संध्या शर्मा का नमस्कार....... किसी देहरी आज अँधेरा न रहने दें आओ बस्ती झोपड़ियों में दीप जलाएं। अपनों के तो लिये सजाये कितने सपने, सोचा नहीं कभी उनका जिनके न अपने, भूखे पेट गुज़र जाती हर रातें जिनकी, चल कर के उनमें भी एक आस जगाएं। बना रहे हैं जो दीपक औरों की खातिर, उनके घर में आज अँधेरा कितना गहरा, बिजली की जगमग में दीपक पड़े किनारे, इंतज़ार सूनी आँखों में, दीपक बिक जाएँ। महलों की जगमग चुभने लगती आँखों में, अगर अँधेरा रहे एक भी घर में बस्ती के, लक्ष्मी नहीं है घटती गर दुखियों में बाँटें, सूखे होठों पर कुछ पल को मुस्कानें लाएं। जब तक जगमग न हो घर का हर कोना, अर्थ नहीं कोई, एक कोने में दीप जलाएं. आप सभी को वार्ता परिवार की ओर से मंगल पावनपर्व पर हार्दिक शुभकामनायें.... आइये अब चलें ब्लॉग 4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ...
उजाले की उजली शुभकामनाऐं------- प्रारंभ में
एक दीपक जला
उजाला दूर दूर तक फैला
और भटकते अंधेरों से लड़ने लगा
संवेदनाओं के चंगुल में फंसा
जनमत के बाजार में
नीलाम हुआ
जूझता रहा आंधियों से
नहीं ख़त्म होने दी
अपनी,टिमटिमाहट
बारूद के फूलों की पंखुड़ियों पर
लिख रहा है
अपने होने का सच
..शब्द-दीप जल गए....तुमने कहा...
तुम मेरी दीप..तुमसे ही दीपावली
देखो रौशन हो गया जहां.....शब्द-दीप ही जलने दो अभी
होगी तब असली दीपावली जब हम मिल जाएंगे.....
((..सभी मित्रों को दीपोत्सव की बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं...))
...डरता है अंधियार.*जगमग हर घर-द्वार कि अब दीवाली आई,*
*पुलकित है संसार कि अब दीवाली आई।*
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*दुनिया के कोने-कोने में दीप जले हैं, *
*डरता है अंधियार कि अब दीवाली आई।*
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*गीत प्यार के गीत मिलन के गीत ख़ुशी के, *
*गाओ मेरे यार कि अब दीवाली आई।*
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*जी भर जी लो गले लगालो सबको हंसकर,*
*जीवन के दिन चार कि अब दीवाली आई।*
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दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें ! दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ! भारतीय नारी ब्लॉग के सभी सम्मानित योगदानकर्ताओं व् पाठकों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !दीपों का उत्सव आया है, दीपों का उत्सव आया है ...परिकल्पना ब्लॉगोत्सव-2013 का भव्य शुभारंभ आज से *भारतीय संस्कृति में उत्सव हो या उत्सव में भारतीय संस्कृति, ऐसी घुली मिली हुई है कि पूरा विश्व इस संस्कृति को झुककर सलाम करता है। क्यों न करे, भारत उत्सवों का देश जो है। हम अपने कर्म-कर्तव्य को भी उत्सव से जोड़कर देखते हैं और अपनी प्रगति को भी। ...दीप पर्व : हमारे देश और विदेशों में हमारे देश में दीपावली का पर्व बड़ी ख़ुशी उमंग और धूमधाम के साथ मनाया जाता है और यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है . धन की देवी श्री लक्ष्मी जी का पूजन अर्चन किया जाता है और उनके आने की ख़ुशी में फटाके फोड़े जाते हैं . .
दीपावली पर्व पर शुभकामनाएँ दीपावली का इंतजार तो मुझे कई दिनों से रहता है। इस दिन मुझे ढेर सारे दीये जलना बहुत अच्छा लगता है। फिर उन्हें घर के हर कोने में और बहार सजाकर लगाना कित्ता सुन्दर लगता है। ऐसे लगता है जैसे धरती पर ढेर सारे तारे चमक रहे हों। और हाँ, गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा करके उन्हें भोग चढ़ाना और फिर ढेर सारी मिठाइयां और चॉकलेट्स खाने का तो आनंद ही कुछ और है..दिया समर्पण का रखना !!! निश्चय की ड्योढ़ी पर दिया समर्पण का रखना, जब भी मन आंशकित हो तुम धैर्य हमेशा रखना । पूजन, वंदन आवाहन् होगा गौधूलि की बेला में जब, अपने और पराये की खातिर बस नेक भावना रखना । उत्सव की इस मंगल बेला में दीप से दीप जलाना जब, मन मंदिर में एक दिया संकल्प का भी जलाकर रखना । लम्हा-लम्हा उत्साहित है बच्चे पंच पर्व पर आनंदित हैं परम्पराओं के ज्ञान का दीप जलाकर उनके मन भी रखना ।..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर..दीवाली के पर्व पर,बरस रहा है नूर. अहंकार तम का हुआ,फिर से चकनाचूर. अन्यायी को अंत में,मिली हमेशा मात. याद दिलाती है हमें,दीवाली की रात. घर घर पूजे जा रहे,लक्ष्मी और गणेश. पावन दीवाली करे,दूर सभी के क्लेश. दीवाली का पर्व ये, पुनः मनायें आज. और पटाखों से बचे,अपना सकल समाज।। यश-वैभव-सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि. दीवाली का पर्व ये,लाये सुख-समृद्धि..
मन गई दिवाली गम की अमावस में न डाल हथियार तू
एक दीप तो हौले से जरा उजियार तू।
रोशनी की हर किरण चीरती है अंधेरा
देख रख हौसला, न मान हार तू।
मन में अगर हो आस तो पूरी करेंगे हम
यह ठान के ह्रदय में, बढ आगे यार तू।
जितनी है सोच काली उसे मांज के हटा
फिर देख अपने मन को यूँ चमकदार तू।
अपनी खुशी के फूल चमन में बिखेर दे
तो बहेगी खुशबू वाली, लेना बयार तू।
तेरे मन की रोशनी से हो उजास आस पास
तब मन गई दिवाली ...आज खुशियों भरी दीवाली है दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
हर घर के स्वागत द्वार पर
छोटे-छोटे दीपों का हार है
प्रभु की स्नेहिल अनुकम्पा का
यह अनुपम उपहार है !
उर अंतर का हर कोना
आज खुशियों के उजास से
जगमगा रहा है
दीप मालिकाओं का
उज्जवल प्रकाश
घनघोर तिमिर को परास्त कर
गगन के सितारों को भी
लजा रहा है !
आज मन से यही दुआ
उच्छ्वसित होती है...दिये जलाओ कि.. दिये जलाओ
कि कोई तिमिर हटे
दिल मिलाओ
कि कोई प्यार बटे
जुगनुओं सी रोशनी भी
यहा है काफी
अंधेरा भगाओ कि
कोई धुंध छटे
टिमटिमाती रोशनी में
नहा गया है घर
खरीददारी से बहुत
बेतरतीब
भर गया है घर
स्नेह की कुछ जगह बनाओ
तो कुछ' बात बने
दिये जलाओ कि
कुछ तिमिर हटे
..