रविवार, 31 अक्तूबर 2010

सोमा वीरा की कहानी .. युवा शक्ति आत्‍मरक्षा परिसंघ .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , भ्रष्‍टाचार के मामलों में हमारा देश दिन ब दिन एक एक पायदान चढता जा रहा है। साउथ मुंबई के पॉश एरिया में बनी आदर्श सोसायटी मुंबई इस बात की जीवंत मिसाल है कि अफसर और राजनीतिज्ञ किस तरह सरकारी माल लूटते हैं। इसके बनने में हर स्तर पर नियमों का उल्लंघन हुआ है। जिस जगह पर यह टॉवर बना है वहां मूलत: कारगिल के वीर और विधवाओं के लिए छह मंजिली इमारत बनने वाली थी। बाद में सेना के 40 अधिकारियों ने इसे आर्मी का भूखंड बताकर वहां सोसायटी बनाने का प्रस्ताव महाराष्ट्र सरकार को भेजा। धांधली वहां से शुरू हुई। वह भूखंड राज्य सरकार का होने का राज पता चलते ही धांधली के चक्र तेजी से घूमने लगे। पहले नगर विकास ने इमारत के पास से गुजरने वाली सड़क छोटी बनाकर एक भूखंड निकाला । उसे मूल जमीन में मिलाया गया, पर फिर भी एफएसआई कम पड़ गया तो बेस्ट की जगह का एफएसआई भी आदर्श के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति प्राप्त की गई। इस काम में जिस जिस की मदद की जरूरत थी, उसे एक फ्लैट आवंटित करके वैधता का जाल बुना गया। सोसायटी के सदस्यों की पात्रता की औपचारिकता पूरी करने के लिए कोआपरेटिव विभाग से मिलीभगत की गई। भारत में ये सब तो चलता ही रहेगा , मैं आज नए चिट्ठों की वार्ता पर आपलोगों को लिए चलती हूं ...
विंडो एक्स पी में  डेस्कटॉप का appearance बदलना -

TRUE VOICE OF HEART ... अमरदीप सिंह जी की सुनिए ....

कन्या भ्रूण हत्या के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है और सुना है . मेरी राय भी ऐसी ही थी इस बारे में पढ़ कर बातें कर के जो एक बात सामने आती है या जिसका हम निष्कर्ष निकलते है वो ये की कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोग ही ऐसा घिनौना कृत्य कर रहे है जो सिर्फ वंश वृद्धि का सोचते है लड़के की चाह रखते है …मगर ऐसा नहीं है ये सोच सिर्फ लड़के की चाह या वंश वृद्धि तक की बात नहीं बात की हकीकत कुछ और है दुःख लड़की पैदा होने का नहीं है सवाल वंश का भी नहीं… 

शाम के सात बजे थे । सडको पर लोग तेज़ी से अपने अपने घरो की ओर जा रहे थे।मै भी अपनी बाइक से घर कीतरफ जा रहा था। सब्ज़ी मंडी से गुज़र रहा था चौराहे की दुकान पर कई लोग चाट पकोड़ी के चटखारे ले रहे थे। वहीपास मे सड़क के किनारे दो छोटे बच्चे खड़े थे , होंगे कुछ चार साल और एक उस से छोटा , काले कपडे भूरी आँखे , मासूम से , हाथ मे थेली । वो भी घर जाना चाहते थे। घर दूर था तो सड़क किनारे मदद मांग रहे थे आन जाने वालोसे, पर कोई उन पर ध्यान नहीं दे रहा था। मे भी अपनी मस्ती मे था।

जन्म नवंबर 1932, लखनउ (उ.प्र.) भारत में; शिक्षा : बी.ए. (पत्रकारिता), एम.ए. इकोनॉमिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशंस, यूनिवर्सिटी आफ़ कोलोराडो, बोलडर, यू.एस.ए.। पी-एच.डी., इंटरनेशनल रिलेशंस एंड इन इंटरनेशनल इकोनॉमिक डेवलपमेंट, न्यूयार्क यूनिवर्सिटी अमरीका; पचास के दशक के अंतिम भाग में अमरीका आईं। सन् 2004 में उनका देहावसान हो गया। वे एक सशक्त हिंदी लेखिका थीं, साथ ही साथ अँग्रेज़ी में 'साइंस फिक्शन' की सशक्त हस्ताक्षर थीं। दस वर्ष की छोटी उम्र से ही उनके लेख प्रकाशित होने लगे थे। 'नवभारत टाइम्स' बंबई में बच्चों के पृष्ठ तैयार करने में उनका सक्रिय योगदान रहा। सन् 1962 में उनकी पुस्तक 'धरती की बेटी' प्रकाशित हुई। सोमा वीरा ने हिंदी में सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं। 

राजनीति हमारे समाज का इक अभिन्न अंग है, चाहते या ना चाहते हुए भी हम इससे जुड़े रहते हैं. यह संभव है कि हम प्रत्यक्ष रूप से इसकी निंदा करें परन्तु हमें इस बात का ज्ञान है कि इसके बिना हमारे समाज कि व्यवस्था नहीं चल सकती. किसी व्यक्ति विशेष लिए राजनीति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब वो या उसके परिवार को कोई सदस्य राजनीति का एक हिस्सा बनने के लिए कदम उठता है. 

एक बार राजधानी के सबसे बड़े मोबाइल टावर में कौवो का सेमीनार हुआ। मुद्दा था वर्तमान हालातों का केसे सामना किया जाय ।पहले काग देवता के नाम से हमें पूजा जाता था । रोज सुबह लोग अपनी छतों पर कुछ न कुछ खाने को रख ही देते थे । अब तो लोंगों के पेट खुद ही इतने बढ़ गए हैं कि उनका पेट ही नहीं भरता ।जितना मिल जाय उतना ही कम । कूड़ेदान में भी फेंकते हैं तो सिर्फ पोलीथीन की पोटली । 

शेषधर तिवारी जी का चिंतन पढिए ....

आर्यन जी की 24 घंटे ....... 

संतू की आंखों के सामने हर उस पल की तस्वीर थी.... सात साल पहले जिंदगी के वो खूबसूरत पल....  हर हाल में खुशहाल रहने वाला संतू.... अचानक एक दिन गांव में पुलिस का काफिला आता है... उस समय वो गांव के बाहर बगीचे में बैठा परिंदों की मस्ती निहार रहा होता है....  

अनामिका उवाच पर भी डालिए एक नजर .....

