सोमवार, 27 दिसंबर 2010

हम अपने भाग्‍य का दिया खाते हैं ._ बीस मिनट की योग श्रृंखला ..ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सभी पाठकों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , एक एक कर सभी एग्रीगेटर बंद होते जा रहे हैं , इससे पुराने ब्‍लोगरों को तो अधिक अंतर नहीं पड रहा है , पर नए ब्‍लोगरों को पाठकों की समस्‍या से जरूर जूझना पड रहा है। चिट्ठा जगत में तकनीकी गडबडी के बाद नए चिट्ठों की सूचना मिलनी भी बंद हो गयी है। इसके कारण ब्‍लॉग4वार्ता में भी नए चिट्ठों का स्‍वागत नहीं किया जा पा रहा है। दो तीन दिन पूर्व कुछ देर के लिए चिट्ठा जगत सक्रिय हुआ तो धडाधड महाराज ने धडाधड 10 , 11 ,12 और 13 दिसंबर को जुडे सारे नए चिट्ठों की लिस्‍ट भेज दी । लिंक के माध्‍यम से वह तो नहीं खुल सका , पर वेब पते की कॉपी कर खोलने में सफलता मिल गयी। ब्‍लॉग4वार्ता में इनमें से कुछ लिंक आपके लिए प्रस्‍तुत है  .....


जो रहे अविचल, 

संघर्ष किये,
जो अटल रहे इरादों पर, 
माँ से किये अपने वादों पर, 
लुटा दिए अपने तन मन,
करो उन्हें नमन|

विपदा की घडी को भाप गये,
उन्हें पता था जान की जोखिम 
फिर भी जिनके नम न हुए नयन,
सदा ही बढ़ते रहे कदम,
करो उन्हें नमन|


साल का बच्चा। जी हां, बालसाहित्याकाश का एक ऐसा सूरज जिसे हम दीनदयाल जी शर्मा के नाम से जानते हैं। श्री दीनदयाल जी जैसे सुप्रबुद्ध तथा सशक्त व्यक्तित्व के बारे में कुछ भी कहना या लिखना मेरे लिए बड़ा ही चुनौती भरा कार्य रहा है। क्योंकि मेरे पास इतने शब्द ही नहीं है जिनके द्वारा मैं अपने मनोभावों को व्यक्त कर सकूं। इसके अलावा मन एक और उलझन में फंस गया कि सर्वप्रथम कौनसी बात लिखूं, चयन नहीं कर पा रही हूं। मन के जितने भी भाव हैं, उन्हें सर्वप्रथम ही लिखना चाहती हूं और ऐसा संभव है नहीं।


बीत गया ये दिन भी यूहीं  ये रात भी यूहीं जाएगी....!

बस तेरे मेरे बीच की कुछ प्यारी बातें रह जाएँगी....!!

कल फिर सूरज निकलेगा कल फिर अमराई छाएगी....!
कल ख़ुशी मेरे दरवाजे पर दस्तक देने फिर आएगी....!!



ईश्वर

ईश्वर हुआ लापता
बुद्धु मुज़रिम और मक्कार
निकले ढूंढ़ने




2. कवि

कविता तो लिखता है
लेकिन फिर वह पागल जैसा
बेज़ा हँसता है

3. देशभक्त

देशभक्त बीमार
अमरीकी अस्पताल में
है मरने को तैयार
किसी जमाने में एक बहुत प्रतापी राजा था। उसकी सात पुत्रियां थी। राजा अपनी सभी पुत्रियों से समान प्यार व स्नेह करता था। साथ ही उन्हें किसी प्रकार की भी कोई कमी नहीं होने देता था। एक बार राजा ने सोचा मैं अपनी सभी पुत्रियों व कर्मचारियों को सारी सुख-सुविधा मुहैया कराता हूं , तथा वो सब करता हूं जिसकी जरुरत उन्हें होती हैं। तो क्यों न मैं उनसे इस संबंध में राय लूं कि क्या मैं जो तुम्हारे लिए सभी जरुरतों को समझकर उसे पूरा करता हूं। यह मेरे द्वारा किया गया है आप इस पर क्या प्रतिक्रिया रखते हैं? उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों से पूछा तथा अपने पुत्रियों की भी राय मांगी सभी ने इसका उत्तर अपने-अपने शब्दों में दिया, साथ ही कहा की यह तो आपकी ही कृपा है जो आज हम सभी इतने सुखी और संपन्न हैं। 

