बुधवार, 30 जनवरी 2013

नाबालिग??? अफ़सोस...!---ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार....मत करो दामि‍नी तुम कि‍सी इंसाफ का इंतजार नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय , उम्र कच्‍ची थी उसकी इसलि‍ए जुर्म बड़ा नहीं. क्‍या हुआ जो उसने कि‍या तुम्‍हारे दामन को तार-तार सरि‍या को तुम्‍हारे अंग के पार. बेचारा नादान है, बच्‍चा है, स्‍कूल सर्टिफिकेट ने कहा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने माना छूट गया वह दुर्दांत है तो क्‍या है तो कमउम्र..मासूम और नाबालि‍ग को सजा इस देश का कानून नहीं देता देश के नाबालिगों मेहनत मजदूरी मत करना मगर कर सकते हो बलात्‍कार है तुम्‍हें सरकारी छूट.... मत करो दामि‍नीतुम कि‍सी इंसाफ का इंतजार नहीं मि‍लेगा तुम्‍हें न्‍याय... लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......

तुझे मेरे गीत बुलाते हैं - १९५१ की फिल्म “रानी रूपमती” मूल गीत गाया था मुकेश ने. भारत भूषण, नलिनी अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे एस. एन. त्रिपाठी. गीत लिखा था भरत व्यास ने. .... फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ... - *पेश है उन लोगों का दर्द जो ये सब भोग चुके हैं* ----------------------------------------- *फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ है यही इक सिलसिला... आपन गीत हम लिखब... - अब अपनी बात हम खुद लिखेंगे जैसे चाहेंगे वैसे जियेंगे न जी पायेंगे अगर मर्जी के मुताबिक, न सही तो उस न जी पाने की वजह ही लिखेंगे, हम खुद लिखेंगे ...

बौद्ध मठ एवं तिब्बती औषधालय Manpat - सुबह जल्दी हो गयी, सूर्योदय हो रहा था। सूर्योदय का यही नजारा देखने हम जल्दी उठे थे। ठंड ऐसी थी कि रुम से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था। पंकज पहले ही उठ...पुस्तकालय ऐसे भी.. - यदि विदेशी धरती पर उतरते ही मूलभूत जानकारियों के लिए कोई आपसे कहे कि पुस्तकालय चले जाइए तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि पुस्तकालय तो किताबें और पत्र पत्रिकाए...उमेश मण्डावी की कविता - इस बार प्रस्तुत है युवा व्यंग्यकार *उमेश कुमार मण्डावी* की व्यंग्य-कविता "चुनाव"। कोंडागाँव (बस्तर-छत्तीसगढ़) में 23 मई 1975 को जन्मे उमेश मण्डावी यांत्रि...

सरकारी अस्पतालों मे ही हो "क्रीमी लेयर" का भी इलाज - *मंत्री महोदय की यह सदेच्छा पूरी होती तो नहीं लगती, पर फिर भी यदि ऎसी कोइ नीति बन जाती है या कुछ लोग स्वप्रेरणा से ही सरकारी अस्पताल को अपनाते हैं ... पदम् सम्मान : जूते घिसने से नहीं बेचने से मिलता है ! - आज बात पदम् सम्मानों की ! लोग इस सम्मान के लिए सालों साल जूते घिसते रहते हैं, फिर भी निराश होना पड़ता है। वैसे अंदर की बात कुछ और है, उन्हें पता नहीं है ...भ्रष्ट कहा तो सुलग गई - चलिये, नंदी महोदय ने आरक्षण का एक और पहलू सामने रख दिया। उनके बयान के बाद भ्रष्टाचार की वर्गवार स्थिति पर वर्तमान में भले ही एक अलग प्रकार का...

हमन है इश्क़ मस्ताना - (नया ज्ञानोदय काग़ज़ल महाविशेषांक इस लोकप्रिय विधा के इतिहास की झलक दिखाने में कामयाब रहा है. यहां प्रस्तुत है इस विशेषांक में प्रकाशित कबीर की रचना) हमन...कविता उसके पार खडी है लुप्तप्राय सी - *"प्यार के माने* ***हमारे और ...तेरे और हैं* ***इसलिए प्यार मेरे यार मैं लिखता नहीं* ***स्नेह यदि स्वीकार हो सत्कार कर लेना* ***स्नेह के उस पार देह की दहलीज ...सुनो………। - सुनो तुम ज़लालत की ज़िन्दगी जीने और मरने के लिये ही पैदा होती हो सुनो तुम जागीर हो हमारी कैसे तुम्हारे भले का हम सोच सकते हैं सुनो तुम इंसान नहीं हो जान लो ...

कविता कॆ रस प्रॆमी बॊलॊ, श्रृँगार लिखूं या अंगार लिखूं !! - हर नौजवान कॆ हाथों मॆं, बस बॆकारी का हाला ! हर सीनॆं मॆं असंतोष की, धधक रही है ज्वाला !! नारी कॆ माथॆ की बिंदिया, ना जानॆं कब रॊ दॆ ! वॊ बूढी मैया अपना बॆटा...संविधान हाय हाय - साहब गणतंत्र दिवस की सुअवसर पर कई गणमान्य गणो के सुविचार जानने का सुअवर सोशल मीडिया ने जबरन प्रदान कर दिया। कोई केजरीवाल की फ़ुटवा चपकाये संसद सांसद संविध...अफ़सोस ! - *यूं इस तरह न आज * *मुहँ चिढाता हमको, * *'रिपु ' कोई हाफिज * *"साहब" सरीखा होता। * *टूटकर यूं न बिखरते, * *अपने वादों पे * *तनिक कायम रहना * *जो हमने भी... 

