गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

सुना है -समीर लाल ने ब्लागिंग छोड़ी !! एग्रीगेटर बिना कसमसाहट क्यों..?


https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhgJKd0P-sNWPKE-1yPTsnTaA6mB7VXTKTKACB97pRp4nvUzoLhneOWqnCkvUuoVGu_xrj_0kV0b376no8vj-MvYSImoC_xGNom03DSryvbM5wnsS2N1njdZ1uhaxPbgWS3etkbzs55Q0A/s1600/25pf-1.JPG बकौल ललित तथा कल प्रकाशित  यात्रा विवरण अनुसार इन्दु जी के बेटे की शादी में ऐसेईच्च कई  सारे फ़ोटू बने थे लगे "वहां और भी ब्लागर्स का इंतजार था, जिनके चित्रों के साथ कमरे बुक थे। समीर  दादा, महफ़ूज, सतीश सक्सेना, इत्यादि के लिए भी। एक फ़्लैट ब्लागर हाऊस ही  बना रखा था और सजावट देख कर तो कई रिश्तेदारों के सीने पर सांप लोट गए  होगें। उन्होने भी सोचा होगा कि ये ब्लागर क्या बला है भाई, क्या  रिश्ते-नातेदारों से भी बढकर हो गए? हा हा हा ऐसा ही कुछ था, जो मुझे महसूस  हुआ। लेकिन हमारी तो चूल्हे तक पहुंच थी। इसलिए नो टेंशन। शादी के घर में  11 बजे तक तो यूं ही गप्पें मारते रहे जैसे कि किसी को कोई चिंता ही नही है  और शाम को शादी है। बस बिंदास बोल हा हा हा। ठहाके ब्लॉगर हाऊस की छत से  टकरा कर फ़र्श पर गिरते रहे। ढेर लग गया ठहाकों का। सिर्फ़ ठहाके ही ठहाके  गुंजते रहे। शादी के बाद सभी को सीख में ठहाकों का वितरण किया जाएगा ऐसा लग  गया था। हा हा हा(आगे इधर से )"
                   कुछ दिनों तक थके मांदे एग्रीगेटर पर उठ रहे सवालात होंगे  फ़िर सब खत्म, सिर्फ बातें ही रह जाएगी. हम वाकई केवल बैसाखियों पर चलने के आदी न  रहें यदि एग्रीगेटर न हो भी आप को कोई समस्या पेश न आयेगी यदी आप दमदार  लेखक है कवि हैं. साहित्यकार हैं. तुलसी,कबीर,नानक,मीरा, ग़ालिब,मीर,किसे  एग्रीगेटर्स ने आगे बढ़ाया. एक कहानी हीर रांझा वाली पंजाब से आती है विश्व  भर में छा जाती है. सूरा तो दफ़न हो जाता, अगर एग्रीगेटर न होते तो..? फ़िर  भी विकास से जनित सुविधाओं ने हमको अपाहिज बना दिया है -मित्रो, यह सोच ही  गलत है- बस हमेशा विकल्पों पर ध्यान दीजिये.  विकल्प क्या हैं देखिये एक ये  ज्ञानदत्त पांडे जी ने हिंट दिया. वैसे  हम लोग मै समीर जी, ललित जी सब इस बारे में चर्चा कर चुके थे. खैर आपको  रफ़्तार के बारे में पता है न तो देखिये हम कितने लिंक ले आये है आज़ उधर से  ही अविनाश जी का अभिमत देखिये  नुक्कड़ पे तो हैलू मिथला मुझे मिल ही गया, उधर महाशक्ति ने एक शक्तिप्रदर्शन कर ही दिया, वंदना गुप्ता जी भी उम्दा कविता लें आईं एक प्रयास पर  कहीं खुशदीप भी अमीर-गरीब की बात बता रहे हैं. बकौल फ़िरदौस दर्द तो मर्दों को भी होता है...फ़िरदौस ख़ान केवल राम जी चलते-चलते पर लिख रहे हैं :-एक दिन जिन्दगी हमसे यूँ ही रूठ जाएगी. मुन्नी के बाद शीला को दिन भर सुना जाता है भड़ास पर पठन योग्य आलेख है. जबकि दिव्या जी शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहतीं हैं.
रफ़्तार
सुना है :- समीर लाल ने पोस्ट लिखनी बंद कर दी ?
 "अंय किसने कहा ?"
  "कोई कह रहा था..?"
 किधर ? पान की दुकान पर और कहां ?
    आप ही देखिये "पूर्णविराम
                                                                                                                                                                                                                                                                                 
