आज ब्लॉग4वार्ता की पहली वर्षगांठ हैं।10 मार्च 2010 से आज तक 365 दिनों में हमने लम्बा सफ़र तय किया। वार्ता दल ने अपनी जिम्मेदारी का वहन नि:स्वार्थ भाव से किया। वार्ता से पहले मैने कई चर्चाओं को अपनी सेवाएं दी। दिन में 3-4 चर्चा लगा ही दिया करते थे। एक समय तो ऐसा आया कि 24 घंटो में 5-6 चर्चाएं प्रकाशित हो जाती थी। चर्चा तो करते थे, पर स्वतंत्रता नहीं थी। हम बढिया लाईव राईटर चर्चा लगाते तो माडरेटर बीच में अपना कोई लिंक घुसेड़ देते, जिससे एच टी एम एल के सारे टैग बिखर जाते और चर्चा की सुंदरता का सत्यानाश हो जाता। ब्लॉग मालिक को कुछ भी करने की स्वतंत्रता है,हम तो सिर्फ़ लेखक थे। इन महान ब्लॉग स्वामियों को छोड़ कर हम खुद मुख्तियार हो गए, याने अपने पैरों पर खड़े हो गए। 10 मार्च की रात को मन में आया कि चर्चा का एक ब्लॉग स्वयं ही प्रारंभ करें। कुछ मित्रों से चर्चा होने के बाद हमने रात को ही ब्लॉग बना कर टेस्ट पोस्ट लगा दी।
फ़िर शुरु हुआ वार्ता के साथ झंझावातों का दौर, खूब आंधियाँ चली इसे उखाड़ने के लिए। लेकिन वार्ता की जड़ बहुत गहरी रोपी थी हमनें। कोई दिया न था जो आंधियों में बुझ जाता। "जुगनु हूँ मैं दिया नहीं हूँ आंधियों से बुझा नहीं हूँ, गुरुर तोड़ा है मैने उसका, जिंदा हूँ मैं मरा नहीं हूँ।" ये पंक्तियाँ मुझे संबंल देती रही, वार्ता का सफ़र चलता रहा। 6 माह के कम समय में ही वार्ता ने अपनी लोकप्रियता हासिल कर ली। अलेक्सा रैंकिग पर बरगद को इस छोटे से पौधे ने धराशायी कर दिया। झंझावात के उस दौर में प्रारंभ के वार्ताकार संगीतापुरी जी, जी ने मेरा हौसला बढाने में बहुत मदद की।राजीव तनेजा जी, जी ने मित्र धर्म निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यशवंत मेहता जी, ने वार्ता पर काफ़ी समय दिया। जब मई माह में दिल्ली यात्रा पर था तो राजकुमार ग्वालानी जी ने निरंतर वार्ता कर इसका क्रम नहीं टूटने दिया। इसके बाद ताऊ जी, शिवम मिश्रा जी, गिरीश बिल्लौरे जी (पॉडकास्टर) देवकुमार झा जी, अजयकुमार झा जी, रुद्राक्ष पाठक, सूर्यकांत गुप्ता जी ने अपना बहुमुल्य समय देकर वार्ता को उंचाईयों तक पहुंचाया।
समवेत सहयोग और सम्पर्क से वार्ता को लोकप्रिय स्थान मिला। वार्ता पाठकों के बीच लोकप्रिय हुई क्योंकि हमने बिना किसी भेदभाव के सभी के पोस्ट लिंक को वार्ता में स्थान दिया तथा सभी वार्ताकारों को फ़्री हैंड भी दिया। उनकी वार्ता में कभी हस्तक्षेप भी नहीं किया। सामुहिक कार्य विश्वास पर टिका होता है। अगर हम अपने साथियों पर विश्वास नहीं करेंगे तो किस पर करेगें। इसी विश्वास और आपसी सहयोग की भावना से हम शिखर तक आ पहुंचे। इस एक वर्ष में हमें लाखों पाठक मिले, सर्च इंजन से आने वाले पाठकों की तो एक बहुत बड़ी संख्या है। मैं वार्ता दल की तरफ़ से सभी पाठकों एवं ब्लॉगर साथियों का हार्दिक अभिनंदन करते हुए धन्यवाद देता हूँ।
मेरे पास भी समय की कमी है, अब उतना समय नहीं मिल पाता जितना पहले था। वार्ता के माध्यम से तो अपने मित्र को बताना था कि संकल्प शक्ति में बल होता है, अगर इंसान संकल्प कर ले तो संसार का हर कार्य मुमकिन है। हमने वार्ता को एक वर्ष तक चला कर दिखा दिया, और मुकाम तक पहुंचा दिया । भले ही हमें इसके लिए समय गंवाना पड़ा हो, जिस दुकान का वो दंभ भर रहे थे, उस खंडहर में उल्लु एवं चमगादड़ों का बसेरा हो चुका है। घमंड का सिर हमेशा नीचा होता है, रावण का गर्व चूर हो गया तो ये किस खेत की मु्ली हैं। नश्वर जगत में कुछ भी स्थाई नहीं है। कार्य पूर्ण होने पर सभी को अपना डेरा-डंडा समेटना है।
