शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

एग्रीगेटर गुम हुए , पढना हुआ भारी ..लो झाजी लेकर आए अपनी रेलगाडी



जी हां साल बीतते बीतते ..बिल्कुल ही बीत जाने पर तुला हुआ है ...जाने दीजीए भाई ..हमें साल की कमी थोडी है ..एक डंडा लगा देंगे ..अगले 365 दिन अपने ..हा हा हा । अब ये तो सबको पता चल ही गया है कि फ़िलहाल जो लिखाई पढाई चल रही है वो तो बस लिंक की इंक पकड के सब पहुंच रहे हैं तो लीजीए हम ले आए हैं आपके लिए पटरियां और रेलगाडी दोनों ही


सर्दियों में बचकर रहिए , न पेले जाओ दंड,
अनवरत पर लग रही है देखिएकिसको ठंड ॥

अब आप पहुंचिए इस पोस्ट के समीप,
देखिए देशनामा पर रहस्य कौन सा खोल रहे खुशदीप ॥

औरत मर्द एक समान सब समझाते रोज ,
लेकिन अब भी कईयों को बेटियां लगतीं बोझ ॥

पूछ रहे हैं त्रिपुरारी, कैसे कर पाओगे प्यार,
अरे भाई जानना है , तो यहां पहुंचें सरकार

निजता का उल्लंघन करते हैं सिर्फ़ एक दिन ,
इस पोस्ट को रह न सका यहां लाए बिन ॥

इस पोस्ट पर देखिए कौन सी हो रही है नई बात ,
मैंने तो देख ली आप खुद देखें हज़रात ॥

कर्मनाशा पर पढिए दो कविताएं बेहतरीन,
तृप्त हुए बिन न रह पाएगी, श्ब्दों की प्यासी मीन ॥

पल्लावी जी ने फ़िर से आज लिखा है कुछ खास ,
देखिए उनके ब्लॉग पर इक प्यारा सा एहसास ॥

बेज़बान ने कह डाला कौन सा समाज को है रोग ,

झूठी शान की धौंस जमाते समाज के हलके लोग


इस पईसे के पीछे भागती दुनिया ने क्या बना लिया अपना हाल ॥


चलिए अब बहुत हुई पढिए लिखाई , अब सेहत का रखिए ख्याल,





आज देखने चलते हैं वैलंकानी गिरिजाघर ॥



कह रही हैं रंजना सिंह लो बीत गया ये साल ,




कुछ कहना हो तो यूं ही ऐसे कुछ खूब कहे,




आजकल आ रहे हैं मजे , पूजा ने फ़रमाया है ,





प्रतिभा जी की इस पोस्ट के बात बहुत बडी है ॥




तो सभी ब्लॉगर्स अब पत्रकार, लेखक बनने को हो जाएं तैयार ॥



कागज मेरा मीत और , कलम मेरी सहेली है ,




अब एक हमारी भी झेलिए ..हो सके तो साथी बनिए


और देखिए कि खुद हमारी कविताई कितने जोश में है ,



तो आप सबको आने वाले वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं जी

22 टिप्पणियाँ:

बहुत अच्‍छी वार्ता ल्रगायी है आपने .. पर अधिकांश पोस्‍टों के लिंक नहीं बन पाए है !!

अच्‍छी वार्ता ल्रगायी है

संगीत जी ,
सेटिंग्स का मुझे पता नहीं , मगर लिंक तो हर पोस्ट की लगी हुई है नीचे की दूसरी पटरी ही तो लिंक है , पहली पटरी तो सिर्फ़ उसका साथ देने के लिए बिछाई गई हैं । सेटिंग तो शिवम भाई या ललित भाई ही ठीक कर पाएंगे

