शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

एग्रीगेटर गुम हुए , पढना हुआ भारी ..लो झाजी लेकर आए अपनी रेलगाडी



जी हां साल बीतते बीतते ..बिल्कुल ही बीत जाने पर तुला हुआ है ...जाने दीजीए भाई ..हमें साल की कमी थोडी है ..एक डंडा लगा देंगे ..अगले 365 दिन अपने ..हा हा हा । अब ये तो सबको पता चल ही गया है कि फ़िलहाल जो लिखाई पढाई चल रही है वो तो बस लिंक की इंक पकड के सब पहुंच रहे हैं तो लीजीए हम ले आए हैं आपके लिए पटरियां और रेलगाडी दोनों ही


सर्दियों में बचकर रहिए , न पेले जाओ दंड,
अनवरत पर लग रही है देखिएकिसको ठंड ॥

अब आप पहुंचिए इस पोस्ट के समीप,
देखिए देशनामा पर रहस्य कौन सा खोल रहे खुशदीप ॥

औरत मर्द एक समान सब समझाते रोज ,
लेकिन अब भी कईयों को बेटियां लगतीं बोझ ॥

पूछ रहे हैं त्रिपुरारी, कैसे कर पाओगे प्यार,
अरे भाई जानना है , तो यहां पहुंचें सरकार

निजता का उल्लंघन करते हैं सिर्फ़ एक दिन ,
इस पोस्ट को रह न सका यहां लाए बिन ॥

इस पोस्ट पर देखिए कौन सी हो रही है नई बात ,
मैंने तो देख ली आप खुद देखें हज़रात ॥

कर्मनाशा पर पढिए दो कविताएं बेहतरीन,
तृप्त हुए बिन न रह पाएगी, श्ब्दों की प्यासी मीन ॥

पल्लावी जी ने फ़िर से आज लिखा है कुछ खास ,
देखिए उनके ब्लॉग पर इक प्यारा सा एहसास ॥

बेज़बान ने कह डाला कौन सा समाज को है रोग ,

झूठी शान की धौंस जमाते समाज के हलके लोग


इस पईसे के पीछे भागती दुनिया ने क्या बना लिया अपना हाल ॥


चलिए अब बहुत हुई पढिए लिखाई , अब सेहत का रखिए ख्याल,





आज देखने चलते हैं वैलंकानी गिरिजाघर ॥



कह रही हैं रंजना सिंह लो बीत गया ये साल ,




कुछ कहना हो तो यूं ही ऐसे कुछ खूब कहे,




आजकल आ रहे हैं मजे , पूजा ने फ़रमाया है ,





प्रतिभा जी की इस पोस्ट के बात बहुत बडी है ॥




तो सभी ब्लॉगर्स अब पत्रकार, लेखक बनने को हो जाएं तैयार ॥



कागज मेरा मीत और , कलम मेरी सहेली है ,




अब एक हमारी भी झेलिए ..हो सके तो साथी बनिए


और देखिए कि खुद हमारी कविताई कितने जोश में है ,



तो आप सबको आने वाले वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं जी

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

किरकिट का बल्ला बोला : भारत माता की जय ! अपन भी बोलें "भारत-माता की जय "

भारत की क्रिकेट में जीत से चलते चलते 2009 ने क्रिकेट ने भारत के भाल जीत का सेहरा  बाँधही दिया. बेशक सचिन को भारत-रत्न से नवाज़ने  की मांग में मुझे तो कोई  खोट नज़र नहीं आती. आपका क्या ख्याल है भाई...मेरे ख्याल से सहमत होंगे !!


http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/f6/Bharat_Ratna.jpgभोपाल 29 दिसंबर 2010। मध्यप्रदेश पुलिस के सायबर सेल ने इंटरनेट से ट्रेनों और प्लेनों के टिकट बुक कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले इंजीनियरिंग के छात्र सन्नी कुमार को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। बिहार के समस्तीपुर निवासी 20 वर्षीय सन्नी को आज भोपाल में गिरफ्तार किया गया। एकलव्य-शक्ति  पर प्रकाशित इस समाचार पर ध्यान ज़रूर दीजिये.
शिखा जी विधा-विधा खिलवा रहीं हैं. जबकि blog in media पर  बी एस पाबला जी की सेवाएं ब्लागलोक के लिये एक मील का पत्थर  है.

