रविवार, 24 फ़रवरी 2013

न इर्द-गिर्द तांकिये, अपने गिरेवाँ में झाँकिये !...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.......झांकी फ़ेसबुकिस्तान की  ये एक ऐसा आभासी मेला है जिसमें सतत् रेले चलते हैं। जहाँ मेले के सारे रंग दिख जाएगें। जहाँ इंटरनेट कनेक्ट हो जाए, इसे वहीं लगा हुआ पाएगें। इस मेले का नहीं कोई ठौर ठिकाना, कोई अपना है पराया है और बेगाना। यह मेला सोशल मीडिया मेला या आभासी मेला कहलाता है। 24X7 कल्लाक चलता है रुकता नहीं कभी, सबका मन बहलाता है।। कब दिन होता और कब रात होती, पता ही नहीं चलता। इसे मैं फ़ेसबुकवा मेला कहता हूँ, जो रात 2 बजे भी जमता। यहाँ मेलार्थी खा पीकर विचरण करते मिल जाएगें। कुछ तो ऐसे फ़ेसबुकिए हैं कि जिनकी बत्ती सदा हरी रहती है। बासंती सम्मिलन मुद्रा में सदा हरियाए रहते हैं। जहाँ देखी कबूतरी लाईन लगाए रहते हैं। चल छैंया छैंया छैया ये हिन्दी फ़ेसबुक है भगिनी-भैया…इस मेले की सैर के बाद आइये चलते हैं एक और मेले में हमारा अपना ब्लॉग जगत ये भी किसी मेले से कम नहीं . लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता ... 

कभी अपने आप नूं पढ्या ही नहीं... - दिमाग के कमरे में किताबों का एक ढेर है। बायोडाटा में न जाने कितनी डिग्रियां दर्ज हैं। जिंदगी कहां दर्ज है याद नहीं। कभी-कभी किन्हीं लम्हों में जिंदगी हमे...ख्वाब - *सुनो !* *आज दावत दी है मैंने* *ख़्वाबों को * *तुम्हारी आखों में * *आने के लिए * *आज मत करना इन्तजार * *मेरे आने का * *बस पलकें मूँदना * *और ...कोहिनूर ... - उन्नें,....बम फोड़े, धमाके किये, जानें ले लीं ............................. अब अपनी बारी है ? ... सुनते हैं, आसमाँ में, कहीं ...घर है 'खुदा' का कि......

लड़की... - सुना था मैंने वो जो बहती है न! नदी होती है लेकिन जाना मैंने वो जो बहती है न! जिंदगी होती है... सुना था मैंने वो जो कठोर होता है पत्थर होता है लेकिन जाना.....मेरा प्रेम स्वार्थी है … - मैने तो सीखा ही नही मैने तो जाना ही नहीं क्या होता है प्रेम मैने तो पहचाना ही नहीं क्योंकि मेरा प्रेम तुम्हारा होना माँगता है तुमसे मिलन माँगता है ... बेईमानों को गले लगाओं ईमानदारों को दूर भगाओं - शशिमोहन के बाद सौमित्र प्रताडि़त घपलेबाजों के दबाव में हुुआ चौबे का तबादला छत्तीसगढ़ में रमन सरकार के सुराज की कलई खुलने लगी है । चौतरफा भ्रष्टाचार ...  

मैं आप की पोस्ट नही पढ़ पाया ??? - *मैंने अपनी आँख का आप्रेशन करवाया था * *डाक्टर साहब ने दस दिन का रेस्ट बताया था * *मेरी आँखों पे काला चश्मा लगवाया था* *मुझे लैपटॉप से दूर रहने को जताया था... इन्टरनेट के मैनर्स तो सीख लो जी - सुनिए ना........ कहना हम सब चाहते हैं पर क्या इसमें मामला मुश्किल तब पड़ जाता है कि क्या बोला जाए और कैसे . अब जरा ध्यान दिया जाए कि इस दुनिया में हर कोई ....अनिश्चितता का सिद्धान्त - कोई आपसे पूछे कि आप किसी विशेष समय कहाँ पर थे, स्मृति पर जोर अवश्य डालना पड़ेगा पर आप बता अवश्य देंगे। आप यदि स्वयं याद नहीं रखना चाहते तो मोबाइल का जीपी... 

