भीषण गर्मी का कहर दिल्ली यात्रा के दौरान देखने को मिला, गुड़गाँव से दिल्ली तक सड़क के किनारे पेड़ बहुत ही कम नजर आए, गुड़गांव नए टोल से लेकर रेवाड़ी रोड़, खेड़की दौला तक के पुराने टोल तक एक भी पेड़ नहीं मिला जो राहगीर को छाया दे सके। पहले जब इधर आता था तो सड़क के किनारे पेड़ दिखाई देते थे। लेकिन अब सड़क बनाने वालों ने पेड़ काट डाले। उसकी जगह नए पेड़ भी नहीं लगाए। नए टोल से लेकर उद्योग विहार के मोड़ तक भी अगर कोई गर्मी के दिनों में धोखे से भी पैदल आ गया तो उसकी जान अवश्य ही चली जाएगी। सड़क के किनारे पेड़ नहीं मॉल नजर आते हैं जो छाया नहीं दे सकते, अब पावस का समय आ रहा है हो सके तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जिससे आने वाली पीढी सुख का सांस ले सके। अब मै ललित शर्मा ले चलता हुँ आपको आज की ब्लाग4वार्ता पर कुछ नए चिट्ठों के लिंक के साथ................
प्रारंभ करते हैं डॉ महेश परिमल की पोस्ट आखिर कौन है अफजल गुरु को बचाने वाले! से ---डॉ. महेश परिमल अजमल कसाब को जब फाँसी की सजा मुकर्रर हुई, उसके बाद संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरु को फाँसी पर चढ़ाने के लिए दबाव बनने लगा। लेकिन इस बीच जो बयानबाजी हुई और फाइल इधर से उधर हुई, उससे यह ... मैं भी भूखा हूं. संस्था में चार लोग काम कर रहे थे. कल मुझे एक हजार रुपये प्रति श्रमिक कुल चार हजार रुपये वेतन देना था.हाथ पर रुपये सिर्फ़ दो हजार ही थे.मैंने चारो श्रमिक के पिछले माह के कार्य का अवलोकन किया.दो श्रमिक लगातार...
सुपर स्टार के झटके, बेचारे रामप्यारे लटके जैसा कि आप जानते हैं कि मिस. समीरा टेढी एक प्रख्यात माडल के अलावा फ़िल्मी दुनियां की भी नंबर एक अदाकारा हैं. उन्होनें ताऊ प्रोडक्ट्स की मोडलिंग से अपना कैरियर शुरु किया और फ़िर सफ़लता के नित नये पायदान छूती चली गई.ताऊ टीवी के खास खबरी पत्रकार रामप्यारे उर्फ़ "प्यारे" ने मिस.टेढी के इंटर्व्यु के लिये बहुत चक्कर लगाये पर मिस समीरा टेढी ने "प्यारे" को कभी घास नही डाली. पर थक जाये वो "प्यारे" ही क्या?मिस. समीरा टेढी - इस सप्ताह ’तेरी मूंछें मेरी जुल्फ़े " द कंपीटिशन" रिलीज हो रही है. और यू नो...इसके पूरे 740 प्रिंट एक साथ लग रहे हैं...बिग धमाका पिक्चर...यू नो.."प्यारे" - मिस. टेढी - इस पिक्चर के बारे में कुछ बतायें प्लिज...मिस. टेढी - मि. प्यारे, आप इसी से अंदाजा लगा लिजिये कि इसमें मैं ट्रिपल रोल कर रही हूं और मेरे अपोजिट इसमे राज कुमार भाटिया, अजय कुमार और ललित कुमार जैसे सुपर स्टार काम कर रहे हैं और मैने इन तीनों के ही छक्के छुडा दिये हैं इस फ़िल्म में...
बहुत ज़हर उगल लिया लेकिन क्या अब कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार हैं? पता नहीं कितनों को यह मालूम होगा कि पिछले दिनों एक युवक ने गुस्से के मारे, बदला लेने के इरादे से* मुफ़्त के मंच पर ऑनलाईन ज़हर उगला* था। उस पर ढ़ेरों लोग उमड़ पड़े और कईयों ने तो अपने कथित अनुभव भी लिख डाल...ब्लाग जगत के लिए भी हो सैंसर बोर्ड का गठन गलती से कल देर रात राजकुमार सोनी जी का ब्लाग ‘बिगुल’ खोला और उत्सुकतावश और थोड़ा सा डरते-सहमते उनकी पोस्ट-*’ खूनी महल के दरवाजे में प्यासा हैवान और चीखती लाश’* पढने लगा अचानक लाईट चली गई..फिर क्या था ..लग...