परिकल्पना पर कठिन परिश्रम देखिये  सच मन मोहक एवम सर्व सराहनीय ब्लाग विश्लेषण काबिल-ए-तारीफ़ है. साधुवाद. 
अथ श्री एग्रीगेटर कथा में :- "कुल मिलाकर एग्रीगेटरों की कमी तो खल रही है. एक दो नए-नए एग्रीगेटर हैं बाज़ार में पर उनमें ब्लोगवाणी वाली बात नहीं दिखती. एक इंडली है- उसमें एक तो हर पोस्ट जाकर मैनुअली फीड करनी पड़ती है और दुसरे उसपर ज्यादा लोग जाते नहीं तो फिलहाल तो ज्यादा उम्मीद करना बेकार ही है उससे. एक दो और हैं जैसे रफ़्तार और हमारीवाणी पर उनका फंडा मुझे आज तक समझ नहीं आया. कभी कोइ पेज नहीं खुलता,  कभी ब्लॉग नहीं जुड़ता और जुड़ जाए तो पोस्ट नहीं दिखती. इधर एक दो नए प्रयास किये गए हैं जैसे हिन्दी ब्लॉग-जगत और ब्लॉग परिवार. ये प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय हैं. अगर अलग अलग क्षेत्रो और थीम्स से जुड़े ऐसे-ऐसे कई ब्लॉग बन जाएँ तो एक पूर्ण एग्रीगेटर की कमी को पूरा किया जा सकता है."
आज़ हमारीवाणी पर जो हरियाये ब्लाग रहे वो ये हैं

बुधवार, 29 दिसंबर 2010

यार इस मौसम में कुछ चाय वाय का इंतज़ाम हो जाए -- ब्लॉग4वार्ता -- देव कुमार झा

आज की वार्ता एक खास अंदाज़ और एक खास तरह की गर्मा-हट लिए हुए... सर्दी के मौसम की स्पेसल बोले तो एक ऐसी चीज़ जो हर किसी के लिए खासम-खास.... पहले एक कविता लीजिए... और जानिये की यह आखिर क्या है और देव बाबा आखिर किसकी बात कर रहे हैं...

घंटो के इंतज़ार के बाद
अशान्ति से शान्ति की खोज में
जा पहूंचा कैन्टीन में
और फ़िर वहां मिली मुझे
मेरी प्रेयसी
बस उसे देखते ही मैं
खिल उठा..
उसे देखते ही मेरा
मन मचल उठा..
जल्दी ही वह
मेरे होठों से लगी
और मैं झूम उठा...
मिट गयी मेरी थकन
मिट गयी मेरी उलझन
वाह वाह
वह एक प्याली अदरक वाली चाय...

अब साहब सर्दी चारों ओर फ़ैली है.. तो सोचा की सर्दी के मस्त मस्त मौसम में कोई गर्मी वाली पोस्ट लगाई जाए... गर्मी बोले तो चाय वाय का इंतज़ाम हो जाए तो फ़िर क्या बात हो....

लेकिन धंधे और दोस्ती यारी वाली बात पहले कर ली जाए...

हम इस तरह दोस्ती निभाएंगे
नौकरी न मिली तो बिलकुल नहीं घबराएंगे
दोनों स्टेशन पर चाय की दुकान लगाएंगे
तुम चाय बनाना हम चाय-चाय चिल्लायेंगे

(तो जल्दी बताईए... कौन कौन आ रहा है हमारे साथ.... जो भी आना चाहे... जल्दी बताए... कोपरखैरणे डिपो के पास चाय की टपरी डालनें का प्लान है... )...

