संध्या शर्मा का नमस्कार.... दिल्ली में पिछले दिनों हुए सार्वजनिक बलात्कार मामले में चार्जशीट दायर हो गई है.पांच अभियुक्तों के ख़िलाफ़ हत्या, अपहरण और बलात्कार के आरोप लगाए गए हैं. हड़ताल बन रही है शिक्षकों की मौत की वजह। हड़ताली शिक्षकों का जल सत्याग्रह.छत्तीसगढ़ में पिछले एक महीने से चल रही शिक्षाकर्मियों की हड़ताल के बीच अब तक 15 शिक्षकों और उनके तीन परिजनों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है. हड़ताल बन रही है शिक्षकों की मौत की वजह हड़ताली शिक्षकों का जल सत्याग्रह.छत्तीसगढ़ में पिछले एक महीने से चल रही शिक्षाकर्मियों की हड़ताल के बीच अब तक 15 शिक्षकों और उनके तीन परिजनों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है. उधर ठिठुर रहा है उत्तर भारत! उत्तर भारत में शीत लहर कड़ाके की ठंड के बीच... आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर ..........
क्या तुम्हारी आँखों ने कभी जाना है धरती एक है बस - अदूनिस की कविता - २
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धरती
कितनी दफ़ा कह चुके हो तुम :
“एक दूसरी मातृभूमि है मेरे पास,”
और आंसुओं से तर हो जाती हैं तुम्हारी आँखें,
और तुम्हारी हथेलियाँ उसके नज़दीकी इलाक़ों...
है ना अचरज ...........
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मेरे पास
कुरान की आयतें नहीं
जो बांच सकूँ
गीता का ज्ञान नहीं
जो बाँट सकूँ
शबरी के बेर नहीं
जो खिला सकूँ
मीरा का प्रेम नहीं
जो रिझा सकूँ
राधा सा ...क्या यह एक जरूरी काम नहीं है?
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मेरा कमरा
- अल्पना मिश्र
स्त्री का कोई अपना कमरा हो सकता है क्या, जहॉ बैठ कर वह अपने आप को जी सके?
ऐसा कोई एकांत कोना ही, जहॉ वह अपनी तरह से दुनिया जहान पर ...
छत्तीसगढ मित्र का पुन: प्रकाशन
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पं माधवराव सप्रे
विगत दिनों एक कार्यक्रम के दौरान मुझे "छत्तीसगढ़ मित्र" पत्रिका मिली। इसका
प्रकाशन माधवराव सप्रे जी 111 वर्ष पूर्व करते थे। किसी पत्रिका ... परिवर्तन के स्वर को धरातल पर लाने का संकल्प---
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अन्ना का आन्दोलन, रामदेव का तामझामए प्रमुख राजनैतिक दल कांगेे्रस-भाजपा
की करतूतों, उद्योगों की चालबाजी और छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के कालिख पूते
चेहरे, ...
कोया (बस्तर के अनावृत सौंदर्य के कामपिपासु ख्यातिलब्धों की कहानी)
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'विधुर हूँ, उम्रदराज भी हूँ किन्तु इंद्रियों में प्यास अब तक बाकी है, देख
लेना.'
चित्रकोट जल प्रपात की प्रकृतिक छटाओं का आनंद लेकर जगदलपुर के विलासितापूर्ण ...
राजनीति?... माफ़ किजीये।
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लगभग दो पीढीयों से, मध्यम वर्ग, हिन्दुस्तान का विशाल
समूह ’पगार’, ’बोनस’ , घर, गाड़ी, ए/सी के पीछे ही भाग रहा है।
यहाँ अपने देश में नहीं तो ’अम्रीका’ में और ...
तुम्हारी ख़ामोशी.......!!!
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बहुत कुछ लिखवा लेती है,
तुम्हारी ख़ामोशी.......
तुम कुछ कहते भी नही,
न जाने क्या समझा देती है....
तुम्हारी ख़ामोशी...
अब तक जो कुछ लिखा,
जो ...क़िस्त दर क़िस्त…
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हि न्दी के बहुप्रयुक्त शब्दों में* क़िस्त* का भी शुमार है हालाँकि अक्सर
ज्यादातर लोग *‘क़िस्त’* को ‘*किश्त*’ लिखने और बोलने के आदी हैं । ‘..
