गुरुवार, 31 जनवरी 2013

अपनी तो जय राम जी की.... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... भारत को उभरती हुई महाशक्ति भले बताया जाता हो, लेकिन भारतीय गांवों में पहुंचते ही ये दावे हवा हो जाते हैं। तमाम गावों में आज भी लोग मध्ययुगीन तौर-तरीकों से जीवन काटते हैं। देहरादून और उत्तरकाशी जनपद की सीमा पर बसी भंखवाड़ पंचायत भी इससे अलग नहीं है। यहां के लोगों को भी आजादी के 65 वर्ष एक अदद पुल नहीं दिला सके। नदी के दोनों किनारों से बंधी 50 मीटर लंबी लोहे के तार के सहारे दर्जनों लोग हर रोज मौत से होड़ लगाते हैं। इस तार से हाथ छूटने या तार के टूटने के साथ ही जीवन की डोर कभी भी टूट सकती है। इस खास खबर के बाद आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर कुछ चुनी हुई लिंक्स के साथ....

दलील उम्र की पेश की - *दलील उम्र की पेश की ** * थी घटना ह्रदय विदारक सहानुभूति थी देश की आई जब कानून की बात दलील 'उम्र' की पेश की वितरक प्रमाण पत्र के कई हैं बना है बड़ा....मासूमयित के मापदंड दिल्ली में हूए वीभत्स सामूहिक दुष्कर्म के एक आरोपी को नाबालिग मान लिया गया है। जिसका सीधा सा अर्थ है कि हिंदुस्तान के कानून को इस कुकृत्य में सबसे ज्यादा बर्बरता दिखाने वाले अमानुष के चेहरे पर मासूमयित नजर आ रही है।...बापू !*(1)* बापू ! राजघाट पर आज लगे जमघट में मुझे तलाश है उन तीन बंदरों की जो हुआ करते थे कभी तुम्हारे हमराही पर आज जो छुपे बैठे हैं फर्जी प्रवचनों और मुखौटों के ढेर में कहीं।...

बहल जायेगा दिल बहलते-बहलते .बिना तेरे दिन हैं जुदाई के खलते, कटे रात तन्हा टहलते - टहलते, समय ने चली चाल ऐसी की प्राणी, बदलता गया है बदलते - बदलते, गिरे जो नज़र से फिसल के जरा भी, उमर जाए फिर तो निकलते-निकलते, किया शक हमेशा मेरी दिल्लगी पे,...कि मैं इक बादल आवारा - १९६१ की फिल्म “छाया” मूल गीत गाया था तलत महमूद  ने. सुनील दत्त और आशा पारेख अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे हृषिकेश मुखर्जी. गीत लिखा था राजेन्द्र कृष्ण ने....सब काला हो गया है.. - कुछ नहीं है, कुछ भी तो नहीं है... बस अँधेरा है, छितरा हुआ, यहाँ, वहाँ.. हर जगह... काले कपडे में लिपटी है ये ज़िन्दगी या फिर कोई काला पर्दा गिर गया है ... 

 अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता - इस देश की सरकार के चलते अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पूरी तरह छीनी जा चुकी है ! शिंदे अगर 100 करोड़ हिन्दुओं को आतंकवादी कह दें तो हिन्दुओं की आत्मा को ठेस ...रावण-कंसऔर दक्ष बनो,ताकि हरी को आना पड़े आपके पास "...!! रोना-धोना छोड़ो ..!! - * प्रिय मित्रो,सादर नमस्कार ! ** हमारे... मृत्यु के निकट - *आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ,* *दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ।* * एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान,* *जो खोते हैं व्यर्थ ही, वह मनु...भ्रष्टाचार की प्रोफाइल तो यही कहती है - *जगदीश्‍वर चतुर्वेदी*भ्रष्टाचारियों का सामाजिक प्रोफाइल होता है। याद करें 2जी स्पेक्ट्रम में शामिल तमिलनाडु के नेताओं को, मायावतीशासन में हुए भ्रष्टाचार ...  

बहाली के आदेश का स्वागत किया शिक्षा कर्मियों ने - रायपुर, 29 जनवरी 2013/ मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह ने प्रदेश के पंचायत संवर्ग के शिक्षकों (शिक्षा कर्मियों) के व्यापक हित में आज देर रात यहां एक बड़ा और महत्... ऐसे आजादी को अपनी तो जय राम जी की - श्रीगंगानगर- एक बेटी को बेटा कहने पर एतराज है। कहती है, बेटी को बेटी ही मानो ताकि बेटी का महत्व बेटी के ही रूप में हो बेटे के रूप में नहीं। वह इस बात को...........???.प्रश्नों की बौछारलगी है और मैं - इनके बीच खड़ी खोज रहीं हूँउनके जवाब ... ' जो होता हैक्यों होता है'? शायद ईश्वर की मर्ज़ी.. 'क्या ईश्वर इतने निष्ठुरहैं '? नहीं जो होता है, अच्छे के लिएहोता है... शायद यह भीउसी अच्छे होनेकी पहली कड़ी है... 

ये दूरियां - ये दूरियां मै बिस्तर के इस कोने में , तुम सोई उस कोने में कैसे हमको नींद आएगी , दूर दूर यूं... बेचैन हूँ ………जाने क्यों ? - कोई भी आकलन करने की खुद को कटहरे में खडा करने की या दूसरे पर दोषारोपण करने की किसी भी स्थिति से मुक्त करने की कोई जद्दोजहद नहीं कर सकती विश्राम की भी अवस्थ... मुझे दवा देगा- - *हमकदम !* *फ़सानों ने दी है इतनी सोहरत,* *कि चाहता हूँ कुछ बाँट दूँ तुमको......* * * *मुझे दवा देगा-* ***** *दर्द मेरा , मुझे दवा देगा* *... 

Colva beach to Cansaulim beach & Night stay कोलवा बीच से कानसोलिम तक ट्रेकिंग व रात्रि विश्राम - गोवा यात्रा-11 हमें बताया गया था कि गोवा के समुन्द्र तटों पर नहाते समय कई लोग अपनी जान ऐवे ही आलतू-फ़ालतू में पानी में डूब कर गवाँ बैठते है।  ... अंबानी जी, एक तरफ आपका पैसा है दूसरी तरफ देश है - मुकेश अंबानी के नाम अरविंद केजरीवाल का खुला पत्र दिनांक : 22.01.2013 *श्री मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड मेकर्स चैंबर्स – IV, नरीमन पॉइंट, मुम्बई .. धरोहरों को नष्ट करते नादान - प्रारंभ से पढे रामगढ से लौटते हुए कॉलेज के दिनों से ही प्रकृति का सामिप्य एवं सानिध्य पाने, प्राचीन धरोहरों को देखने और उसकी निर्माण तकनीक को समझने की ... 

 कार्टून :- इस फ़ि‍ल्‍म को बैन कर दो .. -

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दीजिये इजाज़त नमस्कार........

बुधवार, 30 जनवरी 2013

नाबालिग??? अफ़सोस...!---ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....मत करो दामि‍नी तुम कि‍सी इंसाफ का इंतजार नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय , उम्र कच्‍ची थी उसकी इसलि‍ए जुर्म बड़ा नहीं. क्‍या हुआ जो उसने कि‍या तुम्‍हारे दामन को तार-तार सरि‍या को तुम्‍हारे अंग के पार. बेचारा नादान है, बच्‍चा है, स्‍कूल सर्टिफिकेट ने कहा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने माना छूट गया वह दुर्दांत है तो क्‍या है तो कमउम्र..मासूम और नाबालि‍ग को सजा इस देश का कानून नहीं देता देश के नाबालिगों मेहनत मजदूरी मत करना मगर कर सकते हो बलात्‍कार है तुम्‍हें सरकारी छूट.... मत करो दामि‍नीतुम कि‍सी इंसाफ का इंतजार नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

तुझे मेरे गीत बुलाते हैं - १९५१ की फिल्म “रानी रूपमती” मूल गीत गाया था मुकेश ने. भारत भूषण, नलिनी अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे एस. एन. त्रिपाठी. गीत लिखा था भरत व्यास ने. .... फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ... - *पेश है उन लोगों का दर्द जो ये सब भोग चुके हैं* ----------------------------------------- *फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ है यही इक सिलसिला... आपन गीत हम लिखब... - अब अपनी बात हम खुद लिखेंगे जैसे चाहेंगे वैसे जियेंगे न जी पायेंगे अगर मर्जी के मुताबिक, न सही तो उस न जी पाने की वजह ही लिखेंगे, हम खुद लिखेंगे ...

