बुधवार, 2 जून 2010

नव तपा का अंतिम दिन-प्यासा हैवान और चीखती लाश--ब्लाग4वार्ता----ललित शर्मा

मौसम की गर्मी चरम सीमा पर है, लू झुलसा रही हैं तन को, आज नव तपा का अंतिम दिन है,  बस मानसून की फ़ुहारें आने ही वाली हैं,ब्लाग पर भी गर्मी है जो झुलसा रही है मन को, पता नहीं दो चार दिनों में ब्लाग जगत का तापमान क्यों बढ जाता है और कौन सी ताकत इस तापमान को बढाने में लग जाती है। शायद किसी की नजर लग गयी है। नजर बहुत बूरी चीज होती है अगर लग जाए तो खड़े हुए हरे दरख्त को सूखा देती है, ब्लाग जगत को इस बूरी नजरों से बचाना चाहिए, ट्रकों के पीछे लिखा रहता है कि "बूरी नजर वाले तेरा मुंह काला" शायद यहां भी कुछ ऐसा ही टोटका करना पड़ेगा जिससे ब्लाग जगत में अमन चैन और शांति रहे। अब ललित शर्मा ले चलता है आपको आज की ब्लाग वार्ता पर......................

आज मैने पलक का एक कमेंट देखा, कोई नया ब्लाग आया है ब्लाग जगत में कविताएं भी कुछ बोल्ड किस्म की है, सीधी-सीधी कुडि़यों से चिकने आपके गाल लाल हैं सर और भोली आपकी मूरत है

जब से जाना मैंने
कि कैसे जाना जाता है
बेकपड़ों के हर कोई
किसी को क्‍यों भाता है।

आप तो कमाल हो सर
आपके बाल लाल हैं
कुडि़यों से अधिक
चिकने आपके गाल हैं ।

भोली आपकी सूरत है
पहले मिल जाते तो
दिल में बसा लिया होता।
 
यार,तुम लोग तो बहुत भाग्यशाली हो--डॉ.सत्यजीत साहू -पर"मै भींगता रहा, एक नशा मुझमे छाता रहा.,मलंग तू कौन है,,तुने बिना देखे मेरी ओर मेरे दिल को कैसे छु लिया . मै चल रहा था जिस रास्ते उसमें कितना सुंदर मोड़ आ गया .मै मुड़ता चला गया और इस नए रस्ते मे इतनी जा...टूट कर भी मेरा वजूद, बिखर नहीं पायेगा जिस पर टिका है , अस्तित्व मेरा , वो बुनियाद , तुम्हारा कांधा है, जानती हूँ , टूट कर भी मेरा वजूद, बिखर नहीं पायेगा , क्योंकि , इसे , तुम्हारे संबल ने, मजबूती से बांधा है . 
 
खूनी महल के दरवाजे में प्यासा हैवान और चीखती लाश शीर्षक देखकर आप चौक सकते हैं लेकिन जो लोग कथित किस्म के डर में जीवन का आनन्द लेना जानते हैं वे एक न एक बार रामसे बद्रर्स की फिल्मों को जरूर देखते हैं। जो डर में भी हास्य तलाशने के शौकीन है वे रामसे की आड़े...निहारना चाहता है ये दिल अब संभलता नहीं रह रह कसमसाता है देह से बाहिर निकल आकाश हो धरती को निहारना चाहता है बिखर कर हवा में शरीर मेरा अपनी प्रेयसी को ढूंढ़ता है नदी में मिल कर बूँद जैसे ढूंढती अपना वजूद और पानी पानी ... 
 
है ये पल भर की चाँदनी, कल फिर रात है... सेठ जी चादर ताने सोए पड़े थे... लक्ष्मी जी के स्वप्न मे खोए पड़े थे... तभी उनका बेटा झूमते हुए आया... और सेठ जी को हिला हिला के जगाया... फिर बोला उठो मुझे कुछ बताना है... कल मुझे भी अपना जन्मदिन मनान...  नवभारत में, भिलाई सहित SAIL कार्मिकों को मिली ब्लॉग लिखने की अनुमति व सुविधा का समाचार. 1 जून 2010 को नवभारत, रायपुर संस्करण में *भिलाई इस्पात संयंत्र सहित, *भारतीय इस्पात प्राधिकरण (Steel Authority of India Limited) के कार्मिकों को विविध विषयों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हेतु ब्लॉग लिखे जान..उफ़!…ये फोटो खींचना भी कितना मुश्किल काम है ना?
 
