गुरुवार, 10 जून 2010

टूटी तो नींद है सपने नहीं--एक कविता बस छोटी सी--ब्लाग4वार्ता---ललित शर्मा

सरकार ने कहा है कि जनगणना के वक्त दी जाने वाली रसीद पर्ची को संभाल कर रखना है, बाद में इसका इस्तेमाल राष्ट्रिय जनगणना रजिस्टर एवं चेहरे एवं उंगलियों की फ़ोटो खींचने के समय की जाएगी। हमने भी जनगणना के बाद पर्ची को मात्र औपचारिकता समझ कर कूड़े दान में डाल दिया था। अब पर्ची का महत्व मंत्री द्वारा बताया जा रहा है। जनगणना करने वालों ने कहीं पर भी इस पर्ची को संभाल कर रखने के लिए नहीं कहा। यह जनगणना के बाद कहीं उपयोग में भी आएगी, नहीं बताया। खैर हमने तो पर्ची ढुंढ ली, लेकिन गांवों में क्या होगा? जब पर्ची पर नमक मि्र्च बांध कर बच्चों ने कैरियों से लगा कर खा लि्या होगा। मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ आज की ब्लाग4वार्ता पर.................


चेतावनी : इस पोस्ट को कृपया ब्लागर गण ना पढें. आदरणीय ब्लागर गणों, आज मैं आप सभी को यहीं से चेता देना चाहता हूं कि प्लिज...प्लिज...आप यह पोस्ट यहां से आगे मत पढिये. तो आप पूछेंगे* "प्यारे जी" * जब आपने ब्लाग पोस्ट लिखी है तो हम क्यूं नही पढेंगे? तो मैं ...विमोचन समारोह में काव्य पाठ एवं गिरीश पंकज जी का व्याख्यान--सुनिए कार्यक्रम स्थल पर हमारे पहुंचने के पश्चात कवि सम्मेलन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इस कवि सम्मेलन में श्री आरिफ़ जी गोंदिया वाले, अनिता कम्बोज, डॉक्टर शाहिद सिद्दकी, एवं एक अन्य कवि (उनका नाम भूल रहा हुं) कवि...

ब्लॉगवाणी, सुन ले अर्ज़ हमारी...खुशदीप ज़रा सामने तो आओ छलिए,* * * *छुप-छुप छलने में क्या राज़ है,* * * *यूं छुप न सकेगा परमात्मा,* * * *मेरी आत्मा की ये आवाज़ है...* सोच रहे होंगे, क्यों सुना रहा हूं आपको ये गाना...अब ये गाना न गाऊं तो और क्य...गुरुदेव के सदविचार और मेरा ब्लागरों से क्षमायाचना सहित एक निवेदन यदि दुर्गुणों को छोड़कर सदाशयता की रीति नीति को अपनाया जा सके तो समझाना चाहिए की मानवी गरिमा के अनु रूप मर्यादा पालन करना बन पड़ता है और हंसती- हँसाती, उठती- उठाती जिंदगी का रहस्य हाथ लग जाता है और ऐसे ह...

पहला चिट्ठा लेते हैं कहां गया कांग्रेस का चाणक्‍य हाशिए पर कांग्रेस का चाणक्य!* *गुमनामी के अंधेरे में जिंदगी बसर करने मजबूर हैं कुंवर साहेब* *अर्जुन सिंह की सेवाओं को दरकिनार किया कांग्रेस ने* *(लिमटी खरे)* * नई दिल्ली 08 जून। बीसवीं सदी के अंतिम क...हरियाणा में दलितों की शामतहरियाणा में दलितों की तो शामत आ गई लगती है. मिर्चपुर की घटना को हुये अभी लगभग एक महीना ही गुजर पाया था कि पलवल जिले के भिटुकी गांव में एक बार फिर दबंगों ने दलितों को पीटा और उनके घरों में आगजनी की. गांव मे...