ना भी आना चाहिए तो कोई ना.... वैसे अब बकर बकर बन्द करता हुं और जल्दी से औकात में आते हुए आज की वार्ता आप लोगों के सामनें पटकता हूं.... अनुरोध है की आज की वार्ता को चाय की चुस्कियों के बीच आनन्द के साथ पढिए....

हम अपनी शिक्षा भूल चले -सतीश सक्सेना :- सच में.... जानें कौन सी विद्या ग्रहण कर रहे हैं आज कल...

क्रिसमस की तसवीरें(कनाट प्लेस में ) :- वाह वाह माधव जी फ़ोटुआ मस्त मस्त है...


अपनी गरदन पे खंजर चला तो चला :- शकूर 'अनवर' साहब को पढवानें के लिए धन्यवाद...

'कल' डायरी से मिटाइए, 'आज' ऐसे जी कर देखिए...खुशदीप :- खुश रहिए...ये भी बुद्धिमान होने का एक रास्ता है... भई वाह खुशदीप भाई

इश्पेसल बुलेटिन है ..झा जी स्टाईल में :- खबर और नज़र का फ़ेर देखिए....

शीला नहीं, प्‍याजो की जवानी!! :- हा हा... प्याज़ तो भाई थोडे दिनों में सुनार की दुकान पर मिलेगा... जय सरकार!

मेरा पढने में नहीं लागे दिल :- तो भैया आखिर माज़रा क्या है.... कोई गडबड तो नहीं!!

ठहर….ठहर….जाता कहाँ है :- सही है... गजब की पोस्ट पटक गये पद्म भैया....



तो भैया आज की वार्ता यहीं तक .... अन्त में कुछ पुरानी यादें भी कर ली जाएं तो फ़िर क्या बात हो .... बोलो है की नहीं तो फ़िर लीजिए कुछ पुरानी यादों के नशे में - जाड़े का मौसम :- भई वाह.... यादें और भी... मगर क्या करूँ हाय..कुछ कुछ होता है.. सही है भाई बहुत कुछ याद दिला गये गुरु आप तो....

तो भैया देव बाबा की एक और कविता जाते जाते... बोले तो चाय ज़िन्दाबाद.... वैसे चाय बहुत अच्छा माध्यम है प्रेम फ़ैलानें का... लोगों को एक साथ लानें का... तो बस....

वैसे चाय चाहे कैसी भी हो... चाहे कटिंग चाय हो...
या फिर दौ सौ रूपये एक कप वाली चाय हो....
अगर कोई मन से पिलाये तो फिर चाय की प्याली में
उमड़ आते हैं सारे भाव
उमड़ आते हैं सारे विचार
लोग पास आ जाते हैं
आपसी क्लेश मिट जाते हैं
तो फिर मेरे भाइयों
आओ मन की दूरियों को मिटाओ
आज ही शाम देव बाबा को
चाय पे बुलाओ.... और एक बढ़िया सी अदरक वाली चाय पिलाओ....

तो भाई कहिये कब आ जाऊं और स-पत्नीक प्रकट हो जाऊंगा।

जय हिन्द
देव कुमार झा

मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

सावधान गैस गीजर से -- क्या सिर्फ एक बाघ मरा है? -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

नमस्कार, वर्ष 2010 बीतने को है और 2011 गेट पर प्रवेश के लिए रेसल कर रहा है। बीते वर्ष ने हमें कई अनुभवों से नवाजा। जो आगामी 2011 में काम आने वाले हैं। बीते हुए समय से ही व्यक्ति सीखता है। साल का अंत होते होते  भारतीय रक्षा अनुसंधान केन्द्र के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम जी सेट 5पी का बाजा बज गया। यह आकाश में ही फ़ूट गया। वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की मेहनत से बनाया हुआ एक उपग्रह असमय काल के गाल में समा गया। प्रक्षेपण प्रणाली में खराबी बताई जा रही है। जनता की गाढी कमाई की व्यर्थ चली गयी। चलिए एक बार फ़िर सब्र कर लेते हैं। गिरते हैं शह-ए-सवार ही मैदान-ए-जंग में........। अब चलिए आज की ब्लॉग4वार्ता पर ललित शर्मा के साथ....

