शनिवार, 30 जून 2012

मोलई माट्साब फ्लाइंग किस और इक ख़याल … ब्लॉग4वार्ता …… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, राहुल सिंह कहते हैं - किताबी प्राचीन छत्‍तीसगढ़ से पहले-पहल मेरा परिचय एक विवाद के साथ हुआ था, लेकिन जहां तक मेरी जानकारी है, इस विवाद के बाद भी प्‍यारेलाल गुप्‍त जी, पुरातत्‍व की तब युवा प्रतिभा लक्ष्‍मीशंकर निगम जी (अब वरिष्‍ठ विशेषज्ञ) के सदैव प्रशंसक रहे और निगम जी भी गुप्‍ता जी के उद्यम का बराबर सम्‍मान करते रहे। इस भूमिका के साथ सन 1973 में दैनिक देशबन्‍धु में प्रकाशित टिप्‍पणी यथावत प्रस्‍तुत है… अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर, साथ ही पढिए एक उम्दा कविता, पसंद आए तो प्रतिक्रिया अवश्य दीजिए।

मोलई माट्साब *कभी कभी ऐसा समय सामने आ जाता है जब आप अवाक हो बस देखते रहते हैं। बीच बीच में आँखें मलते रहते हैं कि क्या यह सच है जो सामने घटित हो रहा है? सब कुछ बुलबुलों...घर-बाहर (यह कविता विष्णु नागर के संग्रह 'घर के बाहर घर' से और मार्क शगाल की कलाकृति 'द ब्लू बर्ड') मेरा घर मेरे घर के बाहर भी है मेरा बाहर मेरे घर के अंदर भी घ...विश्व के कुछ डिजाइनर भवन --- जहाँ एक तरफ डॉक्टर्स डिजाइनर बेबीज पैदा करने में मदद कर रहे हैं ,वहीँ इंजीनियर्स भी एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के भवन तैयार कर रहे हैं .प्रस्तुत हैं , व...


सुगम-दुर्गम ! *मेरे अरमानो के महल पर, * *अतिक्रमण उन्मूलन * *दस्ते की आड़ में, * *चलाकर अपनी * *ख्वाहिशों का बुलडोजर, * *तुमने **उसे * *जमींदोश किया था जभी से !* *त...सुरूर वही दिन वही रात वही सारी कायनात कुछ भी नया नहीं फिर भी कुछ सोच कुछ दृश्य अदृश्य दिखाई दे जाते कुछ खास कर गुजर जाते फिर शब्दों की हेराफेरी जो भी ल..नई शुरुआत प्यारे पापा*,* सॉरी जो मैंने जन्म लिया और आप की तकलीफों का कारण बनी ये आखरी मेल लिख रही हू आज के बाद ना मैं कष्ट में होउंगी ना आप को आसुओं से सराबोर मेसेज...


भारत के नक्‍शे में करांची और पाकिस्‍तान... सरबजीत सिंहएक पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, पर हेराफेरी से न जाए। पाकिस्तान का भी यही हाल है। किसी समय भारत की दया पर जिंदा रहने और भारत की वजह से ही अ...इतना मुश्किल क्यूँ होता है "ना " कहनाइस लम्बी कहानी की कुछ किस्तों पर कुछ लोगों ने कई कई बार यह कहा कि "जब किसी स्त्री पर उसका पति या ससुराल वाले अत्याचार करते हैं तो उसे पहली बार में ही...यादों में परसाई जी: ‘व्यंग्य यात्रा’ -‘व्यंग्य यात्रा’ का हरिशंकर परसाई की साहित्यिक यात्रा पर केंद्रित अंक का पहला खंड प्रकाशित होकर अपने पाठकों तक पहुंच गया है। 192 पृष्ठ के इस अंक में मेरा.


नहीं लिखा खुदा ने लकीरों में तेरा नाम! नहीं लिखा खुदा ने लकीरों में तेरा नाम!! यादों में रहता है तू हर पल सुबहो- शाम!! नहीं हटता तसव्वुर तेरा पलकों से मेरी !! धड़कनें भी लेती हैं हर पल तेरा ही ना...मृत्यु और मेरा शहर *बचपन में पढ़ी गीता का अर्थ मैं जान पाई बहुत देर बाद, मेरे शहर में जहाँ जीवन क्षणभंगुर है और मृत्यु एक सच्चाई है.... दादाजी कहा करते थे मृत्यु से छ माह पह...है कोई मीरा उर्फ सबीना जैसी.... -*मीरा और **नत्थू खान विवाह के बाद* *-डॉ. शरद सिंह* *प्रेम करना और लिव-इन-रिलेशन में रहना महानगरों के लिए भले ही कोई विशेष बात न रह गई हो किन्तु छोटे श...


चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा .. (भोजपुरी) -चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा टुबेलवा क पानी आयल की नाही धनवा क बेहन रोपायल की नाही झुराय गयल होई अबकी त पोखरी पर...आगत की चिंता नहीं -*धनमद-कुलमद-ज्ञानमद, दुनिया में मद तीन, अहंकारियों से मगर, मति लेते हैं छीन। गुणी-विवेकी-शीलमय, पाते सबसे मान, मूर्ख किंतु करते सदा, उनका ही अपमान। जला ह...संदर्भ: भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष -*लोकप्रियता की अजब पहेली राजेश खन्ना* * कुछ अनछुए आत्मीय प्रसंग* विनोद साव साल 1969 से 1974 तकरीबन पॉंच सालों का यह एक ऐसा दौर था जिसमें हमारे हिस्...


क्या ब्रेकिंग न्यूज़ ने रुकवाई सरबजीत की रिहाई? -विदेश मंत्रालय सोता रहा और नींद के आगोश में हमारे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तान को सरबजीत की रिहाई पर बधाई भी दे दी. सवाल ये है कि अगर हमारी सरकार..अभियान का आखिरी दिन *सर्किट हाउस तिराहे से अदालत की ओर मुड़ना था *पर वहाँ सिपाही लगे थे और सब को सीधे निकलने का इशारा कर रहे थे। सिपाहियों के पीछे सर्किट हाउस के गेट से कु...वजूद ........... *न मैं लैला,न मजनू तुम* *न मैं हीर, न ही फरहाद तुम * *जीवन की आपधापी में* *हमारा प्यार परवान न चढ़ सका,* *मोहताज़ हो गया खुद अपना....* *खुद अपना ही !!* *अ...


फ्लाइंग किस और इक ख़यालयाद है तुमको... उस शाम जब तुमने लौटते हुए... फ्लाइंग किस दी थी... बादल शरमा के लाल हो गये थे... बहुत याद करते हैं तुम्हें... अब जब भी तुम्हारा खत आता है..बगल के मैदान में........ कुछ साल पहले की बात है........ बगल के मैदान में सुबह से ही गहमा-गहमी थी, टेंट लग रहा था दरियां बिछ रही थीं कु्र्सियां सज रही थीं । रह-रहकर हेलो, हेलो...परायों के घर कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई; सपनो की आंखो से देखा तो, तुम थी .....!!! मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी, उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, मैंने तुम्...