न इर्द-गिर्द तांकिये, अपने गिरेवाँ में झाँकिये ! - * ** ** ** ** ** ** ** ** ** **पुष्प-हार क्या मिलेगा, पदत्राण खाओगे, * *जैसा बोओगे, फसल वैसी ही तो पाओगे। * * **जानता हूँ कि कहना,लिखना व्यर्थ है सब, * *...  व्यंग्य नरक में डिस्काऊंट ऑफ़र का कविता रुप - *सुप्रभात मित्रों... सुबह-सुबह माथा खराब हो उससे पहले चलिये कुछ हॉस्य हो जाये... :)* * **सेल की दुकान देखते देखते* *एक आदमी * *नरक के दरवाजे आ गया* *यमराज ....यकीन..... - प्रेम, प्यार, प्रीति, मुहब्बत, प्रणय, चाह, ...... किसी भी नाम से पुकारूँ तुम्हें, या..फिर खामोश रहूँ... बरसों- बरस. मुझे यकीन है.. ज़िन्दगी.. !!... 

भीगा मन - * * *चंद लफ्ज काफी है जज्बात बयां करने को * *ग़र कोई जज्बाती मिल जाए तो....* * * * * *मुस्कुराऊँ तो किस नज़ारे को देखकर * *आँखों में तुमने आंसू भर दिए है....  my dreams 'n' expressions - *आज मेरा ये ब्लॉग एक साल का हो गया.....* *घुटनों घुटनों सरकते आज अपने पैरों पर चल रहा है...डगमगाते क़दमों से ही सही:-) * ब्लॉग की पहली पोस्ट की पहली पंक्तिया...यक़ीन के रास्‍ते में !!!! दबी जुबान का सच सुनकर तुम्‍हें यक़ीन होता है क्‍या ??? फिर आखिर उस सच के मायने बदल ही गये न ! शक़ का घेरा कसा पर यह कसाव किस पर हुआ कैसे ह‍ुआ हर बात बेमानी हुई सच आज भी अपनी जगह अटल है पर दबी जुबान का सच शक़ के घेरे में ही रहता है यक़ीन के रास्‍ते में ...

धमाकेविहीन जिंदगी का सूनापन मिटा - वाह! बहुत दिनों बाद कुछ खालीपन दूर हुआ; कुछ अच्छा-अच्छा सा महसूस हुआ। बहुत दिन हो गये थे और कोई धमाकेदार खबर सामने नहीं आई थी, ऐसा लगने लगा था ...गृह मंत्री ने दी गाली - सुशिल कुमार शिंदे जी ने हिन्दु-आतंकवाद कहकर गाली दी पहले फिर परिस्थितियां विरोधी देखकर एक औपचारिक 'माफ़ी' भी मांग ली १ क्या समझा जाए? शिंदे खुद को बेवक़ूफ़..हमारे पास पहले से सूचना थी और इंतजार कर रहे थे - हमारे पास पहले से सूचना थी.... हम इंतजार कर रहे थे कि कब बम ब्लास्ट हों.... और कब हम निंदा करें.... सरकार में हैं तो आखिर कुछ न कुछ करना तो पड़ता ही है।...  

सच ठिठकी निगाहों का - सफर के दौरान खिड़की से सिर टिकाये ठिठकी सी निगाहें लगता है कि देख रही हैं फुटपाथ और झाड़ियाँ पर निगाहें होती हैं स्थिर चलता रहता है ... यह दिन भला-भला लगता है - यह कविता मैंने अपनी उस सखी के लिए लिखी है, जो उम्र के चौथे दशक के आखिरी पड़ाव में कार चलाना सीख रही है, आज उसके विवाह की छब्बीसवीं सालगिरह है....रक्षक सरहद का - माँ ने सिखाया गुर स्वावलंबी होने का पिता ने बलवान बनाया 'निडर बनो ' यह पाठ सिखाया बड़े लाड़ से पाला पोसा व्यक्तित्व विशिष्ट निखर कर आया बचपन से ही सुनी....


 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

आओ घर में दुबक कर वेलेन्टाइन डे मनाएँ...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....जब भी मुझे लगता है तुम्हे कि तुम्हे पाना है ......तभी मेरे हाथो कि लकीरों से तुम खो से जाते हो .......चाहे कुछ मुझे यकीन है...........गर तुम मेरे तो हाथों को थाम लो..........तो हाथों की लकीरों का क्या करना.......... मैं नही जानती कि कल क्या होगा..........पर मैं जरुर जानती हूँ कि मेरे आज सिर्फ तुम्हारे साथ है.......कहते कुछ तो जरुर होना होता है....... नही तो यूँ ही किसी से मुलाकात नही होती................मुझे भी यकीन है आज नही तो कल तुम भी मुझ पर यकीन कर लोगे..............और मेरे साथ होगे......क्यों कि कोई रिश्ता हालत या वक़्त का मोहताज नही होता........................!!!पढ़िए ..बारवां ख़त .... आइए अब  चलते हैं आज की वार्ता की ओर ...