आदमी में गधा, कुत्ता और बंदर...खुशदीप भगवान ने गधा बनाया और उससे कहा... *तुम गधे रहोगे...सूरज उगने से लेकर डूबने तक पीठ पर बोझ उठाने का काम करोगे...वो भी बिना थके...खाने में तुम्हे घास मिलेगी...तुम में बुद्धि जैसी कोई चीज़ नहीं होगी, इसलिए ...इति मूत्राभिषेक! वो रातें अभी भी मुझे याद हैं. सुस्सू वाली रात के बाद की सहर (सुबह), कहर बन कर टूटती थी मेरे कोमल मन पर. मेरी तरह आप भी तो बिस्तर पर सुस्सू करते बड़े हुए होंगे. अब सुस्सूआएगी तो करेंगे ही. कभी साफ टॉयलेट म...

मैं बादल की सहेली हवा है मेरा नाम मैं बादल की सहेली आकाश पे छा जाती हूँ मैं बनके पहेली आँधियों ने आ के मेरा घर बसाया आकाश के तारों ने उसे खूब सजाया चली जब गंगा की ठंडी पुरवैया धुप के आंगन में खिली बनके चमेली चुपके आ के कान ...टूटी तो नींद है सपने नहीं टुटा करते...!साथ छूटने से रिश्ते नहीं टुटा करते वक्त की धुंध से लम्हे नहीं टुटा करते लोग कहते है मेरा सपना टूट गया टूटी तो नींद है सपने नहीं टुटा करते | * *

मैं एक कविता बस छोटी सी मैं एक कविता बस छोटी सी हर दिल की तह में रहती हूँ. भावो से खिल जाऊं मैं शब्दों से निखर जाऊं मैं मन के अंतस से जो उपजे मोती सी यूँ रच उठती हूँ. मैं एक कविता बस छोटी सी हर दिल की तह में रहती हूँ....वो बूढी जाटणी दादी चेहरे पर झुर्रियां ,थोड़ी झुकी हुई कमर और लाठी के सहारे चलती , लेकिन कड़क आवाज वाली उस बूढी जाटणी दादी की छवि आज वर्षों बाद भी जेहन में ज्यों कि त्यों बनी हुई है | गांव से बाहर लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्...


जड़ता मन की बहुत खोया ,थोड़ा पाया , खुद को बहुत अकेला पाया , सबने मुंह मोड़ लिया , नाता तुझसे तोड़ लिया , पीड़ा से दिल भर आया , फिर भी कोई प्रतिकार न किया , दरवाजा मन का बंद किया , बातें कई मन में आईं , पर अधरों तक आ कर लौट...कल रुत तुमको तरसाए नभ में उमड़े घन बड़े बिजली भी बिन बात लड़े तुम भी रूठे-रूठे से बोलो कैसे बात बढे बूंदे छेड़े जब मुझको हवा दिखाए रंग नए तुम्हे लगा मैं भूल गई तुम भी तो थे संग खड़े मेघ सदा बरसाए मद जब तुम मेर...

 भूल गया सारी कडुवाहट इतना ज्यादा प्यार मिला ग़ज़ल के हर शेर अपनी बात खुद बयाँ कर देते है. इसलिए उनके लिए कुछ लिखना ठीक नहीं, इसलिए बिना किसी लम्बी व्याख्या के, पेश है मेरी नई ग़ज़ल...* *जितना मुझको मिला सच कहूँ जी भरकर उपहार मिला* *भूल गया...संगीतप्रेमी श्वान बनाम हिज मास्टर्स व्हायस... संगीत... मेलॉडी... हारमोनी...  क्या आपको हिज मास्टर्स व्हायस के रेकॉर्ड्स याद हैं जिसमें संगीत का आनन्द लेते हुए श्वान महाशय का चित्र हुआ करता था? अवश्य ही याद होगा क्योंकि आप इन एसपी और एलपी रेकार्ड्स को अपने रेकॉर्ड प्लेयर पर सुना करत...