शब्द जाल - अंतःकरण से शब्द निकले चुने बुने और फैलाए दिए नए आयाम उन्हें और जाल बुनता गया थम न सका प्रवाह एक जखीरा बनता गया सम्यक दृष्टि से देखा नया रूप नजर आया... खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू - *खड़ा शीश पर नौटंकी का कालू*** *श्यामनारायण मिश्र*** कोई दिन हो गया कलेऊ कोई दिन ब्यालू बूढ़ी चाची कहती बेटे सबके राम दयालू सोच-सोचकर हुआ अजीरन मन है... Dr Satyajit Sahu - रायपुरा हॉस्पिटल परिवार ने डॉ ताराचंद मेघजानी जी के विशेष आतिथ्य में ग्रामीण मरीजों के बीच गणतन्त्र दिवस मनाया JCI रायपुर राइस सिटी ने इस वर्ष गण...

मत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन में मत बांधो मुझको परिभाषा के बंधन में, मुझको तो बस नारी बन कर जीने दो. बचपन कब बीता तितली सा, हर कदमों पर बैठा पहरा था. प्रतिपल यह याद दिलाया था, वह घर मेरा कब अपना था. सभी उमंगें मन की मन में दबी रहीं, कह न पायी मुझको मर्ज़ी से जीने दो. गृहलक्ष्मी का थोथा नाम दिया.... तेरे आने से * * *तेरे आने से रोशन मेरा जहाँ हो गया* *तेरे प्यार से महकता आशियाँ हो गया .....* *तेरी आदाएं कोमल तितली सी है* *तेरे आने से मेरा जीवन गुलिस्ताँ हो गया....* * * *रंग इतने लाई है तू जीवन में मेरे* *की अब हर शमाँ रंगीन हो गया ....* *सादगी तेरे व्यवहार की ऐसी मनमोहक है* *की मै तो तुझमे ही खो गया .....नाबालिग - *जिसकी दरिंदगी देख के दुनिया का दिल दहल गया । पत्थर से पत्थर दिल तक एकबारगी पिघल गया । जिसके लम्बे हाथों ने पकड़ा था बड़ी मशक्कत के साथ उसे मुँह पर सरेआम... 

धरोहरों को नष्ट करते नादान - प्रारंभ से पढे रामगढ से लौटते हुए कॉलेज के दिनों से ही प्रकृति का सामिप्य एवं सानिध्य पाने, प्राचीन धरोहरों को देखने और उसकी निर्माण तकनीक को समझने की ...पहरा....  - बावली है... आजकल उसे चंदामामा, बिल्ली मौसी, चिड़िया रानी, परियों के सपने नहीं आते उनकी जगह सियार, भेड़िये,सांप धुंए के उड़ते हुए बवंडरों ने ले ली है ...क्या मैं जीवित रहूँगी - रात होने को है मैं सड़क पर अकेली खड़ी हूँ बहुत से कारवाले गुजर गए है बिना रुके मैंने भी कोशिश नहीं की किसी को रोकने की सारी भरी बसें चली गयी बिना मुझ...

कार्टून कुछ बोलता है - पड़ोसी मेहरबान तो ....


https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiENWnncMSvlUwrvkatF5PhfYO-_RMKec4MtOwR7cdpEQto217ZuL_mtltI62KUwwqUkpBCv-D4sl2MNsQWr8GTTm9EucJ3agdi78Ua6NudFMslxZ2gecYAya2yYZDb6zcVQijoPGOko_A/s1600/29.1.2013.jpg 

अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार........

11 टिप्पणियाँ:

अच्छी लिंक्स से सजी वार्ता |कार्टून भी बहुत अच्छा लगा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

बेहतरीन लिंक्स में मेरी रचना को शामिल
करने के लिए आपका आभार...
:-)

सुन्दर सार्थक प्रसंगिक सेतु परस्पर सम्बद्ध माला के मनके से अर्थ पूर्ण काव्यात्मक समन्वयन लिए .

अच्छी वार्ता ,मेरी साझा कि गयी रचना को भी स्थान मिला इस वार्ता में ,इसके लिए आभार !!

आदरणीया दीदी बेहद सुन्दर वार्ता है हार्दिक बधाई

बहुत सुन्दर लिंक संयोजन

बढिया वार्ता…… शुभकामनाएं

बढ़िया हैं
हमारा ब्लॉग भी जोडीये आप..
ज्ञानवर्धक
http://rahulknowledgefactory.blogspot.in/
और एक हमारा कवितामयी ब्लॉग भी
http://khamosiyan.blogspot.in/

मेरी रचना को स्थान देकर अनुग्रहित करें

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More