शनिवार, 31 मार्च 2012

क्यों जाऊं बस्तर मरने - ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  चैत नवरात्रि सम्पन्न हो रही है, आज अष्टमी को हवन पूजन होगा और फ़िर जवांरा विसर्जन। सभी मित्रों को चैत नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, मित्र अनिल पुसदकर की पुस्तक " क्यों जाऊं बस्तर मरने" का विमोचन रायपुर मेडिकल कॉलेज के आडोटोरियम में है। सभी ब्लॉगर मित्र आमंत्रित हैं। हम भी वहीं मिलेगें। अनिल भाई कोटिश शुभकामनाएं एवं बधाई। अब चलते हैं आज की वार्ता पर्………

पैगाम ... - देखना यार तेरी महफ़िल, कहीं सूनी-सूनी न रहे अब तक तेरा पैगाम, मुझ तक आया जो नहीं !! ... बहुत शोर है शहर में, आज उसके इल्जामों से कितने झूठें, कितने सच्चे ... अमरीक सिंह कुंडा की लघुकथाएँ - लंगड़ा आम, बिजी डे - कंडे का कंडा लंगड़ा आम ‘‘पंडित जी, हमारा काम नहीं चलता। यह हमारा टेवा देखिए और हम पर कृपा कीजिए।’’ लाला विष्णु प्रताप ने पंडित से कहा, ‘‘आपकी तो ग्रह चाल ह... अंत में - *(इधर मृत्यु पर पढ़ते हुए सर्वेश्वरदयाल सक्सेना * *की कविता 'अंत में' से गुज़रना हुआ. कविता के * *साथ वैन गॉग की कलाकृति 'डॉक्टर गैशेट' है. * *गॉग के आख़िरी ... 

मोहन के बापू का हाथ ज़रा तंग है " :)))))))) - कभी कभी दुनिया किसी की कैसे बदल जाती है इसकी एक दास्ताँ ये अलबेली सुनाती है यूँ तो उसका इक नाम भी है अच्छा खासा बड़ा व्यापार भी है हाई सोसाइटी में ऊंची शा...  राम की शक्तिपूजा' - निराला : एक स्वर आयोजन की भूमिका - [image: Sktnirala1] *वाचक का वक्तव्य: * *'...*भूमिका में मेरा अपना कुछ नहीं है। वाल्मीकि, चतुरसेन और नरेन्द्र कोहली के अध्ययन से रामकथा की जो समझ बनी, उस... जन्मदिन मुबारक-- छोटी बहना!!! - रचना को जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएं --- *‘ हमारी फ़ितरत ही ऐसी है कि* *एक जैसी ठहर नही पाती है * * हर नये दिन के साथ वो भी बदल जाती है!’... 

कैसा रहेगा आपके लिए 30 और 31 मार्च 2012 का दिन ?? - मेष लग्नवालों के लिए 30 और 31 मार्च 2012 को भाई , बहन , बंधु बांधवों का महत्व बढेगा , उनके कार्यक्रमों के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता पड सकती है। प्रभाव... माँ की गोद - जो मस्ती आँखों में है, मदिरालय में नहीं ;अमीरी दिल की कोई, महालय में नहीं ;शीतलता पाने के लिए, कहाँ भटकता है मानव ;जो माँ की गोद में है, वह हिमालय में नह... बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर देवलोक बड़े डोंगर" विमोचित - बड़े डोंगर के इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व पर केन्द्रित एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तिका "बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर देवलोक बड़े डोंगर" का विमोचन चैत्र नव.

बेचारा जमींदार झेल रहा सर्दी और सरकार की मार - *आजकल लावनी (फसल कटाई) का समय चल रहा हैं पर इस बार बेचारा किसान जमींदार वर्ग मन मार कर (बेमन) से सरसों की फसल की कटाई का कार्य कर रहा हैं कारण है पिछले दिन... विशिष्ट आमंत्रण - आप को यह सूचित करते हुए मुझे बहुत हर्ष हो रहा है कि कल शनीवार दिनांक ३१.३.२०१२ को अपरान्ह ४.३० बजे होटल विक्रमादित्य, रिंग रोड चौराहा, नानाखेड़ा उज्जैन म... तुझे उम्मीदे वफ़ा हो..... - * * * * * * *यूँ खेलते हैं मेरे दिल से जो, वो क्या जाने...* *गर मेरा दिल बुझा तो फिर न जला पाऊँगी ! * * * * तेरा एहसास, तेरा प्यार इसमें श... 

खुरदरे यथार्थ का कड़वा स्वाद (कहानी -५) - *कहानी अब तक--* *(जया के कविता संग्रह को पुरस्कार मिलने पर पत्रकारों के इस सवाल ने 'उसकी कविताओं में इतना दर्द कहाँ से आया ?' उसे पुरानी यादों के मंज़र मे... पुनर्जन्म - एक नयी कविता जन्मी है आज मेरे दिल के गर्भ से सींचा है मैने उसे अपनी भावनाओं के लाल खून से उसने जन्म लिया मन में कई उठते हुए तूफ़ानों से जब भी देखा कोई ... ओलों से सर की बचत के लिए हम बालों के मोहताज नहीं - कोई सर मुड़ा कर नाई की दुकान से निकला ही हो और आसमान से ओले गिरने लगे हों ऐसा छप्पन साल की जिन्दगी में न तो सुना और न ही अखबार में पढ़ा। इस से पहले किस... 

सुरक्षा खोखली,देश खोखला ! - कुछ साल पहले मैंने अपने इस ब्लॉग पर एक लेख में बताया था कि किस तरह हमारी सेनायें हथियारों की कमी से जूझ रही है, उनके पास उन्नत किस्म के हथियार और यंत्र-उपक... सागर में दो दिन डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय में... - दोस्तों कुछ समय पहले ( 15 जनवरी 2012) डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय में एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में शिरकत करने का मौका मिला। कुछ व्यस्तता थी अतः पहले... बस एक उम्र की दूरी और बदल गया बचपन...... - *स्कूल की छुट्टी के बाद * *सिक्के खनखनाता हुआ,* *कच्ची इमली,चूरन,चने के * *खोमचों पर जमघट करता* *उछलता कूदता बचपन,* *दादी के हाथों से बनी * *कपडे की गुडिया ...

तो तुम तन्हा हो....!!! - कुछ पंछी झुण्ड में उड़ते हों... और रास्ता भी कुछ मुश्किल हो... कुछ दूर उफ़ाक पे मंजिल हो ........ एक पंछी घायल हो जाए.... और बेदम हो के गिर जाये....!!!... रेडियो सीलोन की 61 वीं सालगिरह पर अतुल का विशेष लेख - आज रेडियो सीलोन की 61 वीं सालगिर‍ह है। श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के विदेश विभाग ने भारतीय रेडियो की दुनिया में भी क्रांति लाई। कहीं ना कहीं इसकी ... माया बहन बनाम अखिलेश बाबू - मायावती जी ने लखनऊ शहर को पत्थरों के शहर में तब्दील करके हरियाली ही छीन ली थी। अब अखिलेश बाबू उनसे भी दो कदम आगे निकले। शहर के dividers पर लगे हरे , घने, स...

...जो उत्तर मिले मैं हूँ ! - मुझे जानना हो तो तितली को देखो गौरैया को देखो पारो को देखो सोहणी को जानो मेरे बच्चों को देखो क्षितिज को देखो उड़ते बादलों को देखो रिमझिम बारिश को देखो ब... क्‍या मैं अपने प्रति ईमानदार हूं? - 'जॉन सी मैक्‍सवेल' की किताब 'डेवल्‍पिंग द लीडर विदिन यू' के हिन्‍दी संस्‍करण 'अपने भीतर छुपे लीडर को कैसे जगाएं' में प्रकाशित एडगर गेस्‍ट की कविता 'क्‍या ...कुर्सी लत मोहे ऐसी लागी..... - मार्निंग वॉक करना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इस लाभ में तब और वृद्धि हो जाती है जब वॉक के दौरान किसी सुंदर युवती से आपकी टॉक हो जाए। लेकिन यह लाभ ..

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

शुक्रवार, 30 मार्च 2012

बस यादेँ ही यादेँ, कहाँ गए वो गाँव ? - ब्लॉग4वार्ता ------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, नव वित्त वर्ष का प्रारंभ छुट्टियों से हो रहा है, अप्रेल माह के प्रारंभ में ही त्यौहार होने के कारण कई छुट्टियाँ पड़ रही है। 1 अप्रेल को सप्ताहांत होने के कारण छुट्टी है 2 अप्रेल को वार्षिक लेखा बंदी की छुट्टी है, 3 और 4 अप्रेल को बैंक खुलेगें। फ़िर 5 अप्रेल को महावीर जयंती एवं 6 अप्रेल को गुड फ़्राईडे की छुट्टी है। 7 अप्रेल को शनिवार है और फ़िर रविवार। इस तरह दो दिन की छुट्टी लेने पर कर्मचारियों को पुरे आठ दिन की छुट्टियों का लाभ मिल रहा है। इन आठ दिनों में बैंक सिर्फ़ ढाई दिन ही खुलेगें। ऐसा मौका वर्ष भर में कभी कभी ही आता है। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर एवं प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक…………

कहाँ गए वो गाँव ? - गाँव,गिद्ध,गौरेया गायब कोठरी,डेहरी,कथरी गायब, अब तो सूखे शाख खड़े हैं कुएँ से है पनिहारिन गायब ! गाँव किनारे वाला पीपल, बरगद और लसोंहणा गायब, मूंज,सनई कै ... प्रतिशोध - सुबह जब शांति पौधों को पानी देने के लिए बालकनी पर गई तो सूरज उग रहा था। पानी देते हुए उसने सूरज की तरफ़ एक अनुरागी दृष्टि डाली। सूरज सफ़ेद हो रहा था। ये... स्याह चादर - कहते हैं वक़्त किसी का इंतज़ार नहीं करता चलता रहता है अनवरत , और हमारी ज़िंदगी भी चलती रहती है पल - पल , बीतते वक़्त के साथ बीत जाते हैं हम भी , ... 

चलो कुछ भूल जाएँ ...... - इंसा पैदा हुए थे हम हुए ना जाने कब विषधर किसी अंधियारे कोने में केंचुली छोड़ आयें चलो कुछ भूल जाएँ ...... उम्र बीती जिरह करते जब भी उगला ज़हर उगला किसी ...प्रेम की दुनिया - कहीं..... कोई तो रास्ता होगा.... जहां हमारी मजबूरियाँ बीच में न आयें. तुम और मैं ... चल सकें ..साथ-साथ.... शुरू से आखिर तक . कोई मोड ऐसा न आये जहां बिछडना ... सच का सामना या .....निजता का मोल - आज के दौर में निजता यानि की प्राइवेसी का भी अपना मूल्य है । उस निजता का जो कभी अनमोल हुआ करती थी । तभी तो सच को स्वीकार करने के नाम पर एक आम हिन्दुस्तानी... 

क्‍या ज्योतिष आम जन के लिए उपयोगी हो सकता है ?? - जीवन को देखने और समझने का सबका नजरिया भिन्‍न भिन्‍न होता है , कुछ लोग उथली मानसिकता के साथ इसे देखते हैं तो कुछ गहरी समझ के साथ। जो गहराई से जीवन के रहस्‍य... यादेँ....यादेँ..... बस यादेँ ही यादेँ !!! - *यादेँ ......!!!* *एक अकेला सा शब्द * *एक बेचारा सा शब्द * *अपने में दुनिया समेटे * *दुखों-सुखों का संसार समेटे * *अकेलेपन का सहारा सा शब्द ,* * * *एक गुज़... बातें खुद से - आगाज भी होगा अंजाम भी होगा नाम उसी का गूंजेगा गुमनाम जो होगा ....... अस्तित्व बचाना खुद का सीमा मिट न पाए करीब किसी के इतना भी न होना कि?????/ वो दू..

