नमस्कार, वर्ष 2010 बीतने को है और 2011 गेट पर प्रवेश के लिए रेसल कर रहा है। बीते वर्ष ने हमें कई अनुभवों से नवाजा। जो आगामी 2011 में काम आने वाले हैं। बीते हुए समय से ही व्यक्ति सीखता है। साल का अंत होते होते भारतीय रक्षा अनुसंधान केन्द्र के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम जी सेट 5पी का बाजा बज गया। यह आकाश में ही फ़ूट गया। वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की मेहनत से बनाया हुआ एक उपग्रह असमय काल के गाल में समा गया। प्रक्षेपण प्रणाली में खराबी बताई जा रही है। जनता की गाढी कमाई की व्यर्थ चली गयी। चलिए एक बार फ़िर सब्र कर लेते हैं। गिरते हैं शह-ए-सवार ही मैदान-ए-जंग में........। अब चलिए आज की ब्लॉग4वार्ता पर ललित शर्मा के साथ....
कूलदीप हैप्पी एक महत्वपूर्ण पोस्ट लेकर आए हैं सावधान! गैस गीजर बन सकता है मौत का कारण सर्दीयों के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोगों द्वारा गर्म पानी के इस्तेमाल हेतु बाथरूम में लगे गैस गीजरों व कोयले वाली अंगीठियों का प्रयोग घरों में आम ही किया जाता है। इन दिनों में हमारी छोटी सी लापरवाही किसी बड़ी घरेलू घटना को अंजाम दे सकती है। घरों में बाथरूम में लगे गैस गीजर या सर्दियों दौरान प्रयोग की जाने वाली कोयले की अंगीठियाँ लोगों की लापरवाही तथा अज्ञानता के कारण मौत का सामान बन सकती है।
बंद बाथरूमों में नहाने के लिये गर्म पानी इस्तेमाल हेतु जब इन गैस गीजरों का प्रयोग कर रहें होतें हैं तो इन गैस गीजरों के बर्नरों से पैदा हो रही आग के कारण आसीजन की खपत होती है तथा कार्बन डाईआक्साईड की मात्रा बढ़ जाती है। तंग जगह वाले बाथरूम जिनमें ताजी हवा आने जाने के प्रबंध न हो तो वहाँ जहरीली गैस कार्बन मोनोआक्साईड गैस पैदा होती है। कार्बन मोनोआक्साईड एक रंगहीन तथा गंदहीन गैस होने के साथ बेहद जहरीली गैस है, जो इंसान के लिये मौत का कारण बन सकती है।
यह जहरीली गैस खून के अंदर आसीजन को पहुँचाने की समर्था को घटाती है और शरीर के अंदर विभिन्ना अंग आसीजन की कमी के कारण प्रभावित होतें हैं। दिल तथा दिमाग को जरूरत के अनुसार आसीजन न मिलने के कारण व्यक्ति अर्द्ध या गहरी बेहोशी (कोमा) में चला जाता है और अगर देर हो जाए तो व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। इस गैस के चढ़ने से व्यक्ति में कमजोरी, थकावट, सिर दर्द, धुंधला दिखना, चक्कर आना, दिमागी असंतुलन, छाती में दर्द, घबराहट होना, लड प्रैशर कम होना, सांस उखड़ना व उल्टी आदि लक्ष्ण पैदा होतें हैं। व्यक्ति बेहोश होकर गिर पड़ता है व सांस प्रणाली बंद हो जाने से मौत भी हो सकती है।
कुमारेंद्र सेंगर कह रहे है सुविधा शुल्क की विशेषता हमारे द्वारा पैदा की गई सर्वोत्तम व्यवस्था हैवर्ष 2010 भी बहुत तेजी के साथ प्रस्थान करने के मूड में दिख रहा है। इधर हम तैयारी कर रहे हैं वर्ष 2011 की। समय किस तेजी से निकल जा रहा है कि पता ही नहीं चल रहा है। लगता है कि जैसे अभी कल ही नई सदी का स्वाग...
लिमटि खरे,समीर लाल स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह “सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण ” से विभूषित हुए..वर्ष 2007 जब मैं अंतरजाल से जुडा तब लगा कि यहाँ भी लिखने वाले कमतर नहीं कम से कम अखबार और मीडिया के अन्य प्रकारों सामान ही तो हैं तो क्यों न जबलपुर में हिन्दी ब्लागिंग का परचम विश्व में लहराने वालों को सम्मान दें हम बिना किसी हिचक के मान लिया मेरा प्रस्ताव जो 2008 के आयोजन में रखा था मैंने सारे साथीयों की हरी झंडी मिलते ही भाई महेंद्र मिश्र को सम्मानित किया गया 2009 में . और इस बरस दो विकल्प थे हमारे पास लिमटि खरे जी और समीरलाल बस क्या था दौनों को समिति ने स्वीकारा लिमटि जी तो आल राउंडर ठहरे पत्रकार और ब्लॉगर दौनों सो एक नया सम्मान पारित हुआ. और प्रदान किया इन व्यक्तित्वों को ....!!
