मंगलवार, 31 अगस्त 2010

इमर्जेन्सी चर्चा बाय गिरीश : नारी की वसन विहीन देह को प्रदर्शित करते उत्तमा के चित्र

कुछ पाडकास्ट रफ़्तार की मदद से सबसे पहले पेशे खिदमत है
विचार मीमांसा की कोशिशें लगातार कामयाब होती नज़र आ रही है. कनिष्क बाबू हैं की हरी बत्ती जलाए बैठे हैं. वाकई गज़ब मेहनती लोग होते हैं. जो वाकई में हर्फ़-हर्फ़ धोते हैं. उधर ज़रा गौर कीजिये अरुंधती की उजली कथा जो लावण्या दीदी ने पोस्ट किये सात दिन बीत गये आप भी एक दौरा कर लीजिये . सुदूर बैठा मशाल कितना मिस करता है भारत को उसके दिल में हिन्दी के लिये जो नेह दीप जाग रहा है सच स्वागतेय है अगरचे आप श्रवण कुमार (कुमारी भी ) हैं तो उनके द्वारा मसिकागद पर अपलोड किये गए कवि सम्मेलन का श्रवण कीजिये  वीडियो है सो देखा भी जावे . अदा जी की लिखी और गाई ग़ज़ल का आनंद लीजिये ”काव्य-मंजूषा” में. इब बात बेबात पर   ताज़ा पोस्ट मैंने कैसे रची कामायनी-उत्तमा  का ज़िक्र ज़रूरी है . वैसे मुझे व्यक्तिगत रूप से एतराज़ है किसी नारी की चर्चा उसकी देह तक सीमित रखी जाए. डाक्टर सुभाष राय जी ने जो पोस्ट लगाईं उसमें नारी की वसन विहीन देह को प्रदर्शित करते उत्तमा के चित्र साथ में लगाएं  हैं.....तथा आज भी वे उत्तमा जी के इस बयान को कोड कर रहे हैं ''आलोचनाएं करने वाले लोगों के दिल बदलने की उम्मीद है। मैं तो अपनी रिसर्च स्कालर्स और अन्य छात्राओं को सीख देने से नहीं हिचकती कि जो मन आए वो बनाओ। किसी से डरने की जरूरत नहीं। हम कलाकार हैं, दिल की बात ही तो सुनेंगे। '' 
आप को छूट है आप जैसा जी चाहें  करें भाई उत्तमा जी को यह याद रखना चाहिये की  कल किसी कलाकार ने आपका कोई चित्र कला के नाम पर ,,,,,,,,,,,खैर छोड़िए जाने दीजिये . ताउ के बारे में ”मिसिंग पर्सनस ब्यूरो” में एक एक रपट जानी बहुत ज़रूरी है. वे अपने असली जनम दिन के बाद से गायब हैं . 

http://2.bp.blogspot.com/_S46EZmGC1oo/TGZDCVikIyI/AAAAAAAAG2w/rDLfMQ952Fg/s1600/nag3-1.JPG
ताऊ की जनम दिन पार्टी
वैसे अपन तो लिक्खे हैं सल्लू मियां पर पर मिसफ़िट : सीधीबात पर ललित भैया का एक गीत खूब बज़ रिया पर ललित जी नहीं सुन पाए. अर्चना चाओजी की आवाज़ में सुनिये ये गीत . अब एक हेडर चर्चा राजीव तनेजा जी के ब्लाग पर वे हेडर में बेटे के साथ चस्पा हैं ऐसा सब मानते हैं किंतू जासूस बतातें हैं कि वास्तव में उनका तनेजा जी का  बचपन का फ़ोटो है जो उनने खुद ऐसा सेट किया है. कि सब लोग सोचें कि ”जूनियर तनेज़ा” हैं. जिसने लिखा उनका भी भला हो जो न लिख पाए उनका भी भला हो... जो टिप्पणी करें उनका भी भला जो न करें उनका भी भला हो , शिखा जी की अगली पोस्ट कब पोस्ट होगी फिलहाल :- चलें रहने दें  अजय भैया भी हुलिया बदल के पता नहीं कामन वेल्थ गेम की तैयारी करवा रहे हैं. उधर एक बवाल नाम का आदमी हुआ करता था सो बेचारा आजकल हलाकान है. गुम गया है मिले तो बताइये. पर भाई मिसिर जी भी गज़ब लिखे हैं ज़रूर देखिये ..समयचक्र . अपने लिमिटि खरे रोजनामचा लगातार लिख रहे हैं . अविनाश भैया आलमारी खरीदते खरीदते लेपटाप लेने लगे ये क्या....? वीरेन्द्र जैन जी सच बताइये चौथा बन्दर किधर गया जिसका हाथ तशरीफ़ पर था ? रवी रतलामी जी की पोस्ट तो देखी होगी सदी की...........! देख आइये छींटे और बौछार पर . पर भैया लोग बहनजी सब मिल के अलबेला खत्री जी की समस्या का निदान निकालिये
बाक़ी काम इरफ़ान भाई पे छोड़ दीजिये
http://1.bp.blogspot.com/_f5s2n2XbeH8/THvXC3jsGNI/AAAAAAAABqQ/B_rauYEBzoA/s1600/30.jpg बाक़ी जिन ब्लागस को देर रात तक देखा पर उनका लिंक न दे पाये वे साहबान हमको माफ़ी दे देंगे उम्मीद करता हूं.... फ़िर भी रफ़्तार के इस प्रयोग के लिये रफ़्तार का आभार

सोमवार, 30 अगस्त 2010

कुछ ख्याल - चलती फिरती ब्लोगिंग !!! - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
'हॉकी के जादूगर' ध्यानचंद के जन्म दिन पर 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल भी है। 

हाकी के जादूगर ध्यानचंद की उपलब्धियों को पेले, माराडोना और डान ब्रैडमेन के समकक्ष बताते हुए पूर्व दिग्गजों ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिए जाने की मांग की है। उनका यह भी कहना है कि भारतीय हाकी की सुध लेकर ही इस महान खिलाड़ी को सच्ची श्रृद्धांजलि दी जा सकती है। तीन ओलंपिक [1928, 1932 और 1936] में स्वर्ण पदक जीतने वाले करिश्माई सेंटर फारवर्ड ध्यानचंद को पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है हालांकि हाकी समुदाय का कहना है कि उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें 'भारत रत्न' मिलना चाहिए।

अगर किसी प्रधानमंत्री को भारत रत्न दिया जा सकता है ........ किसी प्रधानमंत्री के घुटनों को बदलने वाले डाक्टर को भारत रत्न दिया जा सकता है ...........तो फिर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया अब तक ??
वह कौन से मानक है जिन से सरकार यह निर्धारित करती है कि किस को कौन सा सम्मान देना है  और कब देना है ?? 
कौन है जो जवाब देगा इस का ??
खैर जवाब तो शायद ही कभी मिले !
फिलहाल ब्लॉग 4 वार्ता  मंच के पूरे वार्ता दल की ओर से  हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को शत शत नमन !
अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर .....इस आशा के साथ कि आज कि वार्ता भी आप सब को पसंद आएगी ! 
सादर आपका 

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मुश्किल :- बहुत बड़ी है क्या ?


हम ध्यान चंद को भूले :- शायद आप सही है !


कुछ ख्याल.... :- आते है !

आगरा में संपन्न ब्लोगर्स मीट के फोटोग्राफ्स :- आप भी देखिये !

आज सारिका सक्सेना का जनमदिन है :- बधाइयाँ जी बधाइयाँ !

