शनिवार, 12 जून 2010

क्या यही न्याय है?--विशेष वार्ता--भोपाल गैस कांड पर-----ललित शर्मा

भोपाल गैस नरसंहार कांड पर आए फ़ैसले से पूरा भारत स्तब्ध है, इस विषय पर प्रिंट मीडिया के साथ-साथ ब्लाग जगत भी अपनी राय रख रहा है। आज हम सिर्फ़ चर्चा करेंगे भोपाल गैस कांड पर राय रखने वाले कुछ चुनिंदा ब्लागों की। आईए अब मै ललित शर्मा आपको आज की ब्लाग4वार्ता पर ले चलता हूँ.............

सबसे पहले चलते हैं सीधी खरी बात पर जहां डॉक्टर आशुतोष शुक्ला कह रहे हैं कि भोपाल कांड पर फैसले का दिन २/३ दिसंबर १९८४ की वह काली रात जो भोपाल वासियों के लिए मिथाइल आइसो साइनेट मौत का जो मंज़र लेकर आई थी उसकी काली यादें आज भी उनके में ताज़ा हैं. यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक संयंत्र से निकली इस विषैली गैस ने सोते हुए बहुत से लोगों के लिए वह आख़िरी नींद साबित15,274 लोगों की मौत, 2 साल की सज़ा? भोपाल गैस त्रासदी, 15,274 लोगों की मौत, पीड़ित परिवारों ने लड़ी 25 साल तक लड़ाई, 25 साल बाद फैसला आता है, याद रहे फैसला अभी ज़िला अदालत का है। इस मामले के आठों आरोपियों को धारा 304(A) के तहत दोषी ठहराया गया है, जिसमें अधिकतम 2 साल की सज़ा अथवा पांच हज़ार--
  
क्या यही न्याय है ?? - शिवम् मिश्रा त्रासदी के 25 वर्ष बाद आया फैसला - भोपाल गैस कांड के सभी आरोपी दोषी करार भोपाल की यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी को 25 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद न्यायालय ने 23 साल की सुनवाई के बाद सोमवार को इस मामले में आठ लोगों को दोषी करार दिया और यह फैसला सुनाने--भोपाल गैस कांड के अभियुक्तों को इनाम ,वारेन एंडरसन को अमेरिका में सुरक्षित रहने का पुरस्कार -----? ख़ूनी टेंक नंबर-610जिससे गैस लिक हुआ था हमें शर्म आती है अपने आप को भारतीय कहते हुए ? क्योंकि यहाँ न्याय और जाँच कर दोषियों को सजा देने कि कोई भी प्रक्रियाख़ूनी टेंक नंबर-610जिससे गैस लिक हुआ था हमें शर्म आती है अपने आप को भारतीय कहते हुए ? क्योंकि यहाँ न्याय और जाँच कर दोषियों को सजा देने कि कोई भी प्रक्रिया--
  
यदि ये ही इन्साफ है तो मंजूर नहीं...कुछ तो विचार करो कानूनविदों भोपाल गैस काण्ड ................... आज हुई है सजा..............पूरे पच्चीस साल बाद................क्या इसी को इन्साफ कहते हैं?इन्साफ के लिए क्या इतने वर्षों का इंतज़ार सही है?यही लोकतंत्र की शक्ति कहलाएगी?क्या प्रभावित परिवार सुकून महसूस-दुनिया का सबसे बड़ा लूटतंत्र हिंदुस्तान हत्यारा है ये तंत्र किसको सज़ा दोगेन्याय का ढोंग है किसको सज़ा दोगेबच गया हजारों लोगों का हत्याराबीसियों साल लग गए ये जानने मेंदो-दो पैसे की जान है हमारीकौड़ी-कौड़ी में बिकता है न्यायकिसको सज़ा मिलेगी कौन सज़ा देगासोते हुए लोग चले गए मौत के मुंह--
  
अमेरिका को उम्मीद है कि फैसला दुर्घटना में शिकार लोगों के हित में होगा !! दुनिया के सबसे भयावह औद्योगिक आपदा भोपाल गैस त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई किए जाने की मांग को अमेरिका ने सिरे से खारिज कर दिया।1984 में हुई इस त्रासदी में 15 हजार से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया था।अमेरिका ने उम्मीद--श्रवण जी! अब क्या बचा है? भरोसा तो उठ चुका है आज भास्कर में श्रवण गर्ग की विशेष टिप्पणी  "डर त्रासदी का नहीं भरोसा उठ जाने का है", मुखपृष्ठ पर प्रकाशित हुई है। आप इस टिप्पणी को उस के शीर्षक पर चटका लगा कर पूरा पढ़ सकते हैं। यहाँ उस का अंतिम चरण प्रस्तुत है--हकीकत तो यह है कि अपनी हिफाजत को लेकर--

गैस कांड पर जिम्‍मेदारी से भागती कांग्रेस गैस कांड पर कांग्रेस को तोडना होगा मौन!अब बढेगी अर्जुन सिंह की पूछ परखउपेक्षा से आहत अर्जुन उठा सकते हैं गांडीवउघडती जा रही हैं षणयंत्रों की परतेंबात निकली है तो दूर तलक जाएगी(लिमटी खरे)छब्बीस साल पहले जब देश के हृदय प्रदेश में दुनिया की सबसे बडी--इन्होंने बेच खाए गैस पीड़ितों के कफ़न... भोपाल गैस कांड पर हाल में आये फैसले के बाद बहुत लोगों ने इस बारे में काफी कुछ लिखा, अपना विरोध प्रगट किया, मगर मेरे नज़रिए से इस बारे में एक ऐसा मुद्दा अछूता रह गया है जिस पर भी गौर किया जाना बेहद ज़रूरी है. भोपाल के हज़ारों-लाखों गैस पीड़ितों-

चलते चलते एक कार्टून



आज की वार्ता को देते हैं विराम--आपको ललित शर्मा का राम राम

खुशखबरी-ब्लाग4वार्ता में सम्मिलित कुछ चिट्ठों की चर्चा बुलंद छत्तीसगढ के कालम ब्लाग4वार्ता में प्रति सोमवार की जाएगी।

9 टिप्पणियाँ:

बढ़िया आलेख प्रस्तुति.....एक अच्छे मुद्दे को नेट पर लाने के लिए.. इस गैस कांड के भुक्तभोगी अभी तक उसकी त्रासदी भोग रहे है . हिरोशिमा और नागासिकी की तरह आगे की पीढियां भी इसके शिकार होंगी . पीडितो को न्याय तो नहीं मिला पर बेचारे अन्यायाय का शिकार जरुर हो गए है ...आभार

बहुत बढिया प्रस्‍तुति !!

अच्छी लगी चर्चा!!

सुंदर चर्चा, वैसे ब्लागवाणी ने भोपाल मामले पर प्रकाशित सभी ब्लागपोस्टों को एक जगह दिखाने की सुविधा दी है।

पच्चीस सालों से न्याय के इन्तजार में पथराई आँखे...फैसला वज्रपात...आम आदमी के त्रासद जीवन का कोई अन्त नजर नही आता..कुछ समय देश भर मे भावनाओ का उबाल फिर सब भूल जायेगे..बहुत खूब ललित जी...आपने जन भावनाओ को सार्थक अभिव्यक्ति दी है।

बढ़िया आलेख प्रस्तुति.....अच्छी लगी

बेहद उम्दा वार्ता में मेरे लेख को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

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