संध्या शर्मा का नमस्कार.....सब्र के बाँध में हिचकियों के पहरे थे हर चेहरे के पीछे जाने कितने चेहरे थे सब कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है इसकी मिठास से तो कभी रू-ब-रू न हुई फ़कत मजबूत होते गये हर बार मेरे इरादे और एक बाँध बन गया सब्र का जिसके नीचे बहती रही दर्द की नदी चुपके - चुपके .... हारना कभी हालातों से सीखा ही नहीं हौसले की उँगली उम्मीद की किरण फिर वही पगडंडियाँ जिन पर सरपट दौड़ती जिंदगी कभी संकल्पों के धागे कभी विकल्पों के सोपान चढ़ना और उतरना पाना और खोना हर हाल में मुस्काना ... कभी अपने ही मेरे बनाते दीवार मुझे नजरबंद करने के लिए किस तरह जिंदा रहेगी देखे तो उफ्फ !!! वो क़ायम रखता मेरे जीने की वज़ह !!! ...लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .............
अपने हिस्से का प्यार..
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*चांद तारों की महफिल लगने से*
*आसमान में सूरज लहराने तक*
*बादल के आखिरी टुकड़े से*
*बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक*
*घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में...कभी आह लब पे मचल गई...!!!
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*कभी अश्क आँख से ढल गए*
*ये तुम्हारे ग़म के चिराग़ हैं*
*कभी बुझ गये कभी जल गए*
*कभी आह लब पे मचल गई .....*
* अपनी पसंद की एक निहायत खुबसूरत, दिलकश ..मुक्त गगन सा गीत गा सके
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मुक्त गगन सा गीत गा सके
‘सावधान’ का बोर्ड लगाये
हर कोई बैठा है घर में,
मिलना फिर कैसे सम्भव हो
लौट गया वह तो बाहर से !
या फिर चौकीदार है बुद्धि ...
वनौषधियाँ …………
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वनौषधि से हमारा तात्पर्य है कि हमारे आस-पास उगने वाले पौधों के वह पत्र,पुष्प
,फ़ल,वल्कल एवं जड़ जिसके उचित सेवन से हम शारिरीक व्याधियों को दूर करते हैं।
इस... अवांछित टहनियाँ ...
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कुछ ताज़ी हवा के लिए खिड़की खोली तो ठंडी हवा के साथ तेज कर्कश सी आवाजें भी
आईं, ठण्ड के थपेड़े झेलते हुए झाँक कर देखा तो घर के सामने वाले पेड़ की
छट...रात कइसे बीतिस
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एक झन जोगी बाबा ह घुमत फिरत एक शहर में पहुंचगे। रात होगे रहय अऊ जलकला के
दिन रहय शहर के खरपाट ह चारो मुड़ा ले बंद होगे रहय। जोगी बाबा ल जाड़ लागीस।
जाड़ में ह...
आह्वान ! तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को , फैला दो विश्व के वितान पर, मत टोको वर्जन के वरण को ! जाने कितनी आयेंगी मग में बाधाएँ, कहीं तो इन बाधाओं का अंत होगा ही . कौन सका है रोक राह प्रगति की , प्रात रश्मियों के स्वागत का यत्न होगा ही ! प्रलय के विलय से न हो भीत, तृण- तृण को सृजन से जुड़ने दो नीड़ से निकले नभचर को अभय अम्बर में उड़ने दो, जला कर ज्योति पुंजों को , हटा दो तम के आवरण को , तोड़ दो सपनो की दीवारे, मत रोको सृजन के चरण को! ? - ....सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ - सोचती हूँ अघोरी बन जाऊँ और अपने मन के शमशान में कील दूँ तुम्हें तुम्हारी यादों को तुम्हारे वजूद को अपनी मोहब्बत के सिद्ध किये मन्त्रों से सुना है -------....तुम और हम ! - *तुमसे जितनी बार मिला हूँ,* *नए रूप से यार, हिला हूँ !(१)* * * *भरे सरोवर मुरझाया-सा ,* *छोटे नद औ नार खिला हूँ !(२)* ** ** *बीच समंदर डूबा-उतरा ,* ...
मड़गाँव स्टेशन से पणजी मीरमार बीच तक, Margao To Panji Miramar Beach
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गोवा यात्रा-
हम मड़गाँव स्टेशन से बाहर निकलकर, ऊपरगामी पैदल पुल के ठीक सामने सीधी वाली
सड़क नुमा गली से आगे तीन सौ मीटर आने वाले चौक तक चलने लगे, वहाँ से ह...