चूहा - बिल्ली चूहा - बिल्ली बिल्ली - चूहा आगे - पीछे पीछे - आगे भागम - भाग उछल - कूद दौडा - दौडी जीना - मरना आंख - मिचौली लपका - झपकी झपटा - झपटी पटका - पटकी हाय - तौबा तौबा - तौबी मौका - मौकी लुक्का - छिप्पी चूहा - ... त्रासदियों के बीच सुलगते सवाल ....... पिछली बार की कुछ टिप्पणियों ने सोचने पर मजबूर किया ....क्या औरत को भूख के लिए सिर्फ एक निवाला रोटी भर चाहिए .....? या जीने के लिए एक चारदीवारी ....? जहाँ त्रासदियों का आँगन अपनी दास्ताँ लिखता रहे और चुप्प...
 
'गुलाम तब जागे' -यादवचंद्र के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" का सप्तम सर्ग *अनवरत के पिछले अंकों में आप यादवचंद्र जी के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" के छह सर्ग पढ़ चुके हैं। अब तक प्रकाशित सब कड़ियों को यहाँ क्लिक कर के पढ़ा जा सकता है। इस काव्य का प्रत्येक सर्ग एक पृथक युग क... मूर्ति ध्वंस.....(लघु कविता...क्षणिका...) शब्द.. भाव..... मात्रा...... छंद.......... कविता......... जहां से नहीं थी आशा वहीं से देखो फूट रहे हैं क्रोध... शोभ... द्रोह...... विद्रोह.... ध्वंस हुई हैं सदियों से पूजित मूर्तियां देखो युग के प्रतिमान टूट...
 
एंग्री यंग ब्लॉगर्स, इसे पढ़ो प्लीज़...खुशदीप क्रोध वो अवस्था होती है जिसमें जीभ दिमाग़ से तेज़ काम करती है...आप अतीत तो नहीं बदल सकते लेकिन आने वाले कल की चिंता में घुलकर आप अपने आज के साथ अन्याय करते हैं... ऊपर वाला अपना सर्वश्रेष्ठ उसी को देता... वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता मे : सुश्री निर्मला कपिलाप्रिय ब्लागर मित्रगणों, आज वैशाखनंदन सम्मान प्रतियोगिता में सुश्री निर्मला कपिला की रचना पढिये. लेखिका परिचय : निर्मला कपिला पंजाब सरकार के सेहत कल्यान विभाग मे नौकरी करने के बाद चीफ फार्मासिस्ट के पद से स...
 
दिल्ली यात्रा-5...कारवां चल पड़ा है मंजिल की ओर...........!बस बिस्तर पर लेटते ही निद्रादेवी ने कब आगोश में लिया पता ही नहीं चला, कब बिजली आई और गई इसका भी भान नहीं था, बकौल राजीव खर्राटे सुनाई देने लगे। सुबह लगभग 7 बजे नींद खुलने के साथ चाय आ गयी, दैनिक कार्यों स...राज' फिल्म से ये गीत है.....आवाज़ 'अदा' की.... 'राज' फिल्म से ये गीत है... आपके प्यार में हम सँवरने लगे.... आवाज़ 'अदा' की.... मम्मी!!…… आप रो क्यों रहीं हैं?!…… 20-21 साल बाद, गाँव से आई कुछ औरतों से विदाई के समय, मम्मी की आखों से बह रही अश्रु धारा को देख कर मेरी सबसे छोटी बहन नें मम्मी से यह प्रश्न पूछा। मम्मी ने इस प्रश्न को अनसुना कर दिया…… शायद वे अभी तक उन ...
 