आओ घर में दुबक कर वेलेन्टाइन डे मनाएँ - *//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//* माई डियर वेलेन्टाइन, फिर वो मनहूस दिन आ गया है जिस दिन लाख एहतियात बरतने, लुकने-छुपने के बावजूद पिछले आठ बरस से बिलानागा हम ...वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर - बन्धु! यह क्या? वेलण्टाइन डे में चौबीस घण्टे भी नहीं बचे हैं और तुम बिस्तर में ही हो? ऐसा कैसे चलेगा? ऐसे तो भारतीय संस्कृति की रक्षा का ठेका हमारे हाथ ... उनने देखा कि हम सलोनी भाभी को गुलाब दे रहें हैं. बस दहकने लगीं गुलाब सी . ...

बुखार के अँधेरे दर्रे में मोमबत्ती जलाये मिलती है बचपन की दोस्त - उपकार -कुमार अम्बुज मुसकराकर मिलता है एक अजनबी हवा चलती है उमस की छाती चीरती हुई एक रुपये में जूते चमका जाता है एक छोटा सा बच्चा रिक्शेवाला चढ़ाई पर भी..खुबसूरती ... - ज्यों ही हमने, उनसे....बिछड़ने का ढोंग रचा उनके दिल में छिपी चाहत, नजर आने लगे ? ... बच्चा-बच्चा वाकिफ है, उनके दलाली के हुनर से अब 'खुदा' ही जाने,...तोहमत न दे, दीपक जला ! - कर दुआ यही खुदा से,हो सबका भला, तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला। *तिमिर=darkness * घटता समक्ष जो, उससे न अंविज्ञ बन, *तोहमत=cursing * मूकता तज..

ओढ़ते तरुवर नूतन गात - ओढ़ते तरुवर नूतन गात उड़ा मकरंद, बहा आनंद गाया प्रकृति ने नव छंद पड़ी ढोलक पर प्यारी थाप हर कहीं रंगों वाली छाप मधुर सी बहने लगी बयार मद...  - दिल अब मेरा कैसे घबराने लगा है साया मेरा मुझसे दूर जाने लगा है सुनाई दे रही हैं हर तरफ़ सिसकियाँ हर श्रृंगार से अब ख़ौफ़ आने लगा है लगी काँपने दामिनी की ..  संबंधों का दर्द - जब जाने पहचाने अपने ही संबंधों का दर्द सालता है तो मन अनजाने, अनचाहे रिश्ते पालता है फिर स्वतंत्र हो जाने की अभिलाषा लिए नया उपार्जित करने का पागलपन ...इतना न पुकार ... - इतना न पुकार , मुझे ओ! पुकारती हुई पुकार ... मुझ अनाधार को देकर इक अनहोता-सा अनुराग-भार अनबोले हिया में क्यों ? मचाया है हाही हाहाकार अनमना ये मन है विचित्....

रंगीलो राजस्थान : सफ़र माउंट आबू से जोधपुर का.. - राजस्थान के अपने यात्रा वृत्तांत में आपको मैं उदयपुर, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, राणकपुर और माउंट आबू की सैर करा चुका हूँ। पर माउंट आबू के बारे में लिखने के ..Sukhi Top-Gangnani-Bhatwari to Lata Ganga Bridge सुक्खी टॉप से गंगनानी, भटवारी होते हुए लाटा गंगा पुल तक - गोमुख से केदारनाथ पद यात्रा-3 रात को अंधेरा होते-होते हम लोग झाला गाँव पहुँचे थे। यह गाँव गंगौत्री जाते समय हर्षिल से कई किमी पहले पड़ता है। यहाँ पर एक पुल... काम कैसे होगा? - आगे बढ़ता और सब सही होने का संकेत देता ज्ञानदत्तजी ने एक फेसबुक लिंक लगाया, एनीडू नामक एप्स का, साथ में आशान्वित उद्गार भी थे कि अब संभवतः कार्य हो जाया ....

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 दीजिये इजाज़त नमस्कार........

बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

"चाँदनी ओढ़े बूढ़ा चाँद"...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....कहाँ हो तुम ... ये सड़कें, घर, फूल-पत्ते, अड़ोसी-पड़ोसी सभी तो उदास हैं तेरे चले जाने के बाद लगा की इस शहर में लौटने की वजह खत्म हो गई बीती उम्र की पक्की डोर ... झटके में टूट गई पर ऐसा हो न सका कुछ ही दिनों में शहर की हर बात याद आने लगी यादों का सैलाब हर वो मुकाम दिखाने लगा जहाँ की खुली हवा में तूने सांस लेना सिखाया ऊँगली पकड़ के चलना सिखाया लौटने को मजबूर हो गया उन रास्तों पर हालांकि जहाँ तुम नहीं हो उस शहर आना आसान नहीं पर न आऊं तो जी पाना भी तो मुमकिन नहीं क्या करूं ... अजीब सी प्यास सताती है अब हर वक़्त बंजारा मन कहीं टिक नहीं पाता ....लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

सुरों की सांस में घुली रहेगी मिठास - *संगीत के ज़रिए बहुत कुछ बदला जा सकता है- लकी अली * बतौर संगीतकार मेरे सफ़र की शुरुआत साल 1996 में मेरी पहली एलबम ‘सुनो’ से हुई। ... निहाल-ए-सब्ज़ झूमे हैं गुलिस्ताँ में ,शराबी से .... - *अगवानी * * * * ** *शहर के ऊपर नीले साफ़ आसमान का शामियाना , मन में बिना पंख उड़ने की चाह , फ़िज़ा में घुले रफ़ाक़त के किस्से और हवा में उड़ती  ...छीजती ज़िन्दगी और मेरा संग्राम - मौन हो जाती है मेरी कलम मौन हो जाती हैं मेरी संवेदनायें मौन हो जाती है मेरी सोच मौन हो जाती हैं मेरी भावनायें अब तुम तक आते - आते जानते हो क्यों तुमने कोई ...

अपने हिस्से का आकाश ... - रात बहुत गहरी है फलक पर सिमटे तारे हैं एक बूढा सा चाँद भी अपनी बची खुची चाँदनी, ओढ़े खडा है. आस्माँ ने मुझे दिया है न्योता, सितारों जड़ी ...  मगर यूं नहीं - -*- रिश्ते बहुत गहरे होने होते हैं उकता जाने के लिए पढ़ता हूँ हर बार बस उड़ती निगाह से … कि कहीं बासी न पड़ जाए प्यास की तासीर सारी उम्र साथ रहने की ...तुम यहीं कहीं हो पास मेरे - *यादों की स्याही से लिखा था* *जो खत तुमने* *हर शब्द चूमा है* *अधरों ने* *तुम्हें याद कर* *कि जैसे उभर आई हो* *तस्वीर तुम्हारी* * **इन शब्दों में* *तुम दूर...

 अफजल कि फांसी और राजनीति का गहरा संबंध है !! - अफजल गुरु को फांसी होनी हि थी और वो हो गयी लेकिन इसको लेकर जो राजनैतिक दांव आजमाए गये उसके बाद भी सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता जो कह रहे है कि अफजल... अफजल ने जो बोया, वो उसे मिला - भारतीय संसद पर हमले के मुख्य मास्टरमाइंड अफजल गुरू को 12 साल बाद फांसी दी गई। एक ओर आठ साल पहले इस सजा पर अदालत की मुहर लगा दिए जाने के बाद भी इस काम के ... बड़ा सवाल : क्या मूर्ख हैं रेलमंत्री ? - *इ*सका जवाब सिर्फ यही है हां हमारे रेलमंत्री मूर्ख हैं, मैं कहूं कि बिल्कुल 24 कैरेट के मूर्ख हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा।  ... 

तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी नज़र से’ - 11 फरवरी 2013 को दक्षिण भारत राष्ट्रमत के नियमित स्तंभ ‘ब्लॉग बाइट’ में अपनी नज़र से उम्र The post तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी ... दुनिया में कोई मनुष्य भगवान कैसे हो सकता है-- एक सवाल ! - रविवार का दिन था। सुहानी धूप खिली थी। सोच ही रहे थे कि कई दिनों बाद खिली धूप का आनंद कैसे लिया जाये कि तभी साले साहब का फोन आया कि एक कार्यक्रम में जा ...मुफलिसी के इस दौर मे, मगज भी सटक गए। - शायद बहुत समय नहीं गुजरा जब अपने इस देश में कुछ हलकों में ये आवाजें उठी थी कि सिंध को अपने राष्ट्र-गान से अलग किया जाए। मेरा यह मानना है कि कुछ स्थान, वस...

