संध्या शर्मा का नमस्कार....कहाँ हो तुम ... ये सड़कें, घर, फूल-पत्ते, अड़ोसी-पड़ोसी सभी तो उदास हैं तेरे चले जाने के बाद लगा की इस शहर में लौटने की वजह खत्म हो गई बीती उम्र की पक्की डोर ... झटके में टूट गई पर ऐसा हो न सका कुछ ही दिनों में शहर की हर बात याद आने लगी यादों का सैलाब हर वो मुकाम दिखाने लगा जहाँ की खुली हवा में तूने सांस लेना सिखाया ऊँगली पकड़ के चलना सिखाया लौटने को मजबूर हो गया उन रास्तों पर हालांकि जहाँ तुम नहीं हो उस शहर आना आसान नहीं पर न आऊं तो जी पाना भी तो मुमकिन नहीं क्या करूं ... अजीब सी प्यास सताती है अब हर वक़्त बंजारा मन कहीं टिक नहीं पाता ....लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......
सुरों की सांस में घुली रहेगी मिठास
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*संगीत के ज़रिए बहुत कुछ बदला जा सकता है- लकी अली *
बतौर संगीतकार मेरे सफ़र की शुरुआत साल 1996 में मेरी पहली एलबम ‘सुनो’ से
हुई। ... निहाल-ए-सब्ज़ झूमे हैं गुलिस्ताँ में ,शराबी से ....
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*अगवानी *
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*शहर के ऊपर नीले साफ़ आसमान का शामियाना , मन में बिना पंख उड़ने की चाह ,
फ़िज़ा में घुले रफ़ाक़त के किस्से और हवा में उड़ती ...छीजती ज़िन्दगी और मेरा संग्राम
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मौन हो जाती है मेरी कलम
मौन हो जाती हैं मेरी संवेदनायें
मौन हो जाती है मेरी सोच
मौन हो जाती हैं मेरी भावनायें
अब तुम तक आते - आते
जानते हो क्यों
तुमने कोई ...
अपने हिस्से का आकाश ...
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रात बहुत गहरी है
फलक पर सिमटे तारे हैं
एक बूढा सा चाँद भी
अपनी बची खुची चाँदनी,
ओढ़े खडा है.
आस्माँ ने मुझे
दिया है न्योता,
सितारों जड़ी ...
मगर यूं नहीं
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-*- रिश्ते बहुत गहरे होने होते हैं उकता जाने के लिए पढ़ता हूँ हर बार बस
उड़ती निगाह से … कि कहीं बासी न पड़ जाए प्यास की तासीर सारी उम्र साथ रहने
की ...तुम यहीं कहीं हो पास मेरे
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*यादों की स्याही से लिखा था*
*जो खत तुमने*
*हर शब्द चूमा है*
*अधरों ने*
*तुम्हें याद कर*
*कि जैसे उभर आई हो*
*तस्वीर तुम्हारी*
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**इन शब्दों में*
*तुम दूर...
अफजल कि फांसी और राजनीति का गहरा संबंध है !!
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अफजल गुरु को फांसी होनी हि थी और वो हो गयी लेकिन इसको लेकर जो राजनैतिक दांव
आजमाए गये उसके बाद भी सरकार के मंत्री और कांग्रेस के नेता जो कह रहे है कि
अफजल...
अफजल ने जो बोया, वो उसे मिला
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भारतीय संसद पर हमले के मुख्य मास्टरमाइंड अफजल गुरू को 12 साल बाद फांसी दी
गई। एक ओर आठ साल पहले इस सजा पर अदालत की मुहर लगा दिए जाने के बाद भी इस काम
के ...
बड़ा सवाल : क्या मूर्ख हैं रेलमंत्री ?
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*इ*सका जवाब सिर्फ यही है हां हमारे रेलमंत्री मूर्ख हैं, मैं कहूं कि बिल्कुल
24 कैरेट के मूर्ख हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा। ...
तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी नज़र से’
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11 फरवरी 2013 को दक्षिण भारत राष्ट्रमत के नियमित स्तंभ ‘ब्लॉग बाइट’ में
अपनी नज़र से उम्र
The post तोड़ डालो उम्र का कवच: दक्षिण भारत राष्ट्रमत में ‘अपनी ... दुनिया में कोई मनुष्य भगवान कैसे हो सकता है-- एक सवाल !
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रविवार का दिन था। सुहानी धूप खिली थी। सोच ही रहे थे कि कई दिनों बाद खिली
धूप का आनंद कैसे लिया जाये कि तभी साले साहब का फोन आया कि एक कार्यक्रम में
जा ...मुफलिसी के इस दौर मे, मगज भी सटक गए।
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शायद बहुत समय नहीं गुजरा जब अपने इस देश में कुछ हलकों में ये आवाजें उठी थी
कि सिंध को अपने राष्ट्र-गान से अलग किया जाए। मेरा यह मानना है कि कुछ स्थान,
वस...
तेरी ऐसी की तैसी ताऊ की….. नागपत्नि
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ब्लागिंग के ठंडेपन से निराश हताश ताऊ तपस्या करने जंगल की और चला जा रहा
था. रास्ते में ठंड और बर्फ़ीली हवाओं की वजह से परेशान था. पर ब्लागर की
यात्रा जा..डायल किया गया नंबर जवाब नहीं दे रहा ..
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आपा-धापी के संसार में अपने अस्तित्व को तलाशती माही बहुत निराश थी! बेहद
कर्मशील और उद्द्यमी होने के बावजूद अपना कोई स्थान नहीं बना पा रही थी वो।
चौका-बर्त...
.एक कुंभीपाक भी है इस महाकुंभ में
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अपन तो संत रैदास के चेले हैं-जब मनचंगा तो कठौती में गंगा। सो कुंभ स्नान
करने नहीं गए। करोड़ों-करोड़ लोग लोग जो मोक्ष की लालसा लिए हुए गए उनमें से
पैंतीस-...
रंग बासंती ……
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महुआ महके टेसू दहके, बौराए आमों के बौर,
पीली-पीली सरसों फूली, कनेर फ़ूले हैं चहुं ओर.
सुमनों के अधरों पर फ़ाग, भ्रमरों के भी डेरे हैं,
कलियों के मनभाए हैं.. मेरा अधिकार.....
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*हे सृष्टिकर्ता !*
*तुम दाता हो*
*जो तुमने है दिया मुझको *
*वो मेरा है*
*कोई कैसे छीन सकता है मुझसे*
*जो मेरा है..........*
*कर दे वो मुझको बेघर ,बेशक *
*...पुस्तकें और पाठक
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संवाद स्थापित करना प्राणी की अनिवार्य और महत्वपूर्ण आवश्यकता है. अगर हम यह
कल्पना करें कि जब संवाद स्थापित करने के साधन नहीं थे तो जीवन कैसा रहा होगा ?
15 टिप्पणियाँ:
संध्या जी, कई महत्वपूर्ण और पठनीय पोस्टों के लिंक उपलब्ध कराए आपने, आभार।
क्या बदलेगा न्यूटन का नियम ?
वाह, सुन्दर कार्टून व सूत्र..
सुन्दर सार्थक पठनीय वार्ता संध्या जी ! वसंत की आपको हार्दिक शुभकामनाएं !
बढिया वार्ता
बढ़िया पठनीय लिंकों से सजी वार्ता में मेरे लेख को भी शामिल होने का सौभाग्य मिला इसके लिए आभार !!
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति
बढिया लिंक्स
अच्छी वार्ता
आभार . सुन्दर .प्रभाब शाली अभिब्यक्ति .
सभी लिनक्स अच्छे लगे .................
सार्थक वार्ता है संध्या जी |अच्छी लिनक्स
आशा
आदरणीया संध्या दी बेहद शानदार वार्ता है हार्दिक बधाई
बहुत ही सुन्दर पठनीय लिंकों के साथ सुन्दर वार्ता।
बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं संध्या जी...
हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.
सस्नेह
अनु
bahut sunder links
सुन्दर लिंक्स हैं ... शुक्रिया मुझे जगह देने के लिए ...
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