कूलदीप हैप्पी एक महत्वपूर्ण पोस्ट लेकर आए हैं सावधान! गैस गीजर बन सकता है मौत का कारण  सर्दीयों के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोगों द्वारा गर्म पानी के इस्तेमाल हेतु बाथरूम में लगे  गैस गीजरों व कोयले वाली अंगीठियों का प्रयोग घरों में आम ही किया जाता है। इन दिनों में हमारी छोटी सी लापरवाही किसी बड़ी घरेलू घटना को अंजाम दे सकती है। घरों में बाथरूम में लगे गैस गीजर या सर्दियों दौरान प्रयोग की जाने वाली कोयले की अंगीठियाँ लोगों की लापरवाही तथा अज्ञानता के कारण मौत का सामान बन सकती है।

बंद बाथरूमों में नहाने के लिये गर्म पानी इस्तेमाल हेतु जब इन गैस गीजरों का प्रयोग कर रहें होतें हैं तो इन गैस गीजरों के बर्नरों से पैदा हो रही आग के कारण आसीजन की खपत होती है तथा कार्बन डाईआक्‍साईड की मात्रा बढ़ जाती है। तंग जगह वाले बाथरूम जिनमें ताजी हवा आने जाने के प्रबंध न हो तो वहाँ जहरीली गैस कार्बन मोनोआक्‍साईड गैस पैदा होती है। कार्बन मोनोआक्‍साईड एक रंगहीन तथा गंदहीन गैस होने के साथ बेहद जहरीली गैस है, जो इंसान के लिये मौत का कारण बन सकती है। 

यह जहरीली गैस खून के अंदर आसीजन को पहुँचाने की समर्था को घटाती है और शरीर के अंदर विभिन्ना अंग आसीजन की कमी के कारण प्रभावित होतें हैं। दिल तथा दिमाग को जरूरत के अनुसार आसीजन न मिलने के कारण व्यक्ति अर्द्ध या गहरी बेहोशी (कोमा) में चला जाता है और अगर देर हो जाए तो व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। इस गैस के चढ़ने से व्यक्ति में कमजोरी, थकावट, सिर दर्द, धुंधला दिखना, चक्कर आना, दिमागी असंतुलन, छाती में दर्द, घबराहट होना, लड प्रैशर कम होना, सांस उखड़ना व उल्टी आदि लक्ष्ण पैदा होतें हैं। व्यक्ति बेहोश होकर गिर पड़ता है व सांस प्रणाली बंद हो जाने से मौत भी हो सकती है।

कुमारेंद्र सेंगर कह रहे है सुविधा शुल्क की विशेषता हमारे द्वारा पैदा की गई सर्वोत्तम व्यवस्था हैवर्ष 2010 भी बहुत तेजी के साथ प्रस्थान करने के मूड में दिख रहा है। इधर हम तैयारी कर रहे हैं वर्ष 2011 की। समय किस तेजी से निकल जा रहा है कि पता ही नहीं चल रहा है। लगता है कि जैसे अभी कल ही नई सदी का स्वाग...

लिमटि खरे,समीर लाल स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह “सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण ” से विभूषित हुए..वर्ष 2007 जब मैं अंतरजाल से जुडा तब लगा कि यहाँ भी लिखने वाले कमतर नहीं कम से कम अखबार और मीडिया के अन्य प्रकारों सामान  ही तो हैं तो क्यों न जबलपुर में हिन्दी ब्लागिंग का परचम विश्व में लहराने वालों को सम्मान दें हम बिना किसी हिचक के मान लिया मेरा प्रस्ताव जो 2008 के आयोजन में रखा था मैंने सारे साथीयों  की हरी झंडी मिलते ही भाई महेंद्र मिश्र को सम्मानित किया गया 2009 में . और इस बरस दो विकल्प थे हमारे पास लिमटि खरे जी और समीरलाल बस क्या था दौनों को समिति ने स्वीकारा लिमटि जी तो आल राउंडर ठहरे पत्रकार और ब्लॉगर दौनों सो एक नया सम्मान पारित हुआ. और प्रदान किया इन व्यक्तित्वों को ....!!