बौद्ध मठ एवं तिब्बती औषधालय Manpat - सुबह जल्दी हो गयी, सूर्योदय हो रहा था। सूर्योदय का यही नजारा देखने हम जल्दी उठे थे। ठंड ऐसी थी कि रुम से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था। पंकज पहले ही उठ...पुस्तकालय ऐसे भी.. - यदि विदेशी धरती पर उतरते ही मूलभूत जानकारियों के लिए कोई आपसे कहे कि पुस्तकालय चले जाइए तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि पुस्तकालय तो किताबें और पत्र पत्रिकाए...उमेश मण्डावी की कविता - इस बार प्रस्तुत है युवा व्यंग्यकार *उमेश कुमार मण्डावी* की व्यंग्य-कविता "चुनाव"। कोंडागाँव (बस्तर-छत्तीसगढ़) में 23 मई 1975 को जन्मे उमेश मण्डावी यांत्रि...

सरकारी अस्पतालों मे ही हो "क्रीमी लेयर" का भी इलाज - *मंत्री महोदय की यह सदेच्छा पूरी होती तो नहीं लगती, पर फिर भी यदि ऎसी कोइ नीति बन जाती है या कुछ लोग स्वप्रेरणा से ही सरकारी अस्पताल को अपनाते हैं ... पदम् सम्मान : जूते घिसने से नहीं बेचने से मिलता है ! - आज बात पदम् सम्मानों की ! लोग इस सम्मान के लिए सालों साल जूते घिसते रहते हैं, फिर भी निराश होना पड़ता है। वैसे अंदर की बात कुछ और है, उन्हें पता नहीं है ...भ्रष्ट कहा तो सुलग गई - चलिये, नंदी महोदय ने आरक्षण का एक और पहलू सामने रख दिया। उनके बयान के बाद भ्रष्टाचार की वर्गवार स्थिति पर वर्तमान में भले ही एक अलग प्रकार का...

हमन है इश्क़ मस्ताना - (नया ज्ञानोदय काग़ज़ल महाविशेषांक इस लोकप्रिय विधा के इतिहास की झलक दिखाने में कामयाब रहा है. यहां प्रस्तुत है इस विशेषांक में प्रकाशित कबीर की रचना) हमन...कविता उसके पार खडी है लुप्तप्राय सी - *"प्यार के माने* ***हमारे और ...तेरे और हैं* ***इसलिए प्यार मेरे यार मैं लिखता नहीं* ***स्नेह यदि स्वीकार हो सत्कार कर लेना* ***स्नेह के उस पार देह की दहलीज ...सुनो………। - सुनो तुम ज़लालत की ज़िन्दगी जीने और मरने के लिये ही पैदा होती हो सुनो तुम जागीर हो हमारी कैसे तुम्हारे भले का हम सोच सकते हैं सुनो तुम इंसान नहीं हो जान लो ...

कविता कॆ रस प्रॆमी बॊलॊ, श्रृँगार लिखूं या अंगार लिखूं !! - हर नौजवान कॆ हाथों मॆं, बस बॆकारी का हाला ! हर सीनॆं मॆं असंतोष की, धधक रही है ज्वाला !! नारी कॆ माथॆ की बिंदिया, ना जानॆं कब रॊ दॆ ! वॊ बूढी मैया अपना बॆटा...संविधान हाय हाय - साहब गणतंत्र दिवस की सुअवसर पर कई गणमान्य गणो के सुविचार जानने का सुअवर सोशल मीडिया ने जबरन प्रदान कर दिया। कोई केजरीवाल की फ़ुटवा चपकाये संसद सांसद संविध...अफ़सोस ! - *यूं इस तरह न आज * *मुहँ चिढाता हमको, * *'रिपु ' कोई हाफिज * *"साहब" सरीखा होता। * *टूटकर यूं न बिखरते, * *अपने वादों पे * *तनिक कायम रहना * *जो हमने भी... 

शब्द जाल - अंतःकरण से शब्द निकले चुने बुने और फैलाए दिए नए आयाम उन्हें और जाल बुनता गया थम न सका प्रवाह एक जखीरा बनता गया सम्यक दृष्टि से देखा नया रूप नजर आया... खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू - *खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू*** *श्यामनारायण मिश्र*** कोई दिन हो गया कलेऊ कोई दिन ब्यालू बूढ़ी चाची कहती बेटे सबके राम दयालू सोच-सोचकर हुआ अजीरन मन है... Dr Satyajit Sahu - रायपुरा हॉस्पिटल परिवार ने डॉ ताराचंद मेघजानी जी के विशेष आतिथ्य में ग्रामीण मरीजों के बीच गणतन्त्र दिवस मनाया JCI रायपुर राइस सिटी ने इस वर्ष गण...

मत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन में मत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन में, मुझको तो बस नारी बन कर जीने दो. बचपन कब बीता तितली सा, हर कदमों पर बैठा पहरा था. प्रतिपल यह याद दिलाया था, वह घर मेरा कब अपना था. सभी उमंगें मन की मन में दबी रहीं, कह न पायी मुझको मर्ज़ी से जीने दो. गृहलक्ष्मी का थोथा नाम दिया.... तेरे आने से * * *तेरे आने से रोशन मेरा जहाँ हो गया* *तेरे प्यार से महकता आशियाँ हो गया .....* *तेरी आदाएं कोमल तितली सी है* *तेरे आने से मेरा जीवन गुलिस्ताँ हो गया....* * * *रंग इतने लाई है तू जीवन में मेरे* *की अब हर शमाँ रंगीन हो गया ....* *सादगी तेरे व्यवहार की ऐसी मनमोहक है* *की मै तो तुझमे ही खो गया .....नाबालिग - *जिसकी दरिंदगी देख के दुनिया का दिल दहल गया । पत्थर से पत्थर दिल तक एकबारगी पिघल गया । जिसके लम्बे हाथों ने पकड़ा था बड़ी मशक्कत के साथ उसे मुँह पर सरेआम... 

धरोहरों को नष्ट करते नादान - प्रारंभ से पढे रामगढ से लौटते हुए कॉलेज के दिनों से ही प्रकृति का सामिप्य एवं सानिध्य पाने, प्राचीन धरोहरों को देखने और उसकी निर्माण तकनीक को समझने की ...पहरा....  - बावली है... आजकल उसे चंदामामा, बिल्ली मौसी, चिड़िया रानी, परियों के सपने नहीं आते उनकी जगह सियार, भेड़िये,सांप धुंए के उड़ते हुए बवंडरों ने ले ली है ...क्या मैं जीवित रहूँगी - रात होने को है मैं सड़क पर अकेली खड़ी हूँ बहुत से कारवाले गुजर गए है बिना रुके मैंने भी कोशिश नहीं की किसी को रोकने की सारी भरी बसें चली गयी बिना मुझ...

कार्टून कुछ बोलता है - पड़ोसी मेहरबान तो ....


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अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार........

बुधवार, 23 जनवरी 2013

गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में ... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

नमस्‍कार ,  रोहिणी स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) की विशेष अदालत ने हरियाणा के बहुचचिंत शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री एवं इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला एवं उनके पुत्र अजय चौटाला तथा आई.ए.एस. के 2 अधिकारियों प्राथमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक संजीव कुमार एवं चौटाला के साथ विशेष सेवा पर तैनात पूर्व अधिकारी विद्याधर तथा चौटाला के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार व विधायक शेर सिंह बड़शामी सहित 10 को आज 10-10 साल की जेल की सजा सुनाई। आज की इस खबर के साथ चलते हैं आज की वार्ता में ....