मॉरिशस से नौ कविताएँ :- भाई वाह !

चकमित पत्नी!! :- यह क्या है भाई जी ?

तुम्हारी चैट :- शुरू हो गयी !

ब्लाग आखिर क्या है? :- अपनी बात कहने का जरिया !

तुम्हें देख मधुपों का गुंजन :- होने लगा !

दबी होती है चिंगारी, धुँआ जब तक भी उठता है :- सही कह रहे है !

बस आज की ब्लॉग वार्ता यहीं तक पर चलते चलते अपनी डफली आप बजाता हूँ और आपको अपनी एक पोस्ट का लिंक दिए जाता हूँ :- 

मेजर ध्यानचंद को भी मिले भारत रत्न !! :- जी जरूर मिलना ही चाहिए !! 
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अगली बार फिर मिलेगे एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ........


( कुछ तकनीकी कारणों से आज की ब्लॉग वार्ता अपने निर्धारित समय पर प्रकाशित नहीं हो पायी है - आप सब पाठको को हुए कष्ट के लिए खेद है ! )

जय हिंद !!

रविवार, 29 अगस्त 2010

ब्‍लॉगिंग में कमाई कैसे हो .. सबको रमजान मुबारक ...ब्‍लॉग4वार्ता ... संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को मेरा नमस्‍कार ... बहुत तंग किया आज मुझे इंटरनेट ने ,  इसके बावजूद इस सप्‍ताह चिट्ठा जगत से जुडे नए चिट्ठों का ब्‍लॉग 4 वार्ता के मंच से स्‍वागत करते हुए मैं संगीता पुरी प्रस्‍तुत हूं , आपके लिए कुछ महत्‍वपूर्ण नए चिट्ठों के साथ ..............

 शास्‍त्रो के मोती चुनचुनकर लाए जा रहे हैं ... इस लिंक पर 
अतो विमुक्त्यै प्रयतेत विद्वान
संन्यस्तबाह्यार्थसुखस्पृह: सन
सन्तं महान्तं समुपेत्य देशिकं
तेनोपदिष्टार्थसमाहितात्मा ||8||

इसलिए विद्वान संपूर्ण बाह्य भोगों की इच्छा त्यागकर संत शिरोमणि गुरुदेव की शरण जाकर उनके उपदेश किए हुए विषय मे समाहित होकर मुक्ति के लिए प्रयत्न करे

मंत्रीजी, किराया तो आपने बढ़ा दिया लेकिन उन मुसाफिरों का क्या जिन्हें बीते पांच साल से आपने प्राईवेट बस वालों के हवाले कर रखा है? आपने उनकी चिंता की जिनका सफर इस प्रदेश में रामभरोसे चल रहा है? उनके साथ होने वाले दुव्र्यवहार के विषय में इन बस वालों से 'दो-टप्पीÓ बात की? 
बिमल राय जब मुम्बई गये, 1951 में माँ फिल्म बनाने, उस समय विभाजन के बाद का सिनेमा का परिदृश्य नरम, साहित्य का परिदृश्य नरम, न्यू थिएटर्स वाले भी परेशानियों में थे। वे एक फिल्म बनाने के लिए बॉम्बे टॉकीज आये पर वो अपनी टीम लेकर आये जिसमें उनके साथ नबेन्दु घोष भी थे क्योंकि लेखन और साहित्य के काम उन्हीं के जिम्मे होते थे। उस समय बॉम्बे टॉकीज की भी हालत खराब थी। उस समय दस माह से लोगों को तनख्वाह नहीं मिली थी। उस समय एस. एच. मुंशी ने बाप-बेटी फिल्म बनायी। 
पूनम का चांद निकला आसमान में
चांदनी फिसली पत्‍तों से जमीन पर
नदी में प्रतिबिम्‍ब नजर आया उनका
रातरानी पर मंडराते भंवर
कली शरमाई फूल बनने को तत्‍पर
दूधिया रोशनी में हवा सरसराई
ऐसा लगा मानो चांदनी ही खिलखिलाई
आपके प्यार के वो हसीन लम्हें हम भुलाए कैसें
दिल पे इतने जख्म हैं उन्हें दिखाए कैसें ।
आज भी ये दिल धड़कता है आपके लिए
आपको हम बताएं तो बताएं कैसे
गुजर गया वो जमाना जब हम साथ थे,
गमों से दूर और खूशी के पास थे।
हाथों से हाथ छूट गए,
दिल के रिश्ते टूट गए।

कुणाल किशोर भी एक सुंदर सा चिट्ठा लेकर आए है ..यहाँ दरख़्तों के साए में धूप लगती है चलो..  
कहते हैं
आज भी जीवित है
बोधिवृक्ष
खड़ा है वैसे ही
सदियों के बाद भी
हम-तुम
रहेंगे-न रहेंगे
हमारा प्रेम रहेगा
बोधिवृक्ष की तरह। 
१९४७ से २०१० कुल मिला कर हो गए ६३ साल हमे आजाद हुए। ६३ साल एक सफ़र की तरह शायद गुज़र गया भारत के इतिहास में। इतिहास के पन्नो पर इन ६३ सालों का विवरण लिख दिया गया होगा ठीक उसी तरह जिस तरह गुलाम भारत का विवरण आज हमे मिल जाता है अनदेखा अनजाना विवरण। जिसे हम एक कहानी समझ कर शायद पढ़ लेते है। एक कहानी जो हमे शायद ख़ुशी देती है। एक कहानी जो हमारा मनोरंजन करती है। एक कहानी जो इतिहास का विषय है और विद्यालयों में पढ़ा और पढाया जाने वाला पाठ भी। 
संयुक्त राज्य अमेरिका में हिन्दी के एक प्रमुख कार्यकर्ता श्री राम चौधरी से हिन्दी से जुड़े विभिन्न आयामों पर हुई बातचीत के मुख्य अंश  
प्रश्न- हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। संविधान के अनुसार वह भारत की राजभाषा है। साहित्य की भाषा तो वह एक हजार वर्षों से है ही। क्या आप मानते हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र की छ: मान्य भाषाओं की बिरादरी में शामिल होने वाली सातवीं भाषा बन सकेगी?
उत्तर- इस समय राष्ट्रसंघ की छ: आधिकारिक भाषाएं हैं- इंग्लिश, प्रेफन्च, रूसी, चीनी, स्पेनिश तथा अरबी। बीस अन्य भारतीय भाषाओं की भांति हिन्दी भारत की राष्ट्र भाषा है। संविधान में हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही गई थी। परन्तु उसे अभी तक इस पद पर आसीन नहीं किया जा सका है। यह दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है।
चलिए! आज बात करते हैं हिंदी भाषा की, कहने को तो हिंदी हमारे देश की राजभाषा है. मगर आज हिंदी को उतना सम्मान नहीं मिल रहा है, जितने की हक़दार थीं. फिर भी आज जितनी हिंदी की पत्र-पत्रिकाये शुरू होती है, उतनी अंग्रेजी की नहीं. अच्छा अब इस बहस में नहीं पड़कर सीधे से अपने विषय पर आते हैं.
पाठकों/दोस्तों, वैसे हिंदी की टाइपिंग थोड़ी मुश्किल तो है, मगर इतनी मुश्किल भी नहीं है कि-हिंदी की टाइपिंग सीखी/ करी न जा सकें. फिर हिंदी की टाइपिंग कौन-सी असंभव चीज है, जो करी न जा सकें. 
एक बार किसी ने  कहा था कि वो ब्लोगिंग में कमाई के उद्देश्य से आये थे और वो हर महीने एक अच्छी रकम प्राप्त भी कर रहे हैं ।
ये जरुरी नहीं कि आपका भी मंतव्य यही हो पर अगर ब्लॉग्गिंग के साथ थोड़ी कमाई भी हो जाए तो ये तो बहुत अच्छी बात होगी ।
पिछले दिनों हमने अपनी आज़ादी के ६२ साल पूरे कर लिए। हमें अपनी इस आज़ादी पर गर्व है और होना भी चाहिए, क्यूंकि आखिरकार इतनी लड़ाइयो और खून-खराबे के बाद हमे अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी जो मिली। लेकिन क्या सच में हम आज आज़ाद है ??? ये सोचने वाली बात है ! 
चांदपुर इलाके के राजा श्री कुवरसिंह जी बहुत अमीर थे। उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं थी, फिर भी उनका स्वास्थय अच्छा नहीं था । बीमारी के मारे वे हमेशा परेशां रहते थे, कई वैद्यो ने उनका इलाज़ किया लेकिन उनको कोई फायदा नहीं हुआ।
राजा की बीमारी बढ़ाते गई और धीरे धीरे यह बात सारे नगर में फैल गयी। तब एक वृद्ध ने राजा के पास आकर कहा , " राजा, आपका इलाज़ करने की मुझे आज्ञा दे , "
 श्याम सांवरे पललो ओढ़े निकले एक नित्य विहार को
खग मृग का सौंदर्य निहारने इस कलयुग में संसार को
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सहसा पड़ी एक युवक पर दृष्टि नेत्र सजल कर रोता था
श्याम मूर्त नत मस्तक होकर राधे की राह को जोहता था
श्याम बड़े ही चिंतित होकर विकृत चिंतन में खो से गए
इस दुविधा का कारक है क्या यह सोच ज़रा वो सो से गए
हाल ही में कर्नल अजित दत्‍त के शोधपूर्ण आलेखों का संग्रह 'कोसी की दग्‍ध अंतर-कथा' के नाम से संवदिया प्रकाशन, अररिया से प्रकाशित हुआ है। इस पुस्‍तक में कुल 16 लेख संकलित हैं, जिनमें कोसी नदी और अंचल से जुड़ी ऐतिहासिक, पौराणिक, मिथकीय और समसामयिक विषय-वस्‍तुओं और संदर्भों का रोचक प्रस्‍तुतीकरण किया गया है। 