रफ़्तार   से साभार
                                   
1सीता की दुविधा रामकथा का नया रूप
2जाऊं तो जाऊं कहाँ समापन
3भारतीय की हुई ईस्ट इंडिया कंपनी
4एक श्रद्धांजलि उस वीर वीरांगना मर्दानी को-रानी लक्ष्मीबाई
5जूनियर ब्लॉगर एसोशिएशन की ब्लॉग निगरानी समिति का गठन
6एक साथ कई काम कहीं आप बीमार तो नहीं
7कब तक खून चूसेंगे परदेसी और परजीवी
8दोस्तों के बारे में
9जय बोलो बाबा केदारनाथ और बद्री विशाल की
10जनगणना में धर्म शामिल करने की माँग साम्प्रदायिकता
11ऐसे नचनियाये पिल्‍लाये समय में
12तेरा ख्याल और फ़िर वही सवाल
13आज मेरी शादी की सालगिरह है .बधाइयां स्वीकार की जायेंगी
14मैं अकेला हो गया हूँ
15पंजाब के बच्चों के बालों में यूरेनियम
16रचना भी एक साधना
17कार्टून शुक्र है अर्जुनसिंह और राजीव गाँधी ने २०-२५
18अभी और होंगे बहुत से भोपाल
19दाम्पत्य जीवन में दरार और मनोग्रंथियाँ
20पुरुषनिर्मित सौन्दर्यकसौटी पर ही खुद को तोलती है औरतें
21आमची कुठेही शाखा नाही
22घर मेरा इतिहास होगा
23धूप कणी मुक्तक शशि पाधा
24बूढ़ा जीवन रीता रीता पर न जाने कब मैं मुक्ति पाऊंगा
25राजेंद्र जी का हीर को तोहफा
26महारानी के महा बलिदान दिवस पर विशेष
27ऐटीत जावे आय.टी सी
28शामरंगी रंगली ती शुद्ध हे किटाळ आहे
29पानी में डूबे वेनिस को महसूस करें सतीश सक्सेना
30निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने की करोड़ों रुपए की घोटाला
31अमिता कौंडल की कविता औद्योगीकरण का दानव
32दो जून की रोटी को मोहताज सांस्कृतिक दूत ये सपेरे
33किसने रोका अखबारों में खबर छपने से
कुल पन्ने : 1  2  3  4  5  6  7  8  9  10  11  12  13  14  15  16  17  18  19  20  तक

17 टिप्पणियाँ:

राज भाटिय़ा, December 9, 2010 2:38 AM

बहुत सुंदर जी धन्यवाद

वार्ता पर आज़ की पोस्ट पर की गई आंशिक तब्दीली की वज़ह से कुछ विकृति आ गई थी अत: पुनरीक्षित पोस्ट प्रस्तुत है राज भाटिया जी के कमेंट के साथ

इस पोस्ट के बाद रफ्तार की रेटिंग तो ज़रूर बढ गयी होगी।

आज की बार्ता निसंदेह बहुत उपयोगी लिंक्स के साथ बड़ी मेहनत के साथ प्रस्तुत की गयी है ...शुक्रिया

aapki mehnat saaf dikh rahi hai is charcha mein

आज तो हैडिंग के साथ चौंका दिया आपने ...अगर यह सच है तो उड़नतश्तरी मुझे चाहिए गिरीश भाई ....इसमें मदद करो न ...
हार्दिक शुभकामनायें !

रफ्तार खुल नही रहा। धन्यवाद।

वाह... बहुत खूब... अब तो रेटिंग बड़े बिना खुद नहीं रह पाएगी...

सतीष भैया उड़न ०२ बनाई जावे..!!

बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है
बढिया है

उम्दा ब्लॉग वार्ता ... गिरीश दादा बहुत बहुत आभार !

बहुत बढिया वार्ता .. शीर्षक देखकर मैं भी चौंक गयी !!

सुंदर वार्ता...धन्यवाद...

बहुत सारे लिंक्स मिले आभार.

नहीं समझ आया
बाद में आता हूं दोबारा पढ़ने

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