प्रेमकथा जारी है ...... - *हम किनारे लग भी सकते थे * * * ** राम जन्म पाठक* आधुनिक प्रेमकथा का पूर्वार्ध अब मध्य भाग ......... लेकिन, जब इतिहास लिखा जाएगा तो इतिहासकार लिखे...गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं .... -गुलाबी नगरी, में गुलाबी मौसम में, गुलाबी गाल वालों की, कुछ गुलाबी - गुलाबी सी गप्पें इस प्रकार हैं ............. साथियों, जब चुनाव होते हैं तो हमारा कार्यक...पधार रहे है ......... - *खबरदार होशियार सियारों के सरदार ऐय्यारों के ऐय्यार करने बंटाधार पधार रहे है ....... * *बहरूपिये हज़ार रंगे सियार लूटने को बेकरार फिर एक बार पधार...ओस से भीगी एक रात - : *ओस से भीगी एक रात* : अभी उसने बोरी के नीचे से सर निकाला ही था कि कोहरे भरी अँधेरी घनेरी रात में चल रही हवाओं की सरसराहट ने फिर दुबकने पर मजबूर कर द...तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा...खुशदीप - दूध के कलेक्शन सेंटर में एक मोटा और एक छोटा चूहा धमा-चौकड़ी मचा रहे थे...इसी उछल-कूद के दौरान दोनों ताजा दूध के एक टब में जा गिरे...दोनों बाहर निकलने की को...

विक्डलीक का वैमी टाइटन फैबलेट – गैलैक्सी नोट २ का सस्ता देसी संस्करण, स्टायलस सहित @ ₹१३,०००- मुम्बई की विक्डलीक नामक हैंडसैट निर्माता कम्पनी ने वैमी टाइटन नाम से एक ५.५ इंची फैबलेट निकाला है। यह सम्भवतः पहला भारतीय फैबलेट है जिसमें स्टायलस शामिल है...ठहराव बिलकुल अच्छा नहीं - कोई पाँच बरस पहले ब्लागिरी शुरु हुई थी। पहले ब्लाग तीसरा खंबा आरंभ हुआ और लगभग एक माह बाद अनवरत। धीरे धीरे गति बढ़ी और हर तीन दिन में कम से कम दो पोस्टें ल..." दिल..है कि मानता....नहीं..." राहुल जी को P.M. ...!!??? - * दिल की बात मानने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!* * जयपुर के " चिंतन-शिविर " में कांग्रेस के भावी प्रधानमंत्री पद...जरय पेट के अंठुली - बचपन में मुझे मेरी दादी एक छत्तीसगढ़ी कहानी सुनाया करती थीं जिसका आरम्भ होता था "कहिनी कहय कंठुली, जरय पेट के अंठुली" से। इसके की कहानी क्या थी मुझे याद नही...

गणतंत्र दिवस - * * हुए स्वतंत्र सन सैतालिस में सन पचास में गणतंत्र बना स्वतंत्र देश में पालनार्थ संविधान लागू हुआ | वह दिन था छ्ब्बीस जनवरी इस दिन को याद किया जाता है...अच्छी शुरुआत का आशावाद - जब आप अपनी कमजोरियाँ और कमियाँ सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हैं, वह भी तब, जब आप किसी पद पर आने के बाद पहली बार ऐसा कर रहे हों, तब कुछ बातें अपने आप ह...बस्तर फतह के लिए भाजपाई तिकड़म शुरू ! - मसीही समाज पर दर्जन भर हमले ! राÓयपाल को ज्ञापन ! वैसे तो हिन्दुत्व का मुद्दा गरम कर चुनाव जीतने का भाजपा का पुराना शगल है । चुनाव जीतने के बलए वह कभी राम का...काश ! हम जी रहे होते.... - काश ! हम जी रहे होते सबके आंशू, पी रहे होते गूंजती, देखते गर, हवाओं में चीखें कुछ रिश्ते पिरो रहे होते बात होती रही , सदियों से, संस्कारों की बिखरते रिश...

नए ज़माने की परियां ............ -जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है पर पुरानी बातों से सबक लेना भी जरूरी है तभी तो जिंदगी की कहानी आगे बढ़ेगी.कहानी से याद आया हम सबने बचपने में एक परी ...देखो न मुझे ... - एक छोटी-सी कोठरी का अँधेरा देखो कैसे बाहर निकल आया है जैसे ही कोई जलता दीया इस बुझे दीये के बेहद करीब आया है ... एक गहरे-काले घोल की-सी रात दहककर पिघलने लग...उसके बाद ?- मैं .... और मैं वार्तालाप,प्रलाप प्रश्न,प्रश्नोत्तर,निरुत्तर .... सत्य-असत्य पाप-पुण्य स्वाभिमान,अभिमान सुकर्म,कुकर्म .... सबकी दिशाएं मैं के बिंदु ...सदी के महानायक - तुम थे उस सदी के महानायक तुमने जानी थी आज़ादी की सही कीमत मुफ्त में या भीक में मिली चीज़ की कोई महत्ता नही होती तुम्हें पता था । इसी लिये तो तुम चाहते थे ...

मेरी प्रकाशित कवितायेँ (English)- मेरी दो अंग्रेज़ी की कवितायेँ Inklinks नाम की पुस्तक में प्रकाशित हुई हैं. डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम. गुलज़ार साहब, इरशाद कामिल, इब्राहीम अश्क, नीदा फाज़...तुकबंदियां मेरे मन की- 1 - *[image: angry-man-03]* *बिसात इश्क की आज फिर.......................मैंने बिछा दी भाइयों ने उसके रोली चन्दन के साथ अर्थी मेरी सजा दी* ******************...देशव्यापी महिला हेल्पलाइन १८१ - संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार की इस मंशा को सभी राज्यों से अवगत करा दिया है कि दूर संचार विभाग द्वारा सभी राज्यों...ख्वाबों में तुम थे... - * **सजाई पलक थी करीने से हमने* *छलक गए हंजू बताऊँ मैं कैसे -* * **इरादों में तुम थे ख्वाबों में तुम थे* *टुर गए दिल से बताऊँ मैं कैस...

वेलसर गाँव का हर्रा टोला - भोजन के वक्त विष्णु सिंह से शंकर गढ के समीप अन्य पुरातात्विक स्थानों के विषय में जानकारी ली तो उन्होने शंकरगढ के समीप ही स्थित हर्रा टोला बेलसर का जिक्र कि...गोवा ट्रेकिंग, मीरामार बीच Goa trekking, Miramar beach -गोवा यात्रा- यह तो हमें पहले से पता था कि आज हमारा ग्रुप चार-पाँच किमी की ट्रेकिंग करने दोना-पोला बीच तक जाने वाला है। जिसमें सबको अपने बैग साथ ले जाने है,..ई बी व्हाईट : प्राकृतिक इतिहास - *अमेरिकी लेखक ई. बी. व्हाईट (1899 -- 1985) ने कहा है, "एक बार आप मकड़ों को देखना शुरू कर दें तो आपके पास कुछ और करने के लिए समय नहीं रह जाता". यहाँ प्रस्तु...तो फिर विन्ध्यप्रदेश क्यों नहीं! - तो क्या यह तय मान लिया जाए कि सरकार नजरों में वहीं मांगे जायज हैं, जिनको लेकर जनता सड़कों पर उतरे, आगजनी, नाकाबंदी कर कुछ लाशें बिछें, रेलगाड़ियां जलें सा...

आज के लिए बस इतना ही .. मिलती हूं एक ब्रेक के बाद .....


सोमवार, 21 जनवरी 2013

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग…… ब्लॉग4वार्ता ...संगीता स्वरूप

आज की वार्ता में  संगीता स्वरूप  का नमस्कार .....
कांग्रेस का चिंतन खत्म हो गया। मिशन 2014 के लिए रणनीति साफ हो गई। नया एजेंडा बन गया। नया नेतृत्व भी मिल गया। चिंतन के आखिरी दिन रविवार को राहुल गांधी ने बतौर कांग्रेस उपाध्यक्ष पहला भाषण दिया। उन्होंने कांग्रेस के अतीत, वर्तमान और भविष्य की बातें की। परिवार के बलिदान को भी याद किया।राहुल ने कहा ------
हर दिन हम पाखंड देखते हैं। भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं तो महिलाओं के प्रति अनादर की भावना रखने वाले महिला सशक्तीकरण पर भाषण देते हैं। आज स्थिति क्या है? आम आदमी राजनीति से बाहर कर दिया गया है।
कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें नियम और कानून नहीं चलते। नए नियम बनते हैं, पर मानता कोई नहीं।....
इसी के साथ चलते हैं हम आज की वार्ता पर ---

..... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (5) शहादत कोई भाषा नहीं
कि तेरे मेरे की बात हो
पर बात हो गई है  ....
हादसे शमशान से हो गए हैं
उधर से गुजरना ज़रूरी तो नहीं .... जब अपनी बारी होगी तो देखेंगे - क्यूँ ?
                         रश्मि प्रभा

आंखे तो गीलीं थीं / सूखे मन मौसम थे

दुनिया भर के गम थे
और  अकेले   हम  थे
आंखे  तो  गीलीं  थीं
सूखे मन   मौसम थे

रिश्ते ..

