संध्या शर्मा का नमस्कार... जब-जब ओस की बूँदें बेचैन होंगी घास के मुरझाये पत्तों पर ढरकने को धीरे से धरती भी छलक कर उड़ेल देगी भींगा-भींगा सा अपना आशीर्वाद और बूँदों के रोम-रोम से घास का पोर-पोर रच जाएगा हरियाली की कविता से तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी उन तृप्ति की तारों में जब-जब आखिरी किरणों से सफ़ेद बदलियों पर बुना जाएगा रंग-बिरंगा ताना-बाना उसमें घुलकर फ़ैल जाएगा कुछ और , कुछ और रंग हौले से आकाश भी उतरकर मिला देगा अपनी सुगंध उन रंगों की कविता में तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी ..... लीजिये प्रस्तुत है, आज की वार्ता .........
क्या हश्र हुआ शाहजहाँ के तख्ते ताऊस या मयूर सिंहासन का ?
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*आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में
तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे. हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह उस मनों सोने का
भी ...
कामिनी के श्रृंगार कभी
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जीवन से तो मोह बहुत पर फीका है संसार कभी
लगते हैं कुछ दिन फीके तो आ जाते त्योहार कभी
सूरज आस जगाने आता और चाँदनी मुस्काती
पल कुछ ऐसे भी मिलते जब बढ़ जाता है...मंज़र तेरी कब्र पर
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दो दिन जुटेंगे मज़ार पर
तेरे चाहने वाले
दिन चार चक्कर लगायेंगे
दुआ मांगने वाले
सूखे फूल और सूखे अश्क
फकत बाकी रहेंगे
कुछ कबूतर के सुफेद जोड़े
तेरे साथी ...
कमिटमेंट ...
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अपराधी, पुलिस, सरकार, तीनों हैं संशय में यारो
सच ! अब 'खुदा' ही जाने कौन किस्से डर रहा है ?
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अब तो सिर्फ … आसा-औ-राम … का है भरोसा
वर्ना, जेल की कालकोठरी....पर्दे के पीछे कुछ ना कुछ तो जरूर है
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श्रीगंगानगर-आइये, सरकारी हॉस्पिटल में चलें जहां मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास
होने वाला है। मंच पर मौजूद हैं प्रदेश कांग्रेस की राजनीति के चाणक्य और मुख्यमंत्...बाबा का साक्षात्कार …. सिर्फ इस चैनल पर
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प्रश्न .....बाबाजी आपके ऊपर यौन शोषण और दुष्कर्म के इलज़ाम लगे हैं, इस पर
आपको क्या कहना है ?
बाबा जी ....आप लोगों की सांसारिक शब्दावली हमारे पल्ले नहीं पड़त...
तीन कबिता
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1 ब्रम्ह मुहूरत में उठ जाबे . धरती माँ ल कर लेबे परनाम . सुमिरन करबे अपना
कुल देवता ल , लेबे अपन इष्ट देव के नाम . बिहिनिया बिहिनिया नहाके , तुलसी
मैया मा ..हाशिये पर रहे साहित्य-ऋषि लाला जगदलपुरी
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साहित्य-सेवा को तन-मन-धन से समर्पित, यहाँ तक कि इसी उद्देश्य की पूर्ति के
लिये चिर कुमार रहे लालाजी (लाला जगदलपुरी) का देहावसान साहित्य-जगत के लिये
एक ....भाषाओं के अंत का आख्यान
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भारत के नीति निर्धारकों ने राष्ट्र-राज्य की धारणा के तहत जातीयभाषा पर जोर
देकर लोकल भाषाओं के साथ असमान व्यवहार को बढावा दिया और उसके भयावह परिणाम
सामने ...
निठल्लाई: साधो सहज समाधि भली
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घुमक्कड़ी और लेखन का सिलसिला ही टूट गया, 4 महीने हो गए, जब से दिल्ली में
चोट खाई तब दना-दन चोटें जारी हैं, एक ठीक होती है दूसरी लग जाती है। इनसे
उबरने की .....गीतों की बहार 3 - वादा
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गीतों की बहार 3
सीजी रेडियो के श्रोताओं से वादे की बातें.......गीतों के साथ.....
