आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्कार , साथ ही स्वत्तंत्रता दिवस की बहुत बधाई और शुभकामनाएं भी। वार्ता करने का मेरा दिन सोमवार का है , पर आज शिवम जी ने बिजली की समस्या की चर्चा करते हुए मुझे वार्ता लगाने को कहा। स्वतंत्रता दिवस पर इतने अच्छे अच्छे पोस्ट थे ,कुछ की चर्चा आवश्यक थी। आज पंद्रह अगस्त है  , भारतवासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन , आखिर इसी दिन हमारे गुलाम देश को स्वतंत्रता जो मिली थी , पर स्वतंत्रता से कुछ वर्ष पहले हम भारतवासियों में जो जुनून था , वह स्वतंत्रता के बाद भी क्या रह गया है ??  एक यक्ष प्रश्न है हमारे सामने , जिसका जबाब 'ना' में ही दिया जा सकता है। यदि इस प्रश्न का जबाब 'हां' में दिया जा सकता , तो क्या आज आजादी के इतने वर्शों बाद भी हम मूलभूत सुविधाओं से वंचित होते ??  इस खास मौके पर हिंदी ब्लॉगरों ने भी बहुत पन्ने रंगे, जिनमें से कुछ आपके सामने प्रस्तुत हैं .......
 जैसे ही नवोदित नेताजी को खबर मिली कि अबकी बार तहसील प्रांगण में उन्हें  झंडावंदन करना है, तत्क्षण उन्होंने मन ही मन राष्ट्रीय गान रटना शुरू कर  दिया। खास चमचे ने जब देखा कि नेताजी अपने ललाट की सलवटों का भार उठा नहीं  पा रहें हैं, चिन्तामग्न से हुए पड़े हैं, वह भी चिन्ताविभोर होकर नेताजी को  कुरेदने लगा।
ललित शर्मा जी की पोस्ट नौजवानों की शहादत-पिज्जा बर्गर-बेरोजगारी-भ्रष्टाचार और आजादी की वर्षगाँठ
ललित शर्मा जी की पोस्ट नौजवानों की शहादत-पिज्जा बर्गर-बेरोजगारी-भ्रष्टाचार और आजादी की वर्षगाँठ
अंग्रेजों से सत्ता लिए हमको 63 वर्ष  पूर्ण हो गए, हम आजादी की 64 वीं  वर्षगांठ मना रहे हैं। जिन उद्देश्यों को  लेकर आजादी की लड़ाई हमारे  पूर्वजों ने लड़ी थी। अपना खून बहाया था। माताओं  ने अपने जवान बेटों का  बलिदान दिया था। स्त्रियों ने अपने सुहाग एवं बच्चों  ने अपने सरपरस्तों को  खोया था। क्या वह उद्देश्य पूरे हो रहे हैं? गरीबों  ने अपने राज में जिस  सुख की रोटी के सपने देखे थे क्या वह उन्हे मिल रही  है? 
कुछ दिनों से सोच रहा था की देश की आजादी पर कुछ लिखूं. लेकिन क्या! वह जो  हम रोज देख-पढ़ रहे है या ऐसा कुछ जिसको पढ़ कर कुछ सोचा जाये. ऐसा ही कुछ  मैंने अपनी इन पोस्टो में लिखा भी था.
आज  रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु' जी ने भी सुंदर रचना लिखी है ... आजादी है ...  