अक्सर देखा यह गया है कि कुछ लोगों की प्रकृति या कहें प्रवृत्ति ऐसी होती है कि उन्हें अच्छाई में भी खोट नजर आने लगती है। किसी सही बात की तारीफ की उम्मीद तो इनसे करना बेकार है, ये तो उसमें भी मीन-मेख निकालने से नहीं चूकते। शायद ऐसी ही प्रवृत्ति जनता दल (यू) अध्यक्ष शरद यादव की भी होती जा रही है।

मै उसके प्यार में पागल हूँ ऐसा लोग कहते हैं
मै उसकी आँख से घायल हूँ ऐसा लोग कहते है 
वो कहता है मेरे चर्चे उसे बदनाम कर देंगे 
मगर मै तो नहीं कहता हू ऐसा लोग कहते है

हिचकता है, झिझकता है, सिमटता है ,बिखरता है

मुझे जब देखता है वो  तो  आहें  सर्द   भरता  है
मचलता है वो जब तक दूर है तो पास आने को
मगर जब पास आता है तो शर्मा कर गुजरता है

कमांडिंग - इस स्थिति प्रकार में, आप पूरी तरह से विश्वास है और अपने हमलावर का डर नहीं लग रहा है. आपकी उपस्थिति और फर्म आप का लाभ उठाने का उपयोग करने की अनुमति संकल्प, कुचल दबाव, और बेहतर स्थिति के माध्यम से शक्ति (बजाय मांसपेशी की तुलना में) उसे रोकने और उसे नियंत्रित करते हैं. चूंकि आप तनाव के प्रभाव को सीमित नहीं लग रहे हैं, और अपने हमलावर कोई है जो भय, क्रोध, या एक दूर करने के लिए चलाने की जरूरत की भावनाओं के कारण नहीं है, आप उसे दिखाने मुक्त है कि वह पहले से ही befoe वह कभी throew खो दिया था रहे हैं पहले पंच, ले लो, या लात. इस "मॉड्यूल 1" का सार है.

मैं  क्यों  हैरान  होता 
      पल  पल  क़ि  बातो  में  
सभाल  ना  पाता  अपने  धीरज  को 
      बह  जाता   इसी  हैरानी  में
अन्दर  का  आक्रोश  जाग  जाता 
      पल  भर  क़ि   लाचारी   में 
भूल   जाता  आज  कल  वर्तमान  को 
      उत्तेजत  हो  जाता  मन  इसी   परेशानी  में  

रोटियाँ सेंकने को बैठे रह गए
चूल्हा है कि जला ही नही
अब क्या खायेंगे?
कमबख्तों ने लकड़ियाँ भी नहीं दी
अब आग कैसे जलाएंगे?
नही जलेगी आग,तब
मुर्गे कैसे भुने जायेंगे?

आफिस के एक बड़े साहब
मोम की गुडिया, जहर की पुडिया।
बुदापे का दर्द सालता है
अपने मूछों को हटा डालता है।
उम्र की दर से डरा यह आदमी
दूर करने अपनी अंदरूनी कमी,
सफ़ेद मुसली की जड़ मंगाता है
छोटी सी कली कोट में लगता है
हर किसी को मटुक और जुली का पाठ पढाता।

सब ब्लोगी भइया बहिनों को इस छोटे भाई का प्रणाम .... नया हूँ .... अरे नही धरती पर तो बहुत पहले आया हूँ ... ७९ मॉडल हूँ .... कंप्यूटर से भी बहुत दिनों से जुडा । .... पर कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है ...क्या ख़याल आता है !!!!.... ये ही तो पता नही चलता .... पर अब पता चलेगा ....

अब हम जो आपको  बताने जा रहे हैं वो आपके मनचाहे विजिटिंग कार्ड पाने की सबसे आसान और किफायती विधि है | इस विधि को सबसे आसान कहने का कारण है की आपके पास हजारों सेम्पल्स हैं जिनमे से आप अपना विजिटिंग कार्ड चुन सकते हैं | और उसके लिए आपको अपने कार्य क्षेत्र से या घर से बाहर निकलने की कोई जरुरत नहीं है | तो ये वेबसाइट आपको किसी के पास घंटो बैठकर समय बर्बाद करने से बचाता है |

अंशुमान तिवारी, नई दिल्ली किस्मत को कोसिए कि आप को राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति में नौकरी क्यों नहीं मिली? सरकार का यही तो एक ठिकाना था, जहां तनख्वाहें डेढ़ से दो साल में तीन गुनी तक हो सकती थीं और मनमाने भत्ते व प्रमोशन मिल सकते था। आयोजन समिति ने नियमों को ताक पर रखकर वेतन भत्तों में तीन साल में दो बार बढ़ोत्तरी कर दी। टीम कलमाड़ी के चहेतों ने इसमें भी खूब मलाई काटी और यह सब आयोजन समिति बनने के बाद पहले तीन वर्षो (2005 से 2008) में हुआ, जब खेलों की तैयारियों का पत्ता भी नही खड़का था।

“Only first class business and that in first class way......” David Ogilvy की ये लाइने विज्ञापन जगत की रीढ़ की हड्डी मानी जाती हैं, David Ogilvy ने विज्ञापन जगत को नायब नुस्खे दिए हैं 1948 में उन्होंने अपनी फार्म की शुरुआत की,जो बाद में Ogilvy & Mather के नाम से जानी गई ,,,,,,और जिस समय काम शुरू किया उनका एक भी ग्राहक नही था लेकिन ग्राहक की नब्ज पकड़ने में माहिर थे और कुछ ही वर्षो में उनकी कंपनी दुनिया की आठ बड़ी विज्ञापन जगत की कंपनी में से एक बनी और कई नामी ब्रांड्स को उन्होनी नई पहचान दी 

दुनिया मेरी नजर से .. यानि रूद्राक्ष पाठक जी की नजर से ...
दुनिया की सबसे सस्ती कार कही जाने वाली टाटा नेनो अब फिर से महंगी होने वाली है | देश की दिग्गज वहां कंपनी टाटा मोटर्स ने नवम्बर की पहले तारीख से इस कार के दम 9000 रूपए तक बदने का एलन किया है |
एसा दूसरी बार हो रहा है इससे पहले कंपनी ने कार की कीमत 2 से 3 प्रतिशत तक बड़ाई थी | यह बढोतरी अलग अलग मॉडल्स के लिए थी |  कंपनी ने एसा करने का कारण बदती लगत को पूरा करने का बताया है | 
ज़िन्दगी में सफ़र तो हर घडी हर मोड़ आते हैं पर कुछ सफ़र यादगार बन जाते हैं | ऐसी ही एक खुशगवार यात्रा मैंने की जिसकी याद आज तक मन में समाई हुई है |
दिल में उतर आये साए यादों के 
क्या कुछ साथ नहीं लाये यादों के 

हरिद्वार : 

हमारी यात्रा शुरू होती है हरिद्वार से , जिसके बारे में देश विदेशों के सभी लोग जानते हैं |
बस अभी इतना ही  .. फिर मिलते हैं एक सप्‍ताह के बाद ..ललित जी तो अभी  राज्‍योत्‍सव आयोजन में व्‍यस्‍त हैं,दिल्‍ली से लौट चुके शिवम जी कल की वार्ता लेकर आएंगे!!

शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

आज़ की इमरजेंस वार्ता : बज़्ज़ इन दिनों समीर बाबू के आगमन को लेकर हलाकान है. ..

