मंगलवार, 1 जून 2010

वो कौन थी?.दिल्‍ली-यात्रा दिल खुश करनेवाली--ब्लाग4वार्ता ----ललित शर्मा

हमारे डॉक्टर भैया की सलाह पर हमने वार्ता लिखना कम कर दिया था। इधर दिल्ली यात्रा के दौरान राजकुमार जी ने मो्र्चा संभाला। बहुत ही अच्छे से लिंक लगा कर वार्ता को जीवित रखा। वार्ता टीम उन्हे धन्यवाद देती है। दिल्ली से आने के बाद मेरा भी स्वास्थ्य मौसम को देखते हुए कुछ नासाज ही है। अभी आराम ही कर रहे हैं क्योंकि जीवन की यात्रा के लिए यह भी आवश्यक है। अब मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की वार्ता पर.............

पहला चिट्ठा लेते हैं डॉक्टर चंद्रकांत वाघ का, इनका ब्लागिंग में आज ही पदार्पण हुआ है, पढने से लगता है कि लेखनी मंजी हुयी है।मानवाधिकारवादियों कसाब की इच्छा पूरी करो..........!डॉ.चंद्रकांत वाघ डॉ.चंद्रकांत कहिन पर--मुंबई का तत्कालीन नाबालिक आतंकवादी (जैसे उसने कोर्ट में कहा) अकमल कसाब ने यहाँ की मेहमान नवाजी से खुश होकर एक इच्छा और जाहिर की है. चार मामलों में आजन्म कारावास और ५ मामलों में सजाये मौत वाले कसाब की फांस...शेक्सपियर ग़लत था…. नाम में बहुत कुछ रखा है…. : महफूज़
दुनिया में इन्सान जब जन्म लेता है, तब वह अपने साथ कोई नाम नहीं लाता. हाँ! फ़ौरी तौर पर उसका नामकर�¤...

राष्ट्रवादी घोर निराशा।। नारा देकर गाँधीवाद का, सत्य-अहिंसा क झुठलाना। एक है ईश्वर ऐसा कहकर, यथासाध्य दंगा करवाना। जाति प्रांत भाषा की खातिर, ...मनुष्य के श्रम से विलगाव के जैविक और सामाजिक परिणामआज सुबह अदालत में जब हम चाय के लिए जा रहे थे तो वरिष्ट वकील महेश गुप्ता जी ने पीछे से आवाज लगाई। मैं मुड़ा तो देखता हूँ कि पंचानन गुरू मौजूद हैं। वे मुझे याद कर रहे थे। वे कोटा की पहली पीढ़ी के वामपंथियो... हमें क्या करना इस हिन्दुस्तान से , उजड़ने दो, अगर उजड़ रहा है... जब भी कहीं गोली चलती है, जिन पे गोली चलती है , उनके लिए तड़पते तड़पते उनका हिन्दुस्तान मरता है, जिनके अपनों पर गोली चलती है, उनके लिए डरा सहमा नया हिन्दुस्तान बनता है, बाकी के लिए क्या ग़ज़ब हो गया, ऐसे ह...

झींगालाला ने बांचा ब्लागरों का भविष्यअरसा पहले जब कृष्णा शाह की फ्लाप फिल्म शालीमार आई थी तब ही शायद लोगों ने पहली बार झींगालाला शब्द को सुना था। याद करिए- हम बेवफा हरगिज न थे गाने में झींगालाला ... हुर्र.. हुर्र को। हाल के दिनों में बदल डाला...क्योंकि यहाँ तो सब अपना हाथ है , जगन्नाथ पहले हम विचलित हुए, निकाले अपने मन के गुबार, मित्रों ने भी दिया साथ पर अब धीरे धीरे समझ रहे हैं, माया नगरी की माया को रक्त बीज सब बन रहे यहाँ (बेनामी छ्द्म्नामी ब्लोगरों की उत्पत्ति) *क्योंकि यहाँ तो सब ...आओ, आपको जंगलमहल ले चलूं...खुशदीप  कल आप से वादा किया था आज आपको *जंगलमहल* का सच बताऊंगा...जंगलमहल नाम सुनकर ऐसी कोई तस्वीर ज़ेहन में मत बनाइए कि मैं आपको जंगल में स्थित किसी महल की सैर कराने ले जा रहा हूं...जंगलमहल का मतलब है पश्चिम बंगाल ...

दिल्ली यात्रा-4...एक पारिवारिक भेंट जो दिल को छु गयी........!ललित शर्मा ललितडॉटकॉम पर --जैसे ही हमारी गाड़ी क्लब के गेट पर पहुंच डॉ दराल एवं भाभी जी(डॉ.रेखा दराल) बेसब्री से इंतजार करते मिले। अभिवादन के पश्चात हम क्लब के हॉल में पहुंचे, वहां टेबलें सेट करवा कर बैठे, समय कम था, क्लब 11बजे तक ह...वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : श्री दीपक 'मशाल' प्रिय ब्लागर मित्रगणों, आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में श्री दीपक मशाल की रचना पढिये. लेखक परिचय नाम : दीपक चौरसिया 'मशाल' माता- श्रीमति विजयलक्ष्मी पिता- श्री लोकेश कुमार चौरसिया जन्म- २४ सितम्बर १९८०,...