रामनवमी - रामनवमी के उपलक्ष्य में माँ की एक उत्कृष्ट रचना आपने सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ ! आशा है आपको उनकी यह रचना अवश्य पसंद आयेगी ! अब तक तुमने राम सदा परतंत... अनुराधा कोइराला से कमला रोका तक - *- डॉ. शरद सिंह* नेपाल में संयुक्त कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी द्वारा कमला रोका को युवा एवं खेल मंत्री का पद सौंप कर नेपाली सत्ता में स्त्री शक्ति को एक ... टलना फाँसी का बनाम राष्ट्र पर हमला - कानून का विशेषज्ञनहीं हूँ लेकिन भारत के एक नागरिक को राष्ट्र पर हमले की परिभाषा के बारे में जो जाननाचाहिए उसके बारे में जो जानता हूँ उसके आधार पर कुछ कहने ... 

आपकी अपनी आवाज - *अपने अखबार भास्‍कर भूमि के परिचय अंक में प्रकाशित विशेष संपादकीय.....*.. सभी सुधि पाठकजनो को हिंदु नववर्ष की शुभकामनाएं। आप सबको शक्ति की उपासना के पर्व ... ओलों से सर की बचत के लिए हम बालों के मोहताज नहीं - कोई सर मुड़ा कर नाई की दुकान से निकला ही हो और आसमान से ओले गिरने लगे हों ऐसा छप्पन साल की जिन्दगी में न तो सुना और न ही अखबार में पढ़ा। इस से पहले की...सुरक्षा खोखली,देश खोखला ! - कुछ साल पहले मैंने अपने इस ब्लॉग पर एक लेख में बताया था कि किस तरह हमारी सेनायें हथियारों की कमी से जूझ रही है, उनके पास उन्नत किस्म के हथियार और यंत्र-उपक... 

सूखा गुलाब !! - --नमस्ते.. --नमस्ते.. -- मैं आपको पसंद करता हूँ... --??? क्या मतलब? ....कहते हुए चौंक गई मैं (अपनी जन्मतारीख भी याद करने लगी थी...कन्फ़र्म ५० पूरे हो चुके है...  तो तुम तन्हा हो....!!! - कुछ पंछी झुण्ड में उड़ते हों... और रास्ता भी कुछ मुश्किल हो... कुछ दूर उफ़ाक पे मंजिल हो ........ एक पंछी घायल हो जाए.... और बेदम हो के गिर जाये....!!!... बस एक उम्र की दूरी और बदल गया बचपन...... - *स्कूल की छुट्टी के बाद * *सिक्के खनखनाता हुआ,* *कच्ची इमली,चूरन,चने के * *खोमचों पर जमघट करता* *उछलता कूदता बचपन,* *दादी के हाथों से बनी * *कपडे की गुडिया ... 

वार्ता को देते है विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद ……… राम राम

गुरुवार, 29 मार्च 2012

सोनई रुपई और प्रेम में महाकाव्य लिखना - ब्लॉग4वार्ता - ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, वार्ता दल की सदस्य संध्या शर्मा जी का कल जन्मदिन था। उन्हे जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, ईश्वर उन्हे धन धान्य बौद्धिक सम्पदा एवं स्वास्थ्य से भरपुर रखे। हमारी यही कामना है। इसी दिन ब्लॉगर मित्र दर्शन कौर धनोए जी का भी जन्म दिन था। हमने उन्हे भी बधाई दी………फ़ेसबुकिया मित्रों के साथ उनका जन्मदिन मनाया गया…… उनकी समृद्धि की कामना ईश्वर से करते हैं, वे सदा हँसते मुस्काते सानंद रहें। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर………एवं करते हैं कुछ उम्दा चिट्ठों की सैर……।

देऊर पारा का गड़ा खजाना: सोनई रुपई - महानदी उद्गम पुरातात्विक खजाने से *छत्तीसगढ* समृद्ध है। हम छत्तीसगढ में जिस स्थान पर जाते हैं वहां कुछ न कुछ प्राप्त होता है और हमारी विरासत को देख कर गर...  बस एक उम्र की दूरी और बदल गया बचपन...... - *स्कूल की छुट्टी के बाद * *सिक्के खनखनाता हुआ,* *कच्ची इमली,चूरन,चने के * *खोमचों पर जमघट करता* *उछलता कूदता बचपन,* *दादी के हाथों से बनी * *कपडे की गुडिया ... क्यों?? - क्यों कभी कोई ख़ामोशी टूटती नज़र नहीं आती मेरे अहसासों के दामन में दबी जुबां से क्यूँ कोई ख़ुशी नज़र नहीं आती वक्त-ए-दुआ देगा कोई इस आसार में जीती मैं...

ये छत्तीसगढ़ है साहब... - पिछले दिनों नवरात्रि शुरू होते ही कुशालपुर में भाजपा नेताओं की मौजदूगी में हुए अश्लील नृत्य पर भले ही यह कहकर भाजपा अपना पल्ला झाड़ ले कि ऐसा तो यूपी बिहार म... किरदार ... - न कर गुमां, कि ऊंची हवेली आज तेरी शान है सच ! महलों की शान, खँडहर बयां कर रहे हैं ! ... क्या गजब किरदार है उसका 'उदय' पीठ पे गाली, सामने पाँव छूता है !! बड़ी खबर - बड़ी खबर: "सेना प्रमुख को 14 करोड़ की रिश्वत की पेशकश"! राजनीतिज्ञों ने 'सेना प्रमुख' बनने के लिए कोशिशें शुरू की! 

लोक : भोजपुरी - 10: चइता के तीन रंग - चैत माह रबी फसल का माह है। महीनों के श्रम के फल के घर पहुँचने का माह है। ऐसे में कृषि प्रधान लोक में उत्सव न हो, हो ही नहीं सकता! प्रकृति भी ऐसे में नवरस...कुत्ता बच्चों को "ईडेन का सेव" खिलाने पर उतारू - बहुतेरी बार विदेशी "कुत्तों" ने हमारे देश पर हमले किए, हमें लूटा-खसोटा, हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता, हमारी धरोहरों को नष्ट करने की पुरजोर कोशिश की। वह तो...फितरत ... - न नाते देखता है न रस्में सोचता है रहता है जिन दरों पे न घर सोचता है हर हद से पार गुजर जाता है आदमी दो रोटी के लिए कितना गिर जाता है आदमी ***************... 

कृष्ण लीला ......भाग 42 - आठवें वर्ष में कन्हैया ने शुभ मुहूर्त में दान दक्षिणा कर वन में गौ चराने जाना शुरू किया मैया ने कान्हा को बलराम जी और गोपों के सुपुर्द किया वन की छटा बड... गुजरी हुई फिज़ा ! - कभी सोचता हूँ,क्या हूँ, इस भीड़ में नया हूँ . अपने ग़मों से दूर किसी और की दवा हूँ. ज़ुल्फ़ के दुपट्टे में फँसती हुई हवा हूँ . अलग-थलग लगा जब उसके पास ...सूखा गुलाब !! - --नमस्ते.. --नमस्ते.. -- मैं आपको पसंद करता हूँ... --??? क्या मतलब? ....कहते हुए चौंक गई मैं (अपनी जन्मतारीख भी याद करने लगी थी...कन्फ़र्म ५० पूरे हो चुके है...

सुना है तुम सभ्य हो.. - हिन्दुस्तान की समस्या यह नहीं है कि हम क्या करते हैं? जो हम करते हैं वह मानव स्वभाव है, वो कोई समस्या नहीं.. सारी दुनिया वही करती है मगर समस्या यह है कि ... नकल का अधिकार - 'भैया, पास न भयेन तो बप्पा बहुतै मारी' अर्थ था कि भैया, यदि परीक्षा में पास न हो पाये तो पिताजी बहुत पिटायी करेंगे। १८ साल का युवा, कक्षा १२, मार्च का मही... हसास - उस पुरानी पेटी के तले में बिछे अख़बार के नीचे पीला पड़ चुका वह लिफाफा. हर बरस अख़बार बदला लेकिन बरसों बरस वहीँ छुपा रखा रहा वह लिफाफा. कभी जब मन होता ह...

जिन्हें पाला वही परिणाम यूं बदतर नहीं देते ...... - *कभी भी बंदरों के हाथ में पत्थर नहीं देते बहुत जो मूर्ख होते हैं उन्हें उत्तर नहीं देते* * हमेशा मौन रहना ही यहाँ अच्छी दवाई है जो ज्ञानी हैं यहाँ उत्तर कभी ...
1 day ago सुरक्षा खोखली,देश खोखला ! - कुछ साल पहले मैंने अपने इस ब्लॉग पर एक लेख में बताया था कि किस तरह हमारी सेनायें हथियारों की कमी से जूझ रही है, उनके पास उन्नत किस्म के हथियार और यंत्र-उपक... आप खाने के लिए जीते हैं , या जीने के लिए खाते हैं --- - कहते हैं , मनुष्य को नाश्ता महाराजा जैसा , दोपहर का खाना राजकुमार जैसा और रात का खाना भिखारी जैसा खाना चाहिए । यानि भोजन में नाश्ता भरपूर और डिनर हल्का ले... 
खजुराहो की मूर्तिकला में स्त्री-शिक्षा - *- डॉ. शरद सिंह* *खजुराहो के चितेरों ने जहां नृत्य तथा वादन को उकेरा, वहीं लेखन तथा पठन को भी स्थान दिया है . खजुराहो की मूर्तियों में अत्यंत कलात्मक...  मैं की परिभाषा .... - ठहरे हुए पानी -सी मैं ... कभी चंचल, कभी मतवाली मैं .. कभी गरजती बिज़ली -सी मैं ... कभी बरसती बदरी -सी मैं ..... कभी सलोनी मुस्कान-सी मैं ... कभी आँखो... बड़ा दिल - तंग दिल हो क्यूँ रहना होना चाहिये हृदय बड़ा कहना है सरल पर है कठिन कितना यह दंश सहना | कहने से कोशिश भी की विस्तार किया और बड़ा किया बड़ा दिल बड़ी बातें ..
पीपल - हम भटके बेचैनीमें तुम ठहरे हातिमताई। हम सहते कितनेलफड़े तुमने खड़ेखड़े बदलेकपड़े ! मेहरबानतुम पर रहती हरदम ही धरती माई। ना जनमलिया ना फूँका तन व...ताजमहल - आगरा यात्रा शुरू होती है दिल्ली से, हमेशा की तरह। सुबह सात बजे के करीब निजामुद्दीन से ताज एक्सप्रेस चलती है। आगरा जाना था, बीस मार्च को नाइट ड्यूटी से सुलट... मैं ना पहनूं थारी चुंदड़ी .... - संस्कृति किताबों में लिखी हुए वे इबारतें नहीं हैं जो अलमारी में सहेज कर रख दी जाएँ , यह हमारी दैनिक जीवनचर्या है जो आदतों और परम्पराओं के रूप में एक पीढ़ी... 
भूल-गलती - स्वदेश-परिचय माला में प्रकाशित ग्यारह पुस्तकों में एक, ''भारत की नदियों की कहानी'', आइएसबीएन : 978-81-7028-410-9 है। हिन्दी के प्रतिष्ठित राजपाल एण्ड सन्ज़..लिख सको तो... - मेरे प्रेम में लिख सको तो महाकाव्य लिखना आसमानी भाव के अंतहीन पन्नों पर... कह सको तो अपने तप के बादलों को कहना झूम-झूम कर बरसता रहे अनवरत अमृत धार बनके और ह... जयपुर की सैर और एक सवाल - हवा महल साथियो गद्य में मैं पारंगत नहीं हूँ इसलिए बहुत से विचार आवा-गमन कर रहे हैं और बात को सीधे सीधे प्रवाह में कहने में ...  
वार्ता को देते हैं विराम मिलते हैं ब्रेक के बाद्……राम राम --

