रविवार, 5 अगस्त 2012

स्नानाबाद से चिठियाना-टिपियाना...ब्लॉग4वार्ता...संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...चलो आखिरकार भारत के खाते में तीसरा मैडल आ ही गया और इस दूसरे काँस्य मैडल के साथ एक और रिकार्ड बन गया वह यह कि ओलम्पिक के इतिहास में भारत का यह पहला बैडमिंटन पदक है. भले ही काँस्य ही क्यों ना हो पर है तो महत्त्वपूर्ण ही जो अब तक ओलम्पिक में भारत को एक भी बैडमिंटन में किसी भी तरह का कोई पदक नहीं मिला था, सो यह काँस्य ही गोल्डन मैडल कि ही तरह है... बधाई हो साइना इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए और बधाई हो सभी भारतवासियों को साइना के इस उपलब्धि के लिए....प्रस्तुत है, आज की ब्लॉग वार्ता कुछ खास शानदार लिंक्स के साथ ...

त्रासदी ...(बादल फटने की ) त्रासदी ...(बादल फटने की ) आज फिर बादल फटा आज फिर किसी की दुनिया उजड गई होगी आज भी कई मासूम अनाथ हों गए होंगे .. और कई माँ बाप ...इस दुनिया में अकेले रह गए होंगे ... किसी का घर बह गया तो ... प्रायश्चित प्रातः से संध्या तक *** *क्या गलत क्या सही आचरण *** *उस पर चिंतन मनन और आकलन *** *सरल तो नहीं *** *यदि स्थिर मन हो कर सोचें *** *आत्मावलोकन करें *** *कुछ तो परिवर्तन होगा *** *स्वनियंत्रण भी होगा |.अँधेरा *कदम खुद ही चलते हैं अँधेरे के निशा ढूंढ़ने ! रोक न पायें जब खुद को,* *हम अँधेरे को क्यों दोष दें ! उजाला हर किसी की ओढ़नी हम अँधेरे को ही ओढ ले ! उजालों ने थकाया हमें निगाहों ने लुटाया हमें ! कदमो ने भी पक...

नजर का असर ..... अतिथि पोस्‍ट .... श्री विद्या सागर महथाकुणाल की आंखों पर उसकी सौतेली मां की नजर थी , कारण यह था कि उसकी आंखें बहुत ही खूबसूरत थी और उसकी तथाकथित मां उन आंखों पर मोहित थी। लाख कोशिश के बाद भी जब वह उन आंखों को हासिल न कर सकी तो अपने पति से उसकी .."स्पेस" "स्पेस" ये शब्द सुनते ही सबसे पहले आँखों के सामने अन्तरिक्ष की ही याद आती है ,जबकि बातें हम अक्सर दूसरी स्पेस की करते हैं | कभी अपने लिए स्पेस चाहते हैं , तो कभी दूसरों को स्पेस देना चाहते हैं ... भ्रम एक सच है एक झूठ है एक मुखौटा है एक असली चेहरा है एक शतरंज है एक मोहरा है एक साँप है एक सपेरा है एक अंधेरा है एक सवेरा है एक प्रश्न बहुत टेढ़ा है किसका साथ दूँ ? जब सब कुछ साफ है है पट्टी बंधी आँखों पे पर क्या...

कुदरत के नज़ारे प्रिय ब्लॉगर साथियों, आज आपके साथ अपने द्वारा लिए गए कुछ प्राकृतिक फोटो बाँट रहा हूँ जिसमे कुछ प्राकृतिक दृश्य हैं, कुछ फूल है, कुछ परिंदे और कुछ जानवर.......सभी फूलों के नाम मुझे पता नहीं हैं जो मुझे अच्... अख़बारhours ago *ब्लॉग्गिंग के शुरुआत के समय की ये रचना..... पिछले पोस्टस देख रहा था, तो एक दम से अच्छा लगा... बेशक तुकबंदी है ... पर मुझे खुद को अच्छी लगी... तो शेयर कर रहा हूँ....!!!* दिन था रविवार ..उम्मीद से है दरख़्त अब ठहरा हुआ आसमान गहराती हुई पृथ्वी सबकुछ बिखरता हुआ पिघलता हुआ बर्फ हम कहाँ और कैसे ठहरे सवाल ही रहा ऐसी उफान नदियों में कि सूखती रही उम्मीद लहरों के संग जंग में सियासत या सियासत में जंग बदल रहा... 