जिकर करण के लायक नहीं और चुप रहया ना जावै, {हरयाणवी रागणी},ये मन भी...बस कुछ भी कहीं भी महसूस करने लग जाता है,* *नहीं सोचता चलो घर की ही तो बात है,पर नहीं...* *इन शब्दों के आगे भला हमारी क्या बिसात है...?* *घर की हो या बहार वालो की अब घात तो घात है....* *आज कुछ आप...आँगन के कोने मे गुपचुप तुलसी सी उग जाती अम्मा.... - आज फिर माँ को समर्पित एक रचना लिख रहा हूँ...सूर्यकांत जी इस बार ये कहने का प्रयास किया है कि माँ अगर साथ न भी हो फिर भी कहाँ कहाँ है माँ...अपनी माँ, आपको और अर्चना जी को समर्पित है ये रचना.... चला जो मुश...
बसन्ती, मेरी जानेमन.. पापी पेट का सवाल है अब से कुछ अरसा पहले जब धर्मयुग और साप्ताहिक हिन्दुस्तान जैसी पत्रिकाएं प्रकाशित हुआ करती थी तब ट्रकों के पीछे लिखे जाने वाले वाक्यों और शायरी को लेकर लिखे गए एक लेख से मैं बहुत प्रभावित हुआ था। यह लेख किस...ग़ज़ल/ सच कहना दुश्वार हुआ है... सच कहना दुश्वार हुआ है* *खुलकर अत्याचार हुआ है* *बड़े-बड़े भी मात खा गए * *छिपकर जब भी वार हुआ है* *झूठ बिका है सबसे ज्यादा * *अच्छा कारोबार हुआ है * *टूट गया हर सुन्दर सपना * *ऐसा बारम्बार हुआ है* *...
कामरेड! अब तो कर ही लो यक़ीन, कि तुम हार गए हो कामरेड! अब तो कर ही लो यक़ीन कि तुम हार गए हो अनेक बार चेताया था मैं ने तुम्हें तब भी, जब मैं तुम्हारे साथ था कदम से कदम मिला कर चलते हुए और तब भी जब साथ छूट गया था तुम्हारा और हमारा याद करो! क्या तय ...इसी को एक शब्द में प्रारब्ध कहते है मै इन लोगों की तुलना में कई गुना जायदा मन्त्र जाप कर चूका हूँ " हम लोगों की तरफ इशारा करके हेमंत ने कहा "मुझको तो कोई लाभ आज तक नजर नहीं आया .मेरा तो किसी भी मन्त्र ,पूजा पर से विश्वास ही उठ गया है .और तो...
धडाधड महराज चिट्ठा जगत अभी कुछ सूझ नहीं रहा है, सोचा एक बार फिर ब्लॉग में प्रयुक्त होने वाले शब्दों की ओर चलूँ. ध्यान गया ब्लॉगवाणी के नीचे लिख़ा *"धडाधड महराज चिट्ठा जगत" चलिए देखते हैं इस पर क्या लिखते बनता है;* *धडाधड महराज ...हमारी सांसों में आज तक वो हिना की खुशबू महक रही है.. आज अपने ब्लॉग पर पहला ऑडियो दे रही हूँ. इस सुरीले आगाज़ के लिए नूरजहाँ की आवाज से बेहतर भला क्या होगा... हमारी सांसों में आज तक वो हिना की खुशबू महक रही है.. लबों पे नगमे मचल रहे हैं... नज़र से मस्ती छलक...
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ब्लागिंग अपने अंतिम पडाव पर है ??? ब्लागजगत में घमासान मच रहा है ... क्यों, किसलिये ... ब्लागर बे-वजह तो घमासान नहीं कर रहे होंगे ... कुछ-न-कुछ तो अवश्य ही लाभ छिपा होगा ... हो सकता है, पर क्या लाभ होगा ? .... इस विषय पर चर्चा-परिचर्चा की आ...ऐसा तेरा आना ............. ख़्वाबों में तेरा आना और बिना दस्तक दिए चले जाना सालता है मुझे जागी आँखों से गुमसुम सी कदमों के निशाँ गिना करती हूँ .हिन्दी ब्लाग जगत के महारथियों पर बुरी गृह दशा पहले ज्ञान दत्त जी अस्पताल के हवाले हुए और अब समीर लाल जी घायल, मेरी भी गरदन में कुछ दिनो से दर्�¤..
