गुरुवार, 2 अगस्त 2012

श्रावणी पर्व एवं रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं ……ब्लॉग4वार्ता ……… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, वार्ता के सभी पाठकों को श्रावणी पर्व एवं रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। वैदिक काल में श्रावणी पर्व का महत्व अत्यधिक था। इसी दिन गुरुकुल में विद्यार्थियों का विद्यारंभ संस्कार होता था, आचार्य विद्यारंभ दिवस के दिन ब्रह्मचारियों को रक्षा सूत्र के रुप में विद्याध्ययन पूर्ण करने का संकल्प सूत्र बांधते थे तथा  पुराना यज्ञोपवीत उतार कर नवीन धारण किया जाता था। बदलते जमाने के साथ पुराने संस्कार  विस्मृत होते जा रहे हैं। आज आवश्यकता है संस्कृति को बचाए रखने की। अब चलते हैं आज की वार्ता पर …………प्रस्तुत हैं कुछ लिंक……।  

सावन में नैहर की यादें - सावन में नैहर की यादें पाँव में जैसे पायल बांधे झूले सखियाँ हंसी ठिठोली मेहँदी राखी चन्दन रोली देह धरी है पिया के घर में मन मैके की देहरी फांदे नभ स...रक्षा का बंधन,,,, - रक्षा का बंधन बचपन से लेकर आज तक मुझको मायके से लेकर ससुराल तक तुमको हरदम राखी मै तेरा इन्तजार करू भईया, दिल से जुड़े ये प्रेम के धागे रक्षा का बंधन सि...भाई - बहन का रिश्ता खट्टा- मीठा , प्यारा -प्यारा - भाई - बहन का रिश्ता खट्टा- मीठा , प्यारा -प्यारा कभी लड़ते, तो कभी झगड़ते .. एक - दूजे की चीजे भी छुपा देते है.. मम्मी - पापा की नाराजगी से बचने के ल... 

राखी का दिन - भैया राखी का दिन आया ये खुशियाँ बहुत सी है लाया लाया कुछ हंसी फिर से कुछ के लिए गम लाया!! आज कुछ आँखें नम हैं दिल में छिपाए कितने गम हैं !! बहने रोती राखी ... गीत-राखी के राखी लेबे लाज - बंधना म बांध डारेवं भाई, राखी के राखी लेबे लाज। सुघ्घर कलाई तुहर सोहे, माथे के टीका सोहे आज।। किंजर-किंजर के देवता धामी, बदेंव मैं तुहर बर नरियर। लाख बछर ल... "दी", "दीदी" या "दिदिया" .... रेशम की डोरी अगर बांधा हो बहना ने तो खुद ब खुद बन जाता है रिश्ता एक अटूट रिश्ता प्यारे से "भाई व बहन" के बीच का जिसमे सिर्फ होती है एक दुसरे के लिए दुआएं | एक अदद डोरी की यही है ताकत | यही है ...

अनशन ... - पहले तुम - अपना पेट ठूंस-ठूंस के भर लो ! हमें तो - आदत है भूखे रहने की ? अनशन की ... हम मरेंगे नहीं, आठ-दस दिनों में !! पर हाँ, डर है कि - कहीं त... स्मृति-कलश - असमय ही छलक पड़ता है स्मृति कलश, गिरती है बूँदें आरक्त कपोलों पर। कभी तप्त था जो तुम्हारे स्पर्श से, अब तुम्हारी स्मृति से शीतल।  नर की अग्नि - व्यवहारिक जीवन में अग्नि के कई उपयोग हैं, पर जब यह मानवीय स्वरूप धरती है तब इसके गुण और विशिष्ट हो जाते हैं। शीतमनाओं को यह ऊष्मा देती है, धारक को जलाकर ह..

तन्हाई - संख्या का महत्व ..इस श्रृंखला की अगली कड़ी फिर कभी ......क्योँकि आजकल हम हैं तन्हा और यह हाल है हमारा ....लीजये प्रस्तुत है आज बहत दिनों बाद आपके लिए यह कवि... धुंधलके में ... - साँझ के धुंधलके में हम तुम जब मिलते हैं कोई गद्गद गीत उभरता है ... गा-गा कर अक्षत अम्बर को थिरकाता है तर्षित तारों को झिलमिलाता है बातुल बिजुरी को मचलाता है.. और मैं आस में इन्कलाब लिए बैठा हूँ - *"*लोग लाशों में भी इश्क तलाश लेते हैं, और मैं आस में इन्कलाब लिए बैठा हूँ.*"* --