कैलाश सी शर्मा जी की प्रोएट्री पढें ......कशिश पर ....
पीड़ा का उपहार दिया क्यों तुमने मेरे प्यासे उर को,
माना तुमसे खुशियों का प्रतिदान नहीं माँगा था मैंने।

फूल नहीं खिलते हर तरु पर,
लेकिन सभी नहीं ज़लते हैं।
नहीं चांदनी मिलती सब को,
लेकिन दीप नहीं बुझते हैं।  
 Win XP मैं 'Start' Button का नाम बदलना बहुत ही आसन कम है 


अब विदा लेती हूं .. अगले सप्‍ताह फिर मिलूंगी ... इसी मंच पर पुन: नए चिट्ठों के साथ ...

शनिवार, 28 अगस्त 2010

नक्कारखाने के--ब्लॉग महंत--वीजा देने से इंकार--ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा

नमस्कार, हरिप्रसाद ने इवीएम मशीन की खामियों को उजागर किया कि इसे हैक करके मतों में परिवर्तन हो सकता है, इस सच को उन्होने देश की जनता के सामने प्रस्तुत किया, कमियों को निकालने के फ़लस्वरुप उन्हे पुलिस ने गिफ़्तार कर लिया। यह पुरस्कार उन्हे अपनी करनी का मिला। लोकतंत्र में मतदान महत्वपूर्ण  होता है शासक मतपेटी से जन्म लेता है इसलिए मतदाताओं का मत सुरक्षित होना अत्यावश्यक है। मतपत्रों पर कब्जा करना लोकतंत्र का अपहरण है किसी प्रतिनिधि की जीत को चुराने जैसा है। अब चलते हैं आज की ब्लाग4वार्ता पर और सैर करते हैं ब्लाग नगरिया की। आपका स्वागत है.......

सबसे पहले चलते हैं गणतंत्र दस रुपया एक दिन पर जहां पोस्ट लगी हैइस गणतंत्र में सच्चे और भ्रष्टाचार के खिलाप लड़ने वालों क़ी औकात भारत सरकार के नजर में एक कुत्ते बिल्ली से ज्यादा कुछ भी नहीं.....?श्री हरी प्रसाद जिसने इस देश के लोकतंत्र के चुनावी प्रक्रिया क़ी धांधली को उजागर करते हुए यह साबित करने का प्रयास किया क़ी मशीन को कैसे हैक कर किसी एक पार्टी को फायदा पहुँचाया जा सकता है इस बात पर ...अगली   पोस्ट पर चलते हैंएक रिपोस्ट :- एक विनती .... भारत से एक भारतीय की पर---कहीं पढ़ा तो सोचा आपको भी पढ़ा दूँ ....... चाँद अकेला तारे गायब रातों रात नजारे गायब यूं तो थे हमदर्द हजारों वक़्त पडा तो सारे गायब महफ़िल में तो बेहद रौनक हम किस्मत के मारे गायब संदेशों की आवा...
 
 
आज प्रवीण त्रिवेदी का जनमदिन है ढेर सारी शुभकामनाएं--आज, 27 अगस्त को प्रायमरी का मास्टर वाले प्रवीण त्रिवेदी का जनमदिन है। बधाई व शुभकामनाएँ *आने वाले **जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें**।* बीज कभी नहीं मरते हैं...कभी मन से रोपे गए कभी अनजाने में गिर के ज़मीन पर दब गए ज़मीन में जैसे थोपे गए कभी लगातार बरसातों से बेअसर कभी उग आते कुछ बूंदों से ही भीगकर चिड़ियों के छिटकाए किसानों के बिखराए बचपन में फेंके गए भूले बिसर...

रामबती जाग उठी “रोगहा, भड़वा अब मार के देख, तोर मुर्दा नई रेंगा देंव त मोर नाम रामबती नइए”- रामबती गरज रही थी। ढेलु डंडा लेकर खड़ा था उसके सामने,बीबी भी साथ में थी। नल पर भोर में मजमा लगा था,पानी भरने वालों का। सभी मुंह फ़ा...अब यहाँ भी नक़ल ?यह एक ऐसी खबर जिस पर शायद पूरे राष्ट्र को शर्म आये फिर भी एक ऐसा क्षेत्र जिसके बारे में आज भी देश के आम जनों को बहुत भरोसा है कि यहाँ पर आज भी सब ठीक चलता है ? आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले में २४ अगस्त कानू...

स्टार्ट-रीस्टार्ट बटन और कज्जली तीज की मेहंदीरात को इसी ब्लाग की एक पोस्ट टाइप करने में लीन था। दो चरण समाप्त हुए और एक चित्र जरूरत पड़ी जो राँच साल से कंप्यूटर में सहेजा हुआ है, उसे तलाश करने लगा। वह मिला ही नहीं। पोस्ट अधूरी थी। कंप्यूटर उसे तलाश क...दीनदयाल शर्मा की एक ख़ास बाल कविता - शिकायतशिकायत / दीनदयाल शर्मा पांच बरस की बेटी मानसी न जाने क्यों नाराज़ है घर के एक कोने में खड़ी मुझे देखते ही फूट पड़ी पापा, अपनी पत्नी को समझा लो, मुझे मारती रहती है घर घर खेलती हूँ तो कहती है पढ़ चि...