मंगलवार, 27 मार्च 2012

मै साक्षर हो गया .... ब्लॉग4वार्ता, ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, देश में भ्रष्टाचार इस हद तक बढ गया है भ्रष्टाचारी थल सेना के सर्वोच्च पद पर बैठे अधिकारी को से भी रिश्वत  की बात करने की जुर्रत करने लगे हैं। जनरल वी के सिंह ने आरोप लगाया कि उपकरणों की बिक्री से जुड़े एक लाबिस्ट ने उन्हे 14 करोड़ की रिश्वत देने की पेशकश की। वह 600 वाहनों की खरीद की मंजुरी चाहता था। देश में भ्रष्टाचार ने हालात बिगाड़ रखे हैं। बड़े नेताओं से लेकर छुट भैए एवं अधिकारी से लेकर चपरासी तक घुस रस का रसास्वादन कर रहे हैं…… अब चलते हैं आज की वार्ता पर…… प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ लिंक………

इन सवालों के जवाब? - छत्तीसगढ़ की राजधानी इन दिनों गर्म है। एक तरफ विधानसभा के चलते राजनैतिक लाभ की कवायद हो रही है तो दूसरी तरफ शासकीय कर्मचारी, आंगनबाड़ी से लेकर मितानिनों ने भ... नासमझ की बात*ये क्या माँगा तुने ऐ फरिस्ते * कल मेरे घर आया एक नन्हा सा मेहमान मानो हो कोई देवदूत यह कहता मुझसे कि ऐ मेरे बुजुर्ग आपसे बस इतनी ही है विनती कि हो सके त... अगर चुप रहती तो यूँ ना विलुप्त होती गोरैया । (written for the ex-tinct sparrows, with love.) - आधुनिकता की वो आंधी चली कि तारों के जंजाल में उलझकर गुम हो गई गोरैया , घर-आँगन, खेत-खलिहान, खिड़की-दरवाजे और हर जगह चहकती फिरती थी, धूप में मंगोड़ी,पापड़ तक स... 

अमरीक सिंह कंडा की लघुकथा - भगवान की मौत - कंडे दा कंडा -अमरीक सिंह कंडा भगवान की मौतमैं अपनी बचपन की तस्वीरों वाली एलबम देख रहा था तो मेरी 7 वर्षीय पोती अपने पास आ गई और एलबम देखने लगी। ‘‘बड़े पापा...चेला ... - इस मायावी संसार में कदम रखते ही हर किसी ने हाँथ पकड़-पकड़ के हमें चेला बनाना चाहा था बड़ी मुश्किल से बचते-बचाते यहाँ तक पहुंचे हैं 'उदय' कहीं ऐंसा तो ... परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है - बचपन अपने मीठे अंदाज में कभी किलकारियां भरते कभी ठुनकते सुबकते पीछे पीछे आता ही है ... बस उसकी ऊँगली थाम लो तो ज़िन्दगी के कई व्यूह खुद ब खुद टूट जाते ... 

वो - झटक कर जाती है जुल्फ़े बड़ा इतराती है वो क्या पता कितनों के दिल पर कहर ढ़ाती है वो जानते हैं ये जुल्फ़े उनकी नहीं खरीद बाजार से घर पर नकली जुल्फ़े लग... साक्षरता - मै अनपढ मिला तुमसे तो सीख गया पढना चेहरे के भाव जो सपाट लगते थे स्वयं कह देते हैं बिना कहे ही और मैं पढ लेता हूँ तुम्हारे अंतरमन की साक्षर हो गया हूँ तुम्ह... विचार और आचरण के भेद को मिटाना जरुरी – डॉ. जीवन सिंह - बिलासपुर। शहीद भगत सिंह का दर्जा इसलिए सबसे अलग हैं, क्योंकि वे महान क्रांतिकारी देशभक्त होने के साथ ही विचारक थे तथा उन्होंने विचार और आचरण के भेद को अपने... 

किनारा...  - डूबने के भय से तैरना छोड़ दूँ इतनी कमजोर नहीं हाँ! तय कर रखी है एक सीमा रेखा उसके आगे नही जाना जानती हूँ सागर असीम, अनंत पार नहीं कर सकती हूँ लेकिन हार नही...   ६ त्रिदल - सिंदूरी आसमान तुम्हारी चुनरी फैली हो जैसे नीला सागर भूरी रेत आंखें और दिल । सलेटी काला, रात का साया गहराता दुख । तारे टिमटिम कोई तो किरण रोशनी की । लंबी... पाषाण हिरदय - Roshi: पाषाण हिरदय: सब कहते हैं कि इंसान वक़्त के साथ बदल जाया करते हैं समाज ,तजुर्बे ,उम्र ,रिश्ते आखिर बदल ही देते हैं कुछ इंसानों को सपनों की कश्ती को बहने दो— - सपनों की,कश्ती को बहने दो उगते सूरज के सुर्ख लाल-रंग में होली,फ़ाग की,खेलने दो--- धार जो,ठहर सी गई है,फ़ागों की रंगों के चप्पू से ... 

गजल - ख्वाब देखा जो पल में बिखर जाएगा। छोड़ कर अपना घर तू किधर जाएगा।1। बोल कर मीठी बोली बुला उसको तू, साया बन राहों में वो उतर जाएगा।2। इम्तहां रोजो शब जि... रांझणा वे सोणिया वे माहिया वे ... - पिछले कई दिन अपनी सरकारी नौकरी पर स्यापा करते गुज़रे ! घर से बाहर...स्वजनों से अलग ! जहां गये ,वहां इंटरनेट कनेक्शन तो था पर अपनी महारत के फॉण्ट मयस्... पलकों के लिए - * **आँख में तिरती रही उम्मीद सपनों के लिए, गीत कोई गुनगुनाओ आज पलकों के लिए। आसमाँ तू देख रिश्तों में फफूँदी लग गई, धूप के टुकड़े कहीं से भेज अपनों के लिए... 

वक़्त ने इस कद्र बीजी कर दिया है आलोक - [image: Blog parivaar] पत्नी जी बोली ए जी आप तो हमारी तरफ देखते ही नही हमने कहा क्यूँ कोई खास बात वो मुस्करायी अपना फेस हमारे और करीब लायी, बोली आप भी न ए... बंधन - "औंल? जूंते कैंसे लहे?" नकियाता था, तुतलाता था और थोड़ा सा हकलाता भी था। जब उसने ये सवाल पूछा तो पहले तो येकैक्टस गुलाब और गुलाब जामुन - लव गुरु से किसी चेले ने पूछा एक दिन गुरु नारियों के भेद आज बतलाइए कैसे किस नज़र से देखे कोई कामिनी को सार सूत्र सुगम सकल समझाइए गुरु बोला पहला प्रकार तो है... 

वार्ता को देते हैं विराम ……… मिलते हैं ब्रेक के बाद …… राम राम   

सोमवार, 26 मार्च 2012

क्रांति जुल्‍म की पराकाष्‍ठा का परिणाम .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , करीब एक साल के बाद रविवार को अन्ना हजारे एक बार फिर जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे। एक दिन का यह सांकेतिक अनशन हालांकि जन लोकपाल बिल और विसल ब्लोअर बिल को लेकर था, लेकिन इस मौके का इस्तेमाल अन्ना ने एक बार फिर देशवासियों को झकझोरने के लिए किया। अन्ना ने कहा कि जिन मंत्रियों के खिलाफ करप्शन या क्राइम के मामले हैं उनके खिलाफ अगर अगस्त महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।  

किसन बाबूराव हज़ारे (जन्म: १५ जून, १९३७), भारत के एक प्रसिद्ध गांधीवादी विचारधारा के सामाजिक कार्यकर्ता हैं। अधिकांश लोग उन्हें अन्ना हज़ारे (मराठी: अण्णा हज़ारे) के नाम से ही जानते हैं। सन् १९९२ में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। सूचना के अधिकार के लिये कार्य करने वालों में वे प्रमुख थे।