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महेंद्र मिश्रा जी की पोस्ट


बज़्ज़ इन दिनों समीर बाबू के आगमन को लेकर हलाकान है. ...17 घण्टे उनके कैसे कटेंगे ट्रेन में. इस सूचना पर चर्चा चल ही रही थी कि . अनुष्का को साथ लेकर मेरी (हमारी) छुटकी बहना रानी विशाल दामाद साब सहित आने की खबर आने लगी उधर जर्मनी वाले दादाजी  भी बोरा फ़ट्टा बांध के पराये-देश से ही ब्लागर्स मिलन का सपना लेकर पधारने वाले हैं.  अपने देश तैयार इन्डिया आने को इधर इंडिया की स्थिति देखिये   यह पुलिस वाले हैं या फिर जल्लाद जालंधर के भोगपुर थाने में  धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ के लिए लाये गये एक व्यक्ति के साथ लेकिन पुलिस वालों ने उसके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया। आरोपी को थाने के एक कमरे में जमीन पर लिटा दिया गया और फिर उसकी जेब से पर्स और कागज निकाल लिए गए। एक पुलिस वाले वाले ने उसको ऐसे दबोच लिया कि वो उठ ही न पाए और फिर दूसरे पुलिस वाले ने उसके शरीर पर इतनी बेहरमी से बेल्ट बरसाईं कि हिल तक नहीं सका।(इंडियन-सिटिज़न)बहुत चिंतित हैं.कनाडा वाली मोनिका जी भी भारत को खूब मिस करतीं हैं. ज़रा देखिये तो उनका ब्लाग. "परवाज़: शब्दों के पंख
    
   सच सभी को अपनी जन्म भूमि  कितनी याद आती है इसकी तड़प का एहसास कितना रुलाता होगा इसका एहसास हमें कैसे हो सकता है. 
                  खैर चौखट में अपना नाम तो नहीं है जिनका है वो देख आवें हम देख आये नम हो न हो पोस्ट बेहतरीन है तभी तो छापी है गगनांचल ने.. गोस्वामी बहनजी बज्ज़ पे आते ही मैं तो ऐसिइच्च हूं की आवाज़ लगातीं हैं उससे कुछ हट के   श्रवण शुक्ला ने अच्छी कविता लिखी है जीवन एक संघर्ष में ज़रूर देखिये.शास्त्रीय संगीत के लिये ब्लाग इंडियन रागा का दौरा इस प्रवेश द्वार से होगा जी =>"indian raga"फिलहाल  दीपाली  नाग  की  साधना  में  खो  जाइए . देशनामा पर पाबला जी के हवाले से जिस बात का खुलासा किया खुशदीप जी ने वो वास्तव में परा-शक्ति के अस्तित्व का  एहसास दिलाने वाली बात है.  बात गम्भीर हो चली तो चलिये मिल आते है सुबीर संवाद सेवा..केन्द्र जहां मुशायरे का आनंद लीजिये और अलबेला जी की प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु इधर पहुंचिये जी. जबलपुर में विवेचना का नाट्य समारोह जारी है. रपट मिलेगी हिन्दी साहित्य संगम पर. समयचक्र पर मिश्रा जी की पोस्ट अवश्य देखिए .....ओह उब गये हैं ... मन अब राम राम करने को चाहता हैं...!!
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 मेरी प्यारी बहना 
आज मन कर रहा है कि मैं दू तुम्हे कुछ न कुछ 
पर क्या दू है ही क्या पास मेरे 
हूँ तो एक छोटा सा कवि
कविता ही है मेरे पास 
दुआए ही दे सकता हूँ खुदा कि इच्छा से 
जो रक्खे सदा तुम्हे खुश 
तुम्हारे नए जीवन में ,(आदत मुस्कुराने की पर संजय भास्कर )
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अंत में आज़ का राशि फ़ल देखिये और मुझे विदा दीजिये सादर अभिवादन  आज़ भाई ललित के नेट की तबीयत बहुत खराब है सो आज़ की इमरजेंस वार्ता इस सूचना के साथ समाप्त की जाती है कि संस्कारधानी जबलपुर के दो युवा पत्रकार  अजय त्रिपाठी एवम धीरज़ शाह की वजह से जबलपुर का  डिज़िटल अखबार की दुनियां में प्रवेश हो ही गया है.

शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

महाघाघ ऑफ ब्लॉगजगत--ब्‍लॉगरी का पहला पाठ ---- ललित शर्मा

नमस्कार, बीएसएनएल के नेट महाराज नाराज थे, तीन दिनों से हम कुछ काम कर ही नहीं पा रहे थे। कल रात उनकी नाराजगी दूर हूई। अब हमने एक समाधान और निकाल है आज आईडिया का नेट शेटर और ले आए। एक नाराज है तो दूसरे से काम चला लेंगे। दोनों का एक साथ नाराज होना मुस्किल है। इसलिए काम चल जाएगा। अगर दोनो नाराज हुए तो एक सिम फ़ोटोन की लेकर आएगें। लेकिन पीछा नहीं छोड़ेगें। तुम डाल-डाल हम पात-पात। अब चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर.......

सबसे पहले मनाते हैं महफूज अली का जन्म दिन..फ़िर चलते हैं घाघों के घाघ ’महाघाघ ऑफ ब्लॉगजगत’ की पोस्ट पर.अभी पता चला कि मुंबई एक, चेहरे दो हैं। नीलकमल पांडे जी कह रही हैं करवा-चौथ या जीवन बीमा. अभी समाचार मि्ला है कि जीत गया दबंग ! इन्हे ब्रिटेन में दिवाली और छत्तीसगढ़ में राज्योत्सव पर ढेर सारी शुभकामनाएं शिवम बाबु ने महफूज़ भाई, जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं  एवं स्पेशल बधाई दी है और दो चौके आठ पढ़ें ब्‍लॉगरी का पहला पाठ पढने संत नगर के संत से मिल लिए हैं।

 शर्म की पोशाक को वह छोड़ करके आ गया   परिकल्पना पर रविन्द्र प्रभात जी लिख रहे हैं युवा सोच युवा खयालात कुलवंत हैप्पी होकर लौट आए हैं बज्ज से गिरीश दादा यह समाचार लाए हैं।मिसीर जी का भी मन राम राम करने का हो रहा है।प्रकाश के भीतर का अन्धकार दुर हो जाए तो जीवन स्वर्ग बन जाए।आखरी दिन नियम में फेर बदल कर दिया है अलबेला खत्री ने और श्रीगंगानगर में "गुंडे" की दहशत बता रहे हैं नारद मुनि।हमारे धार्मिक उत्‍सव और पर्व  के साथ ‘विजयोत्सव’ मना रहे हैं।

नेट से पैसा कैसे कमाऎं? सबसे आसान तरीका सीखना है तो कुन्नु सिंग के ब्लॉग पर जाईए।दिल में बसा के प्यार का तूफान ले चले सुनील कुमार के ब्लाग पर पहुंचे।आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है बस पूछते रहें, कभी न कभी तो जवाब मिल जाएगा दिल से।

चलते चलते व्यंग्य चित्र


वार्ता को देते हैं विराम--मिलते हैं ब्रेक के बाद -- सबको राम राम.................