माइक्रो पोस्ट ... समाज और मनोरंजक सामग्री और सपनों की उड़ान * जो समाज मात्र रोटी और मनोरंजक सामग्री पर संतोष कर लेता है वह एक निकृष्ट कोटि का समाज बन जाता है . * ऊँची उड़ाने उड़ने की अपेक्षा यह अच्छा है की आज की स्थिति का सही मूल्यांकन करें और उतनी योजनायें जिसे आज के साधनों से से पूरा का सकना संभव है .बेनी मा फूल गूंथे के दिन-बेनी मा फूल गूंथे के दिनफूल वाले घाटी फेर होगेसुहागिनकली मन के मुस्काए के दिन,धूप छांह के छेड़ छाड़ के दिनभंउरा मन के टोली उतरगेबाग बगीचा माकोनो मुस्काए मंद-मंदगुल मोहर के तरि मा,कोइली कुहके अमरइयापपीहा वन उपवनलाल दहकत टेसू वाला दिन,अमलताश डाली-डाली माआ गे
 
टुकड़ा टुकड़ा दुपहर दुपहर फैल गई है - शुभ्र चादर। मौन। दुपहर लोगों और जीवन धारण किए सब की गतिविधियों के होते हुए भी कितनी शांत लगती है! क्रियाकलाप की शांति, एक निश्चित कार्यक्रम में सब डूबते जाते हैं। ध्यान सी अवस्था कि सम्मोहन सी? - बन्दरों की चिक चिक, दूर कहीं से आती गीत ----फेंको अपनी झोला-झंडी,हो जाओ बिंदास रे जोगी-----(विनोद कुमार पांडेय)-अभी कुछ दिन पहले आज की ग़ज़ल पर एक संपन्न तरही मुशायरा में प्रस्तुत मेरी एक ग़ज़ल जिसमें मैं कुछ लाइन और जोड़ कर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ..बैठ मेरे तू पास रे जोगी,बात कहूँ कुछ खास रे जोगीगेरुआ कपड़ा,चंदन,टीका,सब कुछ है,बकवास रे जोगीतुझे पता--

अब वार्ता  को देते हैं विराम - सभी को ललित शर्मा का राम राम
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12 टिप्पणियाँ:

अच्छी चर्चा के लिए आभार। आपने मेरी पोस्ट का लिंक दिया उसके लिए भी धन्यवाद।

अच्छी चर्चा के लिए धन्यवाद और आभार परन्तु .....गर्मी थम गयी हमारे ब्लॉग पर तो मानसून आ भी गया

बहुत बढ़िया चर्चा...आनन्द आया लिंक्स पा कर.

अच्छी चर्चा के लिए धन्यवाद और आभार

...प्रसंशनीय चर्चा .... ललित भाई ... कोई दादा जी व पापा जी विछड गये हैं एक दूसरे को पहचान नहीं रहे हैं ... कोई मेल मिलाप कराने का प्रयास करे ...... कहीं ऎसा न हो कि वे ब्लागजगत में खो जाएं ...और दादी जी व अम्मा जी खोजते फ़िरें ... !!!

बहुतेच दिन के बाद चरचा लिखे हस ललित भाई, अड़बड़ मजा आइस पढ़ के!

Interesting...!!

आपकी रचनाधर्मिता से ब्लॉग जगत प्रभावित है. आपकी रचनाएँ भिन्न-भिन्न विधाओं में नित नए आयाम दिखाती हैं. 'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग एक ऐसा मंच है, जहाँ हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं. रचनाएँ किसी भी विधा और शैली में हो सकती हैं. आप भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 2 मौलिक रचनाएँ, जीवन वृत्त, फोटोग्राफ भेज सकते हैं. रचनाएँ व जीवन वृत्त यूनिकोड फॉण्ट में ही हों. रचनाएँ भेजने के लिए मेल- hindi.literature@yahoo.com

सादर,
अभिलाषा
http://saptrangiprem.blogspot.com/

अच्छी चर्चा के लिए धन्यवाद और आभार

behad acchi charcha .......................kya suder sanyojan kiya hai .....................

अच्छी चर्चा के लिए धन्यवाद...
आभार...!!

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