संध्या शर्मा का नमस्कार....आज दो शेर हाजिर हैं.......*कुल्फी जमा देने वाली इस ठिठुरती ठंड में, * *दांत कट-कटा जाते है, * *दरवाजे पर ठक-ठक की आवाज सुनने को, * *हम छट-पटा जाते है,* *उम्मीद लिए कान हैं कम्वक्त कि आहते से * *उन्हें कोई खनक मिले, * *मुकद्दर खराब हो तो आवारा गली के कुत्ते भी * *गेट ख़ट-खटा जाते है। * *लड़कपन में कभी हम भी इस तरह अपना वक्त जाया करते थे, * *दबे पाँव गुल से लिपटी हुई तितली को पकड़ने जाया करते थे। *.....आइये अब चलते हैं आज की वार्ता पर ....
अनकही
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कहे गए शब्दों की
अनकही गूँज में
अनकहे शब्दों के
गूँज गए अर्थ।
समझे गए अर्थों के
न समझे भावों में
न समझे अर्थों के
महसूस किये भाव।
सोचते तेरी बातों...ओछी जबान, संत भये असंत, कलियुग है
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*(1)*
*ओछी जबान*
*संत भये असंत*
*कलियुग है*
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*(2)*
*दिया बयान*
*कडाके की ठंड में*
*नमन तात*
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*(3)*
*महाराज श्री*
*कुंभ के आनंद में*
*काहे ...बलात्कार का मतलब केवल (जबरदस्ती) सम्भोग करना ही नहीं है..
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वो अजीब सा दिन था... उस दिन सिर्फ तुम्हारे कपडे ही नहीं बल्कि साथ ही साथ
मेरा ज़मीर भी चीथड़े-चीथड़े होकर बिखर गया...
सालाना साढ़े बारह अरब के एसएमस याने गरीबों की अमीरी
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एसएमएस मुझे सदैव ‘आपात’ ही लगते हैं - पढ़ना हो या भेजना हो। पढ़ने में ही
प्राण निकल जाते हैं तो लिखने में क्या गत होती होगी, कल्पना की जा सकती है।
फिर ..ये कैसी सूचना क्रांति का दौर है...
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एक तरफ जब सूचना क्रांति के इस दौर में दुनिया भर की खबरे आसानी से मिल
जाने का दावा किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रिंट मीडिया के एडिशन के
चक्कर में पड़ोसी ...कल , आज और कल
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पता नहीं क्यों
आदत हो गयी है हमें
इतिहास से फूल चुनने की
और काँटों पर शयन करने की
आखिर क्यों हम बार- बार
पलट कर देखते हैं
जबकि वक्त ना जाने कितनी
करवटें ...
वादा है तुमसे मेरा....
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*बचपन में मेरी कोमलता ने
ध्यान जब सबका खींचा
खिलने से पहले ही बरबस
लोगों ने हथेलियों में भींचा...
कुछ बड़ी होकर खिलने की
मेरी भी चाह थी
मेरे ऊपर खुला आकाश
...
एक कैपेचीनो और "कठपुतलियाँ"
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गुजर गया 2012 और कुछ ऐसा गुजरा कि आखिरी दिनों में मन भारी भारी छोड़ गया।
यूँ जीवन चलता रहा , दुनिया चलती रही , खाना पीना, घूमना सब कुछ ही चलता रहा ...
रिश्ता दर्द का
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रिश्ता दर्द का :-
ना जाने कहाँ से आये हो
प्रीत की रीत निभाने को
दर्द भी साथ लाए हो
छिपे भावों को जगाने को |
ना ही कभी देखा
ना ही पहचान हुई
बातें करें ...
पद्मसिंह जी की शानदार दो पारी
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मुख्यातिथि डॉo टी एस दराल जी की शानदार हास्य कविताओं से सांपला निवासी
गद्गद हो गये थे। उनका हृदय से आभार कि उन्होंने अपना अमूल्य समय और रचनायें
हमें ..हेमन्त ऋतु के शीत का अनुभव को तरसता मन
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पौष का महीना चल रहा है और ऋतु हेमन्त का। अम्बर मेघविहीन होकर नील-धवल
स्फटिक-सा निर्मल हो गया है। वाटिकाएँ भाँति-भाँति के पुष्पो से पल्लवित हो गई
हैं और ..उपन्यास भूभल से अंश मीनाक्षी स्वामी
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*(मेरा उपन्यास ‘भूभल’ वर्ष 2011 में सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। आज
दिल्ली गेंग रेप की घटना में जन जागरण का कानून निर्माताओं पर दबाव बन रहा है, ..