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

सलमानी संस्कृति,अरुंधति राय , बाबा जी और बंदर

http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/5/53/Arundhati_roy.jpg
अरुंधती राय

आज़ एन डी टी वी पर मज़ेदार सीन "राम देव बाबा के शिविर में बंदर"
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/3/30/Chhatisgarh_state_and_districts.png
छत्तीसग
आज का दिन कुल मिला कर मुझे भी भी रास न आया. रास तो ये पूरा महीना ही नहीं आ रहा पर आज़ कुछ खास है एक तो फ़ुसतिया जी से न मिल पाना, मध्य-प्रदेश के सहोदर प्रदेश छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक-आयोजन पर संजीत जी की के ज़रिये आई पोस्ट चिंतन करने एवम वडनेकर जी की टिप्पणी :अजित वडनेरकर said..."भाई, आप क्यों सवाल खड़े करते हो? अब हर तरह के कार्यक्रमों की शोभा फिल्मी आइटम्स से ही बनती है। अधकचरे राजनेताओं के लिए संस्कृति का अर्थ ही फूहड़ता है। दो टके की कॉलेज राजनीति से सत्ता पानेवाले चवन्नी छाप नेताओं के लिए राष्ट्रीय या प्रदेश की गरिमा बढ़ानेवाले संस्कृतिकर्म का अर्थ ही महाविद्यालय स्तर के वार्षिकोत्सव जैसे आयोजन करना रह गया है। वही उन्होंने सीखा और वही उन्हें आता है।" बात सही तो कह रहे हैं अजित भैया.उधर अरुंधती राय की बात पर मगज़ मारी करने से अच्छा होगा कि   सुरेश चिपलूंकर की बात ज़रूर देखनी चाहिये . इसके साथ साथ  मशहूर शतरंज के खिलाड़ी विशनाथन आनंद के "अपमान" के संदर्भ वाली पोस्ट को देखना ज़रूरी है. वैसे आप कितना यक़ीन करतें हैं दैनिक भविष्य-फ़ल पर मुझे नहीं मालूम बस इतना जानता हूं कि संगीता पुरी जी का काम रुकता नहीं देखें "आज का राशिफ़ल " जो कभी  हमने नहीं सोचा वो सोचते हैं खुशदीप भैया. "मुम्बई एक : चेहरे दो "
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 नये ब्लाग्स को देखने की ज़रूरत है 
दुलारने की भी 
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आज़ ब्लागर्स के लिये दो सुखद सूचनाएं भी हैं
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh61gIq2irKEARe5jf138anVMDOD6CJxEbNOW8x4_6Aci1bCm_LzcYfXgeRdoDW7M5LEhbO8m2y2EtGZQtSn5zS32BgxMZykwFUDnX4kW57zGl6e3yAyVNGW717RfZ0sGjt9yoU3OswpS3s/s1600/102_4284.JPG 
एक तो स्नेहिल :- महफ़ूज़ का जन्म दिन दूसरा प्रवक्ता की उम्र दो बरस हो गई
दौनों के दीर्घायु होने की प्रार्थना के साथ विदा चाहता हूं 
भूल चूक : अनुष्का और समीर भाई भारत पधार रहे हैं



बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

ई-पंडित जी के ब्लॉग से उपयोगी लिंक्स .. आह चांद वाह चांद .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

पश्चिमी इंडोनेशिया में जबरदस्त भूकंप के बाद आई दस फीट ऊंची सुनामी ने भारी तबाही मचाई है। 
सुनामी की चपेट में आने से 113 लोगों की मौत हो गई जबकि आठ विदेशी पर्यटकों समेत सैकड़ों लापता हैं। अधिकारियों के मुताबिक, पानी में उठे जलजले ने कई गांवों को नुकसान पहुंचाया है जिसकी वजह से हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मेंतावयी द्वीप में सोमवार को 7.7 तीव्रता वाला शक्तिशाली भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र समुद्र में 20 किलोमीटर नीचे स्थित था।
इसके बाद मंगलवार को समुद्र में उठी लहर ने 10 गावों को अपनी चपेट में ले लिया। यह द्वीप विदेशी सैलानियों की पंसदीदा जगह हैं आैर यहां अक्सर लोग सर्फिंग का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते हैं। यही वजह है कि कई सैलानी भी सुनामी के बाद से लापता बताए जा रहे हैं। प्रकृति से छेडछाड का ये नतीजा हमें झेलना ही होगा , मुसीबत में पडे लोगों को इस मुसीबत पर भी विजय प्राप्‍त करने की शुभकामनाएं देते हुए चलते हैं, ब्‍लॉग4वार्ता की ओर .....

आज शेफाली पांडे तथा कुलवन्त हैप्पी का जनमदिन है

आज, 27 अक्टूबर को मास्टरनीनामा वाली 'कुमाऊँनी चेली' शेफाली पांडे और  युवा सोच युवा ख्यालात, खुली खिड़की वाले कुलवन्त हैप्पी का जनमदिन है। दोनो को बधाई व शुभकामनाएँ

प्रवीण त्रिवेदी जी लेकर आए है .. तकनीकी के मास्साब :-) इ-पंडित जी के ब्लॉग से उपयोगी लिंक्स.... 

उपयोगी लिंक्स की आज की कड़ी में पेश है ...पुराने तकनीकी के मास्साब :-) इ-पंडित जी के ब्लॉग से तकनीकी सहायता


लीक से हटकर सोंचने का कमाल बता रहे हैं खुशदीप सहगल जी .... ये किस्सा अरसा पहले एक भारतीय गांव का है...एक गरीब किसान को मजबूरी में गांव के साहूकार से कर्ज़ लेना पड़ा...साहूकार अधेड़ और बदसूरत होने के बावजूद किसान की खूबसूरत जवान लड़की पर बुरी नज़र रखता था

आह चाँद या वाह चाँद ......