रिश्ते मिलते हों बेशक
स्वत: ही
पर रिश्ते बनते नहीं
बनाने पड़ते हैं।
करने पड़ते हैं खड़े
मान और भरोसे का
ईंट, गारा लगा कर

किताबों की दुनिया –78

शायरी और समंदर में एक गहरा रिश्ता है इनमें जितना डूबेंगे उतना आनंद आएगा। उथली शायरी और उथले  समंदर में कोई ख़ास बात नज़र नहीं आती लेकिन जरा गहरी डुबकी लगायें, आपको किसी और ही दुनिया में चले जाने का अहसास होगा। गहराई में आपको वो रंग नज़र आयेंगे जो सतह पर नहीं दिखाई देते

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग

है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग ।
सारे पैदल घेर के, दें आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए  ।।

देखूं न चंद रोज़ उसे ये , सिलसिला तो दूँ

वो शाम ढल गई है जो उसका सिला तो दूँ
बैठूं करीब उसके उसे ख़ुद से मिला तो दूँ

सामत सरना एवं टांगीनाथ ……… ललित शर्मा

अम्बिकापुर से 73 किलोमीटर शंकरगढ से आगे जाने परडीपाडीह का सामत सरना टीला आता है। हमारी गाड़ी गेट पर रुकती है। राहुल और पंकज मुझसे पहले प्रवेश करते हैं और मै थोड़ी देर पश्चात रास्ते में लगी हुई  मूर्तियों को देखते हुए आगे बढता हूँ। यहीं पर मेरी मुलाकात सामत सरना मंदिर समुह के चौकीदार जगदीश से होती  है।

असामाजिक कविता

कविता मिलती नहीं कविखाने में
कमबख्त शराब भी नकली है शराबखाने में
ये मुर्गों की लड़ाई, क्यों मेरे पीछे है भाई
शब्दों को भी जोड़ता-तोड़ता है कसाई

कलम....

न कुछ सोच कर
न कुछ समझ कर
कुलबुलाती कलम तो बस
यूं ही चलती है
कागज की राहों पर

पॉर्न वीडियो के खिलाफ सख्‍त कानून बनाने की जरूरत है

आप मथुरा या राजस्‍थान अथवा ऐसी जगहों पर जहां पर गली-गली में मंदिरों में भगवान बसते हैं, में ऐसा कुकर्म करके क्‍या संदेश समाज को देना चाह रहे हैं। जबकि ऐसे कुकर्म समाज में कहीं पर भी स्‍वीकार्य नहीं हैं। चोरी छिपे पॉर्न वीडियो बनाना और उन्‍हें साइटों पर अपलोड करके धन अर्जित करना समाज के लिए तो घातक है ही,

नहीं है मेरी कविता का कैनवस इतना विशाल

नहीं है मेरी कविता का
कैनवस इतना विशाल
जिसमें सारे जहान का
दर्शन शास्त्र समा लूँ
कैसे सम्भोग से समाधि तक

परिवर्तन

रघु का पिता केसरीमल एक भूतपूर्व म्युनिसिपल चेयरमैन  के बंगले की साफ़-सफाई के काम में नियुक्त था. उसने देखा/समझा कि समाज में लोगों के आगे बढ़ने के पीछे शिक्षा ही एक बड़ा कारक है. इसलिए उसने रघु को स्कूल भेजा और बाद में कॉलेज में बी.ए. तक पढ़ाया, हालांकि रघु पढ़ाई में औसत से भी कमजोर रहा,

गंगा को मैली कर के

मन मैला और
तन को धोने
चले कुंभ के
मेले में
जहाँ पापों को
मिटाने गए थे

किस्मत टूटी नाव चढ़ी है

मन में चलती बुन उधेड़ है
रामरती  का पति अधेड़ है
घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे

मधुशाला .... भाग 16 / हरिवंश राय बच्चन

मेरी हाला में सबने पाई अपनी-अपनी हाला,
मेरे प्याले में सबने पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साकी में सबने अपना प्यारा साकी देखा,
जिसकी जैसी रुचि थी उसने वैसी देखी मधुशाला।।१३१।

पंथ निहारे रखना

छोड़ दो ताने बाने
भूल के राग पुराने
प्रेम सुधा की सरिता
आ जाओ बरसाने

प्यार और चाँद...


मेरे बालों में मेरे उँगलियाँ घुमाते हुए...
तुम ने ठीक कहा था उस दिन---
प्यार चाँद सा होता है !
और मैं मान गयी थी सहजता से...!
उसके मायने नहीं समझ पाई थी उस दिन...

आज रात इतनी खट्टी क्यूँ पकाई है .

इक लकड़ी की बुक़ची 
और अंदरूनी हरे सिल्क का बिछावन 
कुछ ख़ुशबुएँ टटके बेला की 
कुछ बासी बातों का चूरा

ऐसा क्यों होता है

हर बार ऐसा क्यों होता है
अँधेरी सुकून भरी रात में
नरम बिछौने पर
नींद आने के बस
कुछ पल पहले

बस यूँ ही ..............

जय - जयपुर में ....... 
गहन चिन्तन था ।
थोडा मंथन था ।
थोडा क्रंदन था ।
एक का नन्दन था ।
जिसका वंदन था ।
उसके खानदान का ।
सामूहिक अभिनन्दन था ।

वाह रे वाह !

फिर  से सत्ता हथियाने के .जो देख रहे हैं  ख्वाब,
लादेन उनके "जी" हुए, हाफिज सईद हुए "सहाब"।

अर्जुन प्रसाद की कहानी – जुड़वां

जुड़वॉ सोलापुर के तुकाराम शिंदे के दो पुत्र थे और एक पुत्री। उनके पुत्रों का नाम था राजीव और संजीव। उनकी इकलौती बेटी का नाम सुप्रिया था। बाबू तुकाराम के दोनों बेटे एक ही साथ पैदा होने से जुड़वाँ थे जबकि उनकी बेटी अकेली ही पैदा हुई थी। सुप्रिया तुकाराम की बड़ी संतान थी।

एक अत्याधुनिक राम-कथा !

भगवान राम आज कुछ प्रसन्न-मुद्रा में दिखाई दे रहे थे.सीता जी ने उनकी इस प्रसन्नता का कारण पूछा ,'प्रभु ! आज आपकी मुख-मुद्रा अलग सन्देश दे रही है,क्या बात है ?' राम बोले ,'देवि,आज नारद मुनि मिले थे और कह रहे थे कि हम लोग जबसे धरती-लोक से

सत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा-

  पंजा की पडवानियाँ, गायन वादन नृत्य ।
संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।
अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।
चले यहाँ  बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।

"चिन्तन-मन्थन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
गीदड़ ने रँग लिया बदन को,
ख़ानदान का ही वन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?

