संध्या शर्मा का नमस्कार.....* * *जाओ चले जाओ* *अपने सारे ख्वाब भी ले जाओ* *वो झूठे वादे भी ले जाओ ......* *वो झूठी कस्मे भी ले जाओ* *वो तुम्हारा रूठना भी ले जाओ* *पर मेरा मनाना मुझे दे जाओ ........* *वो प्यारे ख़त जला दो अभी इसी वक्त* *पर मेरी यादें , मेरी बाते मुझे लौटा दो* *बस चले जाओ दे दो आजादी .......* *इस झूठे प्रेम से इस छल से * *बस इतना बताते जाओ * *की, मेरा कसूर क्या था.....* *बीना कसूर जा रहे हो* *तो एक सजा भी लेते जाओ .......* *मेरी दुआएँ* *फिर लौट कर आने की.....* *रिश्तों को यूँ ही नहीं बिखरने दूंगी* *आज तुम्हारी जिद है तो जाओ .....* *एक संकल्प मेरा भी है .....* *तुम्हें फिर ले आउंगी ....* लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता .......
मैं तो कब से खड़ी इस पार
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१९५८ की फिल्म “मधुमती”.
मूल गीत गाया था लता मंगेशकर
ने.
दिलीप कुमार और वैजयन्ती
माला अभिनीत फिल्म के निर्देशक थे बिमल रॉय.
गीत
लिखा था शंकर शैलेन्द्र ने....तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी...
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(दृश्य - एक सजा संवरा से कमरा है. हर चीज करीने से. एक टेबल और दो चेयर. टेबल
पर अभी पीकर रखे गये चाय के कप के निशान हैं.)
जीवन- तुम हंसती क्यों रहती हो? .आँखें
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आँखें
होंठ चुप रहें सवाल पूछती हैं आँखें
देखें कैसे बेहिसाब बोलती हैं आँखें
मौन ठहरा है दोनों के बीच में मगर
खामोशियों को फिर भी तोड़ती हैं आँखें..
साला मैं तो साहब बन गया ....
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फिलहाल तो आज की ताजा खबर यही है कि राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर
कहा गया है कि अगर 2014 में प्रधानमंत्री बनना है तो अभी से मेहनत करो। .अपनी अपनी किस्मत
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अपनी अपनी किस्मत
जब तक बदन में था छुपा ,पानी वो पाक था,
बाहर जो निकला पेट से ,पेशाब बन गया
बंधा हुआ था जब तलक,सौदा था लाख का,
मुट्ठी खुली ...ये तो था परदे के सामने का सच ……………
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दिशाहीन सडकें , दिशाहीन राहें और चलना उम्रभर का । एक सी दिनचर्या ………वो ही
खाना , पीना और सोना …………कुछ नही हो करने को ………ऐसे मे माध्यम बना सोशल मीडिया
। चल...
आखिर इलेक्ट्रानिक वाले अलग हो ही गये ...
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यह तो होना ही था । आखिर ग्लैमर से भरे इलेक्ट्रानिक मीडिया कब तक प्रिंट
मीडिया के दबदबे पर चुप रहती । इलेक्ट्रानिक मीडिया इस बात पर लंबे समय से
नाराज थे कि आज...
डिश टीवी की सीनाजोर दादागिरी
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आज मेरा यह भ्रम दूर हो गया कि मैंने अपने लिए, अपनी सुविधा के लिए डिश टीवी
का कनेक्शन लिया हुआ है। डिश टीवीवालों ने आज मुझे जता दिया कि वे मेरे लिए
नहीं,...गोवा के यूथ हॉस्टल कैम्प में रॉक/चट्टान आरोहण Rock climbing in Goa at YHAI Camp
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गोवा यात्रा-
रात का खाना खाने के उपरांत, वहाँ पर कैम्प फ़ायर करने की प्रथा बनायी हुई थी।
वहाँ एक बात बहुत अच्छी लगी कि कैम्प फ़ायर के नाम पर लकड़ियाँ जलाने ...
अब तुम बड़े हो गए हो
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अब कल से राहुल भैया जी 'एडल्ट डाइपर' पहनेंगे ... आज सब मिल कर समझाये है ... "
अब तुम बड़े हो गए हो !!! "
.माँ ने कहा सत्ता जहर की तरह है, और भारत के लोग मेरी जान है:- राहुल गांधी
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जयपुर में चल रहे कौंग्रेस के "चिंतन शिविर" में कांग्रेस के "युवा" नेता और
ताजा-ताजा बने कॉग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने अपने भाषण में .....अभी वक्त लगेगा, दिमाग की खिड़कियाँ खुलने में
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हाल ही में कुछ दरिंदो द्वारा दामिनी की नृशंस हत्या ने पूरे देश को आंदोलित
कर दिया है। और टी वी , पत्रिकाओं, फेसबुक और हमारे ब्लॉगजगत में भी समाज में ...
एक लम्बा सा मौन
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(फेसबुक से लिया गया
चित्र)
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कब और कैसे,
एक लम्बा सा मौन
पसर चुका है हम दोनों के बीच
ये मौन ....विद्यालय 2 संसार में शायद तीन जगह सब बराबर हैं
1 मंदिर भगवान के समक्ष जहां किसी के सामने सिर नहीं झुकाना चाहिए
2 खेल का मैदान जहां सब अपनी क्षमता, और योग्यता के आधार पर होते हैं
3 विद्यालय जहाँ ज्ञान और गुरू सुपात्र शिष्य की प्रतीक्षा में बाहें फैलाये
रहते .. क्या खुदा भगवान आदम??? खो रहा पहचान आदम,
हो रहा शैतान आदम,
चोर मन ले फिर रहा है,
कोयले की खान आदम,
नारि पे ताकत दिखाए,
जंतु से हैवान आदम,
मौत आनी है समय पे,
जान कर अंजान आदम,
सोंचता है सोंच नीची,
बो रहा अपमान आदम,
मौज में सारे कुकर्मी,
क्या खुदा भगवान आदम???
...
मुक्तसर न हुई उल्फत....
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*****
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अफसाने न रहे तुम्हें सुनाने के लिए *
* बेगाने ही रहे दर्द मेरे ज़माने के.....रातें
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रातें
काली सी स्याह रातें
हर तरफ कांटे ही कांटे.
पथरीली सी ये धरती
रेतीली हैं चक्रवातें.
बुझता हुआ सा दीपक
उखडी हुई हैं साँसें.
व्याकुल सा है ये तन-मन
बोझ...सामत सरना डीपाडीह की ओर यायावर
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बिलासपुर टेसन
यात्राएं चलते रहती हैं जीवन के साथ। जीवन भी एक यात्रा कहा जाता है। मैने
देखा कि यात्राओं का कोई कारण होता है। कोई निमित्त होता है...
5 टिप्पणियाँ:
क्या बात
अभी लेख पोस्ट किया और आपने यहां शामिल भी कर दिया
आभार, बढिया वार्ता
आज का सवेरा आपने सुखद कर दिया। अपनी पोस्ट इस चयन में देखकर अच्छा ही लगा। कृपा है आपकी। कोटिश: धन्यवाद और आभार।
बहुत सुन्दर सूत्र...पवनजी का कार्टून तो बहुत दमदार..
सुप्रभात दीदी अच्छी वार्ता है मेरी रचना को स्थान देने हेतु ह्रदय से आभार. सादर
बहुत ही अच्छे लिंक्स ...
धन्यवाद।।।।।
:-)
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