DDA   ने 2008 की  आवासीय योजना में400000 लोगों से लगभग ६००० करोड़ रूपये बतौर  पंजीकरण राशि  वसूले . ३ महीनों तक पैसा अपने अकाउंट में रखकर करोड़ों रुपये ब्याज के रूप में बिना कुछ लिए दिए प्राप्त किये . इस काम में अगर  किसी का फायदा हुआ तो वो थे- DDA और विभिन्न सरकारी- गैर सरकारी बैंक .दोनों ने मिलकर जमकर चाँदी काटी.
बेटा तू मुझे समझ ही नहीं पायीतेरे लिए तो मैं दुनिया से लड़ लेती,

तूने एक पल में हमे बेगाना कर दियापापा को भी रुला दिया मेरी गुडिया तूने,
पापा आज बेटी की विदाई से नहीं रोये पगलीपापा रो रहे थे अपनी लाडली की नादानी पर,
पापा रो रहे थे अपनी मज़बूरी परपापा रो रहे थे बेटा आपकी नासमझी पर,
बेटा आपने कभी कोशिश तो की होतीहमसे बात तो की होती,
आपने हमे अपना नहीं समझाबेटा आपने मेरा नेह भुला दिया,
पापा का प्यार भुला दियाहो सकता है आपने जिसके लिए ऐसा किया वो हमसे अच्छा हो,

बेमौसम बरसात के चलते प्याज की पैदावार में हुए नुकसान ने तो देश की आम जनता को रुला हीं दिया है।भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में प्याज के पैदावार के मामले में दूसरा स्थान रखता है। फिर भी देश में कई जगहों पर प्याज की कीमत 70-80 रुपये प्रतिकिलो हो गयी है। बाजार में बैठे लोगों की मानें तो आनेवाले दिनों में प्याज की कीमत 100 रुपये प्रतिकिलो तक हो जायेगी। ऐसे में यह कहना मुनासिब हीं होगा कि जो प्याज खुद के कटने पर लोगों की आँखों में आँसू ले आता था वह अब जनता की जेब काटकर उन्हें रुला रहा है।ऐसे में जनता जहाँ मंहगाई से पहले से हीं परेशान थी प्याज की इस भाव ने तो उनको अपनी जेब और हल्का करने पर मजबुर कर दिया है।

राजा महेन्द्र प्रताप एक सच्चे देशभक्त, क्रान्तिकारी, पत्रकार और समाज सुधारक थे ।उनका जन्म 1 दिसम्बर 1886 को मुरसान ( अलीगढ के पास, उत्तरप्रदेश मेँ) के राजा घनश्याम सिँह के घर मेँ हुआ । हाथरस के राजा हरनारायण सिँह ने कोई संतान न होने पर उन्हेँ गोद ले लिया । इस प्रकार महेन्द्र प्रताप मुरसान राज्य को छोडकर हाथरस राज्य के राजा बने । जिँद ( हरियाणा ) की राजकुमारी से उनका विवाह हुआ ।

राजा महेन्द्रप्रताप आर्यन पेशवा थे । उन्होँने अपनी आर्य परम्परा का निर्वाह करते हुए 32 वर्ष देश देश से बाहर रहकर, अंग्रेज सरकार को न केवल तरह - तरह से ललकारा बल्कि अफगानिस्तान मेँ बनाई अपनी आजाद हिन्द फौज द्वारा कबाइली इलाकोँ पर हमला करके कई इलाके अंग्रेजोँ से छिनकर अपने अधिकार मेँ ले लिये थे और ब्रिटिस सरकार को क्रान्तिकारियोँ की शक्ति का अहसास करा दिया था ।


योगासन, प्राणायाम और ध्यान के कई प्रकार होते हैं। उनमें से कुछ का चयन कर यहाँ उन्हें एक शृँखला के रुप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
      चयन करते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि जब एक आसन में हम आगे झुकें, तो अगले आसन में हमें पीछे झुकना पड़े।
      योग का अभ्यास हमें सुबह स्नान के बाद, नाश्ते से पहले करना चाहिए।
      फर्श पर मोटी दरी या कम्बल बिछाकर अभ्यास करना उचित है।
      इस शृँखला का अभ्यास करने में हमें लगभग 20 मिनट का समय लगेगा- अर्थात् प्रति आसन एक मिनट। घड़ी देखने की जरूरत नहीं, मन में 100 तक की गिनती को हम एक मिनट मान सकते हैं।