वो किसका नाम था

कुछ गीत  लिखने की कोशिश में
जो भी शब्द हमसे लिखा  गया
वो किसका नाम   था
जो बार बार  यूं लिखा  गया

आज के लिए बस इतना ही .... फिर मिलते हैं .... नमस्कार

रविवार, 20 जनवरी 2013

सीना जोर दादागिरी और चलना उम्र भर...ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.....* * *जाओ चले जाओ* *अपने सारे ख्वाब भी ले जाओ* *वो झूठे वादे भी ले जाओ ......* *वो झूठी कस्मे भी ले जाओ* *वो तुम्हारा रूठना भी ले जाओ* *पर मेरा मनाना मुझे दे जाओ ........* *वो प्यारे ख़त जला दो अभी इसी वक्त* *पर मेरी यादें , मेरी बाते मुझे लौटा दो* *बस चले जाओ दे दो आजादी .......* *इस झूठे प्रेम से इस छल से * *बस इतना बताते जाओ * *की, मेरा कसूर क्या था.....* *बीना कसूर जा रहे हो* *तो एक सजा भी लेते जाओ .......* *मेरी दुआएँ* *फिर लौट कर आने की.....* *रिश्तों को यूँ ही नहीं बिखरने दूंगी* *आज तुम्हारी जिद है तो जाओ .....* *एक संकल्प मेरा भी है .....* *तुम्हें फिर ले आउंगी ....* लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

मैं तो कब से खड़ी इस पार - १९५८ की फिल्म “मधुमती”. मूल गीत गाया था लता मंगेशकर ने. दिलीप कुमार और वैजयन्ती माला अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे बिमल रॉय. गीत लिखा था शंकर शैलेन्द्र ने....तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी... - (दृश्य - एक सजा संवरा से कमरा है. हर चीज करीने से. एक टेबल और दो चेयर. टेबल पर अभी पीकर रखे गये चाय के कप के निशान हैं.) जीवन- तुम हंसती क्यों रहती हो?  .आँखें - आँखें होंठ चुप रहें सवाल पूछती हैं आँखें देखें कैसे बेहिसाब बोलती हैं आँखें मौन ठहरा है दोनों के बीच में मगर खामोशियों को फिर भी तोड़ती हैं आँखें..

साला मैं तो साहब बन गया .... - फिलहाल तो आज की ताजा खबर यही है कि राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर कहा गया है कि अगर 2014 में प्रधानमंत्री बनना है तो अभी से मेहनत करो।  .अपनी अपनी किस्मत - अपनी अपनी किस्मत जब तक बदन में था छुपा ,पानी वो पाक था, बाहर जो निकला पेट से ,पेशाब बन गया बंधा हुआ था जब तलक,सौदा था लाख का, मुट्ठी खुली ...ये तो था परदे के सामने का सच …………… - दिशाहीन सडकें , दिशाहीन राहें और चलना उम्रभर का । एक सी दिनचर्या ………वो ही खाना , पीना और सोना …………कुछ नही हो करने को ………ऐसे मे माध्यम बना सोशल मीडिया । चल...

 आखिर इलेक्ट्रानिक वाले अलग हो ही गये ... - यह तो होना ही था । आखिर ग्लैमर से भरे इलेक्ट्रानिक मीडिया कब तक प्रिंट मीडिया के दबदबे पर चुप रहती । इलेक्ट्रानिक मीडिया इस बात पर लंबे समय से नाराज थे कि आज... डिश टीवी की सीनाजोर दादागिरी - आज मेरा यह भ्रम दूर हो गया कि मैंने अपने लिए, अपनी सुविधा के लिए डिश टीवी का कनेक्शन लिया हुआ है। डिश टीवीवालों ने आज मुझे जता दिया कि वे मेरे लिए नहीं,...गोवा के यूथ हॉस्टल कैम्प में रॉक/चट्टान आरोहण Rock climbing in Goa at YHAI Camp - गोवा यात्रा- रात का खाना खाने के उपरांत, वहाँ पर कैम्प फ़ायर करने की प्रथा बनायी हुई थी। वहाँ एक बात बहुत अच्छी लगी कि कैम्प फ़ायर के नाम पर लकड़ियाँ जलाने ... 

 अब तुम बड़े हो गए हो - अब कल से राहुल भैया जी 'एडल्ट डाइपर' पहनेंगे ... आज सब मिल कर समझाये है ... " अब तुम बड़े हो गए हो !!! " .माँ ने कहा सत्ता जहर की तरह है, और भारत के लोग मेरी जान है:- राहुल गांधी - जयपुर में चल रहे कौंग्रेस के "चिंतन शिविर" में कांग्रेस के "युवा" नेता और ताजा-ताजा बने कॉग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने अपने भाषण में .....अभी वक्त लगेगा, दिमाग की खिड़कियाँ खुलने में - हाल ही में कुछ दरिंदो द्वारा दामिनी की नृशंस हत्या ने पूरे देश को आंदोलित कर दिया है। और टी वी , पत्रिकाओं, फेसबुक और हमारे ब्लॉगजगत में भी समाज में ...  

एक लम्बा सा मौन - (फेसबुक से लिया गया चित्र) * * कब और कैसे, एक लम्बा सा मौन पसर चुका है हम दोनों के बीच ये मौन ....विद्यालय 2 संसार में शायद तीन जगह सब बराबर हैं 1 मंदिर भगवान के समक्ष जहां किसी के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए 2 खेल का मैदान जहां सब अपनी क्षमता, और योग्यता के आधार पर होते हैं 3 विद्यालय जहाँ ज्ञान और गुरू सुपात्र शिष्य की प्रतीक्षा में बाहें फैलाये रहते .. क्या खुदा भगवान आदम??? खो रहा पहचान आदम, हो रहा शैतान आदम, चोर मन ले फिर रहा है, कोयले की खान आदम, नारि पे ताकत दिखाए, जंतु से हैवान आदम, मौत आनी है समय पे, जान कर अंजान आदम, सोंचता है सोंच नीची, बो रहा अपमान आदम, मौज में सारे कुकर्मी, क्या खुदा भगवान आदम??? ...

मुक्तसर न हुई उल्फत.... - * ***** * अफसाने न रहे तुम्हें सुनाने के लिए * * बेगाने ही रहे दर्द मेरे ज़माने के.....रातें - रातें काली सी स्याह रातें हर तरफ कांटे ही कांटे. पथरीली सी ये धरती रेतीली हैं चक्रवातें. बुझता हुआ सा दीपक उखडी हुई हैं साँसें. व्याकुल सा है ये तन-मन बोझ...सामत सरना डीपाडीह की ओर यायावर - बिलासपुर टेसन यात्राएं चलते रहती हैं जीवन के साथ। जीवन भी एक यात्रा कहा जाता है। मैने देखा कि यात्राओं का कोई कारण होता है। कोई निमित्त होता है...  

न शहादत भी ये शर्मिन्‍दा हो !!! सारे हल इन दिनों तिलमिलाहट की भाषा में बात करते हैं आखिर हमारा वज़ूद क्‍या है हम कब तक कैंद रहेंगे इस सियासत़ की गंदी बस्‍ती में हमें भी आजा़दी चाहिये सच दम घुटता है जब मातृभूमि की सुरक्षा में किसी वीर का सीना छलनी होता है जी चाहता है मैं गोली बन जाऊँ.."तुम्हारी मूक अभिव्यक्ति की मुखर पहचान हूँ मैं" - सुनो प्रश्न किया तुमने देह के बाहर मुझे खोजने का और खुद को सही सिद्ध करने का कि देह से इतर तुम्हें कभी देख नहीं पाया जान नहीं पाया एक ईमानदार स्वीकारोक्ति ... झरने को अभिशप्त - ये हरसिंगार के फूल जब -जब झरते हैं नारंगी और सफ़ेद दोनों रंग इनके मुझपे नशा बन चढ़ते हैं नारंगी .. तुम्हारी याद दिलाता है आग सा ..दहकता तुम और तुम्हारा ...

बस्तर-बाला,,, - बस्तर-बाला" केश तुम्हारे घुंघराले , ज्यों केशकाल की घाटी देह तुम्हारी ऐसे महके ,ज्यों बस्तर की माटी. इन्द्रावती की कल-कल जैसी,चाल....जय जवान , जय किसान - कल की बारिश और ओले गिरने से कई स्थानों पर 70 फीसदी फसलों का नुकसान हुआ है! खेतों में खड़ी सरसों , मटर और आलू बर्बाद हो गए हैं ! किसानों का दुःख-दर्द पूछने ....यदि चाहें तो क्या नहीं हो सकता? - तिरसठ साल की उम्र हो गई हमारी पता नहीं कब, किस दिन सिधार जाएँगे? पर दिल में प्रबल कामना है कि सिधारने से पहले देश के लोगों को, खासकर युवा वर्ग को सुधार जाएँग... 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

झटका कीजिए न हलाल क्‍यों ... ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

नमस्‍कार, बढ़ते बजट घाटे का रोना रोती केंद्र सरकार ने आखिरकार विष का प्याला पी लिया, डीजल के दामों को बाजार के हवाले कर दिया। डीजल अब हर महीने 50 पैसे महंगा हो जाएगा। सरकार ने इसकी इजाजत दे दी है। महंगा डीजल इस देश के अधमरे किसान को और मार देगा, जबकि महंगी डीजल गाड़ियां दौड़ाने वालों की जेब से कुछ नोट और निकल जाएंगे। हालांकि, रसोई गैस और मिट्टी के तेल पर सरकार ने रहम किया। रियायत वाली रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 कर दी है। दरअसल तेल की धार को अब सरकार ने तेल कंपनियों के हवाले कर दिया है। देखना है आगे आगे और क्‍या क्‍या होता है ?
चलते हैं आज की वार्ता पर .......

