प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
बांकेबिहारी का विहार
( आलेख :- डॉ. अतुल टण्डन )
वृंदावन श्यामा जू और श्रीकुंजविहारी का निज धाम है। यहां राधा-कृष्ण की प्रेमरस-धारा बहती रहती है। मान्यता है कि चिरयुवा प्रिय-प्रियतम श्रीधाम वृंदावन में सदैव विहार में संलग्न रहते है। यहां निधिवन को समस्त वनों का राजा माना गया है, इसलिए इनको 'श्रीनिधि वनराज' कहा जाता है। पंद्रहवीं शताब्दी में सखी-संप्रदाय के प्रवर्तक संगीत सम्राट तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जब वृंदावन आए, तब उन्होंने निधिवन को अपनी साधनास्थली बनाया।
किंवदंती है कि स्वामी हरिदास निधिवन में कुंजबिहारी को अपने संगीत से रिझाते हुए जब तानपूरे पर राग छेड़ते थे, तब राधा-कृष्ण प्रसन्न होकर रास रचाने लग जाते थे। यह रास-लीला उनके शिष्यों को नहीं दिखती थी। विहार पंचमी को लेकर कथा है कि अपने भतीजे और परमप्रिय शिष्य वीठल विपुलजी के अनुरोध पर उनके जन्मदिवस मार्गशीर्ष-शुक्ल-पंचमी के दिन स्वामी जी ने जैसे ही तान छेड़ी, वैसे ही श्यामा-श्याम अवतरित हो गए। स्वामीजी ने राधा जी से प्रार्थना की वे कुंजविहारी में ऐसे समा जाएं, जैसे बादल में बिजली। स्वामी जी के आग्रह पर प्रियाजी अपने प्रियतम में समाहित हो गई। इस प्रकार युगल सरकार की सम्मिलित छवि बांकेबिहारी के रूप में मूर्तिमान हो गई और अगहन सुदी पंचमी 'विहार पंचमी' के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
इस बार यह 10 दिसंबर को है यानी कि आज !
कहा जाता है कि स्वामी हरिदास ने अपने जीवनकाल में ही अपने भाई स्वामी जगन्नाथजी को दीक्षा देकर श्रीविहारीजी की सेवा सौंप दी थी। ये श्रीनिधिवनराज में ही रहते थे, लेकिन उनके वंशजों ने वर्तमान बिहारीपुरा नामक स्थान पर एक मंदिर बनाकर उसमें श्रीबांकेबिहारी को स्थानांतरित किया। ऐसा सुना जाता है कि विक्रम संवत् 1779 (सन् 1722 ई.) के लगभग उसका पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर का वर्तमान स्वरूप सन् 1864 ई. में तैयार हुआ था।
निधिवन में श्यामा-श्यामसुंदर के नित्य विहार के विषय में स्वामी हरिदासजी द्वारा रचित काव्य ग्रंथ 'केलिमाल' पर्याप्त प्रकाश डालता है। 110 पदों वाला यह काव्य वस्तुत: स्वामीजी के द्वारा समय-समय पर गाये गए ध्रुपदों का संकलन है, जिनमें कुंजबिहारी के नित्य विहार का अतिसूक्ष्म एवं गूढ़ भावांकन है।
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ब्लॉग 4 वार्ता के इस मंच से अब हम सब राधे राधे जपते हुए चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ....
सादर आपका
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खबरदार ! अब सब ठीक है , चिट्ठाजगत में ...तो बामुलाहिजा ..होसियार खबरदार ..धडाधड महाराज लौट आए हैं ... :-
खुशामदीद !
खुशामदीद !
ऋतु परिवर्तन ..... :- हो रहा है जोरो से !
मेरे बैचैन दिल में दर्द की एक लहर मचल जाती है..... :- दवा तो पता है ना ... ऐसे में कौन सी ली जाती है ?
कपोत पलटदास ब्लॉग अवतारी :- हमको लगी पोस्ट यह भारी !
ऐसे जीते जाते हैं चुनाव (कार्टून धमाका) :- कैसे ?
B.S.N.L. मेहरबान तो ब्लागिंग पहलवान। :- सत्य वचन महाराज !
साल भर पहले यही भ्रष्ट्राचार ताकत थी :- किस की ?
धारावाहिकों का सफरनामा :- कहाँ से कहाँ तक ?
सौतेली...अनचाहा गर्भ ....और ..परिवर्तन .. :- तीनो एक जगह !!??
मै लौटना चाहता हूँ :- कहाँ ?
वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लोगिंग के सुखद पहलू :- भाई वाह !
अमरेन्द्र को पढना और समझना - सतीश सक्सेना :- आपने शुरू किया क्या ?
क्या सन्देश दे रही हैं आज के टीव्ही कार्यक्रम हमें? :- आपकी तमीज मेरी तमीज से बेहतर कैसे ?
अब सदायें आसमां के पार नहीं जातीं :- नेटवर्क की समस्या होगी !
"गिलहरी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") :- कितनी भोली !!
बच्चों का व्यवहार बदलते विज्ञापन....! :- कितने सही कितने गलत ??
पहाड़ी ओहदे.. :- पर कौन है ??
दिल्ली मेट्रो: स्वर्ग भी, नरक भी :- एक के साथ एक मुफ्त ... मुफ्त ... मुफ्त !!
अनुरागी मन - कहानी भाग ८ :- कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त !