हितेन्‍द्र पटेल की 'हारिल'अरसे बाद, एक बैठक में पढ़ जाने वाली पुस्तक हितेन्द्र पटेल की 'हारिल' मिली। फ्लैप पर कहे गए ''सरल गति के कारण बेहद रोचक और पठनीय तथा प्रौढ़ मगर सहज लेखकीय निर्वाह'' की पुष्टि पहले पेज से होने लगती है और आखी...नवभारत का कारनामा, किसमें है दमपैसा पटाया नहीं बिल्डिंग बना दी  लगता है छत्तीसगढ़ में सरकार नाम की चीज नहीं है और यदि कही सरकार है भी तो वह केवल बड़े लोगों के मुठ्ठी में कैद है। अपने को तुरम खां कहने वाले मंत्री और छोटे-छोटे लोगों के कब्ज...

पिछड़ा वर्ग की सामाजिक स्थिति का विश्लेषण :रमेश प्रजापतिपुस्तक समीक्षा * समाजशास्त्र की ज्यादातर पुस्तकें अंग्रेजी में ही उपलब्ध होती थी, परन्तु पिछले कुछ वर्षो से हिन्दी में समाजशास्त्र की पुस्तकों के आने से सामाजिक विज्ञान के छात्रों के लिए संभावनाओं का एक न...मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तो सिर्फ भारत को लूटा पर अंग्रेजों ने भारत को न केवल लूट कर दरिद्र बनाया बल्कि उसकी संस्कृति और सभ्यता का भी नाश कर दियामुस्लिम आक्रमणकारियों ने तो भारत की अपार सम्पदा में से उसके सिर्फ एक छोटे से हिस्से को ही लूटा था। उनकी लूट के बावजूद भी सत्रहवीं शताब्दी के के अन्त तक भारत संसार का सर्वाधिक धनाड्य देश था। किन्तु भारत दरि...

प्रदूषण के कितने प्रकार(१) *प्रदूषण के कितने प्रकार* पूछना न कभी किसी से यार भौतिक, शारीरिक या चारित्रिक हर कोई प्रदूषण झेल रहा है कुछ दूसरे पर ठेल रहा है (२) सरकार बनाती है योजनायें तय करती है एक समय सीमा हम जो ठहरे आलस ...काम और मृत्युतुम्हारे कामुक वक्षों को मेरे कर्मठ हाथों ने कभी श्पर्ष नहीं किया. न ही मदहोश कर देनेवाली तुम्हारी होठ मेरे जीवन-प्रवाह को चूम सकी. तुम्हारा यौवन मेरे निकट आकर भी मेरे पुरुषार्थ को भोग न सका. क्योंकि जीवन क...

ब्लॉग महंत...........ब्लॉगिंग का ककहरा पढ़ते मिस्टर मदन.......आलू का जीजा........ढेला ढोवन.......सतीश पंचम पिछली गर्मियों में जब गाँव गया था तब ककड़ी के खेतों में एक दिन फोटो शूट कर रहा था। तरह तरह की ककड़ियां दिख रहीं थी। हर एक ककड़ी किसी न किसी फल या सब्जी की रिश्तेदार की तरह लग रही थी। किसी ककड़ी की ...चीन ने भारतीय सेना के जनरल को वीजा देने से इंकार कियाचीन ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को तूल देते हुए चीन जा रहे एक भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल में शामिल भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. जसवाल को वीजा देने से इसलिए इंकार किया है,...

रानी लक्ष्मी बाई की सखी झलकारी, इतिहास मौन है जिसके बारे मेंझलकारी", महारानी लक्ष्मीबाई का दाहिना हाथ, समर्पण और वफादारी का दूसरा नाम। अपने देश और सहेली के लिए जिसने अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की। पर इतिहास ने उसे उतनी तवज्जो नहीं दी जितने की वह हकदार थी। झांस...काश हम बच्‍चे ही होते .. धर्म के नाम पर तो न लडते !!बात पिछले नवरात्र की है , मेरी छोटी बहन को कंजिका पूजन के लिए कुछ बच्चियों की जरूरत थी। इन दिनों में कंजिका ओं की संख्या कम होने के कारण मांग काफी बढ़ जाती है। मुहल्‍ले के सारे घरों में घूमने से तो अच्‍छा...

बेलफास्ट(यू.के.) में पहले हिन्दी कवि सम्मलेन की झलकियाँ और अन्य तस्वीरेंआज सोच रहा था कि जैसा आपसे कल कहा था कल रात के कवि-सम्मलेन की रिपोर्ट दे दूँ आपको.. लेकिन लगता है कि आज शाम से पहले समय नहीं मिल पायेगा.. तब तक कवि सम्मलेन की झलकियाँ और अन्य तस्वीरें देखिएगा... महेंद्र अज...नक्कारखाने के...आज एक मित्र का ईमेल मिला, पूछा था कि आजकल आप कोई लेख-वेख नहीं लिखते ! जबाब देने की सोची तो ये पंक्तियाँ फूट पडी ; सुबह शाम ये जो भ्रष्ट, नाक रगड़ते हैं इतावली जूतियों पर ! मैं अपना कागज-कलम घिसकर समय बरबाद...

रामायण की चौपाइयाँ....यह प्रविष्ठी मैं दोबारा डाल रही हूँ... इस कविता को मैंने उस दिन लिखा था, जिस दिन मेरे बड़े बेटे *मयंक शेखर* का जन्म हुआ था, याद है मुझे इसे लिखकर जैसे ही मैंने पूरा किया था डाक्टर साहिबा ने मेरे हाथ से ...एक वीर जिसने दो बार वीर-गति प्राप्त कीजलम्यो केवल एक बर, परणी एकज नार | लडियो, मरियो कौल पर, इक भड दो दो बार || उस वीर ने केवल एक ही बार जन्म लिया तथा एक ही भार्या से विवाह किया ,परन्तु अपने वचन का निर्वाह करते हुए वह वीर दो-दो बार लड़ता हुआ ...

इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया...खुशदीप*जिस दिन से जुदा वो हमसे हुए,* * * *इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया,* * * *ए चांद का मुंह उतरा-उतरा,* * * *तारों ने चमकना छोड़ना दिया...* इस गीत में वो जहां आ रहा है उसे ब्लॉगिंग मान कर सुनें...डोपिंग के दोषी का अवार्ड छिनवायाहमारी सक्रियता से सही खिलाड़ी को मिला पुरस्कार * प्रदेश के खेल पुरस्कारों में इस बार शहीद कौशल यादव पुरस्कार डोपिंग के एक दोषी खिलाड़ी सिद्धार्थ मिश्रा को दे दिया गया था। लेकिन हमारी सक्रियता के कारण अंत...

अब चलते हैं एक लाइना पर.

आइये मोबाईल द्वारा अपने पीसी या लैपटोप पर नेट चलाये बिना बिजली, बैटरी का भी जुगाड़ बताएं।

गेहूँ का सेवन ज़रा संभलकर --हम तो चावल खाने वाले छत्तीसगढिया हैं।

मुंबई से उज्जैन यात्रा सीट पर पहुँचते ही १५ वर्ष पुरानी यादें ताजा हुईं--जरुरी है यादें भी

दिल्ली में हमारी लड़ाई लड़बे नया सिपहिया आया है.--तुरते ही ज्वाइन कराएं सिपहिया को ड्युटी

हजारो गायों कुर्बान हो जाएँगी -कॉमनवेल्थ गेम के नाम पर--घोर निंदनीय है गायों की हत्या

आँसूं को बहुत समझाया तन्हाई में आया करो--लेकिन सर-ए-आम आ जाते हैं क्या कीजै

व्यंग्य चित्र इरफ़ान के

 

वार्ता को देते हैं विराम -- आपको ललित शर्मा का राम-राम...................