बवाल की पोस्ट : सम्मान समारोह, जबलपुर,और संदेशा पर संजू बाबा की पोस्ट  में विस्तार से जानकारी के अतिरिक्त आप को अवगत करा देना ज़रूरी है कि यह कार्यक्रम विगत 15 वर्षों से सतत जारी है . सम्मान देने की परम्परा  14 वर्षों से जारी है पूर्व के आलेखों में कतिपय स्थान पर 12 वर्ष मुद्रित हुआ था उसका मुझे व्यक्तिगत खेद है. जल्दबाजी में की गई गलती को सुधि पाठक क्षमा करेंगे.मामला केवल बुज़ुर्ग पीढ़ी के सम्मान का था.

ब्लॉग पढ़ने के लिए एग्रीगेटर तलाश रहे हैं आप? इधर देख लीजिएमेरे बहुत से मित्र ऐसे हैं जो ब्लॉगिंग नहीं करते लेकिन ब्लॉग पढ़ते ज़रूर हैं। उन्हें ब्लॉग पढ़ने का चस्का या तो मैंने लगाया या फिर समाचारपत्रों में ब्लॉग रचनाएँ देख हुया। आजकल कई मित्र परेशान हैं कि चर्चित एग्रीगेटर अपनी सेवायें नहीं दे रहें ब्लॉग कैसे पढ़ें?अब चालू भाषा में कहा जाए तो सब पकी-पकाई खीर खाना चाहते हैं। मैंने कई बार कहा कि आरएसएस रीडर जैसे उपाय अपना लें या काम के ब्लॉग तलाश कर पढ़ लें लेकिन उनके कानों पर जूँ नहीं रेंगती।

याज्ञबल्क्य कह रहे है अपनी बात अपनों से यह क्‍या है गूरू । यह वही है जो कि है, हम चले थे कि, देखें जरा क्रेडिबल छत्‍तीसगढ वाले रमण सिंह और सरदार मनमोहन इतना ही कहते रहते है चलें जरा देख लें कि, क्‍या जलवा जलाल है। टीव्‍ही अउ अखबार में अइसा अइसा जगमग छपता है कि, भई वाह। लेकिन ससूरा इहां सब गडबड हो गया है, देखे तो कचरा के ढेर में भारत का लाल मस्‍ितया के खेल रहा है, किरकिट विरकिट से कउनो मतलबै नई है न, जानबै नही करतैं है तो का कहिएगा। ये शहर का कचरा सेंटर है, पूरे शहर का कचरा नगर निगम मूस्‍तैदी से उठाता है अउ ऐंहींए डंप कर देता है।

राजकुमार सोनी भी एक गंभीर विषय पर लिख रहे हैं-क्या सिर्फ एक बाघ मरा है. छत्तीसगढ़ में कवर्धा से 80 किलोमीटर दूर पंडरिया के ग्राम अमनिया में जहां बाघ को मौत के घाट उतारा गया है वह इलाका अचानकमार व कान्हा नेशनल पार्क के गलियारे का जोड़ता है। पिछले दिनों जब वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक हुई थी तब इस क्षेत्र में मौजूद एक खदान से खनन किए जाने के प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया गया था।  हालांकि बोर्ड के दो सदस्यों ने इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया था।  सदस्यों के विरोध के बाद भी यहां खदान से खनन किए जाने की कार्रवाई को लेकर फाइल आगे बढ़ रही थी लेकिन बाघ की मौत ने माइनिंग लीज के प्रस्ताव पर फिलहाल  मिट्टी डाल दी है।  इधर इलाके में बाघों की मौजूदगी को नजरअंदाज करने वाले अफसरों की भी घिग्गी बंध गई है। 