अनोखी समरूपता ! - *हिन्द-पाक को लाख अलग दिखलाने की कोशिश कर भी लो,* *फिर भी ये देखिये कि कितनी समरूपता है बीच दोनों के। * *गर फ़र्क ढूंढना **भी **चाहो तो तुम्हें बस इतना...केवल हिन्दू बचेंगे और प्रेम से रहेंगे- गुरु-- "चेला, हिन्दू-मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते।" चेला-- "क्यों गुरुदेव?" गुरु-- "दोनों में बड़ा अन्तर है।" चेला-- "क्या अन्तर है?" गुरु-- "उनकी भाषा अलग ह..." दुनिया में रहना है तो, काम करो प्यारे "..." चिंतन नहीं "...!!?? - * " काम " करने वाले सभी मित्रों को मेरा हार्दिक नमस्कार !!* * जब सरकार हमारी " जनहित " के कार्य कर-कर थक गयी ......तब उसे चिंतन करने ...पाकिस्तान ने वादा किया है की वो तमीज से रहेगा - पाक ने बारूदी सुरंगें बिछा रखी हैं ! भारत ने जब सबूत सौपें तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया ! 16 दिनों में 20 बार नियंत्रण रेखा पर युद्ध-विराम का उल्लंघन ...पाक की नीति - भारतीय सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किये जाने की पाकिस्तानी सेना की बर्बर हरकत के बाद जिस तरह से देश में पाकिस्तान के ख़...


यादों का अंकुश - मन की गलियों में भटकते कई बातें याद आती है तो कभी ऐसा कुछ घटित होता है की उसके बहाने कोई पुरानी बात याद आ जाती है तो कभी किसी पुरानी बात के बहाने कोई का...बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी..... - बे-सबब अपनी आशिकी ठहरी. बात यह इश्क की भली ठहरी. हो मुहब्बत में यह पता सबको. कशमकश उम्र भर बनी ठहरी. शुक्रिया ज़िन्दगी! कदम दर कदम, तू मेरे साथ ही चली, ठहर...गीत: आओ! आँख मिचौली खेलें... संजीव 'सलिल' -चित्र पर कविता रचें: गीत: आओ! आँख मिचौली खेलें... संजीव 'सलिल' * जीवन की आपाधापी में, बहुत थक गए, ऊब गए हम। भूल हँसी, मस्ती, खुशियों को, व्यर्थ फ़िक्र में ड...तेल का खेल - *तेल कीमत बढने से महंगाई बढेगी। महंगाई बढने से आम आदमी का तेल निकलेगा और आम आदमी जब तेल देने लगेगा तो महंगाई खुद कम हो जाएगी :- राहुल गांधी*


उनके घरों में शायद न होती हैं बेटियाँ -लेने से ज़न्म पहले ही मरती हैं बेटियाँ, सब बोझ भेद भाव का ढ़ोती हैं बेटियाँ. फ़िरते हैं गुनहगार खुले आम सड़क पर, उनका गुनाह उम्र भर ढ़ोती हैं बेटियाँ. ...शब्द सहम के सो जाते हैं सन्नाटे में - *"शब्द सहम के सो जाते हैं सन्नाटे में , पदचाप सुनायी देती हैं कातिल सी कुछ अंगारे जो सूरज से छलके थे कुछ कहते थे और अगरबत्ती कुछ सहमी सी जलती थी मेरे आँगन मे...अहिरन और '' नींद का समय.'' -अहिरन नदी का रूपान्तरण अकेला या इकहरा नहीं है। बल्कि, वहाँ सेंवधरा में जहां नदी के पानी से बिजली बनाई जाने वाली है, वहाँ गाँव का भी रूपान्तरण हो रहा है...फिजां कह रही है .... -* ****फिजां कह रही है, देख ! कैसे वक्त* *करवट ले रहा है* *ब्रह्मवेत्ता , छद्म - वेत्ता की राह में ,* *ज्ञानी कर वसूल रहा है-* *सन्यासी धर...

ओह ! मेरे किसी जन्म के बिछड़े प्रियतम - मैं राख का अंतिम श्वास बन जाती .......जो तुम होते मैं मुखाग्नि का अंतिम कर्म बन जाती .......जो तुम होते मैं कच्चे घड़े संग चेनाब पार कर जाती .......जो तुम...हर क्षण मन से झरतीं क्षणिकाएं.... - (कुछ बिखरे जज्बातों को समेत कर रख दिया है, बस .......)स्नेह की मृगतृष्णा मिटती नहीं... रिश्तों का मायाजाल कभी सुलझता नहीं. तो मत रखो कोई रिश्ता मुझसे मत बुल...सेनापति वीरु हाथी और डाकू नाटा गीदड़ (बाल कहानी) -मीठे पानी के विशालकाय झरने के किनारे बसा तथा बड़े-बड़े फलदार वृक्षों और अत्यंत सुंदर, रंग-बिरंगे, सुगंधित फूलों के प्यारे-प्यारे पौधों से भरपूर एक हरा-भर...

फेसबुक ने कर डाला ब्लॉगर्स का ब्रेन ड्रेन --- -आजकल एक पुराना हिंदी फ़िल्मी गाना बहुत याद आता है -- *मैं ढूंढता हूँ जिनको , रातों को ख्यालों में * *वो मुझको मिल सके ना , सुबह के उजालों में। * कुछ यही ...नई प्रतिभाओं के लिए सुनहरा अवसर .......... - नवोदित कवियों / कवयित्रियों को उनकी काव्य-प्रतिभा की चमक दिखाने का एक बड़ा अवसर देने के लिए एक शानदार *ऑडियो एल्बम काव्य-कुम्भ * का निर्माण तीव्र गत...ये कटहल है - ये कटहल है इसकी जड़, छाल और पत्ते दवा के तौर पर प्रयोग किये जाते हैं जबकि फल कच्चे पक्के दोनों तरह खाएं जाते हैं। कच्चे कटहल की सब्जी बडे शौक स...खुराक को संतुलित रखने के लिए - खुराक को संतुलित रखने के लिए Colour your plate right विविध रूपा बहुरंगी बनाइए अपनी खुराख को .फल और तरकारियाँ तमाम किस्म के रंजक (Pigments)ही नहीं लिए ह...



अब लेते हैं विदा .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......

बुधवार, 16 जनवरी 2013

सब्र के बाँध में हिचकियों के पहरे... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.....सब्र के बाँध में हिचकियों के पहरे थे हर चेहरे के पीछे जाने कितने चेहरे थे सब कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है इसकी मिठास से तो कभी रू-ब-रू न हुई फ़कत मजबूत होते गये हर बार मेरे इरादे और एक बाँध बन गया सब्र का जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी चुपके - चुपके .... हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं हौसले की उँगली उम्‍मीद की किरण फिर वही पग‍डंडियाँ जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी कभी संकल्‍पों के धागे कभी विकल्‍पों के सोपान चढ़ना और उतरना पाना और खोना हर हाल में मुस्‍काना ... कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार मुझे नजरबंद करने के लिए किस तरह जिंदा रहेगी देखे तो उफ्फ !!! वो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह !!! ...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .............

