एक बार भगवान शंकर व माता पार्वती विचरण करते हुए एक पर्वत पर बैठे थे ! इधर-उधर की बातें होने लगीं ! संसार के बारे में चर्चा हो रही थी ! तभी माता पार्वती के पैर पर पानी की एक बून्द गिरी ! माता ने आश्चर्य से उपर देखा ! आसमान साफ था ! उपर कोई पक्षी भी दिखाई नहीं दिया ! फिर यह पानी की बूंद कहां से आई ! माता ने बहुत सोचा परंतु पानी की बून्द का रहस्य समझ में न आया ! उन्होंने अपनी शंका भगवान शंकर से कही ! भगवन ने देखा तो उन्हें भी कुछ समझ में न आया ! माता ने जिद की तथा बूंद के रहस्य का पता लगाने के लिए कहा ! शंकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए !
जब शंकर जी ने अपने नेत्र खोले तो माता पार्वती ने फिर अपनी जिज्ञासा जाहिर की तथा पूछा कि यह पानी की बूंद कहां से आई !
शंकर भगवान ने कहा – “अभी थोडी देर पहले नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया और आपके पैर पर पानी की बूंद पड गई !”
“यह कैसे हो सकता है ?” मां पार्वती ने शंका जाहिर की ! “क्या मगरमच्छ इतना बलशाली है कि उसकी छलांग लगाने से पानी इतना उपर उछल कर आ गया ? समुद्र तो यहां से बहुत दूर है !”(आगे यहां से)
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शिवमहिम्न:स्तोत्रम
महिम्न: पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी, स्तुतिर्ब्रम्हादी नामपि तदवसन्ना स्तव्यि गिर:|
अथावाच्य: सर्व: स्वमतिपरिणामवधि, गृणन ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवाद: परिकर: || १
अतित: पन्थानं तव च महिमा वांग मनसयो, रतदव्यावृत्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि |
यह सूचना इसी क्रम में ज़रूरी भी है कि:-हिन्द-युग्म वर्ष 2010 का वार्षिकोत्सव शनिवार, 05 मार्च 2011 को नई दिल्ली में आयोजित करने जा रहा है। अपने पुराने कार्यक्रमों से अलग हिन्द-युग्म इस कार्यक्रम में कुछ नये कार्यक्रम भी जोड़ रहा है। इस कार्यक्रम को हिन्द-युग्म एक ब्लॉगर मिलन समारोह के तौर पर भी देख रहा है क्योंकि इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से ढेरों ब्लॉगर सम्मिलित हो रहे हैं।
अहसासों के गलियारे से ब्लाग पर अनुभूति जी की कविताएं देखिये शशि किरण का प्रणय गीत एवम नारी शीर्षक से लिखी कविताएं रोचक बन पडी़ हैं. साथ ही इन्दुपुरी गोस्वामी मिला रहीं हैं 'ध्यान कुंवर'जी से , श्रीमति वंदना गुप्ता जी ने बहुत खूब लिखा "वक़्त-वक़्त की बात .."शीर्षक से. एक बहुत ही बेहतरीन नाटक देखने का मौका मिला,"बस इतना सा ख्वाब है". यह प्रशांत दलवी द्वारा लिखित मराठी नाटक 'ध्यानीमणी' का हिंदी अनुवाद है. करीब 15 साल पहले मराठी में इसका मंचन बहुत मशहूर हुआ था. इसके करीब 500 शो हुए थे .पर यह नाटक एक कालजयी रचना है, (आगे इधर से) उधर बर्ग-वार्ता देखने पर
मैजस्टिक मूंछें
देखने योग्य हैं, ललित जी की मूंछैं भी देखिये
पन्ना धाय से कम न था रानी बाघेली का बलिदान