वार्ता को देते हैं विराम,  मिलते हैं ब्रेक  के बाद…… राम राम

शुक्रवार, 29 जून 2012

इक रात अमावस है फिर चाँद का आना है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... दिनोदिन महंगाई इस कदर बढ़ रही है, कि इसका असर हर जगह दिख रहा है. कोई क्षेत्र ऐसा नहीं रहा जहाँ इसने अपना रौद्र रूप न दिखाया हो. सब्जियों से लेकर अन्य सभी घरेलू सामानों कि कीमतों में बेइंतिहा वृद्धि हो गई है. ऐसे में खबर है 1 जुलाई से पेट्रोल की कीमत 4 रुपये तक घट सकती है. यदि ऐसा हुआ तो आम आदमी को काफी हद तक राहत मिल सकती है, देखते हैं क्या होता है.  लीजिये प्रस्तुत हैं, आज की वार्ता कुछ पोस्ट लिंक्स के साथ....

आप अपने बच्चों से प्यार नहीं करते क्या... क्या आपको याद है थियेटर या सिनेमा हॉल में जब आपने पहली फिल्म देखी थी तब आपकी उम्र क्या थी... खैर छोडिये अगर याद नहीं है तो... अक्सर मैं देखता हूँ, कई लोग गोद में छोटे बच्चों को लेकर फिल्मे...आगत की चिंता नहीं  *धनमद-कुलमद-ज्ञानमद, दुनिया में मद तीन, अहंकारियों से मगर, मति लेते हैं छीन। गुणी-विवेकी-शीलमय, पाते सबसे मान, मूर्ख किंतु करते सदा, उनका ही अपमान। जला हुआ जंगल पुनः, हरा-भरा हो जाय, कटुक वचन का घाव पर, ... ........आज कुछ बातें कर लें ... कौरवों के विनाश के बहुत दिनों पश्चात नारदजी ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि जिस कार्यवश वे धरती पर अवतरित हुए थे वह तो पूर्ण हो गया ....इसलिए अब वे वैकुण्ठ को प्रस्थान करें .कृष्ण ने कहा " परन्तु अभी एक...

सुरूर वही दिन वही रात वही सारी कायनात कुछ भी नया नहीं फिर भी कुछ सोच कुछ दृश्य अदृश्य दिखाई दे जाते कुछ खास कर गुजर जाते फिर शब्दों की हेराफेरी जो भी लिखा जाता नया ही नजर आता खाली आसव की बोतल में भर...इक रात अमावस है फिर चाँद का आना है ढलती हुई हर रात का बस इतना फ़साना है सारी दीवारें तोड़कर उसे कल फिर चली आना है.. रोकेगा कोई कितना चाहत की चांदनी को इक रात अमावस है फिर चाँद का आना है पाक मोहब्बत की तस्वीर निराली है इक जज़्बात है दिल... किसी मर्द का हाथ उठने से पहले ....  * * *विदेशों मे बस जाने वाले पुरुषों की न ही मानसिकता बदलती है और न ही वहाँ ब्याह कर पहुँची लड़कियाँ पूर्वग्रह मुक्त हो पाती हैं । कई भारतीय महिलाएँ अमेरिका मे आकर भी माँबाप और समाज की झूठी मान मर्याद...

गीता हरिदास -सतीश सक्सेना *कुछ दोस्त , रिश्तेदारों से भी बढ़कर होते हैं , जिनसे आप अपना कोई भी खुशी और दुख बाँट सकते हैं , इन मित्रों के लिए एक बार लिखा यह गीत याद आ गया !* *धोखे की इस दुनियां में ,* *कुछ प्यारे बन्दे रहते हैं !* ..कुछ शामें भूलने लायक नहीं होती .हर शाम ऐसी नहीं होती कि उसे भुलाया जा सके. उस दिन मौसम बेहतर था. वक़्त हुआ होगा कोई सात बजे का और गर्मी के दिन थे. शेख कम्प्यूटर्स के आगे दो कुर्सियों पर लड़कियां बैठी हुई थी. उन कुर्सियों पर अधपके कवि,... दाने-दाने को मोहताज लोकगायिका : पत्रिका में प्रकाशित शेखर झा की रपट  रायपुर। लोककला व लोक कलाकारों के संरक्षण के लिए करोड़ों रूपए खर्च करने वाले छत्तीसगढ़ में लोक कलाकारों के सामने खाने के लाले पड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति को देशभर में प्रसिद्घि दिलाने वाली 68 वर्षी... 

नेह धागे  .* * *कमजोर होते हैं , नेह धागे ,* *जोड़ोगे दिल से, तो कायम रहेगा -* *** *वर्षा जो सावन,हुलस वीथियों में ,* *जख्मों का दर भी मुलायम रहेगा -* *** *न बीतेंगी रातें ,सितारों को गिनते ,* *मधुर ..." सोने की मुद्राएँ ........."   शीर्षक देखकर लोग सोचेंगे शायद स्वर्ण मुद्राओं की बात हो रही है | परन्तु ऐसा नहीं है | आज अचानक यूँ ही ख्याल आया कि, लोग सोते समय विभिन्न प्रकार के आकार ग्रहण करते हैं और उनके सोने की मुद्रा से उनके व्यक... .जीवन की आपाधापी में कब वक्त निला * * *जीवन की आपाधापी में कब वक़्त मिला*** * * * (हरिवंश राय बच्चन)* * * * * *जीवन की आपाधापी में कब वक़.. 

बहुत बहुत आभार ,, एक साल लिखते हुआ ,"काव्यान्जली" में पोस्ट एक सौ उनहत्तर मिल गए अब तक मुझको दोस्त, अबतक मुझको दोस्त,बहत्तर रचनाये लिख डाली तीन हजार तीन सौ पैतीस , टिप्पणियाँ भी पाली, पहली टिप्पणी में मिला , मुझको ...  मेरी भी सुन लो - *यह पंक्तियाँ एक प्रयास है गर्भ में पल रहे स्त्री भ्रूण के मन की बात को कहने का - * बहुत अनिश्चित मेरा भाग दुर्भाग से गहरा नाता है यूं तो दुनिया मुझ से चलती मुझ पर ही खंजर चल जाता है माँ बचा ले मुझको तेरी..... के बीमार का हाल अच्छा है... *अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है, * *हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है...* *उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,* *वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है...* *रोज़ आता है याँ मेरे दिल को तसल....

ये आभासी दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है...

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चलते-चलते  कुछ बातें....कुछ यादें... सफ़ेद घर की... देते हैं वार्ता को विराम फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए नमस्कार......

