ललित शर्मा का नमस्कार, ईदोपरांत ब्लॉग4वार्ता लेकर आ गए हैं हम। कितने भी पढ लिख जाएं पर लोगों की मनोवृत्ति बदल नहीं सकती। जहाँ लिखा रहेगा नो पार्किंग, वहीं पर गाड़ी खड़ी करेगें। जहाँ लिखा रहता है यहाँ मूतना मना हैं, वहीं पर जाकर ही मूतेगें। जहाँ लिखा रहेगा हार्न बजाना मना है वहीं पर भोंपू बजाएगें। चलो एक बार अनपढ अगर यह हरकत करे तो शोभा भी देता है, छूट भी मिल सकती है कि पढा लिखा नहीं है। लेकिन पढे लिखे जब हरकत करें तो उन्हे क्या कहा जा सकता है। कनपटी पर चमेटा लगाने के बाद ही समझ आए तो पढे-लिखे और अनपढ में क्या अंतर। फ़ालतू माँ-बाप का रुपया कौड़ी पढाई में उड़ाया। लेकिन अकल नहीं आई। स्वतंत्र भारत है, ये भी करूं वो भी करुं मेरी मर्जी। समझदार के लिए ईशारा ही काफ़ी होता है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा ब्लॉग लिंक्स, आपकी सेवा में………
इनके माँ-बाप कहाँ हैं भाई ? - *अरे कोई है !!! इनके माँ-बाप को बुलाओ जल्दी ............. लो फिर याद आ गई ....वो भूली दास्ताँ !!! - *यादें ...* *भुलाने को तो, भुला सकता था, तुझे मैं मगर,* *वो बीते पल सुहाने साथ तेरे, याद न रखता अगर....* *---अकेला* *जब यादों का ...सैलाब उठता है, तो दिल म... शादी की उम्र एवं न्याय का प्रश्न - * **शादी की उम्र की प्रासांगिकता एवं न्याय का प्रश्न*** * प्रस्तुतकर्ता**: **प्रेम सागर सिंह* *विवाह की उम्र को लेकर एक लंबे अरसे से विवाद चलता ... बीमारी के बाद की थकान - आंतो के इंफ़ेक्शन के सफ़ल आपरेशन के बाद स्वास्थय लाभ ले रहे दलित धारा के रचनाकार- कवि, कहानीकार, आलोचक और रंगकर्मी ओमप्रकश वाल्मीकि से हुई टेलीफ़ोन की बातचीत...
कूड़ेदान में मिलती बेटियां - * बेटियां, मासूम बेटियां कभी कूड़ेदान में मिलती हैं कभी रेल की पटरियों पर । जिन मासूम बच्चियों ने दुनिया देखने के लिए आखें तक न खोली हों, उनका यूँ तिरस्का... 6 वां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन संयुक्त राज्य अमीरात में - 6 वां अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन संयुक्त राज्य अमीरात में रायपुर । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए संस्था व साहित्... हसीन मौसम के साथ सुहाना सफ़र - काली दास का मेघदूत28 जुलाई 2012 का दिन तय हुआ दो दिन की घुमक्कड़ी के लिए। पंकज सिंग ने नयी वेरना कार ली, तब से चलभाष और लिखचित पर बिलासपुर से घूमने के लिए च... फेसबुक और उत्तर-पूर्व के लोगों का पलायन - इंटरनेट पर अफवाह लिखने से सामाजिक तनाव पैदा नहीं होता ,सामाजिक तनाव और सामजिक विद्वेष तो पहले से मन में और समाज में मौजूद है इसको इंटरनेट, ...
