रविवार, 5 दिसंबर 2010

मीरा के गिरिधर ...कहानी डेविड की ... ब्‍लॉग4 वार्ता .. संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , पूरे नवंबर भर के गुलाबी ठंड के बाद 6 और 7 के खास ग्रहीय योग के कारण जनवरी के पहले सप्‍ताह में देशभर के मौसम के खराब होने और ठंड के बढने की चर्चा मैने 29 अक्‍तूबर 2010 के आलेख में ही कर दी थी। दो तीन दिनों से ही मौसम में ठंडक आयी है।  अभी अभी दैनिक भास्‍कर में खबर छपी है ...
.पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी ने पंजाब के पारे को गिराना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि पहाड़ी क्षेत्रों में इसी तरह बर्फबारी होती रही तो आने वाले दिनों में तापमान और भी गिरने की संभावना है। मौसम के जानकारों की मानें तो आने वाले एक दो दिनों में सुबह के समय कोहरा पड़ सकता है।इससे विजिबिलिटी पर असर पड़ सकता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आजकल ठंडी हवाएं चल रही हैं। अरब सागर से लगातार ठंडी हवाएं चल रही हैं जो कि पश्चिमी तट से होकर उत्तर की तरफ आ रही हैं। ठंडी हवाओं के आने से तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके बाद रूख करते हैं कुछ नए चिट्ठों की ओर , बहुत अच्‍छा लिख रहे हैं नए नए हिंदी चिट्ठाकार ....


आज फूल खिल उठेभंवरों ने है गीत गाया,
शरमा गई हैउपवन कि कलियाँमहबूब है मेरा आया....
उसकी चंचलशोख अदाएंजैसे सागर का पानी,
पानी में भी जो आग लगादेऐसी उसकी जवानी,
आन बसे हैंमन में मेरेमन को है भरमाया.......
शरमा गई हैउपवन कि कलियाँमहबूब है मेरा आया...

बेईमानी गुण्डागर्दी का जहर घुला परिवेश मे
कैसे जीवन रहे  सुरक्षित  गांधी तेरे देश में

एक एक के नाम पे मिलते अरबों के घोटाले
घूस खोर मक्कार बंने अब भारत के रखवाले
भूख पे भाषण देने वाले भोग लगाते छप्पन
इनमें से है कोई तेलगी और  कोई वीरप्पन
धन जनता का लूट लूट कर भेज रहे प्रदेश में
कैसे जीवन रहे  सुरक्षित  गांधी तेरे देश में

यह भी कोई सवाल हुआ? अरे भाई, बेहतर स्कूल वही है जो अच्छा स्कूल होता है. जहाँ अच्छी पढाई होती है, बच्चे और शिक्षक और माँ-बाप सब स्कूल से खुश हैं - यही तो हुआ ना बेहतर स्कूल?


दुर्भाग्य से इस मासूम परिभाषा के दिन पूरे हो चुके हैं. 'मासूम' इसलिए क्योंकि बिना ख़ास सोचे समझे कुछ बातें कह दी गयीं - इनके पीछे की गहराइयों को नहीं समझा गया. साथ ही, यह परिभाषा ऐसी है कि इसे पढ़ कर कोई समझ नहीं सकता कि आखिर करना क्या है? आप समझ पाए? मैं तो नहीं समझ पाया! नहीं, ऐसी परिभाषा चाहिए है जो केवल शब्दों में न रहे, बल्कि जिसे ठोस कदमों में बदला जा सके. और अब शिक्षा के अधिकार कानून आने के बाद तो यह और भी out-dated (पुरानी) हो चुकी है.

शादी के दो सबसे अहम पहलू हैं ‘प्यार और विश्वास.’ शादी सिर्फ दो लोगों का मेल नहीं होता यह दो आत्माओं का मिलन होता है. शादी एक अटूट बंधन है, यह दो जोड़ों की मिलन बेला है. शादी के बंधन का तात्पर्य ‘जिंदगी भर साथ निभाने से होता है.’


असल मायनों में शादी केवल दो लोगों का मिलन नहीं होता यह दो परिवारों का भी मिलन होता है. शादी के बाद स्त्री अपने पिता का घर छोड़ अपने पति के घर आती है, जिसके बाद पति का परिवार ही उसका परिवार हो जाता है. अतः शादी के बाद परिवार के हर सदस्यर की भूमिका अहम होती है.