सावन की मस्ती - कब आया सावन ,कब बीता सावन जरा भी ना हुआ इसका गुमां कहीं भी ना दिखी नवयौवना बढाती झूले की पींगे ,गाती कजरी बनती अद्भुत समां बरसते ,लरजते कारे -कारे बदरा भी ... गज़ल - इस कदर भी ना सताएं किसी को - इस कदर भी ना सताएं किसी को, कि बोझ लगने लगें वफाएं किसी को, नाराज़ हो किसी से और फिर बात भी ना हो, यूँ भी ना भूल जायें किसी को, दिल और ज़िंदगी खाली है आप... प्रेम का अवसाद - प्रेम के अवसाद का कुहासा जब घना होता है मेरी आंखों में डरी हुई बिल्ली का स्वरूप उतर आता है देखता हूं कटीली झाड़ियों के बीच फंसी हिरन की असहाय-भयाक्रांत आंखो... 

चौराहा - जिंदगी का ये चौराहा , अपने दम पर गर्वित हाथ फैलाये खड़ा ,कुछ इठलाकर , सोचे कि मंजिल दिखता है सबको राह बताता है । जिंदगी के इस चौराहे पर कितनी ही गाड़िया आती ... हानि-लाभ .... - "जुताई करते करते एक जगह उसका हल जमीन में अटक गया| आसपास खोदने पर पता चला कि कोई कलश गड़ा हुआ है| स्वाभाविक है कि उस कलश में स्वर्ण मुद्राएँ ही थीं| कुछ दिनों... मोहन भागवत अनशन पर क्यो नही ? - देखिये साहब वैसे तो इस देश में लोकतंत्र है, न कोई किसी को अनशनियाने से रोक सकता है और न ही जबरदस्ती करवा सकता है। पर इस सवाल का कारण यह है कि सोशल मीडिय... 

ओलिम्पिक हॉकी - आज भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से - लंदन ओलिम्पिक पुरुष हॉकी स्पर्धा में आज भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से होना है। नीदरलैंड्‌स के हाथों अपना पहला मैच गँवाने के बाद प्रतिस्पर्धा में .....पोखरा- फेवा ताल और डेविस फाल - इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 12 जुलाई 2012 की शाम पांच बजे तक मैं पोखरा पहुंच गया। मुझे पोखरा के बारे में बस इतना ही मालूम थ...2012 में कुछ नहीं होगा: दबंग दुनिया में ‘चौडगरा’ - 1 अगस्त 2012 को दबंग दुनिया के नियमित स्तंभ ‘ब्लॉग’ में चौडगरा नहीं होगा 

उड़ चला पंछी - उड़ चला पंछी कटी पतंग सा अपनी यादें छोड **** समस्त बंधनों से हो मुक्त उस अनंत आकाश में छोड़ा सब कुछ यहीं यूँ ही इसी लोक में बंद मुट्ठी ले कर आया था ...  ये हम गुनाहगार औरतें हैं - ये हम गुनाहगार औरतें हैं जो अहले जुब्बा की तमकनत से न रौब खाएं न जान बेचें न सर झुकाएं, न हाथ जोडें ये हम गुनाहगार औरतें हैं, के : जिनके जिस्मों की फसल बेच..वृक्ष बोला... - अपना सारा फल देकर वृक्ष मुस्कुराया और उमंग में भरकर उसने कोमल टहनियों को ऊपर उठाया; जैसे अपने हाथ उठाकर सिरजनहार को धन्यवाद दे रहा हो, कृतज्ञता ज्ञापित कर...  

वार्ता को देते हैं विराम, साथ ही समाचार है कि शायर सर्वत जमाल ढूंढ लिए गए हैं।........

8 टिप्पणियाँ:

रक्षा बन्‍धन के अवकाश का पूरा-पूरा उपयोग हो सके, इतना मसाला दे दिया है आने। धन्‍यवाद।

'अष्‍टावक्र' ने झनझना दिया।

बहुत ही प्रभावी सूत्र एकत्र किये हैं आपने...

नैहर की यादें से लेकर अनशन तक ...
सावन की मस्‍ती से ओलम्पिक हॉकी तक ..
विविधता के रंग लिए इस पोस्‍ट के लिए आभार ..
सभी पाठकों को श्रावणी पर्व एवं रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !!

बहुत ही सुन्दर वार्ता .............रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाये

बहुत बढ़िया लिंक्स
बढ़िया ब्लॉग वार्ता...
सभी को रक्षा बंधन की ढेरो शुभकामनाये :-)

बहुआयाम्री वार्ता और कई लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |आज अधिक व्यस्तता के कारण पूरी लिंक्स नहीं देख पाई बहुत अखर रहा है |राखी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा

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