बुधवार, 18 जनवरी 2012

एक गुमनाम खत और बंद दरवाजों का सच -- ब्लॉग4वार्ता --- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  चलते हैं लेट लतीफ़ वार्ता पर, लाए हैं आपके लिए कुछ लिंक, पढिए फ़टाफ़ट। चल रही है रेल गाड़ी, कीजिए सवारी और हम आते हैं लौट कर फ़िर अगली वार्ता के साथ...............कैसा रहेगा आपके लिए 18 , 19 और 20 जनवरी 2012 ?? - मेष लग्नवालों के लिए 18 , 19 और 20 जनवरी 2012 को स्वास्थ्य या व्यक्तिगत गुणों को मजबूती देने के कार्यक्रम बनेंगे, स्मार्ट लोगों का साथ मिलेगा। रूटीन काफी व... . उंगली काँप जाती है ! - ऐंसी क्या बात हुई ? जिसपे तुझे एतराज है हुआ इससे पहले भी तो मैंने, तेरे होंठों से बात पूँछी है ! ... 'रब' जाने है, बहानों से कितना परहेज है हमें वर्ना, झ... 

अरविन्‍द कुमार का आलेख - लोगों के विचार बदल रहे हैं - लोगों के विचार बदल रहे हैं डॉ. अरविन्‍द कुमार आजकल जैसे लोगों की सोचने समझने की क्षमता मरती चली जा रही है। या आप यूं कह सकते हैं लोग अब सोचना ही नहीं चाह र...जिंदगी सिसकती चलती है - जिंदगी के शोरो शराबे के बीच. - जिंदगी सिसकती चलती है - जिंदगीके शोरो शराबे के बीच.कसम से, बड़ी हीबेकार बोझिल सी है ये जिंदगी... कसम से; नोटों की गड्डी माफिक जितनाभी गिनो ९९ या फिर १०१ ह... मान - मन की मजबूरियों की क्या कीमत लगाओगे या बात-बात पर नपे-तुले व्यावहारिकता की चादर ओढाओगे... ध्रुवों पर कील गाड़कर आस्था-विश्वास को बाँध आओगे और उन्हें जोड़ने ... 

एक गुमनाम खत - - मेरे दरवाजे पर पड़ा था एक खत शायद रात भर पड़ा होगा। मुझे सुबह मिला था। रात कितनी तेज बारिश पड़ी थी ये उस खत से जाना जा सकता था। घर के छज्जे के नीचे होने के...  "हुं छुं अमदाबाद" હું છું અમદાબાદ​  - चौधरी की चाय, चौधरी की चाय के शोर के साथ आँख खुली। आँख बंद किए किए ही चाय का आर्डर दिया। महाराज भी उठ चुके थे, उन्होने एक चाय मुझे थमाई और एक चाय खुद थामी... कुछ यूँही... - मुझ पर इल्ज़ाम है कि सब हंसी में उड़ा देता हुँ मैं.. वो क्या जाने, एक हंसी ही तो है जिसके सहारे, सब झेल लेता हुँ मैं । ........ साथ रह्ते उस पर यह राज़ खुल...

अब क्या कहूँ ? - *आज के इस बदलते दौर में; निष्ठा रह गई थाप की होकर, प्रतिष्ठा रह गई छाप की होकर, दूरी रह गई नाप की होकर, मजबूरी रह गई विलाप की होकर. मित्रता रह गई श...बंद दरवाजों का सच - (काफी दिनों बाद कहानी पोस्ट कर रही हूँ....पर साथ में इसे दूसरे ब्लॉग 'अपनी-उनकी-सबकी बातें' पर भी पोस्ट करनी पड़ रही है वरना वहाँ मैं अन्य विषयों पर लिखना श... चूल्हे मे उसके अंगारे देखे हैं... - हमने दिन के घुप अँधियारे देखे हैं... बुझ बुझ कर मर जाते तारे देखे हैं... शाम मे फैले लाल खून मे सने हुए से... थके थके बेहोश नज़ारे देखे हैं... बोझ तले व...

आखिर कब तक ? - कन्या और भूर्णहत्या की मिली जुली सोच के साथ लिखी गई कविता ......बहुत दुःख होता है जब आज कल की पढ़ी लिखी लड़की जब इस तरह का कदम उठती है तो ...वो खुद एक कन्या... डर - पुरुष ने देखा प्रेम से, और कहा, कितनी सुंदर हो तुम, शर्मा गयी स्त्री, पुरुष ने देखा कौतुक से, और कहा कुछ नहीं, औरत ने पाया, उसकी आँखों के लाल डोरों को, अपने ...हालात इतने बुरे भी नही - पाकिस्तान मे आज हंगामा खेज माहौल है। भारतीय मीडिया में दिखाई जा रही खबरो पर यकीं करे तो किसी भी समय वहा की सरकार के गिरने का फ़ौज के सत्ता पर काबिज होने का ...
 
देख लूँ जरा.... संध्या शर्मा - विषयुक्त वातावरण में, अमृत कलश खोज लूँ जरा. क्षण के इस जीवन का मंथन कर, दो घूंट अमृत के पी लूँ जरा. शब्दों में समेट दूँ साँसों को, गीतों में संवेदना भ... रात भर जागता है इंदौर ... - *आ*प सोच रहे होंगे अरे भाई रात भर जागने का क्या मतलब है, क्या लोग इतना काम करते हैं कि रतजगा करना पड़ता है, तो मैं आपको बता दूं ये काम के चलते नहीं जागते।... अधिकारी - एक सरकारी बाबू ने ज्योतिष को अपना हाथ दिखाया पूरा एक सौ एक चढ़ाया और पूछा... बाबा ! मैं हूँ एक अदना सा कर्मचारी बोलिए ! कब होगी तरक्की ? कब बनुँगा अधिकारी ?... 
 
पराशर झील ट्रेकिंग- लहर से झील तक - इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। 6 दिसम्बर, 2011 की दोपहर करीब एक बजे हम लहर गांव में दावत उडाकर आगे पराशर झील के लिये चल पडे। ... ख्वाहिशों का संसार - मानव मन बुनता रहता हर वक़्त ख्वाहिशों का संसार सोच के घोड़े दौड़ाता रहता हर वक़्त कभी ज़मीन पे तो कभी पहुँच जाता आस्मां सफल वही होते जो रहते हर वक़्त तत..सेक्युलर और तथाकथित सेक्युलर - हमारे देश में तो सिर्फ "सनातन धर्म " था। जिसमें 'सेवा-भाव' को ही धर्म कहा गया है ! लेकिन अब धर्म की सच्ची परिभाषा कौन समझता है भला? अब तो गद्दारों का सबसे ... 
 
 
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद, राम राम   

7 टिप्पणियाँ:

प्रिय अहर्निश यात्री ललित जी ,

एक लिंक मैं भी दे रहा हूं ज़रा ध्यान दीजियेगा...
देखिये 'NH 30' में एक लाश पिछले तीन महीने से पड़ी है ये अच्छी बात नहीं है !

http://abhanpur.blogspot.com

अच्छे लिंक्स... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार...

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बहुत सुंदर लिंक्स
मुझे स्थान देने के लिए आपका शुक्रिया

रोचक जानकारी भरी चर्चा

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