साफ-सुथरी छवि वाले हज़ारे, भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये प्रसिद्ध हैं। जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिये अन्ना ने १६ अगस्त २०११ से आमरण अनशन आरम्भ किया है, जिसे जनता से अपार समर्थन मिल रहा है जिससे घबराकर भारत सरकार भी उनकी मांगों पर विचार करने को राजी हो गयी है।
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जन्म :१५ जून, १९३७, भिंगार,अहमदनगर, महाराष्ट्र
राष्ट्रीयता : भारतीय
अन्य नाम : किसन बापट बाबूराव हज़ारे
प्रसिद्धि कारण : भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन
धार्मिक मान्यता : हिन्दू
अन्ना हजारे साहब फिर भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने आंदोलन की तीसरा चरण शुरु करने वाले हैं। वह एक दिन के लिये अनशन पर बैठेंगे और इस बार भ्रष्टाचार के विरुद्ध शहीद होने वाले लोगों के परिवार जन भी उनके साथ होंगे। ऐसे में देश के लोगों की हार्दिक संवेदनाऐं उनके साथ स्वाभाविक रूप से जुड़ेंगी जिसकी इस समय धीमे पड़ रहे इस आंदोलन को सबसे अधिक आवश्यकता है । अन्ना हजारे के समर्थकों ने इस बार भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायत करने वालों को संरक्षण देने के लिये भी कानून बनाने की मांग का मामला उठाया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विषयवस्तु की दृष्टि से उनके विचारों में कोई दोष नहीं है। वैसे भी उन्होंने जब जब जो मुद्दे उठाये हैं उनको चुनौती देना अपनी निष्पक्ष विचार दृष्टि तथा विवेक का अभाव प्रदर्शित करना ही होगा।
जंतर-मंतर पर समाजसेवी अन्ना हजारे ने अनशन के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक बार फिर राइट टू रीकॉल की बकालत की। अन्ना ने कहा यह जरुरी है कि सत्ता लोगों के हाथ में आए। उन्होंने रामदेव के आंदोलन को समर्थन देने का भी ऐलान किया इसके साथ्‍ा ही अपने आंदोलन में रामदेव का साथ लेने की बात भी कही। उन्होंने वहां उपस्थित हुए सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया। हजारे का यह अनशन मजबूत लोकपाल समेत भ्रष्टाचार से लड़ते हुए जान दे चुके लोगों के समर्थन में आयोजित किया गया।
क्रांति जुल्म की पराकष्ठा का परिणाम होती है। ये अपने साथ विनाश और विकास की एक नई दिशा लेकर आती है। हालांकि इसकी विनाश लीला ज्यादा भयावह होती है। उससे उबरने में काफी समय लगता है। इसमें जान और माल दोनों की काफी बर्बादी होती है, लेकिन एक विकासशील समाज के लिए ये अति आवश्यक भी है। पिछले दो सालों में दुनियाभर में कई क्रांतियां देखने को मिली, जो तानाशाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ हुईं। ये क्रांति अपने साथ बर्बादी को लेकर तो आईं, लेकिन विकास की एक नई दिशा देकर गईं। ट्यूनीशिया, मिश्र, लीबिया, यूनान या दुनिया के दूसरे हिस्सों में हुईं क्रांतियां हो या फिर भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना का आंदोलन। इन सभी क्रांतियों का मकसद आम लोगों को जुल्म से मुक्ति दिलाना था।
कोई भी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार को खत्म नहीं करना चाहता। बातें सभी करते हैं, किन्तु किसी में ऐसी इच्छाशक्ति नहीं है, क्योंकि भष्ट लोग सभी पार्टियों प्रभुत्व रखते हैं। अन्यथा, लोकपाल विधेयक तो जब पास होना होगा तब होगा, क्योंकि बहुमत का रोना है, लेकिन मौजूदा कानूनों के अंतर्गत तो जहां जिस पार्टी की सरकार है, कार्यवाही करे, लेकिन नहीं होती। एक छोटी-सी लेकिन बहुत बडी बात है कि जितने भी निर्माण विभाग हैं, उनमें भ्रष्टाचार एक शिष्टाचार बना हुआ है,किसी को कुछ मांगना नहीं पडता। सबका प्रतिशत निर्धारित है, बाबू, लेखाकार, जेइएन, एईएन, एक्सियन। बिल तभी पास होता है, जब सबको अपना-अपना हिस्सा मिल जाता है। देश के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के कारण ही सडकें और पुल एक बारिश में ही बह जाते हैं और कोई कुछ नहीं बोलता।
अवसर मिलता है कभी कभी सोया भाग्य जगाने का
लोकतंत्र के हैं हम जनार्दन लो बीड़ा देश बचाने का
हैं राष्ट्रऋषि रामदेव जी दिशा नई दिखलाने को
बन करके सारे अन्ना आ जाओ देश बचाने को
हुंकार भरो एकसाथ चलो ,धरती कांपे नभ थर्राए
इतिहास बने गौरव गाथा सदिओं तक देश गीत गाये.
वन्देमातरम !
अन्ना के अनुभव यथार्थ के नजदीक रहते हैं ,वो जो कहते हैं वह जमीनी हकीकत है ,आम
आदमी अन्ना में अपना अक्श ढूंढ़ता है क्योंकि उसे भी मालुम है कि उसका नेता चोर है ,
कपटी है,झूठा है ,मायावी है,फरेबी है ,धूर्त है.
हमें दैवीय और आसुरी शक्तियों के संघर्ष के बारे में मालुम है .हम पाखंडी साधू वेशधारी
रावण कि कुटिल नीतियों से अनजान नहीं हैं ना ही हम दुर्योधन और शकुनी को भूले हैं
हमें जयचंद भी याद है .सभी काल में दैवीय शक्तियां हमें पिछड़ती हुई महसूस होती है
मगर सत्य यही है कि विजय हमेशा दैवीय शक्तियों कि ही हुई है.
पिछले पूरे वर्ष तारसप्तक में सरकार के खिलाफ अलाप लेने वाली भाजपा का सुर बिगड़ गया है। गुजरात और कर्नाटक में उसके विधायक विधानसभा सत्र के बीच पोर्नोग्राफी (अश्लील फिल्में) देखते पाए गये। लोगों को यह जानने की उत्सुकता है कि क्या यह विधायक राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ता रहे हैं या नहीं?
तमाम विवादों के बावजूद बमुश्किल मुख्यमंत्री के पद से हटाए गए येदुरप्पा लगातार अपने दल के राष्ट्रीय नेतृत्व को धमका रहे हैं कि उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाऐ वर्ना भाजपा का दक्षिण भारत में एक मात्र किला भी ढहा देंगे। कर्नाटक के उपचुनाव में भाजपा का लोकसभा उम्मीदवार हार गया है और जीत हुई है कांगे्रस के प्रत्याशी की। इसी तरह नरेन्द्र मोदी के गढ़ में भी कांग्रेस के उम्मीदवार का विधानसभा चुनाव में जीतना भाजपा के लिए खतरे की घण्टी बजा रहा है। उधर अप्रवासी भारतीय अंशुमान मिश्रा की झारखण्ड से राज्यसभा की उम्मीदवारी रद्द होना भाजपा को भारी पड़ गया है। एक तरफ तो यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं का भारी विरोध और दूसरी तरफ अंशुमान मिश्रा का भाजपा नेताओं पर सीधा हमला, इस स्वघोषित राष्ट्रवादी दल की पूरी दुनिया में किरकिरी कर रहा है।
अन्ना हजारे जी ने देश के लिए जो किया, उसके लिए उन्हें कोटिशः धन्यवाद। अपने अथक परिश्रम, प्रयास और जनता के सहयोग से जिस सख्स ने हिंदुस्तान के हर नागरिक के हाथ में एक ऐसा ब्रह्मास्त्र दिया, जो स्वर्ग में भी सिर्फ इन्द्र के पास था। उस ब्रह्मास्त्र का नाम है आर.टी.आई.। और रामबाण (जनलोकपाल बिल ) के लिए अन्ना जी का आन्दोलन जारी है। घोर आलोचना और विरोध के बावजूद मौजूदा सरकार अन्ना के जन लोकपाल से सहमत नहीं हो पाई, क्योकि अगर सरकार जनलोकपाल मुद्दे पर अन्ना की बात मान लेती तो मीडियाबाजी होने लगती कि सरकार ने फिर अन्ना के आगे घुटने टेके, झुक गई आदि-आदि। और जनलोकपाल के पारित हो जाने के बावजूद सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोगों की महत्ता घट जाती और अन्ना की चारो तरफ जय-जेकर होने लगती। और पहले से ही कांग्रेश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्ति ऐसी आलोचना को अपने आत्मसम्मान के खिलाफ मानते, और कत्तई इस बात को बर्दास्त करने की स्थिति में नहीं होते कि वे अन्ना हजारे से कम महत्वपूर्ण हैं।
आदरणीय अन्ना अंकल,
कल मैंने हमारी कक्षा की दो लड़कियों की बातें छुप कर सुनी।, आपको बता दूं
” भगत सिंह कितना रोमांटिक रहा होगा, ना?“
” तुम्हे कैसे पता ?“
” क्यों हिस्ट्री के पीरियड में मैडम बता तो रही थी कि उसने सपने तो देखे किसी ”क्रान्ति“ के लेकिन दुल्हन बना लिया ”आज़ादी“ को . इसी अफेयर की वज़ह से तो उसे प्राण भी गंवाने पडे़ .“
” सो सैड. मारा गया बेचारा. मैं तो कहती हूं यह ओनर-किलिंग रही होगी “
” सो तो है ही. इस क्रान्ति ने भी जाने कितने लड़कों को मरवाया होगा “
” यू मीन, क्रान्ति इतनी बेकार है?“
”और नहीं तो क्या ? नहीं तो आज़ भी लड़के हमारी बजाए उसी के पीछे न भागते?“
” सही कहा. वैसे टीचर ने क्या बताया भगत सिंह की दुल्हन का क्या हुआ?“
 
केंद्र की सत्ता पर आसीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में एक और घोटाला सामने आया है। घोटाले-दर-घोटाले खुल रहे हैं। जैसे हद शब्द भी अपनी हदें पार कर रहा है। ऐसे में जब विपक्षी दल चीख-चीखकर गठबंधन सरकार को भ्रष्ट सरकार की संज्ञा देते हैं, उसे घोटालों की सरकार बताते हैं तो आम आदमी आसानी से भरोसा कर लेता है। उसे समाजसेवी अन्ना हजारे टीम के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल की यह बात भी ठीक ही लगती है कि यह भ्रष्ट सरकार है इसीलिए उसने संसद में लोकपाल विधेयक पारित नहीं कराया। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकपाल एक मजबूत हथियार है इसीलिए सरकार उसे पारित नहीं होने दे रही। 79 साल के ईमानदार छवि के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बेईमान कहते लोगों को वह सुनता है। उनके स्वच्छ इतिहास को उसका दिमाग को मान लेता है लेकिन मन नहीं मानता। ... और ऐसा हो भी क्यों न? संप्रग-2 के अब तक के कार्यकाल में आएदिन घोटाले खुल रहे हैं।
चेटीचंड के इस जुलूस में जन लोकपाल बिल के पर बनाई गई झांकी को लोगों ने खूब सराहा। उक्त झांकी में अन्ना हजारे को किरण बेदी मोटर साईकिल पर बिठाये हुए थी व आगे एक बैनर लगा हुआ था जिस पर लोकपाल बिल पास करो लिखा हुआ था। किरण बेदी व अन्ना हजारे बने कलाकारों ने पूरे अजमेर में हर जगह लोगों का खूब मनोरंजन किया।
अब जब देश-दुनिया का अर्थशास्त्र बदल चुका है। बाजार के नए कायदे-कानून आ गए हैं। शहर चौगुणी गति से फैला है और रोजगार के कई नए दरवाजे खुले हैं, लेकिन स्थिति बदली नहीं है। इतने के बावजूद कैफी का लिखा उक्त गीत वर्तमान हालात पर उतना ही सटीक बैठता है, जितना कि तीन दशक पहले रहा होगा। आज लोग शहर आते तो हैं पर वे गांव लौटना जल्दी चाहते हैं। हालांकि, संभावनाओं की तलाश करते कुछ शहर में ही रम जाते हैं। कैफी उन्हें ही आवाज देते मालूम पड़ते हैं। अब देखिए, अन्ना आंदोलन चला तो फिल्म में रुचि रखने वाला वह कौन व्यक्ति होगा, जिसे 1989 में आई फिल्म ‘मैं आजाद हूं’ का यह गीत याद न आया होगा- “आओ...आ जाओ, जग पर छा... जाओ...।” दरअसल, सिनेमाई गीतों का यह वह रंग है, जिसकी संवेदनशील समाज पर गहरी छाप है।  


अब लेते हैं विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ...

रविवार, 25 मार्च 2012

जाने कितने आए और चले गए ---- ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम, लोचनाभ्याम विहीनस्य दर्पणा: किम करिष्यति……। तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग……… तुलसी बाबा 500 बरस पहले लिख गए थे। इन भांति भांति के लोगों में कुछ समझदार, कुछ अत्यधिक समझदार और कुछ लातों के भूत होते हैं। लातों के भूत वो होते हैं जिन्हे कई बार समझाने से समझ नहीं आता। मूर्ख अपने को समझदार मानता है, और समझदार उसे मूर्ख । हठधर्मी तो तब होती है, जब उसे न अपने अपमान की फ़िक्र और न किसी के सम्मान की। इसलिए मूर्खों  से बच कर रहना चाहिए……… लीजिये अब प्रस्तुत हैं ब्लॉग4वार्ता में मेरी पसंद के कुछ लिंक्स .....