क्या तुम मुझसे शादी करोगी ? मुलाकात हुई तुमसे केवल इत्तेफाक से क्या पता था दिल में बस जाओगी पहली मुलाकात में दूर नहीं जाना अब मुझे छोड़कर , वरना क्या मिलेगा तुम्हे इक प्यार भरा दिल तोड़ कर आँखे बिछाये बैठा हूँ , मैं तेरी राहों म...मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हूं ..क्या आप जानते हैं कि एक हिन्दी फिल्म की कहानी कुल सौ संवादों के आसपास ही घूमती है। आज मैं जिन संवादों का जिक्र करने जा रहा हूं उन संवादों को आपने सैकड़ो बार सुना होगा। हालांकि अब वैसी फिल्में नहीं बन रही ...

दर्द की इक दुकाँ खोल ली मैंने ! झंझटों की पोटली मोल ली मैंने, ब्लोगिंग जीवन में घोल ली मैंने, गम खरीदता हूँ, खुशियाँ बेचता हूँ, दर्द की इक दुकाँ खोल ली मैंने ! सुबह-शाम कंप्यूटर पर जमे रहकर, वक्त कट जाता है,खुद में रमे रहकर, फुर्सत के हिस... इज्जतदार आम आदमी वह उदास और परेशान सा मेरे पास आया. उसके चेहरे पर घबराहट के चिन्ह स्पष्ट दिखलाई पड रहे थे. मैने पूछा "क्या हुआ! ये इतने घबराए हुए से क्यूं हो ?" बोला" देख नहीं रहे, चारों तरह क्या हो रहा है. हत्याएं, लूट-खसो...

तुम भी कभी जवान हुआ करती थी रचना ! आज तुम ढीली पड़ गई हो रचना ! इसलिए पीली पड़ गई हो रचना ! लेकिन वो भी दिन थे ........ जब तुम भी जवान हुआ करती थी तुम ! हाँ हाँ तुम ! तुम भी जब जवान हुआ करती थी तो जोश का तूफ़ान हुआ करती थी लोग रात-र..तुझको मजबूर समझ मै लौट आया.....मै कल तेरे दरवाजे तक गया* *और लौट आया,* *अन्दर जाना जी ने बहुत चाहा* *पर मै लौट आया,* *मन ही मन तेरा दर खटखटाया* *और मै लौट आया,* *लगा मुझे ऐसा कि* *देख लिया है तुमने मुझे कहीं से,* *तुमको भी अनदेखा कर...

मैं लड़की होने की सजा पा रही हूँ .....'इज्ज़त' 'आबरू' ये महज शब्द नहीं हैं नकेल हैं, जिनसे बंधा है मेरा वजूद ये कील हैं, जिनसे टंगा है मेरा मन ये रस्सी है जिससे बंधा है मेरा पेट और ये हथकड़ी हैं जिससे बंधे रहते हैं मेरे हाथ-पाँव.... ता-उम्र ...मैं अभी हारा नहीं हूँ. फैसला होने से पहले, मैं अभी क्यों हार मानूं,* *जग अभी जीता नहीं है, मैं अभी हारा नहीं हूँ.* कुछ इन्हीं पंक्तियों की तर्ज़ पर भोपाल गैस कांड के 26 बरस बाद आये फैसले ने म...

जब हम बादलों पर चले जब हम बादलों पर चले. जी हाँ सही पढ़ा आपने,बादलों पर भी और बादलों के बीच भी. एक सहेली ने अपने फ्रेंड के ऑर्कुट प्रोफाईल में किसी का स्क्रैप देखा ,जिसमे उसने अपने ट्रेकिंग के अनुभव लिखे थे, उसने जानकारी ली और पता चला, वह पहाड़ी हमारे घर से ज्यादा दूर नहीं.हां..! ये शाम उस शाम से जारी हर शाम पर भारी हां..! ये  शामउस शाम से  जारी हर शाम पर भारीजब हुई थी मुलाक़ातखनकती आवाज़ से.... ! आओ..फ़िर उस पहली शाम को याद करें रिक्तता में रंग भरें लौटें उस शाम की तरफ़ जो आज़ हर शाम पे भारी है...!*************************वो जो मुझे खींचता है उस ओर