कौन अमीर, कौन गरीब...खुशदीप :- आप और हम !
कैसा रहेगा आपके लिए 9 और 10 और 11 दिसंबर का दिन ?? :- आप बताएं !
कार्य कारण / कारण और प्रभाव व चूड़ीदार पाजामा........घुघूती बासूती :- अरे यह क्या है हंगामा !
अहसास ! :- किस को ....किस बात का ?
माटी का मोल । :- अनमोल !!
तुझे सब है पता.... है ना माँ ! :- मेरी माँ !!
है आज समय जागने का, सो रहे हो आज क्यूँ? :- आदत जो पड़ गई है !
कोइ तो मदद करेगा ही... :- अरे क्या हो गया ?
परावाणी:The Eternal Poetry: जब जब शासक,खल के समक्ष झुकता है -- :- तो क्या होता है ?
स्पर्धा क्रमांक 4 के विजेता कवि अनिल मानधनिया संग दमण में रमण का आनन्द ले कर लौट आया हूँ :- गनीमत है !
लीजिये अब एक बेहद जरूरी और काम की पोस्ट की ओर लिए चलता हूँ ...
ब्लॉग गायब हो रहे हैं, सावधानी बरतें : फिर मत कहियेगा खबर न हुई :- आभार खबर के लिए !
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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
22 टिप्पणियाँ:
Shivam ji,
Bahut hi acchi rahi aaj ki bhi varta..
hriday se dhanywaad..!
शुभ प्रभात शिवम् दादा !
सुबह सुबह आपसे शुरू कर रहा हूँ ...यार ब्लागिंग की लत छुटाने का उपाय बताओ न ...
क्या सन्देश दे रही हैं आज के टीव्ही कार्यक्रम हमें? :- आपकी तमीज मेरी तमीज से बेहतर कैसे?
सही है
अच्छी वार्ता शिवम जी .. बहुत बढिया लिंक्स उपलब्ध कराए .. और आपकी टिप्पणियों का तो जबाब नहीं !!
बहुत बढिया लिंक्स...
बहुत अच्छे लिनक्स दिए हैं आपने.....
मुझे जगह देने के लिए धन्यवाद
आज की वार्ता में बहुत अच्छे लिंक मिले!
@ सतीश सक्सेना
ब्लॉगिंग की लत छुड़ाने का कारगर उपाय
जिससे लत तो छूटे ही
परोपकार भी हो जाये
तो तुरंत ही
अपना कंप्यूटर, लैपटाप, नेटबुक
जो भी आप करते हैं इस्तेमाल
ब्लॉगिंग का नशा चढ़ाने के लिए
उसे दान कर दें
दान स्वीकार रहे हैं आजकल हम
छूट जाएगी ब्लॉगिंग
इस सलाह/मशविरा के शुल्क भी
आपसे नहीं लिए जाएंगे
तो बतलायें
आप कब आ रहे हैं
आप परोपकार करने।
राधे राधे
ब्लॉगिंग देवता ऐसी सद्बुद्धि
लती ब्लॉगरों को प्रदान करें
राधे राधे
बहुत बढ़िया वार्ता ...
सभी ब्लॉग छांट- छांट कर लगाये हैं .....
और इन पर आपकी टिप्पणियाँ भी गजब हैं ....
.
@ मेरे बैचैन दिल में दर्द की एक लहर मचल जाती है..... :- दवा तो पता है ना ... ऐसे में कौन सी ली जाती है ?
@ अमरेन्द्र को पढना और समझना - सतीश सक्सेना :- आपने शुरू किया क्या ?
@ क्या सन्देश दे रही हैं आज के टीव्ही कार्यक्रम हमें? :- आपकी तमीज मेरी तमीज से बेहतर कैसे ?
@ दिल्ली मेट्रो: स्वर्ग भी, नरक भी :- एक के साथ एक मुफ्त ... मुफ्त ... मुफ्त !!
क्या बात है .....बहुत खूब .....!!
काफी अच्छे लिंक्स मिले आज ..बढ़िया वार्ता.
बहुत बढ़िया वार्ता शिवमजी, साथ ही बांके विहारी की जय भी !
बहुत बढ़िया शिवम भाई... हमेशा की ही तरह बेहतरीन वार्ता... आप सभी की लगन और मेहनत को सलाम!
काफी अच्छे लिंक्स,बेहतरीन वार्ता...
बहुत बढ़िया रही ये चर्चा भी ।
शिवम भाई, सही कहा आपने, ये टीवी वाले तो टीआरपी के लिए नंगा नाच करने पर उतारू हो गये हैं। अब इनका इलाज किया जाना चाहिए।
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त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
राधे राधे
आप सब का बहुत बहुत आभार !
अरे वाह , शिवम भाई अब तो एक आदत सी बनती जा रही है वार्ता की आपका ये श्रम साध्य दुरूह कार्य के प्रति आपकी निष्ठा और मेहनत को पूरा ब्लॉगजगत सलाम करता है । अथक शुभकामनाएं भाई
अति सुंदर चर्चा जी, धन्यवाद
मुंबई लोकल ट्रेन मैं देखें इंसानों के कई चेहरे एक साथ [18
जलेबी अगर ये समझे कि उससे ज़्यादा सीधा और कोई नहीं, तो समझती रहे
वार्ता अच्छी लगी।
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