तेरी ऐसी की तैसी ताऊ की….. नागपत्नि - ब्लागिंग के ठंडेपन से निराश हताश ताऊ तपस्या करने जंगल की और चला जा रहा था. रास्ते में ठंड और बर्फ़ीली हवाओं की वजह से परेशान था. पर ब्लागर की यात्रा जा..डायल किया गया नंबर जवाब नहीं दे रहा .. - आपा-धापी के संसार में अपने अस्तित्व को तलाशती माही बहुत निराश थी! बेहद कर्मशील और उद्द्यमी होने के बावजूद अपना कोई स्थान नहीं बना पा रही थी वो। चौका-बर्त... .एक कुंभीपाक भी है इस महाकुंभ में - अपन तो संत रैदास के चेले हैं-जब मनचंगा तो कठौती में गंगा। सो कुंभ स्नान करने नहीं गए। करोड़ों-करोड़ लोग लोग जो मोक्ष की लालसा लिए हुए गए उनमें से पैंतीस-... 

रंग बासंती …… - महुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर, पीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर. सुमनों के अधरों पर फ़ाग, भ्रमरों के भी डेरे हैं, कलियों के मनभाए हैं.. मेरा अधिकार..... - *हे सृष्टिकर्ता !* *तुम दाता हो* *जो तुमने है दिया मुझको * *वो मेरा है* *कोई कैसे छीन सकता है मुझसे* *जो मेरा है..........* *कर दे वो मुझको बेघर ,बेशक * *...पुस्तकें और पाठक - संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ? 


 

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

स्‍वागत वसंत .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , बॉलीवुड फिल्मों के चर्चित अभिनेता कादर खान की सेहत बिल्कुल ठीक है। उनका कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनके निधन की अफवाह फैलाए जाने से वह और उनका परिवार बहुत परेशान हैं। 77 वर्षीय अभिनेता ने गप्पबाजी के सौदागरों से अपील की है कि वे अफवाह फैलाना बंद करें। हास्य अभिनेता कादर खान ने कहा कि अफवाह से मेरा परिवार बहुत परेशान और चिंतित है। इन सब ने मेरे परिवार को हिलाकर रख दिया है। जिस किसी ने भी ऐसी अफवाह फैलाई हो, कृपया यह सब बंद करें। उन्होंने कहा कि एक दिन तो सब को जाना है और मैं आप सबकी दुआएं लेकर जाऊंगा। अभी मैं पूरी तरह ठीक हूं। ईश्‍वर से उनके अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की कामना करती हूं , अब देखते हैं ब्‍लॉग जगत की कुछ महत्‍वपूर्ण पोस्‍ट ........

स्वागत बसन्त... - *१* *स्वागत तेरा* *आँगन आँगन में* *मेरे बसन्त ...* *२* *पीली सरसों * *और लाल पलाश* *केशरिया मैं...* *३* *प्रीत उमगे* *उर में साजन के * *मैं शरमाउँ...* *४* *ब...उत्सव के परिणाम अपने नज़रिए से दें- कृपया उत्सव के परिणाम अपने नज़रिए से दें .......... शुभकामनायें बहुत मिलीं सुझाव भी चाहिए अपनी पसंद को जाहिर कीजिये एक वोट टिप्पणी से अधिक कारगर होगी ...एक दिन पुस्तक मेले के नाम …………2013 - दिल गुलशन गुलशन हो गया जब दोस्तों का साथ मिल गया किताबों से नाता जुड गया यूँ मन का कँवल खिल गया कल पुस्तक मेले के सफ़र में सबसे पहले अन्दर कदम रखते ही आन...पुस्तकें और पाठक - संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ? स...

बीमारी - सुयश जॉगिंग करते हुए लगातार ऋचा के बारे में सोच रहा था. पिछले कुछ दिनों से वो बीमार सी दिख रही थी. हमेशा खिले-खिले चेहरे वाली तेज-तर्रार लड़की अचानक से निश...आठवा ख़त .......Valentine special.......... - कभी उगते सूरज को तुम्हारे साथ देखना चाहती हूँ...... तो कभी ढलती शाम को तुम संग गुजारना चाहती हूँ...... कभी रात का लम्बा सफ़र.......तुम्हारी गोद में सर रख कर...विदेशी शब्दों की बाढ़ - हमारे साहित्य के प्रत्येक युग में विदेशी शब्दों की एक बाढ़ सी हमारे यहाँ आई है। हमारा अपना युग भी इस का अपवाद नहीं है। और यह एक ऐसी चीज है जिस का जल्दी ...आज एक छोटा सा गीत- मिथ्याबोध ! -*कभी हमसे भी कोई बेरहमी न होती, * *ऐ अहबाब अगर तुम बहमी न होती। * * * *ये प्रेम कहानी अश्रु -पिपासा न होती,* *दिल में उलझी कोई दिलासा न होती, * *...


ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब की जयंती पर विशेष - *जगमोहन सिंह (**जगजीत सिंह - *८ फ़रवरी १९४१ - १० अक्टूबर, २०११) का नाम बेहद लोकप्रिय ग़ज़ल गायकों में शुमार हैं। उनका संगीत अंत्यंत मधुर है, और उनकी आवाज़...फिल्‍म समीक्षा : एबीसीडी - [image: ABCD anybody can dance movie review]-अजय ब्रह्मात्मज एक डांसर क्या करता है? वह दर्शकों को अपनी अदाओं से इम्प्रेस करता है या अपनी भंगिमाओं से कुछ एक्...अनिरुद्ध उमट की नौ कविताएं - आज कई महीने बाद अपने उचाट सूनेपन में मेरे क़दम अब तक स्‍थगित रखे गए फेसबुक की ओर बढ़ गए और वहां वो मिला, जिसकी मुझे कुछ सुकून दिया। वहां अपने स्‍टेटस में ...मन - 1. स्वार्थी मन तोड़ देता सम्बन्ध जानबूझकर ........ 2. व्याकुल मन निस्तब्ध निशा आत्मविस्मृति के क्षण ...... 3. युगों की भटकन मन क... "बांछैं" शब्द का अर्थ पूछियेगा तो अच्छे अच्छों के होश उड़ जाते हैं . अर्थ तो हमको भी नहीं मालूम हमारे मित्र मनीष शर्मा भी नहीं जानते कि बाछैं शरीर के किस भाग में पाई जातीं हैं. पर इस बात से सहमत नज़र आते हैं कि बाछैं खिलती अवश्य हैं. यानी कि जब वो नहीं जानते तो किसी और के जानने का सवाल ही नहीं खड़ा होता .

कारोबार की तरह धर्म की भी होती है मार्केटिंग -श्रीगंगानगर-जमाना मार्केटिंग का है। किसी भी कारोबार की मार्केटिंग के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। अब तो रिश्तों की भी मार्केटिंग होने लगी है...वो फलां...निरुद्देश्य - सुरेन्द्रनाथ झा गुडगाँव में ३०० गज के एक प्लाट में बंगला बनाकर रह रहे हैं. वे देश के एक नामी कपड़ा उद्योग के स्पेशल डाइरेक्टर के पद से करीब दस साल पहले रि...-'Lower drinking age leads to binge drinking later - सेहतनामा (1) नियमित दोनों समय पर भोजन (दोपहर और रात का )और सुबह का नास्ता करें .जो लोग कभी दोपहर का भोजन नहीं करते कभी रात का वह अपने लिए सिरदर्द ...देश की पुकार है, बचाओ बेटियां -*हरेश कुमार* देश की पुकार है ये बचाओ बेटियां। गर्भ से लेकर, हर जगह, क्यों मारी जाती हैं बेटियां। हैं, बेटियां पुकारती। क्यों हो रहा ये अत्याचार। ...

Goa- Last trekking point at Tambdisurla ancient Temple, गोवा ट्रेकिंग समापन स्थल एक प्राचीन महादेव मन्दिर। - गोवा यात्रा-20 नदी किनारे वाले बारा भूमि मन्दिर से यह ताम्बडी सुरला नाम का शिव मन्दिर लगभग चार किमी दूरी पर है। एक घन्टे में हमने यह दूरी आसानी से तय कर ली ...निठल्लाई माने सदा सप्ताहांत -सप्ताहांत याने संडे का दूनिया को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। शनिवार से ही सप्ताहांत मनाने की तैयारी शुरु हो जाती हैं। पश्चिमी देश चाहे नाच-गा कर मस्ती...वीआईपी सुरक्षा और जनता ?- देश में जिस तरह से सामान्य प्रशासनिक कार्यों में मूर्छा की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है वह कहीं न कहीं से देश के लिए...जवाब रखे थे - - शायद अब सांप बनने लगे हैं फूल, वरना हमने जेब में गुलाब रखे थे - कमाल है पढ़े जाने लगे हैं धर्म-ग्रन्थ वरना जेलों में तो कसाब रखे थे - मशगुल थ...

