सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्कार , आज फ्रेंडशिप डे है , इस दिवस के महात्म्य पर बहुत कुछ लिखा है ब्लॉगरों ने , बिना देर किए आज उनमें से ही कुछ महत्वपूर्ण लिंकों पर आपको लिए चलते हैं .....
मित्र दिन का भारतीय संस्कृति में कितना महत्व है ,यह मैं नहीं जान पाया मगर इतना जानता हूँ कि मित्रता को जीया जाता है ,हर पल महसूस किया जाता है,सिर्फ एक दिन नहीं ,जीवन पर्यंत ........मित्रता निस्वार्थ भावनाओं से शुरू होती है ,त्याग से पोषित होती है ,प्रिय व्यवहार से उत्कृष्टता पर पहुँचती है और निजी स्वार्थ पर ख़त्म हो जाती है .एक दुसरे से स्वार्थ कि पूर्ति करने वाले लोग मित्र नहीं समान विचारों वाले व्यक्तियों का समूह होता है जो समय,स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है .
"दोस्ती का अर्थ"
मित्रता किसे नहीं भाती। यह अनोखा रिश्ता ही ऐसा है जो जाति, धर्म, लिंग, हैसियत कुछ नहीं देखता, बस देखता है तो आपसी समझदारी और भावों का अटूट बन्धन। कृष्ण-सुदामा की मित्रता को कौन नहीं जानता। ऐसे ही तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ मित्रता ने हार जीत के अर्थ तक बदल दिये। सिकन्दर-पोरस का संवाद इसका जीवंत उदाहरण है।मित्र दिन का भारतीय संस्कृति में कितना महत्व है ,यह मैं नहीं जान पाया मगर इतना जानता हूँ कि मित्रता को जीया जाता है ,हर पल महसूस किया जाता है,सिर्फ एक दिन नहीं ,जीवन पर्यंत ........मित्रता निस्वार्थ भावनाओं से शुरू होती है ,त्याग से पोषित होती है ,प्रिय व्यवहार से उत्कृष्टता पर पहुँचती है और निजी स्वार्थ पर ख़त्म हो जाती है .एक दुसरे से स्वार्थ कि पूर्ति करने वाले लोग मित्र नहीं समान विचारों वाले व्यक्तियों का समूह होता है जो समय,स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है .
"दोस्ती का अर्थ"
आज दोस्ती का पर्व है, अंग्रेजी में कहें तो "Friendship Day" है, लेकिन अब दोस्ती बची ही कहाँ है दोस्तों के बीच; हाँ कुछ हद तक स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी ज़रूर दोस्ती का मतलब समझते हैं और मेरे ख़्याल से तो हर बच्चे के माता-पिता को बच्चे कि पढ़ाई से ज़्यादा चिंता इस बात की होती है कि हमारा बेटा या बेटी दोस्तों के लिए सब-कुछ करता है लेकिन उसके दोस्त उसके लिए कुछ नहीं करते और शायद यही वो पहला सोपान होता है ज़िन्दगी का, जब एक बच्चा ये समझने कि कोशिश करने लगता है कि उसे भी दोस्त से बदले में कुछ मिलना चाहिए।
श्री कृष्ण द्वारकापुरी में अपनी आठ पटरानियों के साथ अपने महल के ऊपरी तल पर झूले पर झूल रहे थे। उस समय दूर से आते हुए सुदामा को देख वे पैदल चल कर उनके स्वागत के लिए आगे आये और अपने बाल सखा के साथ गाढ़ालिंगन किया तथा महल में लाकर अपने सिंहासन पर बिठाया।
