गुरुवार, 26 जनवरी 2012

चुनौतियों के चक्रव्युह में गणतंत्र .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , जाने माने साहित्यकार श्री गिरीश पंकज एवं प्रतिष्टित ब्लॉगर श्री ललित शर्मा आज शाम प्रथम चेतना साहित्य सम्मान ११ तथा प्रथम चेतना ब्लॉगर सम्मान 11 से सम्मानित किये गए. कैलाशपुरी स्थित छत्तीसगढ़ सदन में चेतना साहित्य एवं कला परिषद् तथा अभियान भारतीय के संयुक्त गरिमामय कार्यक्रम 'बसंतोत्सव १२' में प्रखर स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी पद्मश्री डा महादेव प्रसाद पाण्डेय ने उन्हें सम्मान पत्र/ शाल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया.

 आज गणतंत्र दिवस पर देश प्रेम से अभिभूत ब्‍लोगरों ने भी बहुत कुछ लिखा है .. उनमें से कुछ लिंक आपके लिए ....
दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका में दीपक भारतदीप .....
गणतंत्र एक शब्द है जिसका आशय लिया जाये तो मनुष्यों के एक ऐसे समूह का दृश्य सामने आता है जो उनको नियमबद्ध होकर चलने के लिये प्रेरित करता है। न चलने पर वह उनको दंड देने का अधिकार भी वही रखता है। इसी गणतंत्र को लोकतंत्र भी कहा जाता है। आधुनिक लोकतंत्र में लोगों पर शासन उनके चुने हुए प्रतिनिधि ही करते हैं। पहले राजशाही प्रचलन में थी। उस समय राजा के व्यक्तिगत रूप से बेहतर होने या न होने का परिणाम और दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ता था। विश्व इतिहास में ऐसे अनेक राजा महाराज हुए जिन्होंने बेहतर होने की वजह से देवत्व का दर्जा पाया तो अनेक ऐसे भी हुए जिनकी तुलना राक्षसों से की जाती है। कुछ सामान्य राजा भी हुए। आधुनिक लोकतंत्र का जनक ब्रिटेन माना जाता है यह अलग बात है कि वहां प्रतीक रूप से राजशाही आज भी बरकरार है।
छान्‍दसिक अनुगायन में जय कृष्‍ण राय तुषार जी ....

जब तक सूरज पवमान रहे |
जनगण मन और तिरंगे की 
आभा में हिन्दुस्तान रहे |
पर्यावरण डायजेस्‍ट में खुशाल सिंह पुरोहित जी....
भारत का पिछले १४०० वर्षो का जीवंत इतिहास स्पष्ट रूप से दर्शा रहा है कि यह देश कभी भी साम्प्रदायिक नहीं था । अतएव यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने इतिहास का पुन: आकलन करें और बढ़ रही कट्टरता के खिलाफ संघर्ष को और प्रभावी बनाएं ।
बच्‍चों का कोना में प्रभा तिवारी जी ...
छब्बीस जनवरी आयी.
पूरे भारत ने मिलकर
गणतंत्र की खुशी मनायी.
जीवन की आपाधापी में संजय कुमार चौरसिया जी ....
आप सभी ब्लोगर्स साथियों एवं देशवासियों को गणतंत्र-दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं ! हम सब जानते हैं यह हमारा राष्ट्रिय पर्व है ! इस राष्ट्रीय पर्व को हमें पूरे जोर शोर , उत्साह के साथ मानना चाहिए ! भले ही ये पर्व एक दिन का हो , हमें एक दिन के लिए ही अपने दिलों में देशभक्ति का जज्बा भर लेना चाहिए ! विरोधी ताकतों , देश के दुश्मनों को ये अहसास दिला देना चाहिए कि , हम आज भी अपने देश के लिए मर मिटने को सदैव तैयार रहते हैं ! हम भारतीय जिस एकता - अखंडता , सभ्यता - संस्कृति के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं , वो बात आज भी हमारे बीच मौजूद है !
मनता रहे 
गणतंत्र दिवस
चिर शाश्वत|

विक्रम7 में विक्रम7 ....
कैसा,यह गणतंत्र हमारा
भ्रष्टाचार , भूख  से  हारा
वंसवाद का लिये सहारा
आरक्षण के बैसाखी पर टिका हुआ यह तंत्र हमारा 
धूप छांव में तपन वर्मा जी ....
पिछले एक वर्ष में भारत बदला है। गणतंत्र दिवस आने वाला है। पर आखिर क्या हैं गणतंत्र दिवस के सही मायने? क्या आज का भारत गणतंत्र है? क्या यह वही भारत है जिसे ध्यान में  रखकर संविधान लिखा गया होगा?
रचनात्‍मक विश्‍व में अंजीव पांडेय जी ....

