आज की वार्ता में संगीता स्वरूप का नमस्कार .....
कांग्रेस का चिंतन खत्म हो गया। मिशन 2014 के लिए रणनीति साफ हो गई। नया एजेंडा बन गया। नया नेतृत्व भी मिल गया। चिंतन के आखिरी दिन रविवार को राहुल गांधी ने बतौर कांग्रेस उपाध्यक्ष पहला भाषण दिया। उन्होंने कांग्रेस के अतीत, वर्तमान और भविष्य की बातें की। परिवार के बलिदान को भी याद किया।राहुल ने कहा ------
हर दिन हम पाखंड देखते हैं। भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं तो महिलाओं के प्रति अनादर की भावना रखने वाले महिला सशक्तीकरण पर भाषण देते हैं। आज स्थिति क्या है? आम आदमी राजनीति से बाहर कर दिया गया है।
कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें नियम और कानून नहीं चलते। नए नियम बनते हैं, पर मानता कोई नहीं।....
इसी के साथ चलते हैं हम आज की वार्ता पर ---
..... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (5) शहादत कोई भाषा नहीं
और अकेले हम थे
आंखे तो गीलीं थीं
सूखे मन मौसम थे
स्वत: ही
पर रिश्ते बनते नहीं
बनाने पड़ते हैं।
करने पड़ते हैं खड़े
मान और भरोसे का
ईंट, गारा लगा कर
सारे पैदल घेर के, दें आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए ।।
बैठूं करीब उसके उसे ख़ुद से मिला तो दूँ
कमबख्त शराब भी नकली है शराबखाने में
ये मुर्गों की लड़ाई, क्यों मेरे पीछे है भाई
शब्दों को भी जोड़ता-तोड़ता है कसाई
न कुछ समझ कर
कुलबुलाती कलम तो बस
यूं ही चलती है
कागज की राहों पर
कैनवस इतना विशाल
जिसमें सारे जहान का
दर्शन शास्त्र समा लूँ
कैसे सम्भोग से समाधि तक
तन को धोने
चले कुंभ के
मेले में
जहाँ पापों को
मिटाने गए थे
रामरती का पति अधेड़ है
घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे
मेरे प्याले में सबने पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साकी में सबने अपना प्यारा साकी देखा,
जिसकी जैसी रुचि थी उसने वैसी देखी मधुशाला।।१३१।
भूल के राग पुराने
प्रेम सुधा की सरिता
आ जाओ बरसाने
मेरे बालों में मेरे उँगलियाँ घुमाते हुए...
तुम ने ठीक कहा था उस दिन---
प्यार चाँद सा होता है !
और मैं मान गयी थी सहजता से...!
उसके मायने नहीं समझ पाई थी उस दिन...
और अंदरूनी हरे सिल्क का बिछावन
कुछ ख़ुशबुएँ टटके बेला की
कुछ बासी बातों का चूरा
अँधेरी सुकून भरी रात में
नरम बिछौने पर
नींद आने के बस
कुछ पल पहले
गहन चिन्तन था ।
थोडा मंथन था ।
थोडा क्रंदन था ।
एक का नन्दन था ।
जिसका वंदन था ।
उसके खानदान का ।
सामूहिक अभिनन्दन था ।
लादेन उनके "जी" हुए, हाफिज सईद हुए "सहाब"।
संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।
अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।
चले यहाँ बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।
गीदड़ ने रँग लिया बदन को,
ख़ानदान का ही वन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
जो भी शब्द हमसे लिखा गया
वो किसका नाम था
जो बार बार यूं लिखा गया
आज के लिए बस इतना ही .... फिर मिलते हैं .... नमस्कार
कांग्रेस का चिंतन खत्म हो गया। मिशन 2014 के लिए रणनीति साफ हो गई। नया एजेंडा बन गया। नया नेतृत्व भी मिल गया। चिंतन के आखिरी दिन रविवार को राहुल गांधी ने बतौर कांग्रेस उपाध्यक्ष पहला भाषण दिया। उन्होंने कांग्रेस के अतीत, वर्तमान और भविष्य की बातें की। परिवार के बलिदान को भी याद किया।राहुल ने कहा ------
हर दिन हम पाखंड देखते हैं। भ्रष्ट लोग भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करते हैं तो महिलाओं के प्रति अनादर की भावना रखने वाले महिला सशक्तीकरण पर भाषण देते हैं। आज स्थिति क्या है? आम आदमी राजनीति से बाहर कर दिया गया है।
कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें नियम और कानून नहीं चलते। नए नियम बनते हैं, पर मानता कोई नहीं।....
