बुधवार, 8 अगस्त 2012

अधूरी क्रांति परिवर्तन अभी बाकी है... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...अजय झा जी ने फेस बुक पर लिखा है..."अब सांसदों से सीधे सीधे पूछा जाना चाहिए कि जनलोकपाल , काले धन के मुद्दे पर तो आप एकदम गंभीर हैं , ईमानदार तो हईए हैं , भगबान जी की कृपा देखिए कि सब के सब मालदार असामी हैं , आ मिज़ाज़ से केतना हुलहुल हैं ई पिछला दु दिन में त कमाल बुझाया है अभी कुछ समय पहिले ही झारखंड के एक एम एल ए साहब बहुत मैले निकले तो एक ठो महिला दिन दहाडे पेट में डैगर घुसेड दिहिस थी ..इनसे सिर्फ़ इत्ता भर वादा लिया जाए कि आगामी संसद सत्र में वो हमारे करोडों रुपए का समय नहीं बर्बाद करेंगे और करेंगे तो फ़िर अपनी अपनी तनख्वाह वेतन भत्ते आदि नहीं लेंगे , एक सरकारी मुलाजिम होने के नाते उनसे इतनी अपेक्षा तो की ही जा सकती है न..." प्रस्तुत है आज की ब्लॉग वार्ता पर इन चुनिन्दा लिंक्स के साथ ...

मंगलसूत्र और नारी - काले मोतियों में पिरोये , अनगिनत विश्वास और शंकाओं को पाले, डाले रहती है गले में जान से भी बढ़कर सहेजती है इस काले मोती के धागे को | खोने का कभी बिखरने... यही फ़िज़ा की मोहब्बत का हश्र है दुनिया - सुहाग बनके तुझे ही फ़िज़ूल बेच गया गुलाबी फूल दिखाकर बबूल बेच गया यकीन था तुझे जिस शख़्स के उसूलों पर सर ए बाज़ार वो सारे उसूल बेच गया ये कैसा सौदा किया है ... दरोगा साहब ... - दरोगा साहब आप भी कमाल करते हैं इज्जत का लुटेरा घूम रहा है खुल्लम-खुल्ला ... सांड की तरह और आप हैं कि - जिसकी लुटी है इज्जत, उसी से - बार बार, नए ... 

अधूरी क्रांति ....पूरा स्वप्न - रात को अपने सब काम निपटाने के बाद मन किया थोडा सा नेट पर देखा जाये क्या चल रहा है , इसलिए जीमेल खोल दिया , यहाँ कोई नहीं दिखाई दिया , ठीक है फेसबुक की तर.....झील होना भी एक त्रासदी है! - कुछ घंटों की *अजमेर* यात्रा में कुछ देर *आना सागार झील* के किनारे भी खड़े रहने का मौका मिला . उमस भरी गर्मी में प्राकृतिक दृश्यों के साथ झील स..प्रकृति को नमस्कार है - कभी किसी पहाड, समुद्र, रेगिस्तान या बीहड वनों में सूर्योदय या सूर्यास्त देखें। उन्मुक्त विचरते जीव-जंतुओं को निहारें, कल-कल करती नदियों, ऊंचाई से गिरते झ..

IIT Kanpur– अधूरे सपने के सफर नया ठिकाना - आज कुछ तस्वीरों के साथ गीतों भरी कहानी कहने का मन है. गीत को आप यहाँ से शुरू सकते हैं, कहानी समझने में सुविधा रहेगी. तो पेश है पहली तस्वीर!! हमारा नया ठि...  कहीं देर ना हो जाए- - गर्मी की उमस बढती ही जा रही थी. इस उमस से निजात पाना आसान नहीं था.पंखों की हवा उमस का साथ दे रही थी,कूलर भी कोयले के इंजन की तरह,भाप उगल रहे थे—अब रह गए ... कन्हैया - गोकुल के रचैया अरु गोकुल के बसैया हरि , माखन के लुटैया पर माखन के रखैया तुम ! गोधन के कन्हैया अरु गोवर्धन उठैया नाथ , बृज के बसैया श्याम बृज के बचैय... 