समेटने से पहले हमने वार्ता पर एक पोल लगा कर वोट भी मांगे थे, जहाँ वार्ता को बंद करने को लेकर19% वोट मिले हैं, 22% लोगों ने कहा है कि वार्ता बंद नहीं होनी चाहिए, और 58% लोगों ने कहा है कि कदापि नहीं। न जाने क्यों मुझे लगता है कि जिन लोगों ने वार्ता बंद करने को लेकर 17% वोट किया है उनकी बात मान लूँ। वार्ता को विराम देने से उनका भला हो जाए और मुझे भी राहत मिल जाए। अभी भी 80% पाठक कह रहे हैं कि वार्ता चालु रहनी चाहिए। कई साथियों ने मेल एवं फ़ोन करके वार्ता बंद ना करने पर जोर दिया। लेकिन दिल है कि मानता नहीं है। मन में एक विषाद घर कर गया है, साहिर की एक नज्म याद आ रही है--चलो एक बार फ़िर से अजनबी बन जाएं हम.........।
सभी ब्लॉगरों, पाठकों, मेरे अजीज वार्ता दल के सहयोगियों एवं समय-समय पर संबल देने वाले मित्रों का हृदय से आभारी हूँ। अगर इन 365 दिनों में कोई भूल हुई हो तो भूल जाईएगा और क्षमा कीजिएगा।
बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥
पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद बसेरें॥॥
27 टिप्पणियाँ:
आपमें ब्लोगर्स को एक मंच दिया था |आज आख़िरी वार्ता देख कर बहुत दुःख हो रहा है |जैसी आपकी इच्छा |
आशा
इसी तरह जाना था, तो आए क्यों थे? अजनबी!
एक सुंदर सराहनीय मंच रहा है यह सभी ब्लोग्गेर्स के लिए ...... कृपया जारी रखने की कोशिश करें.... शुभकामनायें
जी
आलेख देखा
अभी बताता हूं
आपका अधिकार
ये क्या कर रहे हो..इस खुशी के मौके पर??
बधाई हो.. जन्म दिन पर ..किन्तु ऐसा न करिये..इसे बंद न करिये .. आपकी यह वार्ता कल चर्चामंच पर होगी ... आपका आभार .. आप वहाँ आये ..
प्रिय ललित जी
अभिवादन
प्रवास पूर्व पासवर्ड हैक हो गया था पापला जी की मदद से सब ठीक ठाक हो गया. आलेख देखा तिल मिलाहट हुई.
पर थोड़ा देर बाद मन में धीरज़ बंधा सो अब लिख रहा हूं
एक:-आप ने जब चर्चा शुरु की थी तब से प्राय: सभी जुड़े हैं आपसे. आपने कई साथियों को जोड़ा इससे खुशी हुई किंतु साल भर में आए उस बदलाव की वज़ह तपास रहा हूं जिसकी वज़ह से आप इतना कठोर निर्णय ले रहे हैं. अगर कारण कुछ साथियों का चर्चा न लगाना है तो जो साथी बिना किसी वज़ह के वार्ता नही लगा पा रहे है उनसे विदा लीजिये. अनावस्य्क ढोना ज़रूरी नही चाहे मैं स्वयम भी क्यों न हूं
दो:- कुछ लोग किसी वार्ता से असहमत हैं तथा दरारें बना रहें हैं उनको पचानिये मुझे बताइये पाडका़स्ट में सब उगलवा लूंगा. तीन:- होली के पहले ऐसा नकारात्मक वातावरण बन जाना हिंदी ब्लागिंग के लिये दुर्घटना है
चार:- साफ़ तौर पर आप सामूहिक ब्लाग पर अपना एकाधिकार नही रखते यदि आपने एकाधिक एडमिन दे दिये हों तो आप बस एक सदस्य ही हैं उनकी तरह.अत: तक़नीकी तौर पर भले आप सक्षम हों कि आप ब्लाग ही डिलीट कर दें पर मेरी पोस्ट या अन्य किसी लेखक की पोस्ट आप कैसे हटा सकते हैं माननीय द्विवेदी जी से कानूनी सलाह लीजिये वरना मेरा रोज़ हाई कोर्ट आना जाना होता है एक नोटिस भिजवाता हूं.
०!!० बुरा न मानो होली है पर वार्ता बंद करने का इरादा अवश्य होली में डाल दीजिये. और नाम तो बताइये जिसने मूंछें छूने की हिम्मत की है.
पा
जाओगे तो फिर आओगे, इससे भी बेहतर लेकर, टि़वस्ट जरूरी है
वार्ता के एक साल का होने पर बधाई ....लेकिन यह पूर्ण विराम वाली बात कुछ समझ नहीं आई ....हौसला है बुलंद तो फिर यह बात क्यों ? या आपने में अल्पमत को महत्त्व देने की ठानी है ?