कहते हैं आज के दिन चाँद को देखें तो चोरी का दाग लगता है।  जिस चाँद ने इतना दूर होकर भी अपना माना, उसे इस डर से न देखूँ कि मुझ पर चोरी का दाग लगेगा? हा हा हा........।  इल्ज़ाम कुछ छोटा नहीं लग रहा है यारों, कोई भारी सा इल्ज़ाम सोचना था?     आज तो जरूर देखूँगा कि आज और बहुत सारों से मुकाबला नहीं करना होगा मुझे।  सिर्फ़ मैं और मेरा चाँद होंगे, बहुत दूर लेकिन बहुत पास।  
और धर्म और समाज के ठेकेदारों, मुझ जैसे को  बरजना था तो यह कहा होता कि आज चाँद को देखोगे तो चाँद को छींक आ जायेगी, फ़िर नहीं देखता मैं।

रचनाकार में मंजरी शुक्ल की कविता – गए थे परदेस में रोटी कमाने…

गए थे परदेस में रोजी रोटी कमाने
चेहरे वहां  हजारों थे पर सभी अनजाने


दिन बीतते रहे महीने बनकर
अपने शहर से ही हुए बेगाने


गोल रोटी ने कुछ ऐसा चक्कर चलाया
कभी रहे घर तो कभी पहुंचे  थाने




 किसी से आपको अपने शारीरिक बल की तुलना करनी है, उसके द्वारा निचोड़े कपड़े को निचोड़ें, यदि कुछ जल निकले तो जान लीजिये कि आपका बल अधिक है। बचपन में यह एक साधन रहता था खेल का और बल नापने का। कुछ दिन पहले पुत्र महोदय को हमसे शक्ति प्रदर्शन की सूझी तो यह प्रकरण याद आया, साथ ही यह भी याद आया कि पहले अपने कपड़े हम स्वयं ही धोते थे।

भूखे-नंगे हिन्दुस्तान का नारा एक गाली की तरह है..... 

हमारे जैसे लोग, जो अरुंधति राय को उनके किताब को बुकर प्राइज मिलने को लेकर जानते थे, आज उनके सनकपन लिये बयान के लिए जानते हैं. कुछ बुद्धिजीवी, कुछ विचारक, कुछ ब्लागर और कुछ तथाकथित पत्रकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अरुंधति का समर्थन करते हैं. हमारे देश में प्रजातंत्र का खुला स्वरूप हर उस बागी तेवर को पसंद करता है, जो इसकी धार को कम करता है. हमारे यहां सीमा पार कर रहे विचारकों का स्वागत किया जाता है. हम उन्हें हीरो बनाने में पीछे नहीं हटते हैं.

मन का पाखी में पढिए .... चुभन, टूटते सपनो की किरचों की..... 

अपना तकिया,अपना बिस्तर अपनी  दीवारें...और अपना खाली-खाली  सा कमरा...जिसने पूरे चौबीस साल तक उसकी हंसी-ख़ुशी-गम -आँसू सब देखे थे. उसके ग़मज़दा होने पर  कभी पुचकार कर अंक में भर लेता , कभी शिकायत करता ,इतना बेतरतीब क्यूँ रखा है तो कभी सजाने संवारने पर मुस्कुरा उठता . पिछले पांच बरस से जब-जब अपने कमरे में आती है लगता है ,जैसे शिकायत  कर रही हो दीवारें...इतने दिनों बाद सुध ली? तकिये पर सर रखते ही लगा,उसी पुरानी खुशबू ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है. पलकें मुंदने लगी थीं.

 

त्यौहार सामने है और मेरी उत्तमार्द्ध, दोनों बेटे और बहू, चारों के चारों मुझसे खिन्न हैं। मजे की बात यह है कि ये चारों मेरी प्रत्येक बात से सहमत हैं फिर भी चाहते हैं कि मैं अपनी बातें एक तरफ सरका कर उनकी बात मान लूँ - बिना कुछ बोले। आँखें मूँद कर। 

कविताओं में प्रतीक शब्दों में नए सूक्ष्म अर्थ भरता है .. मनोज कुमार जी ....

यर्थाथ के धरातल पर हम अगर चीजों को देखें तो लगता है कि हमारे संप्रेषण में एक जड़ता सी आ गई है। यदि हमारी अनुभूतियां, हमारी संवेदनाएं, यर्थाथपरक भाषा में संप्रेषित हो तो बड़ा ही सपाट लगेगा। शायद वह संवेदना जिसे हम संप्रेषित करना चाहते हैं, संप्रेषित हो भी नहीं। अच्‍छा लगा” और मन भींग गया” में से जो बाद की अभिव्‍यक्ति है, वह हमारी कोमल अनुभूति को दर्शाती है। अतींद्रिय या अगोचर अनुभवों को अभिव्‍यक्ति के लिए भाषा भी सूक्ष्‍म, व्‍यंजनापूर्ण तथा गहन अर्थों का वहन करने वाली होनी चाहिए। भाषा में ये गुण प्रतींकों के माध्‍यम से आते हैं।

स्‍वप्‍न मेरे में दिगंबर नासवा जी को पढिए .. कहने को दिल वाले हैं ...

छीने हुवे निवाले हैं
कहने को दिल वाले हैं


जिसने दुर्गम पर्वत नापे
पग में उन के छाले हैं


अक्षर की जो सेवा करते
रोटी के फिर लाले हैं


खादी की चादर के पीछे
बरछी चाकू भाले हैं


तन पर जिनके उजले कपड़े
मन से उतने काले हैं 
बात तब की है जब खदेरन की फुलमतिया जी से शादी नहीं हुई थी।से बगल के मोहल्ले की एक लड़की पसंद आ गई। दो-चार दिन खदेरन उसके आगे-पीछे घूमा।  लड़की ने भी उसे देख कर हंस मुस्कुरा दिया। खदेरन उस पर फ़िदा हो गया। यार-दोस्तों से सलाह-मशवरा किया उसने। 

१७ नवम्बर २००७ .....निवार्क एयरपोर्ट से आज शाम हम मुंबई के लिए उड़ान भरने वाले है . मैं बहुत ख़ुशी ख़ुशी ममा के  साथ तैयार हो कर बाहर निकली .....मुझे बाहर घूमना बहुत पसंद है, सर्दी भी अब बड़ चुकी है. पापा हम लोगो के साथ एयरपोर्ट आए. मुझे तो यह पता ही  नहीं था कि पापा हमारे साथ नहीं जारहे इसलिए सेक्योरिटी चेक के बाद ही मैं पापा को खोजने लगी .....प्लेन में एयर प्रेशर के कारण मैं थोड़ा रोई भी लेकिन ममा की सबसे बड़ी उलझन तो यह थी कि अभी ८-१० दिन ही हुए थे जो मैंने घुटने चलना शुरू किया था अब मैं बेसिनेट मैं १८ घंटे कैसे चुप चाप बैठूं !!

नन्‍हें सुमन में .. “सेवों का मौसम है आया!”....

देख-देख मन ललचाया है 
सेवों का मौसम आया है ।
कितना सुन्दर रूप तुम्हारा।
लाल रंग है प्यारा-प्यारा।।

अंत में कार्टूनिस्‍ट सुरेश जी की पेशकश .. चुनावी लहर (कार्टून धमाका)...... 

