मंगलवार, 8 मार्च 2011

कभी-कभी लगता है मन में जीने का क्या मानी है---- ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

नमस्कार, आए हैं आल यूनिवर्स ब्लॉगर्स चंडूखाना (AUBC) से लौट कर, जहाँ चंडूखाना हो और लोग मस्ती में टुन्न न हों ये तो हो ही नहीं सकता। चीफ़ चंडू की खोज की जा रही है, जिसे चेयरमेन बनाया जाए। हमने तो कल ही कुछ नाम सुझा दिए थे, जिनमें चंडूखाना चीफ़ बनने की पात्रताए हैं और इस पद के लिए उनका हक भी बनता है। होली के त्यौहार की रौनक बाजाए एवं ब्लॉग जगत में दिखाई देने लगी है। हंसी ठिठोली भी नजर आने लगी है। कोई काहू में मगन कोई काहू में मगन। कुल मिलाकर मगन ही मगन। अभी गोदियाल जी की एक पोस्ट आई है ताजा-ताजा खोखली मूंछो के आगे बेवश नारी ! कमाल का चिंतन किए हैं, आज गिरीश बिल्लौरे 'पॉडकास्टर' की वैवाहिक वर्षगांठ है वार्ता दल की ओर से उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं,  पढिए  महिला दिवस पर विशेष-- एक उधार की कविता, चलिए ललित शर्मा के साथ आज की ब्लॉग4वार्ता पर...

दर्शन कौर धनोए याद कर रही हैं, यादें ! गुजरे जमाने कीक्यों याद आता है -- वो गुजरा हुआ ज़माना, जहां पहले -पहले --- ये दिल लडखडाया --! वो गलिया! वो चोबारा ! वो छत पर खड़े,तेरा मुस्कुराना, मेरे आँगन में तेरा सीटी बजाना, पत्थर से लिपटा वो कागज़ का टुकड...गौरव शर्मा "भारतीय" कहते हैंहम सुधरेंगे जग सुधरेगासमस्त आत्मीय जनों को देरी की माफ़ी के साथ सादर प्रणाम, आजकल ऑरकुट, फेसबुक पर हमारे कुछ देशभक्त युवा मित्रगण "क्रांति" और "संघर्ष" का नारा बुलंद कर रहे हैं | यह प्रयास देश की वर्तमान हालात...

नारी पढिए आशा जी के ब्लॉग पर -माँ के आँचल में पली बढी आँगन में पनपी तुलसी सी नन्हीं बाहें फैला कर अस्तित्व बनाया अपना भी| मधुरस से मीठे बोलों से चहकी मधु बयनी मैना सी हो गयी घर में रौनक वह बढ़ने लगी वल्लरी सी | छिपे गुण प्रस्फुटित हुए व...नेताओं का पर्यूषण पर्व बता रहे हैं उपदेश सक्सेना जी, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, क्षमावाणी. माना जाता है कि पर्यूषण पर्व के दौरान पूरे साल होने वाली जानी-अनजानी गलतियों को लेकर सार्वजनिक क्षमा मांगने और क्षमा करने...संस्कृत सुभाषितसुभाषित शब्द "सु" और "भाषित" के मेल से बना है जिसका अर्थ है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के भण्डार हैं। *पात्रे त्यागी गुणे रागी संविभागी च बन्धुषु। शास्त्रे बोद...

एक सदी का युद्ध : स्त्रीकई दिनों से सामान बांधे , रेल का टिकेट मेरे पास है…. जाना चाहती थी मै, ऐसी ही यात्रा पर क्यूँ नहीं निकल जाती आज पैर चौखट से निकलते ही नहीं कई बार समझाया, अपनी खुद की व्यथा पर रोई , खुद पर चीत्कार की, जाना ...रहिमन जिह्वा बावरी, कहिगै सरग पाताल. आपु तो कही भीतर रही जूती सहत कपाल.कहते हैं.... कमान से निकला हुआ तीर और जुबां से निकली हुई बात कभी वापिस नहीं लौटती .... बोल कर, हम अपनी बात दूसरों तक पहुंचाते हैं, यह अभिव्यक्ति का सबसे पहला और सबसे सशक्त माध्यम है... भाषा कोई भी हो, औ...