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

ठूठी वाला डॉक्टर--शीर्षक की तलाश---ब्लॉग4वार्ता----ललित शर्मा

नमस्कार, हमने मित्रों के विशेषाग्रह पर एक नया ब्लॉग चलती का नाम गाड़ी बनाया है, जिस पर हमने अपने यात्रा वृत्तांत लिखने प्रारंभ किए हैं।  गुगल सर्च इंजन से तो इस ब्लॉग पर बहुत से पाठक आ रहे हैं, पर ब्लागर पाठकों तक नहीं पहुंच पाया है। इसलिए आपसे निवेदन है कि इस ब्लॉग के समर्थक अवश्य बनें। ब्लाग विषय आधारित होने से उस पर पाठकों की संख्या कालान्तर में बढते जाती है, ऐसा मैने अनुभव किया है। ब्लाग सर्च इंजन पर भी जल्दी आ जाता है। जिससे वहां से भी पाठक आते हैं। मैने अपने अन्य भाषाओं के ब्लाग पर कई महीनों से लिखा नहीं है, लेकिन उस पर बराबर पाठक आते रहते हैं। इसलिए नए चिट्ठाकारों को सलाह है कि विषय आधारित ब्लाग ही लिखें तो अति उत्तम होगा--अब चलते हैं आज की ब्लाग4वार्ता पर.....

सबसे पहले चलिए चलती का नाम गाड़ी पर.बरसों का सपना - कामाख्या मंदिर--यात्रा--8बरसों का सपना पूरा होने जा रहा था। हमें कामाख्या मंदिर के दर्शन होने जा रहे थे। हमारे छत्तीसगढ़ में इसे कौरु नगर कहा जाता है और यहां तंत्र सीखने वाले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मंत्र-तंत्र से तांत्रिक...शीर्षक की तलाश!..एक किताब का शीर्षक तलाश रहा हूँ कि क्या रखूँ? वैसे तो कुछ फार्मुले पता चले हैं बेस्ट सेलर बनाने के. कहते हैं इसके लिए शीर्षक का बहुत महत्व है. वही तो सबसे पहले आकर्षित करता है पाठक को किताब खरीदने 

ठूठी वाला डॉक्टर --वो सफ़ेद कुर्ता पहने , और धोती बांधे पैरों में सेंडल , कांधे पर झोला टांगे रोज ठंडे पानी से नहाकर आता दस कोस साईकल चलाकर । खांसी नज़ला , दर्द बुखार , उलटी दस्त की दवा लेकर , टेटनस का टीका देकर चोट पर बीटाडीन...दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?* हाड़-तोड़ भाग-दौड़ फ़िर दिमागी दौड़ भाग जीवन में विश्राम नहीं दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं? झूठ-षड़यंत्र, जोड़-तोड़ फ़िर होती रही धोखा-धड़ी जीवन में बस काम यही दो रोटियाँ कितना दौड़ाती...

भारत में फेसबुक नंबर वन कॉमस्कोर इंक का सर्वे : अब जीमेल से फोन* * डायचे वेले जर्मनी की रिपोर्ट * डायचे वेले जर्मनी ने एक सर्वे के आधार पर जानकारी दी है कि अब भारत में भी फेसबुक नंबर व... .फिर से अयोध्या मामलादेश में १७ सितम्बर का दिन एक बार फिर से एक नए परिवर्तन की तरफ़ जाने वाला हो सकता है. इस दिन अयोध्या मामले में सुनवाई कर रही इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ अपने सुरक्षित रखे गए फैसले को सुनाने वाली है...

आम आदमी से मुलाकातसंवेदनशील कवि की दो लाइन से बात आरम्भ करते हैं-प्रश्नोत्तर चलते रहे,जीवन में चिरकाल,विक्रम मेरी जिन्दगी,वक्त बना वेताल। ये पंक्तियां देश के आम आदमी को समर्पित हैं। उस आदमी को जिसे मैं तब से जानता हूँ जब से...100 वाँ जन्म दिन है आज इनका मदर टेरेसा *मदर टेरसा* *अग्नेसे गोंकशे बोजशियु*[image: MotherTeresa 090.jpg] मदर टेरसा जन्म26 अगस्त 1910 उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (आज का सोप्जे,मेसेडोनिया गणराज्य)मृत्यु5 सितंबर 1997 (87वर्ष ) कोलकाता, भारत...

देश का खजाना खाली, दलों में हरियालीइन दिनों पूरे देश में यह बहस चल रही है कि सांसदों के वेतन भत्ते बढऩा चाहिए या नहीं बढऩा चाहिए। हमने आम आदमियों के बीच यह सवाल उठाया तो अब तक हमें एक भी व्यक्ति नहीं मिला जिन्होंने सांसदों के वेतन भत्तों में ...मैं एक हिन्दी ब्लोगर - अपंग, असहाय और निर्धनमै एक हिन्दी ब्लोगर हूँ। 03-09-2007 को अपना हिन्दी ब्लोग बनाकर मैंने अपना पहला पोस्ट लिखा था और तब से आज तक मात्र कुछ माह को छोड़कर अपने ब्लोग में प्रायः रोज ही एक पोस्ट लिखते चला आ रहा हूँ। क्यों लिखता हू...

एक और नयी पहल : एक गीत एक कहानी एक नज़्म एक यादले अभाव का घाव ह्रदय का तेज मोम सा गला अश्रु बन ढला सुबह जो हुई सभी ने देख कहा --- शबनम है !" - सरस्वती प्रसाद *** ज़िन्दगी के दर्द ह्रदय से निकलकर बन जाते हैं कभी गीत, कभी कहानी, कोई नज़्म, कोई याद ....स्मृतियां सुरम्य वादियों में दौनों ओर वृक्षों से घिरी , है एक पगडंडी , फूल पत्तियों से लदी डालियाँ , हिलती डुलती हैं ऐसे , जैसे करती हों स्वागत किसी का , चारों ओर हरियाली , सकरी सी सफेद सर्पिनी सी , दिखाई देती पगडंडी...

पीपली लाईव मानिकपुरीआमिर खान *की ताजा हिट फिल्म* पीपली लाईव *के कलाकार *नत्था * के रूप में सराहे जा रहे ओंकारदास मानिकपुरी अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और वे जिस शहर से हैं उस शहर में कलाकार पैदा करने की कुव्वत का दुनिया...नौकरानी के शरीर में 23 कीलें ठोंक दीं सऊदी अरब के एक परिवार ने दरिंदगी की सारी हदों को पार करते हुए अपनी नौकरानी के शरीर में 23 कीलें ठोंक दीं। अमानवीय यातनाएं झेलने के बाद श्रीलंका की यह नौकरानी अपने देश लौट गई है, जहां उसका इलाज चल रहा है। ...

ब्‍लॉगविद्या के बाबा रामदेवडीएलए दिनांक 27 अगस्‍त 2010 के अंक में संपादकीय पेज 11 पर व्‍यंग्‍यकार डॉ. राकेश शरद। पढ़ने-समझने के लिए क्लिकाते जाएं। यह सलाह नहीं चेतावनी हैजैसा देश वैसा भेष यह कहावत तो आपने जरुर सुनी होगी पर एक बात की और गाठं बांध लें, जहां भी रहते हैं वहां की भाषा जरूर सीख लें और कोशिश करें कि स्थानीय लोगों से उनकी ही भाषा में बात कर सकें। पता नहीं आप की कि...