गणतंत्र दिवस एक बार फिर आ गया है. स्वतंत्रता दिवस की अपनी महत्ता है और गणतंत्र दिवस की अपनी. गणतंत्र दिवस हमें संस्कारों में बांधने का दिन है. हमें अपने कर्तव्यअधिकारों का बोध कराने का दिन है. 
मौन नामक ब्‍लॉग में .....
कितनी सुहानी धरती तेरी ,
पावन तेरा गगन |
मंत्रों सी पावन धरती है,
सबका अभिनन्दन करती है,
जीवन की सांसे हैं सबमें ,
जड़ हो या चेतन .........
गौतम संदेश में बी पी गौतम जी .....
एक समूह के गहन विचार मंथन के बाद दो वर्ष ग्यारह माह और अठारह दिन में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एवं सबसे बड़े लिखित संविधान की रचना की गयी, जिसे 26 जनवरी 195० को देश में विधिव्त लागू कर दिया गया। संविधान का मूल स्वरूप वास्तव में उत्तम ही है, क्योंकि संविधान की रचना के समय रचनाकारों के समूह के मन में जाति या धर्म नहीं थे। उन्होंने जाति-धर्म अलग रखते हुए देश के नागरिकों के लिए एक श्रेष्ठ संविधान की रचना की, तभी नागरिकों को समानता का विशेष अधिकार दिया गया, लेकिन संविधान में आये दिन होने वाले संशोधन मूल संविधान की विशेषता को लगातार कम करते जा रहे हैं।
मंथन में अभिषेक जैन जी .....

कहा जाता है की "वक्त की सबसे अच्छी बात ये है की वह बीत जाता है और शायद सबसे बुरी बात भी यही है" पर कुछ बातें या घटनाएँ ऐसी होती है जो शायद कभी नहीं बीतती क्यूंकि वह हमारे दिलों से जुडी हुई है| और दिलकी ख़ुशी और गम सब दिल में ही रहे है, और वक्त आने पर अपने आप ही उभर आते है| ऐसी ही एक ख़ुशी 15 अगस्त 1947 को हर भारत वासी को मिली जिसकी ख़ुशी वह आज भी दिल में रखे है. और उसका खुमार हर 15 अगस्त को देखने भी मिलता है| उसके साथ ही साथ नये साल की ख़ुशी के साथ- साथ एक और ख़ुशी हमे हर साल मिलती है और वो
अमित दीक्षित जी के ब्‍लॉग में .....
असफ़ल सभी प्रयास हो गए!!
राष्ट्रीय पर्वों के दिन थे !
सरकारी अवकाश हो गये !!
भ्रष्टाचार भूख भय भाषण !
भरत के अनुप्रास हो गये !! 
सरोकार में अरूण चंद्र रॉय जी .....
१.
योजनायें 
कागज़ी सलाखों में बंद
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र 
२. 
चुनाव
संसद 
सब महज अनुबंध 
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र