दोस्तों अजीब बात है हमारा देश जहां की पोराणिक कथाये ..धार्मिक मान्यताएं मित्रता की मिसाल रही है वही आज हम अंग्रेजी संस्क्रती से प्रभावित होकर केवल एक विशिष्ठ दिन पर ही मित्रता की बात करते है ..मित्रता यानी दोस्ती यानी खुद की जिंदगी खुद की आत्मा संवारने और शुद्धिकरण का फार्मूला है ...आप सभी जानते है के क्रष्ण ने सुदामा से जो दोस्ती की थी उसकी मिसाल कोई अँगरेज़ कोई देश नहीं तोड़ सका है ...करण और दुर्योधन की मित्रता सभी को पता है ...इस्लाम की दुनिया में भी दोस्ती के बेशुमार किस्से है दोस्ती निभाने के की बेशुमार हिदायते है और फिर क्रष्ण सुदामा का जो सीन है वोह आज देखने को कहाँ मिलता है
तुम्हारा मेल दोस्ती की हद को छू गया
दोस्ती मोहब्बत की हद तक गई
मोहब्बत इश्क की हद तक
और इश्क जनून को हद तक ॥
अमृता इमरोज़ की दोस्ती पर कही यह पंक्तियाँ दोस्ती की परिभाषा को और भी अधिक गहरा रिश्ता बना देती है ...दोस्ती लफ्ज़ ही ऐसा है जो दिल के अन्दर तक अपना वजूद कायम कर लेता है यदि दोस्ती सच्ची और गहरी है तो .... वैसे तो सभी रिश्ते अपना अपना स्थान ज़िन्दगी में बनाए रखते हैं ...पर दोस्ती का रिश्ता सबसे अलग होता है।
तुम्हारा मेल दोस्ती की हद को छू गया
दोस्ती मोहब्बत की हद तक गई
मोहब्बत इश्क की हद तक
और इश्क जनून को हद तक ॥
अमृता इमरोज़ की दोस्ती पर कही यह पंक्तियाँ दोस्ती की परिभाषा को और भी अधिक गहरा रिश्ता बना देती है ...दोस्ती लफ्ज़ ही ऐसा है जो दिल के अन्दर तक अपना वजूद कायम कर लेता है यदि दोस्ती सच्ची और गहरी है तो .... वैसे तो सभी रिश्ते अपना अपना स्थान ज़िन्दगी में बनाए रखते हैं ...पर दोस्ती का रिश्ता सबसे अलग होता है।
महंगाई में सस्ती दोस्त की वफा-हास्य कविता
आशिक ने अपने दोस्त से कहा
‘‘यार, महंगाई बढ़ गयी है,
माशुका की मांगें पूरी करते करते
जेब कंगाली की सीढ़िया चढ़ रही है,
अब पेट्रोल होता जा रहा है महंगा,
होटलों में बैरे पेश करते हैं महंगे बिल
तब हो जाता है उनसे पंगा,
यह महंगाई तो मोहब्बत को मार डालेगी,
इस संसार में केवल नफरत को ही पालेगी।
प्यार और दोस्ती जीवन से जुड़े ऐसे सरोकार हैं जिनको निभाने के लिए हमारी आपकी फिक्रमंदी भले कम हुई हो पर इसे उत्सव की तरह मनाने वाली सोच बकायदा संगठित उद्योग का रूप ले चुका है। दिलचस्प यह भी है कि कल तक लक्ष्मी के जिन उल्लुओं की चोंच और आंखें सबसे ज्यादा परिवार और परंपरा का दूध पीकर बलिष्ठ हो रहे संबंधों पर भिंची रहतीं थी, अब वही कलाई पर दोस्ती और प्यार का धागा बांधने का पोस्टमार्डन फंडा हिट कराने में लगे हैं। फ्रेंड और फ्रेंडशिप का जो जश्न पूरी दुनिया में अगस्त के पहले रविवार से शुरू होगा उसके पीछे का अतीत मानवीय संवेदनाओं को खुरचने वाली कई क्रूर सचाइयों पर से भी परदा उठाता है।
"मैं कभी बतलाता नहीं.....पर अँधेरे से डरता हूँ, मैं माँ...मेरी माँ .."..फिल्म 'तारे ज़मीन पर ' का यह गीत, पाषाण ह्रदय को भी द्रवित कर देता है. किसी प्रोग्राम में टी.वी.पर. ..स्टेज पर या पारिवारिक महफ़िल में ही किसी ने भी डूब कर गाया इस गीत को तो सुनने वालों की आँखें छलक उठती हैं. फिल्म में तो इसका फिल्मांकन और भी मर्मस्पर्शी है. एक छोटा सा बच्चा हॉस्टल में अकेला अपनी माँ को याद कर उदास है...रो रहा है और बैकग्राउंड में यह गीत बज रहा है. पर मैं जब भी इस गीत का फिल्मांकन देखती हूँ...मन तो भीगता है..पर कुछ जोर का खटक भी जाता है.
