संध्या शर्मा का नमस्कार....जब भी मुझे लगता है तुम्हे कि तुम्हे पाना है ......तभी मेरे हाथो कि लकीरों से तुम खो से जाते हो .......चाहे कुछ मुझे यकीन है...........गर तुम मेरे तो हाथों को थाम लो..........तो हाथों की लकीरों का क्या करना.......... मैं नही जानती कि कल क्या होगा..........पर मैं जरुर जानती हूँ कि मेरे आज सिर्फ तुम्हारे साथ है.......कहते कुछ तो जरुर होना होता है....... नही तो यूँ ही किसी से मुलाकात नही होती................मुझे भी यकीन है आज नही तो कल तुम भी मुझ पर यकीन कर लोगे..............और मेरे साथ होगे......क्यों कि कोई रिश्ता हालत या वक़्त का मोहताज नही होता........................!!!पढ़िए ..बारवां ख़त .... आइए अब चलते हैं आज की वार्ता की ओर ...
आओ घर में दुबक कर वेलेन्टाइन डे मनाएँ
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*//व्यंग्य-प्रमोद ताम्बट//*
माई डियर वेलेन्टाइन,
फिर वो मनहूस दिन आ गया है जिस दिन लाख एहतियात बरतने, लुकने-छुपने के बावजूद
पिछले आठ बरस से बिलानागा हम ...वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर
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बन्धु! यह क्या? वेलण्टाइन डे में चौबीस घण्टे भी नहीं बचे हैं और तुम बिस्तर
में ही हो? ऐसा कैसे चलेगा? ऐसे तो भारतीय संस्कृति की रक्षा का ठेका हमारे
हाथ ...
उनने देखा कि हम सलोनी भाभी को गुलाब दे रहें हैं. बस दहकने लगीं गुलाब सी .
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बुखार के अँधेरे दर्रे में मोमबत्ती जलाये मिलती है बचपन की दोस्त
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उपकार
-कुमार अम्बुज
मुसकराकर मिलता है एक अजनबी
हवा चलती है उमस की छाती चीरती हुई
एक रुपये में जूते चमका जाता है एक छोटा सा बच्चा
रिक्शेवाला चढ़ाई पर भी..खुबसूरती ...
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ज्यों ही हमने, उनसे....बिछड़ने का ढोंग रचा
उनके दिल में छिपी चाहत, नजर आने लगे ?
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बच्चा-बच्चा वाकिफ है, उनके दलाली के हुनर से
अब 'खुदा' ही जाने,...तोहमत न दे, दीपक जला !
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कर दुआ यही खुदा से,हो सबका भला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला। *तिमिर=darkness *
घटता समक्ष जो, उससे न अंविज्ञ बन, *तोहमत=cursing *
मूकता तज..
ओढ़ते तरुवर नूतन गात
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ओढ़ते तरुवर नूतन गात
उड़ा मकरंद, बहा आनंद
गाया प्रकृति ने नव छंद
पड़ी ढोलक पर प्यारी थाप
हर कहीं रंगों वाली छाप
मधुर सी बहने लगी बयार
मद...
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दिल अब मेरा कैसे घबराने लगा है
साया मेरा मुझसे दूर जाने लगा है
सुनाई दे रही हैं हर तरफ़ सिसकियाँ
हर श्रृंगार से अब ख़ौफ़ आने लगा है
लगी काँपने दामिनी की .. संबंधों का दर्द
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जब जाने पहचाने
अपने ही
संबंधों का दर्द सालता है
तो मन
अनजाने, अनचाहे रिश्ते पालता है
फिर स्वतंत्र हो जाने की अभिलाषा लिए
नया उपार्जित करने का पागलपन ...इतना न पुकार ...
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इतना न पुकार , मुझे
ओ! पुकारती हुई पुकार ...
मुझ अनाधार को देकर
इक अनहोता-सा अनुराग-भार
अनबोले हिया में क्यों ?
मचाया है हाही हाहाकार
अनमना ये मन है
विचित्....
रंगीलो राजस्थान : सफ़र माउंट आबू से जोधपुर का..
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राजस्थान के अपने यात्रा वृत्तांत में आपको मैं उदयपुर, चित्तौड़गढ़,
कुंभलगढ़, राणकपुर और माउंट आबू की सैर करा चुका हूँ। पर माउंट आबू के बारे
में लिखने के ..Sukhi Top-Gangnani-Bhatwari to Lata Ganga Bridge सुक्खी टॉप से गंगनानी, भटवारी होते हुए लाटा गंगा पुल तक
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गोमुख से केदारनाथ पद यात्रा-3
रात को अंधेरा होते-होते हम लोग झाला गाँव पहुँचे थे। यह गाँव गंगौत्री जाते
समय हर्षिल से कई किमी पहले पड़ता है। यहाँ पर एक पुल...
काम कैसे होगा?
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आगे बढ़ता और सब सही होने का संकेत देता
ज्ञानदत्तजी ने एक फेसबुक लिंक लगाया, एनीडू नामक एप्स का, साथ में आशान्वित
उद्गार भी थे कि अब संभवतः कार्य हो जाया ....
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दीजिये इजाज़त नमस्कार........
18 टिप्पणियाँ:
वासंती रंग में सराबोर गुलाब की महक से महकती वार्ता |
आशा
सुंदर लिंक्स समेटे गुलाबी रंग में डूबी बढ़िया वार्ता संध्या जी ...
शुभकामनायें ...
सुंदर लिनक्स समेटे वार्ता .... आभार
सुन्दर वार्ता !!
अच्छी वार्ता .... नए लिंक्स मिले ।
बढिया वार्ता
अच्छे लिंक्स
बहुत ही बढिया प्रस्तुति ...
बसंतोत्सव एवं सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर और पठनीय सूत्र...
सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनाएं संध्या जी ...
वाह। ढेर सारी रोचक और उपयोगी लिंकें। शुक्रिया इस सबके लिए।
सुन्दर वार्ता !!...संध्या जी
बढ़िया वार्ता संध्या जी .
bahut umda deedee
पठनीय सूत्र
उत्तम।
....
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0
अच्छा लिखा है।
बाहर ही सुन्दर उत्कृष्ट लिंक संयोजन
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