बकौल ललित तथा कल प्रकाशित यात्रा विवरण अनुसार इन्दु जी के बेटे की शादी में ऐसेईच्च कई सारे फ़ोटू बने थे लगे "वहां और भी ब्लागर्स का इंतजार था, जिनके चित्रों के साथ कमरे बुक थे। समीर दादा, महफ़ूज, सतीश सक्सेना, इत्यादि के लिए भी। एक फ़्लैट ब्लागर हाऊस ही बना रखा था और सजावट देख कर तो कई रिश्तेदारों के सीने पर सांप लोट गए होगें। उन्होने भी सोचा होगा कि ये ब्लागर क्या बला है भाई, क्या रिश्ते-नातेदारों से भी बढकर हो गए? हा हा हा ऐसा ही कुछ था, जो मुझे महसूस हुआ। लेकिन हमारी तो चूल्हे तक पहुंच थी। इसलिए नो टेंशन। शादी के घर में 11 बजे तक तो यूं ही गप्पें मारते रहे जैसे कि किसी को कोई चिंता ही नही है और शाम को शादी है। बस बिंदास बोल हा हा हा। ठहाके ब्लॉगर हाऊस की छत से टकरा कर फ़र्श पर गिरते रहे। ढेर लग गया ठहाकों का। सिर्फ़ ठहाके ही ठहाके गुंजते रहे। शादी के बाद सभी को सीख में ठहाकों का वितरण किया जाएगा ऐसा लग गया था। हा हा हा(आगे इधर से )"
कुछ दिनों तक थके मांदे एग्रीगेटर पर उठ रहे सवालात होंगे फ़िर सब खत्म, सिर्फ बातें ही रह जाएगी. हम वाकई केवल बैसाखियों पर चलने के आदी न रहें यदि एग्रीगेटर न हो भी आप को कोई समस्या पेश न आयेगी यदी आप दमदार लेखक है कवि हैं. साहित्यकार हैं. तुलसी,कबीर,नानक,मीरा, ग़ालिब,मीर,किसे एग्रीगेटर्स ने आगे बढ़ाया. एक कहानी हीर रांझा वाली पंजाब से आती है विश्व भर में छा जाती है. सूरा तो दफ़न हो जाता, अगर एग्रीगेटर न होते तो..? फ़िर भी विकास से जनित सुविधाओं ने हमको अपाहिज बना दिया है -मित्रो, यह सोच ही गलत है- बस हमेशा विकल्पों पर ध्यान दीजिये. विकल्प क्या हैं देखिये एक ये ज्ञानदत्त पांडे जी ने हिंट दिया. वैसे हम लोग मै समीर जी, ललित जी सब इस बारे में चर्चा कर चुके थे. खैर आपको रफ़्तार के बारे में पता है न तो देखिये हम कितने लिंक ले आये है आज़ उधर से ही अविनाश जी का अभिमत देखिये नुक्कड़ पे तो हैलू मिथला मुझे मिल ही गया, उधर महाशक्ति ने एक शक्तिप्रदर्शन कर ही दिया, वंदना गुप्ता जी भी उम्दा कविता लें आईं एक प्रयास पर कहीं खुशदीप भी अमीर-गरीब की बात बता रहे हैं. बकौल फ़िरदौस दर्द तो मर्दों को भी होता है...फ़िरदौस ख़ान केवल राम जी चलते-चलते पर लिख रहे हैं :-एक दिन जिन्दगी हमसे यूँ ही रूठ जाएगी. मुन्नी के बाद शीला को दिन भर सुना जाता है भड़ास पर पठन योग्य आलेख है. जबकि दिव्या जी शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहतीं हैं.
सुना है :- समीर लाल ने पोस्ट लिखनी बंद कर दी ?
"अंय किसने कहा ?"
"कोई कह रहा था..?" किधर ? पान की दुकान पर और कहां ?
आप ही देखिये "पूर्णविराम"
मास्को की यात्रा पर चलिये शिखा जी के साथ और सुनना भूलिये मत गीत भी जो गाया है अर्चना चावजी ने
17 टिप्पणियाँ:
राज भाटिय़ा, December 9, 2010 2:38 AM
बहुत सुंदर जी धन्यवाद
वार्ता पर आज़ की पोस्ट पर की गई आंशिक तब्दीली की वज़ह से कुछ विकृति आ गई थी अत: पुनरीक्षित पोस्ट प्रस्तुत है राज भाटिया जी के कमेंट के साथ
इस पोस्ट के बाद रफ्तार की रेटिंग तो ज़रूर बढ गयी होगी।
आज की बार्ता निसंदेह बहुत उपयोगी लिंक्स के साथ बड़ी मेहनत के साथ प्रस्तुत की गयी है ...शुक्रिया
aapki mehnat saaf dikh rahi hai is charcha mein
आज तो हैडिंग के साथ चौंका दिया आपने ...अगर यह सच है तो उड़नतश्तरी मुझे चाहिए गिरीश भाई ....इसमें मदद करो न ...
हार्दिक शुभकामनायें !
रफ्तार खुल नही रहा। धन्यवाद।
बढिया है अफसाना।
वाह... बहुत खूब... अब तो रेटिंग बड़े बिना खुद नहीं रह पाएगी...
सतीष भैया उड़न ०२ बनाई जावे..!!
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
उम्दा ब्लॉग वार्ता ... गिरीश दादा बहुत बहुत आभार !
बहुत बढिया वार्ता .. शीर्षक देखकर मैं भी चौंक गयी !!
सुंदर वार्ता...धन्यवाद...
बहुत सारे लिंक्स मिले आभार.
नहीं समझ आया
बाद में आता हूं दोबारा पढ़ने
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।