आशिक ने अपने दोस्त से कहा
‘‘यार, महंगाई बढ़ गयी है,
माशुका की मांगें पूरी करते करते
जेब कंगाली की सीढ़िया चढ़ रही है,
अब पेट्रोल होता जा रहा है महंगा,
होटलों में बैरे पेश करते हैं महंगे बिल
तब हो जाता है उनसे पंगा,
यह महंगाई तो मोहब्बत को मार डालेगी,
इस संसार में केवल नफरत को ही पालेगी।
प्यार और दोस्ती जीवन से जुड़े ऐसे सरोकार हैं जिनको निभाने के लिए हमारी आपकी फिक्रमंदी भले कम हुई हो पर इसे उत्सव की तरह मनाने वाली सोच बकायदा संगठित उद्योग का रूप ले चुका है। दिलचस्प यह भी है कि कल तक लक्ष्मी के जिन उल्लुओं की चोंच और आंखें सबसे ज्यादा परिवार और परंपरा का दूध पीकर बलिष्ठ हो रहे संबंधों पर भिंची रहतीं थी, अब वही कलाई पर दोस्ती और प्यार का धागा बांधने का पोस्टमार्डन फंडा हिट कराने में लगे हैं। फ्रेंड और फ्रेंडशिप का जो जश्न पूरी दुनिया में अगस्त के पहले रविवार से शुरू होगा उसके पीछे का अतीत मानवीय संवेदनाओं को खुरचने वाली कई क्रूर सचाइयों पर से भी परदा उठाता है।
"मैं कभी बतलाता नहीं.....पर अँधेरे से डरता हूँ, मैं माँ...मेरी माँ .."..फिल्म 'तारे ज़मीन पर ' का यह गीत, पाषाण ह्रदय को भी द्रवित कर देता है. किसी प्रोग्राम में टी.वी.पर. ..स्टेज पर या पारिवारिक महफ़िल में ही किसी ने भी डूब कर गाया इस गीत को तो सुनने वालों की आँखें छलक उठती हैं. फिल्म में तो इसका फिल्मांकन और भी मर्मस्पर्शी है. एक छोटा सा बच्चा हॉस्टल में अकेला अपनी माँ को याद कर उदास है...रो रहा है और बैकग्राउंड में यह गीत बज रहा है. पर मैं जब भी इस गीत का फिल्मांकन देखती हूँ...मन तो भीगता है..पर कुछ जोर का खटक भी जाता है.
मगरमच्छ अब भी वही ,सुन बंदर नादान
जामुन देना छोड़ दे , मगरमच्छ शैतान
मगरमच्छ शैतान , कलेजा खाने आतुर
मैडम का वह दास, छलेगा तुझको निष्ठुर
नहीं मित्रता इसकी, तुझको रास आयेगी
चालाकी इक रोज, तुझे ही खा जाएगी ||
मित्रता का भाव मानव के लिए वरदान है ;
जो नहीं ये जानता वो मूर्ख है ;नादान है .
देखकर दुःख मित्र का जिसका ह्रदय होता विकल ;
त्याग देता मित्र हित पल में सदा जो सुख सकल ,
है वही सच्चा सखा धरती पे वो भगवान है .
मित्रता का भाव ..................................
सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार
यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार
मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध
तेरी मेरी मित्रता स्नेहसिक्त सम्बन्ध
मित्र सरीखा कौन है, इस दुनिया में मर्द
बाँट सके जो दर्द को बन कर के हमदर्द
दोस्त .. जब कहता है
मेरे रहते तुम्हारा कोई कुछ नहीं कर पाएगा ...
