शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

बाप रे! बड़े खतरनाक इरादे हैं - ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, लखनऊ ब्लॉगर सम्मेलन निपट गया, लोग मिले जुले पुरस्कार ग्रहण किया। समारोह के चित्रों एवं हो रही चर्चाओं से प्रतीत होता है कि परिकल्पना समारोह सफ़ल रहा है। कोई भी समारोह हो पर उसके बाद कुछ छींटा-कसी तो होती ही हैं। ऐसा ही कुछ गत दो दिनों में ब्लॉग जगत में देखने मिला। कल अरविंद मिश्रा जी की पोस्ट पढने मिली। वहाँ पर सवाल-जवाब हो रहा है। एक टिप्पणी हम भी चेप आए - मिसिर जी, ब्लॉग जगत कोई भेड़ बकरियों का रेवड़ नहीं है जिसे कोई भी हाँक कर जैसे चाहे वैसे चरा ले और कोई दो चार लोग नहीं हैं जिन्हे एकत्र करके संगठन बना कर मठाधीशी कर ली जाए। इस विषय पर लोगों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। ब्लॉगिंग करके हम कोई सारे दुनिया जहान को बदल नहीं देगें। मै तो मानता हूं कि परिकल्पना सम्मान से बहाने से ब्लॉगर साथियों में आपस में मेल-मिलाप हआ। बड़े कार्यक्रम में कोई भी आयोजक सभी की तरफ़ ध्यान नहीं दे सकता। कुछ त्रुटियाँ हो ही जाती हैं। जिन्हे पसंद नहीं आया इनका तरीका तो वे अपने तरीके से कर लें। रविन्द्र प्रभात जी ने जो कार्यक्रम किया उसके लिए उन्हे साधुवाद देता हूँ। हालांकि मैं कार्यक्रम में व्यस्तता के कारण सम्मिलित नहीं हो पाया। इसका अफ़सोस रहेगा। क्योंकि ब्लॉगर साथि्यों से मुलाकात का अवसर चूक गया। अभी नहीं सही फ़िर कभी मुलाकात हो जाएगी। कोई भी मान सम्मान छोटा या बड़ा नहीं होता। यह ध्यान में रखना चाहिए। ……… अब चलते हैं आज की लेटलतीफ़ वार्ता पर………

डायरी के पन्नो में वो लड़कीमैं फेसबुक पर लिखने की आदि हू वहा से कुछ चीज़ें ब्लॉग तक आ पाती है कुछ वही रह जाती है ...कुछ एसे ही पेराग्राफ ले आई हू आज ..इन्हें किस श्रेणी में रखा जाए समझ नहीं आ रहा इन्हें मेरी डायरी का हिस्सा माना...ख़ूबसूरत औरतें प्रेम तो था मगर अलभ्य सा, ख़ुशी थी मगर नाकाफ़ी थी। अशांत, अप्रसन्न, टूटे बिखरे जीए जा रहे थे कि किसी ने थाम कर हाथ कहा। मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ? ख़्वाब ख़ूबसूरत भी होते हैं। बेवजह की बहुत सारी बातें.....बाकि देश जाए भाड़ में!.राम राम जी, कई दिनों के बाद आज कुछ लिखना चाहता हूँ!असल में मै नहीं चाहता ऐसा लिखना पर क्या करूँ,जो दिखता कलम वो ही तो लिखता है! ऐसा ही कुछ कही पढ़ा या सुना था शायद..... शुरूआती पंक्ति तो पक्का!आगे कुछ-कुछ...

सिर्फ तुम कभी - कभी कोई, किसी के लिए दरवाज़े जब .स्वयं ही बंद कर देता है , तो वह अक्सर उसी की आहट का इंतजार क्यूँ करता है .... क्यूँ ...! हवा में हिलते , सरसराते पर्दों को थाम , उनके पीछे , उस के होने की चाह रखता ह...छू-मंतर Facebook Like Box ब्लॉगर के लिएफेसबुक लाइक बॉक्स(Facebook Like Box) हममें से बहुत ब्लॉगरों ने अपने ब्लॉग में लगाया हुआ है। कुछ इसे ब्लॉगर साइडबार में इसका प्रयोग कर रहें हैं और कुछ ने मेरी पिछली पोस्ट विजेट पॉपअप फेसबुक लाइक बॉक्स (Popu...चंदा ज्यों गागर से ढलका खाली है मन बिल्कुल खाली एक हाथ से बजती ताली, चेहरा जन्म पूर्व का जैसे झलक मृत्यु बाद की जैसे ! ठहरा है मन बिल्कुल ठहरा मीलों तक ज्यों फैला सेहरा, हवा भी डरती हो बहने ...बदलता इंसान इंसानियत की दहलीज़ को पार कर, हैवानियत के संसार में खो गया है वो मार कर अपने ज़मीर को , खुद का ही क़ातिल हो गया है वो अपने पराये का जो भेद जानता भी न था , आज अहम् ( मैं )... 

dilli darshan ke bahane यूँ तो दिल्ली शुरू से ही दर्शनीय रहा है. कुछ अपने एतिहासिक इमारतों की भरमार की वजह से और कुछ अपने प्रशासनिक भवनो की वजह से भी .वैसे काफ़ी सारे बाग -बगीचे तो हैं ही साथ ही आधुनिक समय के अनुसार बनाए गये पर्य...बाप रे! बड़े खतरनाक इरादे हैं इस छोरी के लड़की का ख्वाब होता है वह हीरोइन बने, पर वो खलनायिका बनना चाहती है। हालांकि, जल्द ही रिलीज होने वाली फिल्म में उसका किरदार पॉजीटिव है पर उसे नकारात्मक किरदार में ज्यादा स्...हम जब सिमट के आपकी बाँहों में आ गए शांत नदी किनारे जब सूरज डूबे हाथों में हाथ लिए एक दूजे में खो जाएं! सारी दुनिया को भूलकर प्रीत के गीत गाएं कुछ तुम मुझसे कहो कुछ हम तुम्हे सुनाएं!! मौन शब्दों के भाव होठों पर आएं शरमाकर जब हम बाँहों ...

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में बवाल, अमृतलाल नागर पर मुद्राराक्षस की टिप्पणी से मची अफरा-तफरी मेरे कुछ निजी विचार जिन्हें सार्वजनिक करना अब अनिवार्य है . . . ------------------------------------------------------------------------- आज उत्तर प्र...३१ अगस्त ३१ अगस्त ....* *नींव **हिली .... देह थरथराई .... नीले पड़े होंठों पर ** इक **फीकी सी मुस्कराहट थी .... ''इक नज़्म का जन्म हुआ है ''* *आज उम्र की कंघी का इक और टांका टूट गया .......!!** छोटे से एक पौधे का रुतबा दरख़्त बोनसाई मैं वज्ह पूछ ही न सका बेवफ़ाई की थी रस्म आज उस के यहाँ मुँह-दिखाई की क़ातिल बता रहा है नज़र है क़ुसूरवार किस वासते है उस को ज़ुरूरत सफ़ाई की हर ज़ख्म भर चुका है मुहब्बत की चोट का मिटती नहीं है पीर मगर जग-...फांसी को नहीं, फांसी पर लटकाना चाहिए फांसी की सजा पाने वालों की फेहरिश्त में एक और दुश्मन आ गया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर यानि संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को फांसी की सजा दिए जाने के बाद से उसे अब तक लटकाया नहीं गया है, अलबत...
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

कसाब को मौत की सज़ा माफी के काबिल नहीं...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार..सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब की मौत की सजा को बरकरार रखा। बुधवार को जस्टिस आफताब आलम एवं जस्टिस सीके प्रसाद की पीठ ने कसाब को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी ठहराते हुए कहा कि उसे मौत के अलावा कोई दूसरी सजा नहीं दी जा सकती। कसाब माफी के काबिल नहीं है क्योंकि वह भारत और भारतीयों के खिलाफ हमले में शामिल था जिसका मकसद देश में अस्थिरता पैदा कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना था।  26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोग मारे गए थे। हमले के लिए पाकिस्तान से आए दस आतंकवादियों में से नौ सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे, जबकि एकमात्र कसाब को जीवित गिरफ्तार किया गया था। खंडपीठ ने कसाब की अपील खारिज करते हुए मुंबई हाई कोर्ट और विशेष अदालत के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी... आइये अब चलते हैं आज की ब्लॉग वार्ता पर चुनकर लायें हैं कुछ खास लिंक्स आपके लिए... 