चाहे बात व्यक्तिगत हो या फिर समाज की, प्रश्नों के उत्तर नहीं ढुंढता तो इंसान गुफा युग में ही रहता या शायद और पीछे अनस्तित्व की ओर चला जाता। झारखंड में सबसे बड़ा और मुश्किल सवाल क्या है ? यही ना कि जनता दस साल से झारखंड में राज्य गठन के अच्छे नतीजों का इंतजार कर रही है और स्थिति बद से बदतर क्यों होती जा रही है ? नए राज्य के औचित्य पर लगा ये प्रश्नचिह्न दस साल से पलता-बढ़ता और मुश्किल होता आ रहा है।

आधुनिक लोकतंत्र की पृष्ठभूमि में संघीय राष्ट्र भारत, अपने समाजवादी, धर्मनिर्पेक्ष और लोककल्याणकारी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, राज्य को जो शक्तियां देता है, झारखंड के दस साल उसके दुरुपयोग की कहानी हैं। 



30 अक्तूबर को विदेश-प्रवास से घर वापस लौटते ही बड़ा सुकून महसूस हुआ। शरीर को हवा में घुली हल्की-सी ठंड की सिहरन का अनुभव हुआ। दीपावली का त्यौहार कुछ दिन पहले जा चुका है लेकिन दीपावली के निशान अभी भी आस-पास देखे जा सकते हैं। अधिकतर घरों को नए रंग-रोगन से सजाया गया है। शाम ढले अभी भी इक्की-दुक्की अतिशबाज़ी आसमान को रौशन कर देती है। घरों में बिजली के बल्बों की लड़ियाँ, कंदीलें और वंदनवार इत्यादि से की गयी सजावट अभी भी बाकी है।
दिल्ली शहर की सर्दियाँ बहुत सुखकर होती हैं। तापमान ना बहुत कम होता है और ना बहुत ज़्यादा। अधिकांश दिनों में सूर्य अपनी सुहावनी धूप बिखेरता है। धूप में बैठ कर कोई किताब पढ़्ते हुए गाजर, मूंगफ़ली और अमरूद खाने का आनंद किसी समुद्र किनारे धूप सेकने से कम नहीं है (ये और बात है कि समुद्री किनारे पर धूप सेकने को अच्छी छुट्टियों का एक फ़ैशनेबल प्रतीक मान लिया गया है)। ब्रिटेन में मैनें शायद ही कभी उगता सूरज देखा हो। वहाँ ज़िन्दगी प्रकृति से काफ़ी कटी-कटी रहती है। 



अब विदा लेती हूं ... मिलती हूं एक ब्रेक के बाद ......

17 टिप्पणियाँ:

bhn sngitaa ji laajvab krishma kiya he aapne alfaazon ko khubsurt mala men pirokr . akhtar khan akela kota rajsthan

नए लिनक्स मिले ...
आभार ..

नए चिट्टों की सराहनीय वार्ता
आभार संगीता जी।

बढ़िया चर्चा रही संगीता जी ...अभी पढ़ रहा हूँ ! शुभकामनायें आपको !

अच्छी चर्चा के साथ नए लिनक्स ...राम -राम ...केवल राम की तरफ से

बेहतरीन वार्ता संगीता जी...

वे नये चिट्ठे जो चिट्ठाजगत की लिंक से नहीं खुल पा रहे थे उनकी श्रेष्ठ सामग्री के आधार पर दी गई आपकी यह प्रस्तुति अच्छी रचनाएँ पढने के इच्छुक पाठकों के लिये सर्वथा नवीन अनुभव साबित हो सकेगी इसी सोच के साथ इनका वाचन करना प्रारम्भ करुंगा ।
आभार आपका इन नई लिंक्स को उपलब्ध करवाने के लिये...

नए चिट्ठों तक पहुंचाने के लिए आभार ..अच्छी वार्ता .

संगीता जी, आपकी इस चर्चा के बहाने मुझे कई काम के लिंक भी मिल गये। इस हेतु हमारी ओर से आभार स्‍वीकारें।

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अंधविश्‍वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।

आपने ब्लॉगवार्ता बहुत सुन्दर ढंग से सजाई है!

आपकी इस महेनत को सलाम करता हूँ ... संगीता दीदी ! सच में नए ब्लोगस की ओर तो शायद ही किसी का ध्यान गया हो बीते दिनों ! बहुत बहुत आभार आपका !

बहुत सुंदर चर्चा, ओर गीत मेरी पसंद का मेरा हिट गीत. धन्यवाद

सुन्दर चर्चा बधाई
आशा

सुंदर चर्चा और अच्छे लिंक के लिए संगीता जी आभार !! शुभकामनायें !

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अब ऐसी चर्चाओं का महत्व कितना बढ गया है ये स्वाभाविक रूप से पता चल रहा है

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