संध्या शर्मा का नमस्कार... आज प्रस्तुत है दो महान कवियों की काव्य रचना से कुछ पंक्तियाँ.
''कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाये
एक हिलोर इधर से आये, एक हिलोर उधर को जाये
नाश ! नाश! हाँ महानाश! ! ! की
प्रलयंकारी आंख खुल जाये।
-"नवीन "
जन्म से पहले शमशान होता है
शान्ति के पहले तूफान होता है
वक्त के साथ बदलती है तस्वीर देश की
क्रान्ति के बाद ही तो नवनिर्माण होता है।
-"शलभ"
''कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाये
एक हिलोर इधर से आये, एक हिलोर उधर को जाये
नाश ! नाश! हाँ महानाश! ! ! की
प्रलयंकारी आंख खुल जाये।
-"नवीन "
जन्म से पहले शमशान होता है
शान्ति के पहले तूफान होता है
वक्त के साथ बदलती है तस्वीर देश की
क्रान्ति के बाद ही तो नवनिर्माण होता है।
-"शलभ"
भारत का ऐतिहासिक क्षितिज इनकी कीर्ति किरण से सदा आलोकित रहेगा और उनकी कविताए राष्ट्रीय आस्मिता की धरोहर बनकर नयी पीढ़ी को अपने गौरव गीत के ओजस्वी स्वर सुनाती रहेगीं। आइये अब चले ब्लॉग वार्ता पर इन खास लिंक्स के साथ...
नहीं तो ... - इतना भी घुप्प अँधेरा न करो कि तड़ातड़ तड़कती तड़ित-सी विघातक व्यथा-वेदना में तुम भी न दिखो... इस दिए का क्या ? तेल चूक गया है बाती भी जल गयी है बची हुई ... उम्र यूं ही तमाम होती है - विलुप्त हैं कहीं मेरी सारी भावनाएं , न किसी बात से मिलती है खुशी और न ही होता है गम , मन के समंदर में न कोई लहर उठती है , और न ही होती हैं आँखें न..मौन - ** * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *एक चुप्पी सी है बस * *और कुछ नही * *शब्दों के परे का 'मौन' * *कितना गहरा होता है ना ...!!
( rashifal ) क्या करें क्या न करें 29 और 30 अगस्त 2012 को ?? - मेष लग्नवालों के लिए 29 , 30 अगस्त 2012 को भाई.बहन,बंधु बांधवों से विचार के तालमेल का अभाव बनेगा, सहकर्मियों से भी संबंध में गडबडी आएगी। इसलिए ऐसा माहौल न...तप-साधना का मौसम - श्रीमती शैलादेवी की कठिन तपस्या को नमन *ब*रसात का मौसम तप, साधना और उपवास के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है . जैन संप्रदाय में पर्यूषण पर्व का बहुत महत्व ...कृष्ण लीला रास पंचाध्यायी ………भाग 64 - पिछली बार आपने पढा कि प्रभु मधुबन मे कदम्ब के नीचे आँख बंद किये अधरों पर वेणु धरे मधुर तान छेड रहे हैं जिसे सुनकर गोपियाँ बौरा जाती है और जो जिस हाल मे होत...
इक बहाना चाहिए - प्यार मुमकिन है सभी से इक बहाना चाहिए मौत को भी वक्त पे दिल से बुलाना चाहिए जिन्दगी की राह में बेखौफ चलने का मज़ा पास गिर जाए कोई उसको उठाना चाहिए कैद को... नन्हीं बूंदे वर्षा की - टप टप टपकती झरझर झरती नन्हीं बूँदें वर्षा की कभी फिसलतीं या ठहर जातीं वृक्षों के नव किसलयों पर नाचती थिरकतीं गातीं प्रभाती करतीं संगत रश्मियों की ... नहीं वह गांव, नहीं वह घर - *नहीं वह गांव, नहीं वह घर*** * * *श्यामनारायण मिश्र*** *बचपन बीता जहां,*** *नहीं वह गांव, नहीं वह घर।*** * आंखों का बाग*** * और कमलों की गड़ही।*...
क्या बगदाद बाब तेहरान चले गये? - 2003 में अमेरिका नीत आक्रमण के दौरान अमेरिका के रिपोर्टरों ने इराक के सूचना मंत्री को " "बगदाद बाब' का नाम दिया था ( ब्रिटिश उन्हें कोमिकल अली कहते थे) । व... उम्मीद का सोमवार... - संसद का मानसून सत्र चल रहा है। वैसे तो यह वाक्य अपने आप में सही है, पर मौजूदा हालात को देखकर ऐसा लगने लगा है कि यह वाक्य कहीं गलत तो नहीं हो रहा। मानसूत्र...काम वह आन पड़ा है कि बनाए न बने - नुक्ता-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने क्या बने बात जहां बात बनाए न बने मैं बुलाता तो हूं उस को मगर अय जज़्बा-ए दिल उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि बिन आए न बने...
चैतुरगढ: मैं कहता हौं आँखन की देखी- पंकज सिंहपाली शिवमंदिर में चैतुरगढ जाने वाली सड़क की स्थिति की पूछताछ करने पर संतोष त्रिपाठी ने कहा कि सड़क की स्थिति तो खराब है। बरसात होने के कारण सड़क जगह-......ज्ञान हो गया फकीर - *नैतिकता कुंद हुई न्याय हुए भोथरे, घूम रहे जीवन के पहिए रामासरे। भ्रष्टों के हाथों में राजयोग की लकीर, बुद्धि भीख माँग रही ज्ञान हो गया फकीर। घूम रहे बंदर ..रामटेक की रामटेकरी - पृथ्वीसेन द्वितीय के बाद प्रवरपुर पर बौद्धों का कब्जा हो गया। पैलेस को बौद्ध विहार का रुप दे दिया गया। पैलेस के चारों ओर छोटी छोटी कुटिया बना दी गयी। जिसमे..
तुम आओगे ना ?? - अहसासों के दरमियां मेरे ख़्वाबों को जगाने जब तुम आओगे ना कुछ शरामऊँगी मैं धडकनों को थामकर कुछ बहक सा जाऊँगी मैं मुझे बहकाने तुम आओगे ना ???? इठलाती सी धूप ...अर्चना - आओ आओ बेग पधारो व्याकुल ह्रदय हमारा है , नाथ न क्यों सुनते अनुनय हो निठुर भाव क्यों धारा है ! दुखी दीन हैं, मन मलीन हैं तेरी गउएँ गोपाला, आजा फिर दिखला दे... .मंसूबे ... - उन्हें उनके हाल से मतलब है, और हमें अपने बस, इसी चक्कर में ......... देश फटेहाल है ? ... सच ! वो घमंड से दिखाते थे, औ हम नाज से सहलाते थे किसे खबर...
अगली वार्ता तक के लिए दीजिये इजाज़त नमस्कार....
8 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर वार्ता लगाई है आपने संध्या जी |कार्टून बहुत अच्छा लगा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
सुंदर!
कार्टून को भी बातचीत में शामिल करने के लिए आपका आभार जी
आज बहुत कुछ पढ़ने को शेष है..
बढिया वार्ता
बहुत अच्छे लिंक्स
बेहतरीन लिंक्स लिए अच्छी प्रस्तुति।
सुंदर वार्ता, शानदार प्रस्तुति। खास कर काजल कुमार जी का व्यंग्य चित्र गजब का है। आभार
काफी सारे लिंक्स मिले .... आभार ...बढ़िया वार्ता
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