लाफ़ागढ जमींदारी ---- लाफ़ागढ का सिंहद्वार हम लाफ़ागढ पहुंच गए, कुछ लोगों ने बताया था कि यहाँ प्राचीन मंदिर है, हमारी कल्पना में पाली, जांजगीर, भोरमदेव, शिवरीनारायण जैसा ही मंदिर भारत परिक्रमा- लीडो- भारत का सबसे पूर्वी स्टेशन - इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। आज का दिन मेरे घुमक्कडी इतिहास के मील का पत्थर है। असोम के बारे में जो भी भ्रान्तियां थीं, सब ख......मेरी जापान यात्रा : सफ़र नई दिल्ली से टोक्यो का ! - पहली बार अंडमान जाते वक़्त हवाई जहाज़ पर चढ़ना हुआ था। वैसे उस जैसी रोचक हवाई यात्रा फिर नहीं हुई। अब प्रथम क्रश कह लीजिए या आसमान में उड़ान, पहली बार का र.. 

अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन की कुछ झलकियाँ... - विगत दिनांक 27.8.2012 को परिकल्पना समूह और तस्लीम के संयुक्त तत्वावधान मे लखनऊ स्थित बली प्रेक्षागृह मे अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन और परिकल्पना स... .छला हुआ सा - ब्लोगर मित्रों ! अन्तराष्ट्रीय ब्लोगर सम्मेलन,यद्यपि की भारत को छोड़ किसी अन्य देश की सहभागिता नहीं रही , घर को लौट चुके हैं ,एक अजनवी की तरह ,कुछ छला ह... आगे आगे देखिए "कोयले " पर मुशायरा-कव्वाली होगी - कुछ कुछ , अब समझ में आ रहा है क्यूं है अपने देश का ऐसा रे ये हाल , सवा अरब जनसंख्या एक बाबा एक अन्ना एक किरण और एक ही केजरीवाल , सोचिए कि दस बीस , पचा... 

आधा कम्बल....... - किसी गाँव में एक व्यक्ति अपने पत्नी और अपने इकलौते बेटे के साथ रहा करता था । अचानक एक दुर्घटना में उसकी पत्नी की मृत्यू हो गयी । कुछ दिन गुजरने के पश्च...१६६ क़त्ल करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को फांसी - देर आया लेकिन दुरुस्त आया ! आखिर कसाब को फांसी की सजा सुना ही दी गयी ! सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी ! अभी हमारे देश में न्याय ज़िंदा ह... निंदक, बिगाड़, ईमान और कबीर - हमलोग जब छोटा थे तब का समय अऊर आज का समय मेँ जमीन-आसमान का फरक हो गया है. पढाई-लिखाई का सिस्टम भी बदल गया है. जहाँ एक तरफ हिन्दी के किताब मेँ नज़ीर अकबराब... 

लोरी शिशु के लिए मां की दुलार भरी मुस्कान की छुअन है - * **लोरी शिशु के लिए मां की दुलार भरी मुस्कान की छुअन है*** (*लोरी माँ के अछोर आनंद का गीत गुंजार है जो जन्मस्थ शिशु से लेकर शिशु के बालपन तक उसके हृदय म... कुछ अनकहा सा...... - * * * * *कुछ अनक**हा सा .....* * * *कई बार मन में* *शब्द उमड़-घुमड़ के* *जुड़ते से चले जाते हैं* *अपने आप ही,* *और अनजाना सा अनमना सा * *कुछ बन जाता है ...  तरंगें - उपजती तरंगें मस्तिष्क में कभी नष्ट नहीं होतीं घूमती इर्द गिर्द होती प्रसारित दूसरों को बनती माध्यम सोच का जो जैसा मन में सोचता वही प्रतिउत्तर पाता ...

 ढेर हूँ मैं मिटटी से बना - ● *ढेर हूँ मैं मिटटी से बना* ● *(1)* ढेर हूँ मैं मिटटी से बना, भूल मुझे, मेरी भूल को वजह बना, छोड़ बिखरता, परवाज यहाँ-वहाँ, चल दिए उठकर तुम जाने किस राह?... अब तो मौत को भी मैं तेरे संग ही गले लगाऊंगी - मुहब्बत का जब दौर चलेगा तेरी आँखों में बस जाऊंगी!! जब सामने न होउंगी मैं, तब तुम्हे याद बहुत.....आऊंगी तुम्हारी छाया हूँ मैं, कैसे भूल पाओगे तुम ये....ख़ामोशी - *आज मैं हूँ तो मेरी ख़ामोशी के अफ़साने हैं कल इन लफ़्ज़ों में ढूँढोगे मेरी ख़ामोशी को ..!!......

तुम सम कौन कुटिल, खल, लम्पट?!! - तुम सम कौन कुटिल, खल, लम्पट?!! क्या हममें से अधिकांश लंपट हैं**???* आज अख़बार में छपे एक रपट पर नज़र पड़ी, जिसका शीर्षक है – *“**ब्लॉग ...फूलों से कहती हूँ..... - तुम्हारी ऊँची-ऊँची आसमानी उड़ानों के नीचे, छोटी-छोटी मेरी रोज़मर्रा कि खुशियाँ कुचल जातीं हैं...... उन कुचली हुई खुशियों को जोड़-जोड़कर, मिला-मिलIकर,...यहाँ तो सावन भादों को बरसते एक उम्र गुजर गयी - बरसात के बाद भी थमी नहीं मेरी रूह बरसती ही रही हर मीनार पर हर दीवार पर हर कब्रगाह पर हर ऐतबार पर हर इंतजार पर जरूरी तो नहीं ना हर रूह पर छाँव हो जाए और वो ...

अब एक कार्टून ....

http://www.bihardays.com/wp-content/uploads/2011/07/cartoon-pawan.jpg

 
अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार.....

बुधवार, 29 अगस्त 2012

कमीनेपन का एक और नमूना ---- ब्लॉग4वार्ता----------- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, केरल में मनाए जाने वाले कृषि त्यौहार ओणम की सभी मित्रों को शुभकामनाएं एवं बधाई। अनेकता में एकता पर आधारित हमारी भारतीय संस्कृति में देश के सभी राज्यों में इस मौसम में नई फसल के आगमन पर अलग-अलग तरह से अलग-अलग तारीखों में उत्सव मनाने की समृध्द परम्परा सैकड़ों-हजारों वर्षों से चली आ रही है। इसी परम्परा में 'ओणम' का पर्व भी हर साल केरल वासियों के जीवन में खुशहाली का संदेश लेकर आता है। अब चलते हैं आज की वार्ता में…… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा चिट्ठों के लिंक्…
 
अथकथा राजनीति‍ एक देश था. देश में लोकतंत्र था. उस देश में दो राजनीति‍क पार्टि‍यां थीं. जो पार्टी सत्‍ता में थी, उसके पास लीडर नहीं था इसलि‍ए उसके लोग लीडर खोजते रहते थे. जो पार्टी वि‍पक्ष में थी, लीडर उसके पास भी नह...काव्य वाटिकाफलक पर तुम्हें फलक पर ले जाऊँगा चाँद - तारों के बीच बसाऊंगा एक ऐसी दुनिया जहाँ तिरोहित होंगे हर बाधा - प्रतिबन्ध । उस आकाशगंगा को इंगित करते तुम्हारे शब्द अमृत घोल रहे थे मैंने तो फलक पे ...कोरे पन्ने जीवन के बहुत कुछ लिखना है जीवन की किताब में कुछ शब्द उकेरना है कुछ भाव समेटना है कहाँ से शुरुआत करूँ कहाँ जाकर रुकूँ कभी लगता है भूत लिखूं भविष्य लिखूं क्यों ना वर्तमान लिखूं यहाँ भी भटक जाती हूँ लिखने लगती ...

कमीनेपन का एक और नमूना पाकिस्तान में हिंदू परिवार कितनी जिल्लत से जी रहे हैं, यह खबर पढ़कर मन में गुस्सा भर गया और कोफ्त हुई कि बंटवारे के इतने साल बाद भी पाकिस्तान के मन का जहर नहीं उतरा है। बंटवारे का जितना दर्द, जितनी पीड़...पंथहीन एक सच मेरे अंक में पद चिन्ह छोड़ता डम्र के इस पड़ाव पर जायें तो कहां जायें? चले भी गये तो ठौर मिलता है? किसी के घर जाने पर या तो किसी की निंदा सुनना पड़ता है या कर बैठो और शामिल हो जाओ अकस्मात किसी की नि...रूस,चीन और इस्राइल हाल के दो घटनाक्रम ‌–व्लादिमिर पुतिन की हाल की मध्य पूर्व की यात्रा और चीन की सरकार द्वारा इजरायल के कार्गो रेलवे प्रकल्प को आर्थिक सहायता दिया जाना इस क्षेत्र में गठबन्धनों के नये समीकरणों की ओर संकेत द...

