प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !
भारतीय स्वाधीनता संग्राम में काकोरी कांड एक ऐसी घटना है जिसने अंग्रेजों की नींव झकझोर कर रख दी थी। अंग्रेजों ने आजादी के दीवानों द्वारा अंजाम दी गई इस घटना को काकोरी डकैती का नाम दिया और इसके लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों को 19 दिसंबर 1927 को फांसी के फंदे पर लटका दिया।
फांसी की सजा से आजादी के दीवाने जरा भी विचलित नहीं हुए और वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। बात नौ अगस्त 1925 की है जब चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित 10 क्रांतिकारियों ने मिलकर लखनऊ से 14 मील दूर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया।
दरअसल क्रांतिकारियों ने जो खजाना लूटा उसे जालिम अंग्रेजों ने हिंदुस्तान के लोगों से ही छीना था। लूटे गए धन का इस्तेमाल क्रांतिकारी हथियार खरीदने और आजादी के आंदोलन को जारी रखने में करना चाहते थे।
इतिहास में यह घटना काकोरी कांड के नाम से जानी गई, जिससे गोरी हुकूमत बुरी तरह तिलमिला उठी। उसने अपना दमन चक्र और भी तेज कर दिया।
अपनों की ही गद्दारी के चलते काकोरी की घटना में शामिल सभी क्रांतिकारी पकडे़ गए, सिर्फ चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों के हाथ नहीं आए। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के 45 सदस्यों पर मुकदमा चलाया गया जिनमें से राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।
ब्रिटिश हुकूमत ने पक्षपातपूर्ण ढंग से मुकदमा चलाया जिसकी बड़े पैमाने पर निंदा हुई क्योंकि डकैती जैसे मामले में फांसी की सजा सुनाना अपने आप में एक अनोखी घटना थी। फांसी की सजा के लिए 19 दिसंबर 1927 की तारीख मुकर्रर की गई लेकिन राजेंद्र लाहिड़ी को इससे दो दिन पहले 17 दिसंबर को ही गोंडा जेल में फांसी पर लटका दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल और अशफाक उल्ला खान को इसी दिन फैजाबाद जेल में फांसी की सजा दी गई।
फांसी पर चढ़ते समय इन क्रांतिकारियों के चेहरे पर डर की कोई लकीर तक मौजूद नहीं थी और वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए।
काकोरी की घटना को अंजाम देने वाले आजादी के सभी दीवाने उच्च शिक्षित थे। राम प्रसाद बिस्मिल प्रसिद्ध कवि होने के साथ ही भाषायी ज्ञान में भी निपुण थे। उन्हें अंग्रेजी, हिंदुस्तानी, उर्दू और बांग्ला भाषा का अच्छा ज्ञान था।
अशफाक उल्ला खान इंजीनियर थे। काकोरी की घटना को क्रांतिकारियों ने काफी चतुराई से अंजाम दिया था। इसके लिए उन्होंने अपने नाम तक बदल लिए। राम प्रसाद बिस्मिल ने अपने चार अलग-अलग नाम रखे और अशफाक उल्ला ने अपना नाम कुमार जी रख लिया।
खजाने को लूटते समय क्रांतिकारियों को ट्रेन में एक जान पहचान वाला रेलवे का भारतीय कर्मचारी मिल गया। क्रांतिकारी यदि चाहते तो सबूत मिटाने के लिए उसे मार सकते थे लेकिन उन्होंने किसी की हत्या करना उचित नहीं समझा।
उस रेलवे कर्मचारी ने भी वायदा किया था कि वह किसी को कुछ नहीं बताएगा लेकिन बाद में इनाम के लालच में उसने ही पुलिस को सब कुछ बता दिया। इस तरह अपने ही देश के एक गद्दार की वजह से काकोरी की घटना में शामिल सभी जांबाज स्वतंत्रता सेनानी पकड़े गए लेकिन चंद्रशेखर आजाद जीते जी कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आए।
चीन भारत के लिये कितना अपनापन रखता है इस विषय पर ब्लाग जगत मौन रहा मुझे लगा था कि ओबामा के दौरे की समय बहुत पोस्ट आई कुछ ब्लागर्स विमर्श अवश्य करेंगे किंतु मुझे न मिल सकी शायद पोस्ट-वाहक एग्रीगेटर की अनुपस्थिति के कारण भी ब्लाग्स तक मै न जा सका हूं खैर जो भी हो यात्रा के बाद कुछ विचार ज़रूर आएंगे मुझे उम्मीद है .....