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जूते ही जूते, हर नाप के हर साईज के, हर डिजाईन के ... आईए तो एक बार ... देख तो लें ---"कुत्ता भूके हज़ार हांथी चले बाज़ार"-दीदी ने यह साबित कर दिखाया की "कुत्ता भूके हज़ार हांथी चले बाज़ार "। बंगाल की जनता ने दीदी को भाड़ी मतों से जीत दिलाकर यह साबित कर दिया की मीडिया सिर्फ भुकता है, तमाम तरह के हथकंडो को उपयोग कर दीदी के तेवर को कम करना चाहा पर दीदी के तेवर ने बंगाल में एक नई--चेरी पीकिंग – cherry picking अमेरिका में चेरियों के खेत में चेरियां तोड़ों और जी भरकर खाओ -- चेरियां आप सभी ने खायी होगी। लेकिन लाल सुर्ख दिल के आकार की बड़ी-बड़ी चेरी, भारत में हम जैसे राजस्थाभनियों को बहुत कम देखने को मिलती हैं। भारत में या तो शादी के शाही भोज के पुलाव में दिखायी दे जाती है या फिर कभी-कभार दिल्लीो जैसे शहर में। वो भी इतनी छोटी
कोई बचा लो मुझको मर रहा हूँ मैं दीपक 'मशाल' जी के सुझाव पर अपनी इस रचना में कुछ पंक्तियाँ और जोड़ कर प्रस्तुत कर रहा हूँ..... कोई बचा लो मुझकोमर रहा हूँ मैंएक बार में मरता तो अलग बात थी किस्तों में मर रहा हूँ मैं, पहले ज़मीर मराफिर इंसानियतअब तिल तिल कर मर रही है मेरी --- राजनीतिज्ञों की बनिस्बत वह देश की ज़्यादा सेवा करता है - जो कोईअनाज की एक बाली की जगह दो या घास की एक पत्ती की जगह दो उगाता है, ज़्यादा ख़ुशहाली का मुस्तहक हैऔर तमाम राजनीतिज्ञों की समूची जाति की बनिस्बतवह देश की ज़्यादा सेवा करता है ।
अब वार्ता को देते हैं विराम---सभी को ललित शर्मा का राम-राम
14 टिप्पणियाँ:
अच्छी चर्चा के लिए आभार। अच्छे लिंक दिए गए हैं अभी जाता हूं सभी पर।
are wow
photobahut achha he
charcha bhi sarth hai
अरे वाह! बहुत त्वरित
सुन्दर
ललित जी आपने अपने दिल्ली यात्रा विवरण का वर्णन बखूबी किया शायद हमसे कुछ छूट गया पर आपने सारी प्रस्तुति एक एक कर के सब कह डाली..आज की चिट्ठा चर्चा भी बेहतरीन शानदार पोस्टों से सजी..चर्चा मंच के लिए बधाई
एकदम लेटेस्ट पोस्ट तक की चर्चा...वाह!! स्टार स्पीड...मजा आ गया. बधाई.
सुन्दर चर्चा!
वाह जी बहुत अच्छे.
खूब अच्छा
शुभ कामनाएं
नवजात-शिशु-ब्लाग-लेखक संघ का गठन कीजिये अब
बेहतरीन चर्चा....आभार
सड़क के किनारे पेड़ नहीं मॉल नजर आते हैं जो छाया नहीं दे सकते,
nice charcha .............
बेहतरीन चर्चा....आभार |
bhayanak kism se sakriy ho gaye ho, badhai..
jahaa jate ho,
dhoom machate ho.
lalit ho na,
apne naam ko
sarthak kar jate ho..
सभी पहलुओं को पकड़ कर चलने की अनोखी समझ का परिचय दिया है,
भई वाह, चर्चा हो तो ऎसी..
बढिया चर्चा, बधाई।
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