चैतुरगढ से लाफ़ागढ की ओर पहाड़ की सुंदरता चैतुरगढ से लौटते हुए रास्तों की ढलान से सामने सीना ताने खड़े विशालकाय पहाड़ अनुपम दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। पहाड़ का जो दृश्य मेरे सामने था, कमाल का था, वह पहाड़ चोटी से लेकर तराई तक सीधा खड़ा थ...विधायक यूपी के वोट उत्तराखंड में ? लगता है छोटे राज्यों के विरोध में होने के कारण सपा के विधायक भी अभी तक यूपी और उत्तराखंड को अलग अलग राज्य के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए हैं तभी एक ताज़ा मामले में विधान सभा बरहज (देवरिया) से स...वर्जनाहीन वर्जना का शाब्दिक अर्थ है ‘मनाही’ अथवा ‘रोक-टोक’. समाज शास्त्र में वर्जनाहीन समाज का मतलब स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में मान्यताओं की सीमाओं की छूट से लिया जाता है. हम सुनते–पढ़ते हैं कि उत्तरी यूरोप के कुछ ...

'अंत' व 'सीमा' बोलते शब्‍द 96 आलेख डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा स्‍वर संज्ञा टंडन 178. 'अंत' व 'सीमा' गोशों में बिखरा हुआ अँधेराएक रोज़ उड़ ही जाती हैं, सब मुश्किलें और राहतें मगर ये न समझाना किसी को कि ज़िन्दगी को आसानी से जीया जा सकता है। कोई तुम पर यकीन नहीं करेगा। मेरे साथ कोई न था, एक परछाई थी, उसी के बारे में बेवजह की बात...प्रधानमंत्री जी, शायरी से बात बनती नहीं हैसिद्धार्थ शंकर गौतम संसद के दोनों सदनों में कोल आवंटन ब्लॉक घोटाला मामले में गतिरोध समाप्त होते न देख प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष के भारी हंगामे के बीच प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में अपना बयान दिया। ...

ऊषा की ओ स्वर्णिम लालिमा गगन नील ...नीलाम्बर ...!! विस्त्रित नीलिमा छाई ..!! धनघड़ी  ... ब्रह्म मुहुर्त लाई ....!! अब शुभ संकेत सी ... बिखरने ही लगी लालिमा ... ऊषा की आहट से ही ... घुल गई रात्री की कालिमा ...!! नतमस्तक हूँ ....आईने ने कैद किया अक्स दिन गुजर रहे हैं अपनी रफ्तार से, वक्त है कि मेरे लिए रूक ही नहीं रहा है। आसपास से सब गुजर रहा है लेकिन मेरे लिए सब कुछ जैसे ठहरा है। कुछ खोई चीजों को ढूंढ़ते हुए इतना दूर निकल आई हूं कि रास्ता ही नहीं मिल...शिरीन + फरहाद= महा-बकवास नंगेपन का नायाब "नमूना" संजीव चौहान 26 अगस्त 2012 को परिवार के साथ नोएडा के स्पाइस मॉल में भटक रहा था। सोच कर परेशान था, कि कौन सी पिक्चर देखूं? क्यों देखूं? पोस्टर कई फिल्मों के देखे। सोचा “जोकर” दे...

आम बनाम बबूल सपने हंसते हैं सपने रोते हैं सपने सच भी होते हैं अक्सर उनके जो सिर्फ बबूल बोते हैं …कहां होते....कल के गुजरे मंजर, जो मुझे याद न होते तो आज इस हाल में हम जिंदा कहां होते... समंदर में ही फकत उठता चांद रात में ज्‍वार गर दि‍ल न होता तो बताओ ये तूफां कहां होते... कद्र होती नहीं यहां हर एक के अश्‍कों की ...‘दीदी’ के बयान पर इतना हाय-तौबा क्यों? विगत दिवस पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बेनर्जी का यह बयान आया कि ऐसे अनेक उदाहरण है जिससे पता चलता है कि अदालत में पैसे के बदले मन मुताबिक फैसले दिये जाते है। ...

 


वार्ता को देते हैं विराम राम-राम ........

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

उम्र यूं ही तमाम होती है, तुम आओगे ना?... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... आज  प्रस्तुत है दो महान कवियों की काव्य रचना से कुछ पंक्तियाँ.
''कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाये
एक हिलोर इधर से आये, एक हिलोर उधर को जाये
नाश ! नाश! हाँ महानाश! ! ! की
प्रलयंकारी आंख खुल जाये।
-"नवीन "

जन्म से पहले शमशान होता है
शान्ति के पहले तूफान होता है
वक्त के साथ बदलती है तस्वीर देश की
क्रान्ति के बाद ही तो नवनिर्माण होता है।
-"शलभ" 
भारत का ऐतिहासिक क्षितिज इनकी कीर्ति किरण से सदा आलोकित रहेगा और उनकी कविताए राष्ट्रीय आस्मिता की धरोहर बनकर नयी पीढ़ी को अपने गौरव गीत के ओजस्वी स्वर सुनाती रहेगीं। आइये अब चले ब्लॉग वार्ता पर इन खास लिंक्स के साथ...

नहीं तो ... - इतना भी घुप्प अँधेरा न करो कि तड़ातड़ तड़कती तड़ित-सी विघातक व्यथा-वेदना में तुम भी न दिखो... इस दिए का क्या ? तेल चूक गया है बाती भी जल गयी है बची हुई ... उम्र यूं ही तमाम होती है - विलुप्त हैं कहीं मेरी सारी भावनाएं , न किसी बात से मिलती है खुशी और न ही होता है गम , मन के समंदर में न कोई लहर उठती है , और न ही होती हैं आँखें न..मौन - ** * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *एक चुप्पी सी है बस * *और कुछ नही * *शब्दों के परे का 'मौन' * *कितना गहरा होता है ना ...!!

 ( rashifal ) क्‍या करें क्‍या न करें 29 और 30 अगस्‍त 2012 को ?? - मेष लग्नवालों के लिए 29 , 30 अगस्त 2012 को भाई.बहन,बंधु बांधवों से विचार के तालमेल का अभाव बनेगा, सहकर्मियों से भी संबंध में गडबडी आएगी। इसलिए ऐसा माहौल न...तप-साधना का मौसम - श्रीमती शैलादेवी की कठिन तपस्या को नमन *ब*रसात का मौसम तप, साधना और उपवास के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है . जैन संप्रदाय में पर्यूषण पर्व का बहुत महत्व ...कृष्ण लीला रास पंचाध्यायी ………भाग 64 - पिछली बार आपने पढा कि प्रभु मधुबन मे कदम्ब के नीचे आँख बंद किये अधरों पर वेणु धरे मधुर तान छेड रहे हैं जिसे सुनकर गोपियाँ बौरा जाती है और जो जिस हाल मे होत... 

इक बहाना चाहिए - प्यार मुमकिन है सभी से इक बहाना चाहिए मौत को भी वक्त पे दिल से बुलाना चाहिए जिन्दगी की राह में बेखौफ चलने का मज़ा पास गिर जाए कोई उसको उठाना चाहिए कैद को... नन्हीं बूंदे वर्षा की - टप टप टपकती झरझर झरती नन्हीं बूँदें वर्षा की कभी फिसलतीं या ठहर जातीं वृक्षों के नव किसलयों पर नाचती थिरकतीं गातीं प्रभाती करतीं संगत रश्मियों की ... नहीं वह गांव, नहीं वह घर - *नहीं वह गांव, नहीं वह घर*** * * *श्यामनारायण मिश्र*** *बचपन बीता जहां,*** *नहीं वह गांव, नहीं वह घर।*** * आंखों का बाग*** * और कमलों की गड़ही।*...

क्या बगदाद बाब तेहरान चले गये? - 2003 में अमेरिका नीत आक्रमण के दौरान अमेरिका के रिपोर्टरों ने इराक के सूचना मंत्री को " "बगदाद बाब' का नाम दिया था ( ब्रिटिश उन्हें कोमिकल अली कहते थे) । व...  उम्मीद का सोमवार... - संसद का मानसून सत्र चल रहा है। वैसे तो यह वाक्य अपने आप में सही है, पर मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लगने लगा है कि यह वाक्य कहीं गलत तो नहीं हो रहा। मानसूत्र...काम वह आन पड़ा है कि बनाए न बने - नुक्ता-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने क्या बने बात जहां बात बनाए न बने मैं बुलाता तो हूं उस को मगर अय जज़्बा-ए दिल उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि बिन आए न बने... 