गुरुवार, 28 जून 2012

धरती तो पूरी लूट खाई हरामखोरों ----------- ब्लॉग4वार्ता----------- ललित शर्मा


ललित शर्मा का नमस्कार, मित्र राजकुमार सोनी की वैवाहिक वर्षगांठ है,उन्हे शुभकामनाएं, इससे पूर्व वे बस्तर दौरे पर थे, लिखते हैं कि - वही बस्तर जिसके बारे में देश-दुनिया में यह कहा जाने लगा है कि वहां कोई ऐसा टापू है जिसका नाम अशांति है. एक गांव में कुछ लोगों से मेल-मुलाकात करने के बाद जब मैं धुर नक्सली क्षेत्र बीजापुर के लिए निकला तो रास्ते में मेरी मुलाकात पदमसिंह से हुई. पदमसिंह को देखकर मैं बड़ी देर तक यह सोचता रहा कि वाकई छत्तीसगढ़ ने कुछ जरूरत से ज्यादा तरक्की कर ली है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर, प्रस्तुत  हैं  कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक…………।
श्रीमान एवं श्रीमती राजकुमार सोनी "बिगुल" वाले
फरारी, फुर्र और फर्राटावि भिन्न समाज-संस्कृतियों में शब्द निर्माण की प्रक्रिया न सिर्फ़ एक समान होती है बल्कि उनका विकास क्रम भी एक जैसा ही होता है । हिन्दी में भाग छूटना, निकल भागना, पलायन करना जैसे अर्थों में *‘फ़...इतना मुश्किल क्यूँ होता है "ना " कहनाइस लम्बी कहानी की कुछ किस्तों पर कुछ लोगों ने कई कई बार यह कहा कि "जब किसी स्त्री पर उसका पति या ससुराल वाले अत्याचार करते हैं तो उसे पहली बार में ही इसका विरोध करना चाहिए " बिल्कल सच है यह क्यूंकि अ...के बीमार का हाल अच्छा है...खुशदीपअच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है, * *हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है...* *उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,* *वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है...* *रोज़ आता है याँ मेरे दिल को तसल...

अंधेरा...बस अंधेरा !  जब कभी मन नहीं लगता, तो मैं बाहर निकल पड़ता हूँ, मगर सच कहूँ तो, एक अजीब से फासले के साथ, ये मैंने नहीं बनाया, तो फिर किसने बनाया, मुझे कुछ पता नहीं, हाँ, मगर कोई बात तो है, जब भी मैं बोलता हूँ, कुछ डरा ...  जिद्दी सिलवटें मन की चादर पर वक़्त ने डाली हैं न जाने कितनी सिलवटें उनको सीधा करते - करते अनुभवों का पानी भी सूख गया है प्रयास की ... धरती तो पूरी लूट खाई हरामखोरों, जाकर गगन देखो !  *शान-ओ-शौकत के लिए, कैसी है जाकर लगन देखो, * *दौलत के खातिर हो रहे ये, बिन लजाकर नगन देखो !* * * *हाथ लिए गिन रहे हैं माला, नैतिक पतन के जाप की, * *सुलगती है शठ-दिलों में 'परचेत', जाकर अगन देखो ! * 

दिल में हलचल है कुछ दिनों से  दिल में हलचल है कुछ दिनों से, मिल रहा दर्द ही दर्द पलछिनो से, हालात हैं कि सुधरते पाते नहीं, साथ छूटा गया मेरा परिजनों से, दिन गुजरता है बड़ी मुस्किल में, और रात कटती नहीं उलझनों से, चोट मिली है ऐतबार पे...  शहरहित में जरूरी है एकजुटता  तीन साल से बिलासपुर के लोग सीवरेज से परेशान हैं, लेकिन कोई बोल तक नहीं रहा था। न कोई आंदोलन न कोई जनजागरण। पक्ष- विपक्ष की तरफ से भी कोई बयान नहीं आया। जो कुछ था वह अंदर ही अंदर सुलग रहा था। ट...  पलों का बहुत है मोल ... राही जीवन है अनमोल पलों का बहुत है मोल सफ़र को बना सुहाना बस हँसते हुए पग बढ़ाना . टेढ़े -मेढ़े है रास्ते न कोई ठौर , न ठिकाना मंजिल अभी है दूर सफ़र नया अनजाना बस हँसते हुए , हे राही , आगे पग बढ़ाना . ...

जो मुझे अधूरा समझे, वो नगण्य है मेरे लिए ब्रेस्ट कैंसर को हरा कर आने वाली उन विजयी महिलाओं को समर्पित) सुन रही हो मौत ! देख लो ! मैंने तुम्हें हरा दिया, 'मुझसे चूक हो गयी' कहने के सिवा रास्ता क्या बचा था तुम्हारे पास ? मेरे पीछे-पीछे, हर घडी तु... क्या ब्रेकिंग न्यूज़ ने रुकवाई सरबजीत की रिहाई?  विदेश मंत्रालय सोता रहा और नींद के आगोश में हमारे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तान को सरबजीत की रिहाई पर बधाई भी दे दी. सवाल ये है कि अगर हमारी सरकार को पाकिस्तानी सरकार की तरफ से सरबजीत की रिहाई के ...  घर-बाहर  यह कविता विष्णु नागर के संग्रह 'घर के बाहर घर' से और मार्क शगाल की कलाकृति 'द ब्लू बर्ड') मेरा घर मेरे घर के बाहर भी है मेरा बाहर मेरे घर के अंदर भी घर को घर में बाहर को बाहर ढूंढते हुए मैंने पाया ... 

मैग्‍नोलि‍या और तुम मैग्‍नोलि‍या के फूल और तुम पर्यायवाची हो जैसे.... जब भी सफेद फूलों से नि‍कलने वाली खुश्‍बू मुझ तक आती है मेरी आंखों में तुम और मैग्‍नोलि‍या साथ-साथ झि‍लमि‍लाते हो... सफेद...खूबसूरत..उज्‍जवल जि‍सकी सुगंध हफ... जमीन से जुड़े लोग  जमीन से जुड़े लोग आपके पावों में अभी चुभा नहीं है कांटा दर्द आप कैसे जानेंगे फूंक फूंक कर पीते हैं वे छाछ भी दूध के जले हैं, इतना तो मानेंगे.... नहीं लगी आग कभी आलीशान महलों में आपके फूस क...  शराबी खरगोश... जादूगर लड़की ने जिस खरगोश को दिल से निकाल कर बैंच पर रख दिया था, उसी खरगोश की कुछ बेवजह की बातें. कुल चार बातें लेकिन दो ही पढ़िए. *भविष्य * पत्री को बांच कर पंडित ने कहा औरतों की डेट, कई सालों के एक ...

