लेखिका अरुन्धती राय ने खुले आम नक्सली हिंसा का समर्थन किया है। जब लेखक कवि हिंसा का समर्थन करेंगे तो उनके लेखन में प्रेम और लय कहां से आएगी। जिसकी आज समाज को सबसे ज्यादा जरुरत है। लेखक समाज का प्रतिबिंब जगत के सामने रखता है न कि सामाजिक अपराध में लिप्त हो जाता है। जब एक आम नागरिक हिंसा का समर्थन करता है तो उस पर कानून लागु कर दिया जाता है। लेकिन जब कोई बड़ा लेखक लेखिका खुले आम समर्थन कर रहा है तो उसके खिलाफ़ कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है। अब मै ललित शर्मा ले चलता हूँ आपको आज की ब्लाग4वार्ता पर...................
सबसे पहले चर्चा करते हैं गिरीश पंकज जी के ब्लाग सद्भावना दर्पण की..अरुंधती राय द्वारा खुलेआम हिंसा का समर्थन...?मैं नक्सलियों और उनकी पैरोकार अरुंधती राय को अब क्या कहूं. दोनो की हरकतों पर रोना ही आता है. पहले नक्सलियों कि बात. इनके कारण पिछले दिनों ज्ञानेश्वरी रेल हादसा हुआ। इस हादसे में छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों क...मंज़िल चलकर आयेगी तुम्हारे पास अंधेरा बहुत गहरा हो तो समझना सुबह क़रीब है लड़ना नहीं तमस से अपनी शक्ति जाया मत करना शून्य में इंतज़ार करना सूर्य के उगने का अंधेरा ख़ुद-ब-ख़ुद भाग खड़ा होगा तुम्हारे रास्ते से दुःख जब भी आए घबराना नहीं, ...
मनुष्य की मूलभूत जैवीय जरूरतें उस के विचारों को संचालित करती हैं। विगत आलेख जनता तय करेगी कि कौन सा मार्ग उसे मंजिल तक पहुँचाएगा पर आई टिप्पणियों ने कुछ प्रश्न खड़े किए हैं, और मैं महसूस करता हूँ कि ये बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन प्रश्नों पर बात किया जाना चाहिए। लेकिन पहले ...भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं......आवाज़....'अदा' की... आवाज़....'अदा' की... भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं मुहब्बत हो गई जिनको वो दीवाने कहाँ जाएं लगे हैं शम्मा पर पहरे ज़माने की निगाहों के जिन्हें जलने की हसरत है वो परवाने कहाँ जाएं सुनाना भी .
दिल्ली यात्रा-8-अंतिम में मिले हंसी ठिठोली के बादशाह............! दिल्ली यात्रा से वापस हम पहुंच रहे थे नागपुर, ट्रेन पूरी 5 घंटे लेट हो चुकी थी। नागपुर पहुंचे तो दो बज चुके थे। जो कि रायपुर पहुंचने का समय है। तभी मुझे याद आया कि सूर्यकांत गुप्त...पर्यावरणीय प्रदूषण रोकना मानव का कर्तव्यमनुष्य अपने वातावरण की उपज है,इसलिए मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण जरूरी है। लेकिन जब प्रश्न पर्यावरण का उठता है तो यह जरुरत और भी बढ जाती है। वास्तव में जीवन और पर्यावरण का अटूट संबंध है...
मैं क्यों लिखता हूँ? जी का जंजाल बन गया है ये सब, जब से घर वालों ने मेरा ब्लाग देख लिया। अच्छा हुआ अभी डायरी नहीं देखी…… लेकिन क्या भरोसा?! आज नहीं तो कल उनके हाथ लग ही जायेगी। इतनी बातें सुनने को मिल गयी कि ऐसा लगता है मा...ताऊ पहेली - 77प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 77 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. जैसा कि आप जानते ही हैं क...
सीनियर - जूनियर एसोसिएशन ... या छीछा-लेदर !!!ब्लागदुनिया के मेरे हमसफ़र साथियों .... लेखन क्षेत्र में कोई उम्र नहीं होती ... कोई छोटा-बडा नहीं होता ... लेखन के भाव महत्वपूर्ण व छोटे-बडे होते हैं .... ये और बात है कि हम भारतीय संस्कृति के अंग हैं इसलिय...वीरान धरती एवं पेड़ों की लाशें (1) सुबह सुबह उठकर दौडाता हूँ नजर, अपने घर की चार दीवारी के भीतर सजाये हुए हरे भरे बगीचे की ओर अरे! यहाँ तो मुरझा गये हैं पेड़, हरी हरी दूब सूखी घास हो गई है. पानी नहीं डाल..