चैतुरगढ: मैं कहता हौं आँखन की देखी- पंकज सिंहपाली शिवमंदिर में चैतुरगढ जाने वाली सड़क की स्थिति की पूछताछ करने पर संतोष त्रिपाठी ने कहा कि सड़क की स्थिति तो खराब है। बरसात होने के कारण सड़क जगह-......ज्ञान हो गया फकीर - *नैतिकता कुंद हुई न्याय हुए भोथरे, घूम रहे जीवन के पहिए रामासरे। भ्रष्टों के हाथों में राजयोग की लकीर, बुद्धि भीख माँग रही ज्ञान हो गया फकीर। घूम रहे बंदर ..रामटेक की रामटेकरी - पृथ्वीसेन द्वितीय के बाद प्रवरपुर पर बौद्धों का कब्जा हो गया। पैलेस को बौद्ध विहार का रुप दे दिया गया। पैलेस के चारों ओर छोटी छोटी कुटिया बना दी गयी। जिसमे..

तुम आओगे ना ?? - अहसासों के दरमियां मेरे ख़्वाबों को जगाने जब तुम आओगे ना कुछ शरामऊँगी मैं धडकनों को थामकर कुछ बहक सा जाऊँगी मैं मुझे बहकाने तुम आओगे ना ???? इठलाती सी धूप ...अर्चना - आओ आओ बेग पधारो व्याकुल ह्रदय हमारा है , नाथ न क्यों सुनते अनुनय हो निठुर भाव क्यों धारा है ! दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला, आजा फिर दिखला दे... .मंसूबे ... - उन्हें उनके हाल से मतलब है, और हमें अपने बस, इसी चक्कर में ......... देश फटेहाल है ? ... सच ! वो घमंड से दिखाते थे, औ हम नाज से सहलाते थे किसे खबर... 


    

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार....

सोमवार, 27 अगस्त 2012

लेट लतीफ़ पेसल वार्ता ------- संगीता पुरी

संगीता पुरी का सबों  को नमस्कार,  आज प्रस्तुत है लेट लतीफ़ पेसल वार्ता। अपने ब्लॉग लिंक जानने के लिए चित्रों पर क्लिक करें।











मिलते हैं अगली वार्ता में

रविवार, 26 अगस्त 2012

एक नई भोर तिनका-तिनका रोशनी से भरा...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...सुनहरी भोर के साथ स्वागत है आप सभी का. आइये आज एक सुविचार पर विचार करते हुए चलें आज की वार्ता पर कुछ अलग-अलग रंग लिए हुए लिंक्स के साथ.... "रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं ज़िन्दगी के इस सफ़र में, मंजिल तो वही है जहाँ ख्वाहिशें थम जाएँ" ये भी जीवन का एक रूप ही है, न रास्ते ख़त्म होते हैं, न ख्वाहिशे थमती हैं, जिंदगी अपनी रफ़्तार से चलती रहती है, और कब मजिल तक पहुँच गए पता भी नहीं चलता...

तुम्हारी मुस्कान की बर्फ गिर रही है मेरे दिल पर - रूसी किसान दंपत्ति की संतान सेर्गेई येसेनिन २१ सितम्बर १८९५ को जन्मे थे. सत्रह के होने पर वे मॉस्को चले गए जहां उन्होंने बतौर प्रूफरीडर काम करना शुरू किया. ...ऐसे सबक हम क्यों नहीं लेना चाहते? - * ऐसा ही एक करीबी देश है जापान। जिसके लोगों की देश भक्ती, मेहनत, लगन तथा तरक्की का कोई सानी नहीं है। काश हम उससे कोई सबक ले पाते। * अभी कुछ दिनों पहले ...सांप सीढ़ी - कभी निन्यानवे पे गोटी हो लग रहा हो मंजिल दूर नहीं तभी अचानक किसी दूसरे को मिल जाती है सीढ़ी और वो नीचे से सीधा चढ के आता है करीब में कहीं और किस्मत ने उसे ... 

झण्डा ऊँचा रहे हमारा - झण्डा ऊँचा रहे हमारा स्वतन्त्रता दिवस था, सुबह सर ऊँचा कर भारत के झण्डे के सामने राष्ट्रगान का सस्वर पाठ किया था। जब भी राष्ट्रगान बजता है, दृष्टि स्वतः ... तिनका-तिनका...है रोशनी से जैसे भरा... - एक गीत यूं ही गुनगुना लिया....तिनका तिनका... अच्छा तो नहीं है ...चल जाएगा...:-)  हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे . . . - तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे संग संग तुम भी गुनगुनाओगे हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे हाँ ... 

 एक नई भोर - एक नई भोर हुई सी .... ये दिल भरा भरा सा इस दुनिया की चालों से डरा डरा सा ,अनजानी राहों पे फिर भी कदम बढ़ रहे मंजिल की ओर | मुख मद्धम मद्धम आँखों की ... गोरैया बचाओ - उस कार्य से मोहब्बत करो जिससे तुम्हें सुकून मिले कुछ शान्ति का अनुभाव हो कुछ करने का अहसास जगे | गौरैया बचाओ दाना चिड़ियों को खिलाओ पक्षिओं से प्यार क... जख्म,,, - जख्म जब तेरी याद आई आँखों में आँसू आ गये, तुम्हारी खातिर हँसते-हँसते जख्म खा गये! न दिन को चैन रहा न रात को नीद आई, जिसके लिए जंग छेडा वो गैरों को भा गई!...

पाली के शिव मंदिर की मिथुन मूर्तियाँ--- रतनपुर दुर्ग का मोतीपुर द्वार बिलासपुर से रतनपुर होते हुए अंबिकापुर जाने वाले मार्ग पर ५० किलोमीटर दूरी पर उत्तरपूर्व में पाली स्थित है। वेरना सर्पीले रास्त...   ..प्‍यार की कोई उम्र नहीं होती 'शिरीं फरहाद' - बड़ी स्‍क्रीन पर अब तक हम युवा दिलों का मिलन देखते आए हैं, मगर पहली बार निर्देशिका बेला सहगल ने शिरीं फरहाद की तो निकली पड़ी के जरिए चालीस के प्‍यार की लव...हम बोले तो ...... - हम बोले तो बडबोले वे बोले, वाह, क्या बोले ! कौन किसी की सुनता है, सब अपनी अपनी बोले । उनसे कल क्या बात हुई, जो तेरा तन मन डोले । काम गती पकडे कैसे, ग..

 मुझे मत ढूँढना... - मुझे इन पन्नो पर मत ढूँढना, यहाँ तो केवल मेरे कुछ पुराने शब्द पड़े हैं वो शब्द जो मैं अक्सर इस्तेमाल कर किया करता था, वो शब्द जो कभी बयान करते थे मेरी खामो..मैंने हार अभी न मानी - धूल धूसरित चाहे तन हो, रोटी चाहे मिली हो आधी. मैंने हार अभी न मानी, जिजीविषा अब भी है बाकी. सोने को बिस्तर क्या होता, सिर पर कभी न छत है देखी. उलझे बाल हैं... इंटरनेट की राजनीतिक भूमिका को समझिए - सरकार गरीबों को मुफ्त मोबाइल देगी या नहीं, इस पर अंतिम फैसला तो होना अभी बाकी है, पर हकीकत यह है पंजाब से तमिलनाडु तक सूचना प्रौद्योगिकी देश की राजनीति मे...

 


चलते-चलते देखिये और सुनिए मेरी पसंद का एक गीत- भीनी-भीनी भोर आई.....

  इसके साथ देते हैं वार्ता को विराम नमस्कार.........

शनिवार, 25 अगस्त 2012

पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल ओए --------- ब्लॉग4वार्ता ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  केन्द्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने घृणा फ़ैलाने वाले ब्लॉग, वेबसाईट, फ़ेसबुक, ट्वीटर, यू ट्यूब एवं अन्य सोशियल वेबसाइट को बंद करने के लिए संबंधित सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी कर दिया है। भारतीय संविधान ने हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है। इसक अर्थ नहीं है कि गाली-गलौज करने या किसी के धर्म एवं सम्प्रदाय की खिल्ली उड़ाने की आजादी मिल गयी है। अरे! शासन के भ्रष्टाचार को उजागर करो। समाज में विसंगतियाँ दिखाई दें, उन पर लिखो, कहीं किसी पर अकारण अत्याचार हो रहा है इस पर लिखो, सामाजिक सरोकार पर लिखो, लेकिन संयत एवं संसदीय भाषा में, इसकी आजादी है। वैमनस्य फ़ैलाने वाले लोग ग्रुप बनाकर समाज की एकता एवं शांति भंग करने का एक सूत्रिय कार्यक्रम बना लिए हैं । इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए। यदि संयत एवं संसदीय भाषा में लिखने पर भी अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जा रहा है तो इसका सरासर विरोध करना चाहिए। फ़िर कफ़न बांध कर वही आजादी का तराना याद गाना चाहिए ……… पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल ओए …………अब चलते हैं आज की वार्ता पर……… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक्स। 

एक रूमानी गाँव की कथावैसे तो वो एक गाँव है एक आम पहाड़ी गाँव वैसे ही एक के ऊपर एक बने घर वैसे ही घुमावदार मगर साफ सुथरे रास्ते, उतनी ही साफ़ सुथरी हवा और सामने हजरों फुट गहरी खायी के पार हिमालय की लुकाछिप...बख्शीश का भूखा न हो जो, कोई ऐसा दरबान देना दस्तूर ही कुछ ऐसा है कि हर महिला की ये दिली ख्वाईश होती है कि उसकी लडकी को उससे भी बढ़कर अच्छा पति मिले ! और साथ ही उसे यह भी पक्का भरोसा होता है कि उसके लड़के को उतनी अच्छी बीबी नहीं मिलेगी, जितनी कि उस...गाफ़िल प्यार पे उज़्र तो रहता है यूँ जमाने को ये अलग बात है ये आज हुआ है तुमको ! साथ चलत...