अब दीजिए इजाजत .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

हाय ! सोशल मिडिया तूने बड़ा दुःख दीन्हा...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... जब दि‍ल चाहता है बस तुम्‍हारे लि‍ए सोचना काश कि उस वक्‍त रूबरू तुम होते मैं करती तुमसे मौसम की बातें सि‍यासत और दुनि‍यादारी की तमाम बातें बि‍ना रूके....घंटों लड़ती-झगड़ती जो न हुआ न होगा कभी उन बातों के लि‍ए भी मगर एक बार भी जि‍क्र न आता जुंबा पर मेरे पर शायद समझ जाते तुम..... कि‍ जानां प्‍यार है तुम्‍हीं से...  प्रस्तुत है आज की वार्ता पर इन लिंक्स के साथ.......
उसने कहा था ..... - *उसने कहा था ..... उसने कहा ......अभिव्यक्ति । उन्होंने कहा .....अभी वक्त नहीं । उसने कहा ........धर्मनिरपेक्षता । उन्होंने कहा .......धर्म पर देश टिका ।...यादें !!! सुहाने लम्हों की .... - *रोज़ कहता हूँ ,भूल जाऊं उन्हें पर रोज़ यह बात ,भूल जाता हूँ ||* ---अज्ञात *जब-जब बीते लम्हात मुझको याद आयेंगे सब कुछ भूल उन की यादों में खो जायेंगे * * ...मौसम और वो ! - *उसका मिजाज मौसम-सा , * *हमको हर बार दगा देता है !* * * *मिलने को बुलाता है मुझको * *गलत हर बार पता देता है ।* * * *कहने को कुछ नहीं होता,* *जल्द एतबार जता ...

हाय ! सोशल मिडिया तूने बड़ा दुःख दीन्हा - बरसात के बाद उग आये कुकुरमुत्तों से हम आज के दौर के कवि कहलाते हैं एक लाइक और एक टिपण्णी पर फूले नहीं समाते हैं एक पत्रिका में छपने पर एक सम्मान पाने ...पुल क्या टूटे रिश्ते ही टूट गए......... - श्रीगंगानगर-मोहन! इससे पहले कि मोहन जवाब देता उसकी लड़की बोली, “आ जाओ चाचा जी ।“ “पापा हैं क्या” आने वाले ने पूछा। “क्यों पापा नहीं होंगे तो अंदर नहीं आएगा...कुछ बात तो है ..... - दो कच्चे धागों को जोड़ कर आपस में दिया जाता है जब वट तो हो जाते हैं मजबूत , हल्के से तनाव से नहीं जाते वे टूट , वैसे ही तुम और मैं साल दर साल वक़... 

सरगुजा का सतमहला - प्रारंभ से पढ़े लखनपुर फ़ोन लगाने पर पता चला कि अमित सिंह देव को अम्बिकापुर आना है। इसलिए हम अम्बिकापुर के रायपुर आने वाले चौक पर ही रुक गए। उनके साथ कलेक्... Trekking Caranzol to National Highway camp करनजोल से राष्ट्रीय राजमार्ग कैम्प तक ट्रेकिंग - गोवा यात्रा-17 करनजोल कैम्प में रात को कैम्प फ़ायर किया गया था, यहाँ कैम्प फ़ायर स्थल पर चारों और गोल घेरे में बैठने के लिये पत्थर रखे हुए थे।  ... मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान के क्षेत्रीय केन्द्र का शुभारंभ - रायपुर, 04 फरवरी 2013/ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में शत-प्रतिशत बालक-बालिकाओं को शिक्षित करने के हरसंभव प्रयास किए जा... 

भ्रम और सत्य के बीच स्थित तुम - भ्रम और सत्य के बीच स्थित तुम कभी भ्रम बन टिमटिमाते हो कभी सत्य बन अटल बन जाते हो मोहन! अठखेलियों के लिये इन पहेलियों को सुलझाने के लिये और अपनी दिव्यता ... श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (४५वीं कड़ी) - मेरी प्रकाशित पुस्तक 'श्रीमद्भगवद्गीता (भाव पद्यानुवाद)' के कुछ अंश: ग्यारहवाँ अध्याय (विश्वरूपदर्शन-योग-११.१८-२५) तुम अविनाशी ... ऋतुराज वसंत की गलियन में ......... - यह कविता लगभग पच्चीस-तीस साल पहले, अपनी बेटियों को जगाने के लिए लिखी थी, हर साल वसंत- ऋतु में ज़रूर मन में घूमने लगती है....... ऋतुराज वसंत की गलियन में को... 