इसी के साथ चलते हैं हम आज की वार्ता पर ---
..... दामिनी माध्यम है स्व का .... सैनिक अपने स्व की तलाश में खो रहे (5) शहादत कोई भाषा नहीं
कि तेरे मेरे की बात हो
पर बात हो गई है ....
हादसे शमशान से हो गए हैं
उधर से गुजरना ज़रूरी तो नहीं .... जब अपनी बारी होगी तो देखेंगे - क्यूँ ?
रश्मि प्रभा
आंखे तो गीलीं थीं / सूखे मन मौसम थे
दुनिया भर के गम थेऔर अकेले हम थे
आंखे तो गीलीं थीं
सूखे मन मौसम थे
रिश्ते ..
रिश्ते मिलते हों बेशकस्वत: ही
पर रिश्ते बनते नहीं
बनाने पड़ते हैं।
करने पड़ते हैं खड़े
मान और भरोसे का
ईंट, गारा लगा कर
किताबों की दुनिया –78
शायरी और समंदर में एक गहरा रिश्ता है इनमें जितना डूबेंगे उतना आनंद आएगा। उथली शायरी और उथले समंदर में कोई ख़ास बात नज़र नहीं आती लेकिन जरा गहरी डुबकी लगायें, आपको किसी और ही दुनिया में चले जाने का अहसास होगा। गहराई में आपको वो रंग नज़र आयेंगे जो सतह पर नहीं दिखाई देतेहै वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग
है वजीर यह पिलपिला, पिला-पिला के पैग ।सारे पैदल घेर के, दें आतंकी टैग -
फिर से नई विसात बिछाये ।
देश-भक्त कहलाता जाए ।।
देखूं न चंद रोज़ उसे ये , सिलसिला तो दूँ
वो शाम ढल गई है जो उसका सिला तो दूँबैठूं करीब उसके उसे ख़ुद से मिला तो दूँ
सामत सरना एवं टांगीनाथ ……… ललित शर्मा
अम्बिकापुर से 73 किलोमीटर शंकरगढ से आगे जाने परडीपाडीह का सामत सरना टीला आता है। हमारी गाड़ी गेट पर रुकती है। राहुल और पंकज मुझसे पहले प्रवेश करते हैं और मै थोड़ी देर पश्चात रास्ते में लगी हुई मूर्तियों को देखते हुए आगे बढता हूँ। यहीं पर मेरी मुलाकात सामत सरना मंदिर समुह के चौकीदार जगदीश से होती है।असामाजिक कविता
कविता मिलती नहीं कविखाने मेंकमबख्त शराब भी नकली है शराबखाने में
ये मुर्गों की लड़ाई, क्यों मेरे पीछे है भाई
शब्दों को भी जोड़ता-तोड़ता है कसाई
कलम....
न कुछ सोच करन कुछ समझ कर
कुलबुलाती कलम तो बस
यूं ही चलती है
कागज की राहों पर
पॉर्न वीडियो के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत है
आप मथुरा या राजस्थान अथवा ऐसी जगहों पर जहां पर गली-गली में मंदिरों में भगवान बसते हैं, में ऐसा कुकर्म करके क्या संदेश समाज को देना चाह रहे हैं। जबकि ऐसे कुकर्म समाज में कहीं पर भी स्वीकार्य नहीं हैं। चोरी छिपे पॉर्न वीडियो बनाना और उन्हें साइटों पर अपलोड करके धन अर्जित करना समाज के लिए तो घातक है ही,नहीं है मेरी कविता का कैनवस इतना विशाल
नहीं है मेरी कविता काकैनवस इतना विशाल
जिसमें सारे जहान का
दर्शन शास्त्र समा लूँ
कैसे सम्भोग से समाधि तक
परिवर्तन
रघु का पिता केसरीमल एक भूतपूर्व म्युनिसिपल चेयरमैन के बंगले की साफ़-सफाई के काम में नियुक्त था. उसने देखा/समझा कि समाज में लोगों के आगे बढ़ने के पीछे शिक्षा ही एक बड़ा कारक है. इसलिए उसने रघु को स्कूल भेजा और बाद में कॉलेज में बी.ए. तक पढ़ाया, हालांकि रघु पढ़ाई में औसत से भी कमजोर रहा,गंगा को मैली कर के
मन मैला औरतन को धोने
चले कुंभ के
मेले में
जहाँ पापों को
मिटाने गए थे
किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
मन में चलती बुन उधेड़ हैरामरती का पति अधेड़ है
घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे
मधुशाला .... भाग 16 / हरिवंश राय बच्चन
मेरी हाला में सबने पाई अपनी-अपनी हाला,मेरे प्याले में सबने पाया अपना-अपना प्याला,
मेरे साकी में सबने अपना प्यारा साकी देखा,
जिसकी जैसी रुचि थी उसने वैसी देखी मधुशाला।।१३१।
पंथ निहारे रखना
छोड़ दो ताने बानेभूल के राग पुराने
प्रेम सुधा की सरिता
आ जाओ बरसाने
प्यार और चाँद...