नाचो गाओ ,खुशी मनाओ- आज़ादी है
लूटो –खाओ , पियो-पिलाओ आज़ादी है
भूखी जनता  टूक न मिलता आज़ादी है
छीनो -झपटो ,डाँटो –डपटो आज़ादी है
दफ़्तर-दफ़्तर ,बैठे अजगर आज़ादी है
जेब गरम है ,बिकी शरम है आज़ादी है। कल १५ अगस्त है ,हमारा स्वतंत्रता दिवस है .लोग बहुत दुखी है खास तौर पर  समझदार और पढ़े लिखे कहे जाने वाले लोग .उन पर पहाड़ टूट पड़ा है .उनके साथ  कितना बुरा हो गया है की यह १५ अगस्त रविवार के दिन पड़ा है ,वैसे भी वे इस  दिन कुछ नही करेंगे छुट्टी ही मनायेंगे लेकिन १५ अगस्त किसी और दिन पड़ा  होता तों छुट्टी मनाने  को एक दिन और मिलता .इससे बड़ा उनके जीवन का बड़ा  संकट क्या हो सकता था .स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाये, यह भी कोई मानने की  चीज है .मनाना  है तों जातियों का दिवस या केवल अपनी जाती या धर्म में पैदा  हुए महापुरुष का दिवस मना कर उसमे अपना गौरव तलाश लेने की कोशिश कर ही  लेते है .
 कैसा 15 अगस्त!!!!!
किसका 15 अगस्त!!!!!
जब देश के सामने समस्याएँ....
अनगिनत.
लोगों में निराशा....
और आक्रोश जबरदस्त.
जब देश के सामने समस्याएँ....
अनगिनत.
लोगों में निराशा....
और आक्रोश जबरदस्त.
जनता ग़रीबी,
भुखमरी,
महँगाई,
और बेकारी से  पस्त
 जन्मभूमि जननी और स्वर्ग से महान है। मेरा देश- मेरी धरती मेरी मां है...  फिर राष्ट्रपिता और राष्ट्रपति जैसे शब्दों का क्या मायना है? अगर मां  कहलाने वाली हमारी मातृभूमि का अस्तित्व प्राकृतिक, भौगोलिक और  सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से युगों से कायम है तो क्या हर पांच साल में नया  पति (राष्ट्रपति) और कथाकथित आजादी के बाद पिता (राष्ट्रपिता) का क्या  औचित्य और इसकी क्या जरूरत... वह भी उस स्थिति में जब प्रेसीडेंट के अनुवाद  में राष्ट्राध्यक्ष और आधुनिक भारत के संदर्भ में आधुनिक राष्ट्र के  मूलाधार, कर्णधार, शिल्पकार जैसे शब्द मौजूद हैं... 
जिसका दिल सिर्फ देश के लिए धडकता हो
जिसके खून में देशभक्ति की  भावना कूट कूट कर भरी हो 
जो देश के लिए हर कुर्बानी देने का तैयार  हो 
 जो देश की आन और शान से वाकिफ हो 
जिसका जूनून सातवे आसमान से भी ऊपर हो 
जो अपने देश को दीवानों की तरह प्यार करता हो 
वही है भारत का भाग्य विधाता 
ब्रिटेन से 190 साल (1757 से 1947) की लंबी गुलामी के बाद हमारा देश भारत  15 अगस्त 1947 को आजाद व 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बना। क्षेत्रफल की  दृष्टी से विश्व में सातवां, जनसंख्या में दूसरा व जनसंख्या धनत्व के  अनुसार विश्व में प्रथम स्थान हमारा है। 28 राज्यों व 7 केंद्र शासित  प्रदेशों के साथ हमारा लोकतंत्र विश्व में सबसे बड़ा माना जाता है। हमारा  देश संपूर्ण विश्व के केवल 2.4 प्रतिशत क्षेत्रफल के साथ विश्व जनसंख्या के  17 % भाग को शरण प्रदान करता है। 
यही तोहफ़ा है यही नज़राना
मैं जो आवारा नज़र लाया हूँ
रंग में तेरे मिलाने के लिये
क़तरा-ए-ख़ून-ए-जिगर लाया हूँ
ऐ गुलाबों के वतन
मैं जो आवारा नज़र लाया हूँ
रंग में तेरे मिलाने के लिये
क़तरा-ए-ख़ून-ए-जिगर लाया हूँ
ऐ गुलाबों के वतन
पहले कब आया हूँ कुछ याद नहीं
लेकिन आया था क़सम खाता हूँ
फूल तो फूल हैं काँटों पे तेरे
अपने होंटों के निशाँ पाता हूँ
मेरे ख़्वाबों के वतन
लेकिन आया था क़सम खाता हूँ
फूल तो फूल हैं काँटों पे तेरे
अपने होंटों के निशाँ पाता हूँ
मेरे ख़्वाबों के वतन
स्कूल में बच्चों को                  
समझाया गया
कल स्वतंत्रता दिवस है
समय से आना
सफ़ेद ड्रेस पहन कर
जूते चमकते हों
लाईन में चलना
प्रार्थना स्थल पर
शांत रहना
कोई शैतानी नहीं
बच्चे स्तब्ध हैं
इतनी बंदिशें ?