हर युग के प्रारब्ध में.  जब तक रहते हैं हम तब तक ईमारत सांस लेती है और त्यक्त होते ही मानों ईमारत का भी जीवन समाप्त होने लगता है... और विरानगी समाते समाते धीरे धीरे वह बन जाता है खंडहर! हर युग की यही कहानी है, हर ईमारत ढ़हती है......  विश्व के कुछ डिजाइनर भवन -  जहाँ एक तरफ डॉक्टर्स डिजाइनर बेबीज पैदा करने में मदद कर रहे हैं ,वहीँ इंजीनियर्स भी एक से बढ़कर एक लेटेस्ट डिजाइन के भवन तैयार कर रहे हैं .प्रस्तुत हैं , विश्व की कुछ अद्भुत बिल्डिंग्स के डिजाइन : *यु ऍफ...  वर्षा से पहले.....  धान के इन बीजों को बारिश की प्रतीक्षा है। कमल के इन फूलों को बारिश का भय है। इन्हें न भय है न प्रतीक्षा। स्थानः वही जहाँ रोज घूमने जाता हूँ। समयः 27-06-2012 की सुबह ……

वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद। राम राम

मंगलवार, 26 जून 2012

हाले दिल जो गैरों ने सुना वो लेते तफ़री .......ललित शर्मा,.......ब्लॉग4वार्ता

ललित शर्मा का नमस्कार,  फेसबुक पर गिरिजेश राव कह रहे हैं..... आज के ही दिन 37 साल पहले कांग्रेस ने इस देश में आपात काल लागु किया था, यदि उस समय आप नहीं थे या बच्चे थे तो अपने माता-पिता से अवश्य पूछिये कि क्या हुआ था? ....... आपात काल भारत के लोकत्रंत का एक काला अध्याय है, जब मानवाधिकार ख़त्म कर दिए गए थे। इस समय को याद करके अभी की पीढी को सीख लेनी चाहिए। अब चलते हैं आज की वार्ता पर ..... प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक ........ 

फितरत में नहीं अड्डेबाजीअगर सिनेमा एक तिलिस्म है तो निर्देशक कबीर कौशिक इसके एक ऐसे तालिस्मान हैं, जिन्हें समझना मुश्किल नहीं तो इतना आसान भी नहीं है। उनका निर्देशकीय कौशल काबिल ए दाद होता है पर, रिश्तों में उनका यकीन न बन पाना...नैनीतालअल्मोड़ा -- प्रकृति का अनमोल खजाना * * * नैनीताल भाग 7 पढने के लिए यहाँ क्लिक करे *12 मई 2012--नैनीताल !* *आज नैनीताल में हमारा दूसरा दिन है ;--* सुबह -सु...प्यास औंधे मुंह पड़ी है घाट परप्यास औंधे मुंह पड़ी है घाट पर*** *श्यामनारायण मिश्र*** * * * * *शांति के *** *शतदल-कमल तोड़े गए*** * सभ्यता की इस पुरानी झील से।*** *लोग जो*** *ख़ुशबू गए थे खोजने*** * लौटकर आए नहीं तहसील से।

उत्तरकाशी से गंगोत्रीइस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 7 जून 2012 को जब हम उत्तरकाशी फॉरेस्ट कार्यालय से गौमुख जाने का परमिट बनवा रहे थे, तो वहीं पर दो मोटी-मोटी महिलाएं भी थीं। वे भी परमिट बनवाने आयी...मृत्युभय ये कहा जाता है कि जिस समय प्राणी पैदा होता है उसी क्षण उसकी मृत्यु की कुंडली भी साथ में आ जाती है. सँसार नश्वर है, चराचर जो भी पैदा होते हैं अपनी अपनी आयु के अनुसार नष्ट भी हो जाते हैं. शास्त्रों में इस व...दिन मनचीते कब आयेंगे दिन मनचीते सावन सिंचित फागुन भीगे मन मृगतृष्णा हुई बावरी पनघट ताल सरोवर रीते धेनु वेणु बिन हे सांवरिया कहो राधिका किस पर रीझे मन के गहरे पहुंचे कैसे ऊंची इन गलियन दहलीजें प्रेम पले पीप... 

अनुभूति .... / पुस्तक परिचय कुछ समय पूर्व मुंबई प्रवास के दौरान अनुपमा त्रिपाठी जी से मिलने का मौका मिला ।उन्होने मुझे अपनी दो पुस्तकें प्रेम सहित भेंट कीं । जिसमें से एक तो साझा काव्य संग्रह है –“ एक सांस मेरी “ जिसका सम्पादन ..वो सवाल ! याद है तुम्हे बचपन के वो सवाल? वो धूर्त व्यापारी - जो कीमत बढ़ाकर छूट दे देता था. छूट को बट्टा भी कहते थे न? - अब बस 'डिस्काउंट' कहते हैं. …हर बार पेट्रोल की कीमतें बढ़कर घटते देख - उसकी याद आती है. ...चौबोली -भाग ४ भाग तीन से आगे ....... इस तरह तीन प्रहर कटने और तीन बार चौबोली के मुंह से बोल बुलवाने में राजा विक्रमादित्य सफल रहे और चौबोली भी पहले से ज्यादा सतर्क हो गयी कि अब चौथी बार नहीं बोलना है | राजा ने चौबोली ... 

कमल का तालाबकमल-कुमुदनी से पटा, पानी पानी काम । घोंघे करते मस्तियाँ, मीन चुकाती दाम । मीन चुकाती दाम, बिगाड़े काई कीचड़ । रहे फिसलते रोज, काईंया पापी लीचड़ । किन्तु विदेही पात, नहीं संलिप्त हो रहे । भौरे की बारा...हवन का ...प्रयोजन.मिट्टी के हवन कुंड में.... समिधा एकत्रित ... की अग्नि प्रज्ज्वलित .... ॐ का उच्चारण किया ... अग्निदेव को समर्पित ... हवि की आहूति... किया काष्ठ की स्रुवा से ... शुद्ध घी अर्पण ... मन प्रसन्न .... धू धू जल ...मयकशी...आँखें तुम्हारी छलकते पैमाने होंठ तुम्हारे लबालब प्याले. रहमत खुदा की न पैमाने न प्याले पूरा मयखाना. तुम जिसपे भी हो मेहरबाँ पर मुझपे नहीं, खुदा कुछ पे बरसता बहुतों पे छलकता पर मुझसे ज़रा बचता. तुम मयस्...

अपेक्षा (Expectation)Expectation अर्थात अपेक्षा नाम में ही बहुत वज़न है सुनकर ही किसी बड़ी सी चीज़ की आकृति उभरती है आँखों में, है न !!!!.मेरी गुड़िया कहाँ है तूबचपन में गुड़िया के साथ खेलना बहुत पसंद था। बस यूंही बचपन की याद में लिख डाला कुछ ऎसे ही बैठे ठाले...* * * *वैसे समझने वाला ही समझ पायेगा मैने ये क्यों लिखा है...बहुत दुख की बात है कि सब कुछ लुटा कर .मुनव्वर राना साहब से ख़ुसूसी मुलाक़ातएक ऐसे शायर से मुलाकात जिसकी जुबान पर महबूब के पांव की खामोशी नहीं बल्कि कान छिदवाती गरीबी होती है... मिलिए मुनव्वर राना से इस बार के हम लोग में। कल मेरी ज़िन्दगी को मशहूर शायर जनाब मुनावार राना साहब ...