अमर शहीद राजेंद्र लाहिड़ी के बलिदान दिवस पर उनको ब्लॉग 4 वार्ता के पूरे वार्ता दल और पूरे हिंदी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन !!
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आइये अब चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ...
सादर आपका
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जी मुझसे सभी प्यार करतें हैं पर प्यार का हर रास्ता देह से होकर न जाए वो ही बेहतर है. आज़ आपको आपके घर वापस छोड़ रहा हूं उसका अर्थ समझिये .जी सच आज वास्तव में आपने मुझे मेरे घर वापस छोड़ा है तभी तो मैं आपसे प्यार करने लगी हूं जो सच देह से होकर नहीं गुज़रता
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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
16 टिप्पणियाँ:
भाई शिवम जी वाह
बहुत सुंदर वार्ता लगायी है आपने शिवम जी ..इतने सारे महत्वपूर्ण लिंकों के लिए आभार !!
सुंदर वार्ता के लिए आभार शिवम जी
एंजिल से मुलाकात
शिवम जी
वार्ता में मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद | चिटठा जगत के काम नहीं करने से कई पोस्टो तक पहुच नहीं हो पा रही थी हमारीवानी पर दो पोस्ट देख पर वो ओपेन नहीं हो रहा था आप ने उसका लिंक दे दिया धन्यवाद | चीन भारत सम्बन्ध पर कुछ लिखने की इच्छा थी कोई बड़ी बौद्धिक बात नहीं बस कुछ हल्का फुल्का किन्तु पहले कंप्यूटर में समस्या फिर अग्रीगेटर की समस्या , हम जैसे कम पहचाने जाने वाले ब्लोगर की पोस्ट तो बिना अग्रीगेटर के लोगों तक पहुचना ही मुश्किल हो गया है | आप ने थोड़ी मुश्किल हल कर दी है उसके लिए भी धन्यवाद |
बहुत सुन्दर लिंक्स के साथ आज की वार्ता की है…………आभार्।
वार्ता में मेरे ब्लॉग की लिंक जोड़ने के लिए धन्यवाद |
एग्रीगेटरों की आंख-मिचौली और पाठकों के समयाभाव के बीच,इस प्रकार के मंच बहुत उपयोगी हैं।
शिवम् जी ,
बहुत सुन्दर वार्ता -बधाई।
पहले तो एक या दो ही विभीषण थे। अब तो उस रेलवे कर्मचारी जैसे ढेरों गद्दार हैं जो पैसे की लालच में कभी भी देश को बेच देंगे।
आभार।
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बहुत सुंदर वार्ता लगायी है आपने, मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद |
इस वार्ता में शामिल होकर गर्व महसूस हो रहा है। आपने इस वार्ता मंच पर हमारी रचना को सम्मान दिया, आभारी हूं।
mahatwpurn links ke saath sundar vartaa...abhaar.
शिवम् जी,
काकोरी कांड के बारे में जानकारी दे कर हमें याद दिला दिया की हम अपनी स्वतंत्रता के इन महान शहीदों की शहादत को भूल क्यों रहे हैं? इस लिए ये स्वत्रन्त्र भारत के सत्ता में व्याप्त लुटेरों के बारे में खोज खबर लेते लेते हम इसके प्रति उदासीन होने लगे हैं. शहादत को याद करने के लिए धन्यवाद और हम जैसे लोगों पर लानत जो इस दिन को भूल गए.
आप सब का बहुत बहुत आभार !
जय हिंद जी
सभी शहीदों को शत-शत नमन...
काफी अच्छी पोस्ट्स के लिंक दिए हैं आपने.. आभार
ब्लॉगिंग: ये रोग बड़ा है जालिम
बहुत सुंदर वार्ता लगायी है आपने शिवम जी ..
जय हिंद...!
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