दरख़्त एक रिश्ता है.. मानों फैला हुआ दरख़्त. दूर दूर तक पसरी शाखायें. कितना सुकून था कभी उसके साये तले जीने में............ मगर अब बीमार हो गया वो, पत्ते बेजान.. न फूल न फल सिर्फ कांटे.. अविश्वास का दीमक खा रह...something for the tan and dry skin... I am so sorry to be away from this blog of mine for about two and a half years. No less. My apologies to my subscribers and followers who expect posts on how we apply a knowledge of Ayurveda to keep a few...रूप तुम से कहा था न मिलना मुझे अपने उसी रूप मे जो तुम्हारा है पर अफसोस मैं देख पा रहा हूँ वही रूप जिसे तुम देखते हो रोज़ आईने के सामने वो रूप नहीं भ्रम है मुखौटा है जो काला है कभी गोरा है जिसकी कल्पना कभी चित्र ब...

सच्चा प्रेम ?  आज वो बात कहाँ, वो लोग कहाँ उनसे हुई वो, पहली मुलाकात कहाँ ? बचे है तो सिर्फ, कागज पे लिखे बोल प्यार के , प्यार करने वाले, वो लोग अब बचे है कहाँ ? ये नसीब की बात नहीं, ये अमावस की रात नहीं ये तो इक खा... टूटती कडि़यां आज के दौर में स्नेह और आत्मीयता की टूटती कडि़यों बिखरते संबंधों के साथ मुझे अपने पिछवाड़े बंधी भैंस याद आने लगती है। एक बार मैने भैंस को बांध दिया सांकल से, सांकल को बांध दिया खूंटे से, अब खूंटे को गाड़..नीम रस पीयेः निरोगी जीवन जीये keZऔर स्वास्थ्य सिक्के के दो पहलू है,धर्म मानव का सच्चा मार्गदर्षक है,नववर्ष का आरभ चैत्र नवरात्री से होता है तब हम सब स्वास्थ्य रहे और बीमार न हो तथा तंदुरस्त बने रहे,यह हमारे लिऐ गर्व की बात है क...

तुम लौटा नहीं सकते कितने साल हो गए कोई सस्ता सा लतीफा सुनाये हुए और आख़िरी बार कई बरस पहले दिल्ली के एक ढाबे पर दोस्त को दिया था धक्का. कितना ही वक़्त हो गया दस बीस लोगों के बीच बैठे हुए कि खो दिए दोस्त और किसी एक झूठी बात...  वैज्ञानिक पद्धति एवं आस्था और विश्वास। .उपयोगी है वैज्ञानिक पद्धति लेकिन मानवीय व्यवहार और सरोकारों पर इसे लागू करना विचार और हमारी आस्था और विश्वासों को रोबोटीय बनाने के तुल्य है.(The Greatest Mystery/The scientific method has its uses... तब बचें रहेंगे आप  किसे कहे और क्या कहे हर जगह पर है कुछ खड्डें और उनसे निपटने का उपाय वहाँ रहने वाले लोग कर रहे है अगर आप बहुत शालिन और सीधे सीधे सोचने वाले है तो आप समझ लें कि आप उन खड्डों में पहले गिरेंगे तालियाँ बजेंगी औ...

तुम्हारी धुन पर नाचे आज मेरे गीत.... तुम्हारी धुन पर नाचे आज मेरे गीत, कहो तुम हो कहाँ ओ व्याकुल मन के मीत। झंकृत है ये तन,मन और जीवन, हो रहा है ह्रदय नर्तन, थिरक कर कर रही कोशिश, झूमने की आज दर्पण। होंठों पर सुरमयी शब्द के, अक्षरों की होगी जी... सुर कभी भी बेसुरे नहीं होते ..... सुर कभी भी बेसुरे नहीं होते चाहत जिसे हो मन्द्र की तार सप्तक के स्वर शोर सा करते लगते हैं .... जब आदत हो ऊँचे बोलों की सरगोशियों में मध्यम सुर अक्सर अनसुने रह जाते हैं .. दोष कभी भी नहीं रहा वीणा के ढी...मंजिल की ओर एक कदम --- ललित शर्मा  जन्मदिन की पूर्व संध्या पर सैर के लिए निकला। अंधेरा हो चुका था। सैर के रास्ते में श्मशान पड़ता है। शाम को कभी वहीं एक पुलिया पर बैठ जाता हूँ। अंधेरे मे कुछ काली आकृतियों की हलचल दिखाई देने लगी। 15-20 लोगो...

जल जीवनदाता ; इसे शत-शत करो प्रणाम !!  *विश्व जल दिवस के अवसर पर प्रस्तुत हैं मेरे लिखे कुछ दोहे** * *जल जीवन है प्राण है** !*** *सलिल वारि अंभ नीर जल पानी अमृत नाम**!* *जल जीवनदाता** ; **इसे शत**-**शत करो प्रणाम**!!*** *वृक्ष लता क्षुप तृण सभ... . हरफ़े अख़तर  ज़िन्दगी तेरी तल्खी गर शराब जैसी है , प्यास मेरी कब कम है, बेहिसाब जैसी है . सच तो ये है जानेमन हम भी एक हस्ती हैं , हाँ मगर यह हस्ती भी बस हबाब जैसी है . होश में या नशे में कर तो ली थी कल तौबा, आज फिर म... पिताजी तुझसे से दूर हुआ हूं बेशक, पर मां तेरा हूं। तेरे आंगन आता जाता, नित का फेरा हूं। तुझसे सीखा बातें करना चलना पग-पग या डम मग तूने कहा तो मान लिया ये दुनिया है ... 

छोटे चोर...चोर, बड़े साहूकार...!  छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि एस्सार सहित के द्वारा 2006 से पानी चोरी कर रही है। इससे पहले उद्योगों द्वारा जबरिया जमीन कब्जे व मनमाने ढं.....मोहब्बत से इतर भी एक अमृता थी जो खुदा से मिल खुदा ही बन गयी थी - "खामोशी से पहले "---------अमृता प्रीतम इसमे अमृता का दूसरा ही रूप नज़र आयेगा मोहब्बत से इतर भी एक अमृता थी जो खुदा से मिल खुदा ही बन गयी थी *पुस्तक मेल.. वीरेन्‍द्र कुमार कुढ़रा की व्यंग्य एकांकी - जिन्दा ! मुर्दा !! - व्‍यंग्‍य एकांकी - जिन्‍दा ! मुर्दा !! -वीरेन्‍द्र कुमार कुढ़रा पात्र परिचय नर्स- बार्डबॉय- जमादार लेखक - संचालक - नेता - ( पर्दा उठते ही मंच पर प्रकाश आने... 

विचार और आचरण के भेद को मिटाना जरुरी – डॉ. जीवन सिंह - बिलासपुर। शहीद भगत सिंह का दर्जा इसलिए सबसे अलग हैं, क्योंकि वे महान क्रांतिकारी देशभक्त होने के साथ ही विचारक थे तथा उन्होंने विचार और आचरण के भेद को अपने...भोर - *** * *भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा**, * *रवि ने किया दूर **,**जग का दुःख भरा अन्धकार **; **किरणों ने बिछाया जाल **,**स्वर्णिम और **मधुर** **अश्व खींच रह...  क्या आप सफल हैं???. - निर्मल हास्य के लिए जनहित में जारी :) सफलता - कहते हैं ऐसी चीज होती है जिसे मिलती है तो नशा ऐसे सिर चढ़ता है कि उतरने का नाम नहीं लेता. और कुछ लोग इस... 

ज्‍योतिष दिवस' आते जाते रहेंगे .. न ज्‍योतिष और न ही ज्‍योतिषी को सम्‍मान मिलेगा !! - कल के अखबार में पढने को मिला कि इस वर्ष से नव संवत्सर को 'विश्व ज्योतिष दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इसमें कुछ गलत नहीं , जीवन के हर कमजोर संदर्भ को मजबूत... जौनपुर के मध्य युगीन सिक्के - डॉ. मनोज मिश्र जी ने अपने चिट्ठे मा पलायनम में जौनपुर के इतिहास के बारे में किश्तों में एक आलेख लिखा था जिसे हम इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए बहुत ही म... जाने कितने आए और चले गए --- - पता चला है कि हिंदी ब्लोगर्स की संख्या ५०००० का आंकड़ा पार कर गई है । हालाँकि सक्रिय हिंदी ब्लोगर्स की संख्या १००० से ज्यादा नहीं है । एक कहावत है --नया ... 

अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार..... 

शनिवार, 24 मार्च 2012

इतिहास के झरोखे में चोरी कहेंगे या प्रेरणा -------- ब्लॉग4वार्ता------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, विक्रम संवत का कैलेंडर बदला है, नव विक्रम संवत के साथ नवरात्रि का पर्व शुरु हुआ। सभी मित्रों को नवरात्रि पर्व एवं नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं। लोग इसे अब हिन्दू नव वर्ष कहने लगे। जबकि यह कैलेंडर समस्त विश्व के लिए बना है।  परन्तु अब इसे सिर्फ़ हिन्दुओं तक ही सीमित कर दिया गया। देखा कि हिन्दू नव वर्ष की बधाईयाँ दी  जा रही  हैं। बधाईयां नव संवत्सर की दी जानी चाहिए। नव संवतसर से ॠतु परिवर्तन प्रारंभ होता है। बसंत ॠतु से ग्रीष्म की ओर बढते हैं। पतझड़ प्रारंभ होता है और प्रकृति अपना कायाकल्प कर नवीन रुप को धारण करती है…………अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर…… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक…  

कृपया बताइये, इसे चोरी कहेंगे या प्रेरणा अक्सर हम रचते समय पूर्व के श्रुत-संस्कार या पढ़े-संस्कार को अपनी रचना में ढाल जाते हैं. हमें भी पता नहीं होता या स्पष्ट याद नहीं होता कि इसका पूर्व और पूर्ण सन्दर्भ क्या है. यह सायास नहीं अनायास होता है. ...मेरे बचपन की गलियाँमेरे बचपन की गलियाँ * *अब मुझे नहीं पहचानती वहाँ की धूप -छाँव जो थी जीवन मेरा ... अब भर देती हैं मन के भीतर क्रंदन ही क्रंदन बंदिशे जो अब और तब भी लगती थी मुझ पर .. तान कर सीना मैं चलूँ अपनी पि...शहीद [The Thought ]शत -शत नमन, अमर पुत्र ! . नहीं है कुछ कहने को प्रशंशा में तेरें , नहीं हैं तेरे स्तर की, कोई उपाधियाँ , नहीं है कोई उपमा तेरे समक्ष नहीं है कोई ज्योति , जैसी तुने जलाई , नहीं है कोई स्वप्न सदृश्य , जो ...

क्या आप सफल हैं???.निर्मल हास्य के लिए जनहित में जारी :) सफलता - कहते हैं ऐसी चीज होती है जिसे मिलती है तो नशा ऐसे सिर चढ़ता है कि उतरने का नाम नहीं लेता. और कुछ लोग इसके दंभ में अपनी जमीं तो छोड़ देते हैं .अब क्योंक...'ज्‍योतिष दिवस' आते जाते रहेंगे .. न ज्‍योतिष और न ही ज्‍योतिषी को सम्‍मान मिलेगा !!कल के अखबार में पढने को मिला कि इस वर्ष से नव संवत्सर को 'विश्व ज्योतिष दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इसमें कुछ गलत नहीं , जीवन के हर कमजोर संदर्भ को मजबूती देने के लिए उन्‍हें वर्ष के एक एक दिन निश्चित कि...हिंदू नववर्ष नुबारक हो.आज 23 मार्च २०१२ से हिन्दू नववर्ष एवं विक्रम शक संवत्सर २०६९का आरंभ हो गया है. हिन्दू नववर्ष के आरंभ के साथ ही नवरात्र भी प्रारंभ हो गए हैं. बसंत ऋतु के आगमन का संकेत मिलने लगता है, और वातावरण खुशनुमा एहस...