कहीं धोखा तो नहीं खा रहे हैं आप? इस चित्र को देखकर क्या लग रहा है आपको? देखिये, सच सच बताइयेगा। आप यही सोच रहे हैं ना कि .... ! !! !!! पर आप जो सोच रहे हैं वह कहीं गलत तो नहीं है? कहीं धोखा तो नहीं खा रहे हैं आप? ? ?? ??? ????...कब तक जहर पिएगा आवाम मतलब तब तक जहर पिए रियाया* *शीतल पेय मामले में कोर्ट सख्त तो सरकार नरम!* *(लिमटी खरे)* * देश में कीटनाशक की अत्याधिक मात्रा से युक्त शीतल पेयजल की बिक्री के मामले में देश के सबसे बडे न्यायालय क...
संगठन एक नही बनता, दो बनते हैं ब्लागर संगठन"* *यह इन्ट्रनैशनल ब्लागर मीट, दिल्ली का मुख्य टापिक था।* मैं संगठन का सदस्य नहीं बनना चाहता हूं। लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि मैं संगठन का विरोधी हूं। मैं ना किसी विचार का पक्ष लेना...को नहीं जानत है जग में प्रभु संकटमोचन नाम तिहारो मै जैसे ही ध्यान केंद्र के अंदर गया अंदर गुरुदेव की बातें कान में पड़ी . गुरुदेव अनिल से से बातें कर रहे थे . गुरुदेव "सूर्य से तेजस्वी और प्रतापी इस जगत में और कोई नहीं है .सारे ग्रह नक्षत्र उसके...
ब्लॉगजगत में अनोखी चोरी अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न तो सुनिए. by qualifi...दिल्ली के एक समाचार पत्र में 'गपशप का कोना', 'एक आलसी का चिट्ठा', घुघुती बासूती', 'चोखेरबाली' तथा 'हम आप'4 जून 2010 को दिल्ली के एक समाचार पत्र 'आज तक क्राईम टाईम्स' में *गपशप का कोना ,एक आलसी का चिट्ठा , घुघुती बासूती, चोखेरबाली* तथा *हम आप* का उल्लेख करते हुए निरूपमा पाठक प्रकरण पर एक लेख
एक छत्तीसगढिया का दर्द: दिल्ली से योगेश गुलाटी कभी कभी हैरानी होती है कि कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के लिये कैसे आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी विनाशकारी विचारधाराओं का समर्थन कर सकते हैं! वो कैसे निर्दोषों और मासूमों की हत्याओं को सही ठहरा सकते हैं? अरुंधति..''चोर कहीं का..''(लघुकथा)''कल तो किसी तरह बच गया लेकिन आज? आज कैसे बच पाऊँगा पिटाई से, जब घर पर पता चलेगा तो....'' ये सोच-सोच कर सिहरा जा रहा था वो. थोड़ी-थोड़ी देर बाद क्लास के बाहर टंगी घंटी को देखता जाता और फिर चपरासी को.. ठीक...
मेरे बिना (कहानी) शाम से अब तक तीन डिब्बी सिगरेट फूंक चुका हूँ ,मुह का स्वाद इतना कडुवा हो चुका है की सामान्य में मुह का स्वाद कैसा होता है याद ही नहीं ...शायद यही कडवाहट मेरी रगों में भी घुल गई है, बिना झुंझलाए बात नहीं कर...दो शब्द, इजराइल की तारीफ़ में, Well done Israel ! अगर कोई देश संकल्प के साथ अपने दुश्मन का डटकर मुकाबला करता है तो आज की इस सभ्यता में उसकी निंदा की जाती है ! लेकिन मैं यह कहूंगा कि बहुत अच्छा किया इजराइल , वेल डन ! इजराइल अगर इस तरह का प्रतिघाती नहीं होत...
संगठन में ही बडी शक्ति है .. क्या आप इंकार कर सकते हैं ?? हिंदी ब्लॉग जगत से जुडने के बाद प्रतिवर्ष भाइयों के पास दिल्ली यानि नांगलोई जाना हुआ , पर इच्छा होने के बावजूद ब्लोगर भाइयों और बहनों से मिलने का कोई बहाना न मिल सका। इस बार दिल्ली के लिए प्रस्थान कर...सत्य की उपलब्धि के नाम पर – कविता – रवि कुमार सत्य की उपलब्धि के नाम पर ( a poem by ravi kumar, rawatbhata) सत्य कहते हैं ख़ुद को स्वयं उद्घाटित नहीं करता सत्य हमेशा चुनौती पेश करता है अपने को ख़ोज कर पा लेने की और हमारी जिज्ञासा में अतृप्ति भर देता है...