बारमर न्‍यूज ट्रैक में चंदन सिंह भाटी .....
बैसवारी में संतोष त्रिवेदी जी .....
हम अपने गणतंत्र के बासठ-साला ज़श्न की तैयारी में हैं. राजपथ पर बहुरंगी छटाएँ बिखरने भर से टेलीविजनीय -चकाचौंध तो पैदा की जा सकती है पर इस पर इतराने जैसी कोई बात नहीं दिखती है.तकनोलोजी के क्षेत्र में हमने बहुत उन्नति की है और आर्थिक-मोर्चे पर भी हमारा दमखम खूब दिखता है पर इतने अरसे बाद भी क्या वास्तव में जिस उद्देश्य को लेकर हमने अपना सफ़र शुरू किया था,उसे हासिल कर लिया है ? संविधान में आम आदमी को सर्वोपरि माना गया था,वह आज कहाँ खड़ा है ? ऐसे में ज़ाहिर है ,इस सफ़र को शुरू करने वाले तो ज़रूर अपने उद्देश्य में सफल हुए हैं क्योंकि तब से लेकर अब तक उन लोगों की सेहत बराबर सुधर रही है,जबकि इस तंत्र में देश और उसका गण टुकुर-टुकुर केवल उसकी ओर ताके जा रहा है !
अनुराग की दुनिया में अनुराग जी .....
भारतीय लोकतंत्र के दो पर्व बिल्कुल नजदीक आ चुके है पहला हमारा गणतंत्र दिवस और दूसरा लोकतान्त्रिक व्यवस्था का सबसे बड़ा पर्व विधानसभाओ के होने वाले सामान्य चुनाव.पहला इस देश की लोकतान्त्रिक व्यस्था का प्रतीक है और दूसरा इस व्यस्था को चलाने का आधार है .पर अफ़सोस ये है की वर्तमान समय में ये दोनों ही महापर्व लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए सिर्फ फर्ज अदाएगी व मजाक बनते जा रहे है. चुनाव जहा सामाजिक उद्देश्यों की पूर्तिके लिए न होकर राजनैतिक दलों द्वारा सत्तारूढ़ होकर अपने हितो को साधने का माध्यम बन गए है तो वही गणतंत्र दिवस के दिन होने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम भी अब रस्मो रिवाज़ बनते जा रहे है.
मेरी भी सुनो में मौसमी जी .....
कल गणतंत्र दिवस है,बहुत ही ख़ुशी का दिन ,हर भारतीय दिलों में कल के दिन ग़ज़ब का जस्बा देखने मिलता है,हर बच्चे के हाथ में तिरंगा हमारे उज्वल भविष्य को दर्शाता है..लेकिन क्या ये वाकई हो रहा है?क्या हम अपने देश का उज्वल भविष्य बनाने में योगदान दे रहे हैं?? या इसकी नीव और कमज़ोर किये जा रहे हैं....!!
यह जो सच है में कृष्‍ण नागपाल .....
हम उत्सव प्रेमी हैं। इसलिए त्योहार मनाना हमारी आदत में शुमार है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को भी त्योहारों में शामिल किया जा चुका है। त्योहारों में सिर्फ खुशी तलाशी जाती है। अपनी-अपनी तरह से मौज मजा और आनंद लूटा जाता है। आसपास कौन भूख से कराह रहा है और किसकी अर्थी उठने वाली है, इस पर माथामच्ची करना बेवकूफी माना जाता है। हिं‍दुस्तान के नेताओं ने आम जनता को सपनों के संसार में जीने का हुनर सिखा दिया है। फिर भी सचाई तो सचाई है। उसे कोई कैसे बदल सकता है!
कश्‍यप की कलम से में राजेश कश्‍यप जी ....
छह दशक पार कर चुके गौरवमयी गणतंत्र के समक्ष यत्र-तत्र-सर्वत्र समस्यांए एवं विडम्बनाएं मुंह बाए खड़ी नजर आ रही हैं। देशभक्तों ने जंग-ए-आजादी में अपनी शहादत एवं कुर्बानियां एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए दीं, जिसमें गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, बेकारी, शोषण, भेदभाव, अत्याचार आदि समस्याओं का नामोनिशान भी न हो और राम राज्य की सहज प्रतिस्थापना हो। यदि हम निष्पक्ष रूप से समीक्षा करें तो स्थिति देशभक्तों के सपनों के प्रतिकूल प्रतीत होती है। आज देश में एक से बढ़कर एक समस्या, विडम्बना और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को सहज देखा जा सकता है।
बेसब्र में संदीप पटेल जी ......
अन्यथा कलम ये ना कह दे की तुम्हारा लिखना व्यर्थ है 
और दिल ये ना कह दे की ऐसे जी रहे हो तो जीना व्यर्थ है 
देश के हालातों पर चलिए डालें एक नज़र 
इस गणतंत्र का आखिर सबपे गहरा है असर 
इस गणतंत्र में सोच रहा 
क्यूँ खुश हो करूँ राष्ट्र गुणगान 
आखिर ये गणतंत्र मना
क्या होगा भारत देश महान ??
भारत स्‍वाभिमान आंदोलन में रवि कुमार 'रवि' जी .....
गणतंत्र तुम्हारा स्वागत है 
भूखे नंगे बच्चो के संग
गणतंत्र तुम्हारा स्वागत है 
50वी सदी आये थे जब तुम
लोकतंत्र ही नारा था
मन पाए विश्राम जहां में अनिता जी ......
 राजा है इसमें न ही कोई रानी,
शहीदों के खूं से लिखी यह गयी है
हजारों की इसमें छुपी क़ुरबानी !
अंत में मेरे साथ आप सभी गुनगुनाइए ... जन गण मन अधिनायक जय हे .....

10 टिप्पणियाँ:

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |आज की बहुरंगी वार्ता के लिए और आपकी महनत से चुनी गयी लिंक्स के लिए बधाई |
आशा

गणतंत्र के उत्सव की बहुत प्यारी सी भेंट ...
बहुत शुभकामनायें !

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं... इस सुन्दर तिरंगी वार्ता और अच्छे लिंक्स के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...

भ्रष्ट तंत्र के बावजूद, गण ह्रदय में देश प्रेम स्थाई है।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ जबर्दस्त वार्ता के लिये आभार

आज तो आपने कई दिनों की क्सर पुरी कर दी। बहुत ही बढिया वार्ता के लिए आभार।
सभी मित्रों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

आपने मेरी छोटी सी रचना " गणतंत्र तुम्हारा स्वागत है" को अपने ब्लॉग में स्थान दिया इसके लिए में आपका आभारी हु ..धन्यवाद् ......................... रवि कुमार "रवि"

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