काफी है ... तम हो घनेरा और जाना हो मंज़िल तक तो जुगनू का एक दिया ही काफी है मंज़िल पाने को तपिश हो मन की और चाहते हो ठंडक तो अश्क की एक बूंद ही काफी है अदना सा झोंका ही भर देता है प्राणवायु जीवित रहने ... मेरी आहूति ………शब्दों के अरण्य में "शब्दों के अरण्य" में रश्मि प्रभा द्वारा सम्पादित और हिंद युग्म द्वारा प्रकाशित काव्य पुष्प है जिसकी भीनी सुगंध में ना जाने कौन- कौन से सुमन अपनी महक से योगदान दे रहे हैं और इस अरण्य को सुवासित कर रहे... काले बर्तन या काला ज़हर टेफलोन शीट तो याद होगी सबको कैसे याद नहीं होगी आजकल दिन की शुरुवात ही उससे होती है चाय बनानी है तो नॉन स्टिक तपेली (पतीली) ,तवा,फ्राई पेन ,ना जाने कितने ही बर्तन हमारे घर में है जो टेफलोन कोटिंग वा...

जीवित मुर्दों की लाशों को कफ़न कौन ओढाये? - कोलाहलों का वटवृक्ष नीर का क्षीरसागर जीवन्तता की अचेतावस्था जैसे कूंडों में दही जमी हो और खाने वाला कोई ना हो फिर कौन तो तवे पर रोटी बनाये और कौन किसे लोरी...बड़ा अनूठा खेला है - किसी काम को करूँ, ना करूँ, कानाफूसी चलती है, बुद्धि कहे यदि, कर भी डालो, मन की राय बदलती है, सुबह आँख खुलती, मन कहता, सो जाओ तुम थके बहुत, शुभ विचार के स...तलाश एक मोड़ की - (१) चुभने लगती जब आँखों में सुदूर सितारों की रोशनी भी, हर सीधी राह भी जगा देती एक डर भटक जाने का, रिश्तों की हर डोर जब हो जाती कमज़ोर बार ब...

बचपन अधूरा सही...बेचारा नही.... - *अपने अतीत को सम्भाल कर रखो * *आप के भविष्य में काम आऐगा....* *....अकेला* *अशोक'अकेला'* आज फिर देखो नारी उदास है !! - आज फिर देखो नारी उदास है !! उसकी कोख में सभ्यता का बीज है!! ये न समझो केवल भोग्या चीज है !! नारी न होगी तो नर भी न होंगे !! बिना नारी संत पैगम्बर न होंगे !! ...   फ़ुरसत में ... चिठियाना-टिपियाना चैट - *फ़ुरसत में ...108 * *चिठियाना-टिपियाना चैट* **** चिठियाना नमस्कार! तबियत ठीक है न ? टिपियाना नमस्कार ! क्यूं तबियत के बारे में प्रश्न ..? चिठ... 

स्नानाबाद से सीधा प्रसारण --- ओ3म नम: शिवाय, नम: शिवाय, नम: शिवाय, हर हर गंगे, हर गंगे। स्नान हो रहा है, एक लोटा पानी डालते ही विचार उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं। बरसाती बादल की तरह बस फ़ट पड़न... यारब मुझे महफ़ूज़ रख उस बुत के सितम से - दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार1 नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीददार नहीं हूँ ज़िन्दा हूँ मगर ज़ीस्त2 की लज़्ज़त3 नहीं बाक़ी हर चंद कि हूँ होश में, होश... कैद मे गांधी ... अनशन पर अन्ना ... और मैं - *साल भर पहले यह 'कविता' लिखी थी ... एक बार फिर यहाँ आपको यह पढ़वा रहा हूँ ... इस बार चित्र के साथ ! * * * *यहाँ खुदा ... वहाँ खुदा ... कहाँ कहाँ नहीं खुदा ...


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अब देते हैं आज की वार्ता को विराम आपसे फिर भेंट होगी तब तक के लिए नमस्कार...

5 टिप्पणियाँ:

nआज की वार्ता में कांस्य पदक पर आलेख पढ़ा अच्छा लगा संध्या जी |कोइ जीते कोइ हारे पर सौहार्द की भावना हो और स्नेह बढे |सायना को बधाई कांस्य पदक के लिए |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

अत्यन्त रोचक वार्ता के सूत्र..

मेरे कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए साधुवाद

कई दिनों के बाद इन्हीं लिंक्स के ज़रिये ब्लाग वाचन किया बेहतरीन लिंक्स

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