 फिर मिलते हैं .. दो चार दिनों बाद नए चिट्ठों के साथ

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

खूबसूरत पतंगे--प्रीत का रंग--जुग- जुग जिए मेरा पिया--ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

नमस्कार, आज ब्लॉग वार्ता पर सिर्फ़ कुछ लिंक


ताऊ पहेली - 97 (Amar Singh Palace/--Amar Mahal Museum , Jammu ) विजेता : श्री प्रकाश गोविंदप्रिय भाईयो और बहणों, भतीजों और भतीजियों आप सबको घणी रामराम ! हम आपकी सेवा में हाजिर हैं ताऊ पहेली 97 का जवाब लेकर. कल की ताऊ पहेली का सही उत्तर है Amar Singh Palace/--Amar Mahal Museum , Jammu और इसके ब...

आज प्रत्यक्षा तथा अमिताभ 'मीत' का जनमदिन हैआज 26 अक्टूबर को - किस से कहें, कबाड़खाना व सस्ता शेर वाले अमिताभ "मीत" - चोखेर बाली, हिन्दी किताबों का कोना वालीं प्रत्यक्षा का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपन...

हो गया मैं भी लखपति...खुशदीपठन-ठन गोपाल बेशक हूं लेकिन कल मैं भी लखपति हो गया...कल की मेरी पोस्ट पर पाठक संख्या का आंकड़ा एक लाख पार कर गया...सवा साल ही हुआ है ब्लॉगिंग करते...लेकिन ऐसा लगता है कि आप सबको न जाने कब से जानता हूं...मेर...

लाख टके का सवाल !कमाल है ,धमाल है लाख टके का ये सवाल है . कौन यहाँ दानी और कौन दलाल है ! भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में ब...

..और भी फिल्में हुई हैं 50 की...क्या आप जानते है ??इन दिनों मुगलेआजम के प्रदर्शन की स्वर्णजयंती मनायी जा रही है। हर तरफ इस फिल्म की भव्यता, आकर्षण और महत्ता की चर्चा हो रही है, पर क्या आपको पता है कि वर्ष 1960 में मुगलेआजम के साथ-साथ कई और क्लासिक फिल्मो...

पत्रिका में ‘अड़हा के गोठ’25 अक्टूबर 2010 को पत्रिका, रायपुर संस्करण में अड़हा के गोठ की एक पोस्ट

"बचपन और हमारा पर्यावरण"बचपन और हमारा पर्यावरण"* पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम को गति प्रदान करने के लिए एक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है,इसमें आप भी सक्रीय भागीदारी निभा सकते है .प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए यह...

मेहंदी ने तय कर दी, तेरे प्रीत का रंग कितना गहरा हैकरवा चौथ पर ................ " मेहंदी ने तय कर दी, तेरे प्रीत का रंग कितना गहरा है, आज मेरी निगाहें बार बार, हथेली पर टिक जाती है. " हो जाता है इस बात का यकीं देखकर , हर सुहागन क्यों मेहंदी के रंग पर इतरा...

मयखाने में --"जाने वाले सिपाही से पूछो....."उसने कहा था' , कहते हैं पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की इस अमर कहानी का दुनिया की तकरीबन सभी प्रमुख भाषाओं में तर्जुमा हो चुका है और इसके बगैर प्रेम कथाओं का कोई भी संग्रह अधूरा है । १९६० में इस कहानी पर आध...

एक बार फिर आपकी जरुरत आन पडीबहुत दिनों से व्यस्त था गाहे वगाहे ब्लॉग पर आता था पढ़ता था और चला जाता था . एक व्यक्ति को कई भूमिका निभानी पड़ती है तो समय का अकाल तो पड़ता ही है . अभी हमारे यहाँ पंचायत का चुनाव चल रहा था . हमारे बहुत से...

क्‍या इस वर्ष आपके सर सेहरा बंधेगा ?? .. हाथ पीले होंगे ??गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' की दृष्टि से लोगों के विवाह निर्धारण में गोचर के ग्रहों की महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है , भले ही वैवाहिक सुख या कष्‍ट के लिए जन्‍मकालीन ग्रह जिम्‍मेदार हों। पर गोचर के ग्रहों की गत्‍या...

दिल्ली का इन्द्रप्रस्थ पार्क --एक नज़र .दिल्ली में यमुना के किनारे , रिंग रोड पर बने इन्द्रप्रस्थ पार्क में बना है , शांति स्तूप --सफ़ेद संगमरमर में । पार्क में घुसते ही ये खाने पीने की दुकाने हैं । प्रष्ठ भूमि में शांति स्तूप । वहां जाने ...

छत्‍तीसगढ़ी फिल्‍ममनु नायक छत्‍तीसगढ़ी की पहली फिल्‍म, अप्रैल 1965 में रिलीज मनु नायक की 'कहि देबे संदेस' थी, इसी दौर में विजय पांडे-निर्जन तिवारी की 'घर द्वार' भी बनी। वैसे सन 1953 में आई फिल्मिस्‍तान की 'नदिया के पार' के...

दिल की हिफ़ाजत मैं करने लगा हूँ..बस ऐसे ही, दो रोज पहले एक मंच के लिए गीत गुनगुनाया तो सोचा सुनाता चलूँ, शायद पसंद आ जाये. [image: sadsam] जब से बसाया तुझे अपने दिल में, दिल की हिफ़ाजत मैं करने लगा हूँ... नहीं कोई मेरा, दुश्मन जह...

जुग- जुग जिए मेरा पिया ..आज करवा चौथ है ...इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में हड़कंप मचा हुआ है ...तरकीबें और तकनीकें बताई जा रही है ...अपनी पत्नी या बहू को इस व्रत के करने पर क्या तोहफा दिया जाए ...कैसे मदद की जाए ... हद है ......

कुदरत के करिश्मे अरुणाचल के खूबसूरत पतंगे .... :)कहीं आप लोग ये तो नहीं सोच रहे है कि आज अरुणाचल कि सैर कराने की जगह ये अरुणाचल के पतंगों के बारे मे पोस्ट क्यूँ।तो हमे यकीन है कि इस पोस्ट को पढने के बाद आप भी यही कहेंगे। आम तौर पर हम लोग पतंगों की तरफ क...

झट पट वार्ता को देता हूँ विराम -- सभी को राम राम-----

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

पर्यावरण पर आलेख प्रतियोगिता - आओ! करें दुस्साहस - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा


प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

काश ऐसा होता कि आपको एसएमएस या ईमेल लिखने के लिए मोबाइल के बटन न दबाने पड़ें और डिक्टेट करने से ही एसएमएस या ईमेल चले जाते। एक ऐसी मोबाइल एप्लिकेशन लिंगो है, जो आपकी आवाज को टेक्स्ट में बदलने की क्षमता रखती है। लिंगो एक वॉयस रिकनाइजेशन एप्लिकेशन है, जो काफी इंटेलिजेंट भी है। लिंगो आपकी वॉयस को टेक्स्ट में बदल कर एसएमएस और ईमेल भी टाइप कर देगी। आपका फेस बुक अकाउंट भी आपकी आवाज से अपडेट कर देगी। अगर आप ड्राइविंग कर रहे हैं और आपको तुरंत एक एसएमएस टाइप करना है या किसी का नंबर पर कॉल करनी है, तो बस इस एप्लिकेशन को ऑर्डर देना है और यह आपका काम तुरंत कर देगी और आपका समय भी बचाएगी। इसके अलावा इससे गूगल पर वॉयस सर्च भी किया जा सकता है। नोकिया ओवीआई स्टोर ने लिंगो की खूबी देखते हुए इसे यूटिलिटी एप ऑफ द ईयर के खिताब से भी नवाज़ा है |

आइये अब चले आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ....