अनचाहा कोई एक ख़याल...... - कितना सोचते हो तुम ? आखिर कितनी मोहब्बतें मुक्कमल मकाम पाती हैं आजकल ? क्यूँ उसका ख़याल अब तक संजो रखा है तुमने? कुछ तो कहो....यूँ घुटते न रहो....बदनसीबी, - *मुझे जिन्दगी ने रुलाया बहुत है, मेरे दोस्त ने आजमाया बहुत है! कोई आ के देखे मेरे घर की रौनक, मेरा घर गमो से सजाया बहुत है! हटा लो ये आँचल मुझे भूल जाओ..सड़क - सड़क को कम न समझो बड़ा महत्त्व रखती है सब का भार वहन करती है बड़ा संघर्ष करती है कोई आये कोई जाए वह कहीं नहीं जाती गिला शिकवा नहीं करती हर आने जाने... 

आहुति' - चौथा ख़त...........Valentine Special... मुझे आज भी वो तुम्हारी आँखे याद है जो सबसे छुपते छुपते मुझे देखती थी. मैंने किसी से सुना था ,शायद कंही पढ़ा भी था,...कोई ख्वाब नहीं है - कोई ख्वाब नहीं है। रात में सोने के बाद जब भी उठता हूं। तो याद नहीं आता कि मैंने कोई ख्वाब देखा है। बच्चों पर निगाह डालता हूं तो सोते हुए भी उनकी पलकों के ... मेरा ज़िंदगी - मेरी ज़िंदगी; दो पन्नों कि डायरी, एक ही पन्ने को मिटाता और कुछ नया लिखता हूँ, दुसरे पन्ने को मैं कभी नहीं भरता, दो पल की ज़िंदगी, एक ही पल को बार बार जिया ... 

माँ का साया ...धूप तब भी नहीं चुभी की साया था तेरी घनी छाँव का मेरे आसमान पर ओर धूप तेरे जाने के बाद भी नहीं चुभी की तेरी यादों की धुंध बादलों की घनी छाँव बन के डटी रही सूरज के आगे जानता हूं समय की बेलगाम रफ़्तार ने सांसों के प्रवाह से तुझे मुक्त कर दिया पर मेरे वजूद में शामिल तेरा अंश मेरे रहते आसान तो न होगा उसे मुक्त करना ...लम्हा भर रोशनी आँखों पर कस कर हालात की काली पट्टी बाँध जिन्दगी ने घुप अँधेरे में अनजानी अनचीन्ही राहों पर जब अनायास ही धकेल दिया था तब मन बहुत घबराया था ! व्याकुल विह्वल होकर सहारे के लिए मैंने कितनी बार पुकारा था, लेकिन मेरी हर पुकार अनुत्तरित ही रह जाती थी !.. .शारदे माँ श्वेत वसने वंदना स्वीकार कर .... - शरदे माँ श्वेत वसने वंदना स्वीकार कर .... हो रहे पद्भ्रांत सारे ...विश्व का उद्धार कर ..... इस बसंत में विश्व शांति के लिए की है प्रार्थना .... आज आप को भी... 

 कविता गढ़ डालूंगी ... यूँ ही कुछ भी छेड़िए मत नहीं तो मैं भी यूँ ही दुहराते-तिहराते हुए दो-चार-दस कविता गढ़ डालूंगी और अपने तहखाने में तहियाये खटास/भड़ास को भी आपके ही सिर मढ़ डालूंगी ये शौक़ भी ... !!! .मायने बदल जाते हैं हर बार, हर शब्‍द के जिन्‍दगी में कई बार कहते सुना आराम हराम हो गया :) सच पहेलियाँ बूझने की उम्र नहीं रही पर फिर भी लोगों को जाने क्‍यूँ पहेलियाँ बुझाने में ज्‍यादा आनन्‍द आता है ....बना रहे साथ....... पापा * (पापा के आज 61 वें जन्मदिवस पर कुछ--)* एक साया हरपल चला है साथ मेरे एक हाथ हमेशा बढ़ा है आगे मेरे सुनाए जिंदगी ने यूं तो कितने ही तीखे ही नगमे एक सुर के साथ बीत गए.....

कार्टून :- रे महि‍ला सुरक्षा अध्‍यादेश आ गया 

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

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