न जाने तुमने ऊपर वाले से क्या क्या कहा होगा ...
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* ** ** *न जाने क्या हुआ है
हादसा गमगीन मंज़र है * *शहर मे खौफ़ का पसरा हुआ एक मौन बंजर है * *फिजाँ मे
घुट रहा...चीख लेने दो मुझे ...
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"चीख लेने दो मुझे
रात लम्बी है
और सर्द बेहद
सबेरा होगा --लोग कहते हैं
यकीन नहीं होता
यूं भी दिनमान पर कोहरे का कहर जारी है
ओस खामोश है फूलों के रुखसारों...इतनी मजबूर तो नहीं जिंदगी....
*क्यूँ घुट रहे हो पल-पल,*
*कोई क़सूर तो नही जिंदगी!*
*खोलो पलके हाथ बढाओ,*
*इतनी भी दूर तो नहीं ज़िन्दगी!*
*माना ज़ख्म है कई तो
....
मुक्ति...
मुक्त करती हूँ तुम्हे
हर उस बंधन से
जो बुने थे
सिर्फ और सिर्फ मैंने
शायद उसमे
ना तुम बंध सके
ना मैं बाँध सकी
निकल जाना है
अलग राह पर
लेकर ...आदित्य की प्रथम किरण
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आदित्य की प्रथम किरण सा
कितना सुखद सानिध्य
और तुम्हारा स्नेहिल स्पर्श
कर जाता अभिमंत्रित
मन मयूर को\
व्योम में सूर्य बिम्ब से
अरुणिम अधर
प्रमुदित.. अनागत / नव वर्ष पागल मन सोचने लगा
21 वीं सदी में
सूरज पूरब से नहीं
पच्छिम से निकल आवेगा
हवा का रुख बदल जायेगा
नक्षत्र अपना स्थान बदल लेंगे
नभ से बादल दूध बरसायेंगे
पहाड़ी झरनों से झरेंगे मोती
आसमान से बरस पड़ेगा अमृत
किसी ने कहा
अनहोनी कुछ नहीं
जो हुआ
अच्छा हुआ.
...
दानव का किरदार ले गए जीने के आसार ले गए,
जीवन का आधार ले गए,
भूखों की पतवार ले गए,
लूटपाट घरबार ले गए,
छीनछान व्यापार ले गए,
दौलत देश के पार ले गए,
खुशियों के बाज़ार ले गए,
औषधि और उपचार ले गए,
सारा आदर सत्कार ले गए,
प्रेम भाव त्यौहार ले गए,
पेट्रोल बढ़ाया कार ले गए,
गाड़ी मेरी मार ले गए,
खुद्दारी खुद्दार ले गए,
दानव का किरदार ले गए ... क्षणिकाएं (१)
एक अनजाना चेहरा -
एक अज्ञात नाम -
लेकिन कमाल का जज़्बा-
फिर यह शिकायत क्यूं ,
की इंसानियत मर चुकी है ......!
(२)
मौन से बढ़िया साथी आज तक नहीं मिला
वह न रोकता है ... नया साल आया तो खड़ा है*नया साल आया तो खड़ा है *
*उम्मीद जश्न की करता हमसे *
*खुशियों पे अपनी पानी पड़ा है *
*
**गुजरे साल में ज़ख़्मी हुए हम *
*जार जार रोई मानवता *
*काँधे पे अपने , लिए ज़मीर की , लाश खड़ा है *
*
**सूख गये विष्वास के मानी *
*मर गया आँख में शर्म का पानी * ...
5 टिप्पणियाँ:
संध्या जी बहुत अच्छी लिंक्स दी हैं |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार |
आप का संयोजन लाजबाब |
आशा
बहुत सुंदर ..
आभार !!
आदरणीया संध्या दी नमस्कार, सुन्दर व सार्थक वार्ता लिंक्स अच्छे और रोचक हैं मेरी रचना को स्थान दिया अनेक-२ धन्यवाद सादर.
बहुत अच्छी वार्ता...
सभी लिंक्स देख लिए..
शुक्रिया संध्या जी..
सस्नेह
अनु
रोचक सूत्रों से सजी वार्ता।
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