टूटती हुई उम्मीद छूटता हुआ हौसला
मानो वापस लौट आता है
दोस्त के इन शब्दों में
मन का कोई कोना दोस्ती के इस ज़ज्बे पर
अपना सब कुछ कुर्बान करना चाहता है
एक कोई होता है जो बहुत खास होता है
कितनी भी दूर हो वो
सदा दिल के पास होता है
....
रिवाज दिवसो का,
मां, पिता, शिक्षक, प्रेमी -
और अब आज मित्रता दिवस,
मित्रता की रश्म अदायगी,
मित्रता जतानी की जरुरत-
मित्र को मित्र कहने की जरुरत,
मित्रता की शर्ते, लक्षण, अभिव्यक्ति -
त्योहार की तरह,
याद किये जाते मित्र,
मिसाल, प्रसंग-
आदर्श की कसौटी पर परखे जाते -
मित्रता के सबूत,
मित्रता दिवस पर कुछ हाइकू ...
सुन ओ मीत।
कृष्ण-सुदामा जैसी
निभाना प्रीत ।
2
रूठे नसीब
तुम ना जाना रूठ
ए मेरे मीत!
3
परछाईं-सा
नहीं छोड़ता साथ
दोस्त का प्यार।
दोस्ती करो तो
जल सी निर्मल करो
दूर होकर भी
पल-पल याद आये
ऐसी करो
दोस्ती करो तो
चाँद - तारों सी अटूट करो
अंजली में भरकर भी
आकाश में ना समाये
ऐसी करो
मुस्कराहट में
तन्हाई में
महफिल में
जिसकी जरूरत हर वक्त महसूस हो....
वह तो बस
एक दोस्त ही हो सकता है
क्या होता शमा ये क्या बताऊँ यारों,
भगवान न होते और ये बंदगी न होती;
दोस्तों के बिना शायद कुछ भी न होता,
ये सांसें भी न होती, ये जिंदगी न होती |
जो नहीं ये जानता वो मूर्ख है ;नादान है .
देखकर दुःख मित्र का जिसका ह्रदय होता विकल ;
त्याग देता मित्र हित पल में सदा जो सुख सकल ,
है वही सच्चा सखा धरती पे वो भगवान है .
मित्रता का भाव ..................................
सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार
यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार
मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध
तेरी मेरी मित्रता स्नेहसिक्त सम्बन्ध
मित्र सरीखा कौन है, इस दुनिया में मर्द
बाँट सके जो दर्द को बन कर के हमदर्द
दोस्त .. जब कहता है
मेरे रहते तुम्हारा कोई कुछ नहीं कर पाएगा ...
टूटती हुई उम्मीद छूटता हुआ हौसला
मानो वापस लौट आता है
दोस्त के इन शब्दों में
मन का कोई कोना दोस्ती के इस ज़ज्बे पर
अपना सब कुछ कुर्बान करना चाहता है
एक कोई होता है जो बहुत खास होता है
कितनी भी दूर हो वो
सदा दिल के पास होता है
....
रिवाज दिवसो का,
मां, पिता, शिक्षक, प्रेमी -
और अब आज मित्रता दिवस,
मित्रता की रश्म अदायगी,
मित्रता जतानी की जरुरत-
मित्र को मित्र कहने की जरुरत,
मित्रता की शर्ते, लक्षण, अभिव्यक्ति -
त्योहार की तरह,
याद किये जाते मित्र,
मिसाल, प्रसंग-
आदर्श की कसौटी पर परखे जाते -
मित्रता के सबूत,
मित्रता दिवस पर कुछ हाइकू ...
सुन ओ मीत।
कृष्ण-सुदामा जैसी
निभाना प्रीत ।
2
रूठे नसीब
तुम ना जाना रूठ
ए मेरे मीत!