ब्लोगिंग में मेरी एक वर्ष की प्रगतिएक वर्ष का टेड़ा मेडा सफर और २३०० पोस्ट दोस्तों कल मेने हिसाब लगाया ब्लॉग की दुनिया में आने के बाद मेने क्या खोया क्या पाया तो मेने एक वर्ष पूर्व ७ मार्च देखा यानि ७ मार्च २०१० को दिन के तीन बजे मेरे १७...बेटी को बेटी ही रहने दो...महिला दिवस पर विशेष आलेख...सर्जना शर्मा * क्या गुलाब गेंदें जैसा हो सकता है ? क्या हीरा पन्ने जैसा हो सकता है ? क्या चांद सूरज जैसा हो सकता है ? * निश्चित रूप से नहीं हो सकता . सबके अपने गुण अपनी...

(दिल भरा बैठा हुआ है टूट कर रोता नहीं)एक अरसा हो गया है, बेधड़क सोता नहीं दिल भरा बैठा हुआ है टूट कर रोता नहीं किसे कहते हाले दिल किसको सुनाते दास्ताँ कफ़स का पहलू कोई दीवार सा होता नहीं दूर हो कर भी मरासिम इस तरह ज़िंदा रहे मै इधर जागूँ अगर ...देवी काली के महान साधक रामकृष्ण परमहंस के जन्मदिन पर विशेष - विश्वास की शक्ति स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस के जीवन की ऐसी कुछ घटनाएं, जो रोचक है और प्रेरणास्पद भी.. देवी काली के महान साधक और स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस का जन्म बगाल के कामारपुकुर गांव में श...

मोबाईल मास्टसरिनमास्‍टर क‍हे के मतलब, मास्‍टर माइंड नो हे, फेर आजकल तो कलजुगी इस्‍टाईल के गुरू हर, अपन ला चाल्‍स सोभराज ले कोन्‍हों कम नई मानय । फोकट चंद अउ घिस ले चंदन, ऐमन ला पोगा पंडित अउ भकला महराज के उपाधि ले घलो नव...हिच्की.अजमेर शरीफ़ से लौट रहे थे... यही तो कहीं वजह नहीं कि आज यह लिखने के लिये ज़िन्दा हूँ ? दोपहर तीन बजे कि "फ़्लाईट" थी..जयपुर से मुम्बई... सो अजमेर से दो बजे दोपहर तक जयपुर पहूँचे ,रास्ते का सफ़र भी अच्छा र...

वो अंधियारे में बैठा है जो सचमुच में ज्ञानी हैकभी-कभी लगता है मन में जीने का क्या मानी है* *वही सफल दिखता है जिसका जीवन ही बे-पानी है* *हम जीवन भर संघर्षों के पथ पर चलते रहते हैं* *और वहीं शातिर लोगों का जीवन सफल कहानी है* *मूरख के सर ताज दीखते जय-जय...भारतीय रेल की लेटलतीफ़ी से मुझे मिला एक खजाना!!नागपुर में 9 जनवरी की शाम दलसिंगार यादव जी ने जब मुझे स्टेशन के बाहर छोड़ातो अंदर जा कर पता चला कि ट्रेन आएगी डेढ़ घंटा देरी से, फिर देर बढ़ कर हो गई तीन घंटे! अब क्या किया जाए? धीरे धीरे टहलता हुआ स्टेशन क...