कच्चे बखिए से रिश्ते (समापन किस्त )अपनी सहेली के पति को अपने कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर नियुक्त करवाने में सहायता करती है. कुछ ही दिनों बाद उसकी सहेली की मृत्यु हो जाती है और उसके पति वीरेंद्र, कॉलेज में ज्यादातर समय ,सरिता के 

चलते चलते व्यंग्य चित्र



अब चलते हैं पुन: नमस्कार, मिलते हैं ब्रेक के बाद। यहां भी यात्रा वृ्तांत पढ सकते है।

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

हम अपने भाग्‍य का दिया खाते हैं ._ बीस मिनट की योग श्रृंखला ..ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , एक एक कर सभी एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं , इससे पुराने ब्‍लोगरों को तो अधिक अंतर नहीं पड रहा है , पर नए ब्‍लोगरों को पाठकों की समस्‍या से जरूर जूझना पड रहा है। चिट्ठा जगत में तकनीकी गडबडी के बाद नए चिट्ठों की सूचना मिलनी भी बंद हो गयी है। इसके कारण ब्‍लॉग4वार्ता में भी नए चिट्ठों का स्‍वागत नहीं किया जा पा रहा है। दो तीन दिन पूर्व कुछ देर के लिए चिट्ठा जगत सक्रिय हुआ तो धडाधड महाराज ने धडाधड 10 , 11 ,12 और 13 दिसंबर को जुडे सारे नए चिट्ठों की लिस्‍ट भेज दी । लिंक के माध्‍यम से वह तो नहीं खुल सका , पर वेब पते की कॉपी कर खोलने में सफलता मिल गयी। ब्‍लॉग4वार्ता में इनमें से कुछ लिंक आपके लिए प्रस्‍तुत है  .....


जो रहे अविचल, 

संघर्ष किये,
जो अटल रहे इरादों पर, 
माँ से किये अपने वादों पर, 
लुटा दिए अपने तन मन,
करो उन्हें नमन|

विपदा की घडी को भाप गये,
उन्हें पता था जान की जोखिम 
फिर भी जिनके नम न हुए नयन,
सदा ही बढ़ते रहे कदम,
करो उन्हें नमन|


साल का बच्चा। जी हां, बालसाहित्याकाश का एक ऐसा सूरज जिसे हम दीनदयाल जी शर्मा के नाम से जानते हैं। श्री दीनदयाल जी जैसे सुप्रबुद्ध तथा सशक्त व्यक्तित्व के बारे में कुछ भी कहना या लिखना मेरे लिए बड़ा ही चुनौती भरा कार्य रहा है। क्योंकि मेरे पास इतने शब्द ही नहीं है जिनके द्वारा मैं अपने मनोभावों को व्यक्त कर सकूं। इसके अलावा मन एक और उलझन में फंस गया कि सर्वप्रथम कौनसी बात लिखूं, चयन नहीं कर पा रही हूं। मन के जितने भी भाव हैं, उन्हें सर्वप्रथम ही लिखना चाहती हूं और ऐसा संभव है नहीं।


बीत गया ये दिन भी यूहीं  ये रात भी यूहीं जाएगी....!

बस तेरे मेरे बीच की कुछ प्यारी बातें रह जाएँगी....!!

कल फिर सूरज निकलेगा कल फिर अमराई छाएगी....!
कल ख़ुशी मेरे दरवाजे पर दस्तक देने फिर आएगी....!!