अपने हिस्से का प्यार.. - * * *चांद तारों की महफिल लगने से* *आसमान में सूरज लहराने तक* *बादल के आखिरी टुकड़े से* *बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक* *घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में...कभी आह लब पे मचल गई...!!! - *कभी अश्क आँख से ढल गए* *ये तुम्हारे ग़म के चिराग़ हैं* *कभी बुझ गये कभी जल गए* *कभी आह लब पे मचल गई .....* * अपनी पसंद की एक निहायत खुबसूरत, दिलकश ..मुक्त गगन सा गीत गा सके - मुक्त गगन सा गीत गा सके ‘सावधान’ का बोर्ड लगाये हर कोई बैठा है घर में, मिलना फिर कैसे सम्भव हो लौट गया वह तो बाहर से ! या फिर चौकीदार है बुद्धि ...  

वनौषधियाँ ………… - वनौषधि से हमारा तात्पर्य है कि हमारे आस-पास उगने वाले पौधों के वह पत्र,पुष्प ,फ़ल,वल्कल एवं जड़ जिसके उचित सेवन से हम शारिरीक व्याधियों को दूर करते हैं। इस... अवांछित टहनियाँ ... - कुछ ताज़ी हवा के लिए खिड़की खोली तो ठंडी हवा के साथ तेज कर्कश सी आवाजें भी आईं, ठण्ड के थपेड़े झेलते हुए झाँक कर देखा तो घर के सामने वाले पेड़ की छट...रात कइसे बीतिस - एक झन जोगी बाबा ह घुमत फिरत एक शहर में पहुंचगे। रात होगे रहय अऊ जलकला के दिन रहय शहर के खरपाट ह चारो मुड़ा ले बंद होगे रहय। जोगी बाबा ल जाड़ लागीस। जाड़ में ह... 

आह्वान ! तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को , फैला दो विश्व के वितान पर, मत टोको वर्जन के वरण को ! जाने कितनी आयेंगी मग में बाधाएँ, कहीं तो इन बाधाओं का अंत होगा ही . कौन सका है रोक राह प्रगति की , प्रात रश्मियों के स्वागत का यत्न होगा ही ! प्रलय के विलय से न हो भीत, तृण- तृण को सृजन से जुड़ने दो नीड़ से निकले नभचर को अभय अम्बर में उड़ने दो, जला कर ज्योति पुंजों को , हटा दो तम के आवरण को , तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को! ? ....सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ - सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ और अपने मन के शमशान में कील दूँ तुम्हें तुम्हारी यादों को तुम्हारे वजूद को अपनी मोहब्बत के सिद्ध किये मन्त्रों से सुना है -------....तुम और हम ! - *तुमसे जितनी बार मिला हूँ,* *नए रूप से यार, हिला हूँ !(१)* * * *भरे सरोवर मुरझाया-सा ,* *छोटे नद औ नार खिला हूँ !(२)* ** ** *बीच समंदर डूबा-उतरा ,* ...


मड़गाँव स्टेशन से पणजी मीरमार बीच तक, Margao To Panji Miramar Beach - गोवा यात्रा- हम मड़गाँव स्टेशन से बाहर निकलकर, ऊपरगामी पैदल पुल के ठीक सामने सीधी वाली सड़क नुमा गली से आगे तीन सौ मीटर आने वाले चौक तक चलने लगे, वहाँ से ह...  .ताऊ चिल्लाया, भूख लग रही है, बेलन टूटा - * * *1* *ताऊ चिल्लाया* *भूख लग रही है* *बेलन टूटा* * * *2* * महंगे भाव* *प्याज रोटी चटनी* *शाही दावत* * * * * *3* *अलसभोर* *कमसिन कविता* *रूबरू खुदा* * * ...ऐसी खुशी नहीं चाहता --* * *ऐसी खुशी नहीं चाहता* *जो किसी का दिल दुखाने से मिले,* *हंसी ऐसी नहीं चाहता जो किसी को रुलाने से मिले* *उस दौलत का क्या करना जो अपनों से कर दे दूर... 

मौत तू न कविता है, न ही महबूबा - मौत को लेकर तमाम सारे साहित्यकारों ने, कवियों ने, दार्शनिकों ने अनेक तरह की शायराना बातें कही हैं। कोई मौत को कविता बताकर उसका गुणगान करता है... इंसानी संवेदना से गायब होते जानवर - 85वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म की दौड में भारतीय परिप्रेक्ष्य में बनी आंग ली निर्देशित "लाइफ ऑफ पाई" 11 नामांकन के साथ दूसरे स्थान पर है भा.. एक गीत -फिर नया दिनमान आया - चित्र -गूगल से साभार एक गीत -फिर नया दिनमान आया पर्वतों का माथ छूकर टहनियों का हाथ छूकर फिर नया दिनमान आया | नया संवत्सर हमारे घर नया मेहमान आया | ... 

आगत-विगत - • इतिहास की पढ़ाई का हिस्सा है, इतिहास-लेख (Historiography)। जिसने इतिहास की पाठ्‌यपुस्तकीय पढ़ाई न की हो या की हो और यह पाठ्‌यक्रम में न रहा हो, तो भी इति..."ठीक है" नहीं "ठीक कर देंगें" - जिस तरह से पीएम मनमोहन सिंह ने पाक सेना द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ किये गए बर्बर कृत्य की निंदा की गयी और सम्बन्धॊ को नए ...पाकिस्तान में पल-पल बदलते समीकरण में सुप्रीम कोर्ट और फौज की भूमिका - *हरेश कुमार* * * * * * * अंग्रेजों के शासन से आजादी मिलने के बाद से ही पाकिस्तान एक अस्थिर देश रहा है। अब इसे असफल राष्ट्र की संज्ञा दी जाए, तो कोई ... 

टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से। - हिंदी फॉण्ट ठीक से काम न करने की वजह से *टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से*। कुछ संकलन पढियेगा हुजुर (1) क्या करिएगा .....आज भारतीय संस्कृति "रूढ़िवादिता..क्‍या करें क्‍या न करें 17 और 18 जनवरी 2013 को ?? (लग्‍न राशिफल )......17 और 18 जनवरी का शुभ समय दिन में 10 बजे से 12 तक अशुभ समय शाम 7 बजे से 10 बजे तक , तथा महत्‍वपूर्ण समय दिन के 1 बजे से 3 बजे दोपहर तक होगा , शुभ समय अधिकांश लोगों के लिए शुभ , अशुभ समय अधिकांश लोगों के लिए अशुभ होता है , जबकि महत्‍वपूर्ण समय किसी के लिए अच्‍छा तो किसी के लिए बुरा हो सकता है ......खिड़की खोलो अपने घर की - *एक जरा सी दुनिया घर की* *लेकिन चीजें दुनिया भर की* *फिर वो ही बारिश का मौसम* *खस्ता हालत फिर छप्पर की* *रोज़ सवेरे लिख लेता है* *चेहरे पर दुनिया बाहर की*...


  

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

सोमवार, 14 जनवरी 2013

मकर संक्राति और पतंग मैं अकेली... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.........तिल और गुड की मिठास आप सभी के जीवन को मिठास और आनंद से भर दे और मकर संक्रांति के सूर्योदय के साथ एक नए सवेरे का शुभारम्भ हो इसी कामना के साथ आप सभी को ब्लॉग वार्ता परिवार की ओर से  मकरसंक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल की  हार्दिक शुभकामनायें.... लीजिये प्रस्तुत है लेट लतीफ़ वार्ता ......................





मकर संक्राति और पतंग - मकर संक्राति के अवसर पर पतंग की बातों के साथ गीतों का झरोखा पतंगें उडती हैं हमारे सपनों से भी उंची और इससे डोर बंधी होती है हमारी इच्‍छाओं, आकांक्षाओं ... 

महाकुम्भ के अवसर पर - अमृत मंथन यह सारा ब्रह्मांड परम ऊर्जा से भरा कुम्भ है, सूर्य ज्योति कुम्भ है, नव ग्रह इस ऊर्जा को ग्रहण करने व वितरित करने हेतु बने कुम्भ हैं और धरा जीवन ... 

 
अब धियाँ दी लोड़ी .....| - अब धियाँ दी लोड़ी .....| लोड़ी [लोहड़ी] की मेरे हमवतन , हमदर्दों को लख - लख बधाईयाँ जी ! **** **** खुशियों की रंगत कभी कम न हो कुछ हम गाते ... 