नव-वर्ष की हार्दिक बधाईआज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी नए साल का पहला दिन है. हिन्दू धर्म में आज के दिन का काफी महत्त्व है ,ब्रम्ह पुराण के अनुसार ब्रम्हा ने आज ही के दिनसृष्टि रचना का कार्य प्रारंभ किया था.यह भी माना जाता है की ...बस्ती का आलमहर गली, हर मोड पे, तेरे नाम की तख्ती लगी है पर, तू रहती कहाँ है ? कोई कुछ कहता नहीं है !! ... सच ! हम समझ गए थे उसी दिन, तेरी बस्ती का आलम जब कुकुरमुत्तों को, मशरूम कह के नवाजा जा रहा था !! इतिहास के झरोखे में नवसंवत्सरइतिहास के झरोखे में नवसंवत्सर* *चैत्र शुक्ल प्रतिपदा* भारत का सर्वमान्य संवत विक्रम संवत है, जिसका प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का ...

सफलता की दिशा में  मौसम के तेवर बदले हुए हैं। अब तक गर्मी की दस्तक सुनाई दे रही थी, जो अब दबे पाँव आँगन तक आ गई है। इस मौसम ने सभी को व्यस्त कर दिया है। बच्चों के लिए तो यह परीक्षा का मौसम है। तनावभरा मौसम। ...पंथी परदेसीराह तुम्हारी दूर चले आये तुम पंथी भूले , हुए उदय कुछ पुण्य हमारे पद राज पा हम फूले ! स्नेह बिंदु कुछ इस मरुथल में आ तुमने बरसाये , ये सूखे जीवन तरु राही पा तुमको सरसाये ! स्वागत गान तुम्हारा गाती भ्रमरावल...मुस्कुराने का कोई सबब नहीं होता इन दिनों अजीब-सी हालत है। आंधियां मध्य-पूर्व और पूर्वी अफ्रीका के रेगिस्तानों में चलती हैं, मौसम दिल्ली का बदल जाता है। ३१ मार्च की डेडलाइन नौकरीपेशा लोगों की सांसत कम, हम जैसे फ्रीलांसर्स के गले की हड्डी ...

सैनिको के खाने का डिब्बाइन दिनों मैं रक्षा मंत्रालय में पदस्थापित हूँ. यहाँ सुरक्षा में तैनात सेना के जवान, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान के लिए खाने का डिब्बा आता है. उन डिब्बो को देख मन में भाव उठा कि उन्हें घर...संवेदनाएं रिश्ते हैं यहाँ अपेक्षाओं से भरे दम तोड़ते ************* भावुक मन संवेदना से भरा बरस गया । **************** रेत ही रेत पलकों में समाई खुश्क हैं आँखें ...................कम्फर्ट ज़ोन....
बड़ी चिलचिलाती धूप थी, देखा तो एक कुत्ता बड़े आराम से, मेरे दादा जी की खाट के नीचे जहाँ एक बहुत ही बढ़िया कम्फर्ट ज़ोन था...वहाँ बिना इजाज़त, फ़ोकट में, बड़े आराम से टांग-पूँछ सम्हाले हुए कम्फर्टेबली पड़ा हुआ था...
भूली -बिसरी बातेंवक्त की कडाही में मैंने पकाई स्नेह ,अपनापन औ समर्पण भरी मिठास से रिश्तों की रसमलाई तुम नही आई पर ....... याद तुम्हारी बार-बार आई भूलने की तुम्हे मैंने कोशिश की कई बार भूल नहीं पाई मै तुमको दिल के आगे गई ...सरदार भगतसिंह का अंतिम पत्र सरदार भगतसिंह का अंतिम पत्र अपने साथियों के नाम :* * * *“22 मार्च,1931, “साथियो, स्वाभाविक है कि जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए, मैं इसे छिपाना नहीं चाहता। लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता ह... धन का आना और मानवीय संवेदनाओं का जाना जब भी देखा है , सोचा-समझा है, यही पाया है कि धन का आना और मानवीय संवेदनाओं का जाना साथ-साथ ही होता है। बहुत हैरान करती है ये बात कि कल तक जो परिवार स्वयं आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे थे, आज थोङा आर्थिक स...

नवरात्रि पर्व एंव नव संवत्सर आरंभ होने पर हार्दिक शुभकामनाएं। अब देते हैं वार्ता को विराम्…… मिलते हैं एक ब्रेक के बाद…… तब तक इसे पढें……… राम राम

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

जीवन चक्र: दुनिया जादू का खेल - ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, श्री श्री रविशंकर के बयान को लेकर काफ़ी हल्ला मचा हुआ है, अखबारों पन्ने रंग दिए हैं और बड़े पैमाने पर आलोचना हो रही है। उनका कहना है  कि भारत में सरकारी स्कूलों को बंद करके निजि स्कूल खोलने चाहिएं क्योंकि सरकारी स्कूल नक्सलियों को जन्म देते हैं, साथ ही उन्होने कहा कि निजि स्कूलों में कभी उग्रवाद नहीं सिखाया जाता……। इस बयान पर मुझे भी आपत्ति है, जब हम पढते थे तो ग्रामीण क्षेत्रों में निजि स्कूल होते ही नहीं थे, सभी सरकारी स्कूल थे, क्या उस समय पढने वाले सभी विद्यार्थी नक्सलवादी या उग्रवादी हो गए। अगर सरकारी स्कूल नहीं होगें तो आम आदमी के बच्चे कहाँ पढने जाएगें और उनकी शिक्षा-दीक्षा का भार क्या श्री श्री उठाएगें। इनके बयान ने  बहुत सारे स्वाल खड़े कर दिए हैं। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और प्रस्तुत करते हैं कुछ उम्दा लिंक……………

चंद सफ़े ओशिमा डायरी से18 मार्च, 2012 *कल दिन भर करने को कुछ नहीं था सो इंतज़ार था सुबह का लेकिन नींद खुली सवेरे आठ बजे नाश्ते की गुहार के साथ । इस होटल में रूम सर्विस नाम की कोई चीज़ मालूम नहीं देती । कल शाम भी यही हुआ ठी...चलो..चलो, पुराने कपड़ों की तहों से अतीत की यादों को निकालें, जंग लगे बक्सों के तालों को खोल डालें, कोई माला ,कोई मोती , किसी सिक्के से सुनें कहानी, बर्तनों के ढेर से सुन लें उनकी जुबानी. पूछें घर के कोने-कोने से ...पर्यावरणीय दोहे जंगल जंगल वेदना, मनुज वेदना शुन्य| भटके भूले राह सब, कहाँ पाप कंह पुण्य|| नादानी है छीनना, हरियाली के प्राण| वरदाता सब पेड अब, मांगें जीवनदान|| यदि बचाना स्वयं को, अरु अपना संसार| पेड लगा कर हम करें, सृष...

पेट कटारी बनी साहर के रिगबिग-सिगबिग अंजोर ले बने तो गांव के महिना पंद्रही के पुन्नी के अंजोरी बने। भले अगोरा करा के आथे फेर तिहरहा कस खुसयाली तो लानथे। जिहां दिन अउ रतिहा सबर दिन एके बरोबर उहां के मन पुन्नी पुनव...पश्चिम में प्रकाश बात सभ्यता की हो, अध्यात्म की, योग की या शाकाहार की, भारत का नाम ज़ुबान पर आना स्वाभाविक ही है। सच है कि इन सभी क्षेत्रों में भारत अग्रणी रहा है। वैदिक ऋषियों, जैन तीर्थंकरों, बौद्ध मुनियों और सिख गुरुओं ...मैं... एक लड़की की अलमारीना ना प्रिये ... देखो यूँ ज़ुल्म मत करो मुझ पर क्यूँ लोगों को यह कहने का मौका देती हो कि स्त्रीलिंग ही स्त्रीलिंग की दुश्मन है... देखो तो ज़रा मेरे नाज़ुक कंधों पर कितना बोझ डाल रखा है तुमने जो कभी उफ़न कर...

बार बार दिन ये आए , बार बार दिल ये गाए ---चुनाव . हर वर्ष के आरंभ में हम डॉक्टर्स अपनी संस्था , दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनाव कराते हैं . मार्च अंत तक जहाँ एक तरफ वित्तीय वर्ष का अंत होता है , वहीँ हमारे भी चुनावों की प्रक्रिया समाप्त ह...बुरबक टाईप लगते हैं-श्री श्री वाले रविशंकरपिछले दिनों श्री श्री वाले रविशंकर पटना आए थे. उस दौरान मैंने जो महसूस किया था उसे लिख रखा था लेकिन उस वक्त ब्लॉग पे लगाना भूल गया था. अभी क्या है कि श्री श्री के हालिया बुरबकई से भरे बयानलगता है बहक गए हैं श्री श्री मै*ने सोचा नहीं था कि कभी मुझे आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को कटघरे में खड़ा करना पड़ेगा। मैं जानना चाहतां हूं कि श्री श्री को हो क्या गया है, आप कह क्या रहे हैं, इसका मतलब समझ रहे हैं। देश के सरका..

अस्तित्व का भान!मेरी कवितायेँ शीर्षक विहीन हुआ करती थीं... यूँ ही लिखते थे और कोई शीर्षक नहीं ढूंढ़ पाते थे... किसी शीर्षक की परिधि में भाव को बाँधने का अनुशाषण सीखना मेरे शब्दों के लिए सरल नहीं रहा है... एक बार एक शीर्षक...चुप्पी के बोलसुबह की पहली किरणे सी मैं न जाने कितनी उमंगें और सपनों के रंग ले कर तुमसे बतियाने आई थी ... लम्हे .पल सब बीत गए मिले बैठे मुस्कराए हम दोनों ही पर चाह कर भी कुछ कह न पाये बीते जितने पल वह बीते कुछ...जन्म दिनवेश बदलकर हम फकीरों का ** *रोज तेरे दर पर सजदा करते हैं * * * ** हैप्पी बर्थ डे ** * * *अपने सबसे अजीज मित्र के जन्म- दिन पर क्या शुभकामना दू --यहीं सोच रही हूँ ...* * * दिल में अरमान हैं क...