यह कैसा स्वतंत्रता दिवस है ?
समझाया गया
कल स्वतंत्रता दिवस है
समय से आना
सफ़ेद ड्रेस पहन कर
जूते चमकते हों
लाईन में चलना
प्रार्थना स्थल पर
शांत रहना
कोई शैतानी नहीं
बच्चे स्तब्ध हैं
इतनी बंदिशें ?
यह कैसा स्वतंत्रता दिवस है ?
आज फिर मैं अपनी सहेली चैंडी द्वारा ली हुयी कुछ तस्वीरें पोस्ट कर रही हूँ… कैप्शन मैंने लिखे हैं. आज़ादी का छोटा सा मतलब…
सुना है! कल 15 अगस्त नाम का कोई ‘त्योहार’ मनाया जाने वाला है!          
दिन भर आजादी के,गुणगान गाये जाएंगें
पब्लिक को तरक्की के,नये ढंग बताए जाएंगें
खुशहाली होगी कैसे,ये राग सुनाये जाएंगें
दिन भर आजादी के,गुणगान गाये जाएंगें
पब्लिक को तरक्की के,नये ढंग बताए जाएंगें
खुशहाली होगी कैसे,ये राग सुनाये जाएंगें
कल पंद्रह अगस्त है , हमारी आज़ादी का दिन , 
इस मुबारक मौके पर सिर्फ एक ही बात कहूँगा 
उत्तुंग  हिमालय है जिसका मस्तक ऐसा मेरा भारत है 
ए वतन मेरे वतन
क्या करूं मैं अब जतन
सर जमीं से आसमां तक
तुझको है मेरा नमन
ए वतन मेरे वतन
क्या करूं मैं अब जतन
भूख से, मंहगाई से
जीना हुआ दुश्वार है
ए वतन मेरे वतन
क्या करूं मैं अब जतन
क्या करूं मैं अब जतन
सर जमीं से आसमां तक
तुझको है मेरा नमन
ए वतन मेरे वतन
क्या करूं मैं अब जतन
भूख से, मंहगाई से
जीना हुआ दुश्वार है
ए वतन मेरे वतन
क्या करूं मैं अब जतन
 कहते थे देश लूटे फ़िरंगी,
दर्द से युवा बने थे ज़ंगी।
उन वीरों की औलादों का,
जीना हुआ मुहाल।
लूंट का यह लोकतंत्र है,
पावे सो निहाल॥
जाति से पिछडे थे शोषित,
अगडे रहे है शोषक घोषित।
अब शोषक शोषित एक हुए है,
देश हुआ बदहाल।
लूंट का यह लोकतंत्र है,
पावे सो निहाल॥
दर्द से युवा बने थे ज़ंगी।
उन वीरों की औलादों का,
जीना हुआ मुहाल।
लूंट का यह लोकतंत्र है,
पावे सो निहाल॥
जाति से पिछडे थे शोषित,
अगडे रहे है शोषक घोषित।
अब शोषक शोषित एक हुए है,
देश हुआ बदहाल।
लूंट का यह लोकतंत्र है,
पावे सो निहाल॥
आज़ादी  एक ऐसा शब्द,एक ऐसा जज़्बा जो किसी भी इंसान के लिए इतना अहम है की उसकी  कल्पना मात्र से ही रोम-रोम पुलकित हो उठता है | आज से ठीक ६४ साल पहले जब  स्थिति आज के बिलकुल विपरीत थी, जब हम लोग वर्षों की कठोर साधना के फल का  इंतज़ार कर रहे थे | सरदार पटेल,सुभाष चंद्र बोस ,खुदीराम बोस, भगत सिंह,  चंद्रशेखर आज़ाद , महात्मा गांधी जैसे भारत के वीर सपूतो का बलिदान हमे  आज़ादी का अनमोल तोहफा देने की तैयारी में थे| तब के समय और आज के समय में  ज़मीन आसमान का अंतर आ चुका है| आज मैं आज़ाद तो हूँ पर क्या मैं सच में आज़ाद  हूँ  ?