हिन्दी विकिपिडिया की विकास यात्रा : ५५००० लेख आज हिन्दी विकिपिडिया ने ५५००० लेखों का आंकड़ा भी पार कर लिया। यह कम नहीं है ; फिर भी हमे अभी बहुत लम्बा रास्ता तय करना है। सभी लोग ठान लें कि दो-चार लेखों का योगदान अवश्य करेंगे तो इसे लाखों में पहुँचते देर नहीं लगेगी। आइये, अपने-अपने विशेषज्ञता के ...हिंदू वेदों को इतना अत्यधिक महत्त्व क्यों देते हैं? (लेख थोड़ा दीर्घ है किन्तु अतिरिक्त समय में पढ़े अवश्य विशेष तौर पर हिन्दू लोग क्योंकि उन्हें अपने धर्म के मूल को तो जानना चाहिये कम से कम.) हिंदू धर्म में वेदों का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है. सभी हिंदू धार्मिक ग्रन्थ अपनी बातों को प्रमाणित करने के लिये..

बताओ भारतीयों ( Indians) तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास ----- है।अमेरिका में प्रत्येक भारतीय की जुबान पर एक ही बात रहती है कि भारत में क्या है? यहाँ कितना चुस्त प्रशासन है, पुलिस कितनी रौबदार है, सड़कों का जाल बिछा है, साफ-सफाई इतनी कि चेहरे पर कभी गर्द जमे ही नहीं। भारत नहीं बोलकर हमेशा कहेंगे इण्डिया में क्या है? श्रीमान बबल्स कुमार की अदाएं बेटी ने जब पहली बार कुत्ता पालने की जिद की तो कुत्ते-बिल्ली से एलर्जिक माता-पिता ने बहला दिया. जब आग्रह की आवृत्ति और दवाब बढ़ने लगे तो यह तय हुआ कि बिटिया रानी एक महीन तक घर के अन्दर रखे पौधों को पानी देनी की ज़िम्मेदारी निभाकर यह सिद्ध करेंगी कि वे एक

चाँद: वो बचपन वाला!! बचपन में गर्मियों में छत पर सोया करते थे. देर रात तक चाँद देखते. उसमें दिखती कभी बुढ़िया की तस्वीर, कभी रुई के फाहे, कभी बर्फ के पहाड़, कभी छोटा होता चाँद और न जाने क्या क्या? एक कल्पना की उड़ान ही तो होती थी बालमन की. मेरे लिए एक खिलौना ही तो था बचपन का ......अब अपनी औकात में रहने लगी है वह ....अब वह कुछ नहीं कहतीचुप ही रहती हैया यूँ कहूँ किवह अब अपनी औकात में रहती है ...भीड़ भरे बाजार मेंसौदा सुलफ करतेटकराते हैं लोगचुन्नी संभालतीबच कर निकल लेती है ....ठसाठस भरी बस मेंधचके लगे बिना भीलड़खड़ाते खड़े मुसाफिरों सेअब वह कोईशिकायत नहीं करती है


चलते चलते एक कार्टुन
* हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ का मामला * * अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ है कि प्रदेश के एक * * और पूर्व सीनियर पुलिस ऑफिसर के खिलाफ छेड़छाड़ * * का म...


वार्ता को अब देते है विराम--सभी को ललित शर्मा का राम राम

11 टिप्पणियाँ:

आईये सुनें ... अमृत वाणी ।

आचार्य जी

बहुत उम्दा चर्चा..आभार.

आपने भी उम्दा लिक्स दिए हैं। आजकल सभी चर्चा बेहद दमदार तरीके से निकल रही है इसकी खास वजह क्या है यह मैं नहीं समझ पा रहा हूं। आपको बधाई।

sundar charcha. aur samapan par ajay saxsena ka kartoon to kamaal ka hai.'dog' nahi ab 'dg' se sambhalane ki zaroorat hai, kyaa baat hai..

badiyaa charcha.. hafte ke ant mein aaram se padhungi

बहुत बढ़िया चर्चा.

बहुत उम्दा चर्चा..आभार|

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