ईश्वर

ईश्वर हुआ लापता
बुद्धु मुज़रिम और मक्कार
निकले ढूंढ़ने




2. कवि

कविता तो लिखता है
लेकिन फिर वह पागल जैसा
बेज़ा हँसता है

3. देशभक्त

देशभक्त बीमार
अमरीकी अस्पताल में
है मरने को तैयार
किसी जमाने में एक बहुत प्रतापी राजा था। उसकी सात पुत्रियां थी। राजा अपनी सभी पुत्रियों से समान प्यार व स्नेह करता था। साथ ही उन्हें किसी प्रकार की भी कोई कमी नहीं होने देता था। एक बार राजा ने सोचा मैं अपनी सभी पुत्रियों व कर्मचारियों को सारी सुख-सुविधा मुहैया कराता हूं , तथा वो सब करता हूं जिसकी जरुरत उन्हें होती हैं। तो क्यों न मैं उनसे इस संबंध में राय लूं कि क्या मैं जो तुम्हारे लिए सभी जरुरतों को समझकर उसे पूरा करता हूं। यह मेरे द्वारा किया गया है आप इस पर क्या प्रतिक्रिया रखते हैं? उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों से पूछा तथा अपने पुत्रियों की भी राय मांगी सभी ने इसका उत्तर अपने-अपने शब्दों में दिया, साथ ही कहा की यह तो आपकी ही कृपा है जो आज हम सभी इतने सुखी और संपन्न हैं। 

DDA   ने 2008 की  आवासीय योजना में400000 लोगों से लगभग ६००० करोड़ रूपये बतौर  पंजीकरण राशि  वसूले . ३ महीनों तक पैसा अपने अकाउंट में रखकर करोड़ों रुपये ब्याज के रूप में बिना कुछ लिए दिए प्राप्त किये . इस काम में अगर  किसी का फायदा हुआ तो वो थे- DDA और विभिन्न सरकारी- गैर सरकारी बैंक .दोनों ने मिलकर जमकर चाँदी काटी.
बेटा तू मुझे समझ ही नहीं पायीतेरे लिए तो मैं दुनिया से लड़ लेती,

तूने एक पल में हमे बेगाना कर दियापापा को भी रुला दिया मेरी गुडिया तूने,
पापा आज बेटी की विदाई से नहीं रोये पगलीपापा रो रहे थे अपनी लाडली की नादानी पर,
पापा रो रहे थे अपनी मज़बूरी परपापा रो रहे थे बेटा आपकी नासमझी पर,
बेटा आपने कभी कोशिश तो की होतीहमसे बात तो की होती,
आपने हमे अपना नहीं समझाबेटा आपने मेरा नेह भुला दिया,
पापा का प्यार भुला दियाहो सकता है आपने जिसके लिए ऐसा किया वो हमसे अच्छा हो,

बेमौसम बरसात के चलते प्याज की पैदावार में हुए नुकसान ने तो देश की आम जनता को रुला हीं दिया है।भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में प्याज के पैदावार के मामले में दूसरा स्थान रखता है। फिर भी देश में कई जगहों पर प्याज की कीमत 70-80 रुपये प्रतिकिलो हो गयी है। बाजार में बैठे लोगों की मानें तो आनेवाले दिनों में प्याज की कीमत 100 रुपये प्रतिकिलो तक हो जायेगी। ऐसे में यह कहना मुनासिब हीं होगा कि जो प्याज खुद के कटने पर लोगों की आँखों में आँसू ले आता था वह अब जनता की जेब काटकर उन्हें रुला रहा है।ऐसे में जनता जहाँ मंहगाई से पहले से हीं परेशान थी प्याज की इस भाव ने तो उनको अपनी जेब और हल्का करने पर मजबुर कर दिया है।

राजा महेन्द्र प्रताप एक सच्चे देशभक्त, क्रान्तिकारी, पत्रकार और समाज सुधारक थे ।उनका जन्म 1 दिसम्बर 1886 को मुरसान ( अलीगढ के पास, उत्तरप्रदेश मेँ) के राजा घनश्याम सिँह के घर मेँ हुआ । हाथरस के राजा हरनारायण सिँह ने कोई संतान न होने पर उन्हेँ गोद ले लिया । इस प्रकार महेन्द्र प्रताप मुरसान राज्य को छोडकर हाथरस राज्य के राजा बने । जिँद ( हरियाणा ) की राजकुमारी से उनका विवाह हुआ ।