भारतीय इतिहास में खासकर राजस्थान के इतिहास में बलिदानों की गौरव गाथाओं की एक लम्बी श्रंखला है इन्ही गाथाओं में आपने मेवाड़ राज्य की स्वामिभक्त पन्ना धाय का नाम तो जरुर सुना होगा जिसने अपने दूध पिते पुत्र का बलिदान देकर चितौड़ के राजकुमार को हत्या होने से बचा लिया था | ठीक इसी तरह राजस्थान के मारवाड़ (जोधपुर) राज्य के नवजात राजकुमार अजीतसिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए मारवाड़ राज्य के बलुन्दा ठिकाने की रानी बाघेली ने अपनी नवजात दूध पीती राजकुमारी का बलिदान देकर राजकुमार अजीतसिंह के जीवन की रक्षा की व राजकुमार अजीतसिंह का औरंगजेब के आतंक के बावजूद लालन पालन किया, पर पन्नाधाय के विपरीत रानी बाघेली के इस बलिदान को इतिहासकारों ने अपनी कृतियों में जगह तो दी है पर रानी बाघेली के त्याग और बलिदान व जोधपुर राज्य के उतराधिकारी की रक्षा करने का वो एतिहासिक और साहित्यक सम्मान नहीं मिला जिस तरह पन्ना धाय को | रानी बाघेली पर लिखने के मामले में इतिहासकारों ने कंजूसी बरती है और यही कारण है कि रानी के इस अदम्य त्याग और बलिदान से देश का आमजन अनभिज्ञ है |Read more:
स्वतंत्रता का जीवन - हमारे इलाके के स्थानीय अखबार में एक ३९ वर्षीय ऐसे आदमी की खबर छपी जिसने अपने जीवन के केवल १६ महीने ही कारावास से बाहर बिताये थे। उसके जन्म के समय उसकी मात.
ब्लाग जो आज़ अखबार में थे :-
- नरक और मोक्ष के द्वंद्व में बाबा रामदेव: आज समाज में ‘नया जमाना’
- दैनिक जागरण में ‘सच मानो तो’, ‘भारतश्री’, ‘सीधी खरी बात’
- कसाब को फांसी न दी जाए: डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में ‘पेपरवेट’
- लम्बा घूँघट डाले हुये एक लड़की: दैनिक जागरण में ‘सिने मंथन’
- स्वाभिमान टाईम्स में ‘सोचालय’
- जनसत्ता में ‘एक आलसी का चिट्ठा’
- बुलंद छत्तीसगढ़ में ‘ललित डॉट कॉम’
महा शिवरात्रि पर गूंजेगा हर हर बम बम - दोस्तों देश के सबसे बढ़े त्यौहार महा शिवरात्रि पर देश के सभी नागरिकों को मुबारकबाद , कल महाशिवरात्रि हे आस्था का दिन हे पूजा अर्चना ,उपवास ,व्रत का दिन है..
यह निबंध सभी ब्लागरों को पढ़ना चाहिए - सूक्ष्मतम मानवीय संवेदनाओं को कलात्मक तरीके से अभिव्यक्त करने की क्षमता कविता में होती है। यही विशेषता कविता की शक्ति है।
साकी को न जब तलक,इस बात का मलाल होगा !- *साकी को न जब तलक, इस बात का मलाल होगा, मयखाने पर हर मुर्गा, प्यासा ही हलाल होगा ! मिलेगी न तृप्ति हरगिज, अतृप्त इस पियक्कड़ को, हलक इसके घुटन होगी
13 टिप्पणियाँ:
bhagwan shiv ki mahima aparampar hai
बहुत खूबसुरत चर्चा. राम राम
बेहतरीन चर्चा...
महाशिवरात्रि ही हार्दिक शुभकामनायें
शिव पार्वती की कहानी सार्थक संदेश देती है। इसी पर पलटु साहेब ने कहा है "करे करावे आप है पलटू-पलटू शोर", सब ईश्वर के हाथ में है।
सुंदर वार्ता के लिए आभार दादा
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाईयाँ
बढ़िया लिंक्स...
सुन्दर चर्चा...
पढ़ने को मिल गई...
बिना किये कोई खर्चा
सुंदर वार्ता के लिए आभार गिरीश दादा ... महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
BAHUT SUNDAR CHARCHA.....
PRANAM.
शिवरात्री की हार्दिक बधाई.
सुन्दर वार्ता.
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं !
उत्तम लिंक चयन.
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...
सुंदर वार्ता
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