दम तोड़ती ज़िन्दगी.....
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ज़िन्दगी ने
क्यों पहन लिया
ये काला लिबास...
जाने किस बात का
मातम मनाती है ज़िदगी.
ज़िन्दगी के करीब
कोई मर गया लगता है.
यूँ रोती रही ज़िन्दगी
तो किस तरह
जी पाएग... फ़ासले ....
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इजहार, इकरार
की कोई कसावट
बुन ही नहीं सका
तुम्हारे लिए
ये मन !
बेगानेपन का एहसास
फांसले तक्सीम
किये रहा
तमाम उम्र .
भोंडेपन, घुन्नेपन,
हीनता से ... पर माँ खुश नहीं है
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ले. कर्नल शक्तिसिंह मेहरा ने अपने आवासीय परिसर में एक सर्वेंट क्वार्टर
बनाने की योजना बनाई. उनके दिमाग में एक बात आई कि दो कमरों का एक पूरा सेट
बना दिया ...
कलचुरि स्थापत्य: पत्र
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बात रतनपुर के तीन शिल्पखंडों से आरंभ करने में आसानी होगी, जो एक परवर्ती
मंदिर (लगभग 15वीं सदी ई.) में लगा दिये गये थे। इस मंदिर 'कंठी देउल' का
अस्तित्व ...हे राम ! क्या बोल गए आसाराम ...
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*मैने* अपने 24 साल के पत्रकारीय जीवन में दिल्ली गैंगरेप जैसा घृणित,
दर्दनाक, वीभत्स अपराध ना देखा और ना ही सुना है। मुंबई में आतंकी घटना से देश
हिल गया, ...
निजता में यह दखल ठीक नहीं
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गुजरात दंगों के बाद दुनिया भर के अखबारों में छपा एक चित्र बहुत चर्चित हुआ
था। इसमें एक दंगा पीडि़त को अपने दोनों हाथ जोड़कर रोते हुए अपने जीवन की भीख
मांगत...
गीतों की बहार 2
- आज बातें रूठने मनाने की
स्वर व स्क्रिप्ट - पद्मामणि
कोई रूठे अगर अपना कभी
तो उसे फौरन मना लेना चाहिये
क्योंकि
जिद की जंग में अक्सर
दूरियां जीत ...गत्यात्मक ज्योतिष के परिचय वीडियो में क्या कहा गया है ??कुछ दिन पहले मैने यू टृयूब पर गत्यात्मक ज्योतिष के परिचय से संबंधित एक प्रजेंटेशन वीडियो अपलोड किया है ..इसे देखकर गत्यात्मक ज्योतिष के वैज्ञानिक आधार को समझा जा सकता है …पर दर्शकों का मत है कि इसके आंकडे उन्हें याद नहीं रह पाते ..उनकी मांग पर इसका टेक्स्ट इस पोस्ट में देखिए …मधुशाला ... भाग 14 / हरिवंश राय बच्चन
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जन्म -- 27 नवंबर 1907
निधन -- 18 जनवरी 2003
मधुशाला ..... भाग ---14
जला हृदय की भट्टी खींची मैंने आँसू की हाला,
छलछल छलका करता इससे पल पल पलकों का प्याला...
10 टिप्पणियाँ:
moti ki mala
aabhar
बहुत अच्छी वार्ता संध्या जी ...
सभी लिंक्स पसंद आये.
अपनी रचना का लिंक यहाँ देख प्रसन्न हूँ.
आभार..
सस्नेह
अनु
अपने ब्लॉग को इस चयन में शामिल देख कर प्रसन्नता हुई। आपकी कृपा दृष्टि के लिए आभारी हूँ। कोटिश: धन्यवाद।
बहुत सुंदर वार्ता ..
आभार !!
बेहद खूबसूरत वार्ता दीदी हार्दिक बधाई
बढिया वार्ता
मुझे स्थान देने के लिए आभार
अच्छी वार्ता है संध्या जी |मुझे शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बेहतरीन लिंक्स का संयोजन ...
आभार आपका
बहुत ही अच्छे सूत्रों का संकलन..
सिर्फ़ बेतहरीन न बाबा न बहुतै उम्दा सुपर
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