राजनैतिक महत्वाकांक्षा - गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी जनता अब जागरूक हो गयी है। शायद कुछ ज्यादा ही जागरूक हो गयी है। जिसे देखो वही अपनी पार्टी बनाना चाहता है। अन्ना और केजरीवाल की मह... तब........ - तब........ मुठ्ठी में था आकाश, कभी निकलकर आँखों में रहता था, कभी आस-पास. फिर...... मुठ्ठी बड़ी हो गई, आकाश फैलता गया, मुठ्ठी छोटी पड़ गई, आँखें,ख्वाबों से ...सकारात्मक परिवर्तन अभी बाकी है मेरे दोस्त - 21वीं सदी में भी एक दशक से अधिक का समय गुजारने के बाद भी सामाजिक स्थिति में बहुत सकारात्मक परिवर्तन देखने को नहीं मिले हैं। यह कहना गलत होगा कि परिवर्तन ... 

ख्वाहिशें.....कभी मरती नहीं. - *ख्वाहिशों के कभी कोई नाम नहीं होते ... **ये हैं दिल में फडफडाते हुए,**कुछ परकटे तोते.....* *कभी ऐसी ही जाने कितनी ख्वाहिशें दिल में पला करती थीं...* *इतन... आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा -- - आप सभी ब्लॉगर साथियों को मेरा सादर नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अप..भाषा नहीं भाव प्रवल हैं नयनों नयनों में बातें करना बोलो किससे सीख लिया जो सोचा हंस कर जता दिया मन सब का मोह लिया तुमने इस भोली भाली सूरत में कितने राज छुपाए हैं मनमोहनी मुस्कान से अपने भाव जताए हैं हो तुम इतनी प्यारी सफ...

गांधीगिरी की आड़ में नेतागिरी ....*गां*धीगिरी से नेतागिरी में कदम रखते ही अन्ना सियासी चाल चलने लगे हैं। अन्ना को पता है कि यहां अपनी चालों से ही शह-मात का खेल खेला जा सकता है। बस फिर क्या आज उन्होंने पहला झटका अपनी ही टीम को दिया, और मंज....आदत आँखों के दरीचों में वक्त की सुनामी और गहन तीव्रता से आये भूकंप के बाद भी एक नन्हा सा, नाज़ुक सा ख्वाब पलकों की ओट में कहीं अटका रह गया है ! डरती हूँ तुम्हारी उपेक्षा की आँच कहीं इसे झुलसा कर नष्ट ना...न जले नागासाकी फिर कोई ..* * *न जले,* *नागासाकी* *फिर कोई ......* *सिने में ,समंदर * *रखना ,* *आग इतनी है **कि,* *कम पड़ जायेगा......./* *हजारों एटम बमों की* *प्रचंड अग्नि कम है,* *कुछ खौफजदा दिलों की,* *आग से ..* *जलाकर दूसरों क...
    
आज के लिए बस इतना ही फिर भेंट होगी तब तक के लिए नमस्कार....

10 टिप्पणियाँ:

संध्या जी बहुत अच्छी वार्ता है आज की |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

बहुत अच्‍छी वार्ता है ..

अब जाती हूं लिंकों पर ..

आपका आभार संध्‍या जी !!

वाह संध्या जी ! आज तो आनंद आ गया ! बहुत सुन्दर सूत्र दिए हैं आपने ! 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना 'कन्हैया', 'आकांक्षा' से मेरी दीदी की रचना 'भाषा नहीं भाव प्रबल हैं तथा मेरे ब्लॉग 'सुधीनामा' से मेरी रचना 'आदत' तीनों को आज की वार्ता में सम्मिलित देख बहुत खुशी हुई ! शेष अन्य सूत्र भी बहुत ही सुन्दर व पठनीय हैं ! आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद !

बहुत सुन्दर वार्ता संध्या जी...
अच्छे लिंक्स..
आभार.

सस्नेह
अनु

बहुत ही अच्‍छी वार्ता ... बेहतरीन लिंक्‍स का चयन एवं प्रस्‍तुतिकरण

बढिया वार्ता

मुझे स्थान देने के लिए आभार

खूबसूरत लिंक संयोजन

वाह
क्या बात है
अच्छी वार्ता

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