रतनपुर का गोपल्ला बिंझवार रतनपुर किले का द्वारदोपहर के 12 बज रहे थे हम बस स्टैंड के पास स्थित हाथी किला की ओर चल पड़े। यह किला केन्द्रीय पुरातत्व के संरक्षण में है। यहाँ केन्द्रीय पुरातत्व के 3 कर्मचारी हैं, पर मुझे एक भी नहीं मिला।...हिन्‍दी व्‍यंग्‍य लेखनआयोजन यह दिल्‍ली में है इसमें आएंगे जो जन मन उनके महक जाएंगे व्‍यंग्‍य के तीखे फूल वहां पर खिलाए जाएंगे आप खाने मत लग जाना फूलों को मानवता के कवितायेँ आजकल " वाद" की ड्योढ़ी पर ठिठकी हैं ह्रदय - अम्बुधि अंतराग्नि से पयोधिक -सी छटपटाती *उछ्रंखल * प्रेममय रंगहीन पारदर्शी कवितायेँ जिन्हें लुभाता है सिर्फ एक रंग कृष्ण की बांसुरी का लहरों के मस्तक पर धर पग लुक छिप खेलती प्रबल वेग के...

भय बिन होय न प्रीति कुमाऊनी और गढ़वाली समाज की बहुत सी बातें अनोखी रही हैं, अभी कुछ वर्ष पहले तक वर्ण-व्यवस्था, कर्म-काण्ड, जात-पात, छुआछूत, भूतप्रेत व अन्ध विश्वासों का ऐसा जोर था कि बाहर वाले लोग एकाएक विश्वास नहीं कर पाये...बूंदों का रंग बुरा मत बोलो ,बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो ... नकारत्मक को नकार कर सकारत्मक को साकार कर पाना मुश्किल तो है ...किंतु ज्ञान ही हमारे मन को समृद्धी देता है ...!!हम कहीं भी जायें हमरा मन हमसे आगे आगे ही चलता ...आज hindi2tech के 3 वर्ष पूरे सन 2009 में आज ही के दिन यानि 24 अगस्त को इस ब्लॉग का पहला लेख प्रकाशित हुआ था । इस लिहाज से आपका यह ब्लॉग आज तीन साल का हो गया है । तो अब ये मौका है आप सभी को बढ़िया और धन्यवाद् का क्यूंकि आपके ही परोक्ष...

हम दोनों चले जायेंगे उत्तरी ध्रुव किसी प्रेतात्मा को छूकर आई ख़राब हवा थी। किसी आकाशीय जादुई जीव की परछाई पड़ गयी थी, शराब पर। किसी मेहराब पर उलटे लटके हुए रक्तपिपासु की पुकार में बसी थी अपने महबूब की याद। दुनिया का एक कोना था और बहुत...घर गुलज़ार .... बिटिया से ( हाइकु नन्ही बिटिया महकता आँगन खुशी के पल । पलाश खिले घर गुलज़ार है बेटी जो आई । प्यारी सी धुन बिटिया की मुस्कान गूँजे संगीत . बेटी का आना सावन की फुहार ज़िंदगी मिली . ...पालक हित में काम करें स्कूलों की गलाकाट प्रतिस्पर्धा और बेतहाशा स्कूल फीस वृद्धि से उकताए शिक्षानगरी भिलाई के पालकों को उस वक्त बड़ी उम्मीद बंधी थी कि कम से कम उनकी पीड़ा को सुनने वाला कोई संगठन तो तैयार हुआ। उनको ...

अमर शहीद राजगुरु जी १०४ वी जयंती शिवराम हरि राजगुरु (मराठी: शिवराम हरी राजगुरू, जन्म:२४ अगस्त १९०८ - मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे । इन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी ...थोड़ा वाद करें, विवाद करें आओ सम्वाद करें चमन में मुरझाते हुए फूलों पर जंगल में ख़त्म होते बबूलों पर माली से हुई अक्षम्य भूलों पर सावन में सूने दिखते झूलों पर कि कैसे इन्हें आबाद करें........आओ सम्वाद करें गरीबी व भूख ...गोली कुछ दिन पहले एक पुस्तक पढ़ी..“गोली”...आचार्य चतुरसेन द्वारा लिखी इस पुस्तक मे राजस्थान की एक पुरानी परंपरा को दर्शाया गया है...प्राचीन समय मे ऐसा रिवाज था कि छोटी जाति की लड़कियों को राजा अपनी दासी बनाकर ...

दुनिया की अद्भुत रेल यात्रायें पहाड़ी नदी के समानांतर चलती सड़क और रेल, मानो आपस में होड़ लगा रही हों . इस जगह तो सड़क भी खतरनाक दिखती है . फिर रेल तो कमाल दिखा रही है . बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच बर्फीली घाटी से गुजरती रेल ....ये हमारा लीवर और भूमि आमलाआजकल देश में लीवर बढ़ने की समस्या बड़ी तेजी से फैलती जा रही है . ये रोग लीवर सोरायसिस ,लीवर फेल्ड ,लीवर पेशेंट, आदि कई रूपों में दिखाई दे रहा है। एसिडिटी, हाजमा खराब होना इसके प्राथमिक लक्षण हैं . उलटी दस...Bolte VIchar 64 नि‍र्णय के पूर्व बोलते विचार 64 नि‍र्णय के पूर्व आलेख व स्‍वर डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा महेश अपने भाई और पिता से जमीन-जायदाद संबंधी मुकदमा लड़ रहे थे, जिस सिलसिले में उन्हें अपने गाँव से अपनी बड़ी बहन के नगर कई बार जाना...


कार्टून ...



वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

नदी हो तुम...किसी के लिए रुकना नहीं--ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  ललित शर्मा जी फ़ेसबुक पर संझा लिख रहे हैं --- "यदि किसी बगुले को स्वर्णहंस समान नीरक्षीर करने वाला आदर्श मान कर आदर एवं सम्मान देते रहते हैं, वह बगुला भी स्वर्ण हंस की भांति अभिनय करता है और सोचता रहता है कि उसका भंडा कभी नहीं फ़ूटेगा। सब यथावत ही चलता रहेगा। लेकिन ऐसा होता कहाँ है? भ्रम स्थायी नहीं होता। एक दिन बगुला अपनी औकात पर आ जाता है और उसका स्वर्णमंडल उतर जाता है। उसे आदर्श मानने वाले का भ्रम भी टूटकर बिखर जाता है। हृदय विदीर्ण हो तार-तार हो जाता है। इसलिए कभी-कभी भ्रम का बना रहना अच्छा होता है क्योंकि टूटने पर दु:ख होने से विषाद जन्म लेकर क्रोध के द्वारा बैर की उत्त्पत्ति से स्थायी घृणा में परिवर्तित हो जाती है। स्थायी घृणा दोनों पक्षों के लिए दुखदायी होती है। इसलिए हे! तुच्छ मानव तू जान ले, कृतघ्नता प्रत्येक परिस्थिति में अक्षम्य होती है। ये दुनिया चिड़ियाघर नहीं है, यहाँ बुद्ध भी हुए और बुद्धि वाले मानव भी बसते हैं। " इस संझा विचार के साथ प्रस्तुत है, आज की वार्ता....

क्‍या करें क्‍या न करें 24 और 25 अगस्‍त 2012 को ?? मेष लग्नवालों के लिए 24 और 25 अगस्‍त 2012 को स्वास्थ्य या व्यक्तिगत गुणों को मजबूती देने के कार्यक्रम बनेंगे, स्मार्ट लोगों का साथ मिलेगा। रूटीन काफी सुव्यवस्थित होगा , जिससे समय पर सारे कार्यों को अंजाम ...मोह की क्षणभंगुरता में  वीरानें में लटकती सांसों को घुंघरू की तरह प्रतिध्वनित होना था जिंदगी दो चार कदम पर गहरी कुआँ थी वक्त बेवक्त नमी सूखती रही प्यास प्याउ पर बिखरी तन्हाई को टटोलती रही सन्नाटे गहराते रहे असंख्य यादों ...आखरी सांस बचाकर रखना एक उम्मीद लगाकर रखना. दिल में कंदील जलाकर रखना. कुछ अकीदत तो बचाकर रखना. फूल थाली में सजाकर रखना. जिंदगी साथ दे भी सकती है आखरी सांस बचाकर रखना. पास कोई न फटकने पाए धूल रस्ते में उड़ाकर रखना. ये इबादत न...