:(
यह बात तो पक्की है कि आपके वह मित्र जिस दुकान का दंभ भर रहे थे, उस खंडहर में उल्लु एवं चमगादड़ों का बसेरा हो चुका है।
यह भी सत्य है कि किसी लक्ष्य को ले कर किए गए कार्य के पूर्ण हो जाने पर उसे केवल यूँ ही चलाते रहने की तुक नहीं है।
मैं यह जान रहा हूँ कि यह चमन उजड़ा नहीं है, बल्कि इससे बेहतर कुछ और हो रहा, सो इस ओर अब ध्यान कम ही जाएगा और यहाँ से कुछ भी हटाया मिटाया नहीं जाएगा
लक्ष्य प्राप्ति की बधाई व भविष्य हेतु शुभकामनाएँ
badahji ho janmdin ki. mehanat rang laai.
@GirishMukul
दादा, तिलमिलाईए नहीं,तिलमिलाने से काम नहीं चलने वाला। कोई साथी बोझ नहीं है हम पर। रही अधिकार की बात तो किसे क्या अधि्कार है वह आप स्वयं जानते हैं। कानूनी सलाह तो मिल ही जाएगी। आपके नोटिस का इंतजार है।
और हम ऐसे भी नहीं है कि किसी से एडमिन और ब्लॉग ही वापस लें ले। ऐसा कदापि नहीं करेंगे।
लेकिन अब हम वार्ता को जारी रखने के मुड में नहीं है। आगे आपकी मर्जी।
पहले जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
शेष ... आप के पास सब अधिकार है ... जैसी आपकी मर्ज़ी !
एक वार्ताकार क्या चाहता है ... नहीं जानता ... पर एक पाठक के नाते ... इस ब्लॉग के बंद होने का दुःख होगा ! आगे आपकी मर्जी।
सफलतापूर्वक एक वर्ष पूरे करने की बधाई .. पूर्ण विराम तक ठीक है .. पर लेबल में से अंतिम संस्कार हटा दें .. मन को बहुत तकलीफ हो रही है .. और कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं !!
वार्ता की वर्षगांठ पर हार्दिक बधाई मगर बंद मत करिये ………निराशा का दामन कभी नही पकडना चाहिये बस अपना कर्म करते रहना चाहिये मंज़िले फिर खुद ढूंढ लेंगी।
lalit ji
aapaka sandesh mila
aap se anurodh hai ki aap kisee bhee halat men bataye ki kin paristhiti men aap yah nirnay le rahe hai
BURA N MANO HOLI HAI
वार्ता का एक वर्ष पूर्ण होने पर बधाई ...आपने एक नेक काम करते हुए कई ब्लॉगरों को मंच दिया है , आप यूँ ही आगे बढ़ते रहें .
Shubhkaamnaaye !
अरे! ये क्या है भाई? यूँ घबरा कर कुछ छोड़ देने वालों में आप नही हैं.
जरूर कोई तगड़ी प्लानिंग की जा रही है.और फिर धमाके के साथ नए रूप,नए कलेवर के साथ 'कुछ' ले के आयेंगे ये मैं जानती हूँ.
शुभकामनाये उसके लिए जो निसंदेह इससे भी बेहतरीन होगा.
जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ललित जी आप मोडरेटर के नज़रिए से नहीं बल्कि एक पाठक के नज़रिए से देखिये कि वार्ता के बन्द हो जाने से पाठकों को कितना नुकसान होगा?...उन्हें रुचिकर पढ़ने के लिए कहाँ-कहाँ नहीं भटकना पड़ेगा?....
आपसे निवेदन है कि अपने निर्णय पर पुन: शांत चित्त के साथ विचार करें और इस वार्ता को किसी भी कीमत पर बन्द ना होने दें...
जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएँ...
उम्मीद है यहाँ तक की यात्रा 'कामा' ही रहेगी 'पूर्णविराम' नहीं बनेगी ।
जरा अपना झोला दिखलाइये तो
इसमें हमारा प्यार बेशुमार भरकर ले जा रहे हैं
ले जाइये
पहले एग्रीगेटर भागे
अब भाग रहे हैं चर्चाकार
पर इतना जान लें मेरे दोस्त
हिन्दी ब्लॉगिंग छोड़कर
नहीं भागने वाले
हमारे हिन्दी प्रेमी साथी।
आपका आना अच्छा लगा
आपका जाना और भी अच्छा लगा
क्योंकि
आप जब जब जाते हैं
तो फिर नये निराले ढंग से आकर
सबको खूब खुशी थमाते हैं
ललित शर्मा जिंदाबाद
जिंदाबाद जिंदाबाद
वैसे मुझे याद है कि मैंने कभी किसी रोज इस ब्लॉग पर एक चर्चा संपन्न करनी हैं, पर वो कब करूंगा यह तो हिन्दी ब्लॉंगिंग में अभिव्यक्ति की आजादी की तरह है।
एक वर्ष पूर्ण करने की बहुत बधाई मगर बात जाने की क्यों ?
bilkul band kar de nek kam mai deri nahi.
जन्मदिन पर बधाई और शुभकामनाएं.... देरी से पढ़ रहा हूँ ..पढ़कर कुछ अच्चा अनुभव नहीं हो रहा है ...आप चर्चा को जारी रखें मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है ...
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