शोरशोर -शोर- शोर आज की जीवन शैली में ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है...बहुत पहले मनोज कुमार की एक फिल्म आयी थी शोर जिसमे नायक को शोर से ..." पिता से हुए हताहत के परिवार को बेटे से मिल रही राहतसारंग परसकर और सुनील परसकर अक्सर हम अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या से थोड़ी निजात पा...अखबार उठा लेते हैं या फिर टी.वी. का रिमोट. पर दोनों जगह, ऐसी खबरे देखने या पढ़ने को मिलती हैं कि सारे पेज पलट कर अखबार वापस .. 

इस मास का अति विशेष राशिफ़ल : अवश्य पढिये..प्रिय भक्त जनों आप सबको *ज्योतिष सम्राट महाराज ताऊ*, एवम *तंत्र सम्राट श्री रामप्यारे जी महाराज* और *प्रखर वाणी शिरोमणी श्री हीरामन जी महाराज* का परम आशीर्वाद. आज सुबह से ही हमने भविष्य बांचने की दुकान लग...एक जरुरी सूचना :- कल से ब्लोगिंग बंद सभी दोस्तों को मेरा प्रणाम ... कल से ब्लोगिंग बंद कर रहा हूँ ... अब तक जो भी कहा सुना ... बुरा या भला नहीं जानता ... पर आप सब के प्यार के लिए धन्यवाद !* *जानता हूँ १० -११ दिन बहुत अजीब लगेगा ... पर उसके..आज फिर मन उदासकविकुल कोकिल विद्यापतिजी ने गाया, 'आओल ऋतुपति राज बसंत.... !' लेकिन दूसरे ही पद में लिख डाला, 'चानन भेल बिषम सर रे.... भूषन भेल भारी!' परम शीतल चन्दन विषम सर और आभूषण भार कब और क्यों लगने लगते हैं...

कॉफी हाऊस में शाम…तनेजा जी मित्र हैं अतः ये बात जोर देकर साधिकार कहते हैं, ’अमां, तुम समझते नहीं. हम जहाँ हैं, वहाँ शहर की चारों दिशाओं से आकर सड़कें खत्म हो जाती है.’ दरअसल, हम कुछ मित्र रोज ही शाम को शहर के चौक बाज़ार के...महिला दिवस नहीं राष्ट्रीय शर्म दिवस मनाइए!हर दिन होने वाले दर्ज़नों बलात्कार,तार-तार होते रिश्ते,बस से सड़क तक और घर से बाज़ार तक महिला की इज्ज़त से होता खिलवाड़,बढ़ती छेड़छाड़,दहेज के नाम पर प्रताड़ना,प्रेम के नाम पर यौन शोषण,अपनी नाक की खातिर माँ-बहन-बे...

दोहे--- dohe निर्मला कपिला जी के, सूरत से सीरत भली सब से मीठा बोल कहमे से पहले मगर शब्दों मे रस घोल रिश्ते नातों को छोड कर चलता बना विदेश डालर देख ललक बढी फिर भूला अपना देश खुशी गमी तकदीर की भोगे खुद किरदार बुरे वक्त मे हों नही सा...माँ, बेटी, बहन, पत्नी.......जिनके बिना अधूरी है जिंदगी......हमारे जीवन को गढने , संस्कारित करने वाली माँ हो या घर आँगन की इठलाती रौनक बेटी........... भाई की खुशियों के लिए दुआएं मांगती बहन हो या फिर पत्नी के रूप में एक पुरूष की प्रेरणा। उनके हर रूप में जिंदगी बस...

कि न फ़िक्र हो तुमको मेरी..कि न फ़िक्र हो तुमको मेरी, न मुझे तेरा ख्याल हो, या खुदा वो दिन न हो, जिसमें ये अपना हाल हो. सूरज तुम्हारा हो अलग और चाँद अलग हो मेरा, रंग हमारे अपने -अपने, ख्वाब अलग हो सारा, तुम कहीं रहो मैं कहीं...आपके कोट में अब भी एक पेन्सिल रखी हैउन दिनों हम कॉपी, किताबों में बेढब तस्वीरें बनाते, पिताजी स्कूल से मुस्कुराते हुए लौटते और दादी निराकार दुआएं पढ़ा करती. माँ घर को करीने से बसाते हुए दम ताज़ा दिनों को सुबह शाम उम्र की बरनी में रखती जाती...