माही और मानसिकता !आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। २० जून, २०१२ की रात करीब ग्यारह बजे दिल्ली के निकट हरियाणा के कासन की ढाणी नामक स्थान पर ७० फीट गहरे बोरवेल में गिरी माही को २४ जून को सेना, एनएसजी, और पुलिस के जाबाजों के...माही, मिसाइल और देश आम नागरिक की लापरवाही का शिकार एक और मासूम बच्ची हो गयी और इस बारे में विभिन्न लोगों ने जिस तरह से अपने विचार व्यक्त किये हैं उससे यही लगता है कि कहीं न कहीं कुछ ऐसा अवश्य है जो हमें स्व-अनुशासन ...ऐसे कुछ पल.. मैं नहीं चाहती लिखूं वो पल तैरते हैं जो आँखों के दरिया में थम गए हैं जो माथे पे पड़ी लकीरों के बीच लरजते हैं जो हर उठते रुकते कदम पर हाँ नहीं चाहती मैं उन्हें लिखना क्योंकि लिखने से पहले जीना होगा...

मुकदमे मे विजय प्राप्ति यन्त्र प्रयोगइस गुप्त शत्रुता वाले युग मे कौन सा शत्रु कब घात प्रतिघात कर दे कहा नही जा सकता हैं एक बार सामने के आघात तो सहन किये जा सकते हैं पर छुप कर या विभिन्न षडयंत्र बनाकर किये गए आघात के बारे मे ...पर्यावरणपर्यावरण और शिक्षा विधालय में 1 मौसम, 2 नदी, नाला, पहाड़, मैदान, मिटटी, खनिज, खडड खार्इ, 3 वनस्पति,फल, फूल, 4 कीट-पतंगे, 5 पशु, पक्षी, 6 तारे ,बादल, नक्षत्र मंडल विदयालय में उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान ...इन्तहां प्यार की-हद से गुजर जाती है जब इन्तहां प्यार की* *इक आह सी निकली इस दिल के गरीब से।*** *नजरे अंदाज उनके कुछ इस कदर बदले*** *अनजाने से बन निकलते वो मेरे करीब से।*** *हाले दिल जो गैरों ने सुना वो लेते तफ़री*** ..

 वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं एक ब्रेक के बाद, राम राम 

सोमवार, 25 जून 2012

राजनीतिक शून्यता - कुछ तो कहो ------ ब्लॉग4वार्ता ---------- संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार, कैसी विडम्बना है? देश में जहाँ एक ओर खाद्यान्न सड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी बदनसीब हैं जिन्हें एक जून का खाना भी नसीब नहीं हो रहा. गरीबी रेखा, अमीरी रेखा में बदल चुकी पर गरीब वहीं पर हैं. आज ललित शर्मा जी ने फेसबुक पर आँखे खोल देने वाले चित्र लगाये. इन चित्रों में एक व्यक्ति सडा हुआ खाना कचरे के ढेर से उठा कर खा रहा है . लगता है देश के गरीबों की यही नियति हे. जहाँ एक ओर प्लानिंग  कमीशन के उपाध्यक्ष के टायलेट लिए ३५ लाख रूपये खर्च कर दिए जाते हैं वहीं दूसरी ओर दाने-दाने के लिए गरीब मोहताज़ हैं....... अब प्रस्तुत हैं मेरी पसंद के कुछ ब्लॉग के लिंक, आज की वार्ता में.........

मामला विचाराधीन है!हशल-बशल सी लाईफ में मर्द, तुम कितना पिसते हो! ज़िन्दगी की जुगाड़ में खुद को कितना घिसते हो! भागम-भाग भरी ज़िंदगी में कभी सुकून की भी सोची है? क्या खाते हो, क्या पीते हो, कभी सेहत की भी सोची है? उड़ गए बाल...मानसिक बलात्कार बात तो काफी पुरानी हो चली है | आज फुरसतिया / खुरपेंची अनूप शुक्ला जी की बात हुई तब अचानक मैंने संतोष त्रिवेदी जी के ब्लॉग में टिप्पणी अंकित कर दी कि फ़ुरसतिया को जानने वालों में से मुझे सबसे पुराना माना ज...मायावती से ज्यादा संवेदनशील हैं मुलायमहां, फर्क तो है ही बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के लोगों और उनकी वैचारिक-सोच के पायदान पर। कोई किसी निर्दोष को मौ‍त के कगार तक पहुंचा देता है तो कहीं किसी की हल्‍की सी चोट को खुद अपने दिल पर महसू...

अक्षिता (पाखी) की कुशीनगर यात्रा.पिछली पोस्टों में मैंने आपको अपनी सारनाथ और लुम्बिनी यात्रा के बारे में बताया था. इसी क्रम में हम कुशीनगर भी घूमने गए. कुशीनगर में ही महात्मा बुद्ध जी का महापरिनिर्वान हुआ था. सर्वप्रथम हम पहुंचे रामाभर स्...कुछ तो कहोउँगलियों की शिथिल पकड़ से सब्र के आँचल का रेशमी सिरा छूटता सा जाता है ! एक बाँझ प्रतीक्षा का असह्य बोझ हताशा से चूर थके मन पर बढ़ता सा जाता है ! सुकुमार सपनों की आशंकित अकाल मृत्यु का शोक पलकों के ...संस्कार धानी कोंडागाँव कोंडानार* से अपना सफर शुरु करने वाला और आगे चल कर कोंडागाँव नाम से अभिहित बस्तर सम्भाग की संस्कार धानी के नाम से जाना जाने वाला यह कस्बा अब नगराता जा रहा है। यह कहा जाये कि शहरीकरण के इस दानवी दौर में अ..

शंख और घंटा-ध्वनीसे रोगों का नाशबर्लिन विश्वविध्यालय ने शंख ध्वनि का अनुसंधान कर के यह सिद्ध कर दिया कि शंख-ध्वनिकी शब्द-लहरें बैक्टीरिया को नष्ट करनेके लिए उत्तम एवं सस्ती औषधि है। प्रति सेकेण्ड सत्ताईस घन फुट वायु-श... राजनीतिक शून्यता का लोकतंत्र जिस आर्थिक सुधार का ताना-बाना बीते दो दशकों से देश में बुना जा रहा है और अगर अब यह लगने लगा है कि बुना गया ताना-बाना जमीन से ऊपर था। यानी जमीन पर रहने वाले नागरिकों की जगह हवा में तैरते उपभोक्ताओं के लिये ...बईठल-बईठल गोड़ो टटाने लगा हैआज तो भिन्सरिये से, जब से गोड़ भुईयां में धरे हैं, अनठेकाने माथा ख़राब हो गया है। बाहरे अभी अन्हारे है..बैठे हैं ओसारा में और देख रहे हैं टुकुर-टुकुर। आसरा में हैं कब इंजोर होवे, साथे-साथे सोच रहे हैं, काहे...