साल तरेसठ बीत गये हैं अब भी भ्रम में जीते हैं 
कहने को आजाद हुए हैं मन ही मन खुश होते हैं
पर आजादी मिली कहाँ है सत्ता का हस्तान्तर है
बेशक खुश हो कर कहते हम आजादी में जीते हैं
पहले पाकिस्तान बनाया फिर सारी तिब्बत दे दी
दे उन को कश्मीर का हिस्सा सारी ही इज्जत दे दी
फिर समझौता कर शिमला में स्वाभिमान भी दे डाला
लगता है इस कांग्रेस ने फिर से वही आग दे दी
कहने को आजाद हुए हैं मन ही मन खुश होते हैं
पर आजादी मिली कहाँ है सत्ता का हस्तान्तर है
बेशक खुश हो कर कहते हम आजादी में जीते हैं
पहले पाकिस्तान बनाया फिर सारी तिब्बत दे दी
दे उन को कश्मीर का हिस्सा सारी ही इज्जत दे दी
फिर समझौता कर शिमला में स्वाभिमान भी दे डाला
लगता है इस कांग्रेस ने फिर से वही आग दे दी
तीन दिन से बेचैनी थी इसे लेकर.. आज छुट्टी के रोज़ सुबह उठते ही सोचा कि  कैसे भी हो आज यह फ़िल्म देखनी ही है। कहानी लगभग पूरी पता थी। तनवीर साहब  के रंगकर्मियों को आए दिन टीवी पर फ़िल्म का प्रोमोशन करते देखा तो यह भी  सहज अनुमान था कि स्टोरी ट्रीटमेंट कैसा होगा। फ़िल्म में मीडिया की जमकर  खिंचाई हुई है- प्रोमो देखकर पता चल जाता है। तो फिर नया क्या था?  
कुसुम ठाकुर जी की सुंदर कविता का भी आनंद लें ..शहीदों की बयां करना
देश की आन में जीना,
उसी की शान में मरना ।
कहो किस्सा पुराना है,
जज्बा न कम करना ।
हम आज़ाद हुए तो क्या ,
कीमत की लाज बस रखना।
अब स्वछन्द हम विचरें,
मगर संताप से डरना ।
उसी की शान में मरना ।
कहो किस्सा पुराना है,
जज्बा न कम करना ।
हम आज़ाद हुए तो क्या ,
कीमत की लाज बस रखना।
अब स्वछन्द हम विचरें,
मगर संताप से डरना ।
 डॉ सुभाष राय जी का मानना है .. होठों में आ रही है जुबां और भी खराब   हिंदुस्तान आजाद हुआ था तो एक बंटवारा झेलना पड़ा था पर आजादी के बार  बचा हुआ देश कई टुकड़ों में बंट गया है। देश के दो चेहरे साफ-साफ दिखायी  पड़ते हैं। एक अमीर भारत, दूसरा गरीब भारत। कुछ लोगों के पास बेइंतहा धन आ  रहा है। वे वैभव और ऐश्वर्य की चमक में जी रहे हैं। उनके पास बड़े उद्योग  हैं, कंपनियां हैं, उनकी पीठ पर सरकार का वरद हाथ है। वे धन के बल पर  मेधावी दिमाग खरीदते हैं और उनका इस्तेमाल अपना वैभव बढ़ाने में करते हैं।  यह चमकता भारत है। दूसरी ओर वे लोग हैं, जो दो वक्त की रोटी के लिए दिन-रात  संघर्ष कर रहे हैं। हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि उनके  परिवार को रोटी मिल ही जाये।   
वीरेन्द्र कुमार जी के लेख को प्रकाशित किया है प्रदीप शर्मा जी ने .. झंडा फहरा कर ही अन्न ग्रहण करते थे लोग  आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 और उसके बाद लगभग डेढ़ दशक तक लाल किले के  आसपास स्वतंत्रता का समारोह एक मेले में तब्दील हो जाता था। उन दिनों लाल  किले पर यह आयोजन देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी। लोग  प्रधानमंत्री के भाषण को बेहद गंभीरता से सुनते और उस पर अमल करने की कोशिश  करते थे।
उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि कहीं प्रधानमंत्री का भाषण छूट न जाए। लोग समय से पहले ही वहां पहुंच जाते थे। उन दिनों आज जैसी बसों और ट्रेनों की सुविधा नहीं थी।
उन्हें इस बात की चिंता रहती थी कि कहीं प्रधानमंत्री का भाषण छूट न जाए। लोग समय से पहले ही वहां पहुंच जाते थे। उन दिनों आज जैसी बसों और ट्रेनों की सुविधा नहीं थी।
 सैयद फैज हसनैन जी कहते हैं .. 'आज़ादी की खुशियों के असली हकदार '     अरे यार सब जानता है की हमारे देश के फौजियों ने देश के लिए हमेशा जान की बजी लगाई है यह आज़ादी उनकी है हम उनके आभारी है ...........हम सब की तरफ से भारत माँ के उन वीर सपूतों को सलाम जिन्होने हमारी  भारत माँ की रक्षा करते करते आपनी जन न्योछावर कर दी ...जय भारत -जय जवान 
अंकुर जैन जी आजाद भारत की गुलाम तस्वीर देख रहे हैं ...आजाद भारत की गुलाम तस्वीर-"पीपली लाइव"  तेजी से बदलती संस्कृति, मिटती रूढ़ियाँ, नयी-नयी खोजें, बड़ी-बड़ी  इमारतें, आलिशान मॉल-मल्टी प्लेक्स, सरपट दौड़ती मेट्रो ट्रेन...और जाने  क्या-क्या हमने विकसित कर लिया है स्वतंत्रता की इस ६३वी वर्षगाठ तक  पहुँचते-पहुँचते...लेकिन बहुत कुछ है जो अब भी नहीं बदला..शाइनिंग इंडिया  विकसित हो रहा है पर पिछड़ा भारत जस का तस है। 
रोहित कश्यप जी कहते हैं ..बदल गई है छात्र राजनीति की दशा ? बात हो रही है छात्र राजनीति  की | विषय बड़ा गंभीर है, बात भी गंभीरता  वाली होनी  चाहिए| यह एक ऐसा विषय है जो देश की दशा और दिशा दोनों बड़ा  सकता है | आज देश में  हर जगह एक अजीब सी स्थिति हो गयी है | और जहाँ तक  बात है छात्र राजनीती का तो इसमें  बदलाव जरूर आया है | 
वैश्विक उदारीकरण पर दीपक भारतदीप जी का व्यंग्य पर एक नजर .. वैश्विक उदारीकरण के चलते
बाज़ार एक हो गया है,
सभी को खुश करते सौदागरों ने
सजा दिये हैं बुत
कहीं धर्म के उदारपंथी
पेशेवराना ममता बरसा रहे हैं
कहीं कट्टरपंथी पाकर मदद
मचाते हैं आतंक
शांति के लिए तरसा रहे हैं।
बाज़ार एक हो गया है,
सभी को खुश करते सौदागरों ने
सजा दिये हैं बुत
कहीं धर्म के उदारपंथी
पेशेवराना ममता बरसा रहे हैं
कहीं कट्टरपंथी पाकर मदद
मचाते हैं आतंक
शांति के लिए तरसा रहे हैं।
हमारा गणतंत्र फले फूले और हम सब भारत माता की सच्ची सेवा में अपना तन मन धन  लगा सकें और मन, वचन, कर्म से सत्य के मार्ग पर चलें। सैनिकों की तरह सीमा  पर और भीतर आतंकवादियों का सामना करते हुए जीवनदान न भी कर सकें तो ब्लड  बैंक जाकर रक्तदान तो कर ही सकते हैं। सीमा पर लड़ न सकें किंतु इतना ध्यान  तो रख ही सकते हैं कि ब्लॉग पर लगाये हुए मानचित्र में देश की सीमायें सही  और अधिकारिक हों। आतंकवाद के विभिन्न रूपों से दो-दो हाथ करने का अवसर न  भी मिले मगर उनका महिमामंडन तो रोक ही सकते हैं। अपने को कभी भी क्षुद्र न  समझें, कवि ने ठीक ही कहा ही है, "जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवार..." 