मैं अकेली - मकर संक्रांति पर हार्दिक शुभकामनाएं || आशा 

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBkWFOUc9W_H6g70k5NnioAciZe5EI9nykJDekagij41D0vSeQxqEenaa9MhpwoShGKIvayZcAeVWBWkwd94DL_AbuCIrn-EWDjYaipcaswgqpuuB0wj-owyz3XZtRbNPAz6Vq4nApI74/s200/bharat.jpg

आखिर कब तक शहीदों की चिताओं को उपलों से जलाएंगे !! - शहीद हेमराज के परिवार को आज तीन दिन हो गये अनशन करते हुए लेकिन अफ़सोस कि बात है कि सरकार ने किसी भी तरह का कोई प्रयास नहीं किया कि उनका अनशन तुडवाया जाये ... 

कैसे उजड़ा श्रीपुर ? Sirpur ………- प्राम्भ से पढ़ें सिरपुर भ्रमण करने के बाद सामन्यत: पर्यटक के मन में यह विचार आता है कि कोसल जैसे विशाल राज्य की समृद्ध एवं वैभवशाली राजधानी श्रीपुर का पतन ...

 

सर कटा भी है सर झुका भी है.... खबर है कि सीमा पर पाकिस्तान फ्लैग वार्ता करने को तैयार है... तैयार है मतलब? जिसने पड़ोसी और श..

.हमें शान्ति चाहिए...,(कुँवर जी) - *हम कहते है हमें शान्ति चाहिए,* *वो बोले* *हमने इतना बेआबरू तुमको किया,* *कभी छाती की छलनी* *अभी सर *धर लिया, *तुम अब भी शान्त हो* *अब इस से ज्यादा शान्त... 

 महाकुंभ : चलो हम भी पाप धो आएं ! - इस बार पता नहीं क्या बात है महाकुंभ को लेकर जितनी चर्चा उत्तर प्रदेश में हो रही है, उससे कई गुना ज्यादा बात इसकी दिल्ली में भी हो रही है। नेताओं के पास ज...  



 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

रविवार, 13 जनवरी 2013

उठो जागो,शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.........हद है मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है, लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है, हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों, सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है, स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का, आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है, कौन अपना है पराया हमे क्या मालुम, प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है, भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से, जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है. आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर ...

बोल पाकिस्‍तान तेरे साथ क्‍या सलूक किया जाए : कविता की हालिया संदर्भ में पुर्नप्रस्‍तुति (अविनाश वाचस्‍पति) - कारगिल युद्ध के समय जुलाई 1999 यानी लगभग 10 वर्ष पूर्व यह कविता लिखी गई थी और समाचार पत्रों में छाई रही थी। उस समय ब्‍लॉग का जमाना भी नहीं था। पाकिस्‍तान ... मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई - मौत की नमाज़ पढ रहा है कोई कीकर के बीज बो रहा है कोई ये तो वक्त की गर्दिशें हैं बाकी वरना सु्कूँ की नीद कब सो रहा है कोई आईनों को फ़ाँसी दे रहा है कोई सब्ज़बाग... बंधुआ मजदूर नहीं है देश की सेना ! - दिल्ली में देश की बेटी के साथ गैंगरेप की घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है। सच कहूं तो दिल्ली अभी भी इस घटना से उबर नहीं पाई है। भारी ठंड और 2 डिग्री के ... 

उठो जागो - जो टूट चुका है समझौता, तुम उसकी लाश क्यों ढोते हो? धोखा तुम्हारे साथ हुआ है क्यों शराफत का लबादा ओढ़े रहते हो? बन्दूक,गोली, बम, हथगोले देकर चलाने की इजा...  शहीदों के प्रति बैरुखी क्यों दिखाती हैं सरकारें !! - हमारी सरकारें सैनिकों और शहीदों को क्यों नहीं गंभीरता से लेती है क्या इसलिए कि शहीद और सैनिक वोटबैंक नहीं है ! सरकारें संजीदा हो या नहीं हो लेकिन सरकार के...शहीद के मन की - कैसे तुझे बताऊँ माँ हूँ मैं कितना खुश किस्मत जब तक जिया कर्तव्य से पीछे न हटा सर्दी से कम्पित न हुआ गर्मी से मुंह ना मोड़ा अंत तक हार नहीं मानी की सर... 

शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े - * * * * *शब्द हो गए हैं इन दिनों सर चढ़े * *करके मेरी पुकार अनसुनी * *बैठ जाते है अलाव तापने * *कभी दुबके रजाई में * *मोज़े मफलर शॉल लपेटे * *खदबदाती राबड़ी ... एक बेहूदा, मूर्खतापूर्ण आलेख! - आज बात करते हैं एक बेहूदा, मूर्खतापूर्ण आलेख की। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.... ब्लॉग और ब्लॉगर की टिप्पणी ....बापूजी जो भाव से बलात्कारी हो उसे तो सगी बहन भी भाई कहने में झिझकेगी - 

ओवैसी प्रश्न तो बहुत है , सामने होता तो जरुर पूंछता : - 'ओवैसी’ के पागलपन को आखिर हिंदुस्तान किस तरह स्वीकारे ? वह व्यक्ति जिसे जनता के बहुमत से सरकार का हिस्सा बनाया गया है उसके वक्तव्यों को १२५ करोड़ की जनता ...जन-जन का सहयोग चाहिए... - *जन-जन का सहयोग चाहिए* राजनीति हो चुकी बहुत, अब इसका हमें उपयोग चाहिये बलात्कार मिटाने में अब, जन - जन का सहयोग चाहिये, आज देश में बलात्कारी , जगह -...सड़कों पर आन्दोलन सही पर देहरी के भीतर भी झांकें - दिल्ली में हुए वीभत्स हादसे ने पूरे देश को हिला दिया । इसके बारे में अब तक बहुत कुछ कहा और लिखा गया है । अनशन ,धरने और कैंडल मार्च सब हुआ और हो रहा है । ... 

शरभराज का शरभपुर …………… - बार-नवापारा के जंगल में कांसा पठार एवं रमिहा पठार के बीच में हटवारा पठार स्थित है। इस पठार को सिंघा धुरवा कहा जाता है। मान्यता है कि जंगल में स्थित पठार प..पुलिस अंकल ... - *सख्त क़ानून ...* सख्त क़ानून से उन्हें परहेज नहीं है 'उदय' डर तो इस बात का है कि - कहीं कल खुद उनकी बारी न आ जाये फांसी पे चढ़ जाने की ? ....रावण सा भाई ... - इन दिनों दिल्ली रेप कांड के बाद पूरे देश में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर वैचारिक क्रंाति चल रही है । महिला अत्याचार के खिलाफ चल रहे इस जंग से हर कोई अपने को ...

 ओ दुनिया के रखवाले ....सुन!!!.. - जैसे ही ठंड का मौसम आया लगा खाने -खिलाने का मौसम आया गाजर का हलवा और पोहा-जलेबी तो खूब खाई और मेथी का पराठा भी भाया पर मूली कभी न भाई ! काकी की कचोरी की ... एक जश्न ऐसा भी .. - *आज मैंने देखा सड़क पर * *एक नन्हा सांवला बच्चा * *प्यारा सा,, खाने की थाली में कुछ ढूंढ़ता हुआ* *उस थाली में था भी तो ढ़ेर सारा पकवान .....* *वहीँ पास ... रोक सकोगे???...  मेरे भीतर आक्रोश की उफनती लहराती फुंफकारती धधकती विकराल नदी है रोक सकोगे??? सुना है तुम... समंदर हो   ...

वक्त की टूटी घड़ी दीवार पर अब भी धड़कती है - *"वक्त की टूटी घड़ी दीवार पर अब भी धड़कती है , और रिश्ते मर गए हैं सच के सदमें से बोझिल सी रातों में सर्द से हालात सा मेरा वजूद छल चुके अहसास को ओढ़े है इक बस शर्म ही शर्म...और कोई न कर्म - मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के भ्रष्टाचार -- शर्म, शर्म, शर्म . घोटालों की राशि का लगातार बढ़ते जाना -- शर्म, शर्म, शर्म . महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में ...अब गैस कनेक्शन भी पोर्टेबल - देश में तेज़ी से बदल रही उपभोक्ता आधारित सेवाओं में सरकारी क्षेत्रों की कम्पनियों की साख़ को फिर से लौटाने के लिए जिस तरह से कई प्रयास... 


 


दीजिये इजाज़त नमस्कार........

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