फूलों पर टिक गई है बात ...एक तो हो रही बरसात उसपर इतनी लम्बी रात कश्ती मेरी डूब के उबरी तूफाँ ने फिर खाई मात ज़िक्र किया था पतझड़ का फूलों पर टिक गई है बात झूठ का उबटन चेहरों पर ख़ाक कहेंगे सच्ची बात बिन मतलब बदनाम हुई मैं...वो निगहबान हो तो बात बने--ऐसे ही सरे राह चलते कुछ पंक्तियाँ मन में आगईं तो उन्हें मन में दबाया ना गया.. हिन्दुस्तान के गरीबों का सा हस्र ना किया गया उनका मुझसे.. लेकिन आखिरी पंक्तियाँ समझ नहीं आयीं कि कौन सी बेहतर रहेंगीं इसलिए जो ...

ईमेल के रास्ते मुफ़्त फ़ोनअब जल्दी से आप सभी अपने घरो के फ़ोन कटवा दे.... ओर मुफ़त मैइन ही सेवा ले....पुरा पढने के लिये ओर पुरी जानकारी के लिये यहां जाये भक्तों की भीड़ में बेचारे भगवान !दोस्तों ! सड़कों के किनारे भगवानों की पूजा -अर्चना के लिए भारी -भरकम पंडाल सजाने और पूजा के बहाने अपनी-अपनी मनमानी करने वालों का मौसम फिर आ रहा है. धर्म-संस्कृति के नाम पर ढोल-ढमाकों के साथ धींगा...
तीन तीन खुशखबरियां.... ताऊ टीवी का स्पेशल बुलेटिनताऊ टीवी के इस विशेष बुलेटिन में मैं कल्लू मदारी आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. इस विशेष बुलेटिन में मेरे साथ साथ ताऊ और ताई भी बधाई देने के लिये विशेष रूप से मौजूद हैं. आप सोच रहे होंगे कि ये ताऊ के साथ आ...मेल टुडे में ब्‍लॉगपीपली में छत्‍तीसगढ़' ब्‍लॉग पेज को अखबारों, पत्रिकाओं, चैनलों ने अपनी चर्चा का विषय बनाया. कुछ ने पूछा, किसी ने बताया, कुछ औरों ने बताया, हो सकता है कुछ की जानकारी मुझे अब तक न हो. लेकिन 'मेल टुडे', दिल्...

कितने कब्रिस्तान  कितने कब्रिस्तान ?* मेरी आँखें बहुत सुखद सपना देख रही हैं | सरकारी स्कूलों में जगह - जगह पड़े गड्ढे वाले फर्श के स्थान पर सुन्दर टाइल वाले फर्श हैं | उन गड्ढों में से साँप, बिच्छू, जोंक इत्यादि निकल क...सड़क मार्ग से महाराष्ट्र: नासिक हाईवे पर कीड़े-मकौड़ों सी मौत मरते बचे हम और पहुँचना हुया नवी मुम्बईशिरड़ी में साईं बाबा के दर्शनों के बाद, विचलित मन में कई सवाल लिए नासिक की ओर जाने के इरादे से जब मैंने शहर से बाहर, मनमाड़ की ओर सड़क का रूख किया तो दोपहर के दो बज चुके थे। करीब छह किलोमीटर बाद ही नासिक क...

चलते-चलते व्यंग्य 



ब्लागवार्ता को देते हैं विराम आप सभी को ललित शर्मा का राम राम

गुरुवार, 26 अगस्त 2010

क्या है भगवा आतंकवाद ? - बड़े लोग और बड़ी बातें, अपन छोटे ही भले - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

ब्लॉग ४ वार्ता  के इस मंच से आज की ब्लॉग वार्ता शुरू करने से पहले आप सब के लिए स्वामी विवेकानंद जी का एक सन्देश !

दूसरों के प्रति हमारे कर्तव्य का अर्थ है- दूसरों की सहायता करना, संसार का भला करना। ऊपर से तो हम संसार का उपकार करते हैं, परंतु असल में हम अपना ही उपकार करते हैं। हमें सदैव संसार का उपकार करने की चेष्टा करनी चाहिए। परंतु इस संसार को हमारी सहायता की बिल्कुल आवश्यकता नहीं। एक बार मैंने एक उपदेश पढ़ा था- यह सुंदर संसार बड़ा अच्छा है, क्योंकि इसमें हमें दूसरों की सहायता करने के लिए अवसर मिलता है।
ऊपर से तो यह भाव सचमुच बहुत सुंदर है, परंतु यह कहना कि संसार को हमारी सहायता की आवश्यकता है, क्या घोर ईश्वर निंदा नहीं है? यह सच है कि संसार में दुख-कष्ट बहुत है और इसलिए लोगों की सहायता करना हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य है, परंतु दूसरों की सहायता करने का अर्थ है अपनी ही सहायता करना। उपकार इतना ही होता है कि हमें नैतिक शिक्षा मिलती है। यदि हम यह ध्यान रखें कि दूसरों की सहायता करना एक सौभाग्य है, तो परोपकार करने की इच्छा एक सर्वोत्तम प्रेरणाशक्ति है। एक दाता के ऊंचे आसन पर खड़े होकर और अपने हाथ में दो पैसे लेकर यह मत कहो, ऐ भिखारी, ले, यह मैं तुझे देता हूं। तुम स्वयं इस बात के लिए कृतज्ञ होओ कि तुम्हे वह निर्धन व्यक्ति मिला, जिसे धन देकर तुमने स्वयं अपना उपकार किया। धन्य पाने वाला नहीं होता, देने वाला होता है। इस बात के लिए कृतज्ञ होओ कि इस संसार में तुम्हें अपनी दयालुता का प्रयोग करने और इस प्रकार पवित्र एवं पूर्ण होने का अवसर प्राप्त हुआ। 
- स्वामी विवेकानंद

आइये अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ................. आशा है आप को यह ब्लॉग वार्ता पसंद आएगी !

सादर आपका 

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पिपली लाइव के नारी पात्र [समापन किस्त] :- अम्मा को बीडी दो बीडी .........नहीं तो पड़ेगी गाली !!


मन पर दुख का लवलेश भी न हो :- क्या संभव है ऐसा ?


तलाश एक लडकी की -सतीश सक्सेना :- सब्र का फल मीठा होता है !

तुम्हारा ‘ना’ तुम्हारा ‘हां’ :- कोई नेता जी है क्या ?


रिश्तों में दरार :- आई ....बेटे ना रहे बेटे .....भाई ना रहे भाई !!



राखी का बंधन :- है प्यारा बंधन !









'चित्त' तो 'उस' की है ही...'पट' भी 'उसी' की है... और 'अंटा' भी हे प्रभु तेरा ही है...तुझे नमन !!! :- सत्य वचन !

हे कलमाड़ी, आप न घबराना. :- आपका भला क्या बिगड़ेगा जमाना !

माता-पिता बच्चों को यातायात के नियम सिखाएँ!!! :- अरे .......पहले खुद तो सीख जाएँ !

यादें-1. :- याद आती है .....बाते भूल जाती है !!

क्या है भगवा आतंकवाद ? :- एक नया चुनावी मुद्दा ; आतंक का एक नया अवतार .......कुछ भी हो सकता है .... जैसा आप चाहे !!