और साथ में हैं हमारी एंकर पद्मामणि
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पर्यटन शैली: दैनिक हिन्दुस्तान में ‘न दैन्यं न पलायनम्’
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हिंदी ब्लॉग -न दैन्यं न पलायनम् अंतर्गत पर्यटन शैली बताते आलेख को
समाचारपत्र -दैनिक हिन्दुस्तान ने अपने स्तंभ पर स्थान दिया
The post पर्यटन शैली: दैनिक ...
तुम्हारे जाने के बाद
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तुम्हारे जाने के बाद
जानती हूँ कम पड़ जायेंगे शब्द
नहीं कह पाएंगे उन भावों को
जो उमड़ते रहे हैं भीतर
जाने के बाद तुम्हारे !
एक-एक श्वास जुड...
भीड़ चलती भेड़ जैसी...
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यार तू वैसा नहीं है
पास जब पैसा नहीं है।
रात लिखता है सबेरा
झूठ है! ऐसा नहीं है।
भीड़ चलती भेड़ जैसी
गड़रिया भैंसा नहीं है।
कर रहा है संतई पर
संत के जैसा ...फ़ुरसत में ... हम भी आदमी थे काम के
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*फ़ुरसत में ... 112*
*हम भी आदमी थे काम के ***
*मनोज कुमार*
*पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोइ।***
*ढाई आखर प्रेम का, पढ़ै सो पंडित ...
.....
जमाई
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पुराने रीतिरिवाज
लगते बहुत खोखले
मन माफिक बात न होने पर
वह झूठे तेवर दिखाता
अपने को भूल जाता |
है किस्सा नहीं अधिक पुराना
फिर भी जब याद आता
मन...
अच्छे दिन के साईड-इफैक्ट
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अच्छे लोगों के साथ अच्छा दिन बिताने के शायद कुछ साईड इफैक्ट भी होते
हैं..इंसान इतना खुश होता है की उसे बहुत सी चीज़ों का होश ही नहीं रहता.....सुबह के दो रंग.....
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मैं अकेला सही.....क़ायनात खिल उठी एक मेरी मौज़ूदगी से.......
खिली-खिली थी
सुबह
मगर अब
मुरझा गई
ऐसी
क्या बात हुई
मायूसी सब तरफ
छा गई
जाने कहां गया
वो..
कंकरीट के जंगल
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*कभी इन्हीं जगहों पर हुआ करते थे*
*बड़े- बड़े जड़ -लताओंवाले वृक्ष *
*सुगन्धित फूलों के पौधे*
*हरियाली फैलाती दूर तक बिछी घास *
*तरह -तरह के पंछी और उनकी ..."दो और दो पांच" में एम. ए. शर्मा ’सेहर’
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*रामप्यारी ने आजकल ताऊ टीवी का काम संभालना शुरू कर दिया है. उसी की पहल पर
ब्लाग सेलेब्रीटीज से "दो और दो पांच" खेलने का यह प्रोग्राम शुरू किया गया
है....फूल बिछा न सको
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"सवैया छंद"
फूल बिछा न सको
1
पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही |
यदि नेह नहीं दिखला सकते , कटु बैन सुना दुतराव नही |
तुम राह सही ..
चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम !
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मनमोहन सिंह जी मैं आपके साथ हूं, मैं कह रहा हूं कि आप चोर नहीं है, आप चोरों
के सरदार हैं। अगर विपक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री चोर हैं तो मान लिया जाना ...
औरत
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अस्मत जो लुटी तो तुझको
बेहया कहा गया,
मर्जी से बिकी तो नाम
वेश्या रखा गया,
हर बार सलीब पर,
औरत को धरा गया ...
बेटे के स्थान पर,
जब जन्मी है बेटी,
या ...
इस देश का यारो क्या कहना
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जयराम शुक्ल
इन्डिया दैट इज भारत के नीले गगन के तले सबसे ताकतवर परिवार को आलाकमान कहा
जाता है। यह अलोकतांत्रिक तरीके से गठित ऐसा समूह होता है जिसे हर वक्त ..