मेरे बालों में मेरे उँगलियाँ घुमाते हुए...
तुम ने ठीक कहा था उस दिन---
प्यार चाँद सा होता है !
और मैं मान गयी थी सहजता से...!
उसके मायने नहीं समझ पाई थी उस दिन...
आज रात इतनी खट्टी क्यूँ पकाई है .
इक लकड़ी की बुक़चीऔर अंदरूनी हरे सिल्क का बिछावन
कुछ ख़ुशबुएँ टटके बेला की
कुछ बासी बातों का चूरा
ऐसा क्यों होता है
हर बार ऐसा क्यों होता हैअँधेरी सुकून भरी रात में
नरम बिछौने पर
नींद आने के बस
कुछ पल पहले
बस यूँ ही ..............
जय - जयपुर में .......गहन चिन्तन था ।
थोडा मंथन था ।
थोडा क्रंदन था ।
एक का नन्दन था ।
जिसका वंदन था ।
उसके खानदान का ।
सामूहिक अभिनन्दन था ।
वाह रे वाह !
फिर से सत्ता हथियाने के .जो देख रहे हैं ख्वाब,लादेन उनके "जी" हुए, हाफिज सईद हुए "सहाब"।
अर्जुन प्रसाद की कहानी – जुड़वां
जुड़वॉ सोलापुर के तुकाराम शिंदे के दो पुत्र थे और एक पुत्री। उनके पुत्रों का नाम था राजीव और संजीव। उनकी इकलौती बेटी का नाम सुप्रिया था। बाबू तुकाराम के दोनों बेटे एक ही साथ पैदा होने से जुड़वाँ थे जबकि उनकी बेटी अकेली ही पैदा हुई थी। सुप्रिया तुकाराम की बड़ी संतान थी।एक अत्याधुनिक राम-कथा !
भगवान राम आज कुछ प्रसन्न-मुद्रा में दिखाई दे रहे थे.सीता जी ने उनकी इस प्रसन्नता का कारण पूछा ,'प्रभु ! आज आपकी मुख-मुद्रा अलग सन्देश दे रही है,क्या बात है ?' राम बोले ,'देवि,आज नारद मुनि मिले थे और कह रहे थे कि हम लोग जबसे धरती-लोक सेसत्ता दुल्हन दूर, वरे दूल्हा जब गंजा-
पंजा की पडवानियाँ, गायन वादन नृत्य ।संचारित संवाद हों, अभिनय करते भृत्य ।
अभिनय करते भृत्य, कटे जब मुर्ग-मुसल्लम ।
चले यहाँ बारात, कटारी चाक़ू बल्लम ।
"चिन्तन-मन्थन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?गीदड़ ने रँग लिया बदन को,
ख़ानदान का ही वन्दन है।
ये कैसा चिन्तन-मन्थन है?
वो किसका नाम था
कुछ गीत लिखने की कोशिश मेंजो भी शब्द हमसे लिखा गया
वो किसका नाम था
जो बार बार यूं लिखा गया
आज के लिए बस इतना ही .... फिर मिलते हैं .... नमस्कार
10 टिप्पणियाँ:
सुंदर वार्ता है ..
अच्छे लिंक्स उपलब्ध हुए ...
बढिया वार्ता है संगीता जी आभार
बहुत ही सुन्दर पोस्ट..
लाजबाब लिंक संयोजन,सुंदर वार्ता,,,आभार संगीता जी,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
सुंदर वार्ता...आभार संगीता जी...
सुन्दर वार्ता है .
सभी लिंक्स एक से बढकर एक
बढिया वार्ता
्काफ़ी रोचक लिंक्स संजोये हैं ………सार्थक वार्ता
शानदार रोचक लिंक्स.........
बेहतरीन भावप्रधान आयोजन सेतु चयन ,संयोजन ,समन्वयन ब्लॉग वार्ता का .प्रासंगिक सामूहिक चेतना को झख झोरता सा .
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