तो उठिये, देश के नवनिर्माण का व्रत लीजिये और जुट जाइये काम में!
एक बार फिर हार्दिक शुभकामनायें!
वन्दे मातरम! जय भारत!
तो उठिये, देश के नवनिर्माण का व्रत लीजिये और जुट जाइये काम में!
एक बार फिर हार्दिक शुभकामनायें!
वन्दे मातरम! जय भारत!
  




17 टिप्पणियाँ:
सुंदर वार्ता आजादी के चिट्ठों की
स्वतंत्रता दि्वस की हार्दिक बधाई
स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर आधारित आज की प्रविष्ठी ...अपने आप में अमूल्य है...
संगीता जी को बहुत बहुत बधाई..
स्वतंत्रता दि्वस की हार्दिक बधाई...!
आपने बहुत सारी लिंक्स दी हैं चुनी हुई |बहुत बहुत बधाई आज की चर्चा के लिए |स्वतन्त्रता दिवस पर सब को मेरा शुभकामनाएँ
आशा
स्वतंत्रता दि्वस की हार्दिक बधाई
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
मनोज
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ ...
१५ अगस्त के संदर्भ में - वन्दे मातरम और स्वतंत्रता दिवस के सही मायने क्या हम नई पीढ़ी तक पहुँचा पा रहे हैं ? [On the occasion of 15th August….]
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई।
बहुत अच्छी आज की वार्ता ....बहुत सारे लिंक्स मिले ...आभार
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई एवम शुभकामनायें
बहुत बढिया वार्ता.....
आभार्!
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ ...
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जय हिंद !!
संगीता दीदी, बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ !
ek aajad soch ki aajad kalam..
aur aajadi ka khasam khas khajana
jai hind!
अरे वाह मजा आ गया. आजाद भारत और आजादी पर सोचने वालो की कमी नहीं है. आज लगता है की मेरी मुराद पूरी हो गई. इतने सारे और वरिष्ठ साथियो की कक्षा में मुझे स्थान मिला. बहुत-बहुत शुक्रिया. आपकी वार्ता और आपका प्रयास सहरानीय है. धन्यवाद.
सभी साथियो को स्वतंत्रता दिवस की ढेरो शुभकामनाये.
सभी वरिष्ठ साथियो से उम्मीद करता हूँ की समय निकाल कर मेरी गुफ्तगू में शामिल हो कर मेरा हौसला बढ़ाते रहेंगे.
www.gooftgu.blogspot.com
बेहतरीन चर्चा. स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
रामराम.
इतनी सारी पोस्ट्स एक ही टॉपिक पर पढ़वाने का बहुत बहुत धन्यवाद । लेखकों ने अपने अपने ढंग से सराहनीय काम किया है ।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.............
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