राजा महेन्द्रप्रताप आर्यन पेशवा थे । उन्होँने अपनी आर्य परम्परा का निर्वाह करते हुए 32 वर्ष देश देश से बाहर रहकर, अंग्रेज सरकार को न केवल तरह - तरह से ललकारा बल्कि अफगानिस्तान मेँ बनाई अपनी आजाद हिन्द फौज द्वारा कबाइली इलाकोँ पर हमला करके कई इलाके अंग्रेजोँ से छिनकर अपने अधिकार मेँ ले लिये थे और ब्रिटिस सरकार को क्रान्तिकारियोँ की शक्ति का अहसास करा दिया था ।


योगासन, प्राणायाम और ध्यान के कई प्रकार होते हैं। उनमें से कुछ का चयन कर यहाँ उन्हें एक शृँखला के रुप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
      चयन करते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि जब एक आसन में हम आगे झुकें, तो अगले आसन में हमें पीछे झुकना पड़े।
      योग का अभ्यास हमें सुबह स्नान के बाद, नाश्ते से पहले करना चाहिए।
      फर्श पर मोटी दरी या कम्बल बिछाकर अभ्यास करना उचित है।
      इस शृँखला का अभ्यास करने में हमें लगभग 20 मिनट का समय लगेगा- अर्थात् प्रति आसन एक मिनट। घड़ी देखने की जरूरत नहीं, मन में 100 तक की गिनती को हम एक मिनट मान सकते हैं।

चाहे बात व्यक्तिगत हो या फिर समाज की, प्रश्नों के उत्तर नहीं ढुंढता तो इंसान गुफा युग में ही रहता या शायद और पीछे अनस्तित्व की ओर चला जाता। झारखंड में सबसे बड़ा और मुश्किल सवाल क्या है ? यही ना कि जनता दस साल से झारखंड में राज्य गठन के अच्छे नतीजों का इंतजार कर रही है और स्थिति बद से बदतर क्यों होती जा रही है ? नए राज्य के औचित्य पर लगा ये प्रश्नचिह्न दस साल से पलता-बढ़ता और मुश्किल होता आ रहा है।

आधुनिक लोकतंत्र की पृष्ठभूमि में संघीय राष्ट्र भारत, अपने समाजवादी, धर्मनिर्पेक्ष और लोककल्याणकारी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, राज्य को जो शक्तियां देता है, झारखंड के दस साल उसके दुरुपयोग की कहानी हैं। 



30 अक्तूबर को विदेश-प्रवास से घर वापस लौटते ही बड़ा सुकून महसूस हुआ। शरीर को हवा में घुली हल्की-सी ठंड की सिहरन का अनुभव हुआ। दीपावली का त्यौहार कुछ दिन पहले जा चुका है लेकिन दीपावली के निशान अभी भी आस-पास देखे जा सकते हैं। अधिकतर घरों को नए रंग-रोगन से सजाया गया है। शाम ढले अभी भी इक्की-दुक्की अतिशबाज़ी आसमान को रौशन कर देती है। घरों में बिजली के बल्बों की लड़ियाँ, कंदीलें और वंदनवार इत्यादि से की गयी सजावट अभी भी बाकी है।
दिल्ली शहर की सर्दियाँ बहुत सुखकर होती हैं। तापमान ना बहुत कम होता है और ना बहुत ज़्यादा। अधिकांश दिनों में सूर्य अपनी सुहावनी धूप बिखेरता है। धूप में बैठ कर कोई किताब पढ़्ते हुए गाजर, मूंगफ़ली और अमरूद खाने का आनंद किसी समुद्र किनारे धूप सेकने से कम नहीं है (ये और बात है कि समुद्री किनारे पर धूप सेकने को अच्छी छुट्टियों का एक फ़ैशनेबल प्रतीक मान लिया गया है)। ब्रिटेन में मैनें शायद ही कभी उगता सूरज देखा हो। वहाँ ज़िन्दगी प्रकृति से काफ़ी कटी-कटी रहती है। 



अब विदा लेती हूं ... मिलती हूं एक ब्रेक के बाद ......

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