यमराज और स्वर्ग प्राप्ति के नये नियमयमराज अपने सिंहासन पर उंघ रहे थे कि चित्रगुप्त ने आकर उन्हे डिस्टर्ब कर दिया। यमराज बोले- "चित्रगुप्त, हमारी रानी की तरह तुम्हे भी क्या हमारा सुख देखना पसंद नही।" चित्रगुप्त ने सफ़ाई दी - "महाराज, आपात ...ख़तइतने बरसों बाद तुमको देखा तो ये ख़याल आया ........ के जिन्दगी धूप, तुम घना साया ......!!! नहीं -नहीं ,जीवन में धूप की भी तो जरुरत होती है विटामिन- डी के लिए ........!! .तुम को देखा तो मुझे ख्याल आया ...असफल प्रयास..आँखों से छलका । एक आंसू , पलकों ने किया असफल प्रयास गिरने से, रोकने का । बचाने का , उसके अस्तिव को । अंतत , वह गिर गया । संवेदनहीनता की , रेतीली ज़मीन पर। 

रिश्ते : कल्पना जड़ेजारिश्तों को न थामों तुम मुट्ठी में रेत की तरह ... सरक जायेंगे वो भी वक़्त की तरह .. महसूस करो तुम उनको हर एक साँस की तरह ... रिश्ते जब बंधते है तो ख़ुशी देते है ... टूटते है तो कॉच की तरह. अनगिनित परछाई मे...बस!! यूँ ही एक गज़ल बन गई..इधर व्यस्तता के दौर में समय समय पर आस पास देखते, अखबार पढ़ते, टीवी देखते तरह तरह के विचार आते गये और मैं उन्हें अलग अलग कागज पर लिखता रहा. कभी घर के पिछली सर्दी में बर्फीले तूफान के दौरान पानी से हुए एक्...छत्तीसगढ़ के राशन दूकानों में "अन्नपूर्णा ए.टी.एम.सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और भी अधिक पारदर्शी तथा सुगम बनाने कोर पी.डी.एस. *** (समाचार) राशन दूकान संचालित करने वाली महिलाओं को मिला अन्नपूर्णा ए.टी. एम.*मु*ख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसग...
परोपकार करते चलो रात अंधेरी गहराता तम सांय सांय करती हवा सन्नाटे में सुनाई देती भूले भटके आवाज़ कोइ अंधकार में उभरती निंद्रारत लोगों में कुछ को चोंकाती विचलित कर जाती तभी हुआ एक दीप प्रज्वलित तम सारा हरने को मन में ...नहीं गिला अपने जब चिर विदा ले तो दे जाते है हमे असीम गम साल बीतने को आया पर याद आते ही आँखे होती आज भी नम तुम्हे खोने का बोझ मन पर है बड़ा ही भारी । चल चित्र की तरह बीता समय सामने आने का क्रम अब भी है ज़ारी । अब तुम नह...धन-शोहरत की चकाचौंध को शहर कहते है लोग !  इस माह के द्वितीय सप्ताह में, किसी काम से दक्षिण को जाते हुए एक दिन के लिए मुंबई में रुका था ! मुंबई में गंतव्य की ओर बढ़ते हुए टैक्सी की पिछली सीट पर खामोश बैठा उस शहर को बस यूँ ही बारीकी से निहार रहा था...

तेरी आँखों में ज़माने ने जमाना देखा तेरी आँखों में ज़माने ने जमाना देखा रिंद भी देखे,मय देखी, मयखाना देखा होश में खुद रही,रिन्दों को बेहोश किया ए साकी मैंने तेरे हांथों में पैमाना देखा तूने रिन्दों के दिलों से हटा दिए हर गम पर तेरी आंखों...जीवन चक्र इंसान अपनी परेशानियों से कितना घबराया रहता है........जबकि जानता है कि यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं............और जो होना है उस पर कोई वश नहीं...........जो मिलना है उससे कोई वंचित नहीं रहता.......फिर भी परेशां ... फिर लाशों का तर्पण कौन करे ?  यहाँ ज़िन्दा कौन है ना आशा ना विमला ना लता ना हया देखा है कभी चलती फिरती लाशों का शहर इस शहर के दरो दीवार तो होते हैं मगर कोई छत नहीं होती तो घर कैसे और कहाँ बने सिर्फ लाशों की खरीद फरोख्त होती है जहाँ लाश...


विश्व जल दिवस : जल बचाएं *आज विश्व जल दिवस है. चलिए, आप सभी मेरे साथ संकल्प लें कि आज से और अभी से हम पानी को बर्बाद नहीं होने देंगें.* *जल की हर बूंद हमारे जीवन और धरती के जीवन के लिए बहुत जरुरी है. * जन्मदिन: दुनिया जादू का खेल आभासी दुनिया में एक जन्मदिन और मना लिया। पहले के जन्मदिन पाबला जी के ब्लॉग पर मनाए। पाबला जी के ब्लॉग ने साथ नहीं दिया। अब वह वेबसाईट बन गया है। पदोन्नोति तो होनी ही चाहिए। पहले जन्मदिन वाला ब्लॉग ही बतात...

वार्ता को देते हैं विराम्……मिलते हैं ब्रेक के बाद्………आभार

गुरुवार, 22 मार्च 2012

सरिताओं के जीवन पर कठोर प्रहार .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार ,  भारतीयों का नव वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस को होता है। इस समय भारतवर्ष का वातावरण मनोरम रहता है , वसंत का मौसम , न ग्रीष्‍म न ठंड न बारिश , पेडों में नए पत्‍ते लग जाते हैं। ज्‍योतिष के प्रसिद्ध ग्रंथ 'हिमाद्रि' व ब्रह्मापुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को प्रथम दिन सूर्योदय के समय सृष्टि की रचना की, इसलिए तिथि व वार का प्रारम्भ उसी वक्‍त से माना जाता है। भास्कराचार्य ने भी अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'सिद्धांत शिरोमणि' में लिखा है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रारम्भ में रविवार के दिन से दिन, मास, युग एक साथ आरंभ हुए हैं। अत: यह दिन सृष्टि रचना का दिन है, तभी से कालगणना शुरू हुई। यही कारण है कि भारतवर्ष में प्रचलित अनेक संवत चैत्र शुक्ल प्रथम दिन को प्रारम्भ होते हैं तथा भारतीयों का नया साल इसी दिवस से विक्रमी संवत के रूप में मनाया जाता है। इस बार 23 मार्च को यह दिन हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। आप सबों को हिन्दू नव वर्ष की शुभकामनायें . 
 

अब आपको लिए चलते हैं आज की वार्ता पर , कुछ चुने हुए लिंक्‍स , उस पोस्‍ट की चुनी हुई एक टिप्‍पणी के साथ ...

चलो.........
निदा साहब फरमाते हैं कि
अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए,
घर में बिखरी हुई चीज़ों को संवारा जाए!
और आपकी कविता पढकर पता चला कि क्यों ज़रूरी है उन्हें संवारना!! बहुत आनंददायक!!
पर्यावरणीय दोहे
भाये ए सी की हवा, डेंगू मच्छर दोस्त ।
फल के पादप काटते, काटें मछली ग़ोश्त ।
काटें मछली ग़ोश्त, बने टावर के जंगल ।
टूंगे जंकी टोस्ट, मने जंगल में मंगल ।
खाना पीना मौज, मगन मानव भरमाये ।
काटे पादप रोज, हरेरी अपनी भाये ।।
सूर्यास्त
धरा की यही तो विशेषता है कि उसे किसी से कोइ गिला शिकवा नहीं होता |वह सदा ही क्षमाशील और अपने में सब को समेट लेना चाहती है |
अच्छी प्रस्तुति |
बार बार दिन ये आए , बार बार दिल ये गाए ---चुनाव .अब खुद ही सोचिये आप की जब एक अपनी संस्था(डीएम्ए) के चुनाव के अन्दर इतना रस है तो दिल्ली विधानसभा और लोकसभा के चुनाव के अन्दर कितना रस नहीं होगा ? :) :
शाश्वत प्यार .
प्रकृति के हर उपादानों में तो देना एक नैसर्गिक गुण है, पर बदले में हम प्रकृति को निचोड़ रहे हैं, शोषण कर रहे हैं। जितनी कोमल कविता की रचना की है हमें भी उतने ही कोमलता से प्रकृति के प्रति रुख रखना चाहिए। वरना एक दिन हम बूंद-बूंद जल को तरसेंगे।
सरिताओं के जीवन पर जब
करता तपन कठोर प्रहार
व्योम मार्ग से जलधि भेजता
उन तक निज उर की रसधार
अस्तित्व का भान!

सबको अपने अस्तित्व का भान हो तो सूरज मुस्करा उठेगा।
हाथ में पहले तो खंजर दे दिया ...
एक बस फरमान साहूकार का
छीन के घर मुझको छप्पर दे दिया
ज़िन्दगी के अप विकासी ,प्रति गामी -चित्रों को ,आपने क्यों ग़ज़ल नाम दे दिया ?
कोई अशआर 'विशेष आर्थिक क्षेत्र 'स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन 'पर व्यंग्य है कोई बलात्कारी व्यवस्था पर ,रेप पर .
ज़िन्दगी के अप विकासी ,प्रति गामी -चित्रों को ,आपने क्यों ग़ज़ल नाम दे दिया ?
कोई अशआर 'विशेष आर्थिक क्षेत्र 'स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन 'पर व्यंग्य है कोई बलात्कारी व्यवस्था पर ,रेप पर .
आज का सारा फरेब और मक्कारी का अनुरूपण आपकी ग़ज़लों में है .
बस कोई ...
आहा ..
हर कार्य की संपूर्णता के लिए किसी का साथ जरूरी है .. बेहतरीन।
मृग कस्‍तूरी वन वन ....कार्टून कुछ बोलता है- गरीबी रेखा !
ऊपर आने के बाद का सच भी कितना कडुवा है ... सच है कार्टून बोल रहा है आज ... चीख चीख के ...
दिल जोड़ना ही सीखा.............
जवाबी ख़त का कोई जवाब नहीं है .. अति सुन्दर सृजन..
दालान की ढिबरी
ढिबरी और दादा
अब दोनों नहीं बनते,
हमारी दुनिया बदल रही है,
पहले की बात और थी
जब ढिबरी से भी
जुड़ते थे रिश्ते ! 
कभी बड़ी मत होना
बहुत सुंदर प्रस्‍तुति ..
पर बडी होना भी तो आवश्‍यक है ..
कौन संभालेगा जीवनभर बचपन को !! 
नोर्वे में भारतीये दंपत्ति से बच्चे छीने गए -- अनदेखा सच
निश्चित रूप से बहुत से तथ्य सामने नहीं आ रहे हैं। इन तथ्यों की खोज की जानी चाहिए। तभी कुछ कहना सही होगा। कयास लगाने से गलत नतीजे भी निकल सकते हैं।
यह सही है कि हम पेट काट कर पैसा बचाते हैं। शायद बुरे भविष्य के लिए। क्यों कि भारत में सामाजिक सुरक्षा नाम मात्र को भी नहीं है। बच्चों, वृद्धों और निर्बलों के लिए इस तरह के सामाजिक कानून उसी देश में हो सकते हैं जहाँ ऐसे लोगों के लिए सरकार ने पर्याप्त और संतोषजनक सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था की हो।
सूफ़ियों ने विश्व-प्रेम का पाठ पढ़ाया अंक-9
बड़ी-बड़ी धर्मसभाओं में भी अक्सर लोग पूछते हैं कि कौन सी किताब पढ़ें,किस भगवान को मानें? जवाब मिलता है कि मानव-धर्म को मानो। यह उत्तर बहुत भ्रामक है और अधूरा भी।वास्तव में,बिना गुरु ईश्वरप्राप्ति संभव नहीं। जिस मार्ग का पक्के तौर पर कुछ पता न हो,उसके लिए पूछना तो पड़ता ही है;गुरू इसलिए ज़रूरी है। गुरू इसलिए भी ज़रूरी है कि जब मंज़िल मिल जाए तो इसकी पुष्टि हो सके कि हां,यही है मंज़िल। इसलिए,मीरा ने कहाःसत् की नाव खेवटिया सतगुरू। अर्थात्, सत्य की नाव पर्याप्त नहीं,उसे पार लगाने वाला भी चाहिए। गुरू वही खेवैया है। गुरू इतना महत्वपूर्ण है कि कबीर ने कहा कि भगवान से द्रोह कर लो तो गुरू के यहां ठौर मिल सकता है,मगर गुरू से द्रोह किया तो कहीं ठांव नहीं।
असफल प्रयास.......
सच है जहाँ संवेदनहीनता की रेतीली ज़मीन हो वहां इन आंसुओं का कोई अस्तित्व नहीं होता... गहन भाव
आदतें
जिस्म से रूह का सफ़र रूह ही करती है
मेरी साईट का नया टेम्पलेट दिल को छूने वाले ब्लॉग के साथ मंयक भाई गुड मोर्निंग कल तो मेरे उस वक़्त होश उड़ गए जब आप की साईट पर लोगिन करने पर बार -बार एक चेतावनी आ रही थी ...की इस ब्लॉग पर जाने की आप को अनुमति नहीं ...आज सुवह नीद से जागते ही फिर प्रयास किया तो ये क्या देख रहा हूँ यहाँ तो सब कुछ बदल गया ..नहीं बदले वो है सिर्फ मेरे मयंक जी ...खैर देर आये दुरुस्त आये........बधाई हो मयंक जी आप ने तो कमाल ही कर दिया क्या टेम्पलेट लगाया है मज़ा आ गया ..बहुत-बहुत बधाई हो
होली के उन्माद में नाचना
भले गायन न सही नृत्य तो वास्तव में हमारे गुणसूत्रों में सदैव बना रहता है. यह होता भी रहता है परन्तु हमें आभास नहीं होता. होली एक ऐसा अवसर है जब व्यक्ति सभी संकोचों से बाहर आ जाता है. अच्छा लगा आप को अपने मूल स्वरुप में देख कर.
किसम-किसम के कर्मचारी
विष्णु जी, मेरी नज़र में सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य वही होते हैं जिनमें सच के अलावा कुछ न हो, न रंचमात्र अतिश्योक्ति और न ही दाल में नमक के बराबर कड़वाहट, मगर मज़ा भरपूर हो। यह प्रविष्टि ऐसे ही उत्तम व्यंग्य आलेखों में से एक है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरी के दौरान मेरा एक अवलोकन था कि पहले वर्ग के कर्मचारी बाकी दोनों वर्गों को ससम्मान अपने साथ चलाते (और घसीटते व धकियाते) हैं। मगर पूरे विभाग की गति अक्सर उतनी ही होती है जितनी तीसरे वर्ग की जब तक कि उन्हें पूरी तरह अदृश्य न मान लिया जाये। तीसरी श्रेणी में वे भी हैं जिनके दफ़्तर आने का एकमेव उद्देश्य दफ़्तर के फ़ोन से लेकर एसी तक का सदुपयोग करके वहाँ से अपना निजी उद्योग चलाना होता है और यह उद्योग शेयर ब्रोकर, महाजनी, वसूली आदि से लेकर लघु उद्योग तक कुछ भी हो सकता है। आजकल शायद इनमें से कुछ लोग दफ़्तर के समय में कमाई या व्यक्तिगत विकास के उद्देश्य से ब्लॉगिंग भी कर रहे होंगे।
सम्बोधि के क्षण
तभी कहते हैं कि बच्‍चों के सामने ज्‍यादा ज्ञान नहीं बघारना चाहिए। ज्‍योति कहाँ से आयी और कहाँ गयी? शब्‍द कहाँ से आए और कहाँ गए? हवा कहाँ से आयी और कहाँ गयी? ऐसे अनेक प्रश्‍न हो सकते हैं। बस सारा ही ज्ञान का पाखण्‍ड है और शब्‍दों से खेलने वाले लोग इसे बखूबी विस्‍तारित करते हैं। ऐसे ही विस्‍तारित करते हुए अनेक शिष्‍य बन जाते हैं। बस भारत में हजारों की संख्‍या में ऐसे गुरु उत्‍पन्‍न हो जाते हैं। आज गुरुओं के पास उनके भक्‍तों की अपार भीड़ है लेकिन फिर भी समाज सन्‍मार्ग पर नही है, अपितु ऐसे ही प्रश्‍नों के भ्रम जाल में उलझकर दिशाभ्रमित हो रहा है।