पाषाण ह्रदयकई बार सुने किस्से सास बहू के बिगडते बनते तालमेल के विश्लेषण का अवसर न मिला जब बहुत करीब से देखा अंदर झांकने की कोशिश की बात बड़ी स्पष्ट लगी यह कटुता या गलत ब्यवहार इस रिश्ते की देन नहीं है यह पूर्णर...डॉक्टर साहब , क्या आप डॉक्टर हैंमेडिकल कॉलेज में प्रवेश पाने पर अक्सर सीनियर्स द्वारा फ्रेशर्स से एक सवाल पूछा जाता है -- *डॉक्टर क्यों बनना चाहते हो ! *आजकल तो पता नहीं लेकिन हमारे समय में अक्सर बच्चे यही ज़वाब देते थे -- *जी देश के लो...चिंगारी सच ! कब तलक हम भागेंगे, मुहब्बत से 'उदय' किसी न किसी दिन तो पकड़ में आ ही जाएंगे ? ... एक हम ही नादां थे 'उदय', जो सीरत के दीवाने थे वर्ना, शहर में कौन है .... जो सूरत पसंद नहीं है ? ... जी चा...

पत्थरपत्थर मैं हूँ पत्थर खुशबू, ख़ुशी और सुर्ख रंग का सौदागर. पीसता हूँ, पिसता हूँ, देखता हूँ, सुनता हूँ, समझता हूँ मौन रहता हूँ नहीं बजती शहनाई किसी घर मेरे बिना हर दुल्हन की हथेलियों को सजाता हू...तत्काल टिकट में हैकिंग का खेलजिस तरह से तत्काल टिकट बनवाने में लगने वाले समय से आम लोग परेशान रहते हैं और रेलवे तमाम कोशिशें करने के बाद भी इस समस्या को अभी तक सुलझा नहीं पाई है उससे यह तो पता चलता है कि कहीं न कहीं पर इस प..ਨਸੀਬ ਹੋ ਗਈ ..ਨਯਿਯੋੰ ਲਗਿਯਾ ਉਡੀਕਾਂ ਦਿਯਾਂ ਡੋਰਿਯਾਂ * *ਅੰਖਾਂ ਖੁਲਿਯਾਂ ਨੀ ਖੁਲਿਯਾਂ ਸਵੇਰ ਗਈ- * * * *ਸਬਦ ਸੁਣਿਯਾ , ਰੂਹਾਨੀ ਕਿਤਾਬ ਦੀ * *ਗਲ ਉਲਝੀ ਸੀ ਸਾਡੀ , ਨਿਬੇੜ ਹੋ ਗਈ-* * * *ਦੀਵਾ ਬਲਿਯਾ , ਹਨੇਰਾ ਮੁਕ...

वार्ता को देते हैं विराम ......... मिलते हे अगली वार्ता में ........

रविवार, 24 जून 2012

कुत्तों के बीच पली यह बच्ची आज बोलती नहीं बल्कि भौंकती है !!


                           कुत्तों के बीच पली यह बच्ची आज बोलती नहीं बल्कि भौंकती है !! शीर्षक देख अचम्भित हूं लोग अपने बारे में क्या क्या लिख जाते हैं.ये तो भाई लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन वैसे ये तो सब करते है न लक्ष्मण रहे न रेखा में वो बात.. मां ने गीत गाया और टल गई बच्ची की मौत !! गीत बेशक असरदार होते हैं जी. जागरण जंकसन पर बेहतरीन ब्लाग्स मौज़ूद हैं उनमें से कुछ ताज़ातरीन ये रहे :- 

                              अपने स्लाग-ओव्हर वाले साहब बता रहे हैं कि मच्छर अब 
डाक्टर-ईंजीनियर बनेंगे मन्ने मन में एक सवाल आया बनेंगे क्या...... हैं........ हा हा डाक्टर बाबू 

लोग बुरा मत मानियो हम तो मसखरी कर रिये है. 
दो महत्वपूर्ण विषयाधारित लिंक अवश्य देखिये




 halchal

नई-पुरानी हलचल पर वार्ता चमक रही है.........
आभारी है वार्ता-टीम 
नव्या हिंदी साहित्य पर ये प्रेम कविताएं » बांच लीजिये जी क्योंकि शरद कोकास जी 1989 की कवितायें - संगीत की तलाश में हैं. मिली तो आपको पढ़वा देंगे हमारे जीजू..........................ज्ज्ज्ज्ज्ज्जूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ

काव्य मंजूषा पर अदाजी बोली अब कहाँ मिलते हैं, ऐसे भारत के लाल, ऐसे भाई, ऐसे शिष्य और ऐसे पुलिस वाले  एक और लिंक जो बेहद मह्त्वपूर्ण है दे रहा हूं व्याधि पर कविता या कविता की व्याधि 
विचारोत्तेजक आलेख अवश्य पढ़ने योग्य है.अगर आपका घर नहीं है तो आप बराए मेहरबानी "SUN_ASTRO"  पर जाएं बन जाएगा घर. 
   
अब गिरीश मुकुल को इज़ाज़त दीजिये पर इसे न भूलिये "बास इज़ आलवेज़ ..."

शनिवार, 23 जून 2012

पहली बारिश में गंजो के लिए खुशखबरी...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

 संध्या शर्मा का नमस्कार..."खबर है कि गर्भाशय का कैंसर होने का भय दिखा कर गर्भाशय निकालने का गोरख धंधा कर रहे 4 डाक्टरों का अरएसबीवाय अनुबंध रद्द हुआ है. आंचल नर्सिंग होम महावीर नगर, स्वामी नारायण हास्पिटल पचपेढ़ी नाका और छत्तीसगढ हास्पिटल राजिम का आवेदन निरस्त कर दिया गया है. सिर्फ़ 4 डॉक्टरों का पंजीयन निलंबित करने से समस्या का हल नहीं होने वाला। इनके खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए। इन डॉक्टरों की प्रापर्टी को नीलाम करके उनका मुआवजा देना चाहिए जिनकी कोख इन्होने थोड़े से रुपए के लिए उजाड़ कर जीवन भर के लिए अपंग बना दिया । सिटी हास्पिटल का तो बाकायका विज्ञापन हो रहा है, वाल राईटिंग कर लिखवाया गया है कि 7500/- रुपए में बच्चेदानी का आपरेशन करवाईए"
ये था आज शाम फेस बुक पर ललित शर्माजी का स्टेटस. पढ़कर ऐसा लगा लोग चंद रुपयों की खातिर किस हद तक गिर चुके हैं, सचमुच ये इंसान कहलाने लायक भी नहीं हैं भगवान तो दूर की बात है. छोटी - मोटी सजा काफी नहीं इनके लिए, इन्हें तो ऐसी सजा मिलनी चाहिए की ये खुद उदाहरण बन जायें ऐसा अपराध करने वालों के लिए और ऐसे अपराध करने के बारे में सिर्फ सोचने से ही उनकी रूह कांप उठे....  लीजिये प्रस्तुत हैं, वार्ता में कुछ पोस्ट लिंक्स... आशा है आपको पसंद आएगें....