बवाल की पोस्ट : सम्मान समारोह, जबलपुर,और संदेशा पर संजू बाबा की पोस्ट में विस्तार से जानकारी के अतिरिक्त आप को अवगत करा देना ज़रूरी है कि यह कार्यक्रम विगत 15 वर्षों से सतत जारी है . सम्मान देने की परम्परा 14 वर्षों से जारी है पूर्व के आलेखों में कतिपय स्थान पर 12 वर्ष मुद्रित हुआ था उसका मुझे व्यक्तिगत खेद है. जल्दबाजी में की गई गलती को सुधि पाठक क्षमा करेंगे.मामला केवल बुज़ुर्ग पीढ़ी के सम्मान का था.
ब्लॉग पढ़ने के लिए एग्रीगेटर तलाश रहे हैं आप? इधर देख लीजिएमेरे बहुत से मित्र ऐसे हैं जो ब्लॉगिंग नहीं करते लेकिन ब्लॉग पढ़ते ज़रूर हैं। उन्हें ब्लॉग पढ़ने का चस्का या तो मैंने लगाया या फिर समाचारपत्रों में ब्लॉग रचनाएँ देख हुया। आजकल कई मित्र परेशान हैं कि चर्चित एग्रीगेटर अपनी सेवायें नहीं दे रहें ब्लॉग कैसे पढ़ें?अब चालू भाषा में कहा जाए तो सब पकी-पकाई खीर खाना चाहते हैं। मैंने कई बार कहा कि आरएसएस रीडर जैसे उपाय अपना लें या काम के ब्लॉग तलाश कर पढ़ लें लेकिन उनके कानों पर जूँ नहीं रेंगती।
याज्ञबल्क्य कह रहे है अपनी बात अपनों से यह क्या है गूरू । यह वही है जो कि है, हम चले थे कि, देखें जरा क्रेडिबल छत्तीसगढ वाले रमण सिंह और सरदार मनमोहन इतना ही कहते रहते है चलें जरा देख लें कि, क्या जलवा जलाल है। टीव्ही अउ अखबार में अइसा अइसा जगमग छपता है कि, भई वाह। लेकिन ससूरा इहां सब गडबड हो गया है, देखे तो कचरा के ढेर में भारत का लाल मस्ितया के खेल रहा है, किरकिट विरकिट से कउनो मतलबै नई है न, जानबै नही करतैं है तो का कहिएगा। ये शहर का कचरा सेंटर है, पूरे शहर का कचरा नगर निगम मूस्तैदी से उठाता है अउ ऐंहींए डंप कर देता है।
राजकुमार सोनी भी एक गंभीर विषय पर लिख रहे हैं-क्या सिर्फ एक बाघ मरा है. छत्तीसगढ़ में कवर्धा से 80 किलोमीटर दूर पंडरिया के ग्राम अमनिया में जहां बाघ को मौत के घाट उतारा गया है वह इलाका अचानकमार व कान्हा नेशनल पार्क के गलियारे का जोड़ता है। पिछले दिनों जब वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक हुई थी तब इस क्षेत्र में मौजूद एक खदान से खनन किए जाने के प्रस्ताव पर भी विचार-विमर्श किया गया था। हालांकि बोर्ड के दो सदस्यों ने इस प्रस्ताव का खुलकर विरोध किया था। सदस्यों के विरोध के बाद भी यहां खदान से खनन किए जाने की कार्रवाई को लेकर फाइल आगे बढ़ रही थी लेकिन बाघ की मौत ने माइनिंग लीज के प्रस्ताव पर फिलहाल मिट्टी डाल दी है। इधर इलाके में बाघों की मौजूदगी को नजरअंदाज करने वाले अफसरों की भी घिग्गी बंध गई है।
कच्चे बखिए से रिश्ते (समापन किस्त )अपनी सहेली के पति को अपने कॉलेज में ही लेक्चरर के पद पर नियुक्त करवाने में सहायता करती है. कुछ ही दिनों बाद उसकी सहेली की मृत्यु हो जाती है और उसके पति वीरेंद्र, कॉलेज में ज्यादातर समय ,सरिता के
चलते चलते व्यंग्य चित्र
अब चलते हैं पुन: नमस्कार, मिलते हैं ब्रेक के बाद। यहां भी यात्रा वृ्तांत पढ सकते है।
8 टिप्पणियाँ:
गेस गीजर की जानकारी वाली पोस्ट बहुत अच्छी लगी |अच्छी वार्ता बधाई
आशा
बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित सुन्दर वार्ता
बढ़िया लिंक्स...अच्छी वार्ता........
सुन्दर वार्ता! बेहतरीन प्रस्तुति! मेरे
कार्टून को शामिल करने के लिए आभार !
पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया
गेस गीजर की जानकारी वाली पोस्ट बहुत अच्छी लगी पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया
अब कहीं जा कर मानिटर का इंतजाम किया है ... वह भी काम चलाऊ ... इस लिए वार्ता और बाकी ब्लॉग जगत में हजारी देर से लगी आज ! उम्मीद है कल तक पक्का इंतज़ाम हो ही जायेगा !
वैसे वार्ता आपने मस्त लगाई है ... कल से कुछ पढना हुआ ही नहीं ... यहीं से जाता हूँ सब जगह ! लिंक्स के लिए बहुत बहुत आभार !
अजी हम तो ठंडे पानी से ही नहायेगे, वर्ना महीनो बिना नहाये रहेगे,चर्चा बहुत सूंदर रही जी, राम राम
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