आसमान के ग्रहों के हिसाब से 22 , 23 और 24 मार्च 2012 को क्‍या क्‍या हो सकता है ??
तथाकथित प्रगतिशील और तथाकथित विज्ञानी लोग भले ही आश्चर्य व्यक्त करें या कटाक्ष परंतु बहन जी ने जो व्याख्या की है वैसा प्रत्यक्ष होता है। 1974 मे जब मै अधिक जानकारी नहीं रखता था तब 15 दिसंबर को प्रातः आगरा मे छोटे भाई का दूसरों की गलती से जबर्दस्त एक्सीडेंट हुआ था मै तब मेरठ मे जाब कर रहा था। एस एन मेडीकल कालेज के डाक्टर्स ने तीन दिन जिंदगी के लिए खतरनाक बताए थे। बहुत बाद मे विश्लेषण करने पर पाया की उस वक्त भाई के नवों ग्रह खराब स्थिति मे गोचर मे थे। ढाई दिन बाद चंद्रमा के राशि परिवर्तन के बाद ही लाभ शुरू हुआ और डॉ का अनुमान भी सही रहा। उस हादसे से उसे अब भी शारीरिक तकलीफ हो जाती है। अतः चेतावनी पर ध्यान अवश्य ही दिया जाना चाहिए।
जन्म दिन, ललित शर्मा का ....
जन्मदिन पर आपने खींच दिया ललित चित्र
तह-ए-दिल से आपका शुक्रिया, धन्यवाद है मित्र
 
अब लेते हैं विराम .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद .....

बुधवार, 21 मार्च 2012

आज मौसम ही ऐसा है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...योजना आयोग ने रिपोर्ट जारी कर दी है, पहले ४०.७२ करोड़ गरीब थे जिनकी संख्या घटकर अब ३७.४७ रह गई है. चलिए ये भी खूब रही गरीबी तो घटी नहीं घट गए गरीब... ये तो रही देश की बात, अब करते हैं अपने ब्लॉग और  परिवार की बात. जी हाँ आज हमारे इस परिवार के एक अहम् सदस्य ललितजी का जन्मदिन है, हमारे और पूरे वार्ता दल की ओर से ललित जी आपको जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें और बधाई....
लीजिये अब प्रस्तुत है आज की ब्लॉग ४ वार्ता में मेरी पसंद के कुछ चुनिन्दा लिंक्स....      

रंग बिरंगी एकता
* * *ज़रा सा ख़याल दिल दुखा के गुज़र गया,* *दर्द है के बस वहीँ ठहर गया…. * *फिर दर्द को गूंद के **बनायी **मुस्कराहट,* *बड़ा पुराना है, नहीं ये हुनर नया...*

छत्तीसगढ़ के राशन दूकानों में "अन्नपूर्णा ए.टी.एम."
*सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और भी अधिक पारदर्शी तथा सुगम बनाने कोर पी.डी.एस. *** (समाचार) राशन दूकान संचालित करने वाली महिलाओं को मिला अन्नपूर्णा ए.टी. एम.*मु*ख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि छत्तीसग...

जन्मदिन प्यारे बेटे का ..
*नव संवत्सर नव दुर्गे का ,आशीर्वाद वो लेकर आया * *प्यारा बेटा 'सिद्धार्थ' ,भैया बनकर ,मेरी बिटिया को बहुत भाया * *खुशियाँ मिल...

हम कब होंगे आजाद
*न राह नजर आती हैं न मंजिलें ,न रौशनी का कोई मंजर नजर आता है ,* *भटक न जाये खलाओं(शून्य)में कहीं ;मेरा वतन यूँ बेजार नजर आता है.* *दफ्न होते जा रहें हैं गरीबों के रूहानी नगमें ;हर जवान आँखे मायूस हैं ,* *फज...


हॉकी -हमारा राष्ट्रीय खेल
*हॉकी -हमारा राष्ट्रीय खेल भारतीय हॉकी पुरुष टीम को अग्रिम शुभकामनायें !* भारतीय हॉकी पुरुष टीम को मैं अपने इस प्रेरक सन्देश द्वारा ''लन्दन ओलेम्पिक '' हेतु अग्रिम शुभकामनायें देती हूँ - ...

जाग गया जो अपने भीतर
जाग गया जो अपने भीतर भक्ति का मतलब है सीधा मै तेरा हूँ, तू है मेरा, जितना, जैसे तू चाहेगा उतना ही मुझसे पायेगा ! जग में जिसको प्रेम जानते संदेहों से घिरा ही रहता, घटता बढ़ता देख वक्त वह कहाँ एक सा सदा वह ...

अकेलापन
(१) अंधियारे का मौन नयनों का सूनापन अश्कों की अतृप्त प्यास रिश्तों की झूठी आस धड़कते दिल की गूँजती आवाज़ रहते हैं हर समय साथ इस कमरे में और नहीं महसूस होने देते दर्द अकेलेपन का. (२) आती नहीं...

बर्फ़ीली बारिश को देखते हुए...!
आज मौसम ही ऐसा है, अभी अभी सूरज देवता झांके खिड़की से... उन्हें प्रणाम किया और कुछ कार्य में व्यस्त हो गए... तीन दिन की छुट्टी के बाद आज पुनः वही भागदौड़ वाली दिनचर्या... इसी सब में उलझे थे कि देखा बर्फ़ ग...
 
*ख्वाहिश ** *चाहतों का बसेरा हो.. खुशियों का डेरा हो.. जहाँ पंछी चहचहाते हो.. वो आँगन मेरा हो.. कोयल की कुक से जहाँ सुंदर सबेरा हो.. गीत मै गुनगुनाऊ तो वो नगमा तेरा हो.. जहाँ न आंसू हो .. न दुःख का बसेरा ह...
 
पिघलते और ठिठुरते पहाड बडे अच्छे लगते उनका पिघलना इसलिये कि वे विशाल होते ह्र्दय से ठिठुरना उनका प्रतिनिधित्व करता आम आदमी का पहाड था जहाँ उसका पुर्नजन्म हुआ था नितांत अकेला ,नि:शब्द,शुन्य पर ठहरा चे...
 
अभिनंदनपत्र,... अंगरखाऔरपगड़ियोंकेदिनगए, राजा-रानीबेगमनबाबोकेदिनगए! मंत्रीजीआपबनगएअन्नदाता, औरहमरहगएमतदाता! आपकेसंसदसदस्यबनजानेपर, अपनीजीतकीशराबकाखुमारआनेपर, आपहमेभूलजातेहै, मंत्रीपदकीकुर्सीपरझूलजातेहै! आ...
 
हाहाहा... रेलमंत्री पर ही चढ़ गई रेल ! बेसुरम्‌ हैं ही ना शी में भले, मंत्री कुछ हीनांग । ताली दे दे घी पियें, करते हर दिन स्वांग । करते हर दिन स्वांग, दोष ममता को लागे । तन मन से बीमार, करे क्यूँ बच्चा...
 
जीवन में प्रार्थना का महत्व किसी से छुपा नहीं है . व्यक्ति जब जिन्दगी की जंग में हार जाता है तो वह अपने ईष्ट से प्रार्थना करता है और अगर हमारी प्रार्थना सच्चे मन से निकली होती है तो फिर स्वाभाविक है कि प्...
 
मेरी डायरी के पन्ने नीम की डालियाँ हो गए है तुम्हारी वजह से..........इतनी कड़वाहट आखिर क्यूँ भर दी?? नन्हा सा प्यार का पौधा रोपा था मैंने.........तब कहाँ जानती थी कि ये नीम का है.........पीला रसीला फल खाय...
 
अब लेते हैं आपसे विदा मिलते हैं, अगली वार्ता में, नमस्कार.....

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