आशाओं से लदा-फदा
और नए मौज के चक्के पर आ ही गया है!
आज भी सूरज ने कमोबेश
उतनी ही रोशनी छोड़ी है निर्वात की सुरंगों में.
हवा कुछ तेज़ी है और बादल कहीं-कहीं
गढ़बंधन की जैसी कोशिशों  में मशगूल हैं.
लतीफ़ों के  क्रमांक बदले से तो लग रहे हैं,
ठहाकों का लगभग-लगभग वही है.
खेतों से विदा ले कर आज भी उतनी हीसब्जिया
झूलती मटकती झोलों में सवार होकर
अलग-अलग गंतव्यों की ओर चल चुकीं हैं.
फूलों की खुशबू हालाँकि अब थोड़ी दूर निकल तो गयी हैं


मनुष्य के जीवन में इतना दुख है, इतनी पीड़ा, इतना तनाव कि ऐसा मालूम पड़ता है कि शायद पशु भी हमसे ज्यादा आनंद में होंगे, ज्यादा शांति में होंगे। समुद्र और पृथ्वी भी शायद हमसे ज्यादा प्रफुल्लित हैं। रद्दी से रद्दी जमीन में भी फूल खिलते हैं। गंदे से गंदे सागर में भी लहरें आती हैं--खुशी की, आनंद की। लेकिन मनुष्य के जीवन में न फूल खिलते हैं, न आनंद की कोई लहरें आती हैं। 


मनुष्य के जीवन को क्या हो गया है? यह मनुष्य की इतनी अशांति और दुख की दशा क्यों है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि मनुष्य जो होने को पैदा हुआ है वही नहीं हो पाता है, जो पाने को पैदा हुआ है वही नहीं उपलब्ध कर पाता है, इसीलिए मनुष्य इतना दुखी है? अगर कोई बीज वृक्ष न बन पाए तो दुखी होगा। अगर कोई सरिता सागर से न मिल पाए तो दुखी होगी।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।


नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

उदास मन को कुछ ऐसे बहलाते है,

रेत के घर बना बना के गिरते है.
तन्हा बैठ जब बंद करते आँखे,
कोसों मील पीछे निकल जाते है.
दिल का दर्द फिर भी नही मिटता,
पैमाना ऐ अश्क तो छलकाते है.
मुझ गरीब के घर वो नही आते,
उनकी राहों में पलकें बिछाते है.
मै खुली किताब वो अक्सर पढ़ते,
मगर हमसे वो राजे दिल छुपाते है.

बच्चों से ज़रूरी कुछ भी नहीं हो सकता। वे हमारे परिवारों का भविष्य ही नहीं - हमारा संसार हैं। वे कैसे विकसित होते हैं यह केवल इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि उन्हें माता - पिता से कितना प्यार मिलता है या उन पर कितना पैसा खर्च किया जाता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि रोज़मर्रा के जीवन में बच्चों की समस्या को माता पिता कैसे सुलझाते हैं और माता पिता बच्चों के लालन - पालन के बारे में कितने सजग हैं और कितना जानते हैं।जीवन के तनाव, व्यस्तताएं, व अन्य दबाव साधारण सी परिस्थिति को कठिन बना देते हैं। और वयस्क लोग अपना बचपन अकसर भूल जाया करते हैं - अपने बचपन की मज़ेदार भूलें और उसका आनन्द।

कोई भी टिप्पणीकार जब अपना बहुमूल्य समय निकाल कर किसी ब्लॉगर को टिप्पणी करता है तो उसे कुछेक ब्लॉग पर वर्ड वेरिफिकेसन की समस्या से दो चार होना पड़ता है जिसके कारण टिप्पणीकार भविष्य में उस ब्लॉग पर टिप्पणी करने से बचता है जिसमे वर्ड वेरिफिकेसन लगा हो कोई भी नया ब्लॉग बनाने पर वर्ड वेरिफिकेसन स्वत: लगा हुआ मिलता है इसको ब्लॉग बनाते समय ही निष्क्रिय कर देना चाहिए आईये सीखते हैं कि कैसे वर्ड वेरिफिकेसन को हटाया जाये
  

दूर कहीं से एक आवाज आती है ,
दिल में एक कसक छोड़ जाती है |
नहीं भुला पाता उस मंजर को ,
जब छेड़ा था तुमने इस दिल के तार को |

क्यों में मजबूर हो चला था ,
खुद से ही दूर हो चला था |
चाहत थी बहुत जिसे छुपाये रखा था ,
तुम्हारी मदहोश नैनो से बचाए रखा था |

बहुत सुंदर भजन है
अपराधी कौन डेविड या सिस्टम ?                                     