दंतेवाड़ा से कुटुमसर - दंतेवाड़ा की ओर सुबह आँख खुली तो घड़ी 6 बजा रही थी और हम भी बजे हुए थे, कुछ थकान सी थी। कमरे से कर्ण गायब था, सुबह की चाय मंगाई, चाय पीते वक्त टीवी गा रहा था...... "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब" "मेरी बेटी-मेरा प्रतिबिम्ब" साँसें ठहरी रही, मेरे सीने में एक लम्बे अरसे तक, जैसे, एक तेज महक की घुटन ने, मानो जिंदगी को जकड रक्खा हों, मैंने भी ठान रक्खी थी जीने की, और अपने आप को (मेरी बेटी) जिन्दा र....रिश्तों को ज़मीन पर उतरना ही होता है, चाहें शुरू कहीं से हो..! - वो एक दूसरे से नहीं, एक दूसरे के ख़्यालों से मिले थे पहली दफे। इसकी दुश्वारियां उसने महसूस की थी और उसकी तनहाईयों में ये शामिल हो गया था। वो दोनों अपनी ... 

हुनर ... - गर वो सरकार से उतरे तो त्वरत ही मर जाएंगे क्योंकि - सुनते हैं, घोटाले उन्हें ज़िंदा रखे हैं ?? ... काश ! शब्दों में होता हुनर, खुद ही हिट होने का त.. किन किन चीज़ों के लिए आखिर लड़ें महिलाएँ?? - चोखेरबाली, ब्लॉग पर आर.अनुराधा जी की इस पोस्ट ने तो बिलकुल चौंका दिया. मुझे इसकी बिलकुल ही जानकारी नहीं थी कि 1859 में केरल की अवर्ण औरतों को शरीर के उपर... बगल की डाली पर बैठी है कौन...? - कांग्रेस की फुनगी पर कौन है बैठा...?.... बगल की डाली पर बैठी है कौन... हर शाख पर बैठे हैं 2G , आदर्श और कोयले वाले.... अरे किसने लिखा था वो गीत...."हर शाख ... 

गीत  - मेरे पार्श्व में रहो, ओ मेरे मन के मीत तुमसे ही मुझमें स्पंदन है, तुम्ही हो मेरे गीत. पुष्प नहीं औ’ पत्र नहीं तुम, जिन्हें काल से है प्यार उपम... रहिमन जिह्वा बावरी कहिगै सरग पाताल - आज जब देश का एक बहुत बडा तबका रोज-रोज की मंहगाई से त्रस्त हो किसी तरह दो जून की रोटी की जुगाड में लगा हुआ है, सारा देश इस बला से जूझ रहा है, ऐसे में एक जि... नदी हो तुम... किसी के लिए रुकना नहीं - नदी हो तुम, किसी के लिए रुकना नहीं, बहुत लोग रोकेंगे, बहुत दिक्कतें आएँगी, चलती रहना तुम, किसी के लिए रुकना नहीं, बच्चो का मुंडन होगा, खुशी में थमना नहीं,... 

लकीरें हाथों की - *कभी लिखा तफ़सील से,कभी मिटा गयी ,* *हाथों की लकीरें, इतना पता बता गयीं -* * **लिखना तुम्हें पड़ेगा , मुकद्दर अपना,* *कागज,कलम, दवात हाथों में थमा गय... आँच- 117 : केतकी का सुवास पूरे वातावरण में खुशबू भर देता है! - *आँच- 117* केतकी का सुवास पूरे वातावरण में खुशबू भर देता है! [image: Salil Varma की प्रोफाइल फोटो]*सलिल वर्मा* [image: My Photo] *“केतकी”* कहानी की लेखिका...अनमने-अनकहे भाव - ** * * *सुनो, सुनो, सिर्फ सुनो* *रात की तन्हाईयों का गीत।* *इस गीत में शोर नहीं,* *इस गीत में शब्द भी नहीं।* *स्वर नहीं, सुर नहीं* *लय और ताल भी नहीं।* *रंग....

अब थोडा हंसिये मुस्कुराइए ... 

http://2.bp.blogspot.com/-yvcikwrOFhU/TfSFVc72KWI/AAAAAAAAAkU/ziDiY94ejgk/s1600/cartoon%2Bface%2Bbook.jpg...

इसके साथ देते हैं वार्ता को विराम नमस्कार....

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

ब्रेकिंग न्यूज : बहुत कठिन है डगर…ब्लॉग4वार्ता--संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर आई सीएजी की रिपोर्ट के बाद केंद्र को कठघरे में खड़ा कर प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग पर अड़ी बीजेपी द्वारा संसद में बहस की पेशकश को ठुकरा दिए जाने पर सरकार ने प्रमुख विपक्षी दल पर पलटवार करते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि बीजेपी जान-बूझकर इस मुद्दे पर बहस नहीं करना चाहती, क्योंकि इससे उसकी पोल खुल जाएगी. इधर इंटरनेट की आजादी के प्रति पूर्ण समर्थन जताते हुए अमेरिका ने भारत से अपील की है कि दक्षिणी राज्यों से पूर्वोत्तर के लोगों के बड़ी संख्या में प्रस्थान करने के कारण बने अफवाहों की जांच में सरकार मूलभूत आजादी का सम्मान करे.... इन प्रमुख्य ख़बरों के साथ आइये चलें आज की वार्ता पर.... 

कुछ तुम , कुछ मै * *कहना होता है कुछ तुम्हें* *तो कह दीया करो* *मन में छुपाकर* *कोई बात रखा ना करो* *जो होगा सही तो* *प्यार से इकरार कर लूंगी मै * *अगर नहीं तो* *ख़ुशी से स्वीकार * *कर लेना तुम* *एक-दूजे के है हम* *फिर .. मन की बातें.. .* * *आराम से बैठ कर सितारों ने महफ़िल जमाई है* * * ** *बात चली घटाओं की जहां हवाओं की आवाजाही है ..* * रुक कर पुछा बूंदों ने ,मिलेगा आशियाना यहाँ.. ले लो संग हमें भी ,आज अश्कों से रुसवाई है .. *  विश्वास आज एक अरसे के बाद हिचकिचाते कदमों से मैं तुम्हारे मंदिर की इन सीढ़ियों पर चढ़ने का उपक्रम कर रही हूँ ! नयन सूने हैं , हृदय भावशून्य है , हथेलियाँ रिक्त हैं ! हाथों में ना तो पूजा का थाल है ...

 " बहुत कठिन है डगर .......ब्लागिंग की ........" बचपन गुजरा रेलवे कालोनी में | वहां से रेल की पटरियों पर दौड़ते हुए हम लोग स्कूल जाया करते थे | कभी डरे नहीं और कभी गिरे भी नहीं | दिन बीतते गए , वर्ष बीतते गए , इंजीनियरिंग की पढ़ाई की , बिजली विभाग की... .कुछ अभी तक कुछ नहीं है मन में फिर भी मन हो रहा है कुछ करने का कुछ कहने का यह आदत है मजबूरी है या नौकरी नहीं पता बस बाहर होती रिमझिम को देख कर नहा धो कर ताजगी से खिलखिलाती घास- फूल-पत्तियों को देख कर सोच रहा ...सुन्दर-सुन्दर फूल खिले हैं...  आजकल हमारे बंगले के लान में और आस-पास खूब सारे फूल खिले हैं. बारिश के बाद चारों तरफ खूब हरियाली फैली है. (यह रहा हमारे बंगले के सामने का लान) (यह है हमारा स्विंग..खूब मस्ती होती है यहाँ)(यह रहा ममा-पापा का...

क स म क श .कंचन काया कामिनी, कलाकंद कुछ काल। कारण कामुकता कलह, कामधेनु कंकाल।। सम्भव सपने से सुलभ, सुन्दर-सा सब साल। समुचित सहयोगी सुमन, सुलझे सदा सवाल।। मन्द मन्द मुस्कान में, मस्त मदन मनुहार। मारक मुद्रा मोहिनी,...इक तबस्सुम में ये दम है ...  दिन हैं छोटे रात कम है साथ उनका दो कदम है फुर्र हो जाते हैं अपने वक़्त का कैसा सितम है तू है या एहसास तेरा या मेरे मन का वहम है दूर होने पर ये जाना आज फिर क्यों आँख नम है  ...स्‍नेह की छांव में ... आज पापा की *तिथि *मन रात से ही उन्‍हें अपने आस-पास महसूस कर रहा है ... मेरी हर बात पर स्‍नेह से *हां* कहते और मुस्‍करा देते ... बस उनकी वही चिर-परिचित मुस्‍कान है और पलकों पे *नमीं ... * कुछ मेले बचपन के ...