पाकिस्तान भारतीय राहतकर्मियों को वीजा देने के लिए तैयार नहीं है :- "रस्सी जल गयी पर ऐठ नहीं गयी !!"

नई ग़ज़ल/ इक रोज कोई आपसा मिल जाएगा.. :- तब तक क्या करोगे ??

गोहाटी स्टेशन, ट्रांजिट कैम्प एवं ब्रह्मपुत्र से भेंट---यात्रा ७ :- कैसी रही यह भेंट ?

क्यों झांकते हो नज़र में ये नकाब जैसा है :- आँखों में ग़र उतर गया वो शराब जैसा है !!

दिल्ली:डीटीसी गायब!उसकी जगह यह क्या आ गाया!? :- पानी जब इतना बरस रहा है तो यह तो होना ही था !! 

छोड़ो ना…कौन पूछता है? - राजीव तनेजा :- किस बारे में ? 

लीजिये एक बार फिर सुन लीजिये ....अपनी डफली आप बजाता हूँ ....अपनी नयी पोस्ट का लिंक दिए जाता हूँ !

धूम्रपान :- एक कार्य महान !! (व्यंग्य) :- जान है तो है जहान !!

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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक .........अगली बार फिर मिलुगा एक ओर ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए .............

जय हिंद !!

बुधवार, 25 अगस्त 2010

"पांगी घाटी" लांस नायक वेदराम! मेरे भैया--'राखी की लाज'---ब्लाग4वार्ता----ललित शर्मा

नमस्कार, सभी पाठकों को श्रावणी पर्व की शुभकामनाएं, आज हमने रक्षा बंधन का त्योहार मनाया। यह एक भावनाओं से जुड़ा त्यौहार है। बिछुड़े भाई और बहन मिलते हैं तो आंसु गिरते हैं और मिल कर बिछुड़ते हैं तो आंसु गिरते हैं कि कब फ़िर मिलेंगे? अनुठा त्यौहार है रक्षा बंधन। श्रावण पुर्णिमा के दिन को वैदिक काल में विद्यारंभ का दिन माना जाता था। इसदिन यज्ञोपवीतसंस्कार होते थे और ब्रह्मचारियों का अध्ययन हेतु गुरुकुल प्रवेश होता था। आचार्य उन्हे अपने गुरुकुल में प्रवेश देते थे। अन्य द्विजातियां इस दिन यज्ञोपवीत बदलती थी और आज भी हम पुराने यज्ञोपवीत को बदल कर नया धारण करते हैं। कालांतर में इसे रक्षा बंधन के नाम से जाना गया। इसका बदलता हुआ रुप आपके सामने हैं, अब चलते हैं आज की ब्लाग4वार्ता पर देखते हैं कुछ रक्षा बंधन के चुनिंदा ब्लाग....

आज ब्लाग जगत में रक्षा बंधन के साथ-साथ जन्मदिन की भी धूम रही। 24 अगस्त को अदा "सैल मंजुषा" उनकी बिटिया प्रज्ञा हमारी बिटिया श्रुतिप्रिया एवं श्रीमति अजीत गुप्ता जी की बिटिया कनुप्रिया का जन्म दिवस समवेत रुप से मनाया गया।

आज स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' का जनमदिन हैआज, 24 अगस्त को काव्य मंजूषा वालीं स्वप्न मंजूषा शैल 'अदा' का जनमदिन है। उनकी बिटिया प्रज्ञा का जनमदिन भी आज ही है। बधाई व शुभकामनाएँ आने वाले जनमदिन आदि की जानकारी, अपने ईमेल में प्राप्त करने के लिए ...श्रुतिप्रिया के जन्म दिन एवं रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई----आर्ट गैलरी सेश्रुतिप्रिया के जन्म दिन, एवं रक्षा बंधन की हार्दिक बधाई, ये ललित शर्मा जीकी यशस्वी पुत्री हैं, तथा छत्तीसगढ राज्य की जुनियर निशाने बाज हैं। श्रुतिप्रिया के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।* * * *स्वर्ण ए..श्रीमति अजीत गुप्ता जी की बिटिया कनुप्रिया का जन्म दिवस भी मनाया गया।

त्यौहार की आड़ में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों की पौ बारह हो जाती है, त्यौहार में जिस वस्तु की मांग बढती है उसके नकली संस्करण भी बाजार में धड़ल्ले से बिकने लगते हैं। त्यौहारों में नकली खोवे की मिठाई धड़ल्ले से बिकती है और प्रशासन  के अधिकारी आंखे मूंद कर नोट चबाते रहते हैं। दिनेश राय द्विवेदी जी ने इस पर एक पोस्ट लिख कर चेताया है। कविता वर्मा जी ने अपने ब्लाग पर एक जीजी को एक संदेश दिया  है।
सिंथेटिक मावा/खोया और उस की मिठाइयों का बहिष्कार करें ....बस कुछ देर में तारीख बदलने वाली है। हो सकता है यह आलेख प्रकाशित होते होते ही बदल जाए। नई तारीख रक्षा बंधन के त्यौहार की है। यूँ हमारे यहाँ तिथियाँ सूर्योदय से आरंभ होती हैं। इस कारण कल का सूर्योदय होती ही...जीजी तूने चिठ्ठी नहीं लिखीरक्षाबंधन, ये शब्द ही मन में हलचल मचा देता है हर दिल में चाहे वो भाई हो या बहन अपनो की यादे उनके साथ बिताये बचपन के अनगिनत खट्टे -मीठे पल आँखों के आगे कौंध जाते हैं। बात बात पर वो भाइयों से लड़ना,दादी का उला..

अशोक बजाज जी ने रक्षा बंधन की बधाई दी है शाहनवाज भी रक्षा बंधन के भावनात्मक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। रक्षा बंधन त्यौहार ही ऐसा है कि सब इससे भावनात्मक रुप से जुड़ जाते हैं। भाई बहन के प्रेम का जो त्यौहार है।
रक्षाबंधन की बधाईक्षाबंधन के पावन पर्व पर सभी बहनों एवं भाइयों को हार्दिक बधाई* बधाई के साथ यह भी और भी ................... लेकिन शर्त है इसे बचाएं ............. हम बेटियाँ ईश्वर की वरदान होती है .. ...राखी तो बहन भाई की जज़्बात-ए-निशानी हैराखी तो बहन भाई की जज़्बात-ए-निशानी है फूलों सी महकती हुई प्यारी सी कहानी है भाई-बहन का प्रेम है कुदरत की एक नज़्म धारा सी अविकल है यह, गीतों सी रवानी है क़यामत तक ताउम्र ही चलता रहे यह प्यार इंसान की ...

बड़ा भिखारीयह एक और शनिवार की रात थी, हमेशा की तरह, राहुल देर रात को आया था. अपने दोस्तों उसे उसकी बस्ती के कोने पर छोड़ दिया! उसने मोबाइल में देखा, ३.३० बज रहे थे! राहुल ने दरवाजा खटखटाया. उसके पिता ने दरवाजा खोला!...मेरी बिटिया...आज का ही दिन था मुझे मिली थी .. मुट्ठी में गुनगुनी धूप, चाँदनी में नहाई, सोंधी ख़ुशबू में लिपटी नूर की नमी लिए एक नयी आशा, और एक नया रिश्ता, मेरे अपने से चेहरे पर, ठहरी हुई आखों का अहसास, कितना तिलस्मी ...