दिल को खुश करनेवाली रही यह दिल्‍ली-यात्रा संगीता पुरी  गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष -पर-यूं तो पिछले तीन वर्षों से मई या जून महीने में मुझे दिल्‍ली में ही रहने की जरूरत पडती रही है , पर इस वर्ष की दिल्‍ली यात्रा बहुत खास रही । पूरे मई महीने दिल्‍ली में व्‍यतीत करने के बाद कल ही बोकारो लौटना ह...पर्यटन के नाम पर डकैती मंत्री मेहरबान,अजय पहलवान जिस व्यक्ति पर अपनी हवस के लिए कालगर्ल को कार से कुचलकर मार डालने का आरोप हो और जिसके दुग्ध संघ से पर्यटन मंडल में संविलियन को ही गलत माना जा रहा हो ऐसे अजय श्रीवास्तव का पर्यटन मंड...
 
मीठा है खाना, आज पहली तारीख है......उपदेश सक्सेना  नुक्कड़ समय देने से मिलेगी सफलताराजकुमार ग्वालानी  राजतन्त्र  पर--छत्तीसगढ़ के टेबल टेनिस खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने आए बंगाल के कोच तन्मय डे का मानना है कि छत्तीसगढ़ के खिलाडि़य़ों में दम-खम की कमी है। राष्ट्रीय स्तर पर सफलता पाने के लिए मैदान में ज्यादा से ज्यादा समय द...-पर*(उपदेश सक्सेना)* टीवी चैनलों पर हर महीने की आखिर में एक विज्ञापन बड़ी धूम मचाता है, *दिन है सुहाना, आज पहली तारीख है,* *खुश है ज़माना, आज पहली तारीख है,* *करो न बहाना, आज पहली तारीख है,* *मीठा है खाना, आज पहल...
 
गुङ और चींटी  क्रांतिदूत पर -मैं अपने घर में चींटियों से परेशान था.खाने पीने का सामान तो दूर मेरे कपङे,बिस्तरे और सोफ़ा सेट भी उससे अछुता नहीं था.वैसे चींटियां भी मुझसे परेशान हो चुकी थी. एक दिन मुझसे उनकी हालत देखी नही गयी और मुझे उनप..आज तुम लटके मिले हो फाँसी पर----------------->>>दीपक 'मशाल'.*आज मई माह में हिन्दयुग्म यूनिकवि प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त एक रचना जो कि किसान आत्महत्या पर केन्द्रित है देखिएगा.* * * *बीज* और आज तुम लटके मिले हो फाँसी पर मगर फिर भी शहीद ना बन पाए अनगिन ख्वाबो...
 
वो कौन थी?. Voronezh Railway Station. वो कौन थी?..जी ये मनोज कुमार की एक फिल्म का नाम ही नहीं बल्कि मेरे जीवन से भी जुडी एक घटना है. बात उन दिनों की है जब मैं १२ वीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए रशिया रवाना हुई थी...जो बिना खर्चा बिना असलहे के जीत की गारंटी दिलाती है ......कहीं मंदिर में घंटी बाजे कहीं अजान सुनाती है पाँच बजे पौ फटते ही वो पाने भरने जाती हैचारों चौहद्दी नलका के मजमा बड़ा लगाती है बाल्टी और देगची की कतार बढ़ती ही जाती है मेरी बारी पहले आये हर रण-नीति अपनाती .. तंग आ कर नूरे ने लड़का किडनैप किया, पर :-)हमारा नूरा जब से दिल्ली घूम कर अपने पिंड़ लौटा है तब से उसे शहर में कुछ करने का कीड़ा काट गया है। गांव के अपने तीनों लंगोटियों के साथ माथा पच्ची करने के बाद वे चारों इस नतीजे पर पहुंचे कि मां-बाप पर बोझ बनने...

अब देते हैं वार्ता को विराम-सभी को ललित शर्मा का राम राम

14 टिप्पणियाँ:

दिलचस्प और उम्दा चर्चा..

बढ़िया लिंक्स...उम्दा चिट्ठाचर्चा

ये भी खूब रही ।
आराम के समय वार्ता ही सही ।
बढ़िया लिंक दिए हैं ।

नामधारी सिंह जी दिनकर जी की याद आ गई। "नामधारी" के नाम से।
चर्चा सभी लिखते हैं। पर अलंकृत चर्चा थोड़े ही लिख सकते हैं। इसके लिये तो ललित भाई खास हैं। जो रहते हमारे शहर के ही पास हैं। बने लागिस अउ सूर्यकान्त हा चन्द्र्कान्त मेरन (ब्लोग मा) गे रहिसे।

तो अब भूल गये लो अपनी आने वाली पोस्ट का अंश खुदई चिपका देता हूं
वो यौवन की राजकुमारी
मैं पीड़ा का शहज़ादा हूँ !
वो घन वन की चपल
हिरनिया मैं मर्यादा तागा हूँ !

वो थी कोन?? कम से कम यह तो बताते???

सूर्यकांत जी नामधारी नहीं रामधारी सिंह 'दिनकर' कहिये जनाब.. :) बाकी बात उन्होंने सच कहीं.. :) आभार.

आज रात पढि़ए ब्‍लोग जगत के महारथी महामानव फुरसतिया सर को समर्पित कविता। दोबारा याद नहीं कराऊंगी। खुद ही आ जाना अगर मौज लेनी हो, अब तक तो वे ही लेते रहेंगे, देखिएगा कि देते हुए कैसे लगते हैं फुरसतिया सर।

बहुत बढ़िया चर्चा ....
बधाई...!!

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