कवि की आत्मा कवि की आत्मा एक कविता हूँ मैं अपने हाथों से लिखा है जिसे परमात्मा ने काव्य धर्म है जिसका..... या अनंत के कैनवास पर उसकी कूंची से खिंचा एक स्ट्रोक उत्सव कर्म है जिसका.... लहर हूँ एक महाविस... तो इश्क़ हो जाता.... उसने ता-उम्र तकल्लुफ का जो नक़ाब रखा... वो जो उठता कभी ऊपर, तो इश्क़ हो जाता.... उसकी आदत है वो पीछे नहीं देखा करती... ज़रा सा मुड़ के देखती, तो इश्क़ हो जाता... उसको जलते हुए तारे, चमकता चाँद दिखा... रात... Akanksha मुझे आप सब को यह बताते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि मेरी कविताओं का दूसरा संकलन"अंतःप्रवाह "प्रकाशित हो गया है | अंतःप्रवाह ...

प्राचीन राजधानी रतनपुर ---- बिलासपुर से चलने की तैयारी 29 जुलाई 2012 की सुबह सप्ताहांत का रविवार लेकर आई, आसमान में बादल छाए हुए थे रिमझिम बरखा के आसार बने हुए थे। लाल चाय से सुबह हुई, स्नानाबाद से आकर बाबू साहब को फ़ोन लगाए तो पता चल..ब्रेकिंग न्यूज : यमलोक में हंगामा ! *दे*श की घटिया राजनीति और बाबाओं की नंगई तो आप हमारी नजर से काफी समय से देखते और पढ़ते आ रहे हैं, चलिए आज आपको ऐसी जगह ले चलते है, जहां जाने के बाद कोई वापस नहीं आया। अगर कोई वापस आया भी तो उसे पहचानना ...दशा 1 धरती ने सूरज से कहा तुम सदा पूरब से ही क्यों निकलते हो? बदलकर देखो अपनी दिशा? एक बार 2 भूखा कभी भूख की परिभाषा लिख पाता है? भर पेट भूख को परिभाषित कर जाता है 3 अरे नादां पैर के निचे धरती सिर के ऊपर ...

एक गज़ल -आराकशी को आप हुनर मत बनाइये - चित्र -गूगल से साभार एक गज़ल -आराकशी को आप हुनर मत बनाइये आराकशी को अपना हुनर मत बनाइये जंगल तबाह करके शहर मत बनाइये लौटेंगे शाम होते ही पंछी उड़ान से ... स्त्री की पहचान उसका पति है...? - ईश्वर ने स्त्री और पुरुष , दो खूबसूरत रचना की। सोचने के लिए बुद्धि और कल्पनाओं की उड़ान के लिए मन तो एक सा दे दिया लेकिन स्त्री को शारीरिक रूप से कमज़ोर बना ... वो भूली दांस्ता लो फिर याद आ गई . . - रेडियो श्रोता सम्मेलन ऐसा क्या कह दिया कि सब खिलखिला उठे*दे*श में रेडियो श्रोता दिवस मनाने की परम्परा शुरू करने का श्रेय छत्तीसगढ़ को है। इस नये राज्य के ...  

अब एक कार्टून ...

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आज के लिए बस इतना ही अगली वार्ता में फिर भेंट होगी
नमस्कार..........

बुधवार, 22 अगस्त 2012

उनके कूचे को, हम यूँ अलविदा नहीं कहते ---------ब्लॉग4वार्ता ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  तहलका के पत्रकार राजकुमार सोनी जी एक मंजे हुए थियेटर कलाकार हैं, और इसी क्रम में एक कदम आगे फिल्‍मों के प्रति इनका रूझान सर्वविदित है। मै इनका गायन पहले भी सुन चुका हूं।  राजकुमार स्‍टील सिटी का लोहा मिश्रित खारा पानी पीकर भी मधुर सुर में गानें गाते हैं । किशोर दा के गीतों को राजकुमार सोनी की आवाज में सुनना मुझे सुखद लगा। इन्होनें सात गीतों को अनौपचारिक रुप से रिकार्डिंग स्टुडियो में रिकार्ड किया और यू ट्यूब पर अपलोड कर दिया, आप भी सुनें किशोर दा के गाए गीतों को जिसमें तहलकाई पत्रकार नें अपना मधुर स्‍वर दिया है गाने का लिंक यहां पर है ………… अब चलते हैं आज की वार्ता पर............

शब्द यात्रा वाक् -युद्ध * *वाक् -युद्ध * *वाक् युद्ध याने शब्दों की लड़ाई। बिना शस्त्र या अस्त्र के लड़ा जाने वाला ऐसा युद्ध जिसमें कोई भी ख़ून खराबा नहीं होता और जिसमें किसी भी तरह के युद्ध क्षेत्र की आवश्यकता नहीं ...बस्तर: पहला पड़ाव जगतुगुड़ा बस्तर की धरा किसी स्वर्ग से कम नहीं। हरी भरी वादियाँ, उन्मुक्त कल-कल करती नदियाँ, झरने, वन पशु-पक्षी, खनिज एवं वहां के भोले-भाले आदिवासियों का अतिथि सत्कार बरबस बस्तर की ओर खींच ले जाता है। बस्तर के वनों में...खतरनाक है समाज का बाजार में बदलनाःप्रख्यात उपन्यासकार एवं कथाकार *कमल कुमार* का कहना है कि स्त्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह कि वह समाज से बाजार बन रहे समय में किस तरह से प्रस्तुत हो। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी पत्...

मुंबई की हिंसा: जवाबदार कौनहमारे देश में जब भी कोई समस्या सामने आती है, तब पहले तो सरकार उसकी पूरी तरह से उपेक्षा करती है, उसके बाद जब स्थिति गंभीर होने लगती है, तब सरकार नींद से जागती है। पूरी तरह से चैतन्य होने में...नई कविता की प्रवृत्तियां प्रयोगवाद और नई कविता की प्रवृत्तियों में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई देता। नई कविता प्रयोगवाद की नींव पर ही खड़ी है। फिर भी कथ्य की व्यापकता और दृष्टि की उन्मुक्तता,ईमानदार अनुभूति का आग्रह,सामाजिक एवं व्यक...अलविदा सच ! दर्द दिल का बयां कैसे करें अब तलक उनका बसेरा है वहां ? ... तमाम कोशिशें हमारी, नजर अंदाज की गईं थी 'उदय' वर्ना, उनके कूचे को, हम यूँ अलविदा नहीं कहते ? ... दिखावे की, बनावटी दौड़ों से हमे...

तेरी और मेरी ईद अव्वल अल्ला नूर उपाया ,कुदरत के सब बंदे. एक नूर ते सब जग उपज्या ,कौन भले कौन मंदे ... जी हाँ सारे बन्दे उसी रब्ब की ,उसी खुदा की , उसी एक ईश्वर की देन हैं . ईश्वर को तो हमने बा...वो इमली का पेड़ १. खेतों के बीच हुआ करता था एक इमली का पेड़ (अब वे खेत ही कहाँ हैं) २. सुस्ताया करते थे खेत जोतते बैल और हरवाहे उस इमली के पेड़ के नीचे (अब वे बैल और हरवाहे ही कहाँ हैं ) ३. हुआ करता था गौरैया का घ...मुझ सी ही नटखट मेरी परछाइयाँ हाय रे ये इश्क़ की बेताबियाँ ले रही हैं ज़िन्दगी अंगड़ाइयां क्या कहूँ इस से ज़ियादा आप को मार डालेंगी मुझे तन्हाइयां आजकल मातम है क्यूँ छाया हुआ सुनते थे कल तक जहाँ शहनाइयाँ दौर है ये ज़ोर की आज...

विश्व बंधुत्व की एक मिशालवाह-वाह-वाह ... माशाल्लाह, इसे कहते है विश्व बंधुत्व की मिशाल.... ! इस नेक कार्य के लिए इन सरदार बूटासिंह जी को कोटिश धन्यवाद ! ये कही वो ही वाले बूटा सिंह जी तो नहीं है जो ...क्या ये चंद्रमा तुम जैसा नहीं हैइस ब्रह्मांड में हजारों ग्रह - नक्षत्र है , और इन ग्रहों के कई - कई चंद्रमा है ....... लेकिन पूरे ब्रह्मांड में इस धरा जैसा तो कोई भी ना होगा , इसका तो चंद्रमा भी एक ही है .. केवल धरा के लिए ही और इसके ह...रेडियो श्रोता सम्मेलनदे*श में रेडियो श्रोता दिवस मनाने की परम्परा शुरू करने का श्रेय छत्तीसगढ़ को है। इस नये राज्य के रेडियो श्रोताओं ने भारत में 20 अगस्त 1921 को हुए प्रथम रेडियो प्रसारण की याद में हर साल आज ही के दिन ...