 1992 की बात है।
 कनॉट प्लेस की मर्केनटाईल हाऊस बिल्डिंग में मेरा दफ्तर था। 
मैं संडे मेल साप्ताहिक  और समाचार मेल दैनिक में नगर संवाददाता थी। 
गर्मियों के दिन थे। मैं रिपोर्टिंग से लौट कर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही थी कि सिक्योरिटी गार्ड मेरे पास आया और बोला मैडम आपसे मिलने एक आदमी आया है, शायद गांव से आया है कुछ गठरियां बांध कर लाया है । जितनी हैरानी के भाव उसके चेहरे पर थे उतनी ही हैरान मैं भी  हो गयी । कोई तो आने वाला नहीं था फिर कौन ? मैं बाहर गयी तो देखा ऑफिस के गेट से बाहर डेविड दो तीन गठरियां लेकर बैठा था। 
तुम इतनी गर्मी में ? हां दीदी नमस्ते आपके लिए तरबूज , खरबूजा ककड़ी और खीरे लाया हूं । बहुत मीठे हैं। मैं डेविड को कोई जवाब नहीं दे पायी , मेरा गला भर आया। अपने प्रति उसके निस्वार्थ और अगाध स्नेह को देख कर। तब तक मेरे सभी सहयोगी भी बाहर आ गए सब हंसने लगे। 

आजकल खुश रहने की दवा खा रहा हूं
और असर दिखने लगा है
बस चंद रोज पहले से 
बदल गया है सबकुछ
अब मैं ज्यादा नहीं सोचता
मन में कोई अपराधबोध नहीं रखता
भूल चुका हूं कल की बातें
कल का कोई हिसाब नहीं रखता
आजकल खुश रहने की दवा खा रहा हूं
और असर दिखने लगा है


जो चल रहा है, सब ठीक है
अब कहां कोई गम है
हर रोज हंस रहा हूं
यही क्या कम है
कुछ पाने की जल्दी में
अब बिल्कुल नहीं रहता
आजकल बेफिक्र होने की दवा खा रहा हूं
और असर दिखने लगा है
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास

मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥



मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥

ब्रिटेन में इन दिनों इराक़ युद्ध के बारे में एक जाँच आयोग की सुनवाई में ये बात एक बार फिर स्पष्ट हो रही है कि 11 सितंबर 2001 के हमलों से कई महीने पहले से ही अमरीका इराक़ पर हमले की योजना बना रहा था.


ज़ाहिर है अमरीकी सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा या ईरान को घेरने जैसे बड़े सामरिक लक्ष्यों पर विचार कर इराक़ पर हमले की योजना बनाई होगी. बड़े सामरिक लक्ष्य दीर्घावधि के होते हैं जो कि कई बार पूरे होते भी नहीं. लेकिन हमले का शिकार बने किसी देश को लूटे जाने का सिलसिला पहले ही दिन से शुरू हो जाता है. इराक़ में भी यही हो रहा है. इस लूट में मुख्य रूप से अमरीका और ब्रिटेन की सुरक्षा कंपनियाँ भाग ले रही हैं.
देर  से  ही सही भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों में जानी मानी हस्तियों ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान शुरू करते हुए देश के भ्रष्टाचार निरोधक तंत्र में कमियों को दूर करने के वास्ते लोकपाल बिल का मजमून तैयार किया है और इसे कानून का रूप देने के अनुरोध के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजा है। प्रधानमंत्री को लोकपाल बिल के मजमून के साथ भेजे गए पत्र में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों के हस्ताक्षर हैं। इसमें योग गुरु स्वामी रामदेव, आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर, कलक त्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तेवतिया, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी, सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक बीआर लाल, जानीमानी नृत्यांगना एवं सामाजिक कार्यकर्ता मल्लिका साराभाई, आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे, सुनीता गोदारा, देवेंद्र शर्मा, क मल जसवाल, मौलाना मुफ्ती शमून काशमी आदि शामिल हैं।