.ताऊ चिल्लाया, भूख लग रही है, बेलन टूटा
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*1*
*ताऊ चिल्लाया*
*भूख लग रही है*
*बेलन टूटा*
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*2*
* महंगे भाव*
*प्याज रोटी चटनी*
*शाही दावत*
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*3*
*अलसभोर*
*कमसिन कविता*
*रूबरू खुदा*
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...ऐसी खुशी नहीं चाहता --* *
*ऐसी खुशी नहीं चाहता*
*जो किसी का दिल दुखाने से मिले,*
*हंसी ऐसी नहीं चाहता जो किसी को रुलाने से मिले*
*उस दौलत का क्या करना जो अपनों से कर दे दूर...
मौत तू न कविता है, न ही महबूबा
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मौत को लेकर तमाम सारे साहित्यकारों ने, कवियों ने, दार्शनिकों ने
अनेक तरह की शायराना बातें कही हैं। कोई मौत को कविता बताकर उसका गुणगान करता
है... इंसानी संवेदना से गायब होते जानवर
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85वें अकादमी पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म की दौड में भारतीय
परिप्रेक्ष्य में बनी आंग ली निर्देशित "लाइफ ऑफ पाई" 11 नामांकन के साथ दूसरे
स्थान पर है भा..
एक गीत -फिर नया दिनमान आया
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चित्र -गूगल से साभार एक गीत -फिर नया दिनमान आया
पर्वतों का
माथ छूकर
टहनियों का
हाथ छूकर
फिर नया दिनमान आया |
नया संवत्सर
हमारे घर
नया मेहमान आया | ...
आगत-विगत
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• इतिहास की पढ़ाई का हिस्सा है, इतिहास-लेख (Historiography)। जिसने इतिहास
की पाठ्यपुस्तकीय पढ़ाई न की हो या की हो और यह पाठ्यक्रम में न रहा हो, तो
भी इति..."ठीक है" नहीं "ठीक कर देंगें"
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जिस तरह से पीएम मनमोहन सिंह ने पाक सेना
द्वारा भारतीय सैनिकों के साथ किये गए बर्बर कृत्य की निंदा की गयी और
सम्बन्धॊ को नए ...पाकिस्तान में पल-पल बदलते समीकरण में सुप्रीम कोर्ट और फौज की भूमिका
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*हरेश कुमार*
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अंग्रेजों के शासन से आजादी मिलने के बाद से ही पाकिस्तान एक अस्थिर देश रहा
है। अब इसे असफल राष्ट्र की संज्ञा दी जाए, तो कोई ...
टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से।
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हिंदी फॉण्ट ठीक से काम न करने की वजह से *टिपियाते थे डेश बोर्ड की मदद से*।
कुछ संकलन पढियेगा हुजुर
(1)
क्या करिएगा .....आज भारतीय संस्कृति
"रूढ़िवादिता..क्या करें क्या न करें 17 और 18 जनवरी 2013 को ?? (लग्न राशिफल )......17 और 18 जनवरी का शुभ समय दिन में 10 बजे से 12 तक अशुभ समय शाम 7 बजे से 10 बजे तक , तथा महत्वपूर्ण समय दिन के 1 बजे से 3 बजे दोपहर तक होगा , शुभ समय अधिकांश लोगों के लिए शुभ , अशुभ समय अधिकांश लोगों के लिए अशुभ होता है , जबकि महत्वपूर्ण समय किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए बुरा हो सकता है ......खिड़की खोलो अपने घर की
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*एक जरा सी दुनिया घर की*
*लेकिन चीजें दुनिया भर की*
*फिर वो ही बारिश का मौसम*
*खस्ता हालत फिर छप्पर की*
*रोज़ सवेरे लिख लेता है*
*चेहरे पर दुनिया बाहर की*...
9 टिप्पणियाँ:
समसामयिक लिंक्स से सजी वार्ता |
आशा
बढ़िया लिनक्स लिए वार्ता, आभार
पूरे ब्लॉग जगत का लेखा जोखा..
बहुत सुंदर वार्ता ..
आभार !!
पठनीय रोचक वार्ता,,,बधाई संध्या जी,,,,
recent post: मातृभूमि,
आदरणीया दीदी प्रणाम,पठनीय सूत्र बढ़िया वार्ता हार्दिक बधाई
यहां आप लोगों की मेहनत दिखाई देती है..
बहुत बढिया वार्ता
बहुत ही अनुपम भाव एवं लिंक्स संयोजन वार्ता का अच्छा लगा ...
आभार आपका
अपकी निरंतर मेहनत को नमन
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