एक और चित्रइससे पहले दिल्ली की एक गली में ली हुई एक तस्वीर आप सबके सामने लाया था (पोस्ट यहाँ देख सकते हैं) ... आप सब ने उसे सराहा था ... आज फिर आप सब के सामने एक और चित्र प्रस्तुत है ... इस बार का चित्र मुंबई की एक व...पाक ध्वज में काल कल्वित- सफ़ेद रंगएलआर गाँधी की कलम से * पाक के इकलौते अल्पसंख्यकों के मंत्री शाहबाज़ भट्टी की दिन दिहाड़े हत्या कर पाक के कट्टरवादी मुसलामानों ने सारे विश्व को एक स्पष्ट सन्देश दे दिया है. यह सन्देश है की पाक में कुरआन और.....

मैं तो अपना घर साफ रखना चाहता हूँजिन खिडकियों से हम बाहर के लोगों को देखते हैं,* *उन्हीं खिडकियों से लोग हमारे घर में झांक लेते हैं।* *अब या तो हम अपनी खिडकियां बन्द रखें या अपना घर साफ-सुथरा रखें। आपका क्या ख्याल है?* य...देश के बारे में जनता के बारे में विश्व बैंक की' ग्लोबल डेवेलोपमेंट फाइनांस'२०१० की रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर भारत विश्व का ५वां सबसे बड़ा कर्ज़दार देश है इस वक़्त भारत का क़र्ज़ १३,३२,१९५ करोड़ रुपये है इस क़र्ज़ के ज़िम्मेदार वो लोग ...

नारी होने की पीड़ाविश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर ..अरुणा क्या कहूं तुमसे .तुम जिस परिस्थिति में हो और जितने समय से हो ....तुम्हे तुम्हारे नारी होने की जो सजा मिली है वो अंतहीन है ..आजीवन कारावास भी १४ साल में ख़त्म हो ...उफ़ ! उसकी क्या इच्छा, और क्या इच्छा मृत्यु !!सच ! चलो हम मान लेते हैं, कोई दूध का धुला नहीं होगा पर भ्रष्ट तंत्र और भ्रष्टाचार मिटाना भी तो धर्म-कर्म होगा ! ... तिनके तिनके समेट के घरौंदे बनाए थे हमने उफ़ ! एक झौंका हवा का, उड़ा कर चला गया ! ... अब कोई म...

विराम देते हैं आज की वार्ता को, सभी को राम राम, मिलेंगे 10 मार्च तक, उसके बाद पूर्ण विराम

10 टिप्पणियाँ:

सुंदर वार्ता ...शामिल करने का आभार

ब्लॉग बंद करने का कारण समझ से बाहर है क्या यह होली पर किया गया मजाक है या किसी बहुत गहरी साजिश का नतीजा है |
आज्मुझे वार्ता में शामिल करने के लिए आभार
आशा

बढ़िया चर्चा ...पोस्ट को स्थान देने केलिए शुक्रिया !

बढ़िया लिंक देने के लिए आभार ललित भाई !शुभकामनायें !

बहुत अछि चर्चा...
बस मेरा लिंक छूट गया...
मैं खुद शामिल किये देता हूँ.....
क्या आप भी अपने आपको इन नेताओं से बेहतर समझते हैं ???

अच्छी वार्ता ...लेकिन पूर्ण वराम की बात समझ से परे है

एक और सुन्दर और विस्तृत चिठ्ठा वार्ता के लिए आभार ललित जी ! हमने तो कदापि नहीं पर मुहर लगाई है !

अति सुंदर चर्चा जी, राम राम

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