उल्लुओं की एक प्रजाति आदमजात मे भी पायी जाती है ।इसके नमूने बिजली विभाग मे ज्यादादिखायी देते है ।फर्क सिर्फ इतना है कि बिजली रात को नही दिखती उल्लू दिन को नही देखते ।अगर आपके घर रातों को बिजली नही हो तो आप पूरी दुनिया को उल्लुओं की तरह देख सकते है ।उल्लू महान पक्षी है ।इसकी पीठ पर लक्स्मी विबिजली विभाग की मेहरवानीराजती है ।पता नहीइसे राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा क्यो नही मिला ।बिजली विभाग आपकी भी पीठ पर विराज सकती है
पंचायतों के चुनाव का अंतिम मुकाम अभी एक माह दूर है
,शर्त यह है कि रात को आप भी अन्धेरे मे रहिये ।मै पिछले दस दिनो से अन्धेरे मे रहकर अपनीपीठपर लक्ष्मी जी के अवतरण का इंतजार कर रहा हू।विश्वास है आज न कल वह जरूर मेरी पीठ कोयह सौभाग्य प्राप्त करने का अवसर देंगे ।बिजली विभाग की मेहरवानी बनी रहनी चाहिये ।आप भीयह अवसर चाह्ते है तो बिजली विभाग को शुक्रिया अदा करिये ।

आदमी के बहुत से रूप हैं। जितने रूप असली दुनिया में हैं उतने ही इस छलावे की दुनिया में भी हैं। लोग दुखी हैं। वे दिल बहलाने की खातिर इस सच्ची झूठी दुनिया की सैर पर आते हैं और यहां भी उनकी मुठभेड़ असली दुनिया की परेशानियों से हो जाती है। झगड़े-टंटे उन्हें परेशान करते हैं, मुझे भी परेशान करते हैं। यही कारण है कि ब्लाग बनाकर भी मैं कुछ करने से बचता रहा परंतु यही तो समय है जबकि मैं कुछ सेवा कर सकता हूं। सो मैं थोड़े समय में से बहुत थोड़ा सा निकाल कर आपके जहां में कदम धर रहा हूं। मेरा स्वागत जरा ढंग से कर लीजो।


पतंजलि योग पीठ दिवंगत राजीव दीक्षित जी की स्मृति में हर साल तीस नवंबर को स्वदेशी दिवस मनाएगी। राजीव दीक्षित जी ने अपने संघर्ष के बलबूते जीवन की विषम से विषम परिस्थितियों पर जीत हासिल की। अब पतंजलि योग पीठ ने राजीव जी के अधूरे सपनों को मूर्त देने का संकल्प लिया है।

कनखल स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के बाद आयोजित श्रद्धांजलि सभा में योग पीठ ने राजीव दीक्षित जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। सैकड़ों लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की। स्वामी रामदेव जी की राजीव दीक्षित से पहली मुलाकात कनखल में ही हुई थी, तो अंतिम विदाई की जगह भी कनखल ही बनी। 

एक ही दिन,

एक ही नक्षत्र में ,

एक ही मंडप के तले,


सामान मन्त्रों के उच्चारण के साथ,



वरा था हम दोनों ने ,



एक दूसरे को ,



जन्मजन्मान्तर के लिए,



और की थी प्रतिज्ञा ,



दुःख सुख में सदा साथ निभाने की,



मिलजुल कर जीने की,



एक दूसरे से कभी कुछ ना छिपाने की,



मैं ..


अब मिलती हूं अगले सप्‍ताह .. पुन: कुछ नए चिट्ठों के साथ .....

14 टिप्पणियाँ:

हमेशा की तरह बढ़िया
आभार आपका इन लिंक्स के लिए

सुंदर वार्ता है संगीता जी
आभार

हमेशा की तरह बढ़िया पठनीय लिंक मिले .... आभार

चर्चा बढ़िया लगी..... आभार

बार्ता के सभी लिनक्स अच्छे हैं ...शुक्रिया

बहुत अच्छा संकलन । शुभकामनाएं

बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता, संगीता दीदी .... बहुत बहुत आभार !

बेहतरीन लिंक संजोय ब्लॉग वार्ता.

बेहद उम्दा ब्लॉग वार्ता

बढ़िया वार्ता संगीता जी.

Varta ka yah ank achha laga. mere blog par aapka nimantran hai.

ब्लॉग वार्ता के इस अंक में अच्छे लिंकों के समावेश नें इसे और अधिक सुन्दर बना दिया है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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