoIpAmc9CZ3WGTBIjptvnDHXsbJGNoOT1BDvTKBDstayHjMJDFb1DS5U2s0T94S5KkbOqBJJrEoy/s1600/Image2334.jpgरोहतक यात्रा प्रारंभ हो चुकी है. कल रायपुर से ४.५० को दुर्ग जयपुर एक्सप्रेस से रवाना हुए कोटा के लिए. स्टेशन पहुच कर देखा तो अपार भीड़ थी. इतनी भीड़ मैंने कभी रायपुर रेलवे स्टेशन पर नहीं देखी थी. मैंने सोचा कि यदि ये सभी जयपुर की सवारी है तो आज की यात्रा का भगवान ही मालिक है. तभी रायपुर डोंगरगढ़ लोकल गाड़ी आ कर खड़ी हुयी. आधी सवारी उसमे चली गई. थोडा साँस में साँस आया. अपनी गाड़ी भी आकर स्टेशन पर लगी. अपनी सीट पर हमने कब्ज़ा जमा लिया. तभी एक बालक भी आकर बैठा. खिड़की से उसके मम्मी-पापा उसे ठीक थक यात्रा करने की सलाह दे रहे थे. उसके पापा ने मुझे मुखातिब होते हुए कहा-"सर जरा बच्चे का ध्यान रखना और इसके पास मोबाइल और रिजर्वेशन नहीं है. कृपया टी टी को बोल कर कन्फर्म करवा देना और आप अपना नंबर भी दे दीजिये मैं इससे बात कर लूँगा. मैंने भी हां कह कर एक मुफ्त की जिम्मेदारी गले बांध ली. क्या करें अपनी आदत ही ऐसी है. दिल है की मानता नहीं है. दो चार सवारियां और आ गई हमारी बर्थ पर.(ललित.काम पर) 


9 टिप्पणियाँ:

बढ़िया वार्ता, बेहतरीन कड़ियां। बधाई !

बढ़िया वार्ता, बेहतरीन कड़ियां। बधाई।

वाकई अच्छा संकलन है... यहाँ कुछ मेरे जाने-पहचाने ब्लोग्स थे और कुछ को जानने का मौका मिला... धन्यवाद...

गिरीश दादा .... बहुत बढ़िया लिंक्स से सजाई है आपने आज की वार्ता ... २ दिनों से नेट बाबा नाराज़ चल रहे है ...उनको ही मनाने में लगा हुआ हूँ ! देखिये कब तक मानते है !

बहुत बढ़िया वार्ता बधाई ....

भाषा,शिक्षा और रोज़गार ब्लॉग की पोस्ट लेने के लिए आभार स्वीकार किया जाए। कुछ अन्य महत्वपूर्ण लिंक आपने उपलब्ध कराए,उसके लिए भी।

बहुत बढ़िया वार्ता .... बेहतरीन लिंक्स

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