अब तो अपनी चवन्नी भी चलना बंद हो गयी यार
दोस्तों पहले कोटा में ही किया पुरे देश में अपनी चवन्नी चलती थी क्या अपुन की हाँ अपुन की चवन्नी चलती थी ,चवन्नी मतलब कानूनी रिकोर्ड में चलती थी लेकिन कभी दुकानों पर नहीं चली , चवन्नी यानी शिला की जवानी और मुन्नी बदनाम हो गयी की तरह बहुत बहुत खास बात थी और चवन्नी को बहुत इम्पोर्टेंट माना जाता था इसीलियें कहा जाता था के अपनी तो चवन्नी चल रही हे ।
लेकिन दोस्तों सरकार को अपनी चवन्नी चलना रास नहीं आया और इस बेदर्द सरकार ने सरकार के कानून याने इंडियन कोइनेज एक्ट से चवन्नी नाम का शब्द ही हटा दिया ३० जून २०११ से अपनी तो क्या सभी की चवन्नी चलना बंद हो जाएगी और जनाब अब सरकरी आंकड़ों में कोई भी हिसाब चवन्नी से नहीं होगा चवन्नी जिसे सवाया भी कहते हें जो एक रूपये के साथ जुड़ने के बाद उस रूपये का वजन बढ़ा देती थी , दोस्तों हकीकत तो यह हे के अपनी तो चवन्नी ही क्या अठन्नी भी नहीं चल रही हे फिर इस अठन्नी को सरकार कानून में क्यूँ ढो रही हे जनता और खुद को क्यूँ धोखा दे रही हे समझ की बात नहीं हे खेर इस २०१० में नही अपनी चवन्नी बंद होने का फरमान जारी हुआ हे जिसकी क्रियान्विति नये साल ३०११ में ३० जून से होना हे इसलियें नये साल में पुरे आधा साल यानि जून तक तो अपुन की चवन्नी चलेगी ही इसलियें दोस्तों नया साल बहुत बहुत मुबारक हो ।
नये साल में मेरे दोस्तों मेरी भाईयों
मेरे बुजुर्गों सभी को इज्जत मिले
सभी को धन मिले ,दोलत मिले ,इज्जत मिले
खुदा आपको इतना ताकतवर बनाये
के लोगों के हर काम आपके जरिये हों
आपको शोहरत मिले
लम्बी उम्र मिले सह्तयाबी हो
सुकून मिले सभी ख्वाहिशें पूरी हो
जो चाहो वोह मिले
और आप हम सब मिलकर
किताबों में लिखे
मेरे भारत महान के कथन को
हकीकत में पूरा करें इसी दुआ और इसी उम्मीद के साथ
आप सभी को नया साल मुबारक हो ॥ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुंदर प्रयास! इसे विकसित करें।

अजय भाई ,

बढ़िया रेल चलाई है आज आपने ... बस रफ़्तार अभी थोड़ी धीमी है ... दिन निकलने दीजिये ... कोहरा हटेगा वैसे ही आप भी रफ़्तार पकड़ लेना !

मेरे डिब्बे को इस रेल में जोड़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

अख्तर खान अकेला जी ..मित्र आपकी पोस्ट अच्छी लगी और देखिए चर्चा का हिस्सा भी बन गई ..यदि सब यूं ही पोस्ट यहीं लगा दें टिप्पणी में तो फ़िर तो कमाल की वार्ता हो जाएगी ...हा हा हा हा

हैप्पी न्यू ईयर ...जी

भईया जी इश्माईल

संगीता दी ,

प्रणाम !

मैंने देख लिया है सभी लिंक्स काम कर रहे है ... दरअसल आज अजय भाई बहुत दिनों के बाद २ लाईना ले कर आये है ... और हम सब को एक लाईना की आदत पड़ी हुयी है ! ;-)

शिंवम जी और अजय जी ..
समस्‍या क्‍या है नहीं बता सकती .. पर मै किसी लिंक को खोल रही हूं तो लिंक के एड्रेस के साथ अंत में http:// भी आ रहा है .. जिसके कारण पोस्‍ट नहीं खुल पा रही है !!

दिलचस्प रेलगाड़ी के लिए झा जी को शुभकामनायें ! अभी घूम रहे हैं रेलगाड़ी में

नहीं शिवम भाई संगीता जी ठीक कह रही हैं लिंक में गडबड है ..रुकिए देख रहा हूं

समस्या ठीक कर दी गई है ..असुविधा के लिए खेद है ..

उफ़्फ़ भारत की रेल प्रणाली भी न ..कोहरे के कारण ही जरूर ये गडबड हुई होगी ...सवारियों को हर्जाना दिया जाएगा ..अगली बार रेलगाडियों के डब्बे बढा दिए जाएंगे ..भईया जी इश्माईल

सात मिनट में समस्या दूर ...व्हाट एन आईडिया सर ..हम भी कुछ कुछ सीख रहे हैं जी...टेक्निकल हो रहे हैं

भईया जी इश्माईल

बढिया रेलगाडी है देखें कहाँ पहुँचते हैं।

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

बढ़िया रेलगाड़ी है .

कोहरा था तो रेलगाड़ी को देर से पकडे .... बढ़िया वार्ता

अजय भाई ,

आज आपने बढ़िया रेल चलाई है

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

भाईया आप की रेल गाडी तो बहुत सुंदर ओर तेज हे जी बीच बीच मे कई डिब्बे खाली हे,चलिये इसी रेल मे बेठ कर हम अगले साल के स्टेशन पर चलते हे......

आपका तो अंदाज़ ही निराला है.


झा जी, रेलगाड़ी चलाने के लिए आभार
हमारे नेट ने तो जवाब दे दिया 2010 में।
2011 में ही कुछ होगा।

नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं

चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई

नववर्ष आपके लिए मंगलमय हो और आपके जीवन में सुख सम्रद्धि आये…एस.एम् .मासूम

साहब को नव वर्ष की हार्दिक बधाइयां

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