3
परछाईं-सा
नहीं छोड़ता साथ
दोस्त का प्यार।
दोस्ती करो तो
जल सी निर्मल करो
दूर होकर भी
पल-पल याद आये
ऐसी करो
दोस्ती करो तो
चाँद - तारों सी अटूट करो
अंजली में भरकर भी
आकाश में ना समाये
ऐसी करो
दोस्ती के नाम....
आंसू मेंमुस्कराहट में
तन्हाई में
महफिल में
जिसकी जरूरत हर वक्त महसूस हो....
वह तो बस
एक दोस्त ही हो सकता है
क्या होता शमा ये क्या बताऊँ यारों,
भगवान न होते और ये बंदगी न होती;
दोस्तों के बिना शायद कुछ भी न होता,
ये सांसें भी न होती, ये जिंदगी न होती |
आँखों में छिपे दर्द को पहचान ले...
अनकही बातों का मतलब जान ले...
कर गुज़रे जो एक बार ठान ले...
टूटे हुए शीशे को जोड़ दे...
वो दोस्ती है...
एक को चोट लगे, खून दूजे का बहे...
जिस्म दूर हो भले, रूह साथ रहे...
जुबान खींच ले उसकी, बुरा जो कहे...
एक उंगली उठे और हाथ तोड़ दे...
वो दोस्ती है.
दोस्ती का दम भरने वालो ....
जरा कदम मिला कर देखो ..
इल्जाम लगाने से पहले, दोस्त पर
अपने गिरेबान में झांक कर देखो .
वो तो द्वापर युग ..का सच है ,
जो आज भी मिसाल है दोस्ती की ..
नंगे पाँव दौड़े चले आये कान्हा ..
गरीब सुदामा से दोस्ती निभाने ..
अनकही बातों का मतलब जान ले...
कर गुज़रे जो एक बार ठान ले...
टूटे हुए शीशे को जोड़ दे...
वो दोस्ती है...
एक को चोट लगे, खून दूजे का बहे...
जिस्म दूर हो भले, रूह साथ रहे...
जुबान खींच ले उसकी, बुरा जो कहे...
एक उंगली उठे और हाथ तोड़ दे...
वो दोस्ती है.
दोस्ती का दम भरने वालो ....
जरा कदम मिला कर देखो ..
इल्जाम लगाने से पहले, दोस्त पर
अपने गिरेबान में झांक कर देखो .
वो तो द्वापर युग ..का सच है ,
जो आज भी मिसाल है दोस्ती की ..
नंगे पाँव दौड़े चले आये कान्हा ..
गरीब सुदामा से दोस्ती निभाने ..
रश्मिरथी में दिनकर जी ने लिखा है"मित्रता बड़ा अनमोल रतन ,कब इसे तोल सकता है धन "पर दुर्भाग्य बस आज मित्रता धन के तराजू में तौली जाति है ..इस रिश्ते में उच्च नीच का कोई स्थान नहीं है ..भगवान राम ने निषादराज से दोस्ती कर इसका उदहारण पेश किया है ..सच में इस दुनिया में जिनको भी सचे दोस्त मिले हैं जो अपने दोस्त को हमेशा गलत रास्तों से दूर रखते हैं ..वे बहुत भाग्यशाली हैं .....उन सभी दोस्तों को यह दिन मुबारक ...
8 टिप्पणियाँ:
मित्रता पर पठनीय साहित्य..
बहुत सुन्दर वार्ता संध्या जी ! फ्रेंडशिप डे की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें ! 'तराने सुहाने' से मेरी पसंद के गीत की लिंक देने के लिये आपका आभार एवं धन्यवाद !
बहुत बढिया वार्ता
बहुत ही अच्छी वार्ता एवं लिंक्स .. आभार
बहुत बढ़िया वार्ता बेहतरीन लिंक्स संगीता जी... आपको भी मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ... सुन्दर गीत के लिये आभार
बहुत बढ़िया वार्ता संगीता जी, मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई
बहुत अच्छी वार्ता....
majedar ...aakhri geet ne to shama bandh diya ..
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