सौन्दर्य जबसे समझ लिया सौन्दर्य का असल रूप तबसे उतार फेंके जेवरात सारे न रहा चाव, सजने सवरने का न प्रशंसाओं की दरकार ही रही नदी के आईने में देखी जो अपनी ही मुस्कान तो उलझे बालों में ही संवर गयी खेतो में काम करने... आओ हमारे भी देश.... कभी आओ हमारे भी देश धर के दुल्हन का तुम भेष मेरी गलियों से जो गुजरो तुम में गलियों में झालर लगा दूँ मेरे आँगन जो आओ प्रिये तुम्हारे पावं में माहवार लगा दूँ फूलों से सजा दूँ केश रूप सादा तुम्हारा सलोना... चाँद की तस्वीर ....... *वक्त के चेहरे पर * *फेकी हुयी रंगीन स्याही सी ,* *7गुणा 7 नाप की * *चाँद की तस्वीर ,* *तुम्हारे दिल के फ्रेम में * *ऐसी फिट है * *जिसमे कम या ज्यादा की * *कोई गुंजाईश नहीं ......

देखो मंगल मेघ है आया *देखो मंगल मेघ है आया* इस भीषण सी गर्मी में शीतल पवन का सुखद सा झोंका संग अपने संदेशा लाया उठो ,करो स्वागत देखो ,मंगल मेघ है आया पत्ते –पत्ते शाख –शाख पर धरती के कण-कण में जीवन की हर धड़कन हर पल हर क्षण ...जाने कब फिर मिलना हो  जाने कब फिर मिलना हो कुछ तुम कह दो, कुछ हम सुन लें कलियों का कब खिलना हो जाने कब फिर मिलना हो ! चंद श्वास लेकर आये थे कुछ ही शेष रही हैं जिनमें, कहीं अधूरा न रह जाये किस्सा, हम तुम मिले थे ...सन्नाटा.... सूना रास्ता ये जाने किधर को जाता है... सीधी सड़क है आसान सी राह दिखती है.. मगर कोई राहगीर नहीं!! सन्नाटा सा पसरा है... अक्सर कुछ उदास चेहरे वहाँ से आते दिखते, खाली हाथ आँखों में लाल डोरे शायद राख से सने...

एक विलक्षण व्यक्तित्व – श्री हरिशंकर रावत आइये आज आपका परिचय एक ऐसे विलक्षण व्यक्ति से करवाती हूँ जिनकी निष्ठा, लगन एवं समर्पण की अद्भुत भावना ने एक सूखे टीले को हरे भरे खूबसूरत चमन में बदल दिया ! पेड़ पौधों, फूल पत्तियों से बेइंतहा प्यार और ... कॉपी राईटर(पेशे से कापी राइटर का दर्द इन कविताओं में )* * * १ बेचता हूँ शब्द इसलिए कबीर नही हूँ भक्ति नही है शब्दों में इसलिए तुलसी नही हूँ बाजार की आंखों देखि लिखता हूँ इसलिए सूर नही हूँ दिमाग से सोचता हूँ कामन आदमी *हरदम व्यथा की आग में जलाया गया मुझे ,* *रास्ते का पत्थर हूँ ,बताया गया मुझे - * * * *पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं हुआ ,* *बहती नदी शराब की, डुबाया गया मुझे-..

'मुझे तो ढहना ही है' शब्दों की उलझी हुई सी बेतरतीब सी इमारत - भावनाओं की उथली दलदली नींव पर कब तक टिकेगी पता नहीं पर जब तक अस्तित्व में है बेढब कलाकारी की झूठी तारीफ़ों सच्ची आलोचनाओं तटस्थ दर्शकों की चौंधियाती आँखों में झांक ... ना तन्हा हूँ ना गम के घेरे , ना तन्हा हूँ ना गम के घेरे , ना खुशियों से दूर ना भाव तरेरे , ना व्याकुल दिल ना बाँहों में तेरे , ना दूर हुए न नजरे फ़ेरे , मोहब्बत की कसक फिर भी , सपनों में तू अब भी मेरे  ...सूरज का हलवा, त्रिवेणी, तुम्हारी याद... रात को सस्ते मे मिल गया शायद... कुछ सुर्ख, कुछ काले कद्दूकस से... उस एक पाव सूरज को घिसे जा रही है... तारे भूखे हैं बहुत आज... अमावस है न... चाँद की बोरी कल चुक गयी थी... पर लगता है... आज रसोई महकेगी... आज.....

"रियर व्यू मिरर ........." .'रियर व्यू मिरर' एक २ गुणे ४ इंच का अदना सा आईना , बस कार की छत में अटका हुआ | कीमत उसकी बमुश्किल १०० / १५०रुपये | कार चाहे ५ लाख की हो , दस लाख की हो ,पचास लाख की हो या हो नैनो एक लाख की , बिना इस १५० ... पहली बारिश में... रात अचानक बड़े शहर की तंग गलियों में बसे छोटे-छोटे कमरों में रहने वाले जले भुने घरों ने जोर की अंगड़ाई ली दुनियाँ दिखाने वाले जादुई डिब्बे को देखना छोड़ खोल दिये गली की ओर हमेशा हिकारत की नज़रों से देखने .... .......आज कुछ बातें कर लें आज २१ जून २०१२ ....पापा की चौथी पुण्यतिथि ... इन चार सालों में , कभी नहीं लगा की पापा हमारे साथ नहीं - उनकी कही बातें इस कद्र ज़ज्ब हैं हम सबके भीतर .....की जब भी मुश्किल समय में पापा को याद कर आँखें...

चिरस्थायी प्रेम - प्रेम जैसे विराट विषय पर शोध जारी है। कौतूहल इसे समझने का , नित नए विचारों को जन्म देता है। दो प्रेम करने वालों के मध्य परस्पर बात-चीत एवं आपसी व्यवहार के ... यह स्वर्ण पंछी था कभी... - यह स्वर्ण पंछी था कभी.... यह स्वर्ण पंक्षी था कभी, मृतप्राय घोषित कर दिया, भूमि सात्विक थी कभी मद्पेय क्लेशित कर दिया! आक्षेप किस पर क्या रखू अवयव निरूपि...  हिडिम्बा टेकरी और गंजों के लिए खुशखबरी ………… ललित शर्मा - प्रारंभ से पढें हम बोधिसत्व नागार्जुन संस्थान के पिछले गेट से पहाड़ी पर चढने के लिए चल पड़े। इस पहाड़ी को स्थानीय लोग हिडिम्बा टेकरी कहते हैं। धूप बहुत तेज ... 