राखी पर्व पर शुभकामनाएं..-------->>>दीपक मशाल आज राखी के पावन पर्व पर अपनी प्यारी छोटी बहिन रानी(गार्गी) और सृष्टि के अलावा सारी बड़ी बहिनों(दीदियों) अदा दी, रश्मि रवीजा दी, लता हया दी और शिखा वार्ष्णेय दी का सादर चरण वंदन.. और आप सबको भी प्रेम के...आज़ादी तो तब ही होगी जब हम देश के, समाज के ग़लत तत्वों के उत्पीडन से आज़ाद न हो जाएँ,आज परिचर्चा का दसवां दिन है, कल मैंने कई महत्वपूर्ण चिट्ठाकारों के विचार से रूबरू हुए थे ......इसी कड़ी में आज के दिन की शुरुआत हम करने जा रहे हैं हिंदी के वहुचर्चित युवा चिट्ठाकार श्री सलीम खान से !* 

सुअरा की विदाई!विश्व स्वास्थ्य संगठन* का कहना है कि सुअरा ,अरे वही स्वाईंन फ़्लू H1N1 के दिन लद गए ..अब यह विश्व व्यापी नहीं रहा .निदेशक मार्गरेट चैन का कहना है कि अब पूरी दुनिया *' पोस्ट पैन्ड़ेमिक पीरियड '* से गुजर रह...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएंप्रेम का बंधन है राखी, दिलों में धड़कन है राखी प्रेम-स्नेह का पर्व है राखी, रक्षा का बंधन है राखी। तुम क्यूं चले आते हो…..तुम क्यूं चले आते हो….. तुम क्यूं चले आते हो दबे पांव मेरे खयालों में ? अचानक ही अनमनी सी हो जाती हूँ मैं । किसी चीज का रहता नही होश, जागती आँखों से सपने में खो जाती हूँ मै । किसी के पूछने पर कि क्या हुआ .

रक्षाबंधन विशेष: वृन्दावनलाल वर्मा का नाटक - 'राखी की लाज'राखी की लाज' वृन्दावनलाल वर्मा का एक प्रसिद्ध नाटक है।आवारा मेघराज की गाँठ में राखी बँधने के समय पैसे न थे, अथवा वह राखी बाँधने वाली अपनी बहन को पैसों से बढ़कर कुछ और देना चाहता था-और उसने दिया।विंध्यखंड मे...मेरे भैया .....रानीविशालआज जब देश के हर घर में बहनें भाइयों की कलाई पर अपने प्यार और विश्वास को रेशम के खुबसूरत धागे में संजो कर बाँध रही हैं और भाई भी पुरे आत्मप्रेम और निष्ठा के साथ आस्था के इस अटूट बंधन को अपनी कलाइयों पर सजा ...

आज पहली वर्षगाँठ है आपके इस ब्लॉग की आज आपके ब्लॉग की पहली वर्षगाँठ है । पिछले साल 24 अगस्त को पहली पोस्ट आई थी इस ब्लॉग की और अब 740 से ज्यादा पोस्ट है अब इस ब्लॉग में । आंकड़ें नहीं गिनाना चाहता आपके सहयोग को कोई अंक व्यक्त नहीं कर पायेगा ..."दुनिया भी वार दूं, तेरे प्यार की सच्चाई पर.... "सुधि मित्रों, सदर नमस्कार और भाई बहन के प्यार भरे रिश्तों को स्थापित करने वाले अद्भुत त्यौहार रक्षा बंधन की दिली बधाइयां.... प्यारे प्यारे स्मृतियों के उमड़ते- घुमड़ते, बदलियों संग विचरते, मेरा यह पोस्ट दु...

जो कष्ट से मरे वह कस्टमर !अंग्रेज़ी के कस्टमर (customer) शब्द का अगर हम हिन्दी वाले ज़रा तोड़- फोड़ कर अर्थ निकालें , तो आज के समय में सौ करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले हमारे देश की आम जनता पर वह बिल्कुल फिट बैठता दिखेगा . अंग्रेज...रक्षा बन्धन भाई-बहन का त्यौहार या पुरोहित-यजमान का?हमें आज भी याद है कि बचपन में प्रतिवर्ष रक्षा बन्धन अर्थात् श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन हमारे पिता जी सुबह से ही पुरोहित जी की प्रतीक्षा करने लगते थे। उस रोज पुरोहित जी हमारे घर आकर सबसे पहले पिताजी के हा...

"मन्दिर में खून की होली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")बग्वाल मेला बग्वाल मेला साल में रक्षा-बन्धन के दिन आता है। आज के दिन बहने अपने भाईयों को राखी बाँधती हैं।परन्तु उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल के चम्पावत जिले में एक स्थान ऐसा है, जहाँ यह अनोखा त्योहार मनाया जा...रक्षा बंधन रक्षा बंधन बधाई हो! सुना है कि रक्षा बंधन भाइयों-बहनों क त्योहार है। बहन अपने भाइयों को राखी देती हैं और भाई बहनों की रक्षा करने को प्रतिज्ञा करते हैं। यह जाने के बाद, मैं हर साल भारतीय मित्रों को राखी भे...

"पांगी घाटी" जहां आज भी लड़की को भगा कर शादी करने का चलन है।हमारा हिमालय दुर्गम घाटियों और ऊचाईयों का अद्भुत संगम है। आश्चर्य होता है ऐसी-ऐसी जगहों को देख कर कि वहां मनुष्य रह कैसे लेता है। क्या है ऐसा उस जगह में जो आठ-आठ महीने मुख्य धरा से कट कर भी इंसान खुश है अप...स्टीविया चबाओ, मधुमेह भगाओविश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग दो करोड़ दस लाख लोग मधुमेह की बीमारी से पीड़ित हैं। संगठन का यह भी अनुमान है कि वर्ष 2020 में भारत का हर पांचवां व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित होगा। जम्मू-क...

इंटरनेट से लोगों की पहचान कर लेगा यह सॉफ्टवेयर ! जल्द ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर आने वाला है जो इंटरनेट पर व्यक्तियों की तस्वीर से उन्हें पहचान सकेगा और इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि वह एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक पर काम कर रही है, जिससे इंटरनेट की हर तस्वीर ...दो वर्षों तक स्‍कूल में होनेवाली छुट्टियों का हमलोगों ने जमकर फायदा उठाया था !!अभी तक आपने पढा ....... हर प्रकार के सुख सुविधायुक्‍त वातावरण होने के कारण हमलोग कुछ ही दिनों में आसानी से बोकारो में और बच्‍चे अपने नए स्‍कूल में एडजस्‍ट करने लगे थे। पर यहां रिश्‍तेदारों या परिचितों की ..

या फिर बाज़ार में अपने बेटे की कीमत लगाइए ..........!हमने अखबार में पढ़ा एक '*Advertisement* ' लिखा था नो दहेज़ ,'*No Requirement* ' दहेज़ लेना और देना दोनों ही पाप है , लिकिन बेटी को सुखी न रखना भी अभिशाप है | खैर लड़के का '*Bio-Data* ' हमे पसंद आया, जवाब ...उसका पता मिलता नहींअपना पता भूलती नहीं उसका पता मिलता नहीं नगरी नगरी , द्वारे द्वारे खोजती फिरूँ प्यारे को पर उसका ठिकाना मिलता नहीं कमली बन कर डोलूँ मन के वृन्दावन में खोजूँ सांझ सकारे प्रीतम प्यारे दर्शन को तरसे नैना...



चलते चलते व्यंग्यचित्र.

 

 




अब वार्ता को देते हैं  विराम--सभी को ललित शर्मा का राम राम---यहां पर मिलिए लांस नायक वेदराम! से

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