आज २५ अक्टूबर है .... १९८० में आज के ही दिन भारत के मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी जी का निधन हुआ था |

मैं ब्लॉग 4 वार्ता के पूरे वार्ता दल और आप सब की ओर से साहिर लुधियानवी जी को शत शत नमन करता हूँ !


सादर आपका


शिवम् मिश्रा

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आपके लिए कैसा रहेगा 25 और 26 अक्‍तूबर 2010 का दिन ?? :- ये दो दिन सामान्‍य तौर पर मनोनुकूल वातावरण उपस्थित करेंगे , कई प्रकार की समस्‍याओं से राहत दिखाई पडेगी। मनोनुकूल कार्यक्रम मे लोग डूबे रहेंगे। ये दोनो दिन राष्‍ट्रीय और अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बहुत खुशनुमा ...


“… ..मंजिल पूरी!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”) :- गूगल टॉक पर *चैट! * *मन के आकाश पर * *उड़ रहा है * *जैट!! * *खूब मिल रहा है * *कच्चा माल! * *दिल और दिमाग पर * *छा रहे हैं खयाल!! * *कपड़े की गाँठ में बन्धें हैं * *थान के थान! * *गिरह खोलने ...


आओ! करें दुस्साहस :- कल देर रात (सुबह साढ़े तीन बजे) तक काम करता रहा। कुछ दिनों से कम्प्यूटर खराब पड़ा था। दुरुस्ती के लिए भेजा हुआ था। कागज-पत्तर टटोलते-टटोलते एक कविता हाथ आई। जब इसकी नकल की तब इसके रचयिता का नाम लिखना भूल...


ओवर कम्युनिकेशन यानि नॉन कम्युनिकेशन :- हर वक्त ऑनलाइन रहते हैं..... आवाज़ ही अब चेहरा भी देखा जा सकता है।/ यानि ना इंतजार ना तड़प।
घर से बाज़ार के बीच मियां बीबी की फोन पर पांच बार बातचीत हो जाती है।/ जब घर पर होते हैं एक इन्टरनेट पर व्यस्त है तो दूसरा टीवी देखने में ।


आधुनिक शिक्षा की दौड़ में कहाँ हैं हमारे सांस्कृतिक मूल्य :- क्या शिक्षा में सांस्कृतिक मूल्य नहीं होने चाहिये, शिक्षा केवल आधुनिक विषयों पर ही होना चाहिये जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो सकें या फ़िर शिक्षा मानव में नैतिक मूल्य और सांस्कृतिक मूल्य की भी वाहक है। ...


क्या आप जानते हैं कि भारत की प्रथम फिल्म संगीत निर्देशिका कौन थी? - फिल्म प्रथमावली :- *भारत की प्रथम फिल्म* दादा साहेब फाल्के द्वारा निर्मित फिल्म "राजा हरिश्चन्द्र", जो कि 3 मई 1913 को रिलीज़ हुई थी, को भारत का प्रथम फिल्म माना जाता है। 50 मिनट की 3700 फीट लंबी यह फिल्म चार रीलों की थी...


हाँ , चैट कर लेती है :- २१ वीं सदी की नारी है हाँ , चैट कर लेती है तो क्या हुआ ? बहुत खरपतवार मिलती है उखाड़ना भी जानती है मगर फिर लगता है बिना खरपतवार के भी आनंद नहीं आता इसलिए साथ- साथ अच्छी फसल के उसे भी झेल लेती है २१...


चाँद है मेरा परदेस में :- आज चंदा तू चमक ना कि चाँद है मेरा परदेस में... उज्जवल सलोना ये रूप तेरा मुझे उसकी याद दिलाएगा जा चला जा आज तू कहीं कब तक मुझे यूँ सताएगा चमकेगा जो तू यूँ रात भर तो मेरी रात ये होगी दूभर दमकती...


2000 पोस्ट हो गई और पता भी नहीं चला :- हमारे ब्लागों को मिलाकर कब की 2000 पोस्ट पूरी हो गई है और हमें पता भी नहीं चला। कल रात को कुछ समय मिला तो सोचा कि चलो देखते हैं हम कहां तक पहुंचे तो ब्लागों की पोस्ट जोडऩे पर मालूम हुआ कि 2000 पोस्ट कब की ...


श्री बाल्मीकि - सतीश सक्सेना :- मत भूलो रचनाकार प्रथम श्री रामचरित रामायण के थे महापुरुष श्री बाल्मीकि ऋषि,ज्ञानमूर्ति,रामायण के हो शूद्र कुलोदभव फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा उनके वंशज अपमानित कर, क्यों लोग मनाते दीवाली.....


लल्लू :- हमें बताया कि लोहे का गेट बनता है आलू कोल्ड स्टोरेज के पास। वहां घूम आये। मिट्टी का चाक चलाते कुम्हार थे वहां, पर गेट बनाने वाले नहीं। घर आ कर घर का रिनोवेशन करने वाले मिस्तरी-इन-चार्ज भगत जी को कहा तो ...


मैं बिन आवाज़ गा रही हूँ... :- शक़ मिजाज़ बन गया है अपना सबूत जुटा रही हूँ अलफ़ाज़ तक ख़फा हैं बिन आवाज़ गा रही हूँ ख़ाली रहे न वरक़ शजर का तेरा नाम लिखे जा रही हूँ पहचान मेरी अब, डगमगाने लगी है पानी में मैं अब, निशाँ बना रही हूँ....


अपनी सीमा पार कर रही हैं अरुंधति :- अपनी सीमा पार कर रही हैं अरुंधति। कभी नक्सलवाद के नाम पर, तो कभी कश्मीर के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बेजा फायदा उठा रहीं हैं अरुंधति राय. इसे इंडियन गवर्नमेंट तमाशाई बनकर क्यों देख रही है....


साला एक और राष्ट्रपति वेस्ट हो गया अमरीका ।का ......खबरों की खबर यानि झाजी वक्रदृष्टि टाइम्स ....पढिए न :- * * * * ** * * * * * * *खबर :-दिल्‍ली जा रहा विमान पटना पहुंचा, यात्रियों का हंगामा* * * *नज़र :-अरे ई कौन बात हुआ रे ॥दिल्ली जा रहा विमान पटना पहुंच गया ....कमाल है यार ..ई दिवाली में कंपनी सब भी कईसा...


