बुधवार, 24 जुलाई 2013

कइसे कही कि सावन आयल... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...लम्हा - लम्हा जिंदगी कुछ यूँ सिमट गई , जो मज़ा था इंतजार में अब सज़ा बन गई | दर्द और ख़ुशी के बीच दूरियां जो बड गई , दिलो के दरमियाँ मोहोब्बत कम हो गई | चिठ्ठी - तार बीते जमाने की बात हो गई , आधुनिक दौड़ में वो बंद किताब हो गई | कुछ सवाल हदों की सीमाएं पार कर गई , वक़्त के साथ अपने कई निशां छोड़ गई | खफा नहीं , जिंदगी हमपे मेहरबान हो गई , भडास निकली तो बात आई - गई हो गई |  पल - पल बदलता वक़्त ... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता ......

सावन झूम के - मेरे मन के सावन को मैं अक्सर रोक लेती हूँ अपने ही भीतर. बंद कर देती हूँ आँखों के पट आंसुओं को समेट के . मार देती हूँ कुण्डी मुंह पे ,सिसकियों को उनमें ... .हौले से रखना कदम ओ सावन... - पूरनमाशी के रोज आषाढ़ ने सावन से कुछ शर्त लगा ली. आषाढ़ की बारिश का गुरूर ही कुछ और होता है और कैलेण्डर तो बस याद के पन्ने पलटता है. मगरूर आषाढ़ बोला कि..सावन है आया अब चले आओ .... - आज कोई भी बहाना न बनाओ पुकारा है तुम्हें, अब चले आओ तप्त सूरज सागर में समाये ... 

दिल्ली की कार वाली बाई और ठगों की जमात - नागपुर में डायमंड क्रासिंग दिल्ली में कार वाली बाई ने टक्कर क्या मारी सारा नक्शा ही बदल गया। छठी इंद्री जागृत हो गई, जैसे जापानी झेन गुरु अपने शिष्य के सिर.. मनोहारी सिंह का साक्षात्कार – ३ - (पिछली क़िस्त से आगे) उन दिनों आप म्यूजिक अरेंजिंग का काम भी कर रहे थे? ‘इंसान जाग उठा’ के बाद मैं बासु चटर्जी के साथ एस. डी. बर्मन का आधिकारिक अरे....स्कूलों के मध्याह्न भोजन की समस्या - *खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाली दुकानों का स्कूल के अधिकारियों से दूर-दूर का वास्ता न हो, इसका ध्यान रखा जाए. सप्लायर और स्कूल के गठबंधन पर नजर रखी जाए. ...

कइले कही कि सावन आयल ! - कत्तो बिजुरी नाहीं चमकल एक्को बुन्नी नाहीं बरसल धरती धूप ताप धधायल कइसे कही कि सावन आयल ! कउने डांड़े बदरा-बदरी खेलत हउवन पकरा-पकरी ? ... बन जाओ न नीला समंदर..... - जि‍न आंखों में थे कई सपने छलकता था प्‍यार और जि‍नमें गहरा गुलाबी हो चला था अनुराग का रंग अब वहां कैसे उमड़ आया रेत का समंदर क्‍यों आने दि‍या तुमने हमारे..दिल के टुकड़े - गुडिया गिर गई उसके हाथ ,पैर टूटकर अलग हो गये। फ़ेविक़ुइक लाया उस से जोड़ा , गुडिया ठीक हो गई। दिल के टुकड़े को किस से जोडू ? रिश्ते के मधुर बंधन से बंधा था... 

जीवन का कोई मोल नहीं - सड़क, स्कूल या घर का आँगन हमारे यहाँ सबसे सस्ती चीज़ अगर कोई है तो वो है जीवन । कोई घटना या दुर्घटना हो जाय उसे भूलने और फिर दोहराने में कोई हमारी बराबर...BJP के लिए खतरा बन रहे आडवाणी ! - भारतीय जनता पार्टी के काफी बड़े नेता हैं लालकृष्ण आडवाणी और आजकल वो पार्टी को नुकसान भी काफी बड़ा पहुंचा रहे हैं। दिग्गज और कद्दावर नेताओं का काम है कि वो...वेटिंग टिकट पर यात्रा - आख़िरकार आरक्षण कराकर अपने सफ़र को आरामदायक बनाने का यात्रियों का सपना अब रेलवे के एक नए आदेश के चलते साकार होने की तरफ बढ़ ही चला है... 

घुन लगी हत्यारन व्यवस्था ! - कल रात को टीवी पर खबरें देखते वक्त जब न्यूज एंकर ने दिल्ली के ग्रीनपार्क इलाके में एक ३३ वर्षीय डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता आनंद भास्कर मोरला की भरी दोपह...राहुल गांधी : तुम आये तो आया मुझे याद, गली में आज चाँद निकला - राहुल गांधी, युवा चेहरा। समय 2009 लोक सभा चुनाव। समय चार साल बाद । युवा कांग्रेस उपाध्‍यक्ष बना पप्‍पू। हफ्ते के पहले दिन कांग्रेस की मीडिया कनक्‍लेव। ...   बाइपास "............मेरा दृष्टिकोण - आयकर एवं वैट अधिवक्ता मलिक राजकुमार जी साहित्य जगत में एक जाना पहचाना नाम हैं । कितने ही कहानी संग्रह, कविता संग्रह उपन्यास , यात्रा वर्णन आदि ..  

आत्महत्या भाग २  *मैं जीना चाहता हूँ जिंदगी तेरे संग* ***** ज़िन्दगी तुझसे तंग आ गया हूँ? सोचता हूँ तुझसे होकर पृथक एक नई पारी को अंजाम दूँ बंध जाऊं नये बंधन में जिसे मैं चाहता हूँ अपनी जान से ज्यादा जो रहेगी बन सहचरी ....उसके बाद .....? गाँव दीना सर में आज एक अजीब सी ख़ामोशी थी लेकिन लोगों के मन में एक हड़कंपथा। होठों पर ताले लगे हुए थे और मनों में कोलाहल मचा था। कोई भी बोलना नहीं चाह रहा था लेकिन अंतर्मन शोर से फटा जा रहा था। दरवाज़े बंद थे घरों के लेकिन खिडकियों की ओट से झांकते दहशत ज़दा चेहरे थे ....अहसास... अहसास *माँ* ह्रदय में वात्सल्य का सागर होठों में दुलार कीमुस्कान आँखों में ममता केआँसू यही तो है माँकी पहचान *रंग* रंगों का संसार निरालाहै हर रंग में खुदको ढ़ाला है कुछ रंग से खुशीचुराई कुछ रंग में दर्दको पाला है *....

कार्टून :- हि‍जड़ों की कारगुजारि‍यां

 

दीजिये इज़ाजत नमस्कार .....

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