ग्लोबल वार्रि्मग पर एक आलेख - शिवम् मिश्रा हम बचत करेंगे तो ही बचेगी हमारी दुनिया ! वैज्ञानिकों का कहना है कि हर कोई अपने स्तर से प्रयास करे, तो ग्लोबल वार्रि्मग के बढ़ते दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है | यहाँ दिए गए कुछ छोटी छोटी पर बेहद जरूरी.....तेरी कमी का अहसास करके रोये.. तेरी बातो को बार बार याद करके रोये तेरे लिए दर पे फरियाद करके रोये तेरी ख़ुशी के लिए तुझे छोड़ दिया फिर तेरी कमी का अहसास करके रोये |
क्रोध अनलिमिटेड...खुशदीप एक शख्स अपनी नई कार को पॉलिश से चमका रहा था...तभी उसके चार साल के बेटे ने एक नुकीला पत्थर उठा कर कार पर कुछ उकेर दिया...शख्स ने नई कार का ये हाल देखा तो क्रोध से पागल हो गया...उसने गुस्से के दौरे में ही बच...गुफ्तगू -शोभना 'शुभि' काफी दिनों से ख्याल मन दिमाग पर आहट दे कर मुड जाते है कलम निकाल कर लिखना शुरू करती हूँ कि कुछ काम डायरी को फिर से अलमारी में सजवा देते हैं सोचती हूँ चाँद सितारों से बातें कर लूँ थोडा रुक कर अपने दिल से भी...
प्राप्त सूचना के अनुसार छत्तीसगढ में कुत्तो का महा ब्लोगर सम्मेलन होने वाला है.-------मिथिलेश दुबे प्राप्त सूचना के अनुसार छत्तीसगढ में कुत्तो का महा ब्लोगर सम्मेलन होने वाला है. गब्बर-- नाच बसंती नाच वीरु -- नहीं बसंती तुम इन कुत्तों के सामनें मत नाचनाबसंती-- परन्तु मेरे सईया मैंने तो सुना है कि सारे कुत्ते छत्तीसगढ़ गयें है ब्लोगर सम्मेलन में ये..कामनवेल्थ गेम्स का टिकट बुक कराया क्या लो जी तैयारियां अब आखिरी पायदान पर हैं। दिल्ली उतावली हो रही है, खेल प्रेमियों का स्वागत करने के लिये। 03 अक्तूबर से 14 अक्तूबर तक होने वाले कामनवेल्थ गेम्स क्या आप नहीं देखना चाहेंगें। अजी खेल ना सही उद्घाटन समारोह तो देख आईये।
ब्लाग 4 वार्ता को देते हैं विराम --आप सभी को ललित शर्मा का राम राम--मिलते हैं ब्रेक के बाद...........
10 टिप्पणियाँ:
बढियां लिंक मिले ...
बहुत उम्दा चर्चा...आभार!
आईये जानें .... मन क्या है!
आचार्य जी
sundar..
अच्छी चर्चा...बधाई
vaah....vaah.....vaah.....vaah......!!!
ललित भाई साहब, एक बार फिर से आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद जो आपने मेरे लेख को अपनी इस उम्दा वार्ता में शामिल कर सम्मानित किया !
बहुत उम्दा चर्चा...आभार!
बढिया चर्चा, मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
एक बात अटपटी लगी शुरूआत में ही...अपुन तो वहीं अटक गये हैं...वो क्या है हम लेखक बगैराओं पर सोचने लग गये....
आपने लिखा...लेखक समाज का प्रतिबिंब जगत के सामने रखता है...
तो हम सोचे रहे कि जब समाज में किसी भी तरह की हिंसा अगर व्याप्त है...या कुछ और...तो हमारी खोपड़िया में यह सवाल घूम रहा है, कि फिर उसका प्रतिबिंब में...मतलब कि लेखन में वह आएगा कि नहीं...अगर लेखक का काम समाज का प्रतिबिंब जगत के सामने रखना है...तो वह फिर आएगा ही...जो भी समाजवा में होए रहेगा...वह आएगा ही...
आप तो हमें उलझाए दिये हैं...
अच्छी चर्चा...हमार टुचुआ सी कवितवा भी शामिल करहि लिये...
आभार तो व्यक्त किया जाना ही चाहिए...
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