देते हैं वार्ता को विराम फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए नमस्कार.....

शुक्रवार, 22 जून 2012

सहरा को समंदर कहना, इसी गाँव में रहना -- ब्लॉग4वार्ता ------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, सभी मित्रों को रथयात्रा की बधाई, face book पर पंकज झा कह रहे हैं "भारतीय राजनीति से अगर आप भाजपा को माइनस कर दें तो तमाम राक्षसी युगों से ज्यादा वीभत्स दिखेगा आज का परिदृश्य. भविष्य को कभी अगर निष्पक्ष इतिहास लिखने का मौका मिला तो निश्चय ही वह कांग्रेस को किसी गोरी, किसी गजनबी, किसी तैमूर, किसी तुगलक, किसी फिरंगी या किसी लालू-मुलायाम-राजा-करूणानिधि से बीस नहीं आंकेगा. आज संगमा ('पूर्वोत्तर' के ' इसाई' 'आदिवासी' ) को समर्थन कर बीजेपी ने फिर यह साबित किया है कि एक यही पार्टी हर मज़हब, जाति, क्षेत्र के लोगों का केवल एक ही पहचान समझती है और वह है भारतीय. शाबास भाजपा. 'लाख मजबूर करे वक्त का फिरऔन तुझे, पर न मेरे दोस्त तू सहरा को समंदर कहना." अब चलते हैं आज की ब्लॉग4 वार्ता पर, सैर करते हैं ब्लॉग नगरिया की……… सुप्रभात
जय जगन्नाथ 
ठीक अभी इसी वक्त मैने सुना कि राजेश खन्‍ना गंभीर रूप से बीमार हैं, सुन कर अच्छा नहीं लगा। अपने जमाने के सुपर हीरो राजेश खन्ना की कुछ दिनों पूर्व नयी फ़ोटो देखी थी। जिसमें वे कुछ थके से नजर आ रहे हैं अपडेट है कि उन्होने खाना भी छोड़ दिया। ईश्वर से प्रार्थना है कि "काका" को शतायू बख्शे। कुछ सवाल अनसुलझे से रह जाते हैं जीवन में। कितना ही बड़ा आदमी हो,  एक दिन  उसे बूढा होना ही पड़ता है। संसार में  कोई भी अजर अमर नही है, सोचना पड़ता है कि दो कदम का सफ़र तय करके  भागीरथ के पुरखे तर ही जायेंगे, इसकी क्या गारंटी है पर सारे ख्वाब पूरे नहीं होते कुछ कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं।
आपके लिए लाए हैं जगन्नाथ का महाप्रसाद - जय जगन्नाथ
यदि मेरे हाथों में शासन की बागडोर हो तो कुछ कमाल हो जाए, तीन चीजों पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाए। गैस सिलेंडर, पीने का पानी और बिजली रानी को गेयर में ले आए। पर कुर्सी पर बैठते ही माथा  फ़िर जाता है लोगों का। अंतरात्मा की आवाज! सुनाई नहीं देती। चल पड़ी है एक सैलानी की कलम, निकलेगी कुछ यादों की खुरचनें, कुछ नयी ताजा आँखो देखी। कुछ सरसराहट हुई, जंगल का लोकतंत्र  अब राजग, राजधर्म और चुनाव के बीचे ले रहा हिलोर, राष्ट्रपति चुनाव की बज गयी रण भेरी। मच रहा है शोर………
अपन खाथे गुदागुदा-हमला देथे बीजा बीजा
पिता की नसीहतें काम आती है जीवन भर, मनुष्य के लिए एक धरोहर ही है नसीहतें,  ये ही मार्गदर्शन करती हैं। इसे एक उपलब्धि  मान कर चलिए। इधर गहमा गहमी मची हुई है राजनितिक थाली के बेन्गुन " लुढकने को बैचेन हैं। कौन किधर लुढक जाए क्या पता। नीतिश कुमार प्रधानमंत्री बनने के जोड़ जुगाड़ में हैं तो मोदी ताल ठोंक कर मैदान में। कुछ पार्टियाँ अभी तक नींद ले रही हैं जब चुनाव आएगा तब जागेगीं। हो सकता है इनके मंत्र योग से  ये बात बन जाए। अजीत सिंह का फ़साना भी गजब है। ये तो सदासुहागन है, किसी भी पार्टी की सरकार आए, केबिनेट में इनका मंत्री बनना तय है। इनका नाम वैसे गीनिज बुक में दर्ज होना चाहिए।
भारत निर्माण - उधर से न सही, इधर से सही
दोस्ती की नींव पर खड़ी होती है बुलंद ईमारत। इस ईमारत में बसता है दोस्तों का दिल। गर्मी के मौसम में दिल को ठंडक देने के लिए पहाड़ों पर भी चलने लगे हैं ऐ सी । पहाड़ों पर चलने वाले ए सी से पता चलता है की पर्यावरण में परिवर्तन हो रहा है। अभी चेतने का समय आ गया है।  सरगर्मी को देखते हुए अन्ना का यू-टर्न ले लिया है। अन्ना टीम के साथी भी बिखर गए हैं, कांग्रेस भी यही चाहती थी, उस समय मामला गर्म था उसके ठंडा होने का इंतजार किया कांग्रेस ने और इसका फ़ल भी मिला। मुझे जबसे तुमसे प्रेम हुआ बस तेरा चेहरा बुनती हूँ, कांग्रेस का कहना है।ऐसा प्रेम भी खतरनाक है, जो दोस्ती की ही वाट लगा दे।
अमीर - गरीब
अब बात निकली है रिश्ता -तुमसे मेरा..., रिश्ते तो बन जाते हैं और निभाए भी जाते हैं।  क्षितिज में सूर्योदय होने को है। उषाकाल में किरणों का रथ धरती पर उतरना चाहता है पर बदली घनघोर छाई है। एक सवाल खुद से खुद के लिए है कि क्या इस स्थिति  में तम को चीर कर किरणें धरती पर आ सकती हैं। बारिश भी होने को है, कितना अकिंचन बादलों का छाना, सूर्य रश्मियों को रोक पाना कठिन है। उन्हे तो आना ही धरती पर उजास फ़ैलाने के लिए। लगता है ख्वाब में ही  घिर आए बदरा, बादलों को तो घिरना ही है। पहली बारिश में जो मजा है, वह झड़ी में नहीं। शुक्र है  बरखा रानी का जो गर्मी से राहत मिल गयी, राजा नल भी अब नित आने लगेगें। आज की वार्ता समपन्न हुई। लिजिए बारिश का मजा। मिलते हैं ब्रेक के बाद……… राम राम
इन मूछों को खूब मलाई खिलाई- तभी तो इन पे रौनक है आई

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