आओ, थोड़े बुरे हो जाएं...खुशदीप :- ये मैं नहीं कह रहा...अमेरिका के *नेब्रास्का यूनिवर्सिटी* और *लिंकन्स कालेज ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन* की ताज़ा स्टडी कह रही है...आपको बेशक लीडर वही पसंद हो जो ईमानदार हो, व्यावहारिक हो और शांत दिमाग से काम...


विश्व कवि मुक्तिबोध का स्मरण :- गजानन माधव 'मुक्तिबोध',मुक्तिबोध की रचनाएँ कविता कोश में,भूरी-भूरि खाक धूलितो अंतर जाल पर उपलब्ध हैं उससे हटके मेरी नज़र में गजानन माधव "मुक्तिबोध" सदकवियों, विचारकों सामान्य-पाठकों , शोधार्थियों के लिए अनवरत ज़रूरी है। मुझे जो रचनाएं बेहद पसंद है वे ये रहीं जो विकी से साभार लीं जाकर सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है...


"करवा चौथ" जीवन बीमा योजना :- रोज़ सबेरे उठने से पहले नींद में ही बिस्तर पर बगल में टटोल कर देखता हूं,तो श्रीमती जी गायब मिलती हैं।जाहिर है वह मुझसे पहले उठ कर दिनचर्या में लग जाती हैं और मुझे बिस्तर पर ही चाय मिल जाती है। पर आज सुबह आदतन बगल में हाथ फ़ेर कर देखा तो पाया कि वह तो समूची की समूची बगल में बिस्तर पर ही धरी हैं।मेरा माथा ठनका....


इतिहास्य :- विकास का इतिहास है, उसकी बुनियाद, अनगिनत, इंसानों की लाश है, दफनाए हुए, सच
कहने को "काश" है, नाम – सभ्यता, पता – आधुनिकता, उम्र – सदियाँ बीत गयीं ...


रोटी vs ठेका :- यह भीड़ कैसी है लगता है यह कोई राशन की दुकान है. एक वक़्त था जब राशन की
दुकान पर लगे लोगो का पूरा दिन लग जाता था. लेकिन लाइन में लगे लोगो को इस बात की ख़ुशी भी रहती थी की आखिर उन्हें सस्ता राशन तो मिल जाएगा....


मियां बीबी मतलब वीणा की तारें :- बात बहुत पुरानी है। पति के मना करने के बावजूद पत्नी सत्संग में चली गई। वापिस आई तो पति ने नाराजगी दिखाई। बात इतनी बढ़ी कि बोलना तो दूर दोनों ने मरने तक एक दूसरे की सूरत नहीं देखी। वह भी एक घर में रहते हुए...


कुछ विसंगतियों भरी बात :- हमारे देश में जो प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र होते हैं – बहु-मुखी व्यक्तित्व के धनी... कहीं तकनिकी, इंजीनियरिंग अथवा डाक्टरी विद्या में परांगत होकर – ऐसा ही व्यवसाय चुनते है और इनमे से भी कई महापुरुष ब्लोग्गर बनकर हिंदी और समाज सेवा का वर्त धारण करते हुवे खाली समय इन्ही सब (चिरकुट???)...


राजनीतिज्ञ---(कुछ हल्का-फुल्का) :- किसी समय की बात है, एक आदमी हुआ करता था। अब यह न पूछिए कि वह कौन था और कहाँ रहता था. कथा-कहानियों में यह आवश्यक नहीं है कि कथा के नायक का नाम, पता, बाप का नाम, निवास स्थान वगैरह का इस प्रकार वर्णन किया जाए...


सड़क मार्ग से महाराष्ट्र: 'बिग बॉस' से आमना-सामना, ममता जी की हड़बड़ाहट, आधी रात की माफ़ी और 'जादू'गिरी हुई छू-मंतर :- घुघूती बासूती जी से एक संक्षिप्त मुलाकात के बाद अब हमें बहुत दूर जाना था। युनूस खान जी से पिछले बरस कह चुके थे कि अब तो तभी मिलना होगा ममता जी से, जब वे दो से तीन हो जाएंगे :-) सो अब हम चल पड़े* युनूस-ममता...


"जन्म दिन मुबारक़ हो अर्चना चावजी !!" :- अर्चना चावजी, एक ब्लागर, एक गायिका, एक संघर्ष शील नारी जो दृढ़्ता का पर्याय है.... उनके ब्लाग "मेरे मन की " में वो सब है जो उनका एक परिचय यहां भी दर्ज़ है यानि उनकी बहन रचना जी के ब्लाग "मुझे भी कुछ कहना है " पर. अर्चना जी, रचना जी, भाई देवेन्दर जी , सबको गोया शारदा मां ने कंठ वाणी में खुद शहद से "मधुरता" लिख दी है. मेरे ब्लाग की सह लेखिका अर्चना जी को हार्दिक शुभकामनाएं...


रोहतक मे ब्लांग मिलन :- पिछली पोस्ट मे आप सब ने बहुत हिम्मत दी, बहुत से साथियो ने सुझाव भी दिये, जिन्हे मैने नोट कर लिया हे, ओर यह सब बाते आप लोग ही वहां करेगे, या अन्य साथी इन बातो पर चर्चा करेगे, मुझे बहुत खुशी हुयी आप सब के ...


अब एक जरूरी सूचना :- सभी हिंदी ब्लॉगर ध्यान दें |


पर्यावरण पर आलेख प्रतियोगिता----------------ललित शर्मा :- मित्रों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण बहुत सारी समस्याएं हमें घेरती जा रही हैं, नित नए रोग जन्म लेते जा रहे जा रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो निरोग हो। हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत होना पड़ेगा। पूरे विश्व में इस दिशा में बहुत कार्य हो रहे हैं। इससे बचने के लिए हमारा जागरुक होना अत्यावश्यक है। विगत कई दिनों मैं बच्चों के बीच पर्यावरण के प्रति जागरुक का संदेश देने वाले कार्यक्रमों में गया,तब मेरे मन में आया की ब्लॉग जगत में एक आलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए क्योंकि हमारे ब्लॉग जगत में धुरंधर लिक्खाड़ों और विद्वानों की कमी नहीं है। इसलिए हम एक आलेख प्रतियोगिता आयोजन करने जा रहे हैं। जिसमें नगद पुरस्कार दिए जाएगें और उन्हे समारोह पूर्वक सम्मानित भी किया जाएगा। यह आयोजन यहाँ होगा। जहाँ नियमित स्वीकृत आलेखों का प्रकाशन होगा। संभव हुआ तो सार्थक टिप्प्णीकारों के लिए भी पुरस्कार की व्यवस्था की जाएगी। बाकी जानकारी अगली पोस्ट में दी जाएगी।


लीजिये आज फिर अपनी डफली आप बजाता हूँ ... और आप सब के लिए अपनी पोस्ट का लिंक दिए जाता हूँ ....


मैं हर एक पल का शायर हूँ ...


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अब लीजिये आप सब के लिए पेश है साहिर जी की एक बेहद उम्दा नज़्म ........


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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक .....अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......

जय हिंद !!

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