मोह की क्षणभंगुरता में वीरानें में लटकती सांसों को घुंघुरू की तरह प्रतिध्वनित होना था जिंदगी दो चार कदम पर गहरी कुआँ थी वक्त बेवक्त नमी सूखता रहा प्यास प्याउ पर बिखरा तन्हाई को टटोलता रहा सन्नाटों के गहराने पर असंख्य या... आसान था तुझे भूल जाना.....  आसान था तुझे भूल जाना.... जैसे आसान था कभी, रह रह कर तेरा याद आना... भुला दिया तुझे मेरे दिल ने बड़ी जल्दी,बड़ी आसानी से.... थे जो तेरी मोहब्बत के दस्तावेज, वो कॉफी के कुछ बिल जलाए और खत खुशबुओं वाले, फाड़े ...चिरनिद्रा से वापसी...आज अचानक असमय सो गई सोते हुए स्वपन में जाग उठी उठते ही कविता की कॉपी याद आई बैचेनी से इधर-उधर ढूँढने लगी अचानक पाँव तले पानी महसूस हुआ इतना पानी देखक... 

चलते चलते व्यंग्य चित्र
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वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद राम राम...

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

बंदर के हाथ में उस्तरा,.कैसा हुआ समाज? -------- ब्लॉग4वार्ता……… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, ईदोपरांत ब्लॉग4वार्ता लेकर आ गए हैं हम। कितने भी पढ लिख जाएं पर लोगों की मनोवृत्ति बदल नहीं सकती। जहाँ लिखा रहेगा नो पार्किंग, वहीं पर गाड़ी खड़ी करेगें। जहाँ लिखा रहता है यहाँ मूतना मना हैं, वहीं पर जाकर ही मूतेगें। जहाँ लिखा रहेगा हार्न बजाना मना है वहीं पर भोंपू बजाएगें। चलो एक बार अनपढ अगर यह हरकत करे तो शोभा भी देता है, छूट भी मिल सकती है कि पढा लिखा नहीं है। लेकिन पढे लिखे जब हरकत करें तो उन्हे क्या कहा जा सकता है। कनपटी पर चमेटा लगाने के बाद ही समझ आए तो पढे-लिखे और अनपढ में क्या अंतर। फ़ालतू माँ-बाप का रुपया कौड़ी पढाई में उड़ाया। लेकिन अकल नहीं आई। स्वतंत्र भारत है, ये भी करूं वो भी करुं मेरी मर्जी। समझदार के लिए ईशारा ही काफ़ी होता है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा ब्लॉग लिंक्स, आपकी सेवा में………

इनके माँ-बाप कहाँ हैं भाई ? - *अरे कोई है !!! इनके माँ-बाप को बुलाओ जल्दी ............. लो फिर याद आ गई ....वो भूली दास्ताँ !!! - *यादें ...* *भुलाने को तो, भुला सकता था, तुझे मैं मगर,* *वो बीते पल सुहाने साथ तेरे, याद न रखता अगर....* *---अकेला* *जब यादों का ...सैलाब उठता है, तो दिल म... शादी की उम्र एवं न्याय का प्रश्न - * **शादी की उम्र की प्रासांगिकता एवं न्याय का प्रश्न*** * प्रस्तुतकर्ता**: **प्रेम सागर सिंह* *विवाह की उम्र को लेकर एक लंबे अरसे से विवाद चलता ... बीमारी के बाद की थकान - आंतो के इंफ़ेक्शन के सफ़ल आपरेशन के बाद स्वास्थय लाभ ले रहे दलित धारा के रचनाकार- कवि, कहानीकार, आलोचक और रंगकर्मी ओमप्रकश वाल्मीकि से हुई टेलीफ़ोन की बातचीत...

कूड़ेदान में मिलती बेटियां - * बेटियां, मासूम बेटियां कभी कूड़ेदान में मिलती हैं कभी रेल की पटरियों पर । जिन मासूम बच्चियों ने दुनिया देखने के लिए आखें तक न खोली हों, उनका यूँ तिरस्का... 6 वां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन संयुक्त राज्य अमीरात में - 6 वां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन संयुक्त राज्य अमीरात में रायपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए संस्था व साहित्... हसीन मौसम के साथ सुहाना सफ़र - काली दास का मेघदूत28 जुलाई 2012 का दिन तय हुआ दो दिन की घुमक्कड़ी के लिए। पंकज सिंग ने नयी वेरना कार ली, तब से चलभाष और लिखचित पर बिलासपुर से घूमने के लिए च... फेसबुक और उत्तर-पूर्व के लोगों का पलायन - इंटरनेट पर अफवाह लिखने से सामाजिक तनाव पैदा नहीं होता ,सामाजिक तनाव और सामजिक विद्वेष तो पहले से मन में और समाज में मौजूद है इसको इंटरनेट, ...

कैसा हुआ समाज - ताकत जीने की मिले, वह दुख है स्वीकार। जीवन ऐसे में सुमन, खुद पाता विस्तार।। दुख ही बतलाता हमें, सुख के पल अनमोल। मुँह सुमन जब आँवला, पानी, मिश्री-घोल।। जाम... किस्सा\किस्से - ऑफिस से स्वतंत्रता दिवस के बाद दो दिन का अवकाश ले रखा था, कुछ जरूरी काम थे|  ये ऐंवे ही  आपको बता रहा हूँ, कहीं इसे प्रार्थी का निवेदन   न समझ लीजियेगा :-)  ... भोपाल मीडिया चौपाल में कुछ घंटे … - जुलाई के आखिरी दिनों में एक दोपहर Blogs In Media के संदर्भ में आवारा बंजारा संजीत त्रिपाठी जी ने बातचीत के मध्य ही बताया कि 12 अगस्त को वे भोपाल में रहेंगे... चित्रों में दिल्ली का अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डा T3 ! - दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के T3 टर्मिनल में पहले भी जाना होता रहा है और इसके घरेलू टर्मिनल की झलकें मैं पिछले साल आपको दिखा ही चुका हू...

श्वान और मृत्यु...! - शुरुवाती दिनों में लोग , मृत्यु के भय के बिना खुशी खुशी रहते थे ! हुआ ये कि एक सुबह ईश्वर इमाना , मृत्यु का पीछा कर रहे थे ताकि वे उसे , मनुष्यों की भूमि...परमानेंट मेमोरी इरेज़र से मुलाक़ात के पहले तक... - कुछ बेवकूफाना हरकतें - (किया कभी?) नए 'कटर' से पेंसिल... और दाँत से गन्ने - छिलकों की लंबाई का रिकॉर्ड तोड़ने-बनाने की कोशिश। फाउंटेन पेन में सूख ... यह कैसी आतंक पिपासा - यज्ञ क्षेत्र यह विश्व समूचा, होम बने उड़ते विमान जब, विस्मय सबकी ही आँखों में, देखा उनको मँडराते नभ। मूर्त रूप दानवता बनकर, जीवन के सब नियम भुलाकर, तने खड़े... सोशल मिडिया : बंदर के हाथ में उस्तरा. - *खबरें कहीं से भी आ सकती हैं और कुछ खबरें आपको बैचेन करती हैं – इसी बैचेनी में बन्दा बक बक करने लग जाता है यही दीपक बाबा की बक बक है.* और जब ‘बक बक’ कोई ...

राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद - डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन जाये, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन जाये, वकील का बेटा वकील बन जाये, या अध्यापक का बेटा अध्यापक बन जाये तो इसे कोई भी परिवारवाद की... स्त्रियाँ सावधान रहें ऐसों से-- - आभासी दुनिया में जाने-अनजाने किसी के साथ चैट होना स्वाभाविक है। लेकिन सावधानी बरतिए। कुछ मक्कार आपके एक सादे से शब्द का भी बतंगड़ बनाकर आपको बदनाम करने से ... डॉ अमर कुमार के बिना एक साल...खुशदीप - आजकल कुछ लिखने की इच्छा नहीं होती...नेट खोलता भी हूं तो बस न्यूज़ के लिए और ई-मेल चेक करने के लिए...मुझे खुद ही समझ नहीं आ रहा, ऐसा​ क्यों हो गया है मेरे ... आज़ाद पुलिस का धरना-1 - पुलिस और प्रशासन मे फैली अव्यवस्था और आज़ाद पुलिस के हजारों पत्रों पर कोई करायवाही न किए जाने के विरोध मे गाजियाबाद कलेक्ट्रेट पर आज़ाद पुलिस का धरना चल र...

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वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम

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