कैसा हुआ समाज - ताकत जीने की मिले, वह दुख है स्वीकार। जीवन ऐसे में सुमन, खुद पाता विस्तार।। दुख ही बतलाता हमें, सुख के पल अनमोल। मुँह सुमन जब आँवला, पानी, मिश्री-घोल।। जाम... किस्सा\किस्से - ऑफिस से स्वतंत्रता दिवस के बाद दो दिन का अवकाश ले रखा था, कुछ जरूरी काम थे| ये ऐंवे ही आपको बता रहा हूँ, कहीं इसे प्रार्थी का निवेदन न समझ लीजियेगा :-) ... भोपाल मीडिया चौपाल में कुछ घंटे … - जुलाई के आखिरी दिनों में एक दोपहर Blogs In Media के संदर्भ में आवारा बंजारा संजीत त्रिपाठी जी ने बातचीत के मध्य ही बताया कि 12 अगस्त को वे भोपाल में रहेंगे... चित्रों में दिल्ली का अन्तरराष्ट्रीय हवाईअड्डा T3 ! - दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के T3 टर्मिनल में पहले भी जाना होता रहा है और इसके घरेलू टर्मिनल की झलकें मैं पिछले साल आपको दिखा ही चुका हू...
श्वान और मृत्यु...! - शुरुवाती दिनों में लोग , मृत्यु के भय के बिना खुशी खुशी रहते थे ! हुआ ये कि एक सुबह ईश्वर इमाना , मृत्यु का पीछा कर रहे थे ताकि वे उसे , मनुष्यों की भूमि...परमानेंट मेमोरी इरेज़र से मुलाक़ात के पहले तक... - कुछ बेवकूफाना हरकतें - (किया कभी?) नए 'कटर' से पेंसिल... और दाँत से गन्ने - छिलकों की लंबाई का रिकॉर्ड तोड़ने-बनाने की कोशिश। फाउंटेन पेन में सूख ... यह कैसी आतंक पिपासा - यज्ञ क्षेत्र यह विश्व समूचा, होम बने उड़ते विमान जब, विस्मय सबकी ही आँखों में, देखा उनको मँडराते नभ। मूर्त रूप दानवता बनकर, जीवन के सब नियम भुलाकर, तने खड़े... सोशल मिडिया : बंदर के हाथ में उस्तरा. - *खबरें कहीं से भी आ सकती हैं और कुछ खबरें आपको बैचेन करती हैं – इसी बैचेनी में बन्दा बक बक करने लग जाता है यही दीपक बाबा की बक बक है.* और जब ‘बक बक’ कोई ...
राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद - डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन जाये, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन जाये, वकील का बेटा वकील बन जाये, या अध्यापक का बेटा अध्यापक बन जाये तो इसे कोई भी परिवारवाद की... स्त्रियाँ सावधान रहें ऐसों से-- - आभासी दुनिया में जाने-अनजाने किसी के साथ चैट होना स्वाभाविक है। लेकिन सावधानी बरतिए। कुछ मक्कार आपके एक सादे से शब्द का भी बतंगड़ बनाकर आपको बदनाम करने से ... डॉ अमर कुमार के बिना एक साल...खुशदीप - आजकल कुछ लिखने की इच्छा नहीं होती...नेट खोलता भी हूं तो बस न्यूज़ के लिए और ई-मेल चेक करने के लिए...मुझे खुद ही समझ नहीं आ रहा, ऐसा क्यों हो गया है मेरे ... आज़ाद पुलिस का धरना-1 - पुलिस और प्रशासन मे फैली अव्यवस्था और आज़ाद पुलिस के हजारों पत्रों पर कोई करायवाही न किए जाने के विरोध मे गाजियाबाद कलेक्ट्रेट पर आज़ाद पुलिस का धरना चल र...
चलते चलते व्यंग्य चित्र
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम
7 टिप्पणियाँ:
कई सूत्र पढ़े मिले, कई नये पढ़ने को मिले..
सभी लिनक्स बेहतरीन ...शामिल किया आभार
छा गये दादा
पद्म श्री दे ही देता हूं
बढिया वार्ता
लाज़वाब...बेहतरीन वार